अलवर.डीएसपी के अभद्र व्यवहार पर वायरल हुआ वीडियो, हर किसी ने की निंदा
लक्ष्मणगढ़ कस्बा अंतर्गत मौलिया गांव पानी की समस्या को लेकर पिछले दिनों महिलाओं ने जाम लगाकर प्रशासन से पानी दिलवाने की मांग की थी।
जाम की सूचना पर करीब 11 बजे डीएसपी अश्वनी कुमार शर्मा, थानाधिकारी जयराम चौधरी मय पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचे। इस दौरान डीएसपी शर्मा ने एकाएक आक्रोशित होकर महिलाओं को समझाने की बजाए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
उन्होंने महिलाओं से कहा कि पानी चाहिए तो मटका लेकर आफिस जाओ, वहां मटका फोड़ो चाह चूड़़ी। यहां जाम लगाने की जरूरत नहीं है। इस पर महिलाओं ने कहा कि चूडिय़ां क्यों फोड़ें। मटके फोड़ सकते हैं, चूडिय़ां नहीं। इस दौरान महिलाओं और डीएसपी शर्मा के बीच काफी देर तक बहस चलती रही।
महिलाओं ने कहा, जब तक पानी की समस्या का समाधान नहीं होता हम कहीं नहीं जाएंगी। इस पर डीएसपी शर्मा ने एक महिला से कहा कि बकवास मत कर। नाटक मचा रखा है रोड पर। थानाधिकारी चौधरी से कहा कि वीडियोग्राफी कराओ और इन महिलाओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करो।
महिलाओं ने कहा रिपोर्ट दर्ज कर लो, लेकिन हम कहीं नहीं जाएंगी। इसी दौरान थानाधिकारी चौधरी ने एक महिला का बाजू पकड़ कर धक्का दिया और हाथ पकड़ कर ले गए। इसके बाद सभी महिलाएं वहां से खड़ी होकर उनके पीछे-पीछे चल दीं।
हैरानी की बात है कि मौके पर महिला पुलिसकर्मी मौजूद होने के बावजूद थानाधिकारी चौधरी ने महिला का बाजू पकड़ा। जबकि कानूनी तौर पर यह गलत है।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हर किसी ने पुलिस के एक जिम्मेदार अधिकारी के व्यवहार की निंदा करते हुए पुलिस प्रशासन से उक्त अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
उधर, डीएसपी अश्विनी कुमार शर्मा का कहना है कि महिलाओं ने पानी की समस्या को लेकर करीब पांच घंटे तक जाम लगाए रखा, जिससे यातायात बाधित हो गया। महिलाओं के जाम नहीं खोलने पर आक्रोशित हो गया था।
मैंने उनसे कहा कि पानी की समस्या है तो जलदाय विभाग के कार्यालय जाकर अधिकारियों को समस्या से अवगत कराओ। फिर चाह वहां मटका फोड़ो चाहे चूडिय़ां। उन्होंने कहा कि वे कहना चाहते थे कि वहां चूडिय़ां फेंकना, लेकिन आक्रोश में चूडिय़ां फोडऩा शब्द स्लिप हो गया।
उन्होंने कहा कि इसका बाद में उन्हेें पश्चाताप हुआ। इसके बाद सभी महिलाओं को कार्यालय में बुलाकर तहसीलदार, बीडीओ की मौजूदगी में समस्या के समाधान के लिए कानून को हाथ में नहीं लेने की बात कही।
जाम की सूचना पर करीब 11 बजे डीएसपी अश्वनी कुमार शर्मा, थानाधिकारी जयराम चौधरी मय पुलिस जाब्ता मौके पर पहुंचे। इस दौरान डीएसपी शर्मा ने एकाएक आक्रोशित होकर महिलाओं को समझाने की बजाए अभद्र भाषा का इस्तेमाल किया।
उन्होंने महिलाओं से कहा कि पानी चाहिए तो मटका लेकर आफिस जाओ, वहां मटका फोड़ो चाह चूड़़ी। यहां जाम लगाने की जरूरत नहीं है। इस पर महिलाओं ने कहा कि चूडिय़ां क्यों फोड़ें। मटके फोड़ सकते हैं, चूडिय़ां नहीं। इस दौरान महिलाओं और डीएसपी शर्मा के बीच काफी देर तक बहस चलती रही।
महिलाओं ने कहा, जब तक पानी की समस्या का समाधान नहीं होता हम कहीं नहीं जाएंगी। इस पर डीएसपी शर्मा ने एक महिला से कहा कि बकवास मत कर। नाटक मचा रखा है रोड पर। थानाधिकारी चौधरी से कहा कि वीडियोग्राफी कराओ और इन महिलाओं के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करो।
महिलाओं ने कहा रिपोर्ट दर्ज कर लो, लेकिन हम कहीं नहीं जाएंगी। इसी दौरान थानाधिकारी चौधरी ने एक महिला का बाजू पकड़ कर धक्का दिया और हाथ पकड़ कर ले गए। इसके बाद सभी महिलाएं वहां से खड़ी होकर उनके पीछे-पीछे चल दीं।
हैरानी की बात है कि मौके पर महिला पुलिसकर्मी मौजूद होने के बावजूद थानाधिकारी चौधरी ने महिला का बाजू पकड़ा। जबकि कानूनी तौर पर यह गलत है।
घटना का वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया है। हर किसी ने पुलिस के एक जिम्मेदार अधिकारी के व्यवहार की निंदा करते हुए पुलिस प्रशासन से उक्त अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
उधर, डीएसपी अश्विनी कुमार शर्मा का कहना है कि महिलाओं ने पानी की समस्या को लेकर करीब पांच घंटे तक जाम लगाए रखा, जिससे यातायात बाधित हो गया। महिलाओं के जाम नहीं खोलने पर आक्रोशित हो गया था।
मैंने उनसे कहा कि पानी की समस्या है तो जलदाय विभाग के कार्यालय जाकर अधिकारियों को समस्या से अवगत कराओ। फिर चाह वहां मटका फोड़ो चाहे चूडिय़ां। उन्होंने कहा कि वे कहना चाहते थे कि वहां चूडिय़ां फेंकना, लेकिन आक्रोश में चूडिय़ां फोडऩा शब्द स्लिप हो गया।
उन्होंने कहा कि इसका बाद में उन्हेें पश्चाताप हुआ। इसके बाद सभी महिलाओं को कार्यालय में बुलाकर तहसीलदार, बीडीओ की मौजूदगी में समस्या के समाधान के लिए कानून को हाथ में नहीं लेने की बात कही।
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