शुक्रवार, 7 नवंबर 2014

दो लाख रूपए की मोहताज हुई मासूम की सांसें

बीकानेर। छह साल के पौत्र को दुलारते-दुलारते दादी की आंखें आंसू से भर आती है। कहती है इसके दादा का रो-रो कर बुरा हाल है, उनकी आंखों ने तो जवाब ही दे दिया। घर कर्ज की पटरी पर कब आ गया, पता ही नहीं चला।

यह दुखभरी दास्तां हैं हरियाणा के जमुनानगर निवासी हरजीत कौर की, जिसके छह साल के पौत्र को ब्लड कैंसर की बीमारी ने जकड़ लिया है। इलाज में घर की सारी जमा पूंजी पानी की तरह बह गई। हरजीत के पौत्र इसप्रीत का यहां आचार्य तुलसी रिजनल कैंसर ट्रीटमेंट एण्ड रिसर्च सेंटर में इलाज चल रहा है।
Six year Ishpreet's life seeking mere 2 lac rupees

इसप्रीत की मम्मी संदीप कौर कहती है करीब डेढ़ साल पहले उन्हें अपने बेटे की बीमारी का पता चला, जब उसका काफी दिनों से बुखार नहीं उतर रहा था। इलाज के लिए हरियाणा के चिकित्सालय में दिखाया तो वहां के चिकित्सकों ने दवा दे दी।

फिर भी बुखार नहीं उतरा तो चंडीगढ़ दिखाया गया। वहां के चिकित्सकों ने इसप्रीत को ब्लड कैंसर होना बताया। यह सुन घर वालों की मानों पांव तले जमीन ही खिसक गई। जब तक पैसा था, तब तक चंडीगढ़ में इलाज करवाया, लेकिन पैसा खत्म हुआ तो अस्पताल के चिकित्सकों ने भी जवाब दे दिया। अब यहां बीकानेर में इसका इलाज करवा रहे हैं।

"साब मरीजों का ध्यान रखना"
ब्लड कैंसर से पीडित मासूम इसप्रीत दिखने में बहुत ही सुन्दर और चंचल स्वभाव का है। यह अपने उपचार के दौरान अस्पताल के चिकित्सकों और नर्सिग स्टाफ को हिदायत देते भी संकोच नहीं करता। अक्सर कहता है, डॉक्टर साहब मरीजों का ध्यान रखना। इतना ही नहीं मरीजों के साथ आने वाले रिश्तेदारों को अस्पताल में साफ-सफाई रखने के लिए भी टोक देता है। कहता है, जब देश के प्रधानमंत्री लोगों को स्वच्छता के लिए प्रेरित कर सकते हैं, तो मैं क्यूं नहीं कर सकता।

इलाज के लिए चाहिए दो लाख
इसप्रीत के इलाज को लेकर अस्पताल के चिकित्सकों ने प्रथम दृष्टया करीब दो लाख रूपए का खर्च बताया है। लेकिन परिवार की माली हालत के चलते परिजनों की हिम्मत अब टूट चुकी है। इसप्रीत की दादी हरजीत कौर कहती है, बेटा ड्राइवरी करता था, लेकिन अपने बेटे की बीमारी को देख अब वह भी घर बैठने के लिए मजबूर हो गया है। माली हालत के चलते अब इसप्रीत के लिए दवाइयों का खर्च भी भारी पड़ रहा है। -

पीएम मोदी बोले, "बनारस ने मुझे तो अपना बना लिया है"



वाराणसी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपने दो दिवसीय दौरे पर शुक्रवार को वाराणसी पहुंचे। वहां पर बावतपुर हवाई अड्डे पर राज्यपाल राम नाईक और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने उनकी अगवानी की।
pm modi varanasi visit begins he says i am sevak



पीएम मोदी सुबह दस बजे वाराणसी पहुंचे, जहां नगर के गणमान्यनागरिकों और भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया।




उसके बाद वह लालपुर के लिए रवाना हुए, जहां उन्होंने बुनकरों के लिए सुविधा केंद्र का शिलान्यास किया।




शिलान्यास के बाद उन्होंने कहा कि बनारस ने तो उनको अपना बना लिया है और अपनों के बीच में आने का आनंद ही अलग होता है। उन्होंने कहा कि वह आप सबके सेवक के तौर पर यहां पर उपस्थित हैं। वह आपके सुख और दुख के साथी हैं।




पीएम मोदी ने कहा कि बनारसी साड़ी के ब्रांडिंग की जरूरत नहीं है। देश में ऎसा कोई नहीं है जिसने इस साड़ी के बारे में न सुना हो।




उन्होंने कहा कि दुनिया से प्रतिस्पर्घा करने के लिए तकनीकी तौर पर बेहतर होने की जरूरत है। सरकार ने इस दिशा में काम करना शुरू कर दिया है।




उन्होंने खास तौर पर बुनकरों से कहा कि कि इस बात को गंभीरतापूर्वक सोचने की जरूरत है कि नई पीढ़ी कैसे इस उद्योग में शामिल हो सकती है, वह बाध्य होकर नहीं बल्कि गर्व से इससे उद्योग से जुड़ सकें।




पीएम ने कहा कि कृषि के बाद कपड़ा उद्योग ही ऎसा क्षेत्र है जिसमें अधिक संख्या में लोगों को रोजगार मिलता है।

ढोलक ठीक नहीं बजाने पर अर्द्धनग्न कर पीटा

बांसवाड़ा/गांगड़तलाई। रोहनवाड़ी गांव में गुरूवार को एक युवक ने ठीक से ढोलक नहीं बजाने की शिकायत करते हुए ढोलकवादक को अर्द्धनग्न कर उसकी जमकर पिटाई की। उसके हाथ बांधकर ढोलक उसकी पीठ पर बांध दी।
the man not exactly playable drums beaten by public

