रविवार, 2 दिसंबर 2012

श्रम मंत्री के बेटे की शादी में बच्चों से मजदूरी!

श्रम मंत्री के बेटे की शादी में बच्चों से मजदूरी!

बेंगलूरू। नेता जो कहते हैं उसका खुद ही पालन नहीं करते। इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला केन्द्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे की शादी में। बेंगलूरू में मंत्री के बेटे की शादी में करीब 12 बच्चों को मजदूरी करते हुए देखा गया।

पैलेस ग्राउंड में रखे गए शादी के समारोह में कर्नाटक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। कुछ लड़कियों को प्लेट साफ करने के लिए रखा गया था। वहीं चार बच्चे झूठा छोड़ा गया खाना उठा रहे थे। वीआईपी गेस्ट के टेबल साफ कर रही एक बच्ची से पूछा गया कि उसे यहां कौन लाया तो उसने एक आदमी की तरफ इशारा करते हुए बताया कि वह उसी के निर्देश पर काम कर रही है।

अन्य बच्चों को खाने की गाड़ी को ढोते हुए,टेबलों को सरकाते हुए और परिसर की सफाई करते हुए देखा गया। जब मंत्री जी से बाल मजदूरी के कानून के उल्लंघन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किचन में काम करने वाले बच्चों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। कैटरिंग का कांट्रेक्ट एक ठेकेदार को दिया गया था। मैंने उससे साफ कहा था कि कोई बच्चा मत लाना।

कारगिल के हीरो शहीद भीखाराम के परिवार को बिजली का कनेक्सन के लिए लड़नी पड रही है जंग

  1. कारगिल के हीरो शहीद भीखाराम के परिवार को बिजली का कनेक्सन के लिए लड़नी पड रही है जंग

बाड़मेर कैप्टन सौरभ कालिया व उनके 5 साथियों के साथ पाकिस्तानी सेना के अमानवीय
यातनाएं दीं। यहां तक कि इन वीरों के अंग-भंग कर डाले तथा शरीर को गर्म
सरिये व सिगरेट से दागा गया। पाकिस्तान ने 9 जून, 1999 को इन शहीदों के
शव भारतीय अधिकारियों को सौंपे। अब इन शहीदों के परिवार अपनी अपनी जंग
लड़ रहे शहीद कैप्टन सौरभ को इंसाफ दिलाने के लिए 13 साल से लड़ रहे उनके
रिटायर्ड साइंटिस्ट पिता एन. के. कालिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका
दायर करते हुए गुहार लगाई है वही शहीद भीखाराम का पूरा भी एक जंग लड़
रहा है शहीद भीखाराम का परिवार बिजली के कनेक्सन के लिए एक लड़ाई लड़
रहा है सबसे चोकने वाली बात यह है कि पतासर गाव कई घरो में बिजली के
कनेसन है लेकिन राजनीति करने के चलते शहीद भीखाराम के घर में 13 साल से
बजली का कनेक्सन नहीं है शहीद भीखाराम का परिवार आज भी भी मुलभुत
सविधाओ के लिए दर दर की ठोकरे खा रहा है
4 जाट रेजिमेंट में कमिशन मिलने के ठीक बाद
कैप्टन सौरभ कालिया को करगिल में पोस्टिंग दी गई थी। मई 1999 में कैप्टन
सौरभ कालिया अपने 5 साथियों अर्जुन राम, भंवर लाल, भीखाराम, मूला राम व
नरेश सिंह के साथ गश्त पर गए थे। 15 मई, 1999 को पाक सेना ने इन्हें बंदी
बना लिया तथा 22 दिनों तक अमानवीय यातनाएं दीं। शहीद भिखराम के भाई
पदमराम के अनुसार जब हमारे घर शव आया था तो पूरा अंग भग किया हुआ था
हमारा पूरा परिवार आज भी शहीद मेजर सोरब कालिया के पिता एन. के. कालिया
के साथ रहकर लड़ाई लड़ रहा है शहीद भिखराम के भाई पदमराम के अनुसार एक
सैनिक रणक्षेत्र में सीने पर दुश्मनों की गोली झेलकर मरना चाहता है न कि
कई दिनों तक प्रताड़ित होते हुए। भिखराम भी कारगिल युद्ध के दौरान
पाकिस्तानी सैनिकों के हत्थे चढ़ गए। पाकिस्तान ने उनका बुरी तरह क्षत
विक्षत शव कुछ दिनों बाद भारत को सौंपा था। हमें इस बात की ख़ुशी है कि
हमारे भाई अपने वतन के लिए शहीद हुआ लेकिन इस बात का बहुत दुख है कि
हम केवल इतना चाहते हैं कि इस अमानवीय कृत्य के पीछे जो भी हों उनकी
पहचान की जाए और उन्हें असाधारण सजा दी जानी चाहिए। ताकि संसार में कहीं
भी इसके बाद किसी भी सैनिक की हालत मेरे बेटे एवं उसके साथियों की तरह न
हो
शहीद भिखराम के पिता
चेनाराम के अनुसार हमारे परिवार को इस बात की ख़ुशी है कि हमारा बेटा अपने
देश के कुछ काम तो आया लेकिन अब जो नेता और सरकार जो हमारे साथ क्र रही
है उससे हमे बड़ी ठेश पहुचती है हमने शहीद भिखराम की पत्नी भवरी देवी के
नाम से बिजली के कनेक्सन की फाइल 2007 में लगे थी लेकिन अभी तक हम इस के
लिए लम्बी जंग लड़ रहे है सबसे चोकने वाली बात यह है कि पुरे गाव में
बिजली के कई घरो में कनेक्सन है लेकिन हमें राजनीति के चलते भेदभाव
किया जा रहा यह कहा तक जायज है
शहीद भीखराम के भाई
पदमराम के अनुसार सरकार ने हमें एक पेट्रोल पम्प ,एक मुरबा .और 5 लाख
रूपए का मुआजा दिया है लेकिन हमारा पूरा परिवार बिजली के कनेक्शन के लिए
एक जंग लड़ रहा है सबसे मजे कि बात यह है कि हमारे गाव में कई घरो में
बिजली के कनेक्शन है लेकिन राजनितिक कारणों के चलते हमें बिजली का
कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है हम लोगो करीब 13 साल से सरकार दफ्तरों के
चक्कर निकाल रहे है और छोटो से बड़े नेता तक के पास अपनी अर्जी लगा दी
लेकिन कोई हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है और ऐसा ही कुछ हाल गाव में
पानी और सडक का है
शहीद भीखराम के भाई
पदमराम के अनुसार जब मेरा भाई भिखराम शहीद हुआ था तो कई नेता हमारे घर आए
थे और हमें यह विश्वास दिलाया था कि सरकार आपकी हर संभव मदद करगे उनमे से
एक वर्तमान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उस समय कहा था कि हम
आपको हर मुलभुत सविधा देगे लेकिन आप हकीकत क्या है आप खुद देख सकते हो
आज भी हम बिजली अपनी के लिए तरस रहे है अब तो हमने बिजली पानी सडक को तो
उमीद ही छोड़ दी है
वह इस पुरे मामले पर
बिजली विभाग पचपदरा केसहायक अभियंता सुनील दवे का कहना है कि शहीद भिखराम के
परिवार वाले कुछ रोज पहले मुझसे मिले थे जल्द ही फ़ाइल् के देख क्र हर
संभव मादा की जाएगी
वही इस मामले में
बालोतरा उपखंड अधिकारी कमलेश कुमार के अनुसार इस तरह का कोई भी मामला
हमारे धयान में नहीं आया है लेकिन ऐसा कुछ है तो हम शहीद भिखराम के
परिवार की पूरी मदद करेगे
दरसल यह हकीकत है
भारत में शहीद परिवार की ..........जहा सरकार कहने को तो यह कहती नजर
आती है कि हम शहीद के परिवार वाले की हर संभव मदद करते है लेकिन आज
राजस्थान में शहीद परिवार किस'डोर से गुजर रहे है वह आप खुद देख सकते है

