रविवार, 31 मार्च 2013

पाकिस्‍तान में हिंदू युवती को जबरन बनाया मुसलमान, करवाया निकाह

इस्लामाबाद। पाकिस्‍तान में हिंदू लड़की के साथ शोषण जारी है। इस बार मामला पाक के सिंध प्रांत का है। यहां एक हिंदू लड़की का अपहरण कर उसका धर्मांतरण कर मुसलमान बनाया गया और फिर एक मुस्लिम युवक से उनका निकाह कर दिया गया है। इससे पहले भी पाकिस्‍तान में ऐसी कई घटना घट चुकी है। जिसे रोकने में वहां की सरकार असफल साबित हुई। कुछ वक्‍त पहले रिंकल कुमारी नामक युवती को भी जबरन मुसलमान बनाया गया था। रिंकल के परिजन न्याय पाने पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट तक गए, लेकिन जबरिया निकाह का शिकार रिंकल ने भयवश यह मान लिया था कि उसने स्वेच्छा से धर्म परिवर्तन किया है।

ताजा घटना के बाद हिंदू समुदाय सड़कों पर उतर आया। इसकी वजह से जैकबाबाद में शुक्रवार को हिंदू पंचायत के लिए होने वाले चुनाव को स्थगित करना पड़ गया। पाकिस्‍तान के अखबारों के अनुसार, सोना व्यापारी अशोक कुमार की बेटी गंगा का अपहरण कर उसका दूसरे व्यापारी बहादुर अली सुरहियो के बेटे आसिफ अली से अमरोत शरीफ की दरगाह पर जबरन निकाह करवा दिया गया।

डान अखबार के अनुसार, हिंदू धर्म से इस्लाम में धर्मांतरण के बाद गंगा का नाम आसिया रख दिया गया। लड़की के माता-पिता व अन्य निकाह की जानकारी मिलने पर जब तक दरगाह पहुंचे, तब तक उनकी शादी हो चुकी थी।

इसके बाद गंगा के परिजनों ने जैकबाबाद आकर इस संबंध में शिकायत दर्ज करवाई। जिसके मुताबिक, आसिफ, उसके भाई, पिता व एक अन्य व्यक्ति ने गंगा को अगवा कर लिया है। इस संबंध में पुलिस ने आसिफ के भाई, पिता व एक अन्य व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। हालांकि आसिफ पुलिस के हत्थे नहीं चढ़ पाया था।

इस घटना के विरोध में पाकिस्तान में हिंदू समुदाय के लोग सड़कों पर उतर आए और उन्होंने जमकर प्रदर्शन किया। हिंदू समुदाय पर बढ़ते अत्याचारों के खिलाफ हिंदूओं में गुस्सा है।

गंगा के अपहरण और जबरिया निकाह के खिलाफ जैकोबाबाद में जनता हाल से प्रेस क्लब तक रैली का आयोजन किया गया। लोगों ने गंगा को उसके परिवार से मिलाने के नारों के साथ मार्च किया। हिंदू नेताओं ने चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगें नहीं मानी गईं तो समुदाय के लोग शहर भर में हड़ताल और विरोध प्रदर्शन करेंगे।

राजस्थान के 6 दुर्गों को मिल सकता हैं वर्ल्ड हैरिटेज में शामिल होने का दर्जा!

जयपुर.कंबोडिया में यूनेस्को और वर्ल्ड हैरिटेज काउंसिल की जून में होने वाली मीटिंग में राजस्थान की छह हैरिटेज साइट्स को वर्ल्ड हैरिटेज साइट्स में शामिल होने का दर्जा मिल सकता है। भारत से इस बार राजस्थान के छह दुर्गो का ही सीरियल नॉमिनेशन हुआ है। जिसमें आमेर, चित्तौड़, रणथंभोर, कुंभलगढ़, गागरोन और जैसलमेर के दुर्ग शामिल हैं। इन दुर्गो की लिस्टिंग करने में जयपुर की हिस्टोरियन रीमा हूजा भी शामिल हैं। उन्होंने सरकारी नुमाइंदों और कंजर्वेटर आर्किटेक्ट शिखा जैन के साथ इन साइट्स की रिपोर्ट राइटिंग की है।
राजस्थान के 6 दुर्गों को मिल सकता हैं वर्ल्ड हैरिटेज में शामिल होने का दर्जा!
वे कहती हैं हम लोग तीन साल से इस प्रोजेक्ट में लगे हैं। जब भी यूनेस्को को अपनी साइट के बारे में ब्यौरा दिया जाता है। उसमें मॉन्यूमेंट्स की आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सल वैल्यू बतानी होती है। मिसाल के तौर पर आमेर किले की यूनिवर्सल वैल्यू उसका जल प्रबंधन हैं वहीं चित्तौड़गढ़ किले में अलग-अलग भवनों का समूह उसकी एक खासियत है।