जमीन पर पटककर उस पर पेशाब किया। गांव में जुलूस निकालने के लिए उसके गले में मृत मेढ़क तक लटका दिया। पुलिस अनुसार रोहनवाड़ी निवासी धनजी डामोर के भाई की मृत्यु के बाद परंपरा के अनुसार ढोलक बजाने के लिए गांव के ही ढोलवादक मोहन को बुलाया।

ढोलक में आई गड़बड़ी के कारण मोहन कहीं से दूसरी ढोलक लाया और बजाया। इसके चार दिन बाद गुरूवार सुबह 8:30 बजे धनजी हाथ में तलवार और तीर कमान लेकर मोहन के घर जा धमका और खराब ढोलक बजाने की शिकायत करते हुए लात-घूसों से मारपीट शुरू कर दी।

बीच-बचाव में ग्रामीण आए तो धनजी ने उन्हें भी धमकी देकर दूर कर दिया। मौके पर जब बड़ी संख्या में ग्रामीण एकत्रित हो गए तब उन्होंने सामूहिक रूप से धनजी को पकड़कर उसकी पिटाई कर दी और मोहन को उसके चंगुल से मुक्त कराया।

ग्रामीणों ने मोहन पर पेशाब करने की जानकारी भी दी है। मोहन ने धनजी के खिलाफ मामला दर्ज कराया है। -भ्ौयालाल, थाना प्रभारी - 

एम्बुलेंस घोटाले पर बोले गहलोत, मामले में दम नहीं

दौसा। पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा कि एम्बुलेंस 108 घोटाले के मामले में कोई दम नहीं है।

इसमें उनकी कोई मौजूदगी नहीं है। भाजपा सरकार लोकप्रियता हासिल करने के लिए इस मामले की सीबीआई जांच करा रही है। उन्होंने यह बात गुरूवार सुबह जयपुर से अलवर जाते समय कलक्ट्रेट बायपास पर पत्रकारों से कही।

Handed over to the CBI probe popularity says Gehlot

उन्होंने कहा कि यदि मामले में दम होता तो सरकार अपनी मर्जी के हिसाब से पुलिस से ही मामले की जांच कराती। वह अन्य मामलों में भी तो पुलिस प्रशासन पर दबाव बनाकर अपने हिसाब से जांच करा लेती है, लेकिन मामले में कुछ नहीं होने तथा लोकप्रियता हासिल करने के लिए इसे सीबीआई को सौंपा गया है।

उन्होंने कहा कि केन्द्र से जुड़े किसी भी मामले की जांच के लिए सीबीआई को कहने की जरूरत नहीं होती है। वह स्वयं ही अपने स्तर पर जांच कर सकती है। निकाय चुनाव के सवाल पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी निकाय चुनाव के लिए पूरी तरह तैयार है। इसकी सभी तैयारियां कर ली गई है। कार्यकर्ता व लोगों में चुनाव को लेकर काफी उत्साह है।

चुनाव के लिए पर्यवेक्षक भी नियुक्त कर दिए गए हैं। इससे पहले कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस नेता मुरारीलाल मीणा के नेतृत्व में पूर्व मुख्यमंत्री का स्वागत किया।

उन्होंने निकाय चुनाव के लिए पूरी मेहनत से पार्टी हित में कार्य करने का भरोसा दिलाया। इस मौके पर प्रधान शांति देवी गुर्जर, रामनाथ राजोरिया, महामंत्री रामनिवास गांगड्या, सी. एल.मीणा, घनश्याम भाण्डारेज, जुगलकिशोर आलूदा, पार्षद अरविंद, जाबिर खान, कन्हैयालाल सैनी आदि मौजूद थे। 

पारलु। चोरो ने तोड़ा एटीएम,लेकिन रुपये निकालने में रहे नाकाम


पारलु। चोरो ने तोड़ा एटीएम,लेकिन रुपये निकालने में रहे नाकाम


रिपोर्टर :- ओमप्रकाश सोनी /बालोतरा

बालोतरा। सिवाना उपखंड के समदड़ी थाना क्षेत्र के पारलु गांव में बीती रात को चोरो द्वारा गांव में स्थित एस.बी.बी.जे. बैंक के एटीम को तोड़ने का प्रयास करने का मामला सामने आया है। ग्रामीणो ने सुबह जब ए.टी.एम को अस्त व्यस्त देखा तो उन्होने बेंक के मेनेजर को जानकारी दी। बेंक मेनजेर की जानकारी पर समदड़ी पुलिस मोके पर पहुची ओर मोका मुआयना करने के बाद चोरो की तलाश शुरू की। चोरो ने ए.टी.एम को तोड़ने का प्रयास किया गया पर वो नकदी ले जाने में सफल नही हो पाये।


प्रेमी के खिलाफ दर्ज कराया दुष्कर्म का केस



अजमेर। जवाजा के निकट सड़क हादसे में मृत विवाहिता को प्रेमी बहला-फुसला कर भगाकर ले जा रहा था। विवाहिता के पीहर पक्ष ने गुरूवार को मसूदा थाने में आरोपित के खिलाफ बहला-फुसला कर भगाने, दुराचार करने और उसके जेवर चुराने के आरोप में मामला दर्ज कराया।
misdemeanor report enter against lover



पुलिस ने ट्रोला चालक के खिलाफ लापरवाही से वाहन चलाने का मामला भी दर्ज किया है। पुलिस ने मेडिकल बोर्ड से पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजन के सुपुर्द कर दिया।




पुलिस के अनुसार जवाजा सूरजपुरा के निकट राजमार्ग पर बुधवार दोपहर हादसे का शिकार हुई मसूदा क्षेत्र की विवाहिता को पड़ोसी गांव करणीपुरा निवासी इरफान भगाकर ले जा रहा था। गुरूवार को जवाहरलाल नेहरू अस्पताल के चीरघर के बाहर जुटे विवाहिता के पीहर व ससुराल पक्ष के लोगों ने इरफान पर आरोप जड़े।




