शुक्रवार, 2 अगस्त 2013

मंत्रालयिक कार्मिकों ने मुख्यमंत्री का फूंका पुतला

मंत्रालयिक कार्मिकों ने मुख्यमंत्री का फूंका पुतला



बाड़मेर. राजस्थान राज्य मंत्रालयिक कर्मचारी संघर्ष समिति प्रदेश आह्वान पर मंत्रालयिक कर्मचारियों का सामूहिक अवकाश का शुक्रवार को 23वे दिन भी जारी रहा। शुक्रवार को मंत्रालयिक कर्मचारियों की तीन सूत्रीय मांगो के सम्बन्ध में मंत्रालयिक कर्मचारियों ने बाड़मेर जिले के समस्त बाबूओं के साथ मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का पूतला फूंका। कर्मचारी नेता इन्द्रप्रकाश पुरोहित के नेतृत्व में पुतले की शव यात्रा गॉधीचौक से शुरू हुई। गांधी चौक से अंहिसा सर्कल होते हुऐ किसान छात्रावास, विवेकानन्द चौराहे होते हुऐ जिला मुख्यालय पर कलेक्ट्रेट के आगे कार्मिको ने पुतले को जलाकर विरोध प्रकट किया, और नारेबाजी कर विरोध जताया कि सरकार सोई हुई है उसे जगाओं और बाबू सड़को पर आ गये है अब खैर मनाओ । इस प्रदर्शन में बालोतरा,सिवाना, शिव, गुड़ामालानी, बाटाडू सहित जिले भर से सैकड़ो कार्मिक प्रदर्शन में सम्मिलित हुए। मंत्रालयिक कार्मिको के इस विरोध में कार्मिको ने गुस्से में आकर पुतले के जूते भी मारे। साथ ही शोक मनाते हुए कार्मिको ने पुतले को सडक पर रख कर रो रो कर सरकार का विरोध जताया। उन्होंने कलेक्ट्रेट के सामने स्पष्ट चेतावनी देते हुए सरकार को समय रहते चेत जाने की नसीहत दी हैं। कर्मचारी नेता बाबूलाल संखलेचा के अनुसार जो सरकार अपनी जनता और अपने कार्मिको को नजऱ अंदाज़ करे ऐसी सरकार को इन पुतलो की तरह जलकर खत्म करना मजबूरी हैं।
कर्मचारियों के अनुसार उनका आन्दोलन अब उग्र रूप ले चूका हैं और जब तक मांगे नहीं मानी जाती तब तक आन्दोलन का क्रम जारी रहेगा। संघर्ष समिति के अनुसार सारे प्रदेश में मंत्रालयिक कर्मचारी सामूहिक अवकाश लेकर सड़को पर आ गये, उन्हें मान सम्मान और स्वाभिमान की आवश्यकता है। कर्मचारी विभिन्न प्रकार के प्रदर्शन कर रहे है उनमें एकता मजबूत हुई है, कर्मचारियों ने इस बार कमर कस ली है कि हम हमारा हक लेकर रहेगे चाहे सरकार दण्डात्मक रूख अपना ले, कर्मचारी उतने तेज व उग्र आन्दोलन कर रहे है।कार्मिको के अनुसार सरकार के रीड् की हड्डी कहलाने वाले बाबू आज सड़कों पर है, लेकिन सरकार ऑखे मूंद कर बैठी देख रही है, सरकार ने कठोर आदेश जारी कर बाबूओं को डराने की कोशिशे की परन्तु उससे बाबूओं में ताकत मिली हैं।

अब रिफाइनरी के लिए प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर लगेगा धरना


अब रिफाइनरी के लिए प्रत्येक तहसील मुख्यालय पर लगेगा धरना

बाड़मेर.
राजस्थान के बाड़मेर जिले में रिफाइनरी बचाओ संघर्ष समिति की ओर से कलेक्ट्रेट के बाहर दिया गया धरना शुक्रवार को भी जारी रहा। शुक्रवार को धरने पर सैकड़ों की संख्या में बैठे किसानों ने सुर में सुर मिलाते हुए कहा कि रिफाइनरी किसी भी सूरत में पचपदरा में नही लगने दी जाएगी। उसके लिए उन्हें चाहे आंदोलन की राह क्यों न अपनानी पड़े। शुक्रवार को धरने पर बैठे किसानों ने कहा कि लीलाला रिफाइनरी के लिए अस्सी फिसदी किसान सहमत है और जमीन देने को भी राजी है। लेकिन मीडिया में झूठी खबरें आ रही है कि लोग जमीन देने को राजी नहीं है। सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार एक करोड़ रुपए मुआवजे के नाम राजनीति कर रिफाइनरी का स्थान परिवर्तन किया है, जिससे बायतु सहित जिलेभर के किसानों में रोष है। यूथ कांग्रेस लोकसभा के पूर्व अध्यक्ष डॉ. रमन चौधरी ने कहा कि शुक्रवार से बायतु तहसील मुख्यालय पर किसानों का धरना दिया जाएगा। वहीं 4 अगस्त को बैठक के बाद जिले के सभी तहसील मुख्यालयों पर विरोध-प्रदर्शन स्वरुप धरने दिए जाएंगे और रिफाइनरी को लीलाला में लगाए जाने की मांग उठाई जाएगी।
बाड़मेर रिफाइनरी को लेकर पिछले एक-डेढ़ माह से संघर्ष चल रहा है। पचपदरा में रिफाइनरी स्थापित किए जाने की घोषणा के बाद विवाद बढ़ गया है। किसान आंदोलन पर है और रिफाइनरी को लीलाला में स्थापित किए जाने की मांग पर अड़े हुए है। वहीं सरकार पचपदरा में रिफाइनरी को स्थापित किए जाने को लेकर किसानों को मनाने में लगी हुई है। ऐसे में अब रिफाइनरी को लेकर आंदोलन तेज होने की संभावना होगा। किसानों की ओर से इसी माह एक बड़ा महापड़ाव दिए जाने की योजना भी है।

निजी पलों को सुर्खियां बनाने से कैटरीना खफा

मुंबई। हाल ही आईबीजा बीच पर हॉट मस्ती को लेकर चर्चा में रही एक्ट्रेस कैटरीना कैफ इन दिनों मीडिया से बेहद खफा है। कैट ने मीडिया को खरी खोटी सुनाई है। यहीं नहीं कैट ने एक खुला पत्र लिखा है। निजी पलों को सुर्खियां बनाने से कैटरीना खफा

पत्र में कैट ने लिखा एक मैगजीन में छपी फोटो और उन्हें मीडिया द्वारा पेश किए जाने मैं दुखी और हताश हूं। यह फोटो बिना मेरी अनुमति के ली गईं जब मैं स्पेन में छुटि्टयां मना रही थी और इन्हें अपने कॉमर्शियल फायदे के लिए इस्तेमाल किया गया।
निजी पलों को सुर्खियां बनाने से कैटरीना खफा

साथ ही लिखा,मैं मीडिया से रिक्वेस्ट करती हूं कि वह इस तरह की फोटो मीडिया में पेश ना करे। मैं हमेशा मीडिया के सवालों को जवाब देने को तैयार रहती हूं। ऎसे में इस तरह के रिलेशिपशिप से हैरान हू।


