जालोर सौलह साल बाद पुलिस ने लौटाई परिवार की मुस्कान
जालोर . कहते है कि किसी को अपनी खोई कोई चीज भी मिल जाए तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता, लेकिन किसी पिता को उसकी खोई संतान मिले तो उसकी खुशियों की का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही ही वाक्या हुआ है इनदिनों अगड़ावा निवासी जोधाराम बिश्नोई के साथ। वर्ष-1999 में खलासी बनने के लिए घर से निकला बेटा ऐसा खोया कि उसे ढूंढऩे में परिजनों की तो आंखें की सूख गई थी। कई वर्ष बीतने के कारण परिजनों ने तो आस ही छोड़ दी थी, लेकिन करीब एक महीने पहले जयपुर से आए एक पुलिसकर्मी ने उनकी उम्मीदें फिर से जिंदा कर दी। उसके बाद से तो मानों जोधाराम का पूरा संसार ही लौट आया हो। सोलह वर्ष पहले खोया उसका बेटा पुन: घर लौट आया है।
पुलिस अभियान से लगा सुराग
दरअसल, सुजानाराम ने जयपुर में कुछ महीने पहले रेलवे स्टेशन के समीप किसी से झगड़ा कर दिया। इस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भिजवा दिया। पुलिस रिकार्डमें उसने अपना नाम बाबूलाल जाट बताया, लेकिन शेष पता पंचायत समिति चितलवाना के अगड़वा गांव समेत सही दर्ज करवाया। वह मानसिक रूप से भी कुछ असंतुलित था। काफी समय बीतने के बाद भी उसकी जमानत के लिए कोईनहीं आया। जिस पर जयपुर पुलिस ने ऐसे लोगों के परिजनों का पता लगाने का अभियान शुरू किया।
जयपुर पुलिस का एक सिपाही 28 अगस्त को उसके बताए पते पर पहुंचा और छानबीन की तो गांव में से लोगों ने सुजानाराम होने की पुष्टि की। बाद में ग्रामीण लोग जयपुर पहुंचे और उसे घर लेकर आए। हालांकि, उसने अपना नाम बाबूलाल क्यों दर्ज करवाया। इस संदर्भ में अभी तक कोई स्पष्ट नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि मानसिक रूप से भी असंतुलित होने के कारण उसने अपना नाम
बदल दिया।
मन मे ही रह गई मां की
सुजानाराम दो दिन पहले जब घर पहुंचा तो पिता को देख उसकी आंखें छलक गई, लेकिन एक गम ने फिर से उसे सदमे में डूबो दिया। उसकी मां का कुछ वर्ष पहले ही निधन हो गया था। जिस कारण मां के दर्शन करने की आस उसके मन में ही दब गई।
हर कोई उसे देखने को आतुर
सुजानाराम के करीब सोलह वर्ष बाद घर लौटने की खबर मिलते ही उसके रिश्तेदारों समेत आसपास के मिलने वालों और ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। उसे देखने को हर कोई आतुर दिख रहा है।
खलासी बनने निकला बिना बताए
अगड़ावा निवासी सुजानाराम पुत्र जोधाराम विश्नोई 1999 में करीब 15 साल की उम्र में ही ट्रक पर खलासी बनने की फिराक में घर से बिना बताए ही निकल गया था। वापस नहीं लौटने पर घरवालों ने उसकी खोजबीन में कोई कसर नहीं छोड़ी, कोई सुराग नहीं मिलने से परिजन भी थक हारकर बैठ गए। परिजनों ने तो उसके वापस आने की आस तक छोड़ दी थी।
इनका कहना है...