आरोप लगाया कि बुधवार को विवाहिता घर से काम पर निकली लेकिन इरफान उसे बहला-फुसलाकर ले गया। दुर्घटना में विवाहिता के जख्मी होने पर जवाजा पुलिस ने उन्हें सूचना दी। वे जब जेएलएन अस्पताल पहुंचे तो वह दम तोड़ चुकी थी। इरफान भी घायल हुआ लेकिन प्राथमिक उपचार कराकर विवाहिता के जेवर लेकर चम्पत हो गया। उन्होंने आरोप लगाया कि इससे पूर्व इरफान ने विवाहिता के साथ दुराचार किया।




कार्रवाई को लेकर असमंजस

पीहर पक्ष की शिकायत पर जवाजा और मसूदा थाना पुलिस में कार्रवाई को लेकर असमंजस की स्थिति बन गई। विवाहिता के बहला-फुसलाकर भगाकर ले जाने के मामले में जवाजा थाना पुलिस ने कार्रवाई मसूदा थाने में होने की बात कह पल्ला झाड़ लिया। इधर मसूदा थाना पुलिस सिर्फ दुर्घटना की रिपोर्ट देकर कार्रवाई से बचने की कोशिश में जुटी रही। आखिर परिजन के दबाव के बाद मसूदा थाना पुलिस ने मामला दर्ज किया।




काम पर हुई पहचान

परिजन ने बताया कि इरफान चूना-पत्थर का काम करता है। विवाहिता की आरोपित से मजूदरी के दौरान पहचान हुई होगी। विवाहिता का छह माह पहले गौना हुआ था लेकिन दो माह से वह पीहर में थी। बुधवार दोपहर वह पिसाई के लिए फ्लोर मील पर गई तो वापस नहीं लौटी। शाम 4.30 बजे जवाजा थाना पुलिस ने दुर्घटना की इत्तला दी।




शव लेने पर विवाद

मोर्चरी में पुलिस कार्रवाई के दौरान विवाहिता के पीहर व ससुराल पक्ष में विवाद हो गया। ससुराल पक्ष ने शव लेने की इच्छा जाहिर की तो पीहर पक्ष ने इनकार कर दिया। उन्होंने अंतिम संस्कार पीहर में करने का दावा किया। दोनों पक्षों में काफी जद्दोजहद के बाद पुलिस ने शव पीहर पक्ष के सुपुर्द कर दिया।

‘बड़े साहब’ के लिए लग्जरी गाड़ी बनी ‘जननी एक्सप्रेस’ एम्बुलेंस

बाड़मेर। ‘बड़े साहब’ के लिए लग्जरी गाड़ी बनी ‘जननी एक्सप्रेस’ एम्बुलेंस

दिनेश बोहरा /बाड़मेर

बाड़मेर - सरकारी कार्यक्रमों और आम जन के हित मे शुरू होने वाली योजनाओं की बखिया किस तरह उड़ रही हैं इसका ताजा उदाहरण देखने को मिल रहा है राजस्थान में. बाड़मेर जिला मुख्यालय स्थित स्वास्थ्य विभाग ने प्रसव के दौरान तड़पने वाली मां का दर्द भी दर किनार कर दिया.

दरअसल ‘जननी एक्सप्रेस’ के नाम से बाड़मेर के राजकीय अस्पताल में भिजवाई गई एक एम्बुलेंस पर स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों की नीयत खराब हो गई. एम्बुलेंस से स्ट्रेचर और दूसरा सामान हटाकर अंदर नर्म सोफे नुमा सीट लगा दी गई. अब जिले के सबसे बड़े मेडिकल अधिकारी इस एम्बुलेंस का अपनी खातेदारी में उपयोग कर रहे है .


स्वास्थ्य विभाग के बड़े अधिकारियों ने यह करतूत इतनी सफाई से की कि किसी को भनक तक नही लगी. एम्बुलेंस पर लगे 104 लिखे स्टीकर, एनआरएचएम का लोगो और सायरन को भी पुरानी गाड़ी पर शिप्ट करवा दिया गया. अब यह गाड़ी स्वास्थ्य विभाग के मुखिया की सेवा मे लगी हुई है.

मुखिया यानी बाड़मेर जिले के मुख्य चिकित्सा एंव स्वास्थ्य अधिकारी लापरवाही की गाड़ी पर सवार हैं. असल मे वर्तमान सीएमएचओ डॉ. सुनील कुमार बिष्ट के आने से पहले की यह कारस्तानी तत्कालीन सीएमएचओ के समय की है. लेकिन वर्तमान में नए आने वाले सीएमएचओ भी इसी में बैठकर मजे से घूम रहे हैं. जब उनसे इस बारे मे पूछा गया तो उन्होंने कहा कि उन्हें इसकी जानकारी नहीं है और अगर ऐसा है तो इस मामले की जांच की जाएगी. हालांकि यह कहना मुश्किल है कि नए सीएमएचओ को इसकी जानकारी न हो.

अब देखने वाली बात यह होगी कि क्या उच्चाधिकारी इस पूरे मामले की जांच करवाकर दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाही करेंगे या नहीं.

राजस्थान में 20 लाख राशन कार्डो पर कैंची!

