शनिवार, 26 सितंबर 2015

राजस्थान की जेलों में एड्स से 13 कैदियों की मौत

राजस्थान की जेलों में एड्स से 13 कैदियों की मौत

जयपुर। क्षमता से दोगुने कैदियों की वजह से राजस्थान की जेलों में रोगी कैदी बढ़ते जा रहे हैं। इन जेलों में पिछले तीन साल में एड्स से 13 कैदियों की मौत हो चुकी है और अभी 42 कैदी इस रोग से ग्रसित हैं।


वहीं टीबी जैसी संक्रामक बीमारी भी जेलों में फैल रही है। तीन साल में 62 कैदी टीबी से मारे गए, जबकि 97 अभी भी इस रोग से पीड़ित हैं।


राजस्थान की जेलों की स्थिति के बारे में जारी एक रिपोर्ट में यह स्थिति सामने आई है। इसके अनुसार, सबसे ज्यादा 16 टीबी पीड़ित कैदी उदयपुर सैंट्रल जेल में मारे गए हैं, वहीं जयपुर सैंट्रल जेल में मरने वाले कैदियों की संख्या 9 है। इसी तरह पिछले तीन वर्ष में एड्स से मरने वाले 13 कैदियों मे से पांच जोधपुर जेल के थे।

उदयपुर जेल में इस वर्ष 31 जुलाई को 1090 कैदी थे जो इसकी क्षमता के मुकाबले 182.58 प्रतिशत है। इस जेल में प्रदेश में सबसे ज्यादा कैदी है। जेल विभाग के सूत्रों का कहना है कि जेलों में कई तरह की गलत गतिविधियां चलती हैं, इसके अलावा कैदियों में सफाई का ध्यान भी नहीं रखा जाता। इसके चलते ही रोग फैलते है।



जय जसोल माँ पैदल यात्री संघ पहुंचा जसोल किए माजीसा के दर्शन



जय जसोल माँ पैदल यात्री संघ पहुंचा जसोल किए माजीसा के दर्शन
बाडमेर / बालोतरा - बाडमेर से जसोल माता राणी भटियाणी के दर्शनार्थ 4 वी बार पैदल यात्रा संघ जय माँ अम्बे युवा ग्रुप के नेतृत्व में शनिवार को जसोल पहुंचकर माता राणी भटियाणी की पूजा अर्चना कर क्षेत्र में खुशहाली की कामना की। पैदल यात्रा संघ संचालक नरेश माली ने बताया कि 22 सितम्बर को हमीरपुरा बाडमेर से माता राणी भटियाणी की आरती कर गाजे बाजे के साथ पद यात्रियों का संघ रवाना हुआ था जो उत्तरलाई ,कवास ,बायतु ,खेड, बालोतरा होते हुऐ जसोल पहुँचा। शनिवार प्रात हनुमान नाडी पर महाआरती के पश्चात गाजे बाजे के साथ पैदल यात्रा संघ शहर के मुख्य मार्गों से गुजरता हुआ जसोल पहुंचा तथा माता राणी भटियाणी की पूजा अर्चना कर मन्नते मांगी। पद यात्रा संघ में माता राणी भटियाणी की प्रतिमा से सजा धजा रथ देखने के लिए श्रद्धालुओं की नजरें काफी समय तक टिकी रहीं पद यात्रा संघ में भजनों की मधुर धुन के साथ श्रद्धालु नाचते गाते व झूमते हुए चल रहे थे। पद यात्रा संघ में जगदीश परमार,नरेश माली, मांगीलाल जैन, छगनसिंह चैहान, बन्टीसिंह ,गौतम भार्गव,दिनेश माली, स्वरूप सोनी ,सुरेश माली,शैतान भार्गव ,स्वरूप माली, बाबूलाल,बंशीलाल माली,सहित सैकडो की संख्या में महिलाओ श्रद्धालुओं ने माता के दर्शन किए।

रांची।रांची में गोमांस फेंकने पर भड़की सांप्रदायिक हिंसा: पुलिस पर तलवार से वार, पूरे शहर में धारा-144 लागू

रांची।रांची में गोमांस फेंकने पर भड़की सांप्रदायिक हिंसा: पुलिस पर तलवार से वार, पूरे शहर में धारा-144 लागू

