राजस्थान के इस जिले में बढ़ रहा है उड़ने वाली दुर्लभ गिलहरियों का कुनबा
प्रतापगढ़। प्रतापगढ़ में दुर्लभ वन्यजीव उड़न गिलहरी यानि उड़ने वाली गिलहरी का कुनबा बढ़ता जा रहा है। यह साफ़ हुआ है वन विभाग के आंकड़ों से। पहली बार सीतामाता अभयारण्य के अलावा जिले के दूसरे वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी देखी गई है। जिस वजह से उड़न गिलहरी के अच्छे भविष्य की उम्मीद बढ़ गई है।
प्रतापगढ़ में वनक्षेत्र लगातार कम हो रहा है। बावजूद इसके एक अच्छी खबर निकल कर आई है लगातार वनक्षेत्र कम होने के बावजूद उड़न गिलहरी की संख्या में इजाफा हुआ है। उड़न गिलहरी प्रतापगढ़ जिले के सीता माता अभ्यारण की एक दुर्लभ जीव है और इसी उड़न गिलहरी के लिए अभयारण्य जाना भी जाता है।लेकिन पहली बार अभयारण्य के अलावा दूसरे वन क्षेत्र में उड़न गिलहरी देखी गई है।
उड़न गिलहरी को आरामपुरा वन खंड में देखा गया है। वन विभाग ने यहाँ अलग-अलग समय में तीन उड़न गिलहरी को रिपोर्ट किया है। दो को शाम के समय और एक को देर रात 2 बजे देखा गया। पहले यह उड़न गिलहरी केवल सीता माता अभ्यारण में ही मिलती थी। इसके अलावा यह उड़न गिलहरी दक्षिण भारत में ही पाई जाती है। पर अब अन्य वन क्षेत्र में भी उसका मिलना एक अच्छा संकेत है। उड़न गिलहरी का स्वभाव अन्य जीवों से भिन्न होता है।
बच्चियों को यौन शोषण से बचाने के लिए यहां टीचर बनीं पुलिसजयपुर। दक्षिणी राजस्थान में डूंगरपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाके में रहने वाली एक 15 साल की लड़की बबली (परिवर्तित नाम), जिसका पिछले दो साल से लगातार रेप हो रहा था। खास बात ये है कि उसका रेप करने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका पिता ही था, लेकिन अनजान आदिवासी लड़की ये सब सह रही थी।एक दिन उसके स्कूल में यौन शोषण के बारे में जागरूकता को लेकर इस बारे में शिक्षा देने के लिए एक कॉन्स्टेबल आया, जिसके बाद बबली के अंदर हिम्मत आई और वो अपने पिता के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए आगे आई। उसकी इस हिम्मत के चलते ही उसका गुनाहगार पिता अब सलाखों के पीछे है।एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, डूंगरपुर पुलिस की अनूठी पहल के बाद ही यह सब संभव हो पाया है। स्कूल द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम 'सुरक्षा और किशोर अधिकारिता', जिसके लिए यूनिसेफ की ओर से फंड दिया जा रहा है। इस प्रोग्राम के तहत 376 पुलिसकर्मियों को जिले के 376 सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षा देने के लिए चुना गया है।डूंगरपुर के एसपी अनिल जैन ने बताया कि, 'जिले में 376 पुलिस बीट बनाई गई है, जिसमें एक-एक कॉन्स्टेबल को नियुक्त किया गया है। स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम के तहत हमने हर एक कॉन्स्टेबल को एक स्कूल की जिम्मेदारी दी है। कॉन्स्टेबल हर महीने में एक दिन यौन शोषण और अपराधों पर बच्चों को क्लास देते हैं। इसका उद्देश्य बच्चों में जागरुकता का विकास करना है।'उन्होंने बताया कि, 'इस पहल के जरिए बच्चे सुरक्षित और असुरक्षित टच के बीच फर्क समझ रहे हैं। हम इस कार्यक्रम को स्कूलों में पिछले साल मई से चला रहे हैं। इस आदिवासी इलाके में बच्चों का यौन शोषण बहुत होता था, जिस पर अब कमी आई है।'