लखनऊ, उत्तर प्रदेश महिला आरक्षित हुई सीट तो नेताजी ने फौरन की शादी, पंचायत चुनाव में उतारी दुल्हनिया
सत्ता की चाहत में कोई नेता कुछ भी ऐसा कर सकता है, जो किसी को भी चौंकने पर मजबूूर कर दे। इसकी एक ताजा मिसाल फिलहाल उत्तर प्रदेश के जिला पंचायत चुनाव में देखने को मिल रही है। यहां के गाजीपुर की एक जिला पंचायत सीट महिला उम्मीदवार को लिए घोषित हुई एक नेताजी ने फौरन दुल्हनिया लाने में देरी नहीं की।बताया जा रहा है कि मरदह ब्लाक निवासी एक अविवाहित नेताजी काफी दिनों से जिला पंचायत चुनाव लडऩे की योजना बना रहे थे। वो गाजीपुर की कासिमाबाद षष्टम जिला पंचायत सीट से चुनाव लड़ने के मूड में थे। इसलिए चुनाव नजदीक आते ही अपना प्रचार भी तेज कर दिया था। इसी दौरान जब वो सीट महिला आरक्षित सीट हो गई तो लगा नेताजी के पैरों तले जमीन ही खिसक जाएगी। लेकिन नेताजी नेे खुद को संभाला और नया प्लान बनाया।नए प्लान के तहत अविवाहित नेता जी ने सबसे पहले आनन-फानन में फौरान अपनी शादी तय कर दुल्हनिया घर ले आए। उनकी नई नवेली दुल्हन की किस्मत ऐसी रही कि जैसा उन्होंने शायद अपने सपने में भी नहीं सोचा होगा। ससुराल की चौखट लांघने के अगले दिन ही उनके नेता पति ने उन्हें चुनावी मैदान में उतार दिया। नई-नवेली दुल्हन की तस्वीरों वाले पोस्टर-बैनर भी निर्धारित जिला पंचायत सीट के क्षेत्र में चिपकाए जाने में बिल्कुल देरी नहीं की गई।अब चुनाव मैदान में उतर चुकी नवविवाहिता को राजनीति का ककहरा पढ़ाने का काम चल रहा है। नेताजी को किसी भी हालत में अपनी सीट गंवाना मंजूर नहीं है। देखा जाए शादी करने की जुगत लगाकर नेताजी ने एक तीर से 2 शिकार कर लिए हैं। एक तो उन्हें अपनी धर्मपत्नी के तौर पर उम्मीदवार मिल गई, दूसरा तिलक और शादी के दौरान अपने इलाके के लोगों को जमकर न्योता इतना न्योता दिया कि अधिकतर उनके मुरीद हो गए है। देखना होगा कि ये सब करने के बावजूद चुनाव के नतीजे उनके पक्ष में जाते हैं या नहीं।जिला पंचायत चुनाव के मरदह क्षेत्र में ही एक और नेताजी से जुड़ा दिलचस्प मामला देखने को मिल रहा है। यहां पिछले बार जिला पंचायत का चुनाव हार चुके एक नेताजी ने इस बार महिला सीट होने घोषित होने पर नई तरकीब ये निकाली है कि 2 सीटों पर अपनी 2 बहुओं को चुनाव मैदान में उतार दिया जाए, वो भी बिना किसी दल के नाम के सहारे। दरअसल, उनके समर्थकों ने उन्हें समझाया है कि वो पिछली बार एक दल के नाम पर चुनाव लड़ने के चलते उन्हे उनकी अपनी बिरादरी के लोगों ने वोट नहीं दिया था, इसलिए इस बार अपनी बिरादरी का मत पाने के लिए पार्टी का नाम बैनर-पोस्टर से गायब कर दें।
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