झारखंड की राजधानी रांची के डोरंडा इलाके में गोमांस फेंके जाने से सांप्रदायिक तनाव फैल गया। गुस्साई भीड़ ने कई जगह आगजनी और तोड़फोड़ की। भीड़ ने एक पुलिस वाले पर तलवारों से हमला भी कर दिया है। मामले की गंभीरता को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री रघुवर दास और पुलिस महानिदेशक को खुद लोगों को समझाने के लिए निकलना पड़ा। हिंसा को देखते हुए राजधानी में प्रशासन ने धारा-144 लागू कर दी।


क्या है मामला?
रांची के डोरंडा इलाके में शुक्रवार को कथित तौर पर गोमांस पड़ा हुआ मिला। इसके बाद कुछ लोगों ने हंगामा करना शुरू दिया। आसपास के इलाके के लोग भी इकट्ठा हो गए और हंगामा करने लगे। धीरे-धीरे हंगामा हिंसा में बदल गया। गुस्साए लोगों ने कई जगह आगजनी और तोड़फोड़ करने के साथ ही पुलिस पर पथराव भी किया।


पुलिस ने किया लाठीचार्ज
हंगामा और पथराव कर रहे लोगों को काबू करने के लिए पुलिस ने लाठीचार्च किया। लाठीचार्ज में एक दर्जन से ज्यादा लोग घायल बताए जा रहे हैं। मामले की संवेदनशीलता को देखते हुए पूरे शहर में धारा-144 लागू कर दी गई है। पुलिस के साथ इलाके में सीआरपीएफ और सीमा सुरक्षा बल की टीमों को भी तैनात किया गया है।

लखनऊ, उत्तर प्रदेश महिला आरक्षित हुई सीट तो नेताजी ने फौरन की शादी, पंचायत चुनाव में उतारी दुल्हनिया



लखनऊ, उत्तर प्रदेश महिला आरक्षित हुई सीट तो नेताजी ने फौरन की शादी, पंचायत चुनाव में उतारी दुल्हनिया


सत्ता की चाहत में कोई नेता कुछ भी ऐसा कर सकता है, जो किसी को भी चौंकने पर मजबूूर कर दे। इसकी एक ताजा मिसाल फिलहाल उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत चुनाव में देखने को मिल रही है। यहां के गाजीपुर की एक जिला पंचायत सीट महिला उम्मीदवार को लिए घोषित हुई एक नेताजी ने फौरन दुल्हनिया लाने में देरी नहीं की।बताया जा रहा है कि मरदह ब्लाक निवासी एक अविवाहित नेताजी काफी दिनों से जिला पंचायत चुनाव लडऩे की योजना बना रहे थे। वो गाजीपुर की कासिमाबाद षष्टम जिला पंचायत सीट से चुनाव लड़ने के मूड में थे। इसलिए चुनाव नजदीक आते ही अपना प्रचार भी तेज कर दिया था। इसी दौरान जब वो सीट महिला आरक्षित सीट हो गई तो लगा नेताजी के पैरों तले जमीन ही खिसक जाएगी। लेकिन नेताजी नेे खुद को संभाला और नया प्लान बनाया।नए प्लान के तहत अविवाहित नेता जी ने सबसे पहले आनन-फानन में फौरान अपनी शादी तय कर दुल्हनिया घर ले आए। उनकी नई नवेली दुल्हन की किस्मत ऐसी रही कि जैसा उन्होंने शायद अपने सपने में भी नहीं सोचा होगा। ससुराल की चौखट लांघने के अगले दिन ही उनके नेता पति ने उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया। नई-नवेली दुल्हन की तस्वीरों वाले पोस्टर-बैनर भी निर्धारित जिला पंचायत सीट के क्षेत्र में चिपकाए जाने में बिल्कुल देरी नहीं की गई।अब चुनाव मैदान में उतर चुकी नवविवाहिता को राजनीति का ककहरा पढ़ाने का काम चल रहा है। नेताजी को किसी भी हालत में अपनी सीट गंवाना मंजूर नहीं है। देखा जाए शादी करने की जुगत लगाकर नेताजी ने एक तीर से 2 शिकार कर लिए हैं। एक तो उन्हें अपनी धर्मपत्नी के तौर पर उम्मीदवार मिल गई, दूसरा तिलक और शादी के दौरान अपने इलाके के लोगों को जमकर न्योता इतना न्योता दिया कि अधिकतर उनके मुरीद हो गए है। देखना होगा कि ये सब करने के बावजूद चुनाव के नतीजे उनके पक्ष में जाते हैं या नहीं।जिला पंचायत चुनाव के मरदह क्षेत्र में ही एक और नेताजी से जुड़ा दिलचस्प मामला देखने को मिल रहा है। यहां पिछले बार जिला पंचायत का चुनाव हार चुके एक नेताजी ने इस बार महिला सीट होने घोषित होने पर नई तरकीब ये निकाली है कि 2 सीटों पर अपनी 2 बहुओं को चुनाव मैदान में उतार दिया जाए, वो भी बिना किसी दल के नाम के सहारे। दरअसल, उनके समर्थकों ने उन्हें समझाया है कि वो पिछली बार एक दल के नाम पर चुनाव लड़ने के चलते उन्हे उनकी अपनी बिरादरी के लोगों ने वोट नहीं दिया था, इसलिए इस बार अपनी बिरादरी का मत पाने के लिए पार्टी का नाम बैनर-पोस्टर से गायब कर दें।