नेहरू की प्रेमिका एडविना को कैजुअल सेक्स था पसंद!

नेहरू की प्रेमिका एडविना को कैजुअल सेक्स था पसंद! 

लंदन. आधुनिक भारत की नींव डालने वाले भारत के सबसे कद्दावर राजनेताओं में शुमार और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और भारत में ब्रिटेन के आखिरी वॉयसरॉय लॉर्ड माउंटबेटेन की पत्नी एडविना माउंटबेटेन के रिश्तों को लेकर इंग्लैंड में फिर से बहस छिड़ गई है। बहस की शुरुआत एडविना की बेटी पामेला माउंटबेटेन ने खुद की है। लॉर्ड माउंटबेटेन और उनकी पत्नी एडविना की बेटी पामेला हिक्स ने हाल ही में प्रकाशित अपनी आत्मकथा 'डॉटर ऑफ एम्पायर' में नेहरू और अपनी मां के रिश्तों पर विस्तार से लिखा है।

नेहरू की प्रेमिका एडविना को कैजुअल सेक्स था पसंद! 

डेली मेल से बातचीत में एडविना की बेटी पामेला ने कहा, 'पंडित जी (नेहरू) के रूप में उन्हें एक साथी मिला था। नेहरू के तौर पर उन्हें आध्यात्मिकता और ज्ञान वाला ऐसा साथी मिला था, जिसके लिए वे हमेशा ही बेचैन थीं।' खुद 83 साल की हो चुकीं पामेला को लगता है कि नेहरू और एडविना के बीच रिश्ता आध्यात्मिक था न कि सेक्सुअल। पामेला ने लिखा है, 'एडविना और नेहरू के पास इतना वक्त नहीं था कि वे किसी जिस्मानी रिश्ते में उलझें। दोनों की ज़िंदगी बेहद सार्वजनिक थी और वे बहुत मुश्किल से अकेले होते थे।' पामेला के मुताबिक नेहरू की चिट्ठियों को देखने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी मां और नेहरू के बीच कितना गहरा प्रेम था
लॉर्ड माउंटबेटेन ने दी थी छूट!
नेहरू की प्रेमिका एडविना को कैजुअल सेक्स था पसंद! 
भारत में ब्रिटेन के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटेन और उनकी पत्नी एडविना की बेटी पामेला ने अपनी किताब में लिखा है, 'एडविना के पति लॉर्ड लुइस माउंटबेटेन को भी नेहरू और अपनी पत्नी के रिश्ते के आध्यात्मिक पक्ष को समझा और एडविना को आज़ादी दी। लॉर्ड माउंटबेटेन के लिए एडविना की नई दिलचस्पी (नेहरू) एक राहत की बात थी।' पामेला के मुताबिक, 'एडविना की नई खुशी (नेहरू के साथ रिश्ते से उपजी) ने एडविना को देर रात होने वाली लड़ाइयों और वाद-विवाद से छुटकारा दिला दिया था।' पामेला का कहना है कि एडविना अपने पति पर यह आरोप लगाती थीं कि वे उन्हें समझ नहीं पाते हैं और नजरअंदाज करते हैं।



कैजुअल सेक्स थी एडविना की पसंद!

पामेला हिक्स का कहना है कि नेहरू और एडविना एक दूसरे से बहुत ज़्यादा प्यार करते थे। ब्रिटिश अख़बारों में प्रकाशित पामेला की किताब के अंशों से पता चलता है कि एडविना सेक्स के मामले में बहुत प्रयोगधर्मी थीं और अलग-अलग पार्टनरों से 'कैजुअल सेक्स' करती थीं अपनी इच्छा के मुताबिक प्रेमियों को अपने पास बुलाती थीं। लॉर्ड माउंटबेटेन को इन बातों का अंदाजा था। किताब के मुताबिक माउंटबेटेन और एडविना की शादीशुदा ज़िंदगी में एक ऐसा दौर भी आया था जब खुद लुइस माउंटबेटेन ने अलग-अलग पार्टनरों से प्रेम करने के मामले में अपनी पत्नी को चुनौती देते हुए एक पार्टनर बनाया था। नेहरू-एडविना के रोमांस पर फिल्म!

