शनिवार, 9 जनवरी 2016

जयपुर।कमिश्नर की कार में चालक आपत्तिजनक स्थिति में मिला



जयपुर।कमिश्नर की कार में चालक आपत्तिजनक स्थिति में मिला


प्रारंभिक शिक्षा विभाग कमिश्नर के नाम से आवंटित कार में चालक और एक महिला का अनैतिक कृत्य का शुक्रवार को वीडियो वायरल होने से दिनभर विभाग में इसकी चर्चा बनी रही। मामला कमिश्नर तक पहुंचा तो चालक को तुरंत नौकरी से निकाल दिया गया।

शिक्षा संकुल में प्रारंभिक शिक्षा सचिव कुंजीलाल मीणा ने बताया कि जैसे ही मामला उनकी जानकारी में आया चालक को तुरंत नौकरी से निकाल दिया है। वह लोक जुम्बिश में संविदा पर कार्यरत था। निर्देश दिए हैं कि उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए।

अधिकारी को छोड़कर गाड़ी ले गया

शिक्षा विभाग सूत्रों के मुताबिक, जोसफ नाम का चालक अधिकारी को छोडऩे के बाद गाड़ी ले गया था। अन्य किसी जगह गाड़ी में एक महिला के साथ था। कुछ लोगों ने उसको रंगे हाथ पकड़ लिया था और उसकी वीडियो बना ली थी।

जैसलमेर का आधा शाका , लूणकरनोत , सूरजमलोत, और कानावत भाटी



जैसलमेर का आधा शाका , लूणकरनोत , सूरजमलोत, और कानावत भाटी

:: जैसलमेर का आधा शाका ::

काबुल कंधार का अमीर अली खां राज्च्युत होने पर 1550 ईस्वी में जैसलमेर के रावल लूणकरण भाटी की सरण आया | महारावल ने उसका बड़ा आदर सम्मान किया | कुछ दिनों बाद अली खां के दिल में बेईमानी आ गयी | और उसने जैसलमेर का राज्य हडपने का विचार किया | ऐक दिन लूणकरण को कहलाया की मेरी बेगमे | आपकी रानियों से मिलना चाहती हे | लूणकरण ने बात स्वीकार कर ली विक्रमी संवत 1607 बैसाख सुदी 14 तारिख २९ अप्रैल 1550 ईस्वी को सुबह अली खां ने बेगमों के स्थान पर मुसलमान सेनिकों को बिठाकर किले में भेज दिया और स्वयं 500 सैनिकों के साथ सुसज्जित होकर किले के बहार खड़ा हो गया | जब डोलियाँ अंतपुर के द्वार पर पहुंची तो सारा भेद खुल गया | राजपूतों व् मुसलमानों में घमासान युद्ध हो चला राजपूतों को इस षड़यंत्र का पहले पता नहीं था | किले के दरवाजे खुले थे | अली खां सेना सहित किले में घुस गया | अन्नतपुर के द्वार पालों ने देखा की मुस्लिम सेना का जोर ज्यादा हे | तो उन्होंने रानियों के सतीत्व की रक्षा के लिए उन्हें तलवार से क़त्ल कर दिया | इस युद्ध में महारावल के भाई मंडलीक जी , प्रताप सिंह , राजसिंह और कुंवर हीरजी और कुंवर हरदास , दुरजनसाल और सूरजमल पुत्रों सहित ऐक हजार शेनिकों के साथ शहीद हुए | उस वक्त कुंवर मालदेव बाडी से आये और खिड़की से होकर किले चढ़कर अली खां को मारा 500 लोग अली खां का काम आया | ३०० किले ऊपर और 200 बाहर मारे गए |

:: कुंडलिया :::

रावल लूणकरण जी पाट बिराजे राज

पनरे सो पिच्यासिये आय हुआ महाराज

आय हुआ महाराज कोठार कराया भारी

उदेपुर बीकानेर परणीज्या करके तेयारी

नवाब अली खां आप दगो कर दीनो कावल

मारे मुसला सर्व अर्ध साके में रावल

:: लूणकरनोत भाटी 111::