उदयपुर में यूनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन कंसल्टेंट संझू ने बताया कि, 'बबली को पता था कि उसके पिता उसके साथ गलत कर रहे हैं, लेकिन उसे नहीं पता था कि क्या करना है। इस प्रोग्राम ने उसकी जिंदगी बचाई और उसकेे साथ हो रहे यौन अत्याचार के खिलाफ बोलने की उसमें हिम्मत आई, जिसकी वजह से उसका गुनहगार पिता आज सलाखों के पीछे है।'
बिना ईसी वाली खानों को एनजीटी से नहीं मिली राहत, अब 13 को होगी अगली सुनवाई
— निगरानी के लिए हाईकोर्ट जज को कमिश्नर नियुक्त करने के आदेश— कमिश्नर खानों के बंद होने की करेगा निगरानी— फिलहाल बंद ही रखना पड़ेगा बिना ईसी वाली खानों को— एनजीटी ने खान मालिकों से सात दिन में मांगा नया हलफनाम — राज्य सरकार ने एनजीटी में लगाई थी सुनवाई की अर्जी — एनजीटी ने नहीं दी राहत, सरकार को अब अगली सुनवाई में राहत की उम्मीद— हजारों खानों को फिलहाल बंद ही रखना होगा, संकट बरकरारजयपुर। 31 मई तक पर्यावरणीय मंजूरी (ईसी) नहीं लेने वाली खानों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) ने फिलहाल कोई राहत नहीं दी है। राज्य सरकार की अपील पर सुनवाई करते हुए शुक्रवार को एनजीटी ने सात दिन के भीतर सरकार और खान मालिकों से नया हलफनामा देने को कहा है। इस मामले में एनजीटी ने 13 जून को अगली सुनवाई तय की है। एनजीटी ने बिना ईसी वाली खानों को बंद करने की निगरानी के लिए हाईकोर्ट जज को कमिश्नर नियुक्त करने के आदेश दिए हैं। कमिश्नर इस बात की निगरानी करेगा कि बिना ईसी वाली खानों को बंद किया है या नहीं। फिलहाल 31 मई तक पर्यावरणीय मंजूरी नहीं लेने वाली खानों को बंद ही रखना पड़ेगा। सरकार और खान मालिकों को शुक्रवार को एनजीटी से राहत मिलने की उम्मीद थी, लेकिन एनजीटी ने फिलहाल कोई फैसला नहीं दिया और सुनवाई के लिए अगली तारीख दे दी। अब 13 जून तक राहत की कोई उम्मीद नहीं है और करीब 30 हजार खानों को बंद ही रखना होगा। वहीं दूसरी ओर, सरकार और खान मालिकों की उम्मीदें अब 13 जून को होने वाली सुनवाई पर टिकी हुई है। ऐसे में यह अब एनजीटी के रुख पर निर्भर करेगा कि वह राहत देता है या नहीं, लेकिन इतना जरूर है कि फिलहाल लाखों मजूदरोें के सामने रोजी—रोटी का संकट खड़ा हो गया है।
कुपोषण के खिलाफ जंग में मात खाता दिख रहा राजस्थानजयपुर। सरकार की ओर से कुपोषण को दूर करने के लिए भले ही हर माह करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हों, लेकिन इसके बावजूद आदिवासी अंचल में कुपोषण का कहर जारी है। कुपोषण से ग्रस्त प्रदेश के करीब एक दर्जन जिलों में हालात काफी भयावह है, जहां मासूमों पर मौत का खतरा मंडरा रहा है। इसके चलते ही स्मार्ट सिटी और डिजीटल इंडिया में सहयोग देने वाला प्रदेश स्वस्थ राजस्थान के तौर पर देश में उभरने के बजाय कुपोषण की जंग में हारता दिख रहा है।प्रदेश के आदिवासी जिले में कुपोषण से किसी मासूम की मौत पर सियासी रोटियां तो सेकी जाती है, मगर कुपोषण को रोकने के लिए ठोस प्रयास नहीं हो पाते हैं। अशिक्षा और अंधविश्वास के कारण बारां जिले के सहरिया क्षेत्र शाहाबाद, किशनगंज में आलम यह है कुपोषित बच्चे को MTC में भर्ती कराने के बजाय झोलाछाप डाक्टरों को दिखाया जा रहा हैं, जो कि बेदह शर्मनाक होने के साथ ही कई बार जानलेवा भी साबित हो सकता है।