जालोर। जनगणना 2011 के आंकड़ों मे हर ओर जालोर की प्रगति दिखती है। साक्षरता दर के बढ़ने से सकारात्मक संकेत मिले हैं। लेकिन प्रति हजार पुरूषों पर महिलाओं की संख्या और प्रति हजार बालकों पर बालिका संख्या मे गिरावट ने चिंता की लकीरें खींच दी है।
जनगणना 2011 के ताजा जारी आंकड़ें बताते हैं कि पिछली जनगणना से इस बार की जनगणना मे प्रति हजार पुरूष पर महिलाओ की संख्या मे गिरावट आई है। जनगणना 2001 मे जालोर जिले में प्रति हजार पुरूषो पर महिलाओ की संख्या 964 थी। जो जनगणना 2011 मे घट कर 951 रह गई है। प्रति हजार पुरूषों पर महिलाओ की संख्या के आधार पर गत जनगणना मे जहां जिले का स्थान 7वां था। वो जनगणना 2011 मे दो स्थान नीचे खिसक कर 9वें स्थान पर आ गया है।
बालिकाओं की स्थिति विकट
जो सबसे ज्यादा सोचनीय विषय है, वो है 0-6 वर्ष तक की बालिका शिशु दर मे गिरावट। जनगणना 2011 के आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले मे प्रति हजार बालको पर बालिकाओ की संख्या घट कर सिर्फ 891 रह गई है। जो इससे पूर्व जनगणना 2001 में 921 थी। एक दशक मे जिले मे प्रति हजार बालको पर बालिका संख्या मे 30 की गिरावट आई है जो जिले की 11वीं सबसे बड़ी गिरावट है।
जो सबसे ज्यादा सोचनीय विषय है, वो है 0-6 वर्ष तक की बालिका शिशु दर मे गिरावट। जनगणना 2011 के आंकड़ों पर नजर डाले तो जिले मे प्रति हजार बालको पर बालिकाओ की संख्या घट कर सिर्फ 891 रह गई है। जो इससे पूर्व जनगणना 2001 में 921 थी। एक दशक मे जिले मे प्रति हजार बालको पर बालिका संख्या मे 30 की गिरावट आई है जो जिले की 11वीं सबसे बड़ी गिरावट है।
वहीं प्रति हजार बालको पर बालिका संख्या की वरीयता सूची में जनगणना 2001 में जिले का स्थान 11वां था। जो अब घट कर 15वां हो गया है।
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