जयपुर। भारी प्रशासनिक तामझाम से राज्य में एक दर्जन निजी फर्मो के माध्यम से 15 करोड़ रूपए खर्च कर बनवाए गए राशन कार्डो में अब फर्जीवाड़े की परतें उधड़ रही हैं।

पता चला है कि प्रदेश में करीब डेढ़ करोड़ राशन कार्ड बनने चाहिए थे, लेकिन बन गए करीब पौने दो करोड़। आंकड़ा सामने आने पर चेती सरकार अब नए सिरे से जिला और राज्य स्तर पर कार्डो की जांच कराने की तैयारी में है।

20 lakh rashan card will be cancel in rajasthan

खाद्य विभाग के अधिकारियों का ही दावा है कि करीब 20 लाख से ज्यादा राशन कार्ड फर्जी हो सकते हैं। जांच में फर्जी पाए राशन कार्ड निरस्त होंगे।

जांच के बाद मोहर
जांच के बाद संबंधित अधिकारी की ओर से खाद्य सुरक्षा योजना की राशन कार्डो पर मोहर लगेगी। इसके बाद ही योजना का लाभ मिलेगा।

ऎसे होगी पड़ताल
निजी फर्मो से तैयार कार्डो के आंकड़े मांगे।
जिला स्तर पर जांचा जाएगा कि एक ही व्यक्ति के नाम से कितने कार्ड हैं।
नाम पकड़े जाने के बाद पिता का नाम, जाति, उम्र व जन्मतिथि से मिलान।
जिलों के बाद आंकड़ों की राज्य स्तर पर इसी प्रकार से जांच होगी।
सभी आंकड़े एनआईसी की ओर तैयार किए जा रहे सॉफ्टवेयर से क्रॉसचैक होंगे। - 

पुष्कर मेला रंगारंग कार्यक्रमों संग सम्पन्न

अजमेर। अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त पुष्कर पशु मेला कार्तिक पूर्णिमा स्नान एवं पुरस्कार वितरण समारोह के साथ गुरूवार को सम्पन्न हो गया।

मेला मैदान पर आयोजित रंगारंग समापन समारोह में विविधसांस्कृतिक प्रस्तुतियां, परेड एवं पशु परेड आकर्षण का केन्द्र रही। प्रशासन द्वारा मेले में आए श्रद्घालुओं, पशुपालकों व देशी विदेशी पर्यटकों के लिए किए गए बेहतरीन इंतजाम से मेला हर्षोल्लास एवं उमंग के साथ सम्पन्न हो गया।

कृषि पशुपालन विभाग के प्रमुख शासन सचिव राजेश्वर सिंह ने समापन समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि मेले देश की सांस्कृतिक धरोहर हंै तथा इनके गौरवशाली अतीत व सांस्कृतिक समागम से परिचित होने का मौका मिलता है।

उन्होंने कहा कि पुष्कर मेला बहुआयामी है यहां संस्कृति, धर्म, पर्यटन एवं पशु विक्रेताओं का अनूठा संगम देखने को मिलता है। जिसे देखने के लिए बड़ी संख्या में विदेशी पर्यटक भी यहां पहुंचते हंै।

समारोह की अध्यक्षता करते हुए संभागीय आयुक्त धर्मेन्द्र भटनागर ने कहा कि पुष्कर मेलें में संस्कृति के कई रूप रंग एक ही स्थान पर नजर आते हंै। मेलें जहां एक और पंचतीर्थ स्नान का आध्यात्मिक महत्व है वहीं पशुपालकों, पशुओं का जमावड़ा इसे अलग ही स्वरूप दे देता है। देशी विदेशी सैलानी मेले के दौरान भारतीय संस्कृति के विविध रूपों से यहां परिचित होते हंै।
2014 pushkar fair finished with colorful day

समारोह के दौरान पुष्कर की विद्यालयी छात्राओं ने राजस्थानी घूमर नृत्य प्रस्तुत कर सभी का मन मोह लिया। इसके बाद कला जत्थों की परेड में ऊंट पर सवार बीकानेर के रोबीलों ने अपनी मूछों एवं वेश भूषा से काफी प्रभावित किया।

कच्छी घाोड़ी नृत्य एवं नरेन्द्र सोनी व कलाकारों द्वारा प्रस्तुत किया गया भवई नृत्य रोचक था। झंडाराम व उनके दल ने पारम्परिक परिधानों में लोकदेवता तेजाजी हेतु किया जाने वाले नृत्य प्रस्तुत किया। बारां के गोपाल धानुका के नेतृत्व में स्वांग कलाकारों ने काफी वाहवाही लूटी। इसी प्रकार बाडमेर के जीवाराम व दल ने गैर नृत्य, श्याम मित्रमंडल चूरू के कलाकारों ने चंग व ढप्प की थाप पर नृत्य, कालबेलिया नृत्य एवं ऊंट सज्जा में प्रख्यात अशोक टांक ने श्रृंगारित ऊंट के साथ आकर मेला मैदान पर देशी विदेशी पर्यटकों को भारतीय संस्कृति के अनूठे रूप से परिचय कराया।

इस अवसर पर सर्वोष्ठ गीर पशु, सर्वोष्ठ दुधारू पशु, हालस्टिक गाय के पशुपालकों को पुरस्कार प्रदान किए गए। पशुपालकों ने विजेता पशुओं के साथ पशु परेड में भाग लिया। इसके बाद मेला मैदान पर ऊंट परेड, टग ऑफ वार, जलेबी रेस, वॉटर पॉट रेस आदि प्रतियोगिताएं भी हुई जिनका सैलानियों एवं स्थानीय लोगों ने जमकर लुत्फ उठाया। प्रतियोगिताओं के विजेताओं को पुरस्कार देकर सम्मानित किया गया। - 

मेरे वजह से शहर को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा : भदेल


अजमेर। "शहर के हित में अपना अहंकार त्यागना होगा, हमारी आपसी कोई लड़ाई नहीं है ना ही कोई विवाद है। मेरी वजह से इस शहर को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा।

भाजपा संगठन को मजबूत बनाने के लिए संगठन के माध्यम से ही काम किए जाएंगे।" अजमेर दक्षिण से लगातार तीसरी बार विधायक बनने के बाद पहली बार मंत्रिमंडल में शामिल हुई महिला एवं बाल विकास राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार) अनिता भदेल ने पत्रिका से विशेष बातचीत में खुलकर बोलीं-