महारावल लूणकरण जी के पुत्र हिंगोलदास रायपाल , रायमल , दुर्जनसाल , शिवदास , हरदास इन छह पुत्रों के वंशज लूण करनोत भाटी कहलाये है | गाँव बूड़ा में निवास करते हे |

::: सूरजमलोत भाटी 112 ::

महारावल लूणकरण जी के पुत्र सूरजमल के वंशज सूरजमलोत भाटी कहलाये | इनका गाँव जैसलमेर में जैसलमेर से बाड़मेर सड़क पर सांगड़ गाँव के पास ऊँडा गाँव हे |

:: कानावत भाटी 113::

महारावल लूणकरण के पुत्र हीरजी के धीरजी के पुत्र कानजी के वंशज कानावत भाटी कहलाये | इनका गाँव बाड़मेर जिले के शिव तहसील में झान्फली और स्वामी के गाँव के बीच में स्थति हे | कुछ घर कापराऊ तहसील चोह्टन जिला बाड़मेर में हे |

लगातार

जय श्री कृष्णा

कृष्‍ण लीला: रुक्मणि की प्रेम कथा

कृष्‍ण लीला: रुक्मणि की प्रेम कथा
कृष्‍ण लीला: रुक्मणि की प्रेम कथा
श्रीकृष्ण के जीवन में जिस दूसरी महिला की अहम भूमिका रही, वह उनकी पहली पत्नी रुक्मणि थीं। राजकुमारी रुक्मणि विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। जब कृष्ण बाहु युद्ध के महारथी चाणूर के साथ अखाड़े में उतरे थे, उस समय रुक्मणि मथुरा में ही थीं। वह उन पलों की भी साक्षी थीं, जब कृष्ण ने मथुरा के राजा कंस को झटके में ढेर कर दिया था। मथुरा राज्य में कंस के अत्याचारी शासन को खत्म करने और समता स्थापित करने की ओर श्रीकृष्ण का यह पहला कदम था। सोलह वर्ष की उम्र में जब कृष्ण ने वृंदावन छोड़ा था, उससे पहले ही सारे संसार में उनकी रासलीला की कहानियां मशहूर हो गई थीं।

लोग कृष्ण के नृत्य और वृन्दावन में होने वाली खूबसूरत घटनाओं का वर्णन लोक गीतों के माध्यम से करते थे और बताते थे कि कैसे एक साधारण से गांव के लोग कृष्ण की मौजूदगी में एक साथ इकठ्ठा होकर आनंद और स्नेह से सराबोर हो जाते हैं। रुक्मणि ने बचपन से ही से सब बातें सुन रखी थी। जब कृष्ण ने कंस का वध किया था तो रुक्मणि लगभग बारह साल की थीं। उसी समय से उन्होंने अपना मन बना लिया था कि वह कृष्ण के अलावा किसी और से शादी नहीं करेंगी। उस समय कृष्ण एक मामूली ग्वाले से ज्यादा कुछ नहीं थे, जिसने एक बहादुरी का काम किया था, लेकिन रुक्मणि एक बहुत बड़े साम्राज्य की राजकुमारी थीं। फिर भी वो कृष्ण से विवाह करना चाहती थीं। उन्होंने कृष्ण के सामने अपने प्रेम का इजहार करने के लिए कई तरीके भी आजमाए। कृष्ण भी इस बात से अनजान नहीं थे, क्योंकि उन्हें हर किसी की भावनाओं और इरादों के बारे में पता होता था।









अगले कुछ साल कृष्ण ब्रह्मचारी बनकर घूमते रहे। रुक्मणि ने यह तय कर लिया कि जब भी वे विदर्भ पहुंचकर ‘भिक्षांदेहि’ कहेंगे तो वह उन्हें भिक्षा देने वालों में सबसे आगे होंगी। वो कृष्ण के साथ-साथ घूमती रहीं, हालांकि वह उनके झुंड से अलग रहती थीं। कृष्ण जहां भी जाते, वह वहां पहुंचतीं और उन्हें भिक्षा देतीं। वह उन्हें भिक्षा देने वाली अकेली महिला नहीं थीं लेकिन सबसे खास जरूर थीं, क्योंकि वो कृष्ण से विवाह करना चाहती थीं। ऐसे कई लोग थे जो कृष्ण का पीछा करने की कोशिश करते थे और चाहते थे कि कैसे भी उनकी नजर में आ जाएं। उनके नीले जादू ने लोगों को पागल बना दिया था।