कमोबेश यही हाल बारां, डूंगरपुर, उदयपुर, राजसमंद, प्रतापगढ़, करौली, धौलपुर, श्रीगंगानगर, कोटा और बूंदी बने हुए हैं। अगर महिला एवं बाल विकास विभाग और चिकित्सा विभाग, जिनमें डेढ़ लाख से अधिक कर्मचारी हैं उनकी ओर से कुपोषण की रोकथाम के लिए किए जा रहे खर्चे की बात करें तो करीब 100 करोड़ रुपए प्रतिमाह खर्च किए जा रहे हैं। यानि पर घंटे में साढ़े बारह लाख रुपए कुपोषण की रोकथाम के लिए खर्च किए जा रहे हैं।इधर, झोलाछाप डॉक्टरों की वजह से उचित इलाज के भाव में ये बच्चे दम तोड़ भी रहे हैं और कुपोषण का कहर थमने का नाम नहीं ले रहा है। आंगनबाडी केंद्र महज दिखावा साबित हो रहे हैं। बावजूद इसके विभाग के मंत्री सुधार का दावा कर रहे हैं।प्रदेश में लाखों बच्चे कुपोषित हैं, मगर प्रदेश में ऐसे लगभग 15 हजार अतिकुपोषित बच्चे हैं, जो मौत के मुहाने पर खड़े है और जिनका इलाज कुपोषण उपचार केंद्रों में होना चाहिए। विशेषकर आदिवासी जिलों की यह भयावह तस्वीर है। संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक, भारत में हर साल कुपोषण के कारण मरने वाले पांच साल से कम उम्र वाले बच्चों की संख्या दस लाख से भी ज्यादा है। वहीं, एसीएफ की रिपोर्ट बताती है कि भारत में कुपोषण जितनी बड़ी समस्या है, वैसी पूरे दक्षिण एशिया में और कहीं देखने को नहीं मिली है। गौरतलब है कि दक्षिण एशिया में भारत कुपोषण के मामले में सबसे बुरी हालत में है।राजस्थान और मध्यप्रदेश में किए गए सर्वेक्षणों में पाया गया कि देश के सबसे गरीब इलाकों में आज भी बच्चे भुखमरी और कुपोषण के कारण अपनी जान गंवा रहे हैं। वहीं प्रदेश के चिकित्सा मंत्री इस तस्वीर को झुंठला कर सब्जबाग दिखाते नजर आ रहे हैं।बहरहाल, ऐसे में कुपोषण से हारती जिंदगी की यह तस्वीर सरकारी दावों पर तो सवालिया निशान लगा ही रही है, वहीं आजादी के 68 सालों बाद भी अगर झोलाछाप डाक्टरों के जाल में जिंदगियां दम तोड़ रहीं है, तो यह हमारी शिक्षा प्रणाली को भी कटघरे में खड़ा कर रही है। इसके साथ ही प्रदेश के वे मासूम, जिन्हें प्रदेश का भविष्य होना था, वे अपनी सांसों के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
नहीं रहे बॉक्सिंग सम्राट मोहम्मद अलीबॉक्सिंग की दुनिया के सम्राट कहे जाने वाले महान बॉक्सर मोहम्मद अली अब हमारे बीच नहीं रहे। 74 वर्षीय अली को सांस लेने में तकलीफ होने के बाद अस्पताल में भर्ती कराया गया था। खबरों के अनुसार अली को पार्किंसन नाम की बीमारी थी जिसमें मरीज को सांस लेने में काफी तकलीफ होती है। अली के परिजनों का कहना था कि पिछली बार जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था तो तकलीफ इतनी ज्यादा नहीं थी लेकिन इस बार अली को सांस लेने में काफी दिक्कत हो रही थी और अस्पताल ले जाते समय उनकी हालत काफी गंभीर थी। अली तीन बार विश्व चैंपियन रहे हैं। उन्होनें 1964 में पहली बार यह खिताब जीता था जिसके बाद उन्होनें 1974 और फिर 1978 में विश्व चैंपियन का खिताब।
बाड़मेर फरियादी को डाल दिया जेल में।रामसर सी आई की दादागिरी।