महिला एवं बाल विकास विभाग को बेहतर बनाने के लिए आप क्या करेंगी?
भदेल : केन्द्र व राज्य सरकार की योजनाओं का बेहतर क्रियान्वयन कराने का प्रयास करेंगे। विभाग की योजनाओं के लिए पायलट प्रोजेक्ट बनाए जा रहे हैं। सात नवम्बर को अजमेर में इस सम्बंध में पहली मीटिंग रखी है। विभाग में सुधार की बहुत गुंजाइश है।

आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, आशा सहयोगिनी, सहायिका को प्रशिक्षण नहीं मिलने का खमियाजा भुगतना पड़ता है। इनका काम चुनौतीपूर्ण है, इन्हें आंगनबाड़ी केन्द्रों की संवेदना को समझना होगा। उन्हें प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।

शहर के विकास की जिम्मेदारी आप दोनों मंत्रियों पर है, आपका क्या योगदान रहेगा?
भदेल : अक्सर देखा जाता है कि प्रशासनिक अफसरों को जानकारी नहीं होती है। वे अपने हिसाब से कार्ययोजना बनाते हैं। इससे आगे चलकर विकास मुसीबत में पड़ जाता है।

अजमेर के विकास के लिए स्मार्ट सिटी, हैरिटेज सिटी, स्लम फ्री सिटी सहित अन्य योजनाओं पर शहर की मांग के अनुरूप डीपीआर तैयार की जाए। शहर की आवश्यकता का पता लगाने के लिए विभिन्न मंचों का उपयोग किया जाए। जनता की भी राय ली जाए और उसी के अनुरूप डीपीआर तैयार हो। 

there will not be any damage to the city because of me says Bhdel

विकास योजनाओं की डीपीआर बनवाने, उसे स्वीकृत कराने और योजनाओं का समयबद्ध काम कराने में पूरा प्रयास करूंंगी। इसकी जिला, राज्य सरकार के स्तर पर समय-समय पर निगरानी भी की जाएगी।

शहर का विकास एडीए व नगर निगम के जरिए होना है, दोनों ही संस्थाएं खुद ही विकसित नहीं हैं?
भदेल : अजमेर विकास प्राधिकरण और नगर निगम को मजबूत बनाने के लिए विभाग के सचिव मंजीत सिंह और तन्मय सर ( मुख्यमंत्री के सचिव तन्मय कुमार) सबसे बड़ा सवालसे बात हुई है।

एडीए व निगम का बड़ा काम है। स्थानीय निकाय चुनाव की आचार संहिता के बाद दोनों संस्थाओं में अच्छे अफसर नियुक्त कराए जाएंगे। दोनों विभागों से जुड़ी समस्याओं को मैं स्वयं दूर करने का प्रयास करूंगी।

वासुदेव देवनानी और आप दोनों मंत्री हैं, क्या आपके आपसी विवाद का खमियाजा शहर को नहीं भुगतना पड़ सकता है?
भदेल : मेरी वजह से शहर को कोई नुकसान नहीं उठाना पड़ेगा। मैंने सभी मंचों से यह बात कही है कि मंत्रालय होने के बावजूद मेरी वजह से शहर का नुकसान नहीं हो, इसकी गारंटी है।

शहर के हित में अपना अहंकार छोड़ना चाहिए। मेरी यह मान्यता है, उनकी क्या है मुझे पता नहीं। शहर का हित वे भी चाहते हैं, शहर का हित मैं भी चाहती हूं। लेकिन लड़ाने वाले नीचे के लोग ही होते हैं। अपने स्वार्थ के लिए लड़ाते हैं, ऎसे लोग बहुत हैं, वे शत प्रतिशत इस तरह की हरकतें करेंगे। हमारा सीधा कोई विवाद नहीं है।

भाजपा संगठन का महत्व बना रहे, संगठन मजबूत हो, इसके लिए क्या प्रयास करेंगी?
भदेल : भाजपा संगठन सर्वोपरि है। संगठन के माध्यम से ही काम कराए जाएंगे। संगठन और कार्यकर्ता को प्राथमिकता दी जाएगी। संगठन के कार्यकर्ता और बाकी लोगों में अंतर तय होगा, तो संगठन मजबूत होगा। प्रत्येक कार्य में संगठन की भूमिका का ध्यान रखेंगे।

"भाजपा में कोई भ्रष्टाचारी है तो उखाड़ फेंको"

जालौर। गृहमंत्री गुलाबचंद कटारिया ने भाजपा कार्यकर्ताओं का आह्वान किया है कि पार्टी में यदि कोई व्यभिचारी या भ्रष्ट नेता है, तो उसे उखाड़ फैंकों तथा पार्टी को स्वच्छ बनाओ। उन्होंने कहा कि भ्रष्टाचार को मिटाने के लिए सिस्टम को सुधारना होगा।

नगर परिषद जालोर व भीनमाल नगरपालिका के बूथ कार्यकर्ता सम्मेलन में कटारिया ने कार्यकर्ताओं से कहा कि भ्रष्ट नेताओं को वोट की चोट से ठीक करना होगा। हमारा स्थानीय नेता भी ईमानदार होना चाहिए।
throw then uproot corruption in bjp says gulab chand kataria

उन्होंने भीनमाल नगरपालिका चुनाव के लिए विधायक पूराराम चौधरी व आहोर विधायक शंकरसिंह राजपुरोहित को तथा जालोर नगर परिषद चुनाव के लिए रानीवाड़ा विधायक नारायणसिंह देवल को भाजपा का बोर्ड बनाने की जिम्मेदारी सौंपी।

नहीं चलेगा अंगूठा छाप प्रतिनिधि
गृहमंत्री कटारिया ने संकेत दिए कि आने वाले पंचायतीराज चुनावों में अगूंठा छाप व्यक्ति जनप्रतिनिधि नहीं बन सकेंगे। वार्ड पंच, सरपंच, प्रधान समेत पंचायतीराज संस्थाओं के जनप्रतिनिधि पढ़े लिखे होंगे।