वे कहती हैं कि इसका डोसियर हमने राजस्थान सरकार को 2011 में तैयार करके दिया था। इसके बाद यह भारत सरकार के पास गया और अब सभी की निगाहें जून में होने वाली मीटिंग पर रहेंगी। राजस्थान के छह किलों का सीरियल नॉमिनेशन भी एक बड़ी उपलब्धि है।

क्या है आउटस्टैंडिंग यूनिवर्सल वैल्यू (ओयूवी)

जब किसी ऐतिहासिक स्मारक को यूनेस्को की ओर से वर्ल्ड हैरिटेज साइट का दर्जा दिलवाना होता है। उसकी रिपोर्ट राइटिंग में ओयूवी लिखना होता है, जो उस इमारत का यूनीक पॉइंट हैं। ताकि यूनेस्को ये सुनिश्चित कर सके कि ऐसी खूबी वाली इमारत दूसरी नहीं है। जैसे जंतर का ओयूवी पॉइंट है इसकी सटीक गणना जिसे देखकर आज भी समय का ज्ञान सहज हो सकता है। इसी तरह हर किले का भी ओयूवी तय किया जाता है।

राजस्थानी बिना केड़ो राजस्थान काली मुख्पति बाँध मांगी मान्यता




राजस्थानी बिना केड़ो राजस्थान काली मुख्पति बाँध मांगी मान्यता 

मायड भाषा ओर मॉ में कोई अन्तर नही मॉ का अपमान अब सहन नही होगा

बाडमेर तीस मार्च र राजस्थानी भाषा को संवैधानिक मान्यता की मांग को लेकर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर , राजस्थानी छात्र परिषद् ,राजस्थानी चिंतन परिषद् ,राजस्थानी भाषा महिला परिषद तथा राजस्थानी मोटियार परिषद के तत्वाधान में शनिवार को राजस्थान दिवस पर राजस्थानी बिना गुंगो राजस्थान कार्यक्रम के तहत कार्यकर्ताओ ने काली मुख्पत्ति लगाकर राजस्थानी को संवेधानिक मान्यता की मांग को ले कर रेल्ली निकाल कर प्रधानमंत्री के नाम का ज्ञापन अतिरिक्त जिला  अरुण पुरोहित को सुपुर्द किया .इस अवसर पर जोधपुर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ,जिला पाटवी रिड़मल सिंह दांता ,डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ,इन्दर प्रकाश पुरोहित ,सांग सिंह लुणु ,अशोक सिंह राजपुरोहित ,रमेश गौड ,दुर्जन सिंह गुडीसर ,सुलतान सिंह रेडाना ,अशरफ अली ,शिव सेना के जिला अध्यक्ष बसंत खत्री ,कल्याण सिंह दाखां ,मान सिंह भाटी ,सुखराम जैन ,हिन्दू सिंह तामलोर ,रमेश सिंह इन्दा ,दिग्विजय सिंह चुली ,अशोक सारला ,अवार सिंह सोढा ,जीतेन्द्र फुलवारिया ,भेरा राम सुथार ,सहित कई पदाधिकारी और कार्यकर्ता उपस्थित थे ,इस अवसर पर आयोजित कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी ने कहा की राजस्थानी भाषा का साहित्य और इतिहास उच्च कोटि का हें ,राजस्थानी भाषा का शब्द ग्रन्थ सबसे विशाल हें ,उन्होंने कहा की राजस्थान के बारह करोड़ राजस्थानियों की मायड भाषा हे जिसे अब हर सूरत में मान्यता मिलनी चाहिए ,इस अवसर पर संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी  ने कहा की राजस्थानी भाषा और हमारी माँ में कोई अंतर नहीं हे ,मायड भाषा का अपमान अब सहन नहीं होगा .जब छोटी छोटी भाषाओ को केंद्र सरकार मान्यता दे रही हे तो राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं देकर राजस्थानियों के हितो के साथ कुठाराघात क्यों कर रही हें सरकार ।,कार्यक्रम को संबोधित करते हुए जिला पाटवी रिडमल सिंह दांता ने कहा की क्षेत्रीय सांसद हरीश चौधरी ने राजस्थानी भाषा को मान्यता देने की मांग सांसद में उठा कर सराहनीय कार्य किया हें .