नेहरू और एडविना के रिश्तों पर न सिर्फ कई लेख और किताबें लिखी जा चुकी हैं बल्कि इस मुद्दे पर फिल्म बनाने की कोशिशें भी चल रही हैं। दो साल पहले जवाहर लाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के कथित संबंधों पर आधारित फिल्म 'द इंडियन समर' को भारत में फिल्माने की ब्रिटिश फिल्म निर्माण कंपनी की योजना खटाई में पड़ गई क्योंकि भारत सरकार ने इसके कई प्रस्तावित दृश्यों पर आपत्ति जताई थी।

48 घंटे में तैयार हुआ 10 मंजिला भवन

48 घंटे में तैयार हुआ 10 मंजिला भवन

मोहाली। यहां एक कारोबारी ने 48 घंटे में 10 मंजिला भवन खड़ा करने का कारनामा कर दिखाया। भवन निर्माण गुरूवार को 4.30 बजे शाम में शुरू हुआ। शुक्रवार शाम तक सात मंजिल तैयार थी।

शनिवार को 48 घंटे बीतने पर लाल और भूरे रंग का 10 मंजिला भवन "इंस्टाकॉम" तैयार हो गया है। सामग्री का निर्माण एक नजदीकी कारखाने में दो महीने से हो रहा था। भवन निर्माण में 200 टन से अधिक इस्पात लग रहा है। भवन निर्माण में पहले से तैयार संरचना वाली सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया।

प्राचीन प्रवेश द्वार आज अपनी सुरक्षा के लिए मोहताज

आभा खो रहे प्राचीन द्वार
जालोर। शहर के इतिहास के साक्षी प्राचीन द्वार संरक्षण के अभाव में आभा खो रहे हैं। कभी शहर के सुरक्षाप्रहरी के रूप में सीना ताने खड़े रहने वालेहै। संरक्षण के अभाव में पुरा संपदा पर संकट के बादल मंडराने लगे हैं। परकोर्ट के कई प्रवेश द्वारों पर जगह-जगह दरारें आ गई हैं। वहीं प्राचीन धरोहरों के मूल स्वरूप को भी लोगों ने बिगाड़ दिया है।

सूरज पोल, तिलक द्वार, बड़ी पोल व लाल पोल के भीतर प्राचीन शहर बसा हुआ था। इतिहाकारों की मानें तो अल्लाउद्दीन खिलजी के आक्रमण के बाद जालोर का शासन तंत्र अस्थिर रहा। इस कारण यहां की प्राचीन धरोहरें भी काल के साथ अपना अस्तित्व खोने लगी। हालांकि पुरा महत्व की धरोहरों की समय-समय पर सार-संभाल की गई, लकिन वर्तमान में ये उपेक्षा का दंश भोग रही हैं।

खो गया परकोटा
शहर की सुरक्षा को लेकर प्राचीन समय में शहर के चारों ओर बना अभेद परकोटा अतिक्रमण की जद में खो गया। रियासतकालीन शासकों ने भले ही रियासत के साथ नागरिकों की सुरक्षा को लेकर परकोटा का निर्माण कराया हो, लेकिन समय के साथ सुरक्षा कवच अतिक्रमण में गायब हो गया। यह लम्बा-चौड़ा परकोटा शहर की शान रहा, लेकिन बाद में सार-संभाल के अभाव, सरकार और प्रशासन की लापरवाही और अतिक्रमणों के चलते अनूठी स्थापत्य कला में चार चांद लगाने वाली इस विरासत पर ग्रहण लगने लगा।

देखते ही देखते कभी सीना ताने खड़ा परकोटा मकानों की दीवरों में सिमट गया। तिलक द्वार के पास होकर गौरव पथ से गुजरने पर कईस्थानों पर परकोटे के अवशेष नजर आते हैं। प्रशासनिक शिथिलता के चलते परकोटे से सटाकर लोगों ने दुकानें व मकान बनाकर इस विरासत को खत्म करने में कोई कसर नहीं छोड़ी। अंजाम यह हुआ कि परकोटा मकानों और दुकानों में खो गया है। अब सिर्फ प्राचीन दरवाजे ही दिखते हैं। इन दरवाजों की स्थिति भी ठीक नहीं है। सार-संभाल के अभाव में द्वार टूटे रहे हैं और अपनी आभा भी खो रहे हैं।

शनिवार, 1 दिसंबर 2012

टेनिस की सनसनी सानिया रविवार को रायपुर में



रायपुर  
टेनिस की सनसनी सानिया मिर्जा आपके शहर रायपुर आ रही हैं। वे शहर की सबसे ज्यादा चर्चित टेनिस की प्रतियोगिता गोंडवाना कप के उद्घाटन के लिए यहां आ रही हैं। यह प्रतियोगिता शहर की जानी मानी रियल इस्टेट कंपनी वीआईपी क्लब की ओर से की जा रही है। इसके लिए 3 दिसंबर को वीआईपी क्लब में सारी तैयारियां जोरों पर हैं। उद्घाटन कार्यक्रम प्रदेश के मुखिया डॉ. रमन सिंह भी मौजूद रहेंगे। वीआईपी क्लब में होने वाले इस कार्यक्रम का आगाज सुबह 11 बजे से होगा।

करेंगी टेनिस कोर्ट की शुरुआत

सानिया मिर्जा वीआईपी क्लब में बने टेनिस कोर्ट का उद्घाटन करेंगी। यह कोर्ट पूरे छत्तीसगढ़ में इकलौता टेनिस कोर्ट है। इसमें 4 सिंथेटिक कोर्ट के साथ बेस्ट लाइटिंग अरेंजमेंट हैं। वीआईपी क्लब के राकेश पांडेय बताते हैं, सानिया मिर्जा के आने से टेनिस के प्रति युवाओं में और जागरुकता आएगी। वीआईपी क्लब का मकसद भी इतना ही है कि हम ज्यादा से ज्यादा खेल अधोसंरचना विकसित करने में भागीदार बन सकें। श्री पांडेय ने कहा सानिया देश की स्टार खिलाड़ी तो हैं ही, साथ ही टेनिस यूथ आईकॉन भी हैं। सरल, सौम्य और सहज इस सुपर सितारा खिलाड़ी के लिए रायपुर एक्साइटमेंट के साथ इस्तकबाल करने तैयार है।