उल्लेखनीय है कि पिछले दिने स्पेन के आईबीजा बीच पर रणबीर कपूर के साथ छुट्टी मनाती हुई कैटरीना कैफ की बिकनी पहने फोटो इंटरनेट पर लीक हुई थी। जिसे मीडिया ने काफी जोशीले अदांज पेश किया था। इन फोटो को लेकर सवाल भी उठे थे कि यह दोनों ने शादी करली है या फिर करेंगे।

बदला बेड़ा,दक जयपुर,जार्ज जोधपुर में "हाकिम"

जयपुर। चुनावी साल में राज्य सरकार ने अपने पुलिस बेडे में महत्वपूर्ण फेरबदल कर दिया है। प्रदेश के कमिश्नरी प्रणाली वाले दोनों शहरों, राजधानी जयपुर और जोधपुर में पुलिस कमिश्नर बदल दिए गए हैं। इसके अलावा पांच पुलिस महानिरीक्षकों समेत कुल 49 आला अधिकारियों के तबादला आदेश शुक्रवार को जारी कर दिए गए। बदला बेड़ा,दक जयपुर,जार्ज जोधपुर में "हाकिम"
राजधानी जयपुर में स्थाई कमिश्नर के तौर पर अब जोधपुर कमिश्नर भूपेन्द्र सिंह दक नए "हाकिम" होंगे। उधर, पूर्व कमिश्नर बी.एल.सोनी के स्थानांतरण के बाद कार्यवाहक कमिश्नर के तौर पर यह कुर्सी संभालने वाले अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (द्वितीय) बीजू जॉर्ज जोसेफ को जोधपुर का नया कमिश्नर लगाया गया है। गौरतलब है कि वकील आन्दोलन के दौरान वकीलों पर बल प्रयोग के मामले में दबाव को देखते हुए सोनी का स्थानांतरण कर दिया गया था।

इसी तरह पांच पुलिस महानिरीक्षकों को बदला गया हैं जिनमें धर्मचंद जैन को पुलिस महानिरीक्षक एसीबी जयपुर,टी गुइटे को पुलिस महानिरीक्षक सुरक्षा जयपुर, गोविंद गुप्ता को पुलिस महानिरीक्षक कोटा रेन्ज,अमृत कलश को पुलिस महानिरीक्षक उदयपुर रेन्ज तथा जर्नादन शर्मा को पुलिस महानिरीक्षक बीकानेर रेन्ज पर पदस्थापित किया गया हैं।

किसको कहां लगाया

आईपीएस लता मनोज कुमार को कमाण्डेंट दसवीं बटालियन,उमेश चंद्र दत्ता को कमांडेंट आठवीं बटालियन,राकेश सकसेना को कमांडेंट तीसरी बटालियन आरएसी,नई दिल्ली, विपुल चतुर्वेदी को पुलिस अधीक्षक सीआईडी (सीबी) जयपुर, बहादुर सिंह कपूर पुलिस अधीक्षक (मुख्यालय) जयपुर,अशोक नरूका को पुलिस अधीक्षक एसएसबी जयपुर,हरिप्रसाद शर्मा को पुलिस अधीक्षक (ग्रामीण) जयपुर के पद पर लगाया गया है।

इसी प्रकार एस एन खींची को कमांडेंट चौथी आरएसी बटालियन जयपुर, एस परिमाला को पुलिस अधीक्षक सीआईडी (इन्टेलीजेन्स) जयपुर,के बी वंदना को कमांडेंट हाडी रानी बटालियन अजमेर,विकास कुमार को पुलिस उपायुकत जयपुर,पूर्व. दीपक कुमार को पुलिस अधीक्षक सीआईडी (सीबी) जयपुर,परम ज्योति को कमांडेंट एसडीआरएफ कोटा तथा अंशुमन भौमिया को पुलिस अधीक्षक सीआईडी (इन्टेलीजेन्स) जयपुर लगाया गया है।

इसी तरह कैलाश चंद विश्नोई को पुलिस अधीक्षक हनुमानगढ,सत्यवीर सिंह को कोटा शहर,ओम प्रकाश को अलवर, डा. विष्णुकांत को पाली एवं महेश कुमार गोयल को उदयपुर एवं प्रफुल्ल कुमार को पुलिस अधीक्षक चुरू के अलावा पदोन्नत कर मोहम्मद आलम को बूंदी, दिलिप कुमार को दौसा,लक्ष्मण गौड़ को पुलिस उपायुकत जोधपुर,प्रसन्न कुमार खामसेरा को पुलिस अधीक्षक डूंगरपुर,किशन सहाय मीणा को टोंक,जयनारायण को बांसवाडा,अशोक कुमार गुप्ता को भरतपुर, सवाई सिंह को बाडमेर,ललित माहेश्वरी को सवाईमाधोपुर,हैदर अली को सीकर,हेमंत कुमार शर्मा को जैसलमेर तथा अनिल कुमार टांक को जालोर पुलिस अधीक्षक लगाया गया है।

रिश्वत लेते बाबू गिरफ्तार

उदयपुर। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के एक बाबू को शुक्र वार को तीन नि:शक्तजनों के विकलांगता प्रमाण पत्र बनाने के बदले तीन सौ रूपए प्रति व्यक्ति के हिसाब से नौ सौ रूपए की रिश्वत लेते हुए भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो के दल ने रंगे हाथों गिरफ्तार कर लिया है।

सूत्रों के मुताबिक क्षेत्र के चोखलाबारा निवासी पिंटू लाल वडेरा ने 30 जुलाई को ब्यूरो में शिकायत की थी कि सीएचसी के बाबू मांगी लाल मेघवाल द्वारा विकलांगता प्रमाण पत्र बनवाने के बदले पांच सौ रूपए मांगे जाने की शिकायत दर्ज कराई थी । रिपोर्ट में पिंटू लाल ने स्वयं के साथ ही निचली सिगरी निवासी शांता खराडी एवं भामटी निवासी शांता गरासिया से भी रूपए मांगने की बात कही थी। इस पर ब्यूरो टीम उसी दिन झाडोल पहुंची और मामले का सत्यापन करके रिपोर्ट गोयल को सांैपी ।

गोयल ने आगे की कार्रवाई करने के लिए डीवाईएसपी राजीव जोशी के नेतृत्व में टीम का गठन कर आगे की कार्रवाई करने के निर्देश दिए। सत्यापन के दौरान बाबू मांगी लाल एवं फरियादी पिंटू लाल के बीच पांच सौ की बजाय चार सौ रूपए प्रत्येक प्रमाण पत्र के देना तय हुआ और बाबू ने इनको एक अगस्त को आकर प्रमाण पत्र ले जाने के लिए कहा। एक अगस्त को तीनों नि:शक्तजन सीएचसी पर पहुंचे और बाबू मांगी लाल से प्रमाण पत्र लेने के लिए मिले, किंतु मांगी लाल ने फोटो सही नहीं होने की बात कहते हुए इन्हें दूसरे फोटो लेकर शुक्रवाार को आने केलिए कह दिया।