पूरा राजस्थान उनका आभार प्रकट करता हें .राजस्थानी भाषा चिंतन परिषद के जिला अध्यक्ष रमेश गौड़ ने कहा की राजस्थान की पहचान राजस्थानी भाषा से हे ,माँ का दूसरा रूप मायड भाषा में निहित हे ,इस अभियान को महिलाओ के बीच ले जाया जा रहा हे दृमातृशक्ति राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने का पूरा दबाव केंद्र सर्कार पर बनाएगी।अन्होने कार्यकर्ताओ  से आहवान किया कि बाडमेर राजस्थानी भाशा को मान्यता दिलाने में अहम भूमिकानिभाने जा रहा हैं।आओ अपनी मायड भाशा को मिलकर मान दिलाऐं।,इस अवसर पर समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष इन्द्र प्रकाश पुरोहित ने कहा की राजस्थानी को मान्यता देकर ही राजस्थान का स्वाभिमान, राजस्थान की पहचान, अस्मिता, राजस्थानी भाषा, साहित्य और उसकी संस्कृति, राजस्थान का रोजगार तथा उसके बालकों का भविष्य बचाया जा सकता है। समिति के कल्याण सिंह दाखां  ने कहा की राजस्थान की विधानसभा में 25 अगस्त 2003 को जो सर्वसम्मत संकल्प प्रस्ताव पास करके केन्द्र सरकार को भेजा गया वह सम्पूर्ण राजस्थान का जनमत है और उसी को आधार मानकर राजस्थानी भाषा को तत्काल मान्यता दी जानी चाहिए थी, मगर उसके आठ वर्षों बाद तक भी उस पर अमल नहीं किया जाना जनमत का अपमान है। भाटी ने आक्रोश व्यक्त किया है कि प्रत्येक राजस्थानी उम्मीद लगाए बैठा था कि संसद के शीतकालीन सत्र में उनकी मातृभाषा को उसका वाजिब हक मिल जाएगा, मगर हाल ही में केन्द्र की ओर से यूपीएसी की समिति की बात सामने आने से उन्हें ठेस पहुंची है और 68 वर्षों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रहे राजस्थानियों की सब्र का बांध टूट चुका है। उन्होंने सवाल उठाया कि जब अन्य 22 भारतीय भाषाओं को संवैधानिक मान्यता देने में यूपीएससी की समिति की जरूरत नहीं पड़ी तो अब राजस्थानी के मामले में ही ऐसा क्यों? राजस्थानी जनता अपने इस हक के लिए आखिर कितना इंतजार करे। यह देश की बहुत बड़ी जनसंख्या जो राजस्थानी भाषी है और राजस्थान, देश तथा विदेश में बसती है उसकी भावनाओं और आत्मसम्मान पर कुठाराघात है।समिति के सांग सिंह लुणु ने कहा की आम जुबान की भाषा राजस्थानी हे जिसका अपना महत्त्व हे ,राजस्थान के लोग सहज और सरल हे शांतिपूर्वक तरीके से 68 सालो से अपना अधिकार मांग रहे हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा की मान्यता का मुद्दा प्रदेश के युवाओं के भविष्य का प्रश्न बन गया हें ,भाषा को अब संविधान की आठवी सूचि में शामिल कर मान्यता देनी ही पड़ेगी .इससे पहले राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति के कार्यकर्ताओ ने अहिंसा चौराहे पर महात्मा गांधी की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर मुख पर काली पट्टी बाँध रेली का ,आयोजन किया रेली अहिंसा चौराहे से जिला कलेक्टर कार्यालय , कलेक्टर कर्यलर बंद होने के कारण समिति ने अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरुण पुरोहित के घर जाकर प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन सुपुर्द किया ,

राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए अब गुजरात के राजस्थानी भी आगे आये



