बच्चियों को यौन शोषण से बचाने के लिए यहां टीचर बनीं पुलिस
जयपुर। दक्षिणी राजस्थान में डूंगरपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाके में रहने वाली एक 15 साल की लड़की बबली (परिवर्तित नाम), जिसका पिछले दो साल से लगातार रेप हो रहा था। खास बात ये है कि उसका रेप करने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका पिता ही था, लेकिन अनजान आदिवासी लड़की ये सब सह रही थी।
एक दिन उसके स्कूल में यौन शोषण के बारे में जागरूकता को लेकर इस बारे में शिक्षा देने के लिए एक कॉन्स्टेबल आया, जिसके बाद बबली के अंदर हिम्मत आई और वो अपने पिता के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए आगे आई। उसकी इस हिम्मत के चलते ही उसका गुनाहगार पिता अब सलाखों के पीछे है।
एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, डूंगरपुर पुलिस की अनूठी पहल के बाद ही यह सब संभव हो पाया है। स्कूल द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम 'सुरक्षा और किशोर अधिकारिता', जिसके लिए यूनिसेफ की ओर से फंड दिया जा रहा है। इस प्रोग्राम के तहत 376 पुलिसकर्मियों को जिले के 376 सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षा देने के लिए चुना गया है।
डूंगरपुर के एसपी अनिल जैन ने बताया कि, 'जिले में 376 पुलिस बीट बनाई गई है, जिसमें एक-एक कॉन्स्टेबल को नियुक्त किया गया है। स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम के तहत हमने हर एक कॉन्स्टेबल को एक स्कूल की जिम्मेदारी दी है। कॉन्स्टेबल हर महीने में एक दिन यौन शोषण और अपराधों पर बच्चों को क्लास देते हैं। इसका उद्देश्य बच्चों में जागरुकता का विकास करना है।'
उन्होंने बताया कि, 'इस पहल के जरिए बच्चे सुरक्षित और असुरक्षित टच के बीच फर्क समझ रहे हैं। हम इस कार्यक्रम को स्कूलों में पिछले साल मई से चला रहे हैं। इस आदिवासी इलाके में बच्चों का यौन शोषण बहुत होता था, जिस पर अब कमी आई है।'
उदयपुर में यूनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन कंसल्टेंट संझू ने बताया कि, 'बबली को पता था कि उसके पिता उसके साथ गलत कर रहे हैं, लेकिन उसे नहीं पता था कि क्या करना है। इस प्रोग्राम ने उसकी जिंदगी बचाई और उसकेे साथ हो रहे यौन अत्याचार के खिलाफ बोलने की उसमें हिम्मत आई, जिसकी वजह से उसका गुनहगार पिता आज सलाखों के पीछे है।'
जयपुर। दक्षिणी राजस्थान में डूंगरपुर जिले के आदिवासी बाहुल्य इलाके में रहने वाली एक 15 साल की लड़की बबली (परिवर्तित नाम), जिसका पिछले दो साल से लगातार रेप हो रहा था। खास बात ये है कि उसका रेप करने वाला कोई और नहीं, बल्कि उसका पिता ही था, लेकिन अनजान आदिवासी लड़की ये सब सह रही थी।
एक दिन उसके स्कूल में यौन शोषण के बारे में जागरूकता को लेकर इस बारे में शिक्षा देने के लिए एक कॉन्स्टेबल आया, जिसके बाद बबली के अंदर हिम्मत आई और वो अपने पिता के खिलाफ केस दर्ज कराने के लिए आगे आई। उसकी इस हिम्मत के चलते ही उसका गुनाहगार पिता अब सलाखों के पीछे है।
एक प्रमुख अंग्रेजी अखबार के मुताबिक, डूंगरपुर पुलिस की अनूठी पहल के बाद ही यह सब संभव हो पाया है। स्कूल द्वारा चलाए जा रहे कार्यक्रम 'सुरक्षा और किशोर अधिकारिता', जिसके लिए यूनिसेफ की ओर से फंड दिया जा रहा है। इस प्रोग्राम के तहत 376 पुलिसकर्मियों को जिले के 376 सरकारी और निजी स्कूलों में शिक्षा देने के लिए चुना गया है।
डूंगरपुर के एसपी अनिल जैन ने बताया कि, 'जिले में 376 पुलिस बीट बनाई गई है, जिसमें एक-एक कॉन्स्टेबल को नियुक्त किया गया है। स्कूल सेफ्टी प्रोग्राम के तहत हमने हर एक कॉन्स्टेबल को एक स्कूल की जिम्मेदारी दी है। कॉन्स्टेबल हर महीने में एक दिन यौन शोषण और अपराधों पर बच्चों को क्लास देते हैं। इसका उद्देश्य बच्चों में जागरुकता का विकास करना है।'
उन्होंने बताया कि, 'इस पहल के जरिए बच्चे सुरक्षित और असुरक्षित टच के बीच फर्क समझ रहे हैं। हम इस कार्यक्रम को स्कूलों में पिछले साल मई से चला रहे हैं। इस आदिवासी इलाके में बच्चों का यौन शोषण बहुत होता था, जिस पर अब कमी आई है।'
उदयपुर में यूनिसेफ के चाइल्ड प्रोटेक्शन कंसल्टेंट संझू ने बताया कि, 'बबली को पता था कि उसके पिता उसके साथ गलत कर रहे हैं, लेकिन उसे नहीं पता था कि क्या करना है। इस प्रोग्राम ने उसकी जिंदगी बचाई और उसकेे साथ हो रहे यौन अत्याचार के खिलाफ बोलने की उसमें हिम्मत आई, जिसकी वजह से उसका गुनहगार पिता आज सलाखों के पीछे है।'
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