शुक्रवार दोपहर को तीनों प्रार्थी बाबू मांगी लाल मेघवाल के पास पहुंचे और पांच सौ रूपए व फोटो उसे दिए। इस पर मांगी लाल ने तीन सौ रूपए प्रति प्रमाण पत्र के हिसाब से लेते हुए सौ रूपए लोटा दिए और प्रमाण पत्रों की खानापूर्ति करके चिकित्सक के हस्ताक्षर होने के बाद ले जाने के लिए कहते हुए तीनों को रवाना कर दिया । इन तीनों प्राथियों के बाबू के कमरे से बाहर निकलते ही घात लगाए बैठी ब्यूरो टीम के सदस्यों ने तुरंत मांगी लाल को पकड़ा और हाथ धुलवाए जिससे बाए हाथ से लाल रंग निकला। इसके बाद ब्यूरो टीम ने मांगी लाल के पर्स से टीम द्वारा दिए गए पांच सौ रूपए के दोनों नोट भी बरामद कर लिए। टीम ने चिकित्सा अधिकारी राजीव आमेटा को भी अपने क् वाटर से बुलवा लिया और पुछताछ की । इसके बाद ब्यूरो टीम ने गवाहों के बयान दर्ज कर बाबू मांगी लाल मेघवाल को उदयपुर लेकर चली गई। आरोपी को शनिवार को न्यायालय में पेश किया जाएगा।

प्रेमिका को मारकर प्रेमी ने खुद को भी गोली मारी

सीकर। जिले के लक्ष्मणगढ़ कस्बे में शुक्रवार को प्यार में पागल एक प्रेमी ने पहले अपनी प्रेमिका को गोली मारी बाद में खुद को भी गोली मारकर आत्महत्या कर ली। घटना में दोनों की मौत हो गई। बताया जा रहा है कि दोनों कई दिनों से प्रेम प्रसंग चल रहा था। पुलिस ने दोनों के शव का पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सौंप दिया है।प्रेमिका को मारकर प्रेमी ने खुद को भी गोली मारी
जानकारी के अनुसार लक्ष्मणगढ़ कस्बे के पन्लावा गांव का रहने वाला धर्मपाल एक निजी स्कूल में पढ़ता था। उसी गांव की रहने वाली अनिता बीएड में पढ़ रही थी। दोपहर करीब सवा बारह बजे अनिता पैदल चल कर बीएड परीक्षा देने जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में उसके पास धर्मपाल पहुंच गया और वह अनिता से बातचीत करने लगा।

दोनों में किसी बात को लेकर झगड़ा हो गया इस पर गुस्साए धर्मपाल ने अनिता के गर्दन और पेट में गोली मार दी जिससे अनिता की मौके पर ही मौत हो गई। इसके बाद वहां से धर्मपाल 200 मीटर दूर खेत में जाकर एक पेड़ के नीचे खुद को गोली मार ली।

इससे धर्मपाल की भी मौके पर मौत हो गई। सूचना पर मौके पर पहुंची पुलिस ने दोनों के शव को पोस्टमार्टम के लिए लक्ष्मणगढ़ के अस्पताल भेजा गया। वहां पर उनका पोस्टमार्टम कराकर परिजनों को सुपुर्द कर दिया। पुलिस ने बताया कि दोनों दूर के रिश्तेें मे भाई-बहन थे। बताया जा रहा है कि दोनों में प्रेम प्रसंग चल रहा था। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी।

खरी खरी। ।तत्कल टिपणी राज्य सरकार के पुलिस महकमे में चुनावी राजनितिक तबादले

खरी खरी। ।तत्कल टिपणी राज्य सरकार के पुलिस महकमे में चुनावी राजनितिक तबादले 


बाड़मेर राज्य सरकार ने शुक्रवार को पुलिस विभाग में बड़ा फेरबदल करते हुए उनपचास आई पी एस अधिकारियो के तबादले किये हें। जिनमे अधिकांस जिलो में गत माह आर पी एस से पदान्नत हुए आई पी एस अधिकारियो को लगाया गया हें। आई पी एस अधिकारियो को ट्रेनिग सन्तरो या महकमो अथवा बटालियनो में खपाया गया हें। इस सूचि से यह स्पष्ट हो गया की कांग्रेस आ पी एस अधिकारियो पर चुनावी समय में भरोसा करने की बजे अपने कार्यकाल में पद्दोनत किये आर पी एस अधिकारियो पर भरोसा जता कर जिलो की कमान सौंपी हें। राज्य में कई काबिल पुलिस अधिकारी हें जिन्होंने अपने कर्कल में अपनी क्षमता का दम भरा और काबिलियत दिखाई मगर उन काबिल अधिकारियो पर चुनावी समय में सरकार भरोसा नहीं कर पी। यह भी अलग बात हें की अभी जिन अधिकारियो को जिला पुलिस अधीक्षक पद पर लगाया गया हें वे इस पद पर एक साल से कम समय तक ही रह पाएंगे। सरकार ने बड़ा जुआ खेला हें पदोन्नत किये अधिकारियो पर। सरकार की कंही न कंही यह सोच सामने आती हें की उनके कार्यकाल में पदोन्नत किये अधिकारी उनकी सरकार के प्रति सहानुभूति रखेंगे जिससे उन्हें चुनावो में फायदा होगा। इस तबादला सूचि में कई काबिल अधिकारियो को ऐसी वैसी जगह लगाया गया हें। सीधे आई पी एस चुनाव के समय शायद अपनी काबिलियत के आधार पर कम करते जो सरकार को गवारा नहीं। यह सूचि साफ़ तौर पर चुनावी तबादला सूचि हें। 

नायब तहसीलदार बनीं सरबजीत सिंह की बेटी



जालंधर। पाकिस्तान में लाहौर की कोट लखपत जेल में साथी कैदियों के हमले का शिकार हुए सरबजीत सिंह की बेटी स्वपनदीप कौर नायब तहसीलदार बन गई हैं। पंजाब सरकार ने शुक्रवार को उन्हें नियुक्ति पत्र सौंपा। पंजाब के मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल ने कहा कि सरबजीत देश के लिए शहीद हो गए। भारतीय होने के कारण पाकिस्तान की जेल में उन्हें बहुत पीड़ा झेलनी पड़ी।


उन्होंने कहा कि नायब तहसीलदार के रूप में सरबजीत की बेटी की नियुक्ति राष्ट्र के लिए उनके बलिदान को राज्य सरकार की ओर से श्रद्धांजलि है। हमने अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वाह किया, क्योंकि यह हर सरकार की मौलिक जिम्मेदारी होती है कि वह देश के लिए जान न्यौछावर करने वाले अपने सपूतों का सम्मान करे।



बादल ने मई में सरबजीत की बेटी को नायब तहसीलदार की नौकरी देने का वादा किया था। उन्होंने कहा कि सरबजीत की दूसरी बेटी की नियुक्ति स्कूल शिक्षिका के रूप में की जाएगी। पंजाब सरकार ने सबरजीत के परिवार को एक करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता भी दी है।









सरबजीत पर 26 अप्रैल को कोट लखपत जेल में हमला हुआ था। छह दिन तक जिंदगी और मौत से जूझने के बाद दो मई को उन्होंने लाहौर के जिन्ना अस्पताल में दम तोड़ दिया। सरबजीत को पाकिस्तान में साल 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में बम विस्फोटों के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया था, जिसमें 14 लोगों की मौत हो गई थी। लेकिन उनके परिवार का दावा है कि वह निर्दोष थे और गलती से पाकिस्तान की सीमा में प्रवेश कर गए थे।

