जयपुर. राजस्थान में अब पंचायतीराज मंत्री गुलाबचंद कटारिया, खान मंत्री कैलाश मेघवाल, पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व प्रदेशाध्यक्ष डॉ. महेशचंद्र शर्मा, ललित किशोर चतुर्वेदी जैसे कई प्रमुख भाजपा नेता हर महीने मोटी पेंशन पाएंगे। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में मीसा बंदियों को पेंशन देने के फैसले के बाद भाजपा के ऐसे 300 से ज्यादा नेताओं और कार्यकर्ताओं को हर महीने पेंशन मिलेगी।
पिछली बार यह राशि छह हजार तय की गई थी, अभी यह तय नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि यह राशि दस हजार रुपए से ज्यादा हो सकती है। घनश्याम तिवाड़ी का कहना है कि हमने चुनाव में इस पेंशन को मार्च 2008 से ही लागू करने का चुनावी वादा किया था और अगर इसे उसी भावना के अनुरूप रखा जाए तो बेहतर होगा।
मीसा बंदी पेंशन, वह सब जो आप जानना चाहते हैं
मीसा और डीआईआर एक्ट के तहत बंद रहे लोगों में पंचायती राज मंत्री गुलाबचंद कटारिया और खान मंत्री कैलाश मेघवाल भी हैं। इनके अलावा पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. महेश शर्मा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिशंकर भाभड़ा, पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत, भंवरलाल शर्मा, महावीरप्रसाद जैन, रघुवीरसिंह कौशल जैसे प्रमुख नेता भी मीसा और डीआईआर में बंद रहे।
मीसा बंदियों को पेंशन दिलाने के लिए लोकतंत्र रक्षा मंच के बैनर तले आंदोलन करने वाले कौशल किशोर जैन का कहना है कि आपातकाल के दौरान कुल 2222 लोग मीसा, डीआईआर और 107-151 के तहत बंदी रहे थे। लेकिन भाजपा सरकार ने जब पिछली बार मार्च 2008 में हर मीसा और डीआईआर बंदी के लिए पेंशन मंजूर की तो यह छह हजार रुपए प्रति माह थी। 500 रुपए चिकित्सा सहायता के लिए अलग से देने का प्रावधान किया था। इसमें कुल 850 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन सरकार बदली तो कांग्रेस ने इस योजना को रोक दिया। इनमें से पात्रता जांच के लिए जिलों के प्रभारी मंत्रियों की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी।
पिछली बार यह राशि छह हजार तय की गई थी, अभी यह तय नहीं है, लेकिन माना जा रहा है कि यह राशि दस हजार रुपए से ज्यादा हो सकती है। घनश्याम तिवाड़ी का कहना है कि हमने चुनाव में इस पेंशन को मार्च 2008 से ही लागू करने का चुनावी वादा किया था और अगर इसे उसी भावना के अनुरूप रखा जाए तो बेहतर होगा।
मीसा और डीआईआर एक्ट के तहत बंद रहे लोगों में पंचायती राज मंत्री गुलाबचंद कटारिया और खान मंत्री कैलाश मेघवाल भी हैं। इनके अलावा पूर्व मंत्री घनश्याम तिवाड़ी, पूर्व अध्यक्ष डॉ. महेश शर्मा, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष हरिशंकर भाभड़ा, पूर्व मंत्री राजेंद्र गहलोत, भंवरलाल शर्मा, महावीरप्रसाद जैन, रघुवीरसिंह कौशल जैसे प्रमुख नेता भी मीसा और डीआईआर में बंद रहे।
मीसा बंदियों को पेंशन दिलाने के लिए लोकतंत्र रक्षा मंच के बैनर तले आंदोलन करने वाले कौशल किशोर जैन का कहना है कि आपातकाल के दौरान कुल 2222 लोग मीसा, डीआईआर और 107-151 के तहत बंदी रहे थे। लेकिन भाजपा सरकार ने जब पिछली बार मार्च 2008 में हर मीसा और डीआईआर बंदी के लिए पेंशन मंजूर की तो यह छह हजार रुपए प्रति माह थी। 500 रुपए चिकित्सा सहायता के लिए अलग से देने का प्रावधान किया था। इसमें कुल 850 लोगों ने आवेदन किया था, लेकिन सरकार बदली तो कांग्रेस ने इस योजना को रोक दिया। इनमें से पात्रता जांच के लिए जिलों के प्रभारी मंत्रियों की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई थी।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें