सोमवार, 29 अप्रैल 2013

मेरा पति जरुर लौटकर आएगा


पाकिस्तान की जेल में बंद भाग सिंह की पत्नी को विशवास 
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मेरा पति जरुर लौटकर आएगा
बाड़मेर.अट्ठाईस वर्ष पूर्व लक्ष्मी का पति सीमा पार कर पाकिस्तान चला गया तो उस पर दु:खों का पहाड़ टूट गया। एक तरफ पति का वियोग तो दूसरी तरफ संतान की परवरिश की जिम्मेदारी। इस अग्नि परीक्षा की घड़ी में लक्ष्मी ने हिम्मत नहीं हारी। विकट परिस्थितियों में जिंदगी से संघर्ष शुरु किया। अपनी संतान पर जान न्यौछावर करने वाली लक्ष्मी ने दिहाड़ी मजदूरी से पालन पोषण किया। उसकी अट्ठाईस वर्ष की तपस्या से बेटी व दो बेटों की पढ़ाई के साथ विवाह की महत्वूपर्ण जिम्मेदारी बखूबी निभाते हुए उन्हें पिता की कमी का अहसास तक नहीं होने दिया।

पाकिस्तान के छाछारों के पास स्थित पाणियों गांव से आई लक्ष्मी ने वर्ष 1974 में धनाऊ निवासी भगूसिंह से शादी रचाई। महज ग्यारह साल तक पति का साथ मिला। इस बीच सन् 1985 में भगुसिंह पड़ौसी गांव गोहड़ का तला में पशुओं को चराने के साथ खेती करने की बात कहकर गया था। वह पशु चराते वक्त भूल से सीमा पार कर गया। यह दुखद समाचार मिलते ही लक्ष्मी की पैरों तले जमीन खिसक गई। इस गांव में लक्ष्मी के अलावा परिवार का कोई सदस्य नहीं होने से घर की पूरी जिम्मेदारी लक्ष्मी पर आ गई। वह पति के बिछोह का दर्द सहते हुए एक बेटी व दो बेटों के सहारे जिंदगी का सफर शुरु किया।

उसने कशीदाकारी के कार्य के बदले मिलने वाले मेहनताने से संतान का पालन पोषण शुरु किया। इस दौरान कभी काम नहीं मिलने पर वह भूखे ही सो जाती। संघर्ष के सफर में कई चुनौतियां का सामना करते हुए बच्चों की पढ़ाई शुरु करवाई। इसके साथ ही लक्ष्मी कशीदाकारी के साथ दिहाड़ी मजदूरी पर जाने लगी। धीरे -धीरे वक्त बीतता गया लेकिन लक्ष्मी पर दुखों का साया बना रहा। पति के लौटने की आस में हिम्मत से कार्य करती रही।

इस बीच लक्ष्मी पति की खैर खबर जानने सबसे पहले पुलिस थाना चौहटन पहुंची। जहां पर अपनी फरियाद सुनाई तो केवल आश्वासन देकर रवाना कर दिया। लंबे अर्से बाद जब कोई समाचार नहीं मिला तो फिर वह अपनी फरियाद लेकर तहसील कार्यालय की चौखट पहुंची। उसने अपनी पूरी कहानी सुनाते हुए पति का पता लगाने के साथ सहायता की गुहार लगाई।

यहां भी उसे आश्वासन के अलावा कुछ नहीं मिला। थकी हारी लक्ष्मी ने आखिरी दरखवास्त अपने गांव के मौजिज लोगों के सामने दर्ज करवाई। लेकिन सारे प्रयास विफल रहे। किसी ने भगुसिंह की पैरवी नहीं की। उसने ईश्वर पर पूरा भरोसे रखते हुए अपने बूते बेटी की शादी की। इसके बाद दो बेटों का विवाह कर दिया। तीनों की शादियां से लक्ष्मी कर्जदार बन गई। फिर भी उसने मेहनत कर धीरे -धीरे कर्जा उतारा। आज भी मुफलिसी की जिंदगी जी रही लक्ष्मी नरेगा कार्य पर दिहाड़ी मजदूरी करके परिवार का पालन पोषण कर रही है।
कलेक्टर का फरमान बेअसर
तत्कालीन जिला कलेक्टर रवि जैन ने वर्ष 2008 में धनाऊ गांव में रात्रि चौपाल आयोजित की। फरियाद लेकर पहुंची लक्ष्मी ने कलेक्टर को अपना दुखड़ा सुनाया। धनाऊ गांव निवासी अचलसिंह व संजय बोहरा बताते है कि पाक जेलों बंद पांच भारतीय रिहा होकर आ गए। लेकिन भगुसिंह के बारे में कोई सूचना नहीं मिली है।