आप कैसे मिल सकते हैं

सानिया मिर्जा इस कार्यक्रम का उद्घाटन करने वीआईपी क्लब में बने टेनिस कोर्ट में सुबह 11 बजे पहुंचेंगी। वहां पर आप इनसे मुलाकात कर सकते हैं। हालांकि इसके लिए किसी को भी सीधे मुलाकात नहीं करने दी जाएगी, लेकिन बतौर दर्शक इस कार्यक्रम में पहुंचकर आप सानिया से मिल सकते हैं। यह कार्यक्रम कल यानी रविवार को होना है।

युगों तक याद रहेगी उनकी सरलता व सादगी राष्ट्रनिर्माण के महानायक डॉ. राजेन्द्र बाबू


जयंती दिसंबर 2012 

युगों तक याद रहेगी उनकी सरलता व सादगी
राष्ट्रनिर्माण के महानायक डॉ. राजेन्द्र बाबू
अनिता महेचा

       भारतवर्ष दुनिया में अपनी तरह का वह महान राष्ट्र है जहां प्राचीन काल से रत्नगर्भा वसुंधरा ने ऎसे-ऎसे महान रत्नों को जन्म दिया है जिन्होंने भारतीय संस्कृति के तमाम आदशोर्ं को अपने जीवन में अपनाया और पूरी दुनिया में ऎसी धाक जमायी है जिसे युगों तक याद रखा जाएगा। भारतमाता के गौरवशाली महान सपूतों में डॉ. राजेन्द्रप्रसाद का नाम अग्रणी महापुरुषों में गिना जाता है।
      सुसंस्कृत परिवार  का आधार
       डा. राजेन्द्र प्रसाद का जन्म 3 दिसम्बर, 1884 को बिहार के सारम जिले के एक छोटे से गांव जीरादेई में हुआ था। इनके पिता का नाम महादेव प्रसाद था। वे फारसी व संस्कृत भाषा के अच्छे ज्ञाता थे। वह एक आला दर्जे के वैद्य भी थे। आस-पास के इलाके में उनका बड़ा नाम था। वैद्य होने के कारण उन्होंने इलाके के लोगों की खूब सेवा की। इनकी माता एक सुसंस्कृत और धर्म परायण महिला थी।
     

 उर्दू में हुई आरंभिक शिक्षा-दीक्षा
       राजेन्द्र बाबू की प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही उर्दू माध्यम से हुई। उन्हें घर पर एक मौलवी साहब पढ़ाया करते थे। छपरा के हाई स्कूल से इन्होंने हाई स्कूल की परीक्षा तथा कलकत्ता के प्रेसीडेंसी कॉलेज से बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। कलकत्ता में ही उन्होंने एमए इतिहास तथा वकालात की परीक्षाएं पास की। इतिहास में एमए करने के पश्चात् राजेन्द्र बाबू ने मुजफ्फरपुर कॉलेज में व्याख्याता के पद पर कार्य किया।
      वकालात के साथ देश सेवा
       अध्यापन में मन न लगने पर कलकत्ता में एक वकील के रूप में इन्होंने सम कालीनों के मध्य काफी नाम कमाया। पटना में 1912 में जब हाई कोर्ट खुला तो वह पटना आ गए। यहां उनकी ख्याति और बढ़ी लेकिन राजेन्द्र बाबू ने देश सेवा का कार्य प्रारम्भ कर दिया
       उन दिनों अक्सर बच्चों की शादियां छोटी अवस्था में कर दी जाती थीं। यह आम रिवाज था। उनकी शादी बलिया जिले के छपरा स्थान में तय कर दी गई। इस प्रकार 12 वर्ष की अल्प आयु में ही उनका विवाह हो गया।
      आजादी के आन्दोलन में भागीदारी
       सन् 1906 में कांग्रेस के वार्षिक अधिवेशन में राजेन्द्र बाबू ने एक प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया। उस समय कांग्रेस में नरम व गरम दो दल बन चुके थे। लोकमान्य तिलक,लाला लाजपतरायविपिनचन्द्र पाल और अरविन्द घोष आदि गरम दल के तथा सर फिरोजशाह मेहता और गोपाल कृष्ण गोखले आदि नरम दल के प्रमुख नेता थे। इन दोनाें दलों के बीच समझौता वार्ता कराने के लिए दादा भाई नौरोजी को इंग्लैण्ड से बुलवाकर सभापति बनाया गया था। राजेन्द्र बाबू ने इस अधिवेशन में पहली दफा पण्डित मदन मोहन मालवीय,मोहम्मद अली जिन्ना और सरोजनी नायडू के उदगार सुने। गोपालकृष्ण गोखले की बाताें का उनके दिल पर गहरा असर पड़ा। इससे उनके हृदय में राष्ट्रभक्ति की भावना जागृत हुई।
      गांधी से हुए प्रभावित
       सन् 1916 में गांधी जी ने चम्पारण में सत्याग्रह किया। इस सत्याग्रह में राजेन्द्र बाबू गांधी जी के सम्पर्क में आए। गांधी जी भी उनकी लगन और सेवाओं से काफी प्रभावित हुए। तब से लेकर आखिर तक राजेन्द्र बाबू ने बड़ी सच्चाई व निष्ठा के साथ गांधी जी का साथ दिया। सन् 1920 में असहयोग आन्दोलन के समय उन्होंने वकालात को तिलांजलि दे दी और आन्दोलन में कूद पड़े। इसके फलस्वरूप उन्हें जेल में डाल दिया गया। जेल में ही वे चरखे से सूत कातने लगे और खादी के बुने हुए कपड़े पहनना शुरू कर दिया।
       भारत के आजादी के आन्दोलन में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की भूमिका अत्यन्त गरिमामय एवं महत्त्वपूर्ण रही। 1917 से लेकर 1947 तक उन्होंने भारत के लोगों को गांधी जी के आदर्शो से परिचित कराया। ये 1934, 1939 और 1947 में तीन बार अखिल भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर चुने गए। इस पद का दायित्व इन्होंने कुशलता के साथ निभाया। उन्हाेंने सारे देश का दौरा कर कांग्रेस में एक नई जान और जोश फूंका।
      लोक सेवा के आदर्शों को साकार किया
       सन् 1930 मे बिहार के बहिपुर में नमक सत्याग्रह आन्दोलन के दौरान उन पर पुलिस द्वारा लाठियों से प्रहार किया गया थालेकिन वे अपने राष्ट्रीय सेवा में दृढ़ता के साथ लगे रहे। हिन्दी भाषा तथा हरिजनों के उद्धार एवं 1934 में बिहार में भूकम्प के समय जिस लगन व निष्ठा के साथ उन्होंने भूकम्प पीडिताें की सेवा कीउससे व बिहार के गांधी बन गए।
       सन् 1942 के भारत छोड़ो आन्दोलन में डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने जोशो खरोश से भाग लिया। इन्हें इस आन्दोलन के दौरान गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया गया और वे लम्बी अवधि तक जेल में रहे। सन् 1945 में कांग्रेस तथा अंग्रेजों के मध्य समझौता होने पर उन्हें अन्य नेताओं के साथ जेल से रिहा किया गया।
      सेहत से पहले आजादी को दी प्राथमिकता
       दिन-रात दौराेंजेलो और भाषणों के कारण राजेन्द्र बाबू को दमा रोग हो गया थाजिससे वे अन्तिम समय तक पीड़ित रहे। पहले तो वे बेहद कमजोर थे। लेकिन आजादी के पश्चात् उपचार करने के कारण उनके स्वास्थ्य में कुछ सुधार हुआ किन्तु दमे से वह पूर्ण रूप से निजात नहीं पा सके।
      देश के प्रथम राष्ट्रपति का गौरव
       कांग्रेस और अंग्रेज सरकार के बीच हुए समझौते के अनुसार 15 अगस्त 1947 को भारत एक आजाद राष्ट्र घोषित हुआ। स्वतंत्रता संग्राम में डॉ. राजेन्द्र प्रसाद के अनुपम त्याग और उत्कृष्ट नेतृत्व क्षमता को देखते हुए उन्हें स्वतंत्र भारत का प्रथम राष्ट्रपति और नेहरू जी को प्रधानमंत्री बनाया गया।
       नेहरू जी जहां आधुनिक युग के प्रतीक थेवही डॉ. राजेन्द्र बाबू पुरातन और नवीनयुग के बेजोड़ मिश्रण थे। उनकीे विनम्रता और सादगी में राष्ट्रपति बनने पर और भी निखार आया। उनकी देश सेवा की निष्ठालगनसूझबूझ अत्यन्त सराहनीय थी। सन् 1957 में उन्होंने स्वेच्छा से राष्ट्रपति पद को त्याग दिया।
      चिंतक और साहित्यकार भी थे राजेन्द्र बाबू
       डॉ. राजेन्द्र प्रसाद एक लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार भी थे। उन्होंने अपनी आत्म कथा को सरल सुबोध हिन्दी भाषा में लिखा। चम्पारण में सत्याग्रहएट द फिट ऑफ महात्मा गांधीऔर इण्डिया डिवाईडेट इनके द्वारा लिखित महत्त्वपूर्ण रचनाएं हैंजो हमें इनके रचना संसार से अवगत कराती हैं।
       सन् 1962 में इन्हें देश के सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न की उपाधि से नवाजा गया। देश की इस महान विभूति का निधन पटना के सदाकत आश्रम में 28 फरवरी 1963 को हुआ।
      पीढ़ियों तक होगा प्रेरणा संचरण
       डॉ राजेन्द्र प्रसाद ने देश की आजादी के आन्दोलन में उलेखनीय योगदान दिया था। संविधान सभा के अध्यक्ष तथा स्वतंत्र भारत के प्रथम राष्ट्रपति के रूप में उन्होंने देश की अनुपमउत्कृष्ट सराहनीय सेवा की। वे एक सफल लेखक ही नहीं बल्कि महान वकील भी थे। वे सादगीसरलता और विनम्रता की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने पद की गरिमा को स्थिर ही नहीं किया बल्कि उसे और ऊँचां उठाया जिससे भारत की शान और इज्जत विश्व में बढ़ी।     
       आज का दिन हमें इस महान विभूति के कार्यों और व्यवहार से प्रेरणा लेकर व्यक्तित्व विकास तथा  देश के नवनिर्माण में अपनी समर्पित भागीदारी के संकल्प की याद दिलाता है।