जोधपुर सड़क हादसे में दो परिवार तबाह, 6 की मौत, आठ घायल



जोधपुर  सड़क हादसे में दो परिवार तबाह, 6 की मौत, आठ घायल


जैसलमेर रोड पर बम्बोर व पूनियों की प्याऊ के बीच शुक्रवार रात हुए सड़क हादसे में दो परिवार बुरी तरह तबाह हो गए। रामदेवरा दर्शन करने जा रहे प्रजापत और भील परिवार के लोगों को अंदाजा भी नहीं था कि बाबा के दर्शन की खुशी रास्ते में ही मातम में बदल जाएगी।

यहां तेज गति से अनियंत्रित निजी ट्रैवल एजेंसी की बस व कार की टक्कर से कार में सवार ड्राइवर और पांच जातरुओं की मृत्यु तथा दो बच्चे व तीन महिलाओं समेत आठ लोग गम्भीर घायल हो गए। मृतकों में तीन महिलाएं भी शामिल हैं।

इनके परिजनों को रात में ही दुर्घटना की सूचना दे दी गई, जिसके बाद वे शनिवार दोपहर जोधपुर पहुंचे। घायलों और शवों को देखते ही परिजनों के होश उड़ गए। सभी रोते-बिलखते नजर आए। शव बिना पोस्टमार्टम के ही परिजनों को सुपुर्द किया गया। वहीं घायलों के चेहरे पर दहशत साफ दिख रही है।पुलिस के अनुसार जातरुओं से भरी टवेरा कार शुक्रवार रात करीब साढ़े नौ-दस बजे रामदेवरा जा रही थी। बम्बोर से कुछ पहले जैसलमेर की तरफ से आई बस वाहन को ओवरटेक के प्रयास में गलत दिशा में आ गई, जिससे वह टवेरा से जा टकराई।

हादसा इतना जोरदार था कि चालक साइड से कार बुरी तरह पिचक गई। कार के परखचे उड़ गए। बस सड़क से उतर कर मिट्टी में धंसने से रुकी। कार के पिचकने से जातरु बुरी तरह फंस गए। राह चलते वाहनों में सवार लोगों ने लोहे के रॉड आदि से कार के गेट तोड़कर जातरुओं को बाहर निकालने का प्रयास शुरू किया।

हादसे में तीन महिलाओं व तीन पुरुषों की मृत्यु हो गई। देर रात शव एमडीएम अस्पताल की मोर्चरी में रखवाए गए। डीसीपी प्रीति जैन सहित कई आला अधिकारी मौके पर पहुंचे। देर रात मृतकों की शिनाख्त होने के बाद उनके परिजनों को सूचना दी गई, जिसके बाद वे सभी जोधपुर के लिए रवाना हुए।




