शुक्रवार, 9 नवंबर 2018

टिकट कटने से नाराज कांग्रेस नेता ने खाया ज़हर, पार्टी पर लगाए ये आरोप

 टिकट कटने से नाराज कांग्रेस नेता ने खाया ज़हर, पार्टी पर लगाए ये आरोप
VIDEO : टिकट कटने से नाराज कांग्रेस नेता ने खाया ज़हर, पार्टी पर लगाए ये आरोप

ग्वालियर। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में टिकटों के बंटवारे को लेकर कई उम्मीदवार आहत हैं। पार्टी के फैसले के खिलाफ कोई निर्दलीय चुनाव मैदान में ताल ठोंकने की बात कर रहा है, तो किसी ने पार्टी ही बदल ली, लेकिन ग्वालियर में तो कांग्रेस के पूर्व जिला महामंत्री प्रेम सिंह कुश्वाह टिकट नहीं मिलने से इतना आहत हुए कि चूहे मारने की दवा ही खा ली। उन्होंने कांग्रेस नेता माधराव सिंधिया की प्रतिमा के पास जहर खाया। आनन-फानन में उन्हें जेएएच अस्पताल में भर्ती कराया गया है। जहां उनका गंभीर हालत में इलाज चल रहा है।दरअसल प्रेम सिंह कुश्वाह ग्वालियर दक्षिण विधानसभा सीट से टिकट मांग रहे थे, लेकिन पार्टी ने उन्हें इस बार मौका नहीं दिया। इससे आहत प्रेम सिंह ने नदी गेट के पास चूहे मारने की दवा खा ली। पूर्व महामंत्री कुश्वाह ने पार्टी पर आरोप लगाया कि वो बाहरी नेताओं को टिकट दे रही है।

पांच बीवियों ने लगातार किया रेप, मारा गया पति..

अबुजा:पांच बीवियों ने लगातार किया रेप, मारा गया पति..पांच बीवियों ने लगातार किया रेप, मारा गया पति...
अबुजा: पतियों द्वारा पत्नियों को बेवफाई की सज़ा देने के नाम पर उन्हें मारने-पीटने के किस्से आम सुनाई देते हैं, लेकिन नाइजीरिया में एक बेहद दुर्लभ किस्म का मामला सामने आया है, जहां एक करोड़पति व्यक्ति के साथ उसकी छह में से पांच बीवियों ने लगातार बलात्कार किया, और तब तक करती रहीं, जब तक उसके प्राण न निकल गए। इन पांच बीवियों का आरोप था कि वह अपनी छठी और युवा बीवी को अधिक तव्वजो देता है।


नाइजीरिया के समाचारपत्र 'डेली पोस्ट' में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक पिछले सप्ताह बिनेयू प्रांत में करोड़पति कारोबारी यूरोको ओनोजा अपनी छठी और सबसे युवा बीवी के साथ संसर्ग कर रहा था कि उसी वक्त उसकी बाकी पांचों बीवियां छुरे और लट्ठ लेकर उसके कक्ष में आ धमकीं।

टिप्पणियां इन पांचों पत्नियों ने ओनोजा को जान से मार डालने की धमकी देकर तुरंत उन पांचों के साथ भी यौनसंबंध स्थापित करने का आदेश दिया। बीवियों के इस हमले का ओनोजा ने विरोध किया, लेकिन बीवियों ने उस पर काबू पा लिया और आदेश दिया कि सबसे युवा बीवी के साथ शुरू हुआ यौन संसर्ग का सिलसिला इसी प्रकार उल्टे वरिष्ठता क्रम में अंजाम दिया जाए। 'डेली पोस्ट' में बताया गया है कि जब ओनोजा इस उल्टे वरिष्ठता क्रम में पांचवीं बीवी के साथ यौन संसर्ग कर रहा था तो उसने दम तोड़ दिया।



ओनोजा की छठा और सबसे युवा पत्नी के अनुसार, ओनोजा को मरा हुआ देखकर उसकी पांचों बीवियां जंगल में भाग गईं। गांव के प्रमुख ओकेपे ओदोह ने बताया कि मामले की जानकारी तत्काल पुलिस को दी गई थी, जिन्होंने दो बीवियों को गिरफ्तार कर लिया है।

पुत्र बना 'कुपुत्र': कलयुगी बेटे ने मां को बनाया हवस का शिकार, सात साल के बेटे के सामने किया कथित रेप

पुत्र बना 'कुपुत्र': कलयुगी बेटे ने मां को बनाया हवस का शिकार, सात साल के बेटे के सामने किया कथित रेप

भोपाल : मध्‍यप्रदेश के बड़वानी जिले में एक ऐसा मामला सामने आया है जिसने रिश्‍तों को शर्मसार कर दिया है. बड़वानी के सेंधवा ग्रामीण पुलिस थाना क्षेत्र के सुरानी गांव में पुलिस ने 45 वर्षीय महिला से कथित दुष्कर्म के आरोप में उसके 30 वर्षीय बेटे को गिरफ्तार किया है. यह मामला दो सितंबर का है.

पुत्र बना 'कुपुत्र': कलयुगी बेटे ने मां को बनाया हवस का शिकार, सात साल के बेटे के सामने किया कथित रेप


बताया जा रहा है कि महिला अपने घर पर सो रही थी और उसका विकलांग पति घर से बाहर गया हुआ था. महिला का बड़ा बेटा कालू अपने तीन बच्चों के साथ उनके साथ ही रहता था. कालू रविवार रात को अपनी मां के पास आया और उसके साथ बदतमीजी करने की कोशिश की. जब महिला ने उसे रोका तो उसने महिला के गले पर दराता रखकर जान से मारने की धमकी देकर उसे कथित रूप से हवस का शिकार बनाया.




सेंधवा ग्रामीण पुलिस थाने के प्रभारी निरीक्षक दिनेश चौहान ने बताया कि सुरानी गांव की 45 वर्षीय महिला की शिकायत पर कथित रूप से दुष्कर्म करने और जान से मारने की धमकी देने के आरोप में महिला के बड़े बेटे को सोमवार रात को गिरफ्तार किया गया है. उन्होंने महिला की शिकायत के हवाले से बताया कि घटना रविवार रात की है. उन्‍होंने बताया कि आरोपी के सात साल का बेटा इस मामले का चश्‍मदीद गवाह है लेकिन उसने डर की वजह से कुछ नहीं कहा है. इस मामले में जब महिला आरोपी के चंगुल से भागने के बाद उसने अपने रिश्‍तेदारों से संपर्क किया और उसने पूरा मामला उन्‍हें बताया जिसके बाद पुलिस में केस दर्ज कराया.




उन्होंने बताया कि पुलिस ने आरोपी के खिलाफ भादवि की धारा 376 और धारा 506 के तहत मामला दर्ज कर सोमवार रात को उसे गिरफ्तार कर लिया.

