गुरुवार, 20 जनवरी 2011

पीरो की जाल दरगाह का चमत्कार के तीन सौ साल


पीरो की जाल दरगाह का चमत्कार के तीन सौ साल






बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले की जालोर जिले की सरहद पर स्थित तीन सौ साल पुरानी बाबा अब्बनशाह की दरगाह जिसे पूरा हिन्दुस्तान पीरों की जाल के नाम से जसनता हैं।इस दरगाह में गत तीन सौ सालों से चमत्कार हो रहे हैं।इस चमत्कार से हजारों लोगों को नयी जिन्दगी मिली।विज्ञान के इस युग में भले ही लोग इसे अंधविश्वास का नाम दें मगर जो लोग चमत्कार से नई जिन्दगी पाऐं हैं।उनकी मानें तो पीरों की जाल आस्था और चमत्कार का अवतार हैं।जॅहा मानसिक रोगी बुरी स्थिति से बाहर निकल आते हैं।

कहते हें किसी मर्ज का इलाज अस्पताल में होता हें लेकिन कभी सुना हें आपने कि कब्रिस्तान में किसी मर्ज का इलाज होता हें . आपकी सोच और दिमागी दोड़ से कोसो दूर हम आपको रूबरू करवा रहे हें एक ऐसे अस्पताल में जहा अपने दिमाक का संतुलन कहो चुके मरीजो के इलाज के दावे होते हें . लेकिन ये दावे धरती पे एक कब्रिस्तान में उतरते नजर आते हें . बाड़मेर जालोर कि सीमा पर स्थित पिरो की जाल में हें कब्रिस्तान में हें पागलो का अस्पताल .

राजस्थान के जालोर जिले में एक कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल है. देश और दुनिया की सोच से परे एक इसी जगह झा होता हे पागलपन का इलाज . न किसी तरह का बिस्तर न कोई डाक्टर और न ही कोई दवाई . यह हे पिरो की जाल . पिरो की जाल में राजस्थान ,गुजरात ,महारास्ट,बिहार सहित देश के की इलाको से अलग अलग मजहब से जुड़े लोग आते हे . बताते हे कि जिन पर पागलपन या फिर भूतो का साया हो और जो किसी भी इलाज से सही नही हुए है उन लोगो के घर वाले यहा पर उन्हें लेकर आते है जिस समय उन को लाया जाता है उस समय उनकी हालत मरने सरीखी होती हे . लेकिन उन्हें यहा लेन पर बरसों से चले आ रहे इलाज को दोर होता हे शुरू . उन लोगो को कब्रिश्तान में जजीरो से बांध दिया जाता हे . बाड़मेर के रहने वाले सरकारी कर्मचारी राजेंद्र खत्री के अनुसार सन 1971 में उसके घर पर किसी ने पलित टूने टोटेक कर दिया थे क्योकि उनके पास जो धन और सम्पति हडपना चाहते थे इस वजह से उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू टोना कर दिया था जिस वजह से उसकी घरवाली और बच्चे की मोत हो गयी थी मुझ पर भी टोटका किया गया था तो मुझे भी इलाज के लिए यहा लाया गया . कई महीनो के इलाज के बाद वह सही हो गया
राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर सन 1971 में मरे घर पर किसी ने पलित टूने टोटेक कर दिया थे क्योकि उनके पास जो धन और सम्पति हडपना चाहते थे इस वजह से उनके रिश्तेदारों ने उन पर जादू टोना कर दिया था जिस वजह से मेरी घरवाली और बच्चे की मोत हो गयी थी मुझ पर भी टोटका किया गया था तो मुझे भी इलाज के लिए यहा लाया गया . कई महीनो के इलाज के बाद वह सही हो गया

राजेद्र खत्री के अनुसार पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था
राजेंद्र खत्री निवासी बाड़मेर पागलपन के दोर में इस कब्रिश्तान में रहकर उसने बाबा की पूजा अर्चना की तो तिन सालो बाद उसकी जजीरे अपने आप खुल गयी और आज में हर साल में तीन बार आता हु. वह कहता हे कि मेरा सही होना एक चमत्कार ही था