इनकी हुई मृत्यु

हादसे में कोटा के विज्ञान नगर गांधी नगर कच्ची बस्ती निवासी ओमप्रकाश (30) पुत्र जमनालाल प्रजापत, झालावाड़ स्थित खांडीया कॉलोनी निवासी राजेश कुमार (35) पुत्र बालचन्द भील, संतोष उर्फ शांति बाई (30) पत्नी राजेश कुमार भील, झालावाड़ स्थित मास्टर कॉलोनी निवासी मांगी बाई (55) पत्नी चन्द्रभील, भगवती बाई (40) पत्नी घनश्याम भील और कार चालक झालावाड के गंगापुरा का खेड़ा निवासी हुकमचन्द्र बैरवा (35) पुत्र कन्हैयालाल बैरवा की मृत्यु हो गई।




ये हुए घायल

वहीं, हादसे में कोटा के विज्ञान नगर गांधी नगर कच्ची बस्ती निवासी ज्योति (28) पत्नी ओमप्रकाश प्रजापत, रुचिका उर्फ इच्छा (5) पुत्री ओमप्रकाश प्रजापत, झालावाड़ स्थित बावड़ी का चौक बड़वाली गली, बालाजी की गली निवासी तुलसी देवी (48) पत्नी राजेश कुमार प्रजापत, कोटा स्थित जेके कॉलोनी निवासी प्रेम बाई (60) पत्नी मन्नालाल प्रजापत, झालावाड़ स्थित मास्टर कॉलोनी निवासी भेरुलाल (45) पुत्र भंवरलाल भील, सूरज (10) पुत्र घनश्याम भील और झालावाड़ स्थित राजपुरा गांव निवासी धनराज (30) पुत्र रमेश भील घायल हो गए।




फिर बस फूंकने का प्रयास

हादसे के बाद आस-पास के ग्रामीणों ने बस के टायरों में आग लगा दी, लेकिन मौके पर पहुंची पुलिस ने आग बुझा दी। इसके बाद भी दो बार आग लगाई गई, लेकिन दोनों मर्तबा पुलिस ने आग पर काबू पा लिया। आखिरकार मौके पर पहुंचे अतिरिक्त पुलिस बल ने डण्डे फटकारकर ग्रामीणों को वहां से खदेड़ा।

कार खून से सनी

टक्कर इतनी जोरदार थी कि चालक साइड से कार बुरी तरह पिचक गई। सभी उसमें फंस गए। शरीर से खून बहने लगा। कार भी खून से सन गई। कार के परखचे उड़ गए।

जानिये की कब बनेंगें आपके विवाह के योग--



जानिये की कब बनेंगें आपके विवाह के योग--


पंडित दयानन्द शास्त्री

वर्तमान समय में युवक युवतियां उच्च शिक्षा या अच्छा करियर बनाने के चक्कर में बड़ी उम्र के हो जाने पर विवाह में काफी विलंब हो जाता है।




उनके माता-पिता भी असुरक्षा की भावनावश बच्चों के अच्छे खाने-कमाने और आत्मनिर्भर होने तक विवाह न करने पर सहमत हो जाने से भी विवाह में विलंब निश्चित होता है।




पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार बहुत अच्छा होगा किसी विद्वान ज्योतिषी को अपनी जन्म कुंडली दिखाकर विवाह में बाधक ग्रह या दोष को ज्ञात कर उसका निवारण करें।




पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार ज्योतिषीय दृष्टि से जब विवाह योग बनते हैं, तब विवाह टलने से विवाह में बहुत देरी हो जाती है। वे विवाह को लेकर अत्यंत चिंतित हो जाते हैं। वैसे विवाह में देरी होने का एक कारण बच्चों का मांगलिक होना भी होता है।




पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार मंगली या मंगल दोष निवारण के लिए उज्जैन ( मध्यप्रदेश) स्थित प्राचीन अंगारेश्वर महादेव मंदिर पर आकर विशेष गुलाल पूजन के साथ पंचोपचार पूजन से तात्कालिक लाभ होता हैं।।




किसी भी पूजा पाठ में आस्था, विश्वास और श्रद्धा आवश्यक होती हैं।। तर्क कुतर्क करने वालों को पूर्ण लाभ नहीं मिल पता हैं।।




मांगलिक या मंगल दोष से प्रभावित युवक युवतियों के विवाह के योग 27, 29, 31, 33, 35 व 37वें वर्ष में बनते हैं।