अम्मी को बचाने के लिए कमरा खुलवाते रहे बच्चे, देवर ने प्रेम-प्रसंग में कर दी भाभी की हत्या

अम्मी को बचाने के लिए कमरा खुलवाते रहे बच्चे, देवर ने प्रेम-प्रसंग में कर दी भाभी की हत्या
अम्मी को बचाने के लिए कमरा खुलवाते रहे बच्चे, देवर ने प्रेम-प्रसंग में कर दी भाभी की हत्या
गोपालगंज / फुलवरिया : सिरफिरे देवर ने प्रेम-प्रसंग में अपनी भाभी की हाथ-पैर बांधने के बाद मुंह में कपड़ा डालकर हत्या कर दी. वारदात को अंजाम देने के बाद उसे कमरे में बंद कर दिया. घटना फुलवरिया थाना क्षेत्र के श्रीपुर ओपी के पांडेय परसा गांव की है. पुलिस ने आरोपित देवर और उसके ससुर को गिरफ्तार कर लिया है. मृतक महिला आफताब आलम की पत्नी 32 वर्षीया शाहिना खातून थी. पुलिस ने मृतका के शव को बरामद करने के बाद पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल भेज दिया है. वारदात के बाद परिवार में मातम पसरा है. मृतका के पति आफताब आलम दोहा कतर में रहते हैं.

जानकारी के मुताबिक, शादी के बाद से ही शाहीना का अपने देवर मोहम्मद मोबिन शेख से प्रेम-प्रसंग चल रहा था. देवर और भाभी में दो-तीन दिनों से अनबन चल रहा था. इसी बीच, गुरुवार को दोनों के बीच अनबन के बाद नोकझोंक हुई. इसके बाद देवर ने वारदात को अंजाम दिया.

देवर और ससुर को पुलिस ने किया गिरफ्तार

वारदात के बाद जांच के लिए पहुंची पुलिस ने कमरे से रस्सी और कपड़े को बरामद करने के बाद आरोपित देवर और ससुर को गिरफ्तार कर लिया है. गिरफ्तार मोबिन शेख और उसके पिता कलीम मियां से श्रीपुर ओपी की पुलिस गहन पूछताछ कर रही है. पुलिस के मुताबिक पूछताछ के दौरान आरोपित देवर ने हत्या करने की बात स्वीकार की है.

बेटी ने कहा, चाचा ने कमरा बंद कर की अम्मी की हत्या

अम्मी को बचाने के लिए कोई आगे नहीं आया. चाचा ने बाहर से दरवाजा बंद कर दिया था. अम्मी चिल्ला भी नहीं पा रही थी. उसके हाथ-पैर को बांध दिया गया था और मुंह में कपड़ा ठूंस दिया गया था. शाहिना खातून की हत्या के बाद जांच के लिए पहुंची पुलिस ने बच्चों से पूछताछ की है. मृतक महिला की आठ वर्षीया पुत्री रहिना खातून ने पुलिस को बताया कि उसके चाचा ने कमरे में बंद कर हत्या कर दी. वहीं, पांच साल के समीर अली ने भी घटना जानकारी दी. शाहिना खातून के तीन छोटे-छोटे बच्चे हैं. सबसे छोटा लड़का एक साल का है. पुलिस के मुताबिक पिछले तीन दिनों से दोनों के बीच विवाद चल रहा था. मोबाइल भी पुलिस के हाथ लगा है, जिसकी जांच चल रही है.

पहले हैवानों ने गैंगरेप किया, फिर गुप्तांग में डंडा डाला, महिला की मौत

पहले हैवानों ने गैंगरेप किया, फिर गुप्तांग में डंडा डाला, महिला की मौत

रांची: झारखंड के जामताड़ा जिले से एक दिल को दहला देने वाली घटना सामने आई है. दरअसल, यहां पर कुछ आरोपियों ने एक महिला के साथ पहले कथित गैंगरेप किया और उसके बाद महिला के गुप्तांग में डंडा तक डाल दिया. इस वजह से महिला की बाद में इलाज के दौरान मौत हो गई. क्षेत्र के पुलिस उपाधीक्षक बीएन सिंह ने बताया कि यह घटना जिले के नारायणपुर थाना क्षेत्र के उदयपुर में हुई. उन्होंने बताया कि इस घटना की जानकारी होते ही पुलिस ने कार्रवाई की और आरोपी पूर्व पति उदय को गिरफ्तार कर लिया है. जबकि इस घटना में शामिल अन्य आरोपियों की भी तलाश की जा रही है.


पहले हैवानों ने गैंगरेप किया, फिर गुप्तांग में डंडा डाला, महिला की मौत

सिंह ने बताया कि महिला पबिया में आयोजित काली पूजा के अवसर पर आयोजित संथाली यात्रा देखने के लिए गई हुई थी. जहां उसका पूर्व पति भी आया हुआ था. वह अपने दोस्तों के साथ जबरन महिला को उठाकर पास के खेत में ले गया. जहां दुष्कर्म की घटना को अंजाम दिया और उसके गुप्तांग में डंडे से चोट पहुंचायी. महिला बेहोश हो गई. सुबह लोगों ने उसके कराहने की आवाज सुनकर उसे इलाज के लिए सीएचसी नारायणपुर में दाखिल कराया. वहां से उसे सदर अस्पताल जामताड़ा रेफर किया गया. लेकिन सदर अस्पताल पहुंचने पर चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया.पुलिस अधिकारियों ने बताया कि महिला ने मौत से पूर्व स्थानीय लोगों को बताया कि उसके पूर्व पति ने ही उसके साथ इस घटना को अंजाम दिया और उसी ने दो अन्य दोस्तों के शामिल होने के बारे में जानकारी दी. इस संबंध में एसडीपीओ जामताड़ा बीएन सिंह ने अन्य पुलिस पदाधिकारी के साथ घटना स्थल का निरीक्षण किया और आवश्यक साक्ष्य जब्त किया.  उन्होंने कहा कि पुलिस इस मामले में सख्त कार्रवाई करेगी.  

