सांचौर चार महीने पहले सांचौर सबजेल से फरार हुए हिस्ट्रीशीटर अनिल पांडया को पकडऩे के लिए जालोर सहित राज्यभर की पुलिस टीमें तलाश कर रही है। लेकिन कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अनिल पांडया चार माह बाद भी पुलिस की गिरफ्त से कोसों दूर है। अनिल पांडया व अन्य सहयोगियों को पकडऩे के लिए जालोर एसपी के निर्देश पर पुलिस टीमों का गठन किया गया है। जानकारी के अनुसार कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अनिल पांडया अपने सहयोगियों से सांचौर सबजेल में प्रहरी पर हमला करवा अपने साथियों के साथ फरार हुए पांडया का पुलिस को आज दिन तक उसका कोई सुराग नहीं मिला है। पुलिस को लोसल थाना क्षेत्र से गिरफ्तार उसके साथी राजकुमार जाट से पूछताछ के दौरान पांडया के सबजेल से भगाने की योजना का खुलासा हुआ है। पुलिस को उसके हरियाणा, गुजरात व पंजाब में होने के संकेत जरूर मिले हैं। मगर बताए गए ठिकानों तक पहुंचने से पहले पांडया वहां से फरार हो गया। डीडवाना में बनी थी पांडया को भगाने की योजना : पुलिस के अनुसार कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अनिल पांडया चार माह पहले पुलिस गिरफ्त में आने के बाद 8 से 20 अक्टूबर तक बालोतरा व सांचौर जेल में लगातार अपने साथियों से फोन पर संपर्क में था। उसने अपने साथियों को जेल से भगाने की योजना बनाने को कहा था। जिस पर पांडया गैंग से जुडे सदस्य जितेंद्र उर्फ जीतू, राकेश, देवेंद्र, शमीर, महेंद्र, विकास, भंवरलाल जाट, मुकेश ब्राह्मण ने आपस में संपर्क कर डीडवाना में इकट्ठे हुए। इसके बाद मुकेश के ठिकाने पर पांडया को सांचौर जेल से भगाने की योजना को अंतिम रूप दिया गया। योजना के अनुसार पांडया गैंग के सदस्य एक बोलेरो कैंपर लेकर सांचौर की ओर रवाना हुए, जहां दो सदस्यों को बस से सांचौर की और रवाना किया।
जिनसे गुड़ामालानी के नोकड़ा गांव में शराब तस्कर रेखाराम जाट के यहां मिलने की बात तय हुई। लेकिन रास्ते में गैंग के सदस्यों की कैंपर पलटी खाने से एक साईड का शीशा टूट गया, जिस पर उक्त वाहन नोकड़ा में छोड़ दी तथा वहां से रेखाराम जाट ने गैंग के सदस्यों को नई टवेरा गाड़ी उपलब्ध करवाई। वारदात के दिन जेल में पांडया से की थी मुलाकात : 20 अक्टूबर को टवेरा गाड़ी में पांडया गैंग के सदस्य बैठकर सांचौर जेल पंहुचे तथा पांडया से मुलाकात कर उसे योजना की जानकारी दी। रात को ही जेल से भगाने की बात तय हुई, जिसके बाद कुछ साथियों को नए कपड़े खरीदने के लिए बाजार भेज दिया। वहीं दो साथी जेल से चार रास्ता की ओर टवेरा लेकर जा रहे थे, इस दौरान पुलिस चैकिंग के दौरान वाहन के कागज नहीं होने पर पुलिस ने वाहन को जब्त कर लिया। पुलिस को तब इतनी बड़ी वारदात के आरोपी होने का संदेह नहीं था, पुलिस द्वारा टवेरा जब्त करने के बाद उक्त आरोपियों को अनिल पांडया के साथ जेल में बंद सांचौर के अरणाय निवासी गोपाराम दर्जी ने जेल से ही फोन कर गैंग के सदस्यों को अपने साथी की स्कार्पियों उपलब्ध करवाई। जिसके बाद योजनाबद्ध तरीके से पहले मुलाकात का कहकर अनिल पांडया व एक साथी राजकुमार शर्मा को जेल से निकालकर बैरक में लाया गया, जिसके बाद अनिल पांडया साथियों के साथ भागने लगा तो संतरी द्वारा रोकने पर एक साथी ने फायरिंग की, जिसमें संतरी घायल हो गया, जेलर जगदीश प्रसाद ने बैरक में मौजूद गोपाराम को चिल्ला-चिल्लाकर भाग रहे आरोपियो को पकडऩे को कहा जिस पर जेल में बंद गोपाराम भी अनिल पांडया को पकडऩे के बहाने पांडया गैंग के साथ भाग छूटा। जेल से भागने बाद सीधे पंहुचे गुजरात सांचौर सब जेल से अपने साथियों के साथ हिस्ट्रीशीटर अनिल पांडया, रामकुमार जाट व गोपाराम दर्जी अपने साथियों के साथ स्कार्पियों में बैठकर नर्मदा मुख्य केनाल के पास कच्चे रास्ते में कुछ दूर गए एवं उसके बाद स्कॉर्पियों के चालक को उतार दिया तथा दूसरे साथियों के साथ गुजरात के मेहसाणा पंहुचे, लेकिन सांचौर पुलिस को अभी तक वारदात में काम ली गई स्कॉर्पियों व उसके चालक की पहचान नहीं हो पाई है। अनिल पांडया अपने साथियों के साथ मेहसाणा पहुंचने के बाद सभी अलग अलग हो गए। जिसके बाद आज दिन तक पुलिस को अनिल पांडया व उसके साथियों का पता नहीं लग पाया है। हिस्ट्रीशीटर पांडया व गोपाराम पर एक-एक हजार का ईनाम कुख्यात हिस्ट्रीशीटर अनिल पांडया की गैंग के 6 सदस्य पुलिस गिरफ्त में आ चुके हैं। जिनसे पुलिस अनिल पांडया तक पहुंचने की कोशिश कर रही है। जालोर एसपी के नेतृत्व में सांचौर थानाधिकारी भंवरलाल सीरवी, करड़ा, बागरा, भीनमाल व चितलवाना थानाधिकारियों की टीम गठित कर आरोपियों की तलाश में जुटी है। अनिल पांडया व गोपाराम पर जालोर पुलिस अधीक्षक ने एक-एक हजार रुपए का ईनाम भी घोषित कर रखा है।