जिन युवक-युवतियों के विवाह में विलंब हो जाता है, तो उनके ग्रहों की दशा ज्ञात कर, विवाह के योग कब बनते हैं, जान सकते हैं।




जिस वर्ष शनि और गुरु दोनों सप्तम भाव या लग्न को देखते हों, तब विवाह के योग बनते हैं। सप्तमेश की महादशा-अंतर्दशा या शुक्र-गुरु की महादशा-अंतर्दशा में विवाह का प्रबल योग बनता है। सप्तम भाव में स्थित ग्रह या सप्तमेश के साथ बैठे ग्रह की महादशा-अंतर्दशा में विवाह संभव है।




पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार कुछ अन्य विवाह योग निम्नानुसार हैं----




(1) लग्नेश, जब गोचर में सप्तम भाव की राशि में आए।

(2) जब शुक्र और सप्तमेश एक साथ हो, तो सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।

(3) लग्न, चंद्र लग्न एवं शुक्र लग्न की कुंडली में सप्तमेश की दशा-अंतर्दशा में।

(4) शुक्र एवं चंद्र में जो भी बली हो, चंद्र राशि की संख्या, अष्टमेश की संख्या जोड़ने पर जो राशि आए, उसमें गोचर गुरु आने पर।

(5) लग्नेश-सप्तमेश की स्पष्ट राशि आदि के योग के तुल्य राशि में जब गोचर गुरु आए।

(6) दशमेश की महादशा और अष्टमेश के अंतर में।

(7) सप्तमेश-शुक्र ग्रह में जब गोचर में चंद्र गुरु आए।

(8) द्वितीयेश जिस राशि में हो, उस ग्रह की दशा-अंतर्दशा में।




हमारे यहाँ मनुष्य जीवन में विवाह बहुत बड़ी विशेषता मानी गई है.




विवाह का वास्तविक अर्थ है- दो आत्माओं का आत्मिक मिलन. एक हृदय चाहता है कि वह दूसरे हृदय से सम्पर्क स्थापित करे, आपस में दोनों का आत्मिक प्रेम हो और हृदय मधुर कल्पना से ओतप्रोत हो।।




जब दोनों एक सूत्र में बँध जाते हैं, तब उसे समाज 'विवाह' का नाम देता है. विवाह एक पवित्र रिश्ता है।।




ध्यान देवें विवाह नही होगा अगर----




यदि कुंडली में सप्तमेश शुभ स्थान पर नही है. यदि सप्तमेश छ: आठ या बारहवें स्थान पर अस्त होकर बैठा है.

जब सप्तमेश नीच राशि में है.

यदि सप्तमेश बारहवें भाव में है,और लगनेश या राशिपति सप्तम में बैठा है.

जब चन्द्र शुक्र साथ हों,उनसे सप्तम में मंगल और शनि विराजमान हों.

जब शुक्र और मंगल दोनों सप्तम में हों.

जब शुक्र मंगल दोनो पंचम या नवें भाव में हों.

जब शुक्र किसी पाप ग्रह के साथ हो और पंचम या नवें भाव में हो.

यदि शुक्र बुध शनि तीनो ही नीच हों.

यदि पंचम में चन्द्र हो,सातवें या बारहवें भाव में दो या दो से अधिक पापग्रह हों.

यदि सूर्य स्पष्ट और सप्तम स्पष्ट बराबर का हो ।।




जानिए आपके विवाह में देरी का कारण---




कुंडली के सप्तम भाव में बुध और शुक्र दोनो के होने पर विवाह वादे चलते रहते है,विवाह आधी उम्र में होता है ।।




चौथा या लगन भाव मंगल (बाल्यावस्था) से युक्त हो,

सप्तम में शनि हो तो कन्या की रुचि शादी में नही होती है.




सप्तम में शनि और गुरु शादी देर से करवाते हैं. चन्द्रमा से सप्तम में गुरु शादी देर से करवाता है,




यही बात चन्द्रमा की राशि कर्क से भी माना जाता है.




जब सप्तम में त्रिक भाव का स्वामी हो,कोई शुभ ग्रह योगकारक नही हो,तो पुरुष विवाह में देरी होती है.

जब सूर्य मंगल बुध लगन या राशिपति को देखता हो,और गुरु बारहवें भाव में बैठा हो तो आध्यात्मिकता अधिक होने से विवाह में देरी होती है.