M-777 और K-9 वज्र तोप बढ़ायेंगी भारतीय सेना की ताकत, बेड़े में होंगी शामिल


M-777 और K-9 वज्र तोप बढ़ायेंगी भारतीय सेना की ताकत, बेड़े में होंगी शामिल
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नई दिल्ली: भारतीय सेना ताकत में किसी से कम नहीं है और ये सेना ने कई बार प्रदर्शित भी किया है। अब भारतीय सेना की ताकत में और इजाफा होने जा रहा है। सेना के बेड़े में एम-777 अल्ट्रालाइट होवित्जर तोप और K-9 वज्र तोप शामिल होने जा रही हैं। 9 नवंबर को महाराष्ट्र के देवलाली में रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण और सेना प्रमुख जनरल बिपिन रावत इन तोपों को आधिकारिक तौर पर सेना में शामिल करेंगे।

इनके शामिल होने से भारतीय सेना की क्षमता बढ़ेगी। कहा जा रहा है कि पहले इन तोपों को पहले ही भारतीय सेना के बेड़े में शामिल किया जाना था। कुछ तकनीकी वजहों से इन्हें अब सेना को दिया जा रहा है। मीडिया सूत्रों के मुताबिक K-9 वज्र को साउथ कोरिया की कंपनी हनवहा टेक विन ने मेक इन इंडिया के तहत तैयार किया है।

साल 2020 तक 100 K-9 वज्र तोप भारतीय सेना के पास होंगी। इस प्रोजेक्ट के तहत सेना को 10 तैयार तोपें मिलेंगी, जबकि 90 का निर्माण मेक इन इंडिया के तहत होगा।बताया जाता है कि K-9 वज्र तोप 39 किमी तक अचूक निशाना लगाकर दुश्‍मन को मिटाने की क्षमता रखती है, यह तोप दिन और रात में कभी भी फायर करने में सक्षम बताई जाती है।


K-9 वज्र तोप तीन सेकेंड में तीन गोले दागने में सक्षम है। यह बख्तरबंद तोप 60 किलोमीटर प्रतिघंटे की गति से दौड़ सकती है और ये तोप रेगिस्तानी इलाकों में भी चलने में सक्षम बताई जा रही है।


वहीं भारतीय सेना की आर्टिलरी रेजीमेंट में वर्ष 2021 तक करीब 145 M-777 तोपें शामिल होंगी। इसका वजन मात्र 4.2 टन है। यह तोप 31 किमी तक एक मिनट में चार राउंड फायर कर सकती है और इसका गोला 45 किलो का बताया जाता है।

कहा जा रहा है कि इनको भारत-पाकिस्तान और चीन की सरहद पर तैनात किया जाएगा इन्हें अत्यधिक ऊंचाई से लेकर रेगिस्तान या फिर पहाड़ से लेकर बर्फीले पहाड़ों पर तैनात किया जा सकता है।

गुरुवार, 8 नवंबर 2018

*11 को लगेगी कांग्रेस की 105 सीटों के उम्मीदवारों के नामों पर मोहर*

*11 को लगेगी कांग्रेस की 105 सीटों के उम्मीदवारों के नामों पर मोहर*

जयपुर/ राजस्थान के कांग्रेस उम्मीदवारों के नामों की स्क्रीनिंग के बाद राज्य के 105 उम्मीदवारों को 11 नवम्बर को होने वाली केन्द्रीय चुनाव समिति की बैठक में पेश किया जाएगा, जहां उन्हें अंतिम मंजूरी दी जानी है। सीईसी 95 विधानसभा क्षेत्रों के उम्मीदवारों को पिछले सप्ताह मंजूरी दे चुकी है हालांकि अभी घोषणा नहीं हुई है। इनमें अधिकतर राज्य से आए एकल पैनल में शामिल थे, लेकिन शेष 105 नामों पर राज्य के नेताओं के बीच मतभेद होने से स्क्रीनिंग समिति अनौपचारिक बैठक कर सहमति बनाने की कोशिश में जुटी हुई है।बीते सोमवार को भी स्क्रीनिंग समिति ने करीब 50 विस क्षेत्रों में जिताऊ उम्मीदवारों के नामों पर मंथन किया था और उनका एक से अधिक नाम वाला पैनल तैयार किया गया। अब स्क्रीनिंग समिति अपनी बैठक में उन 55 नामों पर अपनी ओर से फैसला कर लेगी जो अब तक उसके स्तर पर बाकी हैं। साथ ही उम्मीदवार चयन का दूसरा चरण समाप्त हो जाएगा और उम्मीद है कि 11 नवम्बर को सीईसी प्रदेश की सभी सीटों से प्रत्याशियों की घोषणा करना शुरू कर देगी।

अश्लील फोटो खींच युवती के साथ दुष्कर्म

अश्लील फोटो खींच युवती के साथ दुष्कर्म

आसींद: अश्लील फोटो खींच युवती के साथ दुष्कर्म, ससुराल छोड़ने को लेकर गया था युवक-युवती को, अश्लील क्लिपिंग कर किया युवती को ब्लैकमेल, फेसबुक व्हाट्सएप पर फोटो वायरल करने की दी धमकी, परिजनों को बताने पर जान से मारने की धमकी, करेड़ा थाना क्षेत्र का मामला, करेड़ा पुलिस ने किया मामला दर्ज.

बाड़मेर उत्तरलाई एयरफोर्स के समीप दो संदिग्ध गिरफ्तार

बाड़मेर उत्तरलाई एयरफोर्स के समीप दो संदिग्ध गिरफ्तार

बाड़मेर। सीमावर्ती इलाके बाड़मेर में उत्तरलाई एयरफोर्स के पास घूम रहे दो संदिग्धों को सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में लिया है। एयरफोर्स के पास घूम रहे दोनों संदिग्धों को देख उन पर शक होने पर एयरफोर्स के सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें हिरासत में लिया है। शुरूआती जानकारी के मुताबिक, दोनों संदिग्ध पश्चिम बंगाल क्षेत्र के बताए जा रहे हैं और हिरासत में लिए जाने के बाद दोनों संदिग्धों से जानकारी जुटाने के लिए फिलहाल ग्रामीण थाना पुलिस उनसे पूछताछ कर रही है।

राजस्थान प्रदेश में 53 फीसदी वोटर 18 से 40 तक की उम्र के, फिर भी पार्टियां युवाओं को तवज्जो नहीं देती

राजस्थान प्रदेश में 53 फीसदी वोटर 18 से 40 तक की उम्र के, फिर भी पार्टियां युवाओं को तवज्जो नहीं देती
Most young voters in Jaipur
राजस्थान के 2.54 करोड़ युवा मतदाता नई सरकार के चयन में इस बार अहम रोल अदा करेंगे, जिनकी आयु 18 से 40 साल के बीच है। वर्तमान में युवा मतदाताओं की संख्या के मामले में जयपुर जिला टॉप पर है। इस अकेले एक ही जिले के 19 विधानसभा क्षेत्रों में 24.80 लाख युवा मतदाता हैं। अगर बात विधानसभा क्षेत्रों की जाए तो युवा मतदाताओं की संख्या के लिहाज से प्रदेशभर में झोटवाड़ा विधानसभा क्षेत्र टॉप पर है। यहां 1.94 लाख युवा मतदाता हैं। प्रदेश में इस बार कुल 4 करोड़ 72 लाख 20 हजार 597 मतदाता हैं।