इसके लिए शीघ्र ही पंचायतीराज संस्थाओं में चुनाव लड़ने के लिए योग्यता का निर्घारण किया जाएगा। उन्होंने कहा कि ग्राम स्तर के जनप्रतिनिधि को किसी कागज पर हस्ताक्षर करते समय इतना तो मालूम पड़ सके कि कागज पर क्या लिखा है। जनप्रतिनिधि पढ़ा लिखा होने से हिसाब में गड़बड़ी की संभावना कम रहेगी।

शिक्षकों पर प्रहार
कटारिया ने एक बार फिर सरकारी शिक्षकों को वेतन के अनुसार काम करने की नसीहत दी। उन्होंने कहा कि एक सरकारी शिक्षक के वेतन में निजी विद्यालयों में पांच-पांच शिक्षक काम करते हैं। प्रदेश में फिर से आठवीं बोर्ड परीक्षा शुरू की गई है। - 

गुरुवार, 6 नवंबर 2014

प्रदेश में अब 9900 ग्राम पंचायतें और 296 पंचायत समितियां,बाड़मेर नौ पंचायत समितिया ,109 पंचायते

 प्रदेश में अब 9900 ग्राम पंचायतें और 296 पंचायत समितियां,बाड़मेर नौ पंचायत समितिया ,109  पंचायते 

बाड़मेर प्रदेश में अब 9900 ग्राम पंचायतें और 296 पंचायत समितियां हुईं..पंचायत समितियों के पुनर्गठन की अधिसूचना जारी कर दी गई है। अधिसूचना के अनुसार प्रदेश में 723 नई ग्राम पंचायतें और 47 नई पंचायत समितियां बन गई हैं। अब तक प्रदेश में 9177 ग्राम पंचायतें और 249 पंचायत समितियां थीं। अब इनमें नई पंचायतें व पंचायत समितियां और जुड़ जाएंगी।मंत्री गुलाबचंद कटारिया की अध्यक्षता वाली पंचायतों के पुनर्गठन के लिए गठित कैबिनेट कमेटी नई सरकार के आने के बाद से ही लगातार इस पर मंथन कर रही थी। तीन दिन पहले इसका काम पूरा हो गया था। अब गुरुवार को अधिसूचना जारी कर दी गई है।ये हैं नई पंचायत समितियांअजमेर में सरवाड को, बांसवाड़ा में गांगडतलाई, अरथूनाव तलवाड़ा, बाड़मेर में रामसर, गिडा, पाटोदी, कल्याणपुर,धनाऊ, सेढ़वा, समदडी, गुढ़ामलानी व गडरारोड, भरतपुर मेंपहाड़ी, भीलवाड़ा में बिजौलिया, बीकानेर में पांचू, चूरू में बीदासर, दौसा में लवाण, धौलपुर में सैंपऊ, डूंगरपुर में साबला, गलियाकोट, चिखली, जोथली व दोवड़ा को, गंगानगर में श्रीविजयनगर, जयपुर में पावटा व जालसू, झालावाड़ में भवानी मंडी व अकलेरा, जोधपुर में सेखाला, देचु, तिवरी, बापिणी, लोहावट व पीपाड़ शहर को, करौली में मंडरायल, नागौर में मौलासर, नावां व खींवसर, सवाई माधोपुर में चौथ का बरवाड़ा, सीकर में पाटन तथा उदयपुर में ऋषभदेव, सायरा, फलासिया, झल्लारा, सेमारी व कुराबड़ को पंचायत समिति बनाया गयाहै। अलवर, बारां, बूंदी, चित्तोड़गढ़, जैसलमेर, जालौर, हनुमानगढ़, झुंझुनूं, कोटा, प्रतापगढ़, राजसमंद, सिरोहीव टोंक में एक भी नई पंचायत समिति नहीं बनाई गई है।जिलेवार नई ग्राम पंचायतेंअजमेर में 6, अलवर में 42, बांसवाड़ा में 39, बारां में 7, बाड़मेर में 109, भरतपुर में 4, भीलवाड़ा 1, बीकानेर 71, बूंदी 2, चित्तौड़गढ़ 2, चूरू 5, दौसा में 9, धौलपुर 18, डूंगरपुर 54, गंगानगर 16, जयपुर 42, जैसलमेर में 12, जालौर में 10, झुंझुनूं में 13, जोधपुर 128, करौली 4, नागौर में 8, पाली में 1, प्रतापगढ़ 13, राजसमंद 2, सवाई माधोपुर 3, सीकर 14, सिरोही 11 व उदयपुर 77 नई ग्राम पंचायतें बनाई गई हैं। टोंक, कोटा, झालावाड़, हनुमानगढ़ में एक भी नई ग्राम पंचायत नहीं बनाई गई है।

विशेष आलेख। कैसे करें शाश्वत मूल्यों की सुरक्षा?- आचार्य डाॅ.लोकेशमुनि-



विशेष आलेख। कैसे करें शाश्वत मूल्यों की सुरक्षा?- आचार्य डाॅ.लोकेशमुनि-
कोई भी समाज अपने समय के साथ जीता और चलता है। समय बदलने के साथ ही अनेक सारी मान्यताएं तथा परम्पराएं बदल जाती हैं। जहां नहीं बदलती हैं वहां यह माना जाता है कि यह समाज दृढ़ और कट्टर है। जनसंख्या नियंत्रण का मामला हो या विकास की अवधारणा या फिर अंधविश्वास-अगर ये समय के साथ अपने आपको बदल नहीं पाए तो उसे देश या समाज की जड़ता मानी जाती है।

हमें पहले यह जानना चाहिए कि हम किस ‘समय’ और ‘समाज व्यवस्था’ में जी रहे हैं। यह एक बुनियादी सरोकार है। इससे कटकर हम नहीं चल सकते। यह तो हमें स्वीकार करना ही होगा कि औद्योगिक क्रांति के बाद पूरे विश्व ने अपनी दशा और दिशा में परिवर्तन किया है। हमें भी अपने विकास के मानदंडों की समीक्षा करनी होगी तभी विकसित और अर्धविकसित समाज की पहचान कर सकते हैं। अतः समाज को समझने और बदलने की महत्ती जिम्मेदारी पैदा हो गई है।

