रविवार, 7 अगस्त 2011

पत्नी और साली को जलाया, आरोपी फरार


नई दिल्ली 
पुलिस ने शनिवार को दो महिलाओं को झुलसी हुई अवस्था में सफदरजंग अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस के मुताबिक, भारती अपने पति के साथ रेवला खानपुर में रहती है। शादी के बाद से उनके बीच अक्सर तनाव रहता था। इससे तंग आकर भारती अपने बेटे को पति के पास ही छोड़कर 20 दिन पहले मायके आ गई थी।

शनिवार को अचानक भारती का पति वहां पहुंच गया और यहां दोनों के बीच फिर विवाद हो गया। उस वक्त घर पर भारती की बहन पूनम भी मौजूद थी। गुस्साए पति ने भारती पर पेट्रोल छिड़क दिया। यह देखकर पूनम बीच-बचाव के लिए आई तो आरोपी ने उस पर भी पेट्रोल छिड़ककर दोनों को आग लगा दी और फरार हो गया।

जामिया मिलिया इस्लामिया की फर्जी डिग्रियां


नई दिल्ली। बड़ी कंपनियों में नौकरी दिलाने के लिए जामिया मिलिया इस्लामिया की फर्जी डिग्रियां बेचने के आरोप में दिल्ली पुलिस की अपराध शाखा ने शनिवार को पांच युवकों को गिरफ्तार किया है। इन युवकों में दो युवक दो साल से यह काम कर रहे थे।

संयुक्त पुलिस आयुक्त संदीप गोयल ने बताया कि पुलिस को मुखबिर ने सूचना दी की जामिया की फर्जी डिग्री बेचने के लिए तीन लोग आज आ रहे हैं। मुखबिर की निशानदेही पर अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त प्रमोद कुशवाह और एसीपी एमसी कटोच की देखरेख में एक टीम का गठन किया गया और उनकी घेराबंदी की गई।

पुलिस टीम ने न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी थाना क्षेत्र में सूर्या होटल के पास पार्किंग में दबिश दी। यहां से पुलिस ने ग्रीन फील्ड कॉलोनी, फरीदाबाद निवासी निमेश पुरुथी, फ्रीडम फाइटर कॉलोनी नेबसराय निवासी मार्टिन और जामिया नगर निवासी आतिफ को दबोच लिया। तीनों एक कार में बैठकर ग्राहक का इंतजार कर रहे थे।

मौके पर तीनों के पास से बीए, बीकॉम, बीएड और 12वीं के चार फर्जी सर्टिफिकेट मिले। पूछताछ में इन्होंने बताया कि यह रेहान और जितेंद्र उर्फ साहिल से फर्जी सर्टिफिकेट बनवाते हैं। तीनों के बताए पते पर पुलिस ने छापेमारी की और रेहान और जितेंद्र को भी गिरफ्तार कर लिया। इनके पास से लैपटॉप, पेन ड्राइव और अन्य फर्जी कागजात बरामद किए।

पूछताछ में पता चला कि रेहान और जितेंद्र इस धंधे का मास्टरमाइंड है। यह दोनों फर्जी सर्टिफिकेट तैयार करते थे और निमेश, मार्टिन और आतिफ ग्राहकों की व्यवस्था कर सर्टिफिकेट को 50 से 55 हजार रुपये में बेच देते थे। गिरोह अब तक 100 से भी ज्यादा लोगों को फर्जी दस्तावेज बेच चुका है। पुलिस ने बताया कि निमेश नोएडा में एक कंपनी में सहायक प्रबंधक हैं। जबकि आतिफ आरेंज बिजनेस सर्विसेज टेलीकॉम कंपनी, गुड़गांव में फेसिलिटी हेल्प डेस्क एग्जीक्यूटिव है। मार्टिन रेस्टोरेंट एवं होटल में फूड एंड ब्रेवरीज सलाहकार का काम करता है। इसके अलावा रेहान खान बाटला हाउस में प्रापर्टी डीलर है।