सबसे अधिक युवा मतदाताओं वाले जिले

जिले का नाम कुल मतदाता युवा मतदाता


जयपुर 4556662 2480394

अलवर 2444927 1335890

नागौर 2364849 1262913

जोधपुर 2442544 1310038

सीकर 1979209 1067154

सबसे कम युवा मतदाताओं वाले जिले



जिले का नाम कुल मतदाता युवा मतदाता

प्रतापगढ़ 265996 265996

बूंदी 636093 340428

जैसलमेर 418912 247260

सिरोही 715797 383741

राजसमंद 850323 438122

सबसे अधिक युवा मतदाताओं वाले विधानसभा क्षेत्र
विधानसभा कुल मतदाता युवा मतदाता

झोटवाड़ा 356039 194619

बगरु 293929 169320

विद्याधर नगर 318501 169261

सांगानेर 301559 165198

बूंदी 286318 157335



सबसे कम युवा मतदाताओं वाले विधानसभा क्षेत्र

विधानसभा कुल मतदाता युवा मतदाता


केशोराय पाटन 102999 53874

जोधपुर 197565 92845

किशनपोल 196306 100408

खेतड़ी 202777 101785

अजमेर दक्षिण 200907 102300


राजस्थान की स्थिति एक नजर में

कुल मतदाता 47220597

18 से 40 आयु तक के युवा मतदाता 25481736

युवा मतदाताओं का प्रतिशत 53.96%

कुल बूथ 51796

नए मतदाता जुड़े 4083970

दलों की स्थिति

भाजपा : पार्टी में प्रदेशाध्यक्ष मदनलाल सैनी की उम्र 75 साल है। कार्यकारिणी के अधिकांश पदाधिकारी की उम्र 50 साल से ज्यादा है।

कांग्रेस : कांग्रेस पार्टी के प्रदेशाध्यक्ष की कमान तो पार्टी ने युवा नेता सचिन पायलट को थमा रखी है जिनकी आयु 40 साल है, लेकिन कार्यकारिणी में ऐसे नेताओं की भरमार है, जिनकी आयु 50 साल से अधिक हैं।

युवा नेताओं की ना मंत्रिमंडल में उचित भागीदारी और ना ही विधायकी में

2008 में 40 की उम्र तक के कुल 36 विधायक थे

विधानसभा में युवा विधायकों का प्रतिशत 18 प्रतिशत

2008 में मंत्रिमंडल की औसत उम्र 59 साल

2013 में 40 की आयु तक के कुल 35 विधायक

2013 में मंत्रिमंडल की औसत उम्र 60 साल

थार का चुनावी रण बाड़मेर मानवेन्द्र के पाला बदलने से गड़बड़ाया चुनावी गणित

थार का चुनावी रण 

बाड़मेर मानवेन्द्र के पाला बदलने से गड़बड़ाया चुनावी गणित 


राज्य विधानसभा चुनाव की तिथि निकट आने के साथ सीमावर्ती बाड़मेर जिले के रेगिस्तानी धोरों में सियासत गरमाने लगी है। भाजपा अपनी ताकत को बरकरार रखने के लिए और कांग्रेस रेगिस्तान में खो गई अपनी ताकत को फिर से हासिल करने का कवायद में जुटी है। गत विधानसभा चुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के इस गढ़ को पूरी तरह ढहा दिया था और सात में से छह सीट पर कब्जा जमा लिया था, लेकिन इस बार समीकरण पूरी तरह से बदले हुए नजर आ रहे है।

गत लोकसभा चुनाव में भाजपा के ठुकरा देने के बाद यहां से ताल ठोक निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे कद्दावर नेता जसवंत सिंह जसोल के कारण इस क्षेत्र पर पूरे देश की निगाह थी। यही कारण है कि गत लोकसभा चुनाव के पश्चात यहां का चुनावी गणित पूरी तरह से बदल चुका है। रही सही कसर जसवंत के बेटे विधायक मानवेन्द्र सिंह के कांग्रेस में शामिल होने से पूरी हो गई।


गत चुनाव में मोदी लहर के दौरान इस क्षेत्र के सबसे बड़े जातिय समूह जाटों ने खुलकर भाजपा का साथ दिया था। जबकि राजपूत भाजपा के साथ पहले से जुड़े थे। इस बार दोनों ने भाजपा से दूरी बना रखी है। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि भाजपा इन्हें कैसे अपने साथ जोड़े रख पाती है।



बाड़मेर शहर विधानसभा क्षेत्र में गत चुनाव में चली मोदी लहर अप्रभावी रही और कांग्रेस के मेवाराम जैन ने बाड़मेर की राजनीति के दिग्गज खिलाड़ी गंगाराम चौधरी की पोती प्रियंका चौधरी को पराजित कर यहां से जीत हासिल कर ली। इस बार भी इन दोनों के बीच में ही मुकाबला होता नजर आ रहा है। हालांकि यहां से सांसद कर्नल सोनाराम ने भी अपनी दावेदारी जता रखी है। देखने वाली बात होगी कि भाजपा किसे अपना प्रत्याशी चुनती है।


पचपदरा विधानसभा सीट पर अमराराम ने जीत हासिल की थी। उन्होंने कांग्रेस के मदन प्रजापत को पराजित किया था। एक बार फिर इन दोनों के बीच मुकाबला देखने को मिल सकता है।

बायतू सीट पर गत बार भाजपा के युवा प्रत्याशी कैलाश चौधरी ने दिग्गज नेता कर्नल सोनाराम को पराजित किया था। इसके बाद लोकसभा चुनाव में सोनाराम भाजपा में शामिल हो गए थे और यहां से सांसद का चुनाव जीत गए। अब भाजपा की तरफ से कैलाश के मैदान में उतरने की संभावना नजर आ रही है। वहीं कांग्रेस यहां से पूर्व सांसद हरीश चौधरी को अपना प्रत्याशी बना सकती है। हरीश को इस क्षेत्र के सबसे प्रभावशाली जाट नेता हेमाराम चौधरी का पूर्ण समर्थन हासिल है।


गुडामालानी सीट हमेशा से कांग्रेस का सबसे सुरक्षित किला माना जाता रहा है, लेकिन गत चुनाव में भाजपा ने यहां सेंध मार दी और उसके प्रत्याशी लादूराम विश्नोई ने हेमाराम को पराजित कर दिया था। अब हेमाराम चौधरी एक बार फिर पूरी तैयारी के साथ मैदान में उतरने जा रहे है. जबकि भाजपा लादूराम विश्नोई या उनके बेटे केके विश्नोई में से किसी एक को प्रत्याशी बना सकती है।