पुलिस अधिकारी ने किया नर्स का रेप !

पुलिस अधिकारी ने किया नर्स का रेप !

नासिक। शादी का झांसा देकर एक नर्स से कथित बलात्कार के आरोप में एक पुलिस अधिकारी के खिलाफ महाराष्ट्र में नासिक शहर के अम्बाड थाने में मामला दर्ज किया गया है। आरोपी सब इंस्पेक्टर पंकज सुरेश कारे गोंडिया जिले में तैनात था।

जानकारी के अनुसार आरोपी पुलिस अधिकारी नासिक में सिडको का रहने वाला है। पच्चीस वर्षीय पीडित महिला ने बताया कि वह एक निजी अस्पताल में नर्स का काम करती है जहां पंकज पुलिस अधिकारी से बनने से पहले दाखिल था। महिला ने अपनी शिकायत में कहा कि पंकज 2006 से उसे नासिक और पुणे में विभिन्न स्थानों पर ले गया और उसके साथ बलात्कार किया। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 376 के तहत मामला दर्ज कर लिया है और सहायक पुलिस कमिश्नर हमराज सिंह राजपूत मामले की जांच कर रहे हैं।

सड़क हादसे में एक की मौत

सड़क हादसे में एक की मौत

बाड़मेर पनाराम पुत्र हेमाराम जाति जाट नि ईशरोल ने मुलजिम हुकमाराम पुत्र लिसमणाराम जाट नि ईशरोल के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिम द्वारा ट्रेक्टर को तेज गति व लापरवाही से चलाकर मुस्त के भतीज रामाराम के टक्कर मारना जिससे मृत्यु होना वगैरा पर मुलजिम के विरूद्ध पुलिस थाना चोहटन पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है


राजकार्य में बाधा का मामला 

बाड़मेर विशनचन्द पुत्र जेकचन्द हरीजन नि महावीर नगर बाड़मरे ने मुलजिमान जगदीश वगैरा 67 के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्त. को राजकार्य में बाधा पहुचाना व जातिगत शब्दो से अपमानित करना वगैरा पर मुलजिमान के विरूद्ध पुलिस थाना कोतवाली पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

