मंगलवार, 1 जुलाई 2014

श्रीहनुमानचालीसा रहस्य- जीवन के ये 5 बड़े दुःख हर लेते हैं हनुमानजी



हिन्दू धर्मग्रंथों में ज्ञानियों में अग्रणी पुकारे गए श्रीहनुमान के स्वरूप, चरित्र, आचरण की महिमा ऐसी है कि उनका मात्र नाम ही मनोबल और आत्मविश्वास से भर देता है। रुद्र अवतार होने से हनुमानजी का स्मरण दु:खों का अंत करने वाला भी माना गया है।

श्रीहनुमान के ऐसे ही अतुलनीय आचरण, गुणों और विशेषताओं को श्रीराम के परमभक्त गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीहनुमानचालीसा में उतारा है। पूरी श्रीहनुमानचालीसा या इसकी 1 चौपाई का भी पाठ हनुमान भक्ति का न केवल सबसे श्रेष्ट, सरल उपाय है बल्कि धर्मशास्त्रों में बताए जीवन के पांच दु:खों का नाश करने वाला भी माना गया है।

श्रीहनुमानचालीसा के शुरुआती दोहे में हनुमानजी की महिमा का इस तरह स्मरण किया जाता है-

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि, विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

इस दोहे में बल, बुद्धि और विद्या पाने की कामना के साथ क्लेशों को हरने के लिए हनुमान से प्रार्थना की गई है। यहां जिन क्लेशों का अंत करने के लिए प्रार्थना की गई है, धर्मशास्त्रों में ये 5 कलह इस तरह भी उजागर हैं- अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश।

अगली स्लाइड्स पर जानिए व्यावहारिक अर्थों सहित ये पांच दु:ख, जिनका हर इंसान कभी न कभी सामना करता हैं और माना जाता है कि हनुमान भक्ति के प्रभाव से इनका शमन भी हो जाता है-




अविद्या- विद्या या ज्ञान का अभाव। विद्या व्यक्ति के चरित्र, आचरण और व्यक्तित्व विकास के लिए अहम है। व्यावहारिक रूप से भी किसी विषय पर जानकारी का अभाव असुविधा, परेशानी और कष्टों का कारण बन जाता है। इसलिए विद्या के बिना जीवन दु:खों का कारण माना गया है।

अस्मिता- स्वयं के सम्मान, प्रतिष्ठा के लिए भी व्यक्ति कई मौकों पर अहं भाव के कारण दूसरों का जाने-अनजाने उपेक्षा या अपमान कर देता है, जिससे बदले में मिली असहयोग, घृणा भी व्यक्ति के गहरे दु:ख का कारण बन सकती है।

राग- किसी व्यक्ति, वस्तु या विषय से आसक्ति से उनसे जुड़ी कमियां, दोष या बुराईयों को व्यक्ति नहीं देख पाता, जिससे मिले अपयश, असम्मान विरोध भी कलह पैदा करता है।




द्वेष- किसी के प्रति ईर्ष्या या बैर भाव का होना। यह भी कलह का ही रूप है, जो हमेशा ही व्यक्ति को बेचैन और अशांत रखता है।

अभिनिवेश- मौत या काल का भय। मन पर संयम की कमी और इच्छाओं पर काबू न होना जीवन के प्रति आसक्ति पैदा करता है। यही भाव मौत के अटल सत्य को स्वीकारने नहीं देता है और मृत्यु को लेकर चिंता या भय का कारण बनता है।

व्यावहारिक तौर से इन पांच दु:खों (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष व अभिनिवेश) से मुक्ति या बचाव बुद्धि, विद्या या बल से ही संभव है। धार्मिक दृष्टि से हनुमान उपासना से प्राप्त होने वाले बुद्धि और विवेक खास तौर पर ये पांच तरह के कलह दूर ही रखते हैं।

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