शिव से वर्तमान भाजपा विधायक मानवेन्द्र सिंह कांग्रेस हाथ थाम चुके है। ऐसे में भाजपा यहां से किसी नए चेहरे की तलाश में है। जबकि कांग्रेस अपने परम्परागत अमीन खान को यहां से मैदान में उतारने की तैयारी में है। हालांकि यहां से चौहटन में बरसों तक हावी रहे अब्दुल हादी का परिवार भी दावेदारी जता रहा है।


चौहटन सुरक्षित सीट पर तरुण राय कागा ने जीत हासिल की थी, लेकिन इस बार सीमावर्ती इस क्षेत्र में समीकरण बदले हुए नजर आ रहे है। कांग्रस व भाजपा यहां से किसी नए चेहरे की तलाश में है।

सिवाना में इस बार रोचक मुकाबला हो सकता है। कांग्रेस हमेशा से यहा किसी मूल ओबीसी जाति के व्यक्ति को अपना प्रत्याशी बनाती रही है। गत चुनाव में भाजपा के राजपूत प्रत्याशी हमीर सिंह ने जीत हासिल की थी। कांग्रेस की तरफ से इस बार यहां से मानवेन्द्र सिंह की पत्नी चित्रा सिंह का नाम सबसे आगे चल रहा है। हालांकि मानवेन्द्र कह चुके है कि उनके परिवार का कोई सदस्य चुनाव नहीं लड़ेगा। ऐसे में देखने वाली बात होगी कि उनकी पत्नी चुनाव लड़ती है या नहीं।







600 साल पहले इस सुल्तान ने दिया था अहमदाबाद नाम, अब बदलेगा!

600 साल पहले इस सुल्तान ने दिया था अहमदाबाद नाम, अब बदलेगा!

फैजाबाद-इलाहाबाद के बाद अब नाम बदलने की लिस्ट में अहमदाबाद शहर भी जुड़ गया है. जी हां, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपाणी ने भी कहा है कि अहमदाबाद का नाम बदलने की मांग काफी समय से हो रही है. अब अहमदाबाद का नाम बदलने पर विचार कर रहे हैं. इस शहर का नाम बदलकर 'कर्णावती' हो सकता है. जानिए क्यों अहमदाबाद का नाम  कर्णावती किया जा रहा है और शहर का नाम कैसे अहमदाबाद पड़ा.
600 साल पहले इस सुल्तान ने दिया था अहमदाबाद नाम, अब बदलेगा!

बता दें, गुजरात के उपमुख्यमंत्री नितिन पटेल ने बयान दिया कि वह पिछले काफी समय अहमदाबाद का नाम बदलने पर विचार कर रहे हैं. उनका कहना है कि अहमदाबाद का नाम बदल कर्णावती किया जा सकता है कैसे पड़ा इस शहर का नाम अहमदबाद: अहमदाबाद शहर भारत में, साबरमती नदी के तट पर मुंबई के उत्तर में स्थित है. देश का इकलौता ऐसा शहर है, जिसे UNESCO ने वर्ल्ड हेरिटेज सिटी के तौर पर शामिल किया गया है. माना जाता है कि 1411 AD में अहमदाबाद शहर को अहमदशाह बादशाह ने बनाया था, जिस वजह से इस शहर का नाम अहमदाबाद रखा गया था.हालांकि इससे पहले अहमदाबाद के आसपास का इलाका 11वीं सदी में बसना शुरू हुआ था. उस समय इसे 'अशवाल' कहा जाता था. चालुक्‍य शासक कर्ण ने अशवाल के भील शासक को युद्ध में हराकर साबरमती नदी के किनारे कर्णावती शहर को बसाया था.बता दें, 600 साल पहले अहमदाबाद को कर्णावती के नाम से भी जाना जाता था. इस शहार की नींव 1411 में डाली गई थी.  शहर का नाम सुलतान अहमद शाह पर पड़ा थाभारतीय स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान अहमदाबाद प्रमुख शिविर आधार रहा है. इसी शहर में महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की स्थापना की और स्‍वतंत्रता संघर्ष से जुड़ें अनेक आंदोलन की शुरुआत भी यही से हुई थी. इसी शहर में महात्मा गांधी ने साबरमती आश्रम की स्थापना की और स्‍वतंत्रता संघर्ष से जुड़ें अनेक आंदोलन की शुरुआत भी यही से हुई थी. अहमदाबाद बुनाई की कारीगरी के लिए भी काफी प्रसिद्ध है. इसके साथ ही यह शहर व्यापार केन्द्र के रूप में बहुत अधिक विकसित हो रहा है.राज्य के मुख्यमंत्री की घोषणा के बाद अब अहमदाबाद की बीजेपी मेयर का कहना है कि, वो भी अब कानूनी तौर पर इसे कर्णावती करने का प्रयास करेंगी. वहीं अहमदाबाद का नाम बदल कर कर्णावती रखने को लेकर लोगो में मिली जुली प्रतिक्रिया देखने मिली है. 

सुहागरात पर पति ने पार की हदें, पत्नी के प्राइवेट पार्ट पर किया वार

सुहागरात पर पति ने पार की हदें, पत्नी के प्राइवेट पार्ट पर किया वार



सुहागरात पर पति ने पार की हदें, पत्नी के प्राइवेट पार्ट पर किया वार
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सुहागरात पर एक पति ने अपनी पत्नी से हैवानियत की सारी हदें पार कर दी. पति के सिर संबंध बनाने की हवस इस कदर चढ़ी कि उसने दुल्हन के प्राइवेट पार्ट में लोहे की नुकीली रॉड से वार किया. मिली जानकारी के अनुसार, 8 जुलाई को पीड़िता का निकाह बागपत के सिंघावली अहीर थानाक्षेत्र में रहने वाले एक टीचर से हुआ. जब अगले दिन 9 जुलाई को नवविवाहिता का भाई गोद भराई की रस्म के लिए उसके ससुराल पहुंचा तो उसकी बहन नहीं दिखाई दी.जब ससुराल वालों से पूछा गया तो उन्होंने बताया कि उसकी तबीयत खराब है. नवविवाहिता के भाई ने बताया कि जब वह कमरे में पहुंचा तो उसकी बहन बेहोशी की हालत में पड़ी थी. वह ससुरालवालों के साथ वह उसे कई हॉस्पिटल में ले गया, लेकिन सभी जगह डॉक्टरों ने गाजियाबाद में एडमिट कराने के लिए कहा. फिर उसे गंभीर हालत में गाजियाबाद के मोहननगर हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया है. बताया जा रहा है कि उसके पति ने दुल्हन के प्राइवेट पार्ट में लोहे की नुकीली रॉड से वार किया. डॉक्टरों ने बताया कि दुल्हन की हालत गंभीर है. रॉड से चोट के कारण उसकी आंतें कट गई हैं.उसके प्राइवेट पार्ट में चोट पहुंची है और गर्भाशय को भी नुकसान पहुंचा है. पीड़िता के परिवारवालों ने सिंघावली अहीर थाने में पति, सास और ससुर के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई है. 


