नयी दिल्लीः सीसैट को लेकर चल रहे विवाद के बीच सरकार ने स्थिति स्पष्ट करते हुए आज कहा कि सिविल सेवा परीक्षा में अंग्रेजी भाषा वाले प्रश्न के अंकों को ग्रेडिंग या मेरिट में सम्मलित नहीं किया जायेगा. किन्तु सरकार ने यह भी कहा कि सीसैट प्रणाली में बदलाव करने का भी कोई प्रस्ताव नहीं है.
सीसैट को लेकर लोकसभा में दिये गये बयान पर आज राज्य सभा में भी जोरदार हंगामा हुआ. विपक्षी पार्टियों ने जितेंद्र सिंह के लोकसभा में दिये गये बयान पर सरकार को सफाई देने की मांग की. विपक्षी सदस्यों ने भाषा के आधार पर छात्रों के साथ हो रहे भेदभाव का मुद्दा उठाया.
लोकसभा में कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि हिन्दी भाषी छात्रों के हितों को ध्यान में रखते हुई सरकार ने यह तय किया है कि अंग्रेजी के मार्क्स को मेरिट या ग्रैडिंग में नहीं जोडा जाएगा. और सरकार ने यह भी साफ कर दिया कि मौजूदा सीसैट प्रणाली को चलने दिया जाय जैसा कि समिति ने सिफारिश किया है. सरकार ने यह भी कहा कि 2011 में सिविल सर्विस की परीक्षा दे चुके परीक्षार्थियों को 2015 में भी बैठने का एक और मौका मिलेगा. हालांकि अभी इस पर अंतिम निर्णय प्रधानमंत्री के साथ होने वाली बैठक के बाद किया जाएगा.
वहीं विरोध कर रहे छात्रों का कहना है कि सरकार की ओर से जारी किये गये इस बयान में छात्रों के मूल समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया है. छात्रों ने कहा कि यह बयान सरकार की ओर से दिये गए 'लॉलीपॉप' सा है. मिली जानकारी के मुताबिक सरकार के इस बयान के बाद छात्रों ने अपना विरोध जारी रखने का फैसला किया है.
यूपीएससी सीसैट और इस परीक्षा में अंग्रेजी को तवज्जो दिये जाने को लेकर छात्र पिछले कुछ दिनों से आंदोलन कर रहे हैं. संसद के वर्तमान सत्र में भी यह विषय कई बार उठा था. सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी करने वाले हिन्दी भाषी क्षेत्र के छात्र सीसैट का विरोध कर रहे हैं. उनका दावा है कि सीसैट की वजह से सभी छात्रों को समान अवसर नहीं मिल रहा है और यह कला, समाज विज्ञान और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों के खिलाफ है.
छात्रों का दावा है कि सीसैट के एक सेट में 40 से 45 प्रश्न अंग्रेजी में पूछे जाते हैं. सिविल सेवा परीक्षा के पैटर्न में बदलाव को लेकर छात्रों के आंदोलन के बीच यूपीएससी ने 24 अगस्त को होने वाली प्रारंभिक परीक्षा में बैठने वाले अभ्यर्थियों को प्रवेश पत्र जारी करना शुरु कर दिया था. इसके कारण आंदोलन ने उग्र रुप अख्तियार कर लिया था.
सरकार ने इस विषय पर विचार के लिए तीन सदस्यीय समिति नियुक्त की थी जो सिविल सेवा एप्टीट्यूट परीक्षा (सीसैट) के पैटर्न को बदलने की परीक्षार्थियों की मांग पर अध्ययन कर रिपोर्ट पेश किया था. इस विषय पर कार्मिक राज्य मंत्री डा जितेन्द्र की प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह के साथ भी चर्चा हुई थी.
आज भी राज्यसभा में यूपीएससी सीसैट परीक्षा का मुद्दा उठा था और विपक्षी सदस्यों ने सी-सैट के मुद्दे पर सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया और उसके खिलाफ विशेषाधिकार नोटिस दिया.
लोकसभा में कार्मिक राज्य मंत्री डा. जितेन्द्र सिंह के बयान के बाद सपा के धर्मेन्द्र यादव ने सरकार के बयान को आधा अधूरा बताते हुए यह स्पष्ट करने को कहा कि क्या सीसैट को हटा दिया गया है. बीजद के भतृहरि माहताब ने भी जानना चाहा कि क्या सीसैट को हटा दिया गया है.