राजस्थानी भाषा की मान्यता के लिए अब गुजरात के राजस्थानी भी आगे आये

राजस्थान दिवस के अवसर पर, यह कितना आश्चर्य जनक है कि देश को आजाद हुए ६५ वर्ष हो गए है फिर भी राजस्थानी भाषा को केंद्रीय सरकार ने मान्यता नहीं दी है और इसे सविंधान की आठवी सूचि में शामिल नहीं किया है | कुछ लोगो को भ्रम है की राजस्थानी सिर्फ एक बोली है और यह भाषा नहीं है | वास्तिवकता यह है कि राजस्थानी भाषा लगभग १२०० वी शताब्दी से बोली और लिखी जा रही है | इस भाषा में लगभग चार लाख हस्त लिखित पोथिया, लाखो पुस्तके है और १३४ रीति ग्रन्थ है | राजस्थानी भाषा में लगभग चार लाख शब्द है तथा दो लाख दस हजार शब्द तो एक शब्दकोष में है | लगभग ६० शब्दकोश बने हुए है | आजादी के पहले यह कई रियासतों की भाषा थी | लगभग ६ कहावतो के शब्दकोश बने हुए है तथा अन्य कई कहावतो की पुस्तके है | राजस्थानी भाषा की व्यवस्थित और वैज्ञानिक व्याकरण कई लेखको की छपी हुई है | तीज त्यौहार और शादी ब्याव के लिए हजारो गीत है जो गाए जाते है | राजस्थानी भाषा में गए वर्षो में लगभग 100 फिल्मे बनी है |

यह बहुत दुःख कि बात नहीं है की बहुत सी ऐसी भाषाओ को मान्यता मिल गई है जिनके बोलने वालो की संख्या राजस्थानी बोलने वालो से काफी कम है | पुरे विश्व में राजस्थानी बोलने, समझने वालो की संख्या लगभग १० करोड़ है | कुछ लोगो के मस्तिक में भ्रम है की राजस्थानी की अपनी कोई लिपि नही है इस लिए इसे मान्यता नहीं मिली है, पर सविधान ने उन आठ भाषाओ को मान्यता दे रखी है जिनकी लिपि देवनागरी है, जैसे की मराठी, नेपाली, कोंकणी, काश्मीरी, डोगरी, मैथली, संथाली और संस्कृत, तो फिर राजस्थानी भाषा जिसकी लिपि भी देवनागरी है को मान्यता देने में केंद्रीय सरकार क्यों देरी कर रही है |

जिसे भाषा विज्ञान का ज्ञान नहीं है वे कहते है कौन सी राजस्थानी ? उन्हें पता नहीं की ढुढाडी, मेवाड़ी, हाडोती, मारवाड़ी, मेवाती आदि राजस्थानी भाषा की 73 बोलिया है, हिंदी की 43, मराठी की 65, तेलगु की 36, तमिल की 22, कन्नड़ की 32, कोंकणी की 16, बंगाली की 15, पंजाबी की 29, गुजराती की 27 बोलिया है, तथा भाषा वैज्ञानिको के अनुसार जिस भाषा की ज्यादा बोलिया होती है वह भाषा उतनी ही सम्रद्ध और सामर्थ्यवान मानी जाती है |