दिल्ली: दोस्तों के बीच पिस्टल के टशन में चली गोली, 1 की मौत

दिल्ली: दोस्तों के बीच पिस्टल के टशन में चली गोली, 1 की मौत

पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में दीपावली की बीती रात दोस्तों के बीच चली गोली में एक की मौत हो गई. गोली लगने के बाद दोस्तों ने घायल युवक को अस्पताल पहुंचाने की कोशिश की, लेकिन उसकी रास्ते में ही मौत हो जाने की वजह से दोस्तों ने पंजाबी बाग थाने के सामने ही शव को फेंक दिया और फरार हो गए. फिलहाल पुलिस मामले से जुड़े 6 लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ कर रही है.

मृतक के परिजन

पश्चिमी दिल्ली के पंजाबी बाग इलाके में दोस्तों में टशन के दौरान एक युवक से गोली चल गई. घटना में पास खड़े व्यक्ति को गोली लग गई. उसके दोस्तों ने अस्पताल ले जा रहे थे तब रास्ते में ही व्यक्ति ने दम तोड़ दिया. आरोपियों ने डर के मारे व्यक्ति के शव को पंजाबी बाग थाने के बाहर छोड़ दिया और मौके से फरार हो गए. वहीं पुलिस ने शव को देखकर उसे तुरंत नजदीकी अस्पताल के शवगृह में सुरक्षित रखवा दिया. पुलिस के अनुसार मृतक की पहचान हरीश शर्मा (40) के तौर पर हुई है. जानकारी के मुताबिक हरीश परिवार के साथ मादीपुर ए ब्लॉक में रहते थें और मूलरूप से हिमाचल के धर्मशाला के रहने वाले थें. परिवार में पत्नी सुनीता व 11 वर्षीय बेटी कंषिका है.

परिवार वालों के अनुसार बीती देर रात हरीश खाना खाकर घर से बाहर टहलने के लिए निकले. देर रात को जब वो घर नहीं आए तो परिवार वालों ने उन्हें खोजना शुरू किया. परिवार के अनुसार सुबह करीब चार बजे उन्हें पुलिस द्वारा सूचना मिली. सूचना मिलते ही मौके पर पहुंचे परिवार वालों ने शव को देखकर उसकी पहचान हरीश के रूप में की.






पुलिस के वरिष्ठ अधिकारियों के अनुसार शुरूआती जांच में पता चला है कि हरीश बीती देर रात अपने दोस्त राजू व अन्य लोगों के साथ पड़ोस के मकान की तीसरी मंजिल पर खड़ा था. उसके दोस्त हवा में गोली चला रहे थे. इस बीच हरीश ने भी गोली चलाने की इच्छा जताई. जिस पर राजू ने पिस्टल से मैगजीन निकाल ली और हरीश के ऊपर तान कर उसे डराने के लिए चला दिया. पिस्टल का ट्रिगर दबाते ही गोली चल गई, जो सीधा हरीश को लगी. पूछताछ में अरोपी ने बताया कि उसने मैगजीन निकाल ली थी. लेकिन उसे पता नहीं था कि पिस्टल में गोली फंसी हुई है. घटना के बाद वे हरीश को अस्पताल लेकर जा रहे थे, लकिन उसकी रास्ते में ही मौत हो गई. फिलहाल पुलिस ने केस दर्ज कर 6 लोग-राजू, हरिकांत, जीतू, रवि व दो अन्य को हिरासत में लिया. जिनसे पूछताछ जारी है.

PSE: मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में बीजेपी को बढ़त, राजस्थान में कांग्रेस, तेलंगाना में KCR आगे

PSE: मध्य प्रदेश-छत्तीसगढ़ में बीजेपी को बढ़त, राजस्थान में कांग्रेस, तेलंगाना में KCR आगे
वसुंधरा राजे और शिवराज सिंह चौहान (फाइल फोटो)
मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में बीजेपी के लगातार चौथे कार्यकाल के लिए जीत कर आने की संभावना है. वहीं राजस्थान में बीजेपी को झटका देकर कांग्रेस के सत्ता में आने के पूरे आसार है. जहां तक दक्षिणी राज्य तेलंगाना का सवाल है तो वहां मौजूदा मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) का जादू लोगों के सिर चढ़ कर बोल रहा है.




इंडिया टुडे पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज (PSE) के 10वें संस्करण के मुताबिक मध्य प्रदेश में बीजेपी के जीतने की संभावना 52 फीसदी है. PSE सर्वे से संकेत हैं कि राजस्थान में बीजेपी की जीत की संभावना सिर्फ 35% है यानि यहां कांग्रेस को साफ तौर पर भारी बढ़त हासिल है. छत्तीसगढ़ में रमन सिंह की अगुआई में बीजेपी की जीत की संभावना 55% है. तेलंगाना में केसीआर की अगुआई वाली तेलंगाना राष्ट्र समिति को बंपर बढ़त हासिल है. PSE के मुताबिक केसीआर की पार्टी के चुनाव जीतने की संभावना 75% है.


मध्य प्रदेश
इंडिया टुडे- एक्सिस माई इंडिया सर्वे के मुताबिक मध्य प्रदेश में 42% वोटरों ने माना कि मौजूदा बीजेपी सरकार को ही राज्य में अगले चुनाव के बाद एक और कार्यकाल के लिए मौका मिलना चाहिए. सर्वे में 40% प्रतिभागियों ने सरकार को बदलने के पक्ष में राय व्यक्त की. वहीं 18% इस मामले में कोई स्पष्ट राय व्यक्त नहीं कर सके.




मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में बीजेपी की जीत की संभावना 52% है. हालांकि मध्य प्रदेश में बीजेपी और कांग्रेस के बीच कांटे का मुकाबला होने के आसार हैं. यहां दो पार्टियों के वोट शेयर के बीच 1-3% का अंतर रह सकता है. मध्य प्रदेश में बीजेपी शहरी क्षेत्रों में वोटों के भारी अंतर से जीतने की स्थिति में है. लेकिन ग्रामीण क्षेत्रों में बीजेपी और कांग्रेस के बीच वोटों का अंतर कम रहेगा. मध्य प्रदेश चुनाव में बागियों का वोट काटना बड़ा फैक्टर साबित होगा. बीजेपी के लिए 2% की बढ़त सुविधाजनक नहीं मानी जाएगी. मध्य प्रदेश में विपक्षी खेमे की फूट बीजेपी की मदद कर रही है. अगर इस राज्य में कांग्रेस और बीएसपी का गठबंधन हो जाता तो उसके जीतने की संभावना कहीं अधिक होती.