कृष्ण को इसमें बड़ा मजा आता था लेकिन उन्होंने अपने इस जादू का दुरुपयोग कभी नहीं किया। वह बस यही सोचते थे कि लोगों को कैसे ऊपर उठाया जाए। आप चाहे किसी आदमी से प्यार करें या किसी औरत से या फिर किसी गधे से या किसी और से, जब किसी के मन में प्रेम पैदा हो जाता है तो कोई भी समझदार इंसान उसे विकसित ही करना चाहता है, उसे खत्म करना नहीं चाहता। संभव है कि किसी तरह की भावनात्मक विवशता के चलते वह अपने प्यार की दिशा मोडऩे की कोशिश करे, लेकिन उसे खत्म कभी नहीं करना चाहेगा। इसी तरह कृष्ण भी अपने इस नीले जादू को जारी रखते थे। वे लोगों को प्रेम करने के लिए प्रेरित तो करते थे लेकिन साथ ही यह कोशिश भी करते थे कि लोग उस प्यार को एक सही दिशा दे सकें जिससे वह उनके लिए लाभकारी हो सके। वह यह नहीं चाहते थे कि लोगों के मन में निराशा और ईष्र्या आए कि वे उन्हें पा नहीं सके। उनके जीवन में न जाने कितनी ही ऐसी स्थितियां आईं, जब उन्होंने एक स्त्री के स्नेह को ज्यादा सकारात्मक और उपयोगी बनाने के लिए उसे दूसरी दिशा देने की कोशिश की ताकि वह अपने प्रेम को मात्र एक शारीरिक इच्छा न समझे और खुद को एक उच्च संभावना में रूपांतरित कर सके। उनकी इस कोशिश का एक उदाहरण राजकुमारी रुक्मणि भी थीं।









जब भी रुक्मणि को किसी त्योहार या किसी उत्सव का बहाना मिलता तो वह कृष्ण की एक झलक पाने और उनसे बात करने की आस में मथुरा पहुंच जातीं। कृष्ण ने अपनी ओर उनके इस दृढ़ आकर्षण को महसूस किया था, लेकिन वह उनके इस प्रकार के प्रेम को बढ़ावा नहीं देना चाहते थे। वह जानते थे कि रुक्मणि एक राजकुमारी थीं, जबकि वो खुद कहीं के राजा नहीं थे। चूंकि रुक्मणि से विवाह का प्रश्न ही नहीं उठता था, इसलिए वह उनकी इस तरह की प्रेम भावना को और भडक़ाना नहीं चाहते थे। वह हमेशा उनके प्रेम की आग को शांत करने की कोशिश करते थे, लेकिन साथ ही वह उस प्रेम को पूरी तरह कुचलना भी नहीं चाहते थे। इसलिए रुक्मणि के इस प्रेम की ओर बस इतना ही ध्यान दिया कि उसे सही दिशा में मोड़ा जा सके। लेकिन रुक्मणि का निश्चय दृढ़ था।









जब कृष्ण के मित्र उद्धव विदर्भ आए तो रुक्मणि ने अपना निर्णय उन्हें बताते हुए कहा- ‘चाहे जो हो जाए, मैं केवल कृष्ण से ही विवाह करूंगी। अगर उन्होंने मुझसे शादी करने से मना किया तो मैं आग में कूदकर जान दे दूंगी।’ उधर रुक्मणि का भाई रुक्मी उनकी शादी चेदि के राजा शिशुपाल से कराना चाहता था, क्योंकि यह एक बहुत अच्छी संधि होती। रुक्मी की महत्वाकांक्षाएं बहुत बढ़ चुकी थीं। वह अपनी बहन रुक्मणि का विवाह शिशुपाल से कराकर एक बहुत महत्वपूर्ण गठबंधन बनाना चाहता था। खुद वह राजा जरासंध की पोती से विवाह करना चाहता था। चूंकि जरासंध बूढ़ा हो गया था, इसलिए रुक्मी ने अंदाजा लगाया कि अगर जरासंध अपने पूर्वजों की दुनिया में चला जाए तो आसपास के क्षेत्र में वही सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होगा और इस तरह वह इस पूरे साम्राज्य का राजा बन जाएगा। उसकी इस मंशा को पूरा करने में रुक्मणि एक बहुत खास मोहरा साबित हो सकती थीं।