लगन में सप्तम में और बारहवें भाव में गुरु या शुभ ग्रह योग कारक नही हों,परिवार भाव में चन्द्रमा कमजोर हो तो विवाह नही होता है,अगर हो भी जावे तो संतान नही होती है.




यदि किसी युवती या महिला की कुन्डली में सप्तमेश या सप्तम शनि से पीडित हो तो विवाह देर से होता है.




जब राहु की दशा में शादी हुयी हो या राहु सप्तम को पीडित कर रहा हो,तो शादी होकर टूट जाती है,यह सब दिमागी भ्रम के कारण होता है।।




जानिए आपके विवाह का समय (कब होगा विवाह)--




सप्तम या सप्तम से सम्बन्ध रखने वाले ग्रह की महादशा या अन्तर्दशा में विवाह होता है.




किसी कन्या की कुन्डली में शुक्र से सप्तम और पुरुष की कुन्डली में गुरु से सप्तम की दशा में या अन्तर्दशा में विवाह होता है.




कुंडली में सप्तमेश की महादशा में पुरुष के प्रति शुक्र या चन्द्र की अन्तर्दशा में और स्त्री के प्रति गुरु या मंगल की अन्तर्दशा में विवाह होता है. सप्तमेश जिस राशि में हो,उस राशि के स्वामी के त्रिकोण में गुरु के आने पर विवाह होता है.




जब गुरु गोचर से सप्तम में या लगन में या चन्द्र राशि में या चन्द्र राशि के सप्तम में आये तो विवाह होता है. गुरु का गोचर जब सप्तमेश और लगनेश की स्पष्ट राशि के जोड में आये तो विवाह होता है.




जब सप्तमेश जब गोचर से शुक्र की राशि में आये और गुरु से सम्बन्ध बना ले तो विवाह या शारीरिक सम्बन्ध बनता है.




पंडित दयानन्द शास्त्री के अनुसार सप्तमेश और गुरु का त्रिकोणात्मक सम्पर्क गोचर से शादी करवा देता है,या प्यार प्रेम चालू हो जाता है.




चूँकि चन्द्रमा मन का कारक है,और वह जब बलवान होकर सप्तम भाव या सप्तमेश से सम्बन्ध रखता हो तो चौबीसवें साल तक विवाह करवा ही देता है।।।




इन उपाय से होता हैं लाभ ( आस्था, विश्वास और श्रद्धा आवश्यक)---




मान्यता है कि निम्नलिखित उपाय करने पर विवाह योग बनते हैं एवं विवाह शीघ्र होता है----




माँ पार्वती की विधिवत पूजा करके प्रतिदिन निम्नांकित मंत्र की पाँच माला का जाप करने पर मनोरथ शीघ्र पूर्ण होता है---




हे गौरि शंकरार्धांगि यथा त्व शंकर प्रिया.

तथा मां कुरु कल्याणि, कान्तकांता सुदुर्लुभाम्‌॥




किसी भी माह की प्रत्येक प्रदोष तिथि को माँ पार्वती का श्रृंगार कर विधिवत पूजन करें ।।




विवाह हेतु किसी योग्य एवम् अनुभवी आचार्य की सलाह लेकर तीन रत्ती से अधिक का जरकन, हीरे या पुखराज की अँगूठी अनामिका में शुभ मुहूर्त में विधिवत धारण करें ।।




अच्छा होगा किसी विद्वान ज्योतिषी को अपनी जन्म कुंडली दिखाकर विवाह में बाधक ग्रह या दोष को ज्ञात कर उसका निवारण करें।। विवाह के लिए गुरु आराध्य है, उसकी उपासना करना चाहिए ।।

बीकानेर बीएड में होंगे अब सोलह प्रश्न-पत्र



बीकानेर बीएड में होंगे अब सोलह प्रश्न-पत्र


महाराजा गंगा ङ्क्षसह विश्वविद्यालय के शिक्षा संकाय के शिक्षा संकाय के दो वर्षीय शिक्षा स्नातक (बीएड) सत्र 2015-16 के पाठ्यक्रम को सेमेस्टर आधार पर जारी किया गया है।