गुजरात में राजस्थान से आये हुए लाखो परिवार आज राजस्थानी भाषा बोलते है तथा राजस्थान की गौरव शाली परम्पराओ से जुड़े हुए है | पर केंद्र की भारत सरकार द्वारा राजस्थानी भाषा को मान्यता नहीं देने और उसे सविधान की आठवी सूचि में शामिल नहीं करने से उनमे आज रोष है | इसलिए राजस्थानी भाषा को मान्यता दिलाने के लिए के लिए, अब गुजरात में रहने वाले राजस्थानी लोग भी आगे आ रहे है | कुछ ही दिन पहले एक निजी टीवी चैनल और एक निजी पत्रिका के सवांददाता के सामने इन लोगो ने अपना दुःख व्यक्त किया और भारत की केंद्रीय और राजस्थान की सरकार से प्रार्थना की वे दोनों मिल कर इस पुरानी समस्या का शीघ्र समाधान करे और राजस्थानी भाषा बोलने वाले लगभग १० करोड़ लोगो के साथ न्याय करे | इस चैनल के सवाददाता के सामने निम्न व्यक्तियों ने अपने विचार रखे | भारतीय अंतरिक्ष अनुसन्धान संगठन (इसरो) के कई वैज्ञानिक व उनके परिवार के सदस्य इसमे शामिल है, जिनमे प्रमुख है, आश्विन दवे, सूर्यकांत शर्मा, नाथू सिंह मेहता, हरीश सेठ, नरेश भटनागर, मीना सेठ, नीला भटनागर, नीरजा शर्मा, श्रीमती आश्विन दवे, है | इनके आलावा, अहमदाबाद में कई वर्षो से रहने वाले मूल रूप से राजस्थान से आये हुई है बड़े उद्योगपतियो और व्यापारियों ने भी इस साक्षात्कार में भाग लिया, जिनमे प्रमुख है: जबर राज सकलेचा, अध्यक्ष जोधपुर एसोसिएशन, अहमदाबाद, राजीव छाजेड, अन्तराष्ट्रीय अध्यक्ष,लायंस क्लब ऑफ़ कर्णावती ३२३ बी, कुशल भंसाली, MP ग्रुप ऑफ़ इंडस्ट्री, उत्तम चंद मेहता, पूर्व अध्यक्ष, मारवाड़ संघ, राजेंद्र मेहता, अध्यक्ष लायंस क्लब ऑफ़ कर्णावती, एम एम सिंघी, पूर्व अध्यक्ष, राजस्थान हॉस्पिटल, गनपत राज चोधरी, अध्यक्ष जीतो, फिल्म निदेशक तारा चंद जैन, केवल चंद भटेवरा, अध्यक्ष राजस्थान स्थानकवासी मेवाड़ संघ, विजय भट्ट (दक्षिण अफ्रीका में कार्यरत, पर अभी अहमदाबाद आये हुए), ओम प्रकाश तोला, मंजू तोला, और अन्य महानुभाव है जिन्होंने भी ऐसे ही विचार व्यक्त किये या इस दिशा में कई वर्षो से कार्य कर रहे है, जिनमे प्रमुख है, गिरवर सिंह शेखावत, भवानी सिंह शेखावत, प्रेम चन्द पटवा, पदम् कोठारी, प्रमोद बागरेचा, शांति लाल नाहर, अध्यक्ष मेवाड़ जय संघ, पुष्पलता शर्मा, जगदीश शर्मा, मंजू भटनागर, भूपति राम साकरिया (आनंद) , अम्बादान रोहडिया (राजकोट) प्रसिद्ध वैज्ञानिक प्रोफेसर नरेन्द्र भंडारी, प्रोफेसर राजमल जैन, इत्यादि |

सुरेन्द्र सिंह पोखरना (भूतपूर्व वैज्ञानिक, भारतीय अन्तरिक्ष अनुसन्धान संगठन)

जमीन से निकली मोहरें सिंधु घाटी सभ्यता की, 94 मोहरें सरकारी कोष में जमा




जमीन से निकली मोहरें सिंधु घाटी सभ्यता की, 94 मोहरें सरकारी कोष में जमा





मोहरों पर है चित्र लिपि अंकित

लाडनूं
झंडा चौक में निर्माणाधीन भवन की खुदाई के दौरान निकली 94 प्राचीन मोहरें शनिवार को मकान मालिक लाभचंद प्रजापत ने राजकोष में जमा कराने के लिए उपखंड अधिकारी को सौंप दिए। इन सिक्कों पर मिली चित्र लिपि व अन्य संकेतों से ये सिंधु घाटी सभ्यता के होने की संभावना भी जताई जा रही है। 

उपखंड अधिकारी राजपाल सिंह ने इनकी गिनती व वजन कराने के बाद सीलबंद कर जिला कोषागार में जमा कराने भेज दिया। इस मामले में उन्होंने अनेक लोगों के बयान लिए। मकान मालिक को लिखित रूप से आगे खुदाई में किसी भी प्रकार की कोई प्राचीन वस्तु मिलने पर उसकी सूचना कार्यालय में देने के लिए पाबंद किया है। मोहरों का वजन कुल 400 ग्राम निकला।