दहेज़ की खातिर शारीरिक और मानसिक शोषण के दो मामले

दहेज़ की खातिर शारीरिक और मानसिक शोषण के दो मामले
बाड़मेर जिले में दो थानों में अलग अलग मामले दहेज़ प्रताड़ना के दर्ज किये गए जिसमे दो विवाहितो ने दहेज़ की खातिर उनका शारीरिक और मानसिक शोषण के आरोप ससुराल पक्ष पर लगाये .पुलिस ने जांच आरम्भ कर दी ,पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के अनुसार श्रीमति जेती देवी पत्नी जुगताराम विश्नोई नि उपरला ने मुलजिमान सन्तोष पुत्र भीखाराम विश्नोई नि उपरला वगैरा 2 के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीसा कि पुत्री बाबुदेवी को दहेज के लिये शारीरिक व मानसिक रूप से मारपीट कर परेशान करना वगैरा पर मुलजिमान के विरूद्ध पुलिस थाना चोहटन पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है। इसी तरह रामजी पुत्र जगमालराम विश्नोई नि बामड़ला डेर भवार ने मुलजिमान रामलाल पुत्र विरधाराम विश्नोई नि सोनड़ी वगैरा 4 के विरूद्ध मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्त. कि पुत्री एलसी उर्फ रामेश्वरी को दहेज के लिये तग परेशान कर मारना वगैरा पर मुलजिमों के विरूद्ध पुलिस थाना सेड़वा पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

बाड़मेर मारपीट के मामले दर्ज

मारपीट के मामले दर्ज

बाड़मेर जिले के अलग अलग थानों में मारपीट के मेल दर्ज किये जाकर अनुसन्धान शुरू किया .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के अनुसार श्रीमति जमाली पत्नि वरिया खां नि. करीमे का पार ने मुलजिमा झुमु पत्नी रहीम खां जाति मुसलमान नि करीमे का पार के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमा द्वारा मुस्तगीसा के पटा सुद प्लोट में प्रवेश कर कब्जा करने कि नियत से बाड़ उखाडना वगेरा पर मुलजिमा के विरूद्व पुलिस थाना गडरारोड़ पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है। इसी तरह करीम पुत्र सरादीन मुस. नि उतरबा ने मुलजिम हरीसिह पुत्र ईन्द्रसिह राजपुत नि उतरबा वगैरा 2 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीस कि उठनी के साथ मारपीट करना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना गडरारोड़ पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

एडस रोकथाम में ग्रामीण युवाओ की भूमिका महत्वपूर्ण डॉ गढवीर


एडस रोकथाम में ग्रामीण युवाओ की भूमिका महत्वपूर्ण डॉ गढवीर 

चौहटन। गर्भ भारत में एचआईवी सक्रमित लोगो की संख्या लगातार ब रही है। भाहरो के पचात अब गांवो में भी एचआईवी सक्रमित लोग ब रहे है । इसे रोकने के लिये ग्रामीण युवा जागरूकता के माध्यम से महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है । ये बात भारत सरकार के डीएफपी बाडमेर द्वारा नवयुवक मण्डल चौहटन.भयोरसंस्था.चिकित्सा विभाग.िक्षा विभाग के सहयोग से विव एडस दिवस के अवसर पर सीनीयर माध्यमिक विधालय चोहटन में एडस रोकने में ग्रामीण युवाओ की भूमिका विशयक विचार गोश्ठी के मुख्य अतिथि चोहटन ब्लाक सीएमएचओ श्री भांभुराम गवीर ने व्यक्त किये ।

उन्होने बताया कि युवा विज्ञान के इस युग में अपना ध्यान िक्षा में लगाये तो ही विकास संभव है । साथ ही उन्होने युवाओ को इस अवस्था में नोली वस्तुओ गलत संगत से दूर रहने की अपील करते हुए कहा कि यदि इस संगत के दलदल में फस गये तो उससे वापिस निकलना आसान नही होगा

विचार गोश्ठी की अध्यक्षता करते डा सुरेन्द्र चौधरी ने एचआईवी एंवम एडस की विस्तृत जानकारी प्रदान करते कहा कि युवा मन बहुत चंचल होता है तथा इसी चंचलता एंव भावुकता में बहकने की संभावना अघिक रहती है । उन्होने बताया कि गांवो में हम लोग अपनी पुरानी संस्कृति एंव परम्परा को छोडते जा रहे है । गांव में दूसरे की बहनबेटी को भी अपनी बहनबेटी की तरह ईज्जत तथा सम्मान देते थे । संस्कृति की विमुखता ने ही हमारे एचआईवी की तरफ जाने का रास्ता दिखाया है । इससे बचने के लिए सभी को जागरूक होने की जरूरत बतायी ।

चौधरी ने बताया कि सीमावर्ती युवा सैकडो की संख्या में आजभी मजदूरी के लिये दूसरे प्रदो में जाते है । वहां जागरूकता अभाव में रेडलाईट ऐरिया में जाकर एचआईवी वायरस लेकर आते है। गांव आकर अपनी पत्नी को एचआईवी से सक्रमित कर देते है । इनसे बचने एंव बचाने लिये युवाओ को अपने गांव से बाहर जाने वाले लोगो एंव उनके परिवार के सदस्यो को एएनएम.आगनवाडी कार्यकत्र्ताओ को एडस बचाव के तरीको को जानकारी देने की आवयकता पर जोर दिया ।उन्होने युवओ से एडस पीडित से डरने की बजाय सहानुभूति रखने की जरूरत बताते हुये कहा कि एडस हाथ मिलाने.साथ खाने.कपडे पहनने एंव एकहीाोचालय अथवा तरण ताल का उपयोग करने से नही फैलता ।