पुलिस के सामने प्रेमी के साथ पेश हुई मरी हुई काजल

लखनऊ। फिलवक्‍त काजल नाम की एक लड़की लखनऊ के सरोजनी नगर पुलिस के लिये पहेली बन चुकी है। हुआ कुछ यूं कि काजल के घर वालों के कहने पर पुलिस ने हत्‍या का मुकदमा दर्ज कर लिया और उसके प्रेमी की तलाश शुरु कर दी। मामले को ज्‍यादा वक्‍त भी नहीं गुजरा था कि काजल अचानक पुलिस के सामने आ गई और बताया कि वह ही काजल है और वह‍ जिंदा है।

गौरतलब है कि शुक्रवार को काजल के घर के सामने एक लड़की की लाश मिली जिसके सिर में गोली लगी थी। घर वालों ने लाश को देखकर यह दावा कि यह उनकी बेटी काजल का शव है और आरोप लगाया कि काजल के प्रेमी ने उसकी हत्‍या कर दी है। पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर लिया और छानबीन शुरु कर दी। पुलिस ने शव को पोस्‍टमार्टम के लिये भी भेज दिया। काजल के पिता ने पुलिस को बताया कि उनकी बेटी 11 जुलाई को लापता हो गई थी जिसका शव आज बरामद हुआ है।

इस मामले की छानबीन चल रही थी कि इसी बीच काजल थाने पहुंच गई। काजल ने जब अपना परिचय दिया तो पुलिस दंग रह गई। काजल ने पुलिस को बताया कि वह ही काजल है और सही सलामत है। काजल अपने प्रेमी के साथ थाने पहुंची थी। उसने पुलिस को बताया कि उसने अपने प्रेमी से लव मैरिज कर लिया है जिसके चलते घरवाले मुझे धमका रहे हैं। काजल के मुताबिक वो तरुण से प्यार करती थी, लेकिन उसके घरवालों को ये रिश्ता मंजूर नहीं था इसलिए 11 जुलाई को उसने तरुण के साथ भागकर शादी कर ली थी। पुलिस भी इस वाकये से सन्न है और उसे काजल के घर वालों की भूमिका संदिग्ध लग रही है।

फिर जो मरी वो कौन थी?

मामला अब बेहद ही पेंचीदा हो गया है। क्‍योंकि कत्‍ल तो हुआ है मगर लिखापढ़ी में जिसका कत्‍ल हुआ है वह तो जिंदा है। तो ऐसे में एक रहस्‍यमय सवाल यह सामने आ रहा है कि खून से लथपथ जिस युवती का शव बरामद हुआ आखिर में वह कौन थी। गनीमत हुई कि शव का अंतिम संस्कार होने से पहले ही पुलिस पहुंच गई और आनन-फानन में अंतिम संस्‍कार रुकवाया। अब पुलिस इस उधेड़बुन में है कि जिसकी हत्या हुई, वह कौन थी? यह वारदात बेहद ही सनसनीखेज है। बदमाशों ने एक युवती की माथे पर गोली मारकर हत्या कर दी। उसके साथ दुराचार किए जाने की भी आशंका है।

अमर प्रेम के प्रतीक मूमल-महेन्द्रा












अमर प्रेम के प्रतीक मूमल-महेन्द्रा




जैसलमेर। अद्वितीय सौन्दर्य की स्वामिनी मूमल व अदम्य साहस के प्रतीक महिन्द्रा के अटूट प्रेम को हजारों वर्ष बाद भी लोकप्रियता हासिल है। एक-दूसरे से बेइंतहा प्रेम करने वाले इन दीवानों के प्रेम का हालांकिदु:खद अंत हुआ, लेकिन स्वर्णनगरी के भ्रमण को आने वाले देशी-विदेशी सैलानी यहां मूमल की मेड़ी को देखकर उसकी प्रेम कहानी से काफी प्रभावित होते हंै।


मन में प्रेम कथा का विचार कौंधते ही मानस पटल पर प्रेम के पुजारी हीर-रांझा, सोहनी-महीवाल, शीरी फरहाद, जूलियट-सीजलर, लैला-मजनू और बूवना-जलाल का नाम सामने आ जाता है। ऎसे में मरूप्रदेश की मूमल व अमरकोट (पाकिस्तान) निवासी उनके प्रियतम महेन्द्रा की प्रेम कहानी को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। मूूमल की कलात्मक मेड़ी का बखान लोक गीतों में भी किया जाता है। बुजुर्ग बताते हैं कि जैसलमेर की प्राचीन राजधानी लौद्रवा (जिला मुख्यालय से 14 किमी दूर) में शिव मंदिर के समीप व काक नदी के किनारे आज भी मूमल की मेड़ी के अवशेष मौजूद है, जो कि इस अमर प्रेम कहानी के मूक गवाह बने हुए है। यहां आने वाले सैलानी भग्नावशेष के रूप में दिखाई देने वाली मेड़ी को देखकर उन दिनों की कल्पना करते हैं जब रेगिस्तान के मीलों लंबे समंदर को पार कर अमरकोट से महेन्द्रा अपनी प्रियतमा मूमल से मिलने यहां आता था।