रुक्मणि को यह सब पता चल गया। वह उन लड़कियों में से नहीं थीं, जो महिला होने के नाते शांत रह जाएं। रुक्मणि ने इतनी तीव्रता के साथ अपनी बात रखी कि वे समझ ही नहीं पाए कि आखिर उनके साथ क्या किया जाए।









कई बार उनके भाई ने उन्हें जबरदस्ती झुकाने की सोची, लेकिन वह ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया क्योंकि रुक्मणि बहुत तेज स्वभाव की थीं। विदर्भ से लौटकर उद्धव ने कृष्ण को बताया कि रुक्मणि केवल आपसे ही विवाह करने की जिद पर अड़ी हुई हैं और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह खुद को खत्म कर लेंगी। उद्धव की यह बात सुनकर कृष्ण मुस्कुराए और बोले – ‘मैंने न जाने कितनी ही राजकुमारियों को यही कहते सुना है, लेकिन बाद में सबने किसी और से शादी कर ली, और अब वे सब खुशी-खुशी जी रही हैं। ऐसा कहना लड़कियों के लिए आम बात है लेकिन बाद में वे सभी अपने लिए योग्य वर से शादी करके उनके साथ आराम से रहने लगती हैं।









कृष्ण की बात सुनकर उद्धव बोले – ‘नहीं, वासुदेव तुम गलत समझ रहे हो। वो बहुत जिद्दी हैं और अपनी मर्जी की मालकिन हैं।’ इस पर कृष्ण ने पूछा, ‘इतनी दृढ़ संकल्प वाली महिला मुझ जैसे ग्वाले से विवाह क्यों करेगी भला? वह अपने लिए कोई सुंदर सा राजकुमार ढूंढ लें और उससे विवाह कर लें।’ लेकिन रुक्मणि ने अपना इरादा नहीं बदला और वह इस पर अड़ी रहीं।









जब कृष्ण और बलराम को जरासंध के आगमन को टालने और नगर को जलने से बचाने के लिए मथुरा छोडऩा पड़ रहा था तो रुक्मणि के दादा कैशिक ने उन दोनों को आसरा दिया था। ऐसा उन्होंने इसलिए किया, क्योंकि रुक्मणि ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उन दोनों जरूरतमंदों की मदद नहीं की तो वह उनके सामने ही अपनी जान दे देंगी। ऐसे में कैशिक के सामने इन दोनों लडक़ों को सहारा देने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था। कुछ समय बाद रुक्मणि के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया गया। स्वयंवर एक ऐसा आयोजन होता था, जिसमें राजकुमारी अपना मनपसंद वर चुन सकती थी। हालांकि यह स्वयंवर दिखावे के लिए किया गया था क्योंकि इसमें केवल उन्हीं राजाओं को आमंत्रित किया गया था, जो रुक्मणि के योग्य ही नहीं थे। सबकुछ पहले से तय था, क्योंकि किसी भी हालत में रुक्मणि की शादी शिशुपाल से होनी थी। यह सुनिश्चित करने के लिए खुद जरासंध भी वहां मौजूद था।




जब यह योजना बन रही रही थी, तो रुक्मणि ने अपने पिता और भाई से झगड़ा करके ये सब रोकने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वे दोनों नहीं माने।

शुक्रवार, 8 जनवरी 2016

कोटा.अगर मैं पसंद नहीं थी तो क्यों की मुझसे सगाई...दीक्षा ने अपना दर्द कुछ यू बयां किया सुसाइडल नोट में...



कोटा.अगर मैं पसंद नहीं थी तो क्यों की मुझसे सगाई...दीक्षा ने अपना दर्द कुछ यू बयां किया सुसाइडल नोट में...