एसडीएम राजपाल सिंह द्वारा अपने स्तर पर जांच की गई तो ये छोटे आकार की मोहरें वजन में भारी थीं। ये मटमैली थीं। हरी जंग लगी थी। इस मैल को मामूली रगडऩे पर नीचे सुनहरा रंग नजर आया। पत्थर पर घिसाई करने पर चांदी नुमा सफेदी दिखाई दी। इनकी धातु के बारे में कोई अनुमान नहीं लगाया जा सका। इन पर एक तरफ तीन मेखला वाली यज्ञवेदी का चित्र व कुछ लाइनों की अलग लिपि नजर आ रही थी, तो दूसरी तरफ अद्र्ध मानवाकृति, पीछे सर्पाकार आकृति आदि थी, जिन्हें देखने पर लगता है कि वह कोई चित्रलिपि है, जिसे फिलहाल पढ़ा जाना संभव नहीं है। उपखंड अधिकारी राजपाल सिंह का मानना है कि ये मोहरें करीब सात हजार साल पुरानी व सिंधु घाटी सभ्यता के समकालीन हो सकती हैं। इन पर अंकित लिपि व आकृतियां उसी सभ्यता से मिलती-जुलती नजर आ रही हैं। उन्होंने जिस लाल मिट्टी के कलश में ये मोहरें मिली थी, उसके टूटे टुकड़े भी सरकारी कोष में जमा करवाने के निर्देश मकान मालिक को दिए। ताकि उनकी कार्बन-डेटिंग की जा सके।

एसडीएम ने देखा मौका

उपखंड अधिकारी राजपाल सिंह ने ये मोहरें जमा करने के बाद स्वयं मौके पर पहुंचकर स्थिति का जायजा लिया। मालिक लाभचंद प्रजापत को पाबंद किया कि वे चारों तरफ के पिलर बनवाने के अलावा भूमि के बीच के हिस्से में कोई निर्माण कार्य नहीं करवाए, ताकि उसका जायजा पुरातत्व विभाग के अधिकारी व विशेषज्ञ ले सकें।

गुजराती कलाकारों ने दी गेर नृत्य की प्रस्तुति


गुजराती कलाकारों ने दी गेर नृत्य की प्रस्तुति 



गेर महोत्सव के तीसरे दिन दिखा उत्साह, महोत्सव को देखने के लिए उमड़ी भीड़

जालोर भक्त प्रहलाद चौक में भक्त प्रहलाद उत्सव समिति के नेतृत्व में चल रहे गेर महोत्सव के तीसरे दिन गुजरात के वीरम गांव से रौनक एंड पार्टी के नेतृत्व में गेर नर्तकों ने गुजराती ढोल व गीतों की धुनों पर डांडिया नृत्य की मनमोहक प्रस्तुति दी। समिति अध्यक्ष बंशीलाल सोनी ने बताया कि महोत्सव के दौरान बाड़मेर जिले के बिठूजा गांव की वागा गेर दल व जालोर के माली समाज के लोगों ने भी गेर नृत्य प्रस्तुत किया। ढोल व थाली की धुन पर सिर पर साफा व पैरों में घुंघरु बांधे गेर नृत्य करते नर्तक वातावरण में अलग ही समां बांधते नजर आए। मदमस्त होकर नाचते गेर नर्तकों के डांडियों की धुनों पर पांडाल में उपस्थित दर्शक भी झूमने लगे। 

इसी प्रकार स्थानीय माली समाज और घांची समाज के गेर नर्तकों ने भी मनमोहक प्रस्तुति देकर सभी का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया। सोनी ने बताया कि शनिवार को पांडाल में कर्मचारी नेता ईश्वरलाल शर्मा सहित कई गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

सात दिवसीय गेर महोत्सव के तहत भक्त प्रहलाद चौक में तीसरे दिन लोगों की भीड़ उमड़ी। लय और ताल पर थिरकते गेरियों ने हर किसी का मनोरंजन किया। वहीं ढोल की थाप माहौल को और भी आनंदमयी बना रहा था।

आज भी प्रस्तुति देंगे कई क्षेत्र के गेरिये : भक्त प्रहलाद उत्सव सेवा समिति के अध्यक्ष बंशीलाल सोनी ने बताया कि रविवार को भी दो सत्रों में विभिन्न क्षेत्रों के गेरिये प्रस्तुति देंगे। उन्होंने बताया कि रविवार को सिंदली, भोरड़ा, सराणा के कालबेलिया गेर नर्तक प्रस्तुतियां देंगे।