सुख की आस में बेगानी हो गई. पाकिस्तान के छाछरों के पास स्थित पाणियों गांव में लक्ष्मी का बचपन गुजरा। भारत-पाक युद्ध के बाद हिंदुओं पर हो रहे अत्याचारों के चलते कई परिवार सुख की आस में हिन्दुस्तान आ गए। इसमें लक्ष्मी का परिवार भी शामिल था। यहां आकर शादी रचाने के ग्यारह साल बाद पति पाकिस्तान चले जाने से उसकी खुशियां गम में बदल गई।
चिट्ठी आई न कोई संदेशपचीस वर्ष पूर्व पाकिस्तान गए भगुसिंह की न तो कोई चिट्ठी आई है और नहीं कोई संदेश। मां के आंचल में पले अर्जुन व प्रताप को विश्वास है उनके पिता के आने का शुभ समाचार आएगा।

मेरा पति जहां कहीं है, वह जरुर लौटकर आएगा। इसकी आस से मैने आज भी सुहाग की प्रतीक चुडियां पहन रखी है। मैने पच्चीस वर्ष तक संघर्ष करते हुए ईश्वर पर भरोसा किया है। वह मेरे साथ न्याय करेगा।
लक्ष्मी कंवर, पत्नी, भगुसिंह धनाऊ

पाकिस्तानी किशोर की वतन वापसी

पाकिस्तानी किशोर की वतन वापसी

श्रीगंगानगर। अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारतीय सीमा में घुसे एक पाकिस्तानी किशोर को रविवार को सीमा सुरक्षा बल ने पाक रेंजर्स को सुुपुर्द कर दिया। श्रीगंगानगर सेक्टर के अनूपगढ़ क्षेत्र में दोनों देशों के कम्पनी कमाण्डर स्तर के अधिकारियों की फ्लैग मीटिंग के बाद किशोर की वतन वापसी हुई।

बीएसएफ के राजस्थान फ्रंटियर के उप महानिरीक्षक आर.के. थापा ने बताया कि शनिवार शाम 5 बजकर 45 मिनट पर अनूपगढ़ क्षेत्र में कैलाश चेकपोस्ट के पास बल के जवानों ने पाकिस्तान के भावलनगर जिले के गांव 242 एचएल निवासी नदीम माहर (14) पुत्र आमीन माहर को पकड़ा। पूछताछ में पता चला कि नदीम अपने माता-पिता से नाराज होकर घर से निकल गया था और अनजाने में अंतरराष्ट्रीय सीमा पार कर भारत में आ गया। तलाशी में उसके पर्स से भारतीय फिल्मी अभिनेताओं के फोटो मिले।

पैरों के निशान दिखाए

नदीम को पुशबैक करने के लिए बीएसएफ की ओर से अंतरराष्ट्रीय सीमा पर पिल्लर नम्बर 369 के पास पाकिस्तानी रेंजर के साथ कम्पनी कमाण्डर स्तर की फ्लैग मीटिंग की गई। पाक रेंजर के प्रतिनिधि को नदीम के जीरो लाइन पार करने के पैरों के निशान दिखाए गए। इस पर उन्होंने नदीम को वापस लेने पर सहमति दी। इसके बाद दोपहर एक बजे अनूपगढ़ क्षेत्र में अंतरराष्ट्रीय सीमा पर नदीम को पाक रेंजर को सौंप दिया।

तीन दिन की जगह एक दिन

सीमा सुरक्षा बल की ओर से बीते एक साल के दौरान श्रीगंगानगर सेक्टर में 12 पाक नागरिकों को पुशबैक किया गया है। इनमें एक महिला और उसका बच्चा भी शमिल है। पिछले दिनों खाजूवाला क्षेत्र में भारतीय बालिका भूलवश पाकिस्तान की सीमा में घुस गई थी। पाकिस्तान ने उसे तीन बाद लौटाया, जबकि भारतीय सीमा में घुसे नदीम को महज एक दिन में पाक के सुपुर्द कर दिया।