हमारी पंचायत के अगड़ावा गांव में करीब 16 साल पहले गुम हुआ लड़का मिलने पर उसके परिवार वालों के साथ पूरी पंचायत को खुशी हुई है। वही उसके वहां रिश्तेदारों का मिलने का तांता लगा हुआ है।
- झीणीदेवी, सरपंच, सेसावा
जालोर . कहते है कि किसी को अपनी खोई कोई चीज भी मिल जाए तो खुशी का ठिकाना ही नहीं रहता, लेकिन किसी पिता को उसकी खोई संतान मिले तो उसकी खुशियों की का सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है। कुछ ऐसा ही ही वाक्या हुआ है इनदिनों अगड़ावा निवासी जोधाराम बिश्नोई के साथ। वर्ष-1999 में खलासी बनने के लिए घर से निकला बेटा ऐसा खोया कि उसे ढूंढऩे में परिजनों की तो आंखें की सूख गई थी। कई वर्ष बीतने के कारण परिजनों ने तो आस ही छोड़ दी थी, लेकिन करीब एक महीने पहले जयपुर से आए एक पुलिसकर्मी ने उनकी उम्मीदें फिर से जिंदा कर दी। उसके बाद से तो मानों जोधाराम का पूरा संसार ही लौट आया हो। सोलह वर्ष पहले खोया उसका बेटा पुन: घर लौट आया है।
पुलिस अभियान से लगा सुराग
दरअसल, सुजानाराम ने जयपुर में कुछ महीने पहले रेलवे स्टेशन के समीप किसी से झगड़ा कर दिया। इस पर पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर न्यायिक अभिरक्षा में भिजवा दिया। पुलिस रिकार्डमें उसने अपना नाम बाबूलाल जाट बताया, लेकिन शेष पता पंचायत समिति चितलवाना के अगड़वा गांव समेत सही दर्ज करवाया। वह मानसिक रूप से भी कुछ असंतुलित था। काफी समय बीतने के बाद भी उसकी जमानत के लिए कोईनहीं आया। जिस पर जयपुर पुलिस ने ऐसे लोगों के परिजनों का पता लगाने का अभियान शुरू किया।
जयपुर पुलिस का एक सिपाही 28 अगस्त को उसके बताए पते पर पहुंचा और छानबीन की तो गांव में से लोगों ने सुजानाराम होने की पुष्टि की। बाद में ग्रामीण लोग जयपुर पहुंचे और उसे घर लेकर आए। हालांकि, उसने अपना नाम बाबूलाल क्यों दर्ज करवाया। इस संदर्भ में अभी तक कोई स्पष्ट नहीं हुआ है। बताया जा रहा है कि मानसिक रूप से भी असंतुलित होने के कारण उसने अपना नाम
बदल दिया।
मन मे ही रह गई मां की
सुजानाराम दो दिन पहले जब घर पहुंचा तो पिता को देख उसकी आंखें छलक गई, लेकिन एक गम ने फिर से उसे सदमे में डूबो दिया। उसकी मां का कुछ वर्ष पहले ही निधन हो गया था। जिस कारण मां के दर्शन करने की आस उसके मन में ही दब गई।
हर कोई उसे देखने को आतुर
सुजानाराम के करीब सोलह वर्ष बाद घर लौटने की खबर मिलते ही उसके रिश्तेदारों समेत आसपास के मिलने वालों और ग्रामीणों में खुशी का माहौल है। उसे देखने को हर कोई आतुर दिख रहा है।
खलासी बनने निकला बिना बताए
अगड़ावा निवासी सुजानाराम पुत्र जोधाराम विश्नोई 1999 में करीब 15 साल की उम्र में ही ट्रक पर खलासी बनने की फिराक में घर से बिना बताए ही निकल गया था। वापस नहीं लौटने पर घरवालों ने उसकी खोजबीन में कोई कसर नहीं छोड़ी, कोई सुराग नहीं मिलने से परिजन भी थक हारकर बैठ गए। परिजनों ने तो उसके वापस आने की आस तक छोड़ दी थी।
इनका कहना है...
हमारी पंचायत के अगड़ावा गांव में करीब 16 साल पहले गुम हुआ लड़का मिलने पर उसके परिवार वालों के साथ पूरी पंचायत को खुशी हुई है। वही उसके वहां रिश्तेदारों का मिलने का तांता लगा हुआ है।
- झीणीदेवी, सरपंच, सेसावा
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