दो गुटों में खूनी संघर्ष, छह घायल


दो गुटों में खूनी संघर्ष, छह घायल 



आपसी रंजिश को लेकर आमने सामने हुए दो गुट, ट्रैक्टर के शो रूम में की तोडफ़ोड़, शुक्रवार रात्रि को दोनों
धोरीमन्ना  कस्बे में आपसी रंजिश को लेकर दो गुटों में हुए खूनी संघर्ष में महिला समेत छह जने घायल हो गए। गुस्साए लोगों ने ट्रैक्टर के शो रूम में तोडफ़ोड़ की। इस दौरान हवाई फायर करने के बाद एक गुट के लोग भाग गए। पुलिस में दोनों पक्षों की ओर से परस्पर मामले दर्ज करवाए गए है। कस्बे में शनिवार को धारेजा भवन के आगे चार वाहनों में सवार होकर आए युवकों ने मकान में घुसकर मारपीट शुरू कर दी। दोनों पक्षों में लाठियां, धारिया व चाकूओं से खूनी संघर्ष शुरू हो गया। इस बीच हमलावरों ने नवीन ट्रैक्टर्स के शोरूम में घुसकर तोड़ फोड़ शुरू की। इस दौरान पिस्तौल से हवाई फायर करने के बाद आरोपी भाग गए। हमले में पदमा पुत्र गेना, गेना पुत्र भूरा, मीरा पत्नी पदमा, सुजाना पुत्र भींया, मोहन पुत्र धना निवासी शिव मंदिर व रमेश हरिजन निवासी खारी घायल हो गए। जिन्हें उपचार के लिए सीएचसी लेकर गए। जहां पर गंभीर घायलों को सांचौर रेफर कर दिया। पुलिस में पदमाराम पुत्र गेनाराम जटिया ने मामला दर्ज करवाया कि मैं धारेजा भवन की दुकान में बैठा था। इस दौरान तीन वाहनों में सवार होकर आए युवकों ने हमला बोल दिया। लाठियों, चाकुओं व धारियों से मारपीट में छह जने घायल हो गए। इस दौरान प्रवीण निवासी पुरावा, गणपत निवासी हेमा गुडा, जयकिशन पुत्र गंगाराम निवासी कबूली, भजना पुत्र कालू जालबेरी, मनोहर पुत्र रतना सोमारड़ी, मनोहर पुत्र हरजी निवासी धोरीमन्ना, ओमप्रकाश पुत्र शंकरा निवासी रोहिला, हरीराम रोहिता, ओमप्रकाश कातरला व सोहन निवासी झांकल समेत कुल 13 जनों ने एकराय होकर हमला किया। 




गुटों के बीच हुआ था झगड़ा



शुक्रवार रात उपजा था विवाद, क्रॉस मुकदमे दर्ज
दोनों गुटों में आपसी रंजिश को लेकर विवाद शुक्रवार रात्रि को हुए झगड़े से उपजा था। इस संबंध में दोनों पक्षों की ओर से परस्पर मामले दर्ज किए गए है। गेनाराम पुत्र भूराराम निवासी धोरीमन्ना ने मामला दर्ज करवाया कि 29 मार्च की रात्रि को दो वाहनों में सवार होकर आए जय किशन पुत्र गंगाराम निवासी कबूली, मनोहर पुत्र हरजी निवासी धोरीमन्ना, मनोहर पुत्र रतना, भजना पुत्र कालू, ओमप्रकाश कातरला वगैरह 10 12 जनों ने घर में घुसकर मारपीट की। इसी तरह जयकिशन पुत्र गंगाराम निवासी कबूली ने मामला दर्ज करवाया कि पदमा पुत्र गेनाराम, विक्रम पुत्र गेनाराम, जगदीश पुत्र धनाराम, हनुमान पुत्र करना, जगदीश पुत्र तेजा निवासी गडरा, मोहन पुत्र भागीरथ विश्नोई ने हमला किया।