कहना होगा कि हमारा राजनीतिक ढांचा लोकतांत्रिक है और इसमें सत्ता तथा जनता की बराबर की हिस्सेदारी है। यहां आजादी महसूस की जा सकती है। हमारें यहां सकारात्मक बात यह है कि भारत में हमेशा मूल्यों की प्रधानता रही है जिसका जाने-अनजाने संबंध अध्यात्म से रहा है। पहले यही जीवन-मूल्य समाज और व्यक्ति को संचालित करते थे। इसी से पूरा समाज अनुशासित और संयमित रहता था। वे मूल्य आज भी उतने ही खरे हैं। ईमानदारी, सच्चरित्रता, सेवा, साधना, नैतिकता, अस्तेय-आज का भी सच है। भारत की पूजा और इज्जत इसी कारण हो रही है। पश्चिम इसी लिए भारत की ओर भागा आ रहा है।

औद्योगिक क्रांति से पैदा हुई जटिल अर्थव्यवस्था ने निश्चित तौर पर मानवीय-मूल्यों को हाशिए क चीज बना दिया है। आज तो संकट यह हो गया है कि क्या ये मूल्य जिंदा रह पायेंगे? अगर नहीं तो इसके बचाव के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं? औद्योगिक क्रांति ने अगर विकास के द्वार खोले हैं तथा वैज्ञानिक उपादानों की भरमार लगाई हैं तो इसने स्वतंत्रता को भी बाधित किया है। इससे स्वतंत्रता की नई परिभाषा का गठन किया है जो पूरी तरह से भौतिक और आर्थिक मुद्दों से जुड़ी हुई है। यह स्वतंत्रता मौज करने, भौतिक उपादानों के साथ जीने आदि की है जो दरअसल एक तरह की गुलामी है। आदमी इस युग में पैसे का दास हो गया है। आर्थिक पूर्ति के लिए वह अपना पूरा जीवन दांव पर लगा रहा है। उसकी आंखों से नींद गायब है और वह सरपट दौड़े जा रहा है। उसे कहां जाना है, क्या करना है, खुद पता नहीं है। उसके चारों ओर एक बदहवाशी छाई हुई है।

यही फर्क है पश्चिम के विकास की अवधारणा तथा भारतीय विकास की अवधारणा में। भारतीय अवधारणा शांति, सह-अस्तित्व और सामाजिक संतुलन की है जो किसी विपरीत परिस्थिति में भी उद्देश्य-विहीन नहीं है। वह मौलिक आजादी की पक्षधर है जो शरीर और मन के स्तर तक की होती है। वह आजादी उसके विवेक से निकलती है। किसी के द्वारा लादी नहीं जाती और न छीनी जा सकती है। भारत के पास मूल्यों का एक शाश्वत ढांचा है। उसे तैयार करने में मनीषियों, साधकों और समाज वैज्ञानिकों की हजारों वर्षों की तपस्या लगी है। उस अनुभव से जो ढांचा तैयार हुआ है, उसे चुनौती देना संभव नहीं है। यह अलग बात है कि सामाजिक पूर्वाग्रहों के कारण उसे ढांचे की यात्रा में अनेक कुप्रसंग और सिद्धांत जुड़ गए हैं जिसने समाज को कटघरे में खड़ा किया है। कुछ अफलातून लोग उसी का सहारा लेकर दिन-रात शाश्वत मूल्यों को कोसने में लगे हैं। वे तो यह आरोप भी लगा रहे हैं कि भारतीय मूल्यों और परम्पराओं ने आदमी को धर्म-सम्प्रदाय और जातियों में बांट दिया है। इस कारण यहां का पूरा-का-पूरा समाज अनेक गुटों और वर्गों में विभाजित है। उसे मानवता का हनन भी हो रहा है।

इस नई धारणा ने अंग्रेज इतिहासकारों की शह पाकर सांस्कृतिक प्रदूषण फैलाने का काम किया है। इसे खास तौर साम्यवादी और जातिवादी विचारधारा के लोग तूल दे रहे हैं। यह कैसा विरोधाभास है। जिस देश में सदियों की सांस्कृतिक परम्परा है, उस पर गर्व करने के बजाए ऐसे लोग हीनता से ग्रस्त हैं। वे कभी पश्चिम तो कभी साम्यवादी देशों की नई कुत्सित सांस्कृतिक परम्परा की प्रशंसा करते थकते नहीं है। उनके लिए प्राचीन भारतीय ग्रंथ फुटपाथी साहित्य कहलाता है। जबकि वे कार्ल माक्र्स के ‘दास कैपिटल’ जैसे विरोधाभासी ग्रंथ को अंतिम सत्य मानकर चल रहे हैं। जिस तरह यहां रामायण, आगम, त्रिपिटक और गुरु ग्रंथ साहिब को जो गौरव हासिल है, वही गौरव वे विदेशी किताबों को देना चाहते हैं। यह एक सुनियोजित साजिश है और इसमें विश्व के कई देश शामिल हैं। वे भारतीय दिक्भ्रमित लोगों की मदद से अपनी मान्यता को स्थापित करना चाहते हैं।

