पटना। बिहार में एक व्यक्ति ने अंतरजातीय विवाह करने वाले बेटे को न केवल बेदखल कर दिया, बल्कि उसके खिलाफ शनिवार को एक अदालत में मानहानि का मामला भी दायर कर दिया।
पटना के वकील सिद्धनाथ शर्मा ने इस बात पर भी जोर दिया है कि उनका बेटा सुशांत जसू उनके नाम का भी इस्तेमाल नहीं कर सकेगा और जितनी बार वह उनके नाम का प्रयोग करेगा उसे हर बार 10,000 रूपए कॉपीराइट शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा।
दानापुर की एक अदालत में बेटे पर 1 करोड़ रूपए की मानहानि का दावा ठोकते हुए शर्मा ने कहा कि मेरी छवि और सम्मान को मेरे बेटे ने हमारी इच्छा के विरूद्ध अंतरजातीय विवाह कर धक्का पहुंचाया है। अब उसे इसकी भरपाई करनी चाहिए।
सुशांत जसू गुजरात के पालमपुर कस्बे में केंद्र सरकार का कर्मचारी है और वरिष्ठ कर सहायक के रूप में कार्यरत है। उसने दानापुर में रहने वाली और एक गैर सरकारी बैंक की कर्मचारी से 19 नवंबर 2013 को विवाह कर लिया।
नाराज शर्मा ने कहा कि मैं और मेरी पत्नी ने वर्षो तक बेटे की देखभाल में समय और धन खर्च किया, लेकिन उसने हमलोगों को धोखा दिया है। वह दो वर्ष पहले अपनी जिंदगी में आई लड़की के प्रेम जाल में उलझ गया। उन्होंने दावा किया कि उनके बेटे के इस कदम से 400 वर्ष पुरानी स्व जाति में विवाह करने की परंपरा ध्वस्त हुई है।
बिहार में अंतरजातीय विवाह को हालांकि सरकार बढ़ावा देती है, लेकिन अभी भी यह सामाजिक रूप से दुष्कर है और आम तौर पर इस तरह का कदम उठाने वाले जोड़े को अपने परिवार और समाज का तीव्र विरोध झेलना पड़ता है।
इस तरह के विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष दिए जाने वाले लाभ को दोगुणा कर दिया। योजना के तहत जाति के बाहर विवाह करने वाली महिला को मिलने वाले 25000 रूपए की राशि को दोगुणा कर 50,000 रूपए कर दिया गया।
पटना के वकील सिद्धनाथ शर्मा ने इस बात पर भी जोर दिया है कि उनका बेटा सुशांत जसू उनके नाम का भी इस्तेमाल नहीं कर सकेगा और जितनी बार वह उनके नाम का प्रयोग करेगा उसे हर बार 10,000 रूपए कॉपीराइट शुल्क का भुगतान करना पड़ेगा।
दानापुर की एक अदालत में बेटे पर 1 करोड़ रूपए की मानहानि का दावा ठोकते हुए शर्मा ने कहा कि मेरी छवि और सम्मान को मेरे बेटे ने हमारी इच्छा के विरूद्ध अंतरजातीय विवाह कर धक्का पहुंचाया है। अब उसे इसकी भरपाई करनी चाहिए।
सुशांत जसू गुजरात के पालमपुर कस्बे में केंद्र सरकार का कर्मचारी है और वरिष्ठ कर सहायक के रूप में कार्यरत है। उसने दानापुर में रहने वाली और एक गैर सरकारी बैंक की कर्मचारी से 19 नवंबर 2013 को विवाह कर लिया।
नाराज शर्मा ने कहा कि मैं और मेरी पत्नी ने वर्षो तक बेटे की देखभाल में समय और धन खर्च किया, लेकिन उसने हमलोगों को धोखा दिया है। वह दो वर्ष पहले अपनी जिंदगी में आई लड़की के प्रेम जाल में उलझ गया। उन्होंने दावा किया कि उनके बेटे के इस कदम से 400 वर्ष पुरानी स्व जाति में विवाह करने की परंपरा ध्वस्त हुई है।
बिहार में अंतरजातीय विवाह को हालांकि सरकार बढ़ावा देती है, लेकिन अभी भी यह सामाजिक रूप से दुष्कर है और आम तौर पर इस तरह का कदम उठाने वाले जोड़े को अपने परिवार और समाज का तीव्र विरोध झेलना पड़ता है।
इस तरह के विवाह को प्रोत्साहित करने के लिए राज्य सरकार ने पिछले वर्ष दिए जाने वाले लाभ को दोगुणा कर दिया। योजना के तहत जाति के बाहर विवाह करने वाली महिला को मिलने वाले 25000 रूपए की राशि को दोगुणा कर 50,000 रूपए कर दिया गया।