पिरो कि जाल में बरसों से कब्रिस्तान में होता आ रहा हे पागलो का इलाज . इस अनूठे अस्पताल के बारे में वह के खलीफा मोहोमद बक्स खिलिफा बताते हे कि कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है
मोहोमद बक्स खिलिफा पीरो की जाल जालोर कब्रिश्तान में पागलो का अस्पताल में इनको इसलिए रखा जाता है की ये किसी जायरीन के साथ मारपीट न करे फिर ये २ या तीन साल में जब ये सही होते है तो अपने आप इनका जजीरो का ताला खुल जाता है फिर हम इनके घर वालो को इतला कर देते है ये सब बाबा का चमत्कार होता है इस कब्रिश्तान में हर वक्त दर्जनों भर मानसिक रोगियों को रखा जाता है

सोमवार, 17 जनवरी 2011

बीएसएफ ऑपरेशन के सुपरविजन





बीएसएफ ऑपरेशन के सुपरविजन

बाड़मेर पश्चिमी राजस्थान स्थित सरहदी बाखासर के रेगिस्तान और गुजरात के रण-कछ क्षेत्र के लवणीय व दलदली जमीं तक ऑपरेशन सर्द हवा के चलते जवानों की नफरी में इजाफा किया गया है। ऑपरेशन के सुपरविजन को लेकर बीएसएफ के आला अधिकारी भी पोस्ट पर डेरा डाले हुए हैं,जो जवानों की हौसला अफजाई कर रहे हैं। इस इलाके में तारबंदी के रास्ते नशीले पदार्थ व नकली नोट व अन्य प्रतिबंधित वस्तुओं की तस्करी की आशंका के चलते सीमा पर स्नफी डॉग की मदद भी ली जा रही है। बाखासर क्षेत्र के सीमावर्ती गांव ब्राह्मणों की ढाणी, स्वामी का टीला एवं लालपुर स्थित बीएसएफ की पोस्ट पर ऊंटों पर सवार होकर गश्त करते जवान दूरबीन से सरहद पर नजर गड़ाए हुए हैं। रण-कछ क्षेत्र से सटे बाखासर के सरहदी इलाके में तैनात जवान अब्दुल गफूर का कहना है कि थार की रेतीली व सर्द हवा और रण-कछ की नमी युक्त हवा के थपेड़ों के बीच सरहद की रखवाली करने में मुश्किल नहीं बल्कि हम जवानों को गर्व महसूस हो

रहा है।

मौसम विपरीत हौंसला बुलंद

एक और जहां प्रदेश में पड़ रही कड़ाके की ठंड के दौरान सड़कों पर इक्का दुक्का आदमी ही नजर आ रहा है। वहीं बाड़मेर के बाखासर क्षेत्र के सीमावर्ती इलाके की गांव-ढाणियों में बीएसएफ के जवान डयूटी दे रहे हैं। यही नहीं रण-कछ इलाके में समुद्र किनारे से उठती शूल सी हवाओं के बीच जवान सरहद पर पैदल पेट्रोलिंग कर सीमा पर नजर रख रहे हैं। यहां स्थित नमक की झील के आसपास का इलाका दलदली होने से जवानों को पैदल गश्त करने में भी काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। इसके बावजूद जवान सुबह से लेकर पूरी रात बारी-बारी से पैदल व वाहनों से गश्त में जुटे हैं।

जीरो लाइन पर खुर्रा चैकिंग

ऑपरेशन सर्द हवा के तहत जीरो लाइन पर शाम गहराने के साथ ही न्यूनतम तापमान पांच डिग्री पहुंच जाने पर विशेष सतर्कता बरतते हुए जवान ब्राह्मण की ढाणी में तारबंदी स्थित गेट खोलकर जीरो लाइन पर खुर्रा चैकिंग करते हुए पैरों के निशान के आधार पर यह जानने की कोशिश करते हैं कि सीमा के उस पार से कोई आदमी या पशु अनाधिकृत
रूप से प्रवेश तो नहीं कि  