इस अवसर पर चोहटन ब्लाक पीएसी की एचआईवी कोन्सलर सुनिता चौधरी ने बताया ि कइस रोग को दूर भगाने के लिये युवाओ को ही सकि्रया होने की जरूरत है । उन्होने बताया कि एडस ने अघिकाांत युवाओ को ही अपने िकजे में लिया ह ैअब युवाओ को आगे ब कर एडस जैसी बीमारियो के समूह को जड से उखाड कर ही चैन लेना है । उन्होने एडस फैलने के मोटेमोटे चार कारण असुरक्षित यौन संबध.सक्रमित रक्त एंव सीरीज तथा एचआईवी ग्रसित मांसे होने वाले बच्चे के साथ जहां खून का खून से मिलन होता है उससे बचने की अपील की । वही गांवो में इस तरह के रोगियो की पहचान कर जिन्हे लम्बे समय से इलाज के बावजूद बीमारिया ठीक नही हो रही हो उसका लगातार वजन गिर रहा हो उन्हे कोन्सिल सेन्टर में भेजकर जांच के लिए प्रेरित करें जांच पूर्णतया गोपनीय रखने के साथ सरकार द्वारा फ्री में दवाईया भी दी जायेगी । इस अवसर पर नवयुवक मण्डल के अध्यक्ष डूगर राठी एंव सामाजिक कार्यकर्ता दौलत भार्मा ने बताया कि एचआईवी का वायरस भारीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता को घीरेधीरे समाप्त करता जाता है । जिसके कारण कोई भी बीमारी होने पर वो ठीक नही होती ।उन्होने कहा कि आज की स्थिति में हर गांव पर एचआईवी का खतरा मंडरा रहा है । इस खतरे को ग्रामीण युवावर्ग सावचेत.सकल्पित होकर ही दूर कर सकते है ।गोश्ठी को प्रधानाध्यापक चतराराम.अध्यापक नानगाराम.गोतम भंसाली ने भी एडस क्या है.कैसे फेलता है तथा इससे बचने के उपायो पर विस्तृत जानकारी प्रदान की ।

एडस बचाव विशयक मोखिक प्रनोतरी प्रतियोगिता आयोजित

चौहटन। क्षेत्रीय प्रचार निदोालय.क्षेत्रीय प्रचार कार्यालय बाडमेर दूवारा सीमावर्ती चोहटन ब्लाक मुख्यालय पर स्थित सीनीयर माध्यमिक विधालपय में एडस बचाव विशयक मोखिक प्रनोतरी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें सैकडो युवाओ ने भाग लिया । विजेता दस प्रतिभागियो को डा0 एस0 आर0 गवीर डा0 सुरेन्द्र चौधरी तथा प्रधानाध्यापक चतराराम.दोलता,र्माडूगर राठी के आतिथ्य में पुरस्कार प्रदान किये गये । इस अवसर पर एडस विशयक प्रचार साम्रगी भी युवाओ को प्रचुर मात्रा में वितरित की गयी ं

जैसलमेर चोरी का माल खरीदने वाला कबाड़ी जितेन्द्र गिरफ्तार

जैसलमेर चोरी का माल खरीदने वाला कबाड़ी जितेन्द्र गिरफ्तार 

जैसलमेर पुलिस अधीक्षक जिला जैसलमेर ममता राहुल, के आदेशानुसार जिले में सरकारी सम्पति चोरों के विरूद्ध चलाये जा रहे अभियान के तहत कल्याणमल बण्जारा वृताधिकारी वृत पोकरण के निर्देशन में रमेशकुमार नि.पु. थानाधिकारी पोकरण के नेतृत्व में पुलिस टीम द्वारा कार्यवाही करते हुए, पोकरण हल्खा में विभिन्न जगहो पर तलाशी की गई तो जितेन्द्र पुत्र नेमीचन्द खटीक निवासी पोकरण के पास चोरी किये गये विधुत टावरों के ऐंगल बरामद हुए जिसे पुछने पर उसने उक्त सामान को खरीदना बताया जिस पर जितेन्द्र को चोरी का माल खरीदने के जूर्म में गिरफ्तार किया गया तथा मुलजिम से पुछताछ जारी तथा चोरी का माल बरामद करने के प्रयास किये जा रहे है।