इस पाठ्यक्रम को राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) नई दिल्ली एवं राष्ट्रीय पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफ) 2005 तथा राष्ट्रीय शिक्षक शिक्षा पाठ्यचर्या रूपरेखा (एनसीएफटीई) 2009 के शिक्षक-शिक्षा प्रतिमानों के आधार पर तैयार किया गया है।

दो वर्षीय पाठ्यक्रम को छह माह के अंतराल में कुल चार सेमेस्टर में विभाजित किया गया है। प्रत्येक सेमेस्टर में चार प्रश्न-पत्र के अध्ययन-अध्यापन के बाद परीक्षा आयोजित की जाएगी। इस प्रकार कुल सोलह प्रश्न-पत्र होंगे।

अक्टूबर से प्रारम्भ होगा शिक्षण कार्य

ज्ञात हो कि बीएड प्रवेश परीक्षा महर्षि दयानंद सरस्वती विश्वविद्यालय अजमेर के अधीन है, जबकि बीएड मुख्य परीक्षा राज्य के सभी जिलों से संबंधित विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित की जाएगी।

महाराजा गंगा ङ्क्षसह विश्वविद्यालय के अधीन चार जिले हैं, जिनमें श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू तथा बीकानेर में कुल 106 बीएड कॉलेज हैं।

राज्य में कुल 8 सौ बीएड कॉलेज हैं, राज्य के प्रत्येक विश्वविद्यालय को यह अधिकार होगा कि वह बीएड को वार्षिक परीक्षा के रूप में अथवा सेमेस्टर रूप में लागू करे।

वर्तमान में बीएड विद्यार्थियों का प्रवेश कार्य 8 अक्टूबर तक होगा तथा शिक्षण कार्य 11 अक्टूबर से प्रारम्भ होगा।

क्या बोले शिक्षाविद्

शिक्षाविद डॉ. राजेन्द्र श्रीमाली ने बताया कि प्रत्येक सेमेस्टर में विद्यार्थी को सैद्धांतिक कार्य में 80 प्रतिशत और व्यवहारिक कार्य में 90 प्रतिशत उपस्थिति सुनिश्चित करनी होगी।

पहले सेमेस्टर का बाह्य मूल्यांकन 230 अंक तथा आंतरिक मूल्यांकन 120 अंक होगा। जबकि दूसरा सेमेस्टर क्रमश: 180:120 अंकों, तीसरा सेमेस्टर क्रमश: 190:160 तथा चौथा सेमेस्टर क्रमश: 220:130 अंकों का होगा।

चारों सेमेस्टर में व्यावसायिक क्षमता अभिवृद्धि के लिए विद्यार्थियों को शिक्षा से संबंधित प्रोजेक्ट दिया जाएगा, जिस पर विद्यार्थी कार्य करेंगे।

व्यावहारिक कार्य के कुल 150 अंक होंगे जो सूक्ष्म शिक्षण, प्रेक्टिस टीचिंग, समालोचन शिक्षण, अवलोकन, शिक्षण सहायक सामग्री, वनशाला शिविर, क्रियात्मक अनुसंधान, सेमिनार्स आदि कार्यों में विभक्त होंगे

जालोर सौलह साल बाद पुलिस ने लौटाई परिवार की मुस्कान

जालोर सौलह साल बाद पुलिस ने लौटाई परिवार की मुस्कान 
जालोर . कहते है कि किसी को अपनी खोई कोई चीज भी मिल जाए तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता, लेकिन किसी पिता को उसकी खोई संतान मिले तो उसकी खुशियों की का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही ही वाक्या हुआ है इनदिनों अगड़ावा निवासी जोधाराम बिश्नोई के साथ। वर्ष-1999 में खलासी बनने के लिए घर से निकला बेटा ऐसा खोया कि उसे ढूंढऩे में परिजनों की तो आंखें की सूख गई थी। कई वर्ष बीतने के कारण परिजनों ने तो आस ही छोड़ दी थी, लेकिन करीब एक महीने पहले जयपुर से आए एक पुलिसकर्मी ने उनकी उम्मीदें फिर से जिंदा कर दी। उसके बाद से तो मानों जोधाराम का पूरा संसार ही लौट आया हो। सोलह वर्ष पहले खोया उसका बेटा पुन: घर लौट आया है।