मध्य प्रदेश में बीएसपी का वोट शेयर 6 फीसदी है. कांग्रेस की ओर से अगर ज्योतिर्रादित्य सिंधिया को मुख्यमंत्री पद के लिए पार्टी का चेहरा घोषित किया जाता तो इससे चुनाव में उसे मदद मिलती. युवा वोटरों में ज्योतिर्रादित्य सिंधिया खासे लोकप्रिय हैं.




मध्य प्रदेश में सीएम के लिए कौन आगे?




मध्य प्रदेश में मुख्यमंत्री के लिए शिवराज सिंह चौहान लोकप्रियता के मामले में सबसे आगे हैं. हालांकि बीते दो महीने में उनकी लोकप्रियता में मामूली गिरावट आई है. सितंबर 2018 में जहां 46 फीसदी वोटर शिवराज को सीएम देखना चाहते थे, वहीं नवंबर में 44% वोटरों ने उनके पक्ष में राय व्यक्त की. शिवराज के बाद सीएम के लिए लोकप्रियता की दौड़ में कांग्रेस नेता ज्योतिर्रादित्य सिंधिया सबसे आगे हैं.




सिंधिया को जहां सितंबर 2018 में 32% वोटरों ने सीएम के लिए अपनी पसंद बताया था, वही नवंबर में ये आंकड़ा घटकर 28 फीसदी रह गया. कांग्रेस नेता कमलनाथ को सितंबर 2018 में 8% वोटरों ने मुख्यमंत्री बनाने के लिए राय व्यक्त की थी. अब नवंबर 2018 में कमलनाथ की लोकप्रियता में 2% का इजाफा हुआ है. अब 10% वोटर कमलनाथ को मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते हैं.


सर्वे में जब प्रतिभागियों से पूछा गया कि क्या कांग्रेस की ओर से बीएसपी-एसपी से गठबंधन नहीं करना उसे भारी पड़ेगा तो 24% ने हां में जवाब दिया. 21 फीसदी वोटरों ने राय जताई कि कांग्रेस की ओर से ऐसा गठबंधन नहीं करना उसे भारी नहीं पड़ेगा. इस सवाल पर 55% वोटर कोई स्पष्ट राय नहीं व्यक्त कर सके.


सर्वे में जब पूछा गया कि क्या एससी-एसटी एक्ट के मुद्दे पर बीजेपी के परंपरागत सवर्ण वोटर उससे छिटकेंगे, इस सवाल के जवाब में 22% वोटरों ने हां में जवाब दिया. वहीं 27% वोटरों का कहना था कि ऐसा नहीं होगा. इस सवाल पर 51% वोटर कोई स्पष्ट राय नहीं जता पाए.


PSE सर्वे के तहत मध्य प्रदेश की 29 लोकसभा सीटों पर टेलीफोन साक्षात्कार के जरिए 11,712 प्रतिभागियों की राय ली गई. ये सर्वे 22 अक्टूबर से 6 नवंबर के बीच हुआ.

राजस्थान

PSE सर्वे के निष्कर्षों के मुताबिक राजस्थान में बीजेपी को बेदखल कर कांग्रेस सत्ता पर कब्जा करने जा रही है. यहां वसुंधरा राजे के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार को 39% वोटर ही दोबारा मौका देने के पक्ष में हैं. वहीं 43% वोटरों का कहना है राज्य में सरकार बदली जानी चाहिए. 18% वोटर इस सवाल पर कोई स्पष्ट राय नहीं व्यक्त कर सके.




पॉलिटिकल स्टॉक एक्सचेंज सर्वे के मुताबिक राजस्थान में बीजेपी के हाथ से सत्ता खिसकने के पूरे आसार हैं. यहां मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के खिलाफ भारी सत्ता विरोधी रूझान दिखाई दे रहा है. इस राज्य में बीजेपी की जीत की संभावना महज 35% ही है. राजस्थान में कांग्रेस जीत के लिए आरामदायक स्थिति में है. यहां दोनों अहम पार्टियों में वोट शेयर का अंतर 3-8% रहने की संभावना है. राजस्थान में दलितों और मुसलमानों में बीजेपी को लेकर भारी नाराजगी है. राज्य में बीजेपी परंपरागत शहरी क्षेत्रों में ही जमीन खो रही है.




मुख्यमंत्री पद के लिए लोकप्रियता की बात की जाए तो कांग्रेस महासचिव अशोक गहलोत सबसे आगे हैं. राजस्थान में अगर बीजेपी मुख्यमंत्री के लिए पार्टी का चेहरा बदलती तो चुनाव समीकरण अलग हो सकते थे. राजस्थान में राज्य स्तर पर बेशक सत्ता विरोधी रूझान है लेकिन जहां तक केंद्र सरकार का सवाल है तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता यहां लगातार बनी हुई है.




राजस्थान में मुख्यमंत्री की दौड़ में कौन आगे?




कांग्रेस नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के लिए लोकप्रियता की दौड़ में सबसे आगे हैं. गहलोत की लोकप्रियता शीर्ष पर बनी हुई है. गहलोत को सितंबर 2018 में 35% वोटर अगला मुख्यमंत्री बनना देखना चाहते थे. नवंबर में गहलोत की लोकप्रियता का ये आंकड़ा जस का तस बना हुआ है. दूसरी ओर, मौजूदा मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की लोकप्रियता में पिछले दो महीने में 4% की गिरावट आई है. सितंबर 2018 में वसुंधरा राजे को गहलोत के बराबर ही 35% वोटरों का समर्थन हासिल था जो नवंबर में घटकर 31% ही रह गया. कांग्रेस नेता सचिन पायलट लोकप्रियता की दौड़ में तीसरे नंबर पर है. सितंबर 2018 में सचिन पायलट को 11 फीसदी वोटर मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते थे. नवंबर 2018 में भी इतने ही वोटरों ने उन्हें मुख्यमंत्री के लिए अपनी पसंद बताया.




PSE सर्वे के तहत राजस्थान की 25 लोकसभा सीटों पर टेलीफोन साक्षात्कार के जरिए 10,136 प्रतिभागियों की राय ली गई. ये सर्वे 22 अक्टूबर से 6 नवंबर के बीच हुआ.




तेलंगाना




PSE सर्वे के मुताबिक तेलंगाना में मुख्यमंत्री केसीआर के नेतृत्व में तेलंगाना राष्ट्र समिति फिर सत्ता में वापस करने जा रही है. सर्वे में 44% वोटरों के मुताबिक मौजूदा सरकार को ही सत्ता में दोबारा मौका देना चाहिए. वहीं 34% वोटरों की राय में राज्य में सरकार बदली जानी चाहिए. इस मामले में 22% वोटर कोई स्पष्ट राय नहीं व्यक्त कर सके.