सवाई सिंह गोदारा बाड़मेर ,हेमंत शर्मा जैसलमेर पुलिस अधीक्षक

राजस्थान में पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल


सवाई सिंह गोदारा बाड़मेर ,हेमंत शर्मा जैसलमेर पुलिस अधीक्षक 


-बाड़मेर राज्य सरकार आदेश जारी कर चुनावो से पूर्व पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल करते हुए उनपचास आई पी एस अधिकारियो के तबादले किये हें। कार्मिक विभाग द्वारा जारी आदेश के तहत सवाई सिंह गोदारा को बाड़मेर ,हेमंत शर्मा को जैसलमेर ,लक्षम गौड़ को जोधपुर ,,मोहम्मद आलम बूंदी ,दिलीप कुमार दौसा ,प्रसन्न कुमार् डूंगरपुर ,किशन सही मीना को टोंक ,जयनारायण को बांसवाडा ,अशोक कुमार गुप्ता भरतपुर ,ललित महेश्वरी सवाई माधोपुर ,हैदर अली सीकर अनिल टोंक जालोर लगाया हें। लक्ष्मण गौड़ को जोधपुर उपायुक्त लगाया गया हें। शेष सूचि के लिए इस लिंक पर क्लिक करे

अश्लील क्लीपिंग बनाकर किया दुष्कर्म

जयपुर। नाहरगढ़ रोड थाना इलाके में अश्लील क्लिीपिंग सार्वजनिक करने की धमकी देकर युवती को अजमेर ले जाकर दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। पुलिस ने मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। अश्लील क्लीपिंग बनाकर किया दुष्कर्म
पुलिस के अनुसार विद्याधर नगर थाना इलाके अंबाबाड़ी क्षेत्र में रहने वाली युवती ने मामला दर्ज कराया है कि उसके कपड़े प्रेस करने की दुकान के समीप रोहित उर्फ विक्की नाम का युवक काम करता था और दुकान पर आता-जाता रहता था।


आरोप है कि रोहित ने बहला-फुसला कर दुष्कर्म किया और अश्लील क्लिीपिंग बना ली। इसके बाद आरोपी युवक की ओर से पीडिता को क्लिीपिंग सार्वजनिक करने की धमकी देते हुए अजमेर ले जाया गया और यहां दुष्कर्म किया।


पीडिता ने लौट कर घटनाक्रम की जानकारी अपने परिजनों को दी। परिजनों ने थाने पहुंचकर पुलिस को घटनाक्रम की जानकारी देते हुए मामला दर्ज कर लिया। पुलिस ने बताया कि पीडिता की ओर से पहले भी आरोपी युवक के खिलाफ मामला दर्ज कराया गया था। पुलिस ने दर्ज मामले पर अनुसंधान शुरू कर दिया है।

ये लड़की राह चलते लोगों से पूछती हैं, क्या मेरे साथ सेक्स करोगें?

अगर आपको रास्ते में जाते हुए कोई लड़की सेक्स के लिए कहे तो आपको कैसा लगेगा? आप तो एक पल के लिए हैरान हो जाएंगे। लेकिन, एंड्रिया नाम की यह लड़की रास्ते में आने जाने वाले लोगो को बेबाक सेक्स के लिए पूछ रहा हैं। देख्‍ाने में आकर्षक यह लड़की हर रोज यह अजीबोगरीब हरकत करती है।
इस लड़की ने आज तक जितने लड़को को सेक्स का प्रस्ताव दिया, उनमें से आधे लड़को ने उसे मना कर दिया। खबर के अनुसार, एंड्रिया दरअसल यूट्यूब के ‘आस्किंग गॉयज फॉर सेक्स: ए स्पेशल एक्सपेरिमेंट’ सेगमेंट के लिए यह काम कर रही है। इसलिए वह बिना हिचकिचाहट लड़कों से सेक्स के लिए पूछ रही हैं। इसके अलावा वह बकायदा उनके जवाब रिकॉर्ड भी करती है। कई लोग इसे मजाक समझते, तो कई उसे पागल कहते।

इस वीडियो शूट के दौरान एंड्रिया ने करीब 14 लोगों से बात ‌की, जिनमें से सात लोगो ने उसे सेक्स के लिए हां कही। इनमें से लोग अपनी गर्लफ्रेंड के साथ थे, फिर भी उन्होंने एंड्रिया को हां बोला। हालांकि एंड्रिया को इस दौरान इतने बुरे अनुभव ले नहीं गुजरना पड़ा, जितना बुरा हाल ‘ए गॉयज आस्क 100 गर्ल्स फार सेक्स’ की रिकॉर्डिंग करने वाले शख्स का हुआ था।

महिला कांस्टेबल से शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास

कोटा: एक महिला कांस्टेबल को कथित रुप से शादी का झांसा देकर शारीरिक संबंध बनाने का प्रयास करने और बाद में उसे जान से मारने की धमकी देने के आरोप में विभागीय जांच का सामना कर रहे राजस्थान में कोटा के महावीर नगर थाना प्रभारी पुलिस निरीक्षक विजय शंकर शर्मा को आखिर कोटा छोडऩा पड रहा है।
जयपुर में पुलिस मुख्यालय ने कल आधी रात बाद प्रदेश के जिन 143 निरीक्षकों के तबादले की सूची जारी की है, उसमें विजय शंकर का नाम भी शामिल हैं। हालांकि यह तबादला सूची जारी होने से पहले कल दिन में ही कोटा रेंज के पुलिस महानिरीक्षक अमृत कलश ने एक आदेश जारी करके विजय शंकर शर्मा को महावीर नगर थाने से हटाकर बारां जिले में भेज दिया था लेकिन मध्यरात्रि बाद आई तबादला सूची में उन्हें भरतपुर रेंज में भेज दिया गया है।

महिला कांस्टेबल द्वारा की गई शिकायतों की कोटा के पुलिस उप अधीक्षक चतुर्थ जांच कर रहे हैं जिन्होंने अपनी जांच रिपोर्ट अभी उच्चाधिकारियों को नहीं सौंपी हैं। हालांकि इस मामले में महिला कांस्टेबल के लिखित में शिकायत किये जाने के बावजूद शर्मा के खिलाफ मामला दर्ज नहीं किया है और महानिरीक्षक के आदेश पर उपअधीक्षक मामले की जांच कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि उद्योग नगर थाने में तैनात एक महिला कांस्टेबल ने पुलिस के उच्चाधिकारियों से शिकायत की थी कि जब निरीक्षक
विजय शंकर शर्मा उद्योग नगर थाने के प्रभारी थे तब उन्होंने उससे शादी का वायदा करके शारीरिक सम्बंध बनाने की कोशिश की लेकिन बाद में शादी करने से इनकार कर दिया। महिला कांस्टेबल ने उच्चाधिकारियों को शिकायत करने की बात की तो शर्मा ने उसे जान से मारने की धमकी दी।

निरीक्षक शर्मा की इन कथित धमकियों से तंग आकर गत 19 जुलाई को महिला कांस्टेबल एक पत्र छोडकर घर से लापता हो गई कि यदि उसकी मृत्यु हो गई तो शर्मा इसके लिये जिम्मेदार होंगे। गत 20 जुलाई को महिला कांस्टेबल के परिवारजनों ने कोटा के बोरखेडा थाने में उसकी गुमशुदी की रिपोर्ट दर्ज करवाने के बाद पुलिस ने महिला कांस्टेबल को 22 जुलाई को जयपुर से बरामद कर लिया था।

बाद में महिला कांस्टेबल ने इसी थाने में निरीक्षक शर्मा के खिलाफ लिखित में रिपोर्ट पेश की जिसकी पुलिस महानिरीक्षक के आदेश पर पुलिस उपअधीक्षक जांच कर रहे हैं। हालांकि इस बारे में अधिकारिक तौर पर तो कुछ भी नहीं बताया गया है लेकिन समझा जाता है कि जांच को प्रभावित करने से रोकने के लिये विजय शंकर शर्मा को कोटा से हटाकर भरतपुर रेंज में तैनात करने के आदेश दिये गये हैं।

कंवल - केहर : प्रेम कथा

गुजरात का बादशाह महमूद शाह अपने अहमदाबाद के किले में मारवाड़ से आई जवाहर पातुर की बेटी कंवल को समझा रहा था , " मेरी बात मान ले,मेरी रखैल बन जा | मैं तुझे दो लाख रूपये सालाना की जागीर दे दूंगा और तेरे सामने पड़े ये हीरे-जवाहरात भी तेरे | जिद मत कर मेरा कहना मान और मेरी रखैल बनना स्वीकार करले | कह कर बादशाह ने एक हीरों का हार कंवल के गले में डालने की कोशिश की , पर ये क्या ? इतने शक्तिशाली बादशाह की बात ठुकराते हुए कंवल ने हीरों का हार तोड़कर फैंक दिया |
उसकी माँ जवाहर पातुर ने बेटी की हरकत पर बादशाह से माफ़ी मांगते हुए बेटी कंवल को समझाने का थोडा समय माँगा | माँ ने कंवल को बहुत समझाया कि बादशाह की बात मान ले और उसकी रखैल बन जा तू पुरे गुजरात पर राज करेगी | पर कंवल ने माँ से साफ़ कह दिया कि वह "केहर" को प्यार करती है और उसकी हो चुकी है इसलिए गुजरात तो क्या,अगर कोई दुनियां का बादशाह भी आ जाये तो उसके किस काम का |
कँवर केहरसिंह चौहान महमूद शाह के अधीन एक छोटीसी जागीर "बारिया" का जागीरदार था और कंवल उसे प्यार करती थी | कंवल की माँ ने कंवल को खूब समझाया कि तू एक वेश्या की बेटी है एक पातुर है ,तुने किसी एक की चूड़ी नहीं पहन रखी | पर कंवल ने साफ कह दिया कि "केहर जैसे शेर के गले में बांह डालने वाली उस गीदड़ महमूद के गले कैसे लग सकती है |"
पास ही के कमरे में उपस्थित महमूद के कानों में जब ये शब्द पड़े तो वह गुस्से से भर गया उसने कंवल को महल में कैद करने के आदेश देने के साथ ही कंवल से कहा " अब तू देखना तेरे शेर को तेरे आगे ही पिंजरे में मैं कैसे कैद करके रखूँगा |
और बादशाह में अपने सिपहसालारों को बुला एलान कर दिया कि केहर को कैसे भी कैद करने वाले को केहर की जागीर बारिया जब्त कर दे दी जाएगी पर केहर जैसे राजपूत योद्धा से कौन टक्कर ले ,दरबार में उपस्थित उसके सामन्तो में से एक जलाल आगे आया उसके पास छोटी सी जागीर थी सो लालच में उसने यह बीड़ा उठा ही लिया |
योजना के अनुसार साबरमती नदी के तट पर शीतला माता के मेले के दिन महमूद शाह ने जल क्रीडा आयोजित की, जलाल एक तैराक योद्धा आरबखां को जल क्रीड़ा के समय केहर को मारने हेतु ले आया , जल क्रीड़ा शुरू हुई और आरबखां केहर पर पानी में ही टूट पड़ा पर केहर भी तैराकी व जल युद्ध में कम न था सो उसने आरबखां को इस युद्ध में मार डाला | केहर द्वारा आरबखां को मारने के बाद मुहमदशाह ने बात सँभालने हेतु केहर को शाबासी के साथ मोतियों की माला पहना शिवगढ़ की जागीर भी दी | बादशाह द्वारा आरबखां को मौत के घाट उतारने के बावजूद केहर को सम्मानित करने की बात केहर के सहयोगी सांगजी व खेतजी के गले नहीं उतरी वे समझ गए कि बादशाह कोई षड्यंत्र रच रहा है उन्होंने केहर को आगाह भी कर दिया,पर केहर को बादशाह ने यह कह कर रोक लिया कि दस दिन बाद फाग खेलेंगे और फाग खेलने के बहाने उसने केहर को महल के जनाना चौक में बुला लिया और षड्यंत्र पूर्वक उसे कैद कर एक पिंजरे में बंद कर कंवल के महल के पास रखवा दिया ताकि वह अपने प्रेमी की दयनीय हालत देख दुखी होती रहे |
कंवल रोज पिंजरे में कैद केहर को खाना खिलाने खुद आती और मौका देख केहर से निकलने के बारे में चर्चा करती, एक दिन कंवल ने एक कटारी व एक छोटी आरी केहर को लाकर दी व उसी समय केहर की दासी टुन्ना ने वहां सुरक्षा के लिए तैनात फालूदा खां को जहर मिली भांग पिला बेहोश कर दिया इस बीच मौका पाकर केहर पिंजरे के दरवाजे को काट आजाद हो गया और किसी तरह महल से बाहर निकल अपने साथियों सांगजी व खेतजी के साथ अहमदाबाद से बाहर निकल आया |
उसकी जागीर बारिया तो बादशाह ने जब्त कर जलाल को दे दी थी सो केहर मेवाड़ के एक सीमावर्ती गांव बठूण में आ गया और गांव के मुखिया गंगो भील से मिलकर आपबीती सुनाई | गंगो भील ने अपने अधीन साठ गांवों के भीलों का पूरा समर्थन केहर को देने का वायदा किया |
अब केहर बठूण के भीलों की सहायता से गुजरात के शाही थानों को लुटने लगा, सारा इलाका केहर के नाम से कांपने लगा बादशाह ने कई योद्धा भेजे केहर को मारने के लिए पर हर मुटभेड में बादशाह के योद्धा ही मारे जाते, महमूदशाह का कोई सामंत केहर के आगे आने की हिम्मत नहीं करता सो वह बार बार जलाल को ख़त लिखता कि केहर को ख़त्म करे पर एक दिन बादशाह को समाचार मिला कि केहर की तलवार के एक बार से जलाल के टुकड़े टुकड़े हो गए |
कंवल केहर के ज्यों ज्यों किस्से सुनती,उतनी ही खुश होती और उसे खुश देख बादशाह को उतना ही गुस्सा आता पर वह क्या करे बेचारा बेबस था | केहर को पकड़ने या मारने की हिम्मत उसके किसी सामंत व योद्धा में नहीं थी |
कंवल महमूद शाह के किले में तो रहती पर उसका मन हमेशा केहर के साथ होता वह महमूद शाह से बात तो करती पर उपरी मन से | केहर की वीरता का कोई किस्सा सुनती तो उसका चेहरा चमक उठता और वह दिन रात किले से भागकर केहर से जा मिलने के मनसूबे बनाती |
छगना नाई की बहन कंवल की नौकरानी थी एक दिन कंवल ने एक पत्र लिख छगना नाई के हाथ केहर को भिजवाया | केहर ने कंवल का सन्देश पढ़ा - " मारवाड़ के व्यापारी मुंधड़ा की बारात अजमेर से अहमदाबाद आ रही है रास्ते में आप उसे लूटना मत और उसी बारात के साथ वेष बदलकर अहमदाबाद आ जाना | पहुँचने पर मैं दूसरा सन्देश आपको भेजूंगी | ईश्वर ने चाहा तो आपका और मेरा मनोरथ सफल होगा |"
अजमेर अहमदाबाद मार्ग पर मुंधड़ा की बारात में केहर व उसके चार साथी बारात के साथ हो लिए केहर जोगी के वेष में था उसके चारों राजपूत साथी हथियारों से लैस थे | मुंधड़ा भी खुश था कि इन चार हथियारों लैस बांके राजपूतों को देख रास्ते में बारात को लुटने की किसी की हिम्मत नहीं पड़ेगी |
केहर को चिट्ठी लिखने के बाद कंवल ने बादशाह के प्रति अपना रवैया बदल लिया वह उससे कभी मजाक करती कभी कभार तो केहर की बुराई भी कर देती पर महमूद शाह को अपना शरीर छूने ना देती | उधर मुंधड़ा जी की बारात अहमदबाद पहुँच चुकी थी कंवल ने अपनी दासी को बारात देखने के बहाने भेज केहर को सारी योजना समझा दी |
बारात पहुँचने से पहले ही कंवल ने महमूद शाह से कहा - "हजरत केहर का तो कोई अता-पता नहीं आखिर आपसे कहाँ बच पाया होगा, उसका इंतजार करते करते मैं भी थक गई हूँ अब तो मेरी जगह आपके चरणों में ही है | लेकिन हुजुर मैं आपकी रखैल,आपकी बांदी बनकर नहीं रहूंगी अगर आप मुझे वाकई चाहते है तो आपको मेरे साथ विवाह करना होगा और विवाह के बारे में मेरी कुछ शर्तें है वह आपको माननी होगी |"
१-शादी मुंधड़ा जी की बारात के दिन ही हों |
२-विवाह हिन्दू रितिरिवाजानुसार हो | विनायक बैठे,मंगल गीत गाये जाए ,सारी रात नौबत बाजे |
३- शादी के दिन मेरा डेरा बुलंद गुम्बज में हों |
४- आप बुलंद गुम्बज पधारें तो आतिशबाजी चले,तोपें छूटें.ढोल बजें |
५- मेरी शादी देखने वालों के लिए किसी तरह की रोक टोक ना हो और मेरी मां जवाहर पातुर पालकी में बैठकर बुलन्द गुम्बज के अन्दर आ सके |
उस खुबसूरत कंवल को पाने हेतु उस कामुक बादशाह ने उसकी सारी शर्तें स्वीकार कर ली और मुंधड़ा जी की बारात के दिन अपनी व कंवल की शादी का दिन तय कर दिया |
शादी के दिन साँझ ढले कंवल की दासी टुन्ना पालकी ले जवाहर पातुर को लेने उसके डेरे पर पहुंची वहां योजनानुसार केहर शस्त्रों से सुसज्जित हो पहले ही तैयार बैठा था टुन्ना ने पालकी के कहारों को किसी बहाने इधर उधर कर दिया और उसमे चुपके से केहर को बिठा पालकी के परदे लगा दिए | पालकी के बुलन्द गुम्बज पहुँचने पर सारे मर्दों को वहां से हटवाकर कंवल ने केहर को वहां छिपा दिया |
थोड़ी ही देर में महमूद शाह हाथी पर बैठ सजधज कर बुलंद गुम्बज पहुंचा, कंवल की दासी टुन्ना चांदी का कलश ले बधाई को आई और कंवल ने आगे बढ़कर बादशाह को मुजरा किया व आदाब बजाई |
महमूद शाह के बुलंद गुम्बज में प्रवेश करते ही बाहर आतिशबाजी होने लगी,पटाखे छूटने लगे,तोपों की आवाज गूंजने लगी और ढोल पर जोरदार थाप की गडगडाहट से बुलंद गुम्बज थरथराने लगी | तभी छिपा हुआ केहर बाहर निकल आया और उसने बादशाह को ललकारा -" आज देखतें है शेर कौन है और गीदड़ कौन ? तुने मेरे साथ बहुत छल कपट किया सो आज तुझे मारकर मैं अपना वचन पूरा करूँगा|"
और दोनों योद्धा भीड़ गए,दोनों में भयंकर युद्ध हुआ | खड्ग,गुरंज,कटार,तलवार सभी हथियारों का खुलकर प्रयोग हुआ और फिर दोनों मल्ल-युद्ध करने लगे | उनके पैरों के धमाकों से बुलंद गुम्बज थरथराने लगा पर बाहर हो रही आतिशबाजी के चलते अन्दर क्या हो रहा है किसी को पता न चल सका | चूँकि केहर मल्ल युद्ध में भी प्रवीण था इसलिए महमूद शाह थोड़ी देर में ही केहर के घुटनों के निचे था,केहर ने महमूद शाह को अपने मजबूत घुटनों से कुचल दिया बादशाह के मुंह से खून का फव्वारा छुट पड़ा और कुछ ही देर में उसकी जीवन लीला समाप्त हो गयी |
दासी टुन्ना ने केहर व कंवल को पालकी में बैठा पर्दा लगाया और कहारों और सैनिकों को हुक्म दिया कि - जवाहरबाई की पालकी तैयार है उसे उनके डेरे पर पहुंचा दो और बादशाह आज रात यही बुलंद गुम्बज में कंवल के साथ विराजेंगे |
कहार और सैनिक पालकी ले जवाहरबाई के डेरे पहुंचे वहां केहर का साथी सांगजी घोड़ों पर जीन कस कर तैयार था | केहर ने कंवल को व सांगजी ने टुन्ना को अपने साथ घोड़ों पर बैठा एड लगाईं और बठूण गांव का रास्ता लिया | जवाहरबाई को छोड़ने आये कहार और शाही सिपाही एक दुसरे का मुंह ताकते रह गए |


नोट : यह मूल कहानी राजस्थानी भाषा की मूर्धन्य साहित्यकार पद्मश्री डा.लक्ष्मीकुमारी जी चुण्डावत की लिखी हुई है जिसे यहाँ छोटे रूप में प्रस्तुत किया गया|

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बणी-ठणी : राजस्थान की मोनालिसा

ज्ञान दर्पण से सा आभार 
राजस्थान के किशनगढ़ की विश्व प्रसिद्ध चित्रशैली “बणी-ठणी” का नाम आज कौन नहीं जनता ? पर बहुत कम लोग जानते है कि किशनगढ़ की यह चित्रशैली जो रियासत काल में शुरू हुई थी का नाम “बणी-ठणी” क्यों और कैसे पड़ा ? आज चर्चा करते है इस विश्व प्रसिद्ध चित्रशैली के नामकरण पर-

राजस्थान के इतिहास में राजा-रानियों आदि ने ही नहीं बल्कि तत्कालीन शाही परिवारों की दासियों ने भी अपने अच्छे बुरे कार्यों से प्रसिद्धि पायी है| जयपुर की एक दासी रूपा ने राज्य के तत्कालीन राजनैतिक झगडों में अपने कुटिल षड्यंत्रों के जरिये राजद्रोह जैसे घिनोने, लज्जाजनक और निम्नकोटि के कार्य कर इतिहास में कुख्याति अर्जित की तो उदयपुर की एक दासी रामप्यारी ने मेवाड़ राज्य के कई तत्कालीन राजनैतिक संकट निपटाकर अपनी राज्य भक्ति, सूझ-बुझ व होशियारी का परिचय दिया और मेवाड़ के इतिहास में अपना नाम स्वर्ण अक्षरों में लिखवाने में सफल रही| पूर्व रियासत जोधपुर राज्य की एक दासी भारमली भी अपने रूप और सौंदर्य के चलते इतिहास में चर्चित और प्रसिद्ध है|

“बणी-ठणी” भी राजस्थान के किशनगढ़ रियासत के तत्कालीन राजा सावंत सिंह की दासी व प्रेमिका थी| राजा सावंत सिंह सौंदर्य व कला की कद्र करने वाले थे वे खुद बड़े अच्छे कवि व चित्रकार थे| उनके शासन काल में बहुत से कलाकारों को आश्रय दिया गया|


“बणी-ठणी” भी सौंदर्य की अदभुत मिशाल होने के साथ ही उच्च कोटि की कवयित्री थी| ऐसे में कला और सौंदर्य की कद्र करने वाले राजा का अनुग्रह व अनुराग इस दासी के प्रति बढ़ता गया| राजा सावंतसिंह व यह गायिका दासी दोनों कृष्ण भक्त थे| राजा की अपनी और आसक्ति देख दासी ने भी राजा को कृष्ण व खुद को मीरां मानते हुए राजा के आगे अपने आपको पुरे मनोयोग से पूर्ण रूप से समर्पित कर दिया| उनकी आसक्ति जानने वाली प्रजा ने भी उनके भीतर कृष्ण-राधा की छवि देखी और दोनों को कई अलंकरणों से नवाजा जैसे- राजा को नागरीदास, चितवन, चितेरे,अनुरागी, मतवाले आदि तो दासी को भी कलावंती, किर्तिनिन, लवलीज, नागर रमणी, उत्सव प्रिया आदि संबोधन मिले वहीं रसिक बिहारी के नाम से वह खुद कविता पहले से ही लिखती थी|

एक बार राजा सावंतसिंह ने जो चित्रकार थे इसी सौंदर्य और रूप की प्रतिमूर्ति दासी को राणियों जैसी पौशाक व आभूषण पहनाकर एकांत में उसका एक चित्र बनाया| और इस चित्र को राजा ने नाम दिया “बणी-ठणी” | राजस्थानी भाषा के शब्द “बणी-ठणी” का मतलब होता है "सजी-संवरी","सजी-धजी" |राजा ने अपना बनाया यह चित्र राज्य के राज चित्रकार निहालचंद को दिखाया| निहालचंद ने राजा द्वारा बनाए उस चित्र में कुछ संशोधन बताये| संशोधन करने के बाद भी राजा ने वह चित्र सिर्फ चित्रकार के अलावा किसी को नहीं दिखाया| और चित्रकार निहालचंद से वह चित्र अपने सामने वापस बनवाकर उसे अपने दरबार में प्रदर्शित कर सार्वजानिक किया| इस सार्वजनिक किये चित्र में भी बनते समय राजा ने कई संशोधन करवाए व खुद भी संशोधन किये|

इस चित्र की सर्वत्र बहुत प्रसंशा हुई और उसके बाद दासी का नाम “बणी-ठणी” पड़ गया| सब उसे “बणी-ठणी” के नाम से ही संबोधित करने लगे| चितेरे राजा के अलावा उनके चित्रकार को भी अपनी चित्रकला के हर विषय में राजा की प्रिय दासी “बणी-ठणी” ही आदर्श मोडल नजर आने लगी और उसने “बणी-ठणी” के ढेरों चित्र बनाये| जो बहुत प्रसिद्ध हुए और इस तरह किशनगढ़ की चित्रशैली को “बणी-ठणी” के नाम से ही जाना जाने लगा|

और आज किशनगढ़ कि यह “बणी-ठणी” चित्रकला शैली पुरे विश्व में प्रसिद्ध है| “बणी-ठणी” का पहला चित्र तैयार होने का समय संवत 1755-57 है| आज बेशक राजा द्वारा अपनी उस दासी पर आसक्ति व दोनों के बीच प्रेम को लेकर लोग किसी भी तरह की प्रतिक्रिया व्यक्त करे या विश्लेषण करें पर किशनगढ़ के चित्रकारों को के लिए उन दोनों का प्रेम वरदान सिद्ध हुआ है क्योंकि यह विश्व प्रसिद्ध चित्रशैली भी उसी प्रेम की उपज है और इस चित्रशैली की देश-विदेश में अच्छी मांग है| किशनगढ़ के अलावा भी राजस्थान के बहुतेरे चित्रकार आज भी इस चित्रकला शैली से अच्छा कमा-खा रहें है यह चित्रकला शैली उनकी आजीविका का अच्छा साधन है|

“बणी-ठणी” सिर्फ रूप और सौंदर्य की प्रतिमा व राजा की प्रेमिका ही नहीं थी वह एक अच्छी गायिका व कवयित्री थी| उसके इस साहित्यक पक्ष पर प्रकाश डालते हुए राजस्थानी भाषा के मूर्धन्य साहित्यकार 

सौभाग्य सिंह शेखावत लिखते है-
राजकुलीय परिवारों की राणियों महारानियों की भांति ही राजा महाराजाओं के पासवानों, पड़दायतों और रखैलों में कई नारियाँ अच्छी साहित्यकार हुई है| किशनगढ़ के ख्यातिलब्ध साहित्यकार महाराजा सावंतसिंह की पासवान “बनीठनी” उत्तम कोटि की कवयित्री और भक्त-हृदया नारी थी| अपने स्वामी नागरीदास (राजा सावंत सिंह) की भांति ही बनीठनी की कविता भी अति मधुर, हृदय स्पर्शी और कृष्ण-भक्ति अनुराग के सरोवर है| वह अपना काव्य नाम “रसिक बिहारी” रखती थी| रसिक बिहारी का ब्रज, पंजाबी और राजस्थानी भाषाओँ पर सामान अधिकार था| रसीली आँखों के वर्णन का एक पद उदाहरणार्थ प्रस्तुत है-

रतनारी हो थारी आँखड़ियाँ |
प्रेम छकी रस बस अलसारणी, जाणी कमाल पांखड़ियाँ |
सुन्दर रूप लुभाई गति मति हो गई ज्यूँ मधु मांखड़ियाँ|
रसिक बिहारी वारी प्यारी कौन बसि निसि कांखड़ियाँ||