बाड़मेर जिले के रामसर थाना क्षेत्र के पांधी का पार में आपसी रंजिस के चलते दो गुटों के झगडे में बसीर नामक युवक के गहरी चोटे आई।बसीर में वारदात के तुरंत बाद रामसर थाना में मामला दर्ज कराया।बसीर का मेडिकल भी करवाया।जिसमे उसके गंभीर चोटे आना प्रमाणित हुआ।।पुलिस ने इस मामले पे कोई कर्यवाही नही की।वारदात के छत्तीस घण्टे बाद दूसरी पार्टी ने रामसर थाना में मुकदमा दर्ज कराया।उस वक़्त बसीर थाणे में मौजूद था।दूसरी पार्टी का मुकदमा दर्ज हिट सी आई ने बशीर को गिरफ्तार कर लिया।जबकि उसने फरयाद पहले की।उसकी रिपोर्ट पे कार्यवाही नही जबकि सामने वाली पार्टी का मुकदमा दर्ज होते ही परिवादी को ही गिरफतार क्र लिया।इस सम्बन्ध में सी आई मोड़ सिंह से बात की तो उन्होंने बताया की थाना परिसर में दोनो पक्ष उत्पात मैच रहे थे इसीलिए बसीर को 151 में गिरफ्तार किया।सी आई की बात समझ से परे।जब दो पक्ष उत्पात मचा रहे थे तो एक पक्ष की गिरफ़्तारी क्यों।दूसरे पक्ष से गिरफ़्तारी क्यों नही।मामला साफ़ हे।ग्रामीणों का आरोप हे ठाणे वाले चर्चा कर रहे हे ।सौदा तगड़ा हुआ हैं।
पुलिस अधीक्षक को मामले में हस्तक्षेप करना चाहिए ताकि सच्चाई बाहर आये।।
बाड़मेर रियासी इलाके में सफ़ेद केरोसिन बनाने का गोरख धंधा।।।कभी भी हो सकता हे बड़ा हादसा।।
बाड़मेर सरकारी नीले केरोसिन को सफ़ेद बनाने का गोरख धंधा बाड़मेर शहर के रिहायसी इलाके में बेख़ौफ़ किया जा रहा हैं जिसके कारन सेकड़ो परिवारो की जान पे बन आई हैं।रसद अधिकारी की मिलीभगत से चल रहे इस अवेध कारखाने को एक नेता संचालित कर रहा हैं।।
विश्वस्त सूत्रानुसार बाड़मेर जिला मुख्यालय पर स्थित महावीर नगर में राजकीय उच्च प्राथमिक विद्यालय के पास रियासी बस्ती में लंबे समय से एक राशन डीलर जो कथित नेता भी हैं नीले केरोसिंन को सफ़ेद बना कर अवेध रूप इसी फेक्टरी में बनाता हैं।सूत्रानुसार दिन भर इस भीषण गर्मी में केरोसिन की बदबू और टेंकरों की आवाजाही से आम लोग परेशां हो गए।।मोहल्ले में भीषण गर्मी के कारन कभी भी आगजनी या विस्फोट का हादसा हो सकता हैं।मजेदार बात हे की ये फेक्टरी एक राशन डीलर की हे जो केरोसिं डीलर से ब्लैक में सरकारी नीला केरोसिंन खरीद सफ़ेद कर ब्लैक में बेचता हैं।रसद विभाग की मिलीभगत जग जाहिर हैं।पुलिस विभाग को तत्काल कर्यवाही कर आमजन को राहत दे।।
बाड़मेर
जनप्रतिनिधि करेंगे प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान का शुभारंभबाड़मेर, 3 जून। मातृ व शिशु मृत्युदर में कमी लाने के उद्धेश्य से 9 जूनको प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान का शुभारंभ जनप्रतिनिधियोंद्वारा किया जायेगा। प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व अभियान में विशेषकरगर्भवती महिलाओं को चिकित्सकों व स्त्रीरोग विशेषज्ञों की देखरेख मेंप्रसवपूर्व स्वास्थ्य जांच एवं परामर्श की निःशुल्क सेवाएं उपलब्ध कराईजायेंगी।मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुनील कुमार सिंह बिष्ट नेबताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस के आयोजन में विशेष गंभीरताबरतकर इसका लाभ गर्भवती महिलाओं को सुलभ कराये। गर्भवती के लिए खून कीजांच, पेशाब की जांच, रक्तचाप, शुगर इत्यादि जांचों सहित आवश्यक औषधियांकी निशुल्क सेवाएं उपलब्ध करायी जायेंगी। उन्होंने बताया कि प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान मे जिलाएवं उपजिला अस्पताल तथा सभी सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों व प्राथमिकस्वास्थ्य केन्द्रों पर शुभारंभ जनप्रतिनिधियों से करवाया जायें। हर माहकी 9 तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान का आयोजन कियाजायेगा। आषा सहयोगिनी व एएनएम की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रधानमंत्रीसुरक्षित मातृत्व दिवस अभियान के आयोजन से गर्भावस्था एवं प्रसव के दौरानविशेषरूप से जटिल खतरों वाली संभावित गर्भवती महिलाओं को स्वास्थ्य संबलमिलेगा। पोषण दिवस 5 जून को, बच्चों को टिफिन वितरित बाड़मेर, 3 जून। समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन (सीमेम) कार्यक्रम के तहत्5 जून को चयनित उपस्वास्थ्य केन्द्रों पर पोषण दिवस आयोजित किये जायेंगे।सीएमएचओ डॉ. सुनील कुमार सिंह बिष्ट ने बताया कि 14 फरवरी तक 8वें पोषणदिवस पर कुपोषण मुक्त श्रेणी में दर्ज बच्चों का 5 जून को पोषण दिवसआयोजित होगा। इससे पूर्व जिले के चौहटन ब्लॉक में 407, बालोतरा ब्लॉक में588 तथा सिवाना में 288 कुल 1283 बच्चों को टिफिन वितरित करवाये जायेंगे। उन्होंने बताया कि समुदाय आधारित कुपोषण कार्यक्रम सीमेम में शामिलबच्चों के स्वास्थ्य में लगातार सुधार हुआ है। इसके बाद शेष रहे बच्चोंका 14 फरवरी के बाद स्वास्थ्य जांच का अंतिम ‘पोषण दिवस‘ 3 जुलाई कोआयोजित किया जायेगा। उन्होंने पोषण दिवस में प्रत्येक लक्षित बच्चे कीभागीदारी सुनिश्चित करने हेतु पोषण पहरियों एवं अन्य कार्मिकों कीजिम्मेदारी तय करने एवं गंभीरतापूर्वक दिवस गतिविधियां आयोजित करने केनिर्देश दिये।लू-तापघात में महिलायें, बच्चे व वृद्व रखें विशेष ध्यानबाड़मेर, 3 जून। लू-तापघात व अधिक गर्मी के कारण महिलायें, बच्चे व वृद्वविशेष सतर्कता बरतें। घर से बाहर निकलते समय तेज धूप में छाते का उपयोगअथवा कपड़े से सिर को ढक कर निकलें। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारीडॉ. सुनील कुमार सिंह बिष्ट ने बताया कि जनसाधारण को लू-तापघात से बचावएवं उपचार हेतु जानकारी समय-समय पर प्रसारित करने एवं लू-तापघात केरोगियों को समुचित चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिये सभी चिकित्साप्रभारियों को निर्देश जारी किये गये हैं। लू व तापघात के लक्षणों मेंसिर का भारीपन व सिरदर्द, अधिक प्यास लगना व थकावट, जी मचलाना, सिरचकराना व शरीर का तापमान अत्यधिक (105 एफ या अधिक) हो जाना व पसीना आनाबंद होना, मुॅह का लाल हो जाना व त्वचा का सूखा होना, अत्यधिक प्यास कालगना बेहोशी जैसी स्थिति का होना आदि शामिल है। लू-तापघात से कुपोषितबच्चे, वृद्ध, गर्भवती महिलायें, श्रमिक आदि शीघ्र प्रभावित हो सकते है।तेज धूप में निकलना आवश्यक हो तो ताजा भोजन करके उचित मात्रा में ठंडे जलका सेवन करके बाहर निकलना चाहिए। थोड़े अंतराल के पश्चात ठंडे पानी, शीतलपेय, छाछ, ताजा फलों का रस का सेवन करने, तेज धूप में छाते का उपयोग अथवाकपड़े से सिर व बदन को ढ़ककर रखने एवं श्रमिकों के कार्यस्थल पर छाया एवंपानी का पूर्ण प्रबन्ध रखना आवश्यक है।