यह है कथा
इतिहासविदों व साहित्यकारों ने मूमल-महेन्द्रा की प्रेम कथा को अलग-अलग ढंग से पेश किया है, लेकिन सभी में एक बात सामान्य है कि उनका इस लोक में सुखद मिलन नहीं हो पाया। कहानी कुछ इस प्रकार है कि सुंदरता की स्वामिनी मूमल की ख्याति सुनकर अमरकोट का महेन्द्रा उसकी एक झलक पाने के लिए काक नदी के समीप मूमल के महल के समीप पहुंचा और अपनी सूझबूझ से महल की सभी बाधाओं व भूलभुलैया को पार कर मूमल को अपना दीवाना बना दिया।


महेन्द्रा प्रतिदिन अमरकोट से ऊंट पर सवार होकर सौ कोस दूर स्थित लौद्रवा में मूमल से मिलने उसके महल आता और भोर होने से पहले ही लौट जाता। एक दिन दुर्भाग्यवश देरी से पहुंचे महेन्द्रा ने मूमल को पुरूष वेश में उसकी बहिन सूमल के साथ देखा, जिससे उसके मन में दुर्भावनाओं ने घर कर लिया। उसके बाद वह मूूूमल से मिले बिना ही वहां से लौट गया और फिर लौटकर उसके पास कभी नहीं आया। महेन्द्रा के कई दिनों तक लौद्रवा न आने से मूमल भी विरह वेदना में जलती रही। जब महेन्द्रा का भ्रम दूर हुआ तब तक बहुत देर हो चुकी थी। हालांकि दोनों प्रेमियों इसके बाद कभी मिलन नहीं हुआ, लेकिन उनकी प्रणय कथा सच्चे प्रेमियों के लिए आदर्श बन चुकी है।


सुंदरता का पर्याय
मरूप्रदेश में सुंदर बेटी या बहू को मूमल की उपमा दी जाती है। अन्तरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त मरू महोत्सव में भी प्रतिवर्ष मिस मूमल सौन्दर्य प्रतियोगिता होती है। इस प्रतियोगिता को जीतने का सपना संजोए न केवल जिले से, बल्कि दूर-दराज की कई युवतियां यहां पहुंचती है।

बालिका संख्या मे गिरावट ने चिंता की लकीरें


जालोर। जनगणना 2011 के आंकड़ों मे हर ओर जालोर की प्रगति दिखती है। साक्षरता दर के बढ़ने से सकारात्मक संकेत मिले हैं। लेकिन प्रति हजार पुरूषों पर महिलाओं की संख्या और प्रति हजार बालकों पर बालिका संख्या मे गिरावट ने चिंता की लकीरें खींच दी है।
जनगणना 2011 के ताजा जारी आंकड़ें बताते हैं कि पिछली जनगणना से इस बार की जनगणना मे प्रति हजार पुरूष पर महिलाओ की संख्या मे गिरावट आई है। जनगणना 2001 मे जालोर जिले में प्रति हजार पुरूषो पर महिलाओ की संख्या 964 थी। जो जनगणना 2011 मे घट कर 951 रह गई है। प्रति हजार पुरूषों पर महिलाओ की संख्या के आधार पर गत जनगणना मे जहां जिले का स्थान 7वां था। वो जनगणना 2011 मे दो स्थान नीचे खिसक कर 9वें स्थान पर आ गया है।
बालिकाओं की स्थिति विकट
जो सबसे ज्यादा सोचनीय विषय है, वो है 0-6 वर्ष तक की बालिका शिशु दर मे गिरावट। जनगणना 2011 के आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले मे प्रति हजार बालको पर बालिकाओ की संख्या घट कर सिर्फ 891 रह गई है। जो इससे पूर्व जनगणना 2001 में 921 थी। एक दशक मे जिले मे प्रति हजार बालको पर बालिका संख्या मे 30 की गिरावट आई है जो जिले की 11वीं सबसे बड़ी गिरावट है।
वहीं प्रति हजार बालको पर बालिका संख्या की वरीयता सूची में जनगणना 2001 में जिले का स्थान 11वां था। जो अब घट कर 15वां हो गया है।

बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए ,साइकिल वितरण योजना इस वर्ष भी लेटलतीफी की शिकार



जैसलमेर। राज्य सरकार की ओर से बालिका शिक्षा को बढ़ावा देने के लिए किए जा रहे प्रयास की कड़ी में शुरू की गई साइकिल वितरण योजना इस वर्ष भी लेटलतीफी की शिकार है। नया शैक्षणिक सत्र शुरू हुए एक माह से अघिक का समय बीत चुका है, लेकिन छात्राओं को दी जाने वाली साइकिलें अभी फाइलों में ही चल रही हैं।

वैसे भी चार वर्ष पूर्व शुरू की गई इस योजना में लाभान्वित होने वाली छात्राओं को करीब-करीब हर वर्ष साइकिल पाने के लिए इंतजार ही करना पड़ा है। इस बार भी कुछ ऎसे ही हालात नजर आ रहे हंै। हालांकि इन बालिकाओं की ओर से अपने हिस्से की निर्घारित राशि भी जमा करवाई जा चुकी है, फिर भी उन्हें साइकिलों का इंतजार है।

यह है योजना
शिक्षण संस्थाओं से दूरी पर निवास करने वाली बालिकाओं के लिए आगे की शिक्षा में विद्यालय की दूरी रूकावट नहीं बने, इसे लेकर बजट घोषणा 2007-08 में यह योजना लागू की गई थी।


योजना में इस बार नियमों में फेरबदल भी किया गया है। मसलन पूर्व में ग्रामीण क्षेत्रों में निवास करने वाली दसवीं में प्रवेश लेने वाली बालिकाओं को ही साइकिलें मिल रही थी, जबकि इस वर्ष नवीं और दसवीं दोनों कक्षाओं के लिए यह योजना रखी गई है। इसी प्रकार पूर्व में बालिका के गांव से दो से पांच किमी की दूरी पर कोई शिक्षण संस्था नहीं होने पर ही वे इसके लिए पात्र थीं। अब जिस छात्रा के गांव में माध्यमिक विद्यालय नहीं है, वह इसके लिए पात्र है। पहले जहां पूर्व में छात्रा को अपनी ओर से तीन सौ रूपए का अंशदान जमा करवाना पड़ता था, वहीं अब यह राशि घटा कर सौ रूपए कर दी गई है।

जिले में स्थिति
योजना का मूल मकसद यह है कि विद्यालय से घर की दूरी किसी भी हालत में शिक्षण कार्य में बाधक न बने। ऎसे में इस योजना से जिले की अघिक से अघिक छात्राओं के लाभान्वित होने की उम्मीद है। हालांकि अब पहले की अपेक्षा विद्यालयों की संख्या में अघिक बढ़ोतरी हुई है, फिर भी कई ऎसे गांव है, जिनसे विद्यालयों की दूरी अघिक है। जिले में चालू शैक्षणिक सत्र में 219 छात्राओं ने अंशदान की राशि निर्घारित समयावघि में जमा करवाई है, जिन्हें नई साइकिलों का इंतजार है।

वर्ष दर वर्ष बढ़ी संख्या
सीमावर्ती जिले में सुदूर ग्रामीण अंचलों में छितराई ढाणियों में निवास करने वाली वे बालिकाएं, जिनके गांव या ढाणी से विद्यालय दूर है, उनके लिए यह योजना लाभदायक साबित हो रही है। यही कारण है कि योजना के लागू होने के गत चार वर्षो के दौरान लाभान्वित बालिकाओं की संख्या में प्रति वर्ष बढ़ोतरी होती जा रही है। वर्ष 2007-08 में 58 बालिकाओं को इस योजना में साइकिलें मिलीं। इसी प्रकार वर्ष 2008-09 में 88 , वर्ष 2009-10 में 72 और वर्ष 2010-11 में 135 बालिकाओं को इस योजना के तहत साइकिल देकर लाभान्वित किया गया। चालू वित्तीय वर्ष में 219 बालिकाओं ने साइकिलों के लिए आवेदन किया है।