रसिक प्रिया ने श्रीकृष्ण और राधिका के जन्म, कुञ्ज बिहार, रास-क्रीड़ा, होली, साँझ, हिंडोला, पनघट आदि विविध लीला-प्रसंगों का अपने पदों में वर्णन किया है| कृष्ण राधा लीला वैविध की मार्मिक अभिव्यक्ति पदों में प्रस्फुटित हुई है| एक सांझी का पद इस प्रकार पाठ्य है-

खेले सांझी साँझ प्यारी|
गोप कुंवरि साथणी लियां सांचे चाव सों चतुर सिंगारी||
फूल भरी फिरें फूल लेण ज्यौ भूल री फुलवारी|
रहया ठग्या लखि रूप लालची प्रियतम रसिक बिहारी||


प्रिय की अनुपस्थिति प्रिया के लिए कैसी कितनी पीड़ाप्रद और बैचेनी उत्पन्न करने वाली होती है, यह तथ्य एक पंजाबी भाषा के पद में प्रकट है-

बहि सौंहना मोहन यार फूल है गुलाब दा|
रंग रंगीला अरु चटकीला गुल होय न कोई जबाब दा|
उस बिन भंवरे ज्यों भव दाहें यह दिल मुज बेताब|
कोई मिलावै रसिक बिहारी नू है यह काम सबाब दा ||



नोट : "बणी-ठणी" पर इसी माह राजस्थान की एक पत्रिका मूमल ने विशेषांक निकाला है जिसमे "बणी-ठणी" पर विस्तार से जानकारी देते हुए उसके चित्र व उसके सौन्दर्य पर प्रकाश डाला गया है| इस पत्रिका का डिजिटल अंक आप यहाँ चटका लगाकर पढ़ सकते है|



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स्थापत्यकला की गरिमापूर्ण कृति बेट द्वारका



स्थापत्यकला की गरिमापूर्ण कृति बेट द्वारका 

भगवान श्री कृष्ण अपने यादव परिवारों सहित मथुरा छोडकर सुराष्ट्र (सौराष्ट्र) में आते है। प्रभुने अब अपना बसेरा इस पवित्र भूमि में ही रखने का सोचा है और इस इरादों से वे सौराष्ट्र के समुद्र तट पर घुम रहे थे। उन्हे वहाँ की भूमि से मानो अच्छा लगाव हो गया और अपनी राजधानी स्थल के लिये स्थलचयन कर दिया। फौरन विश्वकर्माजी से बुलाया गया और प्रभुने अपनी इच्छा प्रगट की। विश्वकर्माजीने समुद्र तट पर अपनी दृष्टि डालते हुऐ बताया कि स्थान तो अदभूत है। राजधानी यहीं पर ही बनाना ठीक रहेगा लेकिन भूमि-विस्तार कम पडेगा। ज्यादा भूमि के लिये समुद्र देवसे प्रार्थना की गई प्रभु कृष्णने खुद समुद्रदेवकी आराधना की और समुद्रदेवने तटविस्तार से अपनी सीमाको थोडा अंदर की और लेते हुए द्वारिकाके निर्माणका रास्ता खोल दिया। बारह जोजन की भूमि सागरमहाराजने अपने स्थान से हटकर द्वारिका के लिये समर्पित कर दी। फिर तो विश्वकर्मा प्रभुने श्रीकृष्ण द्वारा कल्पनातीत नगरीका निर्माण कर दिया। सुवर्णनगरी का नाम द्वारिका रखा गया। द्वारावती या कुशस्थलीनाम से उसे जाना जाता था।

और एक किवदंती अनुसार श्रीकृष्ण प्रभु जब अपने अंतिम दिनोंमें सोमनाथ के नजदिक आये भालकतिर्थमें एक पारघी के बाण से घायल होकर त्रिवेणीसंगम स्थल पर अपना देहोत्सर्ग किया, तब उनकी बनाई हुई द्वारिका समुद्रमें डूब गइ थी।

भारतिय संस्कृति के युगप्रवर्तक - श्रीकृष्ण की पाटनगरी द्वारका:

सिन्धुसागर याने अरबसागर पर बसी हुई द्वारका गुजरात राज्य के पश्चिम छौर पर आयी हुई है। भगवान श्री कृष्णसे जिसका नाम जुडा हुआ हो वैसा अति प्राचीन तिर्थधाम है। द्वारिका को मोक्षनगरी से जाना जाता है। इसलिये हिन्दु धर्मीयात्री यहाँ वर्षभर दर्शनार्थे भावसे आते रहते है। प्रभुश्री कृष्णने यहाँ अपना साम्राज्य काफि काल तक फैलाया था। अपने बाल सखा सुदामाजी से सुभग मिलन बेट द्वारिकामें हुआ था। प्रभु प्रेम की दीवानी मीराबाईने भी मेरे तो गीरधर गोपाल दूसरो ना कोइ रे गाते हुए अपने अंतिम श्वास इस तिर्थभूमि पर ही त्याग कर मोक्षमार्ग पर चल दिया था। श्रीकृष्ण के राज्यकालमें द्वारिका सुवर्ण की ही बनी हुइ थी जो कालांतर से समुद्रमें समा गई ऐसा माना जाता है। प्रभु के साम्राज्य की समाप्ति के बाद यहाँ गुप्तवंश, पल्लववंश और चालुक्यवंश के भिन्न भिन्न राजाओंने राज्य किया था।

गोमती नदी और सिन्धुसागर (अरबसमुद्र) के संगमस्थान पर खडी हुयी द्वारिका में अदभुत नयनरम्य और जगमशहूर है श्रीकृष्णका जगतमंदिर। इस को करीब २५०० साल पुराना माना गया है। १६० फुट की सतहवाला यह भव्यमंदिर पाँच-पाँच मंजिलो से शोभायमान है। किवदंती में बताया गया, द्वारिका मंदिर तो विश्वनाथ प्रभुने निमिषमात्र में - चौवीस घंटेमें – बना दिया था केकिन उसका अभी अस्तित्व कहाँ, अब जो मंदिर हम देखते है वह पत्थरो की गई शिल्पकलासे सभर है। आठ आठ खंभो पर टीका हुआ है मंदिर का गुंबज। मंदिर के बाहरकी दिवारें भी पत्थर से बनी हुई है और बाटीक शिल्पकला से सज्ज है। शुध्ध चांदीसे आवृत सिहासन पर प्रभु श्री कृष्ण की मूर्ति मंदिर के मुख्य गर्भगृहमें बिराजमान है। श्याम शिलामें से निर्माण की गई प्रभु की मूर्ति चतुर्भूजा है। बडी नयनरम्य और पवित्र मूर्ति है वह।

द्वारिका से दो किमी के अंतर पर प्रभु की पटरानी देवीजी का १६०० साल पुराना मंदिर है। स्थापत्यकला की गरिमापूर्ण कृतिसम निर्माण किया हुआ है यह मंदिर। समुद्र में करीब ३२ कि.मी. की दूरी पर बेट द्वारका आया हुआ है। यात्री बोटमें बैठकर वहाँ के प्राचीन मंदिर संकुल को देखने और अपनी श्रध्धाको पूराकरने वहाँ अवश्य जाते है।