मेरी आत्महत्या का कारण कमल सोनी (जिससे सगाई हुई) और उसके परिवार वाले हैं। उन लोगों ने मेरे साथ धोखा किया और सगाई तोड़ दी। उन लोगों को कड़ी से कड़ी सजा मिले। मेरे मम्मी-पापा को भी उन लोगों के कारण बहुत बेइज्जती सहनी पड़ रही है, जो मैं देख नहीं सकती हूं। इसलिए मैं यह कदम उठा रही हूं। और अगर मैं उन्हें पसंद नहीं थी तो क्यों की मेरे से सगाई...., पहले ही मना कर देते। ताकि मेरी लाइफ तो खराब नहीं होती। इसलिए मैं अब जीना नहीं चाहती। इसलिए मेरे मम्मी-पापा भी मेरे साथ आत्महत्या कर रहे हैं। कमल सोनी और उसके परिवार वालों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए ताकि किसी लड़की के परिवार वालों को कभी आत्महत्या नहीं करनी पड़े।

आदित्य आवास निवासी सर्राफा व्यवसायी हेमंत छतवानी की पुत्री दीक्षा ने यह सब मरने से पहले यह सब सुसाइडल नोट लिखा। उसने अपनी हर पीड़ा को बयां किया, जिससे वे आहत हुई।

एक सुसाइडल नोट में यह लिखा पिता ने .....

मैं अपने पूरे परिवार के साथ आत्महत्या कर रहा हूं, जिसमें मैं, मेरी पत्नी व बेटी हैं। बहुत परेशान कर दिया है। कर्जदार आए दिन मारने की धमकी देते हैं। लड़की को उठाने की धमकी देते हैं और अभी लड़की के ससुराल वालों ने सगाई तोड़ दी..और उल्टा केस की धमकी दे रहे हैं। लड़की की सगाई टूटी.... तो हिम्मत टूट गई। इसके जिम्मेदार मेरी बेटी के ससुराल वाले एवं सब कर्जदार हैं, जिन्होंने गाली-गलौच करके परेशान कर रखा है, जमानत पर चेक दिए हुए हैं। ब्याज भी दे रखा है। फिर भी रोज गाली गलौच....., अब हमारे पास कुछ है ही नहीं....इसके बाद भी कर्जदारों द्वारा मेरे घरवालों को परेशान किया गया तो हो सकता है कि वो भी यही कदम उठाएं.... पूरे होश में मैंने यह सब लिखा है। सगाई टूटने के बाद हार गया हूं। वैसे भी जिंदगी में कुछ नहीं है। मेरी पत्नी व बेटी के आत्महत्या के पीछे सभी जिम्मेदार हैं।

दूसरे सुसाइडल नोट में यह लिखा....

मैं अपनी बेटी दीक्षा और पत्नी के साथ अपनी मर्जी से आत्महत्या कर रहा हूं। मैं हर तरफ से परेशान हो गया हूं। चाहे आर्थिक रूप से चाहे सामाजिक रूप से। मैं हर बात को सामने फेस कर रहा था और करता रहता, पर कुछ व्यापारी और कर्जा मांगने वालों ने एेसे शब्दों का प्रयोग किया कि 'तुम्हारे घर के समने तुम्हारी लड़की को उठाकर ले जाएंगेÓ यह सब सहन नहीं हो रहा है। बहुत समय से अपने आप को समझा रहा हूं। पर अब दीक्षा की सगाई टूटने के बाद तो सहन नहीं हो रहा है....., हम तीनों आत्महत्या कर रहे हैं। इसके जिम्मेदार वो हैं जिन्होंने आए दिन परेशान कर रखा है। इनका गाली-गलौज और धमकी देना रोज का काम हो गया है। जब भी घर में किसी मांगने वाले की चिल्लाचोट हुई, मेरी वजह से हुई। दीक्षा के ससुराल वालों के मनो करने के कारण मैं टूट गया हूं। अब तो हिम्मत ही टूट गई है। मैं मेरे बाद मेेरी पत्नी या बेटी को कोई उलाहना मिले, इसलिए तीनों ही मर रहे हैं। हमारे एेसा करने का कारण दीक्षा के ससुराल वाले और कुछ कर्ज मांगने वाले जो परेशान कर रहे हैं..... मुझे माफ करना.....