एक ओर वाहन चोर गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा

एक ओर वाहन चोर गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा


एक ट्रक व ट्रैक्टर बरामद, चोरी की कई वारदाते खुलने की संभावना 




 बाड़मेर



वाहन चोर गिरोह के खिलाफ पुलिस का अभियान निरंतर जारी है। शनिवार को एक ओर वाहन चोर गिरोह पुलिस के हत्थे चढ़ा। जिनके कब्जे से एक ट्रक व ट्रैक्टर बरामद किया गया है। आरोपियों ने बालोतरा से एक ट्रैक्टर चोरी करना कबूल किया है। इन्हें दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। जहां पर पूछताछ में वाहन चोरी की कई वारदाते खुलने की संभावना है। कोतवाल देवाराम ने बताया कि एसपी राहुल बारहट के निर्देशानुसार वाहन चोर गिरोह के खिलाफ अभियान के तहत शनिवार को विशेष टीम ने ओमप्रकाश पुत्र खंगाराराम विश्नोई निवासी झाब, श्रवण पुत्र मोहनलाल विश्नोई निवासी पादरड़ी खुर्द को गिरफ्तार किया। जिनके कब्जे से एक ट्रक व ट्रैक्टर जप्त किया गया। आरोपियों ने प्रारंभिक पूछताछ में ट्रक बीएनसी चौराहे से दिसंबर 2012 से चुराने एवं चामुंडा चौराहा बाड़मेर से उक्त ट्रैक्टर चोरी करने की वारदात स्वीकार की। साथ ही बालोतरा से भी एक ट्रैक्टर चोरी करना कबूल किया है। दोनों आरोपियों को न्यायालय में पेश किया गया। जहां पर दो दिन के पुलिस रिमांड पर भेजा गया है। इनसे गहन पूछताछ में वाहन चोरी की वारदाते खुलने की संभावना है। विशेष टीम में एएसआई रूपाराम, मूलाराम, महिला थानाधिकारी निरंजन प्रतापसिंह, कांस्टेबल कंवराराम, जालमसिंह, इन्द्रसिंह, पूनमचंद, महिपालसिंह, पदमाराम शामिल थे।

शनिवार, 30 मार्च 2013

आपरेशन वेलकम'' होडिंग बोर्ड को शहर के महत्वपूर्ण स्थानो पर चस्बा

आपरेशन वेलकम'' होडिंग बोर्ड को शहर के महत्वपूर्ण स्थानो पर चस्बा


जैसलमेर जिला जैसलमेर में सैलानियाें की सुरक्षा हेतु चलाये जा रहे अभियान ''आपरेशन वेलकम'' के तहत जिला में सैलानियों को सुरक्षा व्यवस्था देने हेतु पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर पंकज चौधरी द्वारा जिले के अति0 पुलिस अधीक्षक रामंिसह मीणा एवं जिले के समस्त वृताधिकारियाें एवं थानाधिकारियों को अपने-अपने हल्का क्षैत्र में आने वाले पर्यटक स्थलो, रेल्वे एवं बस स्टेण्ड में माकूल सुरक्षा व्यवस्था बनाये रखने के निर्देश दिये। इसके साथ-साथ पुलिस अधीक्षक द्वारा शहर जैसलमेर में शहर कोतवाल जैसलमेर, पर्यटन सुरक्षा बल एवं जी.आर.पी. के अधिकारियों एवं कर्मचारियों को पुलिस अधीक्षक कार्यालय में मिटिंग लेकर व्यकितश: समझार्इश की तथा शहर में पर्यटक स्थलों में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाये रखने के निर्देश दिये एवं शहर में सैलानियों को परेशान करने वाले लपको व असामाजिक तत्वों के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिये।
जिसके तहत ''आपरेशन वेलकम'' को सफल बनाये रखने के लिए दिनांक 22.03.2013 पुलिस अधीक्षक के निर्देशानुसार एक पेम्पलेट का विमोचन किया गया था। जिसमें शहर जैसलमेर को लपका मुक्त करने हेतु एक नारा दिया '' स्वर्णनगरी में पुलिस का यही नारा, लपका मुक्त हो शहर हमारा'' देते हुए लपको के विरूद्ध कठोर कार्यवाही करने के निर्देश दिये गये। जिसमें समस्त सैलानियो एवं जिलावासियों को लपको से सतर्कत रहने एवं उनके विरूद्ध पुलिस को शिकायत करने की हिदायते दी गर्इ। जिसको आज दिनांक 30.03.2013 को सुनील के पवार उप अधीक्षक पुलिस जैलसमेर के नेतृत्व में शहर के महत्वपूर्ण पर्यटन स्थलों, रेल्वे एवं बस स्टेण्ड तथा महत्वपूर्ण चौराहो पर लगाया गया। जिससे बाहर से आने वाले सैलानियों को लपकों से सतर्क रहने में सहायता प्राप्त होगी। उक्त पेम्पलेट में पुलिस एवं पर्यटन सुरक्षा बल व जी.आर.पी. के महत्वपूर्ण नम्बर लिखे गये है। जिनसे सैलानी आसानी से सम्पर्क कर सकते है तथा लपको के विरूद्ध कार्यवाही करवाने में भी सहायता प्राप्त होगी।