डिमांड भेजी जा चुकी है
जिन छात्राओं ने राशि जमा करवाई थी, उसकी डिमांड बीकानेर भिजवाई जा चुकी है। साइकिलों की सप्लाई आते ही उनका वितरण कर दिया जाएगा। - दलपतसिंह, अतिरिक्त जिला शिक्षा अघिकारी, जैसलमेर

जोधपुर न्यूज़ बॉक्स .........आज की तजा खबरे


स्कार्पिओ के पलटने से उसमें सवार दो जनों की मौत

जोधपुर/देचू। फलोदी क्षेत्र में मड़ला कलां के पास शनिवार देर शाम तेज रफ्तार स्कार्पिओ के पलटने से उसमें सवार दो जनों की मौत हो गई। कार्यवाहक थाना प्रभारी भंवरसिंह राजपुरोहित के अनुसार जैसलमेर में चांदसमा निवासी स्वरूप सिंह (35) पुत्र डूंगरसिंह तथा सुरेश सैन (50) पुत्र राणीदान आज घरेलू कार्य से स्कॉर्पिओ लेकर पोकरण गए थे।
वहां से दोनों शाम को चांदसमा के लिए रवाना हुए। स्वरूप सिंह स्कॉर्पिओ चला रहा था। पोकरण रोड पर मड़ला कलां के पास तेज रफ्तार स्कॉर्पिओ अनियंत्रित होकर सड़क पर पलटी खा गई। उसमें सवार दोनों बुरी तरह फंस गए।
वहां से गुजर रहे लोगों ने मशक्कत के बाद उन्हें बाहर निकाला, लेकिन तब तक उनकी मृत्यु हो चुकी थी। सूचना पर पुलिस वहां पहुंची और परिजनों को जानकारी दी। पुलिस ने बगैर पोस्टमार्टम करवाए शव परिजनों को सौंपे। मृतक स्वरूप सिंह के भाई सवाई सिंह की रिपोर्ट पर पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू की है।

तीन साल के कठोर कारावास की सजा



जोधपुर। मजदूरी पर गए एक श्रमिक के घर से उसकी मोटरसाइकिल चुराने के आरोपी युवक को मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट की अदालत ने तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई है। अदालत ने डांगियावास थाना क्षेत्र के जालेली नायला निवासी आरोपी नाथूराम मेघवाल पर दो हजार रूपए का जुर्माना भी लगाया है।

अदालत में नाथूराम के वकील का कहना था कि पुलिस उसे झूठा फंसा रही है। वह तो मोटरसाइकिल चलाना भी नहीं जानता। पुलिस को जब भी किसी मामले में कोई अभियुक्त नहीं मिलता, तो नाथूराम को पकड़ कर ले जाती है। बचाव पक्ष ने उसे निर्दोष बताया। इसके विपरीत सरकारी वकील ने आरोपी के खिलाफ पूर्व में हुई दोषसिद्धि का हवाला देकर उसे दण्डित करने का आग्रह किया।

दोनों पक्षों की सुनवाई के बाद मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट मुकेश ने नाथूराम को तीन साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई। सनद रहे कि बनाड़ में अम्बेडकर नगर निवासी बाबूलाल मेघवाल ने 2 जनवरी 2011 को पुलिस को रिपोर्ट दी थी कि 8 दिसम्बर 2010 की शाम सात बजे वह मजदूरी से घर आया तो उसकी मोटरसाइकिल घर पर नहीं थी।

काफी तलाश करने पर भी मोब्ा्रारइकिल का पता नहीं चला। पुलिस ने इस प्रकरण की छानबीन के दौरान आरोपी नाथूराम को गिरफ्तार कर मोटरसाइकिल बरामद की थी।

'अघिवक्ता ईमानदारी से पैरवी करें'