पुलिस अभियान से लगा सुराग

दरअसल, सुजानाराम ने जयपुर में कुछ महीने पहले रेलवे स्टेशन के समीप किसी से झगड़ा कर दिया। इस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भिजवा दिया। पुलिस रिकार्डमें उसने अपना नाम बाबूलाल जाट बताया, लेकिन शेष पता पंचायत समिति चितलवाना के अगड़वा गांव समेत सही दर्ज करवाया। वह मानसिक रूप से भी कुछ असंतुलित था। काफी समय बीतने के बाद भी उसकी जमानत के लिए कोईनहीं आया। जिस पर जयपुर पुलिस ने ऐसे लोगों के परिजनों का पता लगाने का अभियान शुरू किया।

जयपुर पुलिस का एक सिपाही 28 अगस्त को उसके बताए पते पर पहुंचा और छानबीन की तो गांव में से लोगों ने सुजानाराम होने की पुष्टि की। बाद में ग्रामीण लोग जयपुर पहुंचे और उसे घर लेकर आए। हालांकि, उसने अपना नाम बाबूलाल क्यों दर्ज करवाया। इस संदर्भ में अभी तक कोई स्पष्ट नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि मानसिक रूप से भी असंतुलित होने के कारण उसने अपना नाम

बदल दिया।

मन मे ही रह गई मां की

सुजानाराम दो दिन पहले जब घर पहुंचा तो पिता को देख उसकी आंखें छलक गई, लेकिन एक गम ने फिर से उसे सदमे में डूबो दिया। उसकी मां का कुछ वर्ष पहले ही निधन हो गया था। जिस कारण मां के दर्शन करने की आस उसके मन में ही दब गई।

हर कोई उसे देखने को आतुर

सुजानाराम के करीब सोलह वर्ष बाद घर लौटने की खबर मिलते ही उसके रिश्तेदारों समेत आसपास के मिलने वालों और ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। उसे देखने को हर कोई आतुर दिख रहा है।

खलासी बनने निकला बिना बताए

अगड़ावा निवासी सुजानाराम पुत्र जोधाराम विश्नोई 1999 में करीब 15 साल की उम्र में ही ट्रक पर खलासी बनने की फिराक में घर से बिना बताए ही निकल गया था। वापस नहीं लौटने पर घरवालों ने उसकी खोजबीन में कोई कसर नहीं छोड़ी, कोई सुराग नहीं मिलने से परिजन भी थक हारकर बैठ गए। परिजनों ने तो उसके वापस आने की आस तक छोड़ दी थी।

इनका कहना है...

हमारी पंचायत के अगड़ावा गांव में करीब 16 साल पहले गुम हुआ लड़का मिलने पर उसके परिवार वालों के साथ पूरी पंचायत को खुशी हुई है। वही उसके वहां रिश्तेदारों का मिलने का तांता लगा हुआ है।

- झीणीदेवी, सरपंच, सेसावा

लखीमपुरखीरी।पत्नी ने की मायके जाने की जिद, पति ने मौत के घाट उतार

लखीमपुरखीरी।पत्नी ने की मायके जाने की जिद, पति ने मौत के घाट उतार

उत्तर प्रदेश में लखीमपुर खीरी के फूलबेहड क्षेत्र में मायके जाने की जिद से क्षुब्ध पति ने अपनी पत्नी की शुक्रवार रात धारदार हथियार से प्रहार करके हत्या कर दी।
पुलिस ने शनिवार को बताया कि ग्राम गुजरा निवासी गुड्डू की 20 वर्षीय पत्नी सिंकी देवी की माता त्रिफला देवी अपनी बेटी को विदा कराने के लिए बिहार से आई थी।
विदाई को लेकर शुक्रवार रात पति पत्नी के बीच विवाद हो गया । इससे क्षुब्ध गुड्डू ने गडासे से सिंकी की गर्दन पर कई वार किए जिससे उसकी मौके पर ही उसकी मौत हो गई।
त्रिफला देवी ने गुड्डू के विरुद्ध हत्या का मामला दर्ज कराया है। उन्होंने कहा कि पांच माह पूर्व उसका विवाह हुआ था। वारदात के बाद फरार गुड्डू की सरगर्मी से तलाश की जा रही है।