एसे ही दिक्भ्रमित लोगों के कारण समाज के वे लोग इज्जत हासिल कर रहे हैं जो अपराधी और भ्रष्ट हैं, अखबारों के पन्ने उन्हीं की काली करतूतों की दास्तान से रंगे होते हैं। यह एक नई परम्परा बन गई है कि प्रचारवादी लोग सिर्फ ‘पाॅजिटिव’ प्रचार पर ही विश्वास नहीं करते, अपितु ‘निगेटिव’ प्रचार भी उन्हें जीवनदायिनी लगता है। पूरी मीडिया उस प्रचार में शामिल हो गई है। समाज में जो लोग अच्छा काम कर रहे हैं या जो मानवता के लिए समर्पित हैं, वे मुश्किल से ही खबर के प्लाॅट की सुर्खी बन पा रहे हैं। यह एक ऐसी प्रवृत्ति है जो औद्योगिक क्रांति ने पैदा की थी और अब आर्थिक उदारतावाद उसे बाजार में लाकर स्थापित कर रहा है। यानी मानवता की कोई खबर नहीं, समाज का सबसे भ्रष्ट आदमी और कुख्यात अपराधी अखबारों की शोभा बढ़ाने वाले बन गए हैं। इस प्रवृत्ति के विरोध में नए सिरे से सोचने-समझने का वक्त आ गया है।

सवाल खड़ा हो गया है हम मूल्य किसे मानंे? उसे जो आज का बाजारवाद स्थापित कर रहा है या उसे जो हमारी परम्परा में सुरक्षित है। बहस इस पर होनी चाहिए। अगर हम इससे कतराते रहे तो निश्चित तौर पर जिस तरह अंग्रेजी हमारे जीवन में समा गई है, उसकी वेश-भूषा के बिना नहीं रह सकते, जैसे विदेशी सामानों से हमारा बाजार भरा हुआ है और हमारे घरों में स्वदेशी वस्तुओं को विस्थापित कर रहा है, उसी तरह पश्चिमी विचारधारा भी हमारे मन-प्राण में समा जाएगी। हमारे अपने शाश्वत मूल्य कहीं फुटपाथों पर भीख मांगते मिलेंगे और हम भी उसे उपेक्षा की नजरों से देखने के आदी हो जायेंगे। हमें पश्चिम की आंधी और उसके मीठे जहर को निस्तेज और प्रभावहीन करने के लिए अपनी परम्परा की तरफ जाना होगा। उसके पन्ने पलटने होंगे। अगर कुछ अवैज्ञानिक है तो उसके बारे में बहस शुरू करनी होगी।

तब यह भी सवाल कुरेदना होगा कि हमारे मूल्यों का लोप क्यों हो रहा है? इसके लिए जिम्मेदार कौन है? आखिर क्यों नैतिक शिक्षा के नाम पर कुछ लोग नाक-भौं सिकोड़ने लगते हैं? इसमें उन्हें साम्प्रदायिक भावना कहां से दिखाई पड़ जाती है? इन सवालों पर संवेदनशील होकर सोचने की जरूरत है। यह भी तय करना होगा कि ‘मूल्य-संपदा’ को किस तरह स्थापित किया जाए ताकि हमारा समाज आर्थिक उदारतावाद के युग में भी भारतीय समाज बनकर रह सके।




प्रेषक- आचार्य लोकेश आश्रम, 63/1 ओल्ड राजेन्द्र नगर, करोल बाग मेट्रो स्टेशन के समीप, नई दिल्ली-60 सम्पर्क सूत्रः 011-25732317, 9313833222,

बालोतरा में भाजपा में टिकटों के लिए छिड़ी जंग

बालोतरा में भाजपा में टिकटों के लिए छिड़ी जंग 


बालोतरा। आगामी निकाय चुनावो को लेकर बालोतरा नगरपरिषद में भी चुनावी रणभेरी बज गई है। चुनावी दंगल का आगाज होने के साथ ही भाजपा ने नगरपरिषद के 35 वार्डाे में जीताउ उम्मीदवार व प्रबल दावेदारो की नब्जे टटोलना शुरू कर दिया है। गुरूवार को जिले के प्रभारी ओर राज्य मंत्री जसवंतसिंह विष्नोई, राजस्व मंत्री अमराराम चोधरी, सांसद सोनाराम चोधरी, किसान मोर्चे के प्रदेष अध्यक्ष कैलाष चोधरी, सिवाना विधायक हमीरसिंह भायल,भाजपा जिलाध्यक्ष जालमसिंह रावलोत ने 35 वार्डाे से टिकट की दावेदारी करने वाले लोगो से मुलाकात की ओर चुनावी समीकरणो की जानकारिया ली। बेठक में शहर के 35 वार्डो के लिये करीब 220 दावेदारो ने अपना पक्ष रखा है। भारी भीड़ से माहोल मेले जेसा नजर आया। प्रभारी जसवंतसिंह विष्नोई ने बैठक के बाद में बाड़ेमर न्यूज ट्रेक से बातचीत में कहां कि दावेदारो की अर्जीयां ली गई है जिस पर वार्डो में सर्वे करवाकर प्रत्याषियो का चयन किया जायेगा।

बाडमेर,जिले में 1110 और गांव अभावग्रस्त घोषित

बाडमेर,जिले में 1110 और गांव अभावग्रस्त घोषित
बाडमेर, 6 नवम्बर। राज्य सरकार द्वारा खरीफ संवत् 2071 की गिरदावरी रिपोर्ट के आधार पर जिले के 1110 गांवों को और अभावग्रस्त घोेषित किया गया है।

जिला कलेक्टर मधुसूदन शर्मा ने बताया कि जिले में विभिन्न तहसील क्षेत्रों में गिरदावरी के अनुसार 50 प्रतिशत से अधिक खराबे वाले बाडमेर तहसील के 297, बायतु के 55, गिडा के 126, शिव के 79, चैहटन के 261, सेडवा के 223, धोरीमना के 11,समदडी के 46 तथा पचपदरा तहसील के 12 गांवों को अभावग्रस्त घोषित किया गया है। उन्होने बताया कि अभावग्रस्त घोषित इन गांवो में राजस्थान एफेक्टेड एरियाज (सस्पेंशन आॅफ प्रोसिडिंग्स) एक्ट 1952 की धारा 5 सेग 10 तक के प्रावधान 31 जुलाई, 2015 तक लागू रहेंगे।