बार एसोसिएशन की कार्यशाला
बाड़मेर जिला परिषद कार्यालय में शनिवार को आर्ट ऑफ एडवोकेसी एवं प्रोफेशनल एथिक्स पर बार एसोसिएशन की कार्यशाला का आयोजन हुआ। अधिवक्ताओं को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधिपति आरएस राठौड़ ने कहा कि अधिवक्ता को सबसे पहले एक साइक्लॉजिस्ट होना चाहिए। कड़ी मेहनत कर अपने पक्षकार की पैरवी करनी चाहिए। अगर पक्षकार आपको अच्छे माक्र्स देकर पास कर देता है तो निर्णय कुछ भी हो यह पक्षकार के भाग्य पर निर्भर है। उन्होंने अधिवक्ताओं से टेबल वर्क कर अपने पक्षकार की ईमानदारी से पैरवी करने की बात कही। बार एसोसिएशन के अध्यक्ष सोहनलाल चौधरी ने जिले में अधिवक्ताओं को अधिक जागरूक रहकर पक्षकारों की पैरवी करने पर जोर दिया। उन्होंने मुख्यालय पर मुंसिफ कोर्ट, ग्रामीण न्यायालय व एएमजेएम के खाली कोर्ट में पीठासीन अधिकारी नियुक्त करने एवं एनडीपीएस कोर्ट जोधपुर से बाड़मेर लाने की मांग की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए न्यायाधिपति डॉ.विनित कोठारी ने प्रोफेशनल इथिक के बारे में नव अधिवक्ताओं को पाठ पढ़ाया। उन्होंने कहा जितनी मेहनत करेंगे उतने ही अधिक रूप से निखार आएगा। इससे 10-15 वर्षों बाद मेहनत का फल मिलना तय है। उन्होंने युवा अधिवक्ताओं से बुजुर्ग अधिवक्ताओं को सम्मान देने की बात कही।
विशिष्ट अतिथि विधायक मेवाराम जैन ने नए अधिवक्ताओं की सुविधा के लिए पांच लाख रुपए अपने विधायक कोटे से देने की घोषणा की। कार्यशाला में कलेक्टर गौरव गोयल ने अपने विचार व्यक्त किए। कार्यशाला की शुरुआत सुनीता चौधरी ने अतिथियों के तिलक लगा कर की गई। उगम सिंह राठौड़ ने कार्यशाला को समाप्त करने की घोषणा की। कार्यशाला का संचालन अमृतलाल जैन ने किया

एनीकट की निगरानी के लिए होमगार्ड तैनात


एनीकट की निगरानी के लिए होमगार्ड तैनात

बाड़मेर डोली में आए जोधपुर की फैक्ट्रियों के रासायनिक पानी को रोकने के लिए बने एनीकट की मरम्मत का कार्य पूरा कर लिया गया है। इसके साथ ही इस एनीकट को कोई नुकसान नहीं पहुंचाए इस लिहाज से एहतियातन चार-चार होमगार्डों की ड्यूटी दिन-रात के लिए यहां लगाई गई है। डोली में प्रदूषित पानी के कहर के बाद गांव में चिकित्सा विभाग की टीमों ने जायजा लेकर यहां डीडीटी पाउडर का छिड़काव करने के साथ एकत्रित पानी में गंबूचिया मछलियां डाली गई हैं।

रेत के कट्टे डलवाए

क्षतिग्रस्त एनीकट के पास डेढ़ हजार रेत के कट्टे डलवाकर रासायनिक पानी की आवक रोक दी गई है। रासायनिक पानी की आवक रोकने व एनीकट बांधने के लिए यहां पर नरेगा श्रमिक भी लगाए गए हैं। एनीकट में अभी करीब 9 किलोमीटर तक पानी भरा हुआ है। ऐसे में क्षतिग्रस्त होने पर फिर से पानी गांव में आ सकता है। वहीं डोली के देवासी गांव में घरों के आगे रासायनिक पानी भरा होने से ग्रामीणों को इस पानी में से होकर गुजरना पड़ रहा है। किसानों ने रासायनिक पानी घुस जाने से हुई फसलों के खराबे का मुआवजा दिलाने की भी मांग की है। उल्लेखनीय है कि पिछली बार हुए फसल खराबे के बाद मुआवजा इतना कम दिया जा रहा था कि कई काश्तकारों ने इसे लेने से मना कर दिया था। किसानों का आरोप है कि उनकी जितनी फसलें बर्बाद हुई है, उसका एक चौथाई भी उन्हें मुआवजे के रूप में नहीं दिया जाता