यह है पूरा मामला

आदित्य आवास निवासी सर्राफा व्यवसायी हेमंत छतवानी, उसकी पत्नी रजनी और पुत्री दीक्षा ने मंगलवार को जहरीला पदार्थ खाकर खुदकुशी कर ली थी। खुदकुशी से पहले हेमंत ने दो पेज का और दीक्षा ने एक पेज का सुसाइडल नोट लिखा था। तीनों ने तनाव में आकर सामूहिक रूप से विषाक्त खा लिया था। करीब चार घंटे तक चले उपचार के बाद माता-पिता व पुत्री की मौत हो गई। दादा सुन्दर आर. छतवानी ने बताया कि बजरंग नगर क्षेत्र निवासी उनकी पोती दीक्षा (21) की सगाई साढे़ तीन साल पहले जयपुर निवासी कमल से हुई थी। बेंगलूरु में सॉफ्टवेयर इंजीनियर कमल ने बीते एक साल से दीक्षा से बात करना बंद कर दिया था। छतवानी के मुताबिक कमल ने 30 दिसंबर को दीक्षा के पिता हेमंत (48) को फोन किया था। उसने सगाई तोडऩे की बात कही और कहा दीक्षा बेंगलूरु जाने लायक नहीं है। इस पर हेमंत ने कमल के पिता जानीमल से बात की तो उन्होंने कहा लड़का शादी नहीं करना चाहता तो वह क्या कर सकता है। इससे हेमंत को सदमा लगा। यह बात हेमंत ने पत्नी रजनी (45) व दीक्षा को बताई। तभी से तीनों परेशान थे। इसके बाद मंगलवार तीनों ने एक साथ विषाक्त खा लिया। मामले में बोरखेड़ा पुलिस ने इस मामले में कमल के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने का केस दर्ज किया है।

काबुल।अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्य दूतावास के पास विस्फोटकों से लदी कार बरामद



काबुल।अफगानिस्तान में भारतीय वाणिज्य दूतावास के पास विस्फोटकों से लदी कार बरामद


अफगानिस्तान के हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास के पास शुक्रवार को विस्फोटकों से लदी कार के पाए जाने से हड़कंप मच गया और अफगान पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करके एक व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया।

अफगानिस्तान में भारत के राजदूत अमर सिन्हा ने बताया कि हेरात में भारतीय वाणिज्य दूतावास के पास एक कार विस्फोटकों से लदी पाई गई है। इस संबंध में एक व्यक्ति की गिरफ्तारी भी हुई है।

उन्होंने बताया कि कार में विस्फोटक को फिट नहीं किया गया था बल्कि वह विस्फोटकों को लेकर कहीं जा रही थी। अफगान सुरक्षा एजेंसियां अभी जांच कर रही हैं कि विस्फोटकों से लदी कार को लाए जाने के पीछे मंशा क्या थी?

स्थानीय लोगों के अनुसार कार में विस्फोटक के लदे होने का पता लगते ही उसे तुरंत रोक कर सुरक्षा बलों ने कब्जे में ले लिया और कारचालक को हिरासत में ले लिया। अफगान सुरक्षा बलों ने तहकीकात शुरू कर दी है।

नई दिल्ली।भारतीय इतिहास में पहली बार, गणतंत्र दिवस में भारतीय जवानों के साथ कदमताल मिलाएंगे फ्रांस आर्मी के सैनिक



नई दिल्ली।भारतीय इतिहास में पहली बार, गणतंत्र दिवस में भारतीय जवानों के साथ कदमताल मिलाएंगे फ्रांस आर्मी के सैनिक

26 जनवरी को राजधानी दिल्ली में होने वाला राष्ट्रीय स्तर का गणतंत्र दिवस का मुख्य समारोह इस बार बेहद ख़ास रहने वाला है। भारत के इतिहास में यह पहली बार होगा जब कोई विदेशी सेना देश की सरज़मीं पर हुए किसी गणतंत्र दिवस समारोह में परेड करती नज़र आएगी।



सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक गणतंत्र दिवस की मुख्य परेड में फ्रांस सेना का एक ट्रूप भारतीय सेना के जवानों के साथ परेड में कदमताल मिला सकता है।



दरअसल, फ्रांस सेना का एक दल पहले से ही भारतीय सेना के साथ यहां संयुक्त सैन्य अभ्यास में जुटा हुआ है। संभावना जताई जा रही है कि संयुक्त सैन्य अभ्यास में शामिल फ्रांस का यही दल गणतंत्र दिवस के मौके पर परेड में शामिल होगा।







गौरतलब है कि फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद दिल्ली में होने वाले गणतंत्र दिवस के मुख्य समारोह में बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहेंगे। फ्रांस राष्ट्रपति के साथ ही फ्रांस सेना के जवानों का परेड में शामिल होना दोनों देशों के बीच मजबूत होते रिश्तों को भी दुनिया के सामने पेश करेगा।







यह पांचवीं बार होगा जब फ्रांस का कोई नेता भारत के गणतंत्र दिवस केर मुख्य समारोह में बतौर मुख्य अतिथि शिरकत करेगा। इससे पहले फ्रांस की ओर से किसी प्रतिनिधि ने 1976, 1980, 1998 और 2008 में समारोह में मौजूदगी दर्ज़ कराई थी।

जोधपुर बीएसएनएल एजीएम को पचास हजार की रिश्वत लेते किया ट्रैप



जोधपुर बीएसएनएल एजीएम को पचास हजार की रिश्वत लेते किया ट्रैप


जोधपुर सीबीआई ने भारतीय संचार निगम लिमिटेड के एजीएम को पचास हजार की रिश्वत लेते हुए ट्रैप किया।

जोधपुर सीबीआई टीम ने बताया कि बीएसएनएल के एडिशनल जनरल मैनेजर बिपिन कुमार राय ने एक ठेकेदार के बकाया राशि भुगतान के चैक पर हस्ताक्षर करने के एवज में देय राशि पर दो प्रतिशत के हिसाब से साठ हजार रुपए मांगे। ठेकेदार के कहने पर पचास हजार में सहमति बनी।

गुरुवार देर रात एजीएम के ऑफिस में रिश्वत की राशि देना तय हुआ। ठेकेदार ने इस बात की जानकारी एजीएम ऑफिस जाने से पूर्व ही जयपुर सीबीआई को दे दी। जिस पर कार्रवाई के लिए जोधपुर सीबीआई को भेजा गया। देर रात कार्रवाई करते हुए जोधपुर टीम ने बिपिन कुमार राय को अपने ही ऑफिस में ठेकेदार से पचास हजार की रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़ा। शुक्रवार सुबह राय को कोर्ट में पेश कर रिमाण्ड पर लिया जाएगा, जिसके बाद देर रात राय को जोधपुर लाया जाएगा।

घर में ली तलाशी

रिश्वत लेते रंगे हाथों पकड़े जाने के बाद राय के जयपुर स्थित घर में भी तलाशी ली गई। यहां एजीएम के घर से लाखों का कैश, आधा किलो गोल्ड व गाजियाबाद और नासिक में प्रॉपर्टी के डॉक्यूमेंट्स बरामद हुए।

एजीएम बिपिन कुमार राय के पास वर्तमान में राजस्थान के टेलिकॉम प्रोजेक्ट का कार्यभार था। राय 1992 बैच के भारतीय टेलिकॉम सर्विस के अधिकारी थे।

जैसलमेर।जैसलमेर में बस और जीप में भिड़त, 7 लोगों की मौत



जैसलमेर।जैसलमेर में बस और जीप में भिड़त, 7 लोगों की मौत


जिले के सम रोड पर शुक्रवार को बस और जीप में जबरदस्त टक्कर हो गई। हादसे में सात लोगों की मौके पर ही मौत हो गई और दो दर्जन से अधिक छात्राएं घायल हो गए। घायलों को जवाहर चिकित्सालय में भर्ती कराया गया है।

