पूर्व केंद्रीय मंत्री और वरिष्ठ जसवंत सिंह की भाजपा में वापसी की अटकलों के बीच उनके पुत्र और भाजपा के निलंबित विधायक पुत्र मानवेन्द्र सिंह के खिलाफ अनुशासनहीनता के मामले में बर्खास्तगी की कार्रवाई से प्रदेश नेतृत्व संभवतया पीछे हट गया है।
जसवंत सिंह के पक्ष में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा के केन्द्रीय नेतृत्व का रूख देखते हुए प्रदेश भाजपा अब इस मामले को ठंडे बस्ते में डाल रही है। निलंबन के ढाई महीने के बाद भी यह प्रकरण पार्टी की अनुशासन समिति को नहीं भेजा गया है।
भाजपा के संविधान के मुताबिक अनुशासनहीनता के मामले में कार्रवाई के लिए यह एक महीने की अवधि में ही यह प्रकरण प्रदेशाध्यक्ष की ओर से केन्द्रीय अनुशासन समिति के पास भेजा जाना चाहिए था।
अब पार्टी संविधान के मुताबिक अनुशासनहीनता के मामले में आगे की कार्रवाई का अधिकार प्रदेशाध्यक्ष और अनुशासन समिति के दायरे से बाहर होकर प्रदेश कार्य समिति ही ले सकेगी। जब भी प्रदेश कार्य समिति की बैठक बुलाई जाएगी, तभी यह प्रकरण कार्रवाई के लिए रखा जा सकेगा।
सूत्रों के मुताबिक जसवंत सिंह के पक्ष मेंबदली हुई परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए अब प्रदेश नेतृत्व भी आगामी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए है। ऐसे में अब संभवतया भाजपा का प्रदेश नेतृत्व राजनीतिक नियुक्ति की अटकलों के बारे में केन्द्रीय नेतृत्व के किसी निर्णय के बाद ही मानवेन्द्र सिंह के भविष्य का फैसला होगा। गौरतलब है कि मानवेन्द्र को बाड़मेर से निर्दलिय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ रहे अपने पिता जसवंत सिंह के समर्थन में प्रचार करने के आरोप में भाजपा से निलंबित किया गया था।
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अशोक परनामी का कहना है कि अनुशासनहीनता को लेकर प्रक्रिया के तहत ही आगे की कार्रवाई की जाएगी। अनुशासन समिति के पास मानवेन्द्र के अतिरिक्त अन्य कई मामले भी है।