तेलंगाना में लोकप्रियता के मामले में मौजूदा मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव (केसीआर) के आसपास भी कोई मौजूद नहीं है. PSE के मुताबिक तेलंगाना में केसीआर की तेलंगाना राष्ट्र समिति पार्टी को स्पष्ट बहुमत मिलता दिख रहा है. सर्वे के संकेत हैं कि केसीआर की पार्टी की जीत की संभावना 75% है. यहां सत्ता पक्ष के समर्थन में भारी रुझान है जिससे केसीआर को मदद मिल रही है.




आबादी के सभी तबकों में केसीआर अपनी लोकप्रियता बनाए हुए हैं. PSE सर्वे के मुताबिक तेलंगाना में कांग्रेस और टीडीपी का गठबंधन कारगर साबित होता नहीं दिख रहा. AIMIM नेता असदुद्दीन ओवेसी हैदराबाद क्षेत्र में कांग्रेस की संभावनाओं को नुकसान पहुंचा रहे हैं.




तेलंगाना में सामाजिक कल्याण योजनाओं से सत्तारूढ़ पार्टी को चुनाव में लाभ मिलने जा रहा है. इसके अलावा केसीआर का चुनाव को निर्धारित समय से पहले ही कराने का फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित होता नजर आ रहा है.




तेलंगाना में सीएम की दौड़ में कौन आगे?




सीएम के लिए लोकप्रियता के मामले में केसीआर लगातार भारी बढ़त बनाए हुए. बीते दो महीने में उनकी लोकप्रियता में 3% का उछाल आया है. सितंबर 2018 में जहां 43% वोटर केसीआर को अगला सीएम देखना चाहते थे. नवंबर 2018 में ये आंकड़ा बढ़ कर 46% हो गया.




कांग्रेस के एन उत्तम कुमार रेड्डी लोकप्रियता में दूसरे नंबर पर है. रेड्डी की लोकप्रियता में बीते दो महीने में 7% का उछाल आने के बावजूद वो केसीआर से काफी पीछे हैं. रेड्डी को सितंबर में 18% वोटर सीएम बनते देखना चाहते थे. नवंबर में ये आंकड़ा बढ़ कर 25% हो गया. बीजेपी नेता जी किशन रेड्डी को सितंबर में 15% मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते थे. नवंबर में ये आंकड़ा बढ़कर 16% हो गया.




तेलंगाना के लिए PSE सर्वे में लोकसभा की 17 सीटों पर टेलीफोन साक्षात्कार के जरिए 6,877 प्रतिभागियों की राय ली गई. ये सर्वे 22 अक्टूबर से 6 नवंबर के बीच हुआ.




छत्तीसगढ़




छत्तीसगढ़ में PSE सर्वे के मुताबिक रमन सिंह लगातार चौथी बार सत्ता में वापसी करने जा रहे हैं. सर्वे में 43% वोटरों ने मौजूदा बीजेपी सरकार को एक और कार्यकाल देने के पक्ष में राय व्यक्त की. वहीं 41% वोटरों ने राय जताई कि सरकार बदली जानी चाहिए. 16% वोटर सरकार को लेकर कोई स्पष्ट राय नहीं व्यक्त कर सके.




PSE सर्वे के मुताबिक रमन सिंह के चुनाव जीतने की संभावना 55% है. छत्तीसगढ़ में अजित जोगी की पार्टी और बीएसपी के गठबंधन का मैदान में होना बीजेपी के लिए फायदे का सौदा साबित हो रहा है. जोगी और बीएसपी का गठबंधन 7% वोट हासिल करता दिख रहा है. छत्तीसगढ़ में वोटों का अंतर कम रहेगा लेकिन विपक्ष के वोट बंट रहे हैं. तीन कार्यकाल से सत्ता में होने के बावजूद रमन सिंह लोकप्रियता के मामले में सबसे आगे हैं.




कांग्रेस नेता भूपेश बघेल और अजित जोगी की लोकप्रियता मिलाकर भी रमन सिंह से कम बैठती है. बीजेपी के लिए राज्य में मोबाइल वितरण योजना फायदे का सौदा साबित होने जा रही है. छत्तीसगढ़ में बेरोजगारी सबसे अहम मुद्दा है. जहां तक नक्सल प्रभावित बस्तर क्षेत्र का सवाल है तो यहां बीजेपी के खिलाफ नाराजगी है.




छत्तीसगढ़ में सीएम की दौड़ में कौन आगे?




छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री पद के लिए रमन सिंह अधिकतर वोटरों की पहली पसंद बने हुए. बीते दो महीने में उनकी लोकप्रियता में 3% का उछाल आया है. रमन सिंह को सितंबर 2018 में 41% वोटर सीएम बनते देखना चाहते थे. नवंबर में ये आंकड़ा बढ़कर 44% हो गया. कांग्रेस नेता भूपेश बघेल और तीसरा विकल्प पेश करने वाले अजीत जोगी की लोकप्रियता को मिला भी दिया जाए तो रमन सिंह उस पर भारी बैठते हैं. भूपेश बघेल को सितंबर में 21% वोटर मुख्यमंत्री बनते देखना चाहते थे, जो आंकड़ा नंवबर बढ़ कर 23% हो गया है. जोगी की लोकप्रियता में भी 1% का मामूली इजाफा हुआ है. जोगी के नेतृत्व में जोगी-बीएसपी-सीपीआई गठबंधन चुनाव लड़ रहा है. जोगी को सितंबर में 12% वोटरों का समर्थन हासिल था जो अब बढ़कर 13% हो गया है.




जोगी-बीएसपी-सीपीआई गठबंधन को लेकर अधिकतर वोटरों का मत है कि इसके चुनाव जीतने की संभावना नहीं है. 84% वोटरों ने सर्वे में कहा कि ये गठबंधन चुनाव नहीं जीत सकता. सिर्फ 7% वोटरों ने ही कहा जोगी-बीएसपी-सीपीआई गठबंधन चुनाव जीत सकता है.




सर्वे में 32% प्रतिभागियों की राय में जोगी के नेतृत्व वाले गठबंधन से कांग्रेस को नुकसान होगा. 17% वोटरों ने कहा कि इस गठबंधन से बीजेपी को नुकसान होगा. वहीं 25% वोटरों की राय थी कि इससे बीजेपी और कांग्रेस, दोनों को नुकसान होगा. इस सवाल पर 26% वोटर कोई स्पष्ट राय नहीं जता सके.




PSE सर्वे के तहत छत्तीसगढ़ की 11 लोकसभा सीटों पर टेलीफोन साक्षात्कार के जरिए 4,486 प्रतिभागियों की राय ली गई. ये सर्वे 22 अक्टूबर से 6 नवंबर के बीच हुआ.