शनिवार, 15 फ़रवरी 2014

प्राचीन चंद्रावती नगरी में चल रहे उत्खनन कार्य के दौरान किले के नीचे निकला पत्थरों का निर्माण


आदिम चंद्रावती के प्रमाण आए सामने, किले के फर्श तक खुदाई



आबूरोड चंद्रावती क्षेत्र में चल रहे खनन कार्य के तहत शुक्रवार को करीब पांच मीटर तक गहराई के दौरान आदिम चंद्रावती के प्रमाण सामने आए हैं। किले के परिसर के मध्य में ईंटों की नीचे पत्थरों का निर्माण निकला है। इस कारण यहां पर और अधिक गहराई तक खुदाई कार्य किया जा रहा है। किले के पीछे गोल बुर्ज में फर्श निकल आया है। किले के प्रवेश द्वार, किले के विभिन्न ट्रैंचों में दिन भर सफाई का कार्य जारी रहा।राजस्थान विद्या पीठ के प्रोफेसर जीवन खरकवाल ने बताया कि तीसरे चरण की खुदाई के तहत ईंटों के नीचे पत्थरों की नींव व निर्माण जैसी संरचना मिली है। इससे आदिम चंद्रावती के बारे में पता लगता है। प्रोफेसर के अनुसार ईंटों से पहले पत्थरों के उपयोग करते थे, लेकिन उन्हें ईंटों के उपयोग व बनाने के बारे जानकारी थी, उन्होंने बताया कि इस खुदाई के मार्ग में अन्य कोई अवरोधक या अन्य कोई निर्माण नहीं आने तक उत्खनन कार्य जारी रहेगा। किले के प्रवेश द्वार पर उत्खनन कार्य किया जा रहा है यहां भी दिन भर सफाई का कार्य जारी रहा। किले के पीछे गोल बुर्ज में फर्श सामने आया है। इस बार की खुदाई के समापन के कारण क्षेत्र में गहराई तक खुदाई नहीं की जाएगी। प्रोफेसर ने बताया कि शनिवार को राजस्थान विद्या पीठ के चांसलर भवानीशंकर गर्ग चंद्रावती का अवलोकन करेंगे। प्रोफेसर खरकवाल के अनुसार इस बार की खुदाई के समापन के तहत एक-दो दिन और उत्खनन कार्य जारी रहेगा। इसके बाद पेपर वर्क किया जाएगा। दिन भर शोधार्थी आवश्यक कार्यों को संपादित करने में जुटे रहे। डॉ. केपीसिंह बिसलपुर, प्रांजल गर्ग, नारायण पालीवाल, नुपूर तिवारी, हितेश बुनकर, पुरातत्व विभाग जयपुर के वरिष्ठ प्रारुपकार रजनीकांत वर्मा, प्रारुपकार सुनील सांखला व कनिष्ठ लिपिक योगेंद्रसिंह ने नक्शे को बनाने के साथ अन्य कार्य संपादित किए।


 

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