रविवार, 16 जनवरी 2011

जहॉ बच्चे मॉ के नाम से जाने जाते

जहॉ बच्चे मॉ के नाम से जाने जाते हैं
बाड़मेर सीमावर्ती बाड़मेर जिले के सिवाना क्षैत्र के सांवरड़ा गांव जिले की एक मात्र बदनाम बस्ती हैं।जहॉ सदियों से नगर वधुऐं देह व्यापार में लिप्त हैं।साटिया जाति के लगभग सत्तर परिवार यहा आबाद हैं।पुरुषविहीन इस बस्ती में नगर वधुऐं और उनके बच्चें निवास करते हैं।यहा पैदा हुए बच्चों को कभ्ज्ञी पिता का नाम नहीं मिला जिसके कारण ये बच्चे अपनी माताओं के नाम से ही जाने जाते हैं।यहॉ तक की इन बच्चों के विद्यालयों में भी पिता के नाम के सिन पर माता का नाम दर्ज हैं।बाड़मेर जिले का सांवरडा गांव सदियों से देह व्यापार के धन्धे में लिप्त हे।ंसत्तर परिवारों के इस गांव में 132 नगर वधुऐं हैं वहीं 4045 बच्चे हैं।इस गांव में प्राथमिक स्तर का एक विद्यालय हैं।जिसमें नगर वधुओं के बच्चे शिक्षा ग्रहण करते हैं।इन बच्चों के नाम विद्यालय में दर्ज हैं।इन बच्चों के पिता के नाम के सिन पर माता का नाम दर्ज हैं।विद्यालय के अध्यापक पुखराज जो इसी बस्ती का बेटा हैं ने बताया कि बस्ती की महिलाऐं देह व्यापार कर दो जून की रोटी का इंतजाम कर अपना और अपने परिवार का पेट पालती हैं।इन परिवारों में शादी का रिवाज नही हैं।जिसके कारण घर पुरुष विहीन हैं।बस्ती के बच्चों को पिता का भान नहीं हैं।बच्चो के लिए उनको जन्म देने वाली मॉ ही मॉबाप का फर्ज अदा करती हैं।देह व्यापार से जुड़ी पेम्पली देवी ने बताया कि बस्ती में परम्परागत रुप से देह व्यापार होता हैं।कुछ नगर वधुऐं पी लिखी हैं।पहले हम बच्चों को विद्यालय नहीं भेजते थे।कृष्णा संस्था के द्घारा हमें समझाइ्रस कर बच्चो को विद्यालय में भिजवाना आरम्भ किया।समाज की मुख्य धारा में शामिल होने की चाह के चलते इन नगर वधुओं ने अपना नाम देकर बच्चों को शिक्षित करने का साहस दिखाया।विद्यालय दस्तावेजों में देवा पुत्र छगनी,राजु पुत्र शारदा ,संतोष पुत्री मदनी देवी आदी दर्ज हैं।विद्यालय में इन बच्चो को माकुल सुविधा तो दूर आवश्यक सुविधा तक उपलब्ध नही हैं।इन विद्यार्थियों को नि:शुल्क पुस्तके,पोशाके और पाठय सामग्री तक नहीं मिलती।कृष्णा संस्था द्घारा प्रयास कर इन बच्चो के लिए पानी का एक टेंक बनाया गया था।इसके बाद इनकी तरफ प्रशासन या सरकार ने कभी झांका तक नही॥बस्ती की महिलाओं ने विद्यालय की क्रमोनति की कई र्मतबा प्रशासन से मांग की मगर कोई कार्यवाही नही हुई।इस बस्ती के पुखराज,शांति,और मदन प लिख कर सरकारी सेवा तक पहुॅचने में सफल हुए हैं।इन बच्चों को सम्बल की आवश्यक्ता हैं।प लिख कर बच्चे समाज की मुख्य धारा में जुड़ना चाहते हैं।   

गुरुवार, 13 जनवरी 2011

शिविरों के माध्यम से छात्रों को सशक्त करनें की अनूठी पहल

जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह कुशवाह
शिविरों के माध्यम से छात्रों को सशक्त करनें की अनूठी पहल


