खास खबर:- बाड़मेर। हनुमान बेनीवाल की संवेदनशीलता ने स्थानीय जन प्रतिनिधियों को किया शर्मिंदा
बाड़मेर। उनरोड प्रकरण में एक तरफ जिला पुलिस अधीक्षक डॉ गगनदीप सिंगला ने सात दिवस में चालान पेश कर पूरे देश के सामने आदर्श प्रस्तुत किया वही जिला प्रशासन के अधिकारियों ने पीड़ित परिवार की तरफ झांक कर नही देखा। खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल की चाहे आक्रामक छवि हो मगर उन्होंने पीड़ित परिवार के प्रति न केवल संवेदनशीलता दिखाई बल्कि एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान कर स्थानीय जन प्रतिनिधियों को जरूर शर्मिंदा कर दिया। बात एक लाख रुपये की नही मानवीय संवेदनाओं की है। स्थानीय जन प्रतिनिधियों के गाल पर करारा तमाचा है। जो दलितों को केवल वोट के लिए इस्तेमाल करते है। ये जन प्रतिनिधि इतनी जहमत नही उठा पाए कि पीड़ित परिवार का हाल जाने। जन प्रतिनिधि भी क्षेतवाद में उलझे है। अफसोस होता है ऐसे जन प्रतिनिधियों और जिले के मंत्रियों पर । आखिर ये किसके लिए राजनीति करते हैं। हनुमान बेनिवल का बाड़मेर से दूर दूर का वास्ता नही। जब तीसरा मोर्चा खड़ा होगा तब की बात अलग है मगर बाड़मेर आने के बाद पीड़ित परिवारों के दुख में भागीदारी निभा मानवीयता दिखा गए।
बाड़मेर। उनरोड प्रकरण में एक तरफ जिला पुलिस अधीक्षक डॉ गगनदीप सिंगला ने सात दिवस में चालान पेश कर पूरे देश के सामने आदर्श प्रस्तुत किया वही जिला प्रशासन के अधिकारियों ने पीड़ित परिवार की तरफ झांक कर नही देखा। खींवसर विधायक हनुमान बेनीवाल की चाहे आक्रामक छवि हो मगर उन्होंने पीड़ित परिवार के प्रति न केवल संवेदनशीलता दिखाई बल्कि एक लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान कर स्थानीय जन प्रतिनिधियों को जरूर शर्मिंदा कर दिया। बात एक लाख रुपये की नही मानवीय संवेदनाओं की है। स्थानीय जन प्रतिनिधियों के गाल पर करारा तमाचा है। जो दलितों को केवल वोट के लिए इस्तेमाल करते है। ये जन प्रतिनिधि इतनी जहमत नही उठा पाए कि पीड़ित परिवार का हाल जाने। जन प्रतिनिधि भी क्षेतवाद में उलझे है। अफसोस होता है ऐसे जन प्रतिनिधियों और जिले के मंत्रियों पर । आखिर ये किसके लिए राजनीति करते हैं। हनुमान बेनिवल का बाड़मेर से दूर दूर का वास्ता नही। जब तीसरा मोर्चा खड़ा होगा तब की बात अलग है मगर बाड़मेर आने के बाद पीड़ित परिवारों के दुख में भागीदारी निभा मानवीयता दिखा गए।
जिले के प्रशासन ने भी पीड़ित परिवार से मिलना मुनासिब नही समझा। जिला प्रशासन ने आर्थिक सहायता राजकीय नियमानुसार जारी कर अपना फर्ज अदा कर दिया। पीड़ित परिवार के लिए इस वक़्त पैसा अहम नही है। उन्हें सम्बल की और संवेदना की जरूरत है। जो बाड़मेर के जन प्रतिनिधियों में नही है। खैर इनके जाने से न जाने से पीड़ित वापस नही आनी। एमजीआर जिस पीड़ित को न्याय के लिए देश भर में आवाज़ उठी हो और घर मे कोई संभालने वाले न हो तो आत्मग्लानि होती है । हम कहाँ है आज । डॉ गगनदीप सिंगला पुलिस अधीक्षक ने भी मामले को गंभीरता लिया और सात दिन में चालान किसी केस में फ़ाइल किया। जिसकी लोगो ने डॉ गगनदीप सिंगला जमकर तारीफ की। गौरतलब है की इससे पूर्व घोनरी नाड़ी सामूहिक दुष्कर्म मामले में जो ब्लाइंड था में तत्कालीन पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने देश का पहला चलन सात दिन में बाड़मेर में पेश कर नायब उदाहरण पेश किया था। हनुमान बेनिवल पीड़ित परिवारों के दुख में भागीदारी निभा मानवीयता दिखा गए मगर स्थानीय जन प्रतिनिधियो के लिए बेनिवल एक सवाल छोड़ गए।