जानकारी के मुताबिक एक शिक्षण संस्थान की बस छात्रों को लेकर जा रही थी। रॉन्ग साइड से आ रही जीप में टक्कर मार दी। इससे जीप में सवार पांच लोगों की मौके पर मौत हो गई। वहीं बस में सवार दो दर्जन से अधिक छात्राएं घायल हो गई।

दुर्घटना के कुछ देर बाद ही पुलिस मौके पर पहुंची और स्थानीय लोगों की मदद से घायलों को बाहर निकाल कर अस्पताल में भर्ती करवाया। हादसा इतना जबर्दस्त था कि जीप चकनाचूर हो गई। बताया जा रहा है कि मृतकों से संख्या बढ़ सकती है।

अलवर.डीएसपी के अभद्र व्यवहार पर वायरल हुआ वीडियो, हर किसी ने की निंदा



अलवर.डीएसपी के अभद्र व्यवहार पर वायरल हुआ वीडियो, हर किसी ने की निंदा

लक्ष्मणगढ़ कस्बा अंतर्गत मौलिया गांव पानी की समस्या को लेकर पिछले दिनों महिलाओं ने जाम लगाकर प्रशासन से पानी दिलवाने की मांग की थी।
जाम की सूचना पर करीब 11 बजे डीएसपी अश्वनी कुमार शर्मा, थानाधिकारी जयराम चौधरी मय पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचे। इस दौरान डीएसपी शर्मा ने एकाएक आक्रोशित होकर महिलाओं को समझाने की बजाए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
उन्होंने महिलाओं से कहा कि पानी चाहिए तो मटका लेकर आफिस जाओ, वहां मटका फोड़ो चाह चूड़़ी। यहां जाम लगाने की जरूरत नहीं है। इस पर महिलाओं ने कहा कि चूडिय़ां क्यों फोड़ें। मटके फोड़ सकते हैं, चूडिय़ां नहीं। इस दौरान महिलाओं और डीएसपी शर्मा के बीच काफी देर तक बहस चलती रही।



महिलाओं ने कहा, जब तक पानी की समस्या का समाधान नहीं होता हम कहीं नहीं जाएंगी। इस पर डीएसपी शर्मा ने एक महिला से कहा कि बकवास मत कर। नाटक मचा रखा है रोड पर। थानाधिकारी चौधरी से कहा कि वीडियोग्राफी कराओ और इन महिलाओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करो।



महिलाओं ने कहा रिपोर्ट दर्ज कर लो, लेकिन हम कहीं नहीं जाएंगी। इसी दौरान थानाधिकारी चौधरी ने एक महिला का बाजू पकड़ कर धक्का दिया और हाथ पकड़ कर ले गए। इसके बाद सभी महिलाएं वहां से खड़ी होकर उनके पीछे-पीछे चल दीं।



हैरानी की बात है कि मौके पर महिला पुलिसकर्मी मौजूद होने के बावजूद थानाधिकारी चौधरी ने महिला का बाजू पकड़ा। जबकि कानूनी तौर पर यह गलत है।



घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हर किसी ने पुलिस के एक जिम्मेदार अधिकारी के व्यवहार की निंदा करते हुए पुलिस प्रशासन से उक्त अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।



उधर, डीएसपी अश्विनी कुमार शर्मा का कहना है कि महिलाओं ने पानी की समस्या को लेकर करीब पांच घंटे तक जाम लगाए रखा, जिससे यातायात बाधित हो गया। महिलाओं के जाम नहीं खोलने पर आक्रोशित हो गया था।



मैंने उनसे कहा कि पानी की समस्या है तो जलदाय विभाग के कार्यालय जाकर अधिकारियों को समस्या से अवगत कराओ। फिर चाह वहां मटका फोड़ो चाहे चूडिय़ां। उन्होंने कहा कि वे कहना चाहते थे कि वहां चूडिय़ां फेंकना, लेकिन आक्रोश में चूडिय़ां फोडऩा शब्द स्लिप हो गया।



उन्होंने कहा कि इसका बाद में उन्हेें पश्चाताप हुआ। इसके बाद सभी महिलाओं को कार्यालय में बुलाकर तहसीलदार, बीडीओ की मौजूदगी में समस्या के समाधान के लिए कानून को हाथ में नहीं लेने की बात कही