जैसलमेर सीमावर्ती जैसलमेर जिले के जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह कुशवाह नें विशय अध्यापक विहीन विद्यालयों के छात्रों के लियें आवासीय भौक्षणिक शिविरों का आयोजन करा छात्रों को साक्त करनें की अनूठी पहल कर छात्रों कों बेहतरीन अवसर प्रदान किया।कुशवाह नें जन सहयोग से जैसलमेर जिला मुख्यालय और पोकरण उपखण्ड मुख्यालय पर दस दिवसीय आवासीय शिविरों का आयोजन करा ना केवल विशय अध्यापकों की सेवाऐं उपलब्ध कराई अपितु छात्रों को नैतिकता और योगा शिक्षा का भी पाइ पा जीवन में आगे बने का अवसर प्रदान किया।जिला कलेक्टर गिरिराज सिंह नें बताया कि जैसलमेर के विभिन्न गांवों में भ्रमण के दौरान विधालयों में विशय अध्यापकों की कमी प्रमुखता से सामने आई।दूरस्थ गांवों में दसवीं कक्षा के छात्रों कें सामनें गणित और विन जैसे विशयाके पद विधायों में रिक्त होनें कें कारण पाठयक्रम पूरा करनें की प्रमुख समस्या थीं।छात्रों की अस समस्या के समाधान के लिऐं जिले के शिक्षाविदों कों बुला कार्ययोजना बनानें का कहा ।जिस पर जैसलमेर तथा पोकरण में दों भौक्षणिक उन्नयन्न आवासीय शिविरों कें आयोजन को अंतिम रूप दिया। पाकिस्तसन सीमा सें लगे सरहदी गांवों सहित 24 विद्यालयों को चिन्हित किया जिसमें विशय अध्यापकों के पद रिक्त थे।इन विद्यालयों सें दसवी कक्षा कें 387 छात्र छात्राओं का चयन कर जैसलमेर शिविर में 113 तथा पोकरण शिविर में 175 छात्रों का चयन कर बुलाया गया।एनर्जी कम्पनी एनरकोन कें आर्थिक सहयोग सें इन शिविरों का संचालन किया गया।िविरों में दूरस्थ गांवों सें पहली बार छात्राऐं भी शिविरों पहूॅच शिक्षा ग्रहण कीं।जैसलमेर शिविर प्रभारी सुरो चन्द्र पालीवाल नें बताया कि आवासीय िविरों का मूल विषय गणित तथा विन विशयों का कोर्स छात्रों कों पूरा कराया जाऐ ताकि प्एने की ललक वाले छात्रों कों इसका लाभ परीक्षाओं में मिल सके।िविर संयोजक प्रका व्यास नें बताया कि छात्रों को स्ओनरी ,भोजन,आवास सुविधा निुल्क उपलब्ध कराइ्र गइ्रंर्।शिविरों में प्रात पॉच बजें योग िक्षा के साथ दिन चर्या आरम्भ होती ,जो रात दस बजें तक अनवरत चलती।इस दौरान छात्रो को नाता,भोजन,चाय ,दूध,,बस्किट की सूविधा उपलब्ध कराई गई थी।दस दिवसीय शिविर में छात्रों में जबरदस्त बदलाव आया।छात्रों का कोर्स पूरा करनें कें साथ शिविरों में रह का नीति तथा योग शिक्षा की भी ज्ञान अर्जित किया।शिविर में आई छात्रा इतिया मेगवाल नें बताया कि वह गरीब परिवार सें हैं।पढने की ललक के कारण अपनें गांव से पॉच किलोमीटर दूर विद्यालय में पने जाती,मगर स्कूल में विशय अध्यापकों के पद रिक्त होनें कें कारण प्ढाई नही होती ंकोर्स भी नहीं हुआ।शिविर में आकर मेरा कोर्स भी पूरा हुआ और कई नई इबारतें सीखी।शिविर सें सभी छात्रों को फायदा मिला। बहरहाल जिला कलेक्टर के अनुसार इन शिविरों परीक्षाऐंली गई।जिन परीक्षाथीरयों कें साठ फीसदी सें अधिक अंक आऐंगें उनके लिऐं परीक्षाओं सें पहले एक और शिविर लगा कर इन्हें लाभान्वित किया जाऐंगा।राजसथान भर में यह अनूठी पहल हैं।