बाड़मेर अलगोजा के महान कलाकार धोधे खां


राजिव गांधी के बाराती बने थे .मुफलिसी में गुजर रहे दिन 

अलगोजा के महान कलाकार धोधे खां
राजस्‍थान के बाड़मेर जिले में राणका फकीरों का अलगोजा वादन पर पूरा अधिकार है। इस जिले के बींजराड़, कुंदनपुर, बुरहान का तला, भूणिया, भलीसर, झड़पा और देरासर गांव ‘अलगोजा वादकों के गांव’ के नाम से जाने जाते हैं, लेकिन दूधिवा गांव अलगोजा वादक गांवो में शीर्ष स्थान पर है। बाड़मेर-अहमदाबाद मार्ग पर मांगता गांव से पांच किलोमीटर दूर रेतीले टीलों के बीच स्थित दूधिया गांव ने अलगोजे के सुप्रसिद्ध वादक धोधे खां की सुरीली स्वर लहरियों से ही अपनी पहचान बनाई है। नई दिल्ली में आयोजित एशियाड-82 का उद्घाटन समारोह धोधे खां के अलगोजे की धुनों से ही शुरू हुआ और श्रोताओं की मांग पर लगातार पांच दिन तक उनकी धुनों की रिकार्डिंग आयोजकों को बजानी पड़ी। धोधे खां ने अपनी कला से दूधिया गांव के साथ-साथ राजस्थान और भारत का गौरव बढ़ाया है। 
अलगोजा नडकट, केर, टाली, बांस की नली, सुपारी या कंगोर की लकड़ी का बना होता है। बाड़मेर की चौहटन तहसील के एकल गांव के भील लक्ष्मण और मोती केर की लकड़ी के अलगोजे बड़ी खूबसूरती से बना लेते हैं। अलगोजे में दो अलग-अलग बांसुरीनुमा लम्बी-छोटी नलियां होती है। नली में 4 से 7 तक छेद किए जाते हैं। दोनों नली के मुंह मत्स्याकार होते हैं। दोनों नली को मुंह में रखकर धोधे खां जब बड़ी नली से श्‍वांस खींचकर छोटी नली से स्वर निकालते हैं, तो सुनने और देखने वाले मोहित हुए बिना नही रह पाते। अलगोजे में संगीत के आरोह-अवरोह संगीत प्रेमियों को संगीत के रस से सराबोर कर देते हैं।
धोधे खां बताते है कि सुषिर वाद्य यंत्र बजाने के लिए साधना और सांस की ताकत की आवश्‍यकता होती है। बिना साधना किए अलगोजे पर उंगलियां सुगमता से चल नहीं सकतीं। धोधे खां यों तो संगीतज्ञ परिवार से हैं, लेकिन 10 वर्ष की अल्पायु में ही पिता मीरा खां के देहावसान के बाद उन्हें पीर मिश्री जमाल, पाकिस्तान के कामआरा शरीफ गांव के भीटघणी स्कूल की शरण मे जाकर अलगोजा वादन विद्या में पारंगत होना पड़ा। छह वर्ष की कठिन साधना के बाद धोधे खां ने कुंदन की तरह निखर कर पाकिस्तान के युवा अलगोजा वादकों में अपनी छाप छोड़ दी। पाकिस्तान के हैदाराबाद क्षेत्र के खैरपुर गांव के रहने वाले धोधे खां के पिता मीरा खां की शादी दूधिया गांव के धुरा की लड़की मारियल से हुई थी। धोधे खां कामआरा शरीफ से शिक्षा ग्रहण करने के बाद दूधिया लौट आए और ननिहाल के साये और सहयोग से आगे बढऩे लगे।
रामा, पीर, भिटाई, धोटिया, कानूड़ा, मलहूद, यानबी, प्रभातिया आसा भजन की धुनें जब धोधे खां अलगोजे पर निकालते हैं, तो भजन प्रेमी भक्तिरस से सराबोर हो जाते हैं। शादी-ब्याह मे लाडेला, सेहरो, डोरो, मेंहदी, अरणी, तोरण के गीतों पर अलगोजे के संगीत और महेन्द्र-मूमल, मीर-महेन्द्र, ढोला-मारू, सस्सी-पुन्नु, ऊजली-जेठा और बीजा सोरठ की प्रेम गाथाओं को अलगोजे पर बजाने मे तो धोधे खां को महारत हासिल है। धोधे खां सिंधी धुनो में पारंगत है और राणा-महेन्द्र, काफी आदि को सिंधी धुनों मे खूबी से प्रस्तुत करते हैं। राग मल्हार, श्याम कल्याण, राणा, दरबारी, कलवाड़ा में धोधे खां सिद्धहस्त हैं। अमरकोट के कलाकार हमीर मुथा, हवेली के लतीफ, नारा ढोरा के हनीफ, सादी लिपली के मुवीन एवं तमाची, धोधे खां के प्रिय कलाकारों में हैं।
नेहरू युवा केन्द्र ने स्थानीय जजमानों की दुनिया से निकाल कर उनकी कला के सार्वजनिक प्रदर्शन करवाने का प्रथम प्रयास किया। गत दो दशक मे नेहरू युवा केन्द्र एवं जोधपुर की रूपायन संस्था के नेतृत्व में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रमों के तहत जोधपुर, लखनऊ, दिल्ली, कोलकाता, मद्रास, बेलगांव में धोधे खं अपनी कला प्रतिभा के जौहर दिखाए, वहीं 15-20 वर्ष से उन्हें आकाशवाणी जोधपुर से भी कार्यक्रमों में आमंत्रित किया गया था। धोधे खां ने जहां हर रोज कला के प्रति अपने समर्पण भाव को दर्शाया, वहीं हर कोई इनकी कला की कद्र करता नजर आया।
धोधे खां का मानना है कि सरकार अलगोजे को रेतीले इलाके में ज्यादा से ज्यादा लोकप्रिय बनाए। स्कूलों मे लोक संगीत को अनिवार्य बनाया जाए, तभी अलगोजे जैसे वाद्य यंत्र समाज में पुन: प्रतिष्ठित हो पाएंगे।

चिकित्सको को हटाया तो गंभीर होंगे परिणाम

प्रतिनियुक्त चिकित्सको को हटाने का विरोध कराया दर्ज ,मुख्यमंत्री को भेजा ज्ञापन

चिकित्सको को हटाया तो गंभीर होंगे परिणाम


बाड़मेर ग्रुप फॉर पीपुल्स ने राजकीय चिकित्सालय के तीन चिकित्सको की प्रतिनियुक्ति समाप्त करने के सरकार के निर्णय का विरोध दर्ज करते हुए मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नाम अतिरिक्त जिला कलेक्टर अरुण पुरोहित को ज्ञापन सौंपा ग्रुप फॉर पीपुल्स के संयोजक चन्दन सिंह भाटी ने बताया ग्रुप के पदाधिकारी और कार्य करता रमेश सिंह ,इन्दा दिग्विजय सिंह चुली ,भेरा राम सुथर ,स्वरुप सिंह झनकली ,रामेश्वर सोनी ,कैलाश जायदू ,दीपक महावर ,अजय सिंह भाटी ,तेजा राम हुड्डा ,सहित कई जानो की उपस्थिति में अतिरिक्त जिला कलेक्टर को मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सुपुर्द किया ,ज्ञापन में लिखा हें की राज्य सरकार के आदेशानुसार प्रतिनियुक्ति पर लगे सरकारी कारिंदों को गृह विभाग में भेजा हें ,निःसंदेह सरकार का बेहतरीन कदम हें ,मगर बाड़मेर जिले के राजकीय चिकितास्लय में लम्बे अरसे बाद प्रतिनियुक्ति पर तीन चिकित्सक लगे हें जिसमे डॉ सुरेन्द्र चौधरी के आने के बाद पहली बार बाड़मेर के अस्थि रोग पीडितो को जिलो और प्रान्तों में इलाज़ हेतु , बाड़मेर जिले में अस्थि के ओप्रेसन सपने जैसा था मगर इस सपने को सुरेन्द्र चौधरी ने साकार किया ,अस्थि रोगिये के ओप्रेसन बाड़मेर के अस्पताल में बड़ी तादाद में हुए वो भी सफलता ,पूर्वक सुविधा के आभाव के बावजूद इस युवा चिकितासक ने सेवा भाव से कार्य कर जनता का दिल और विशवास जीता हें ,जहा बाड़मेर कोई नया चिकित्सक आना नहीं चाहता जो आये उन्हें हटा दिया जाए यह उचित नहीं ,आम जनता के के , हें बाड़मेर जिले की परिस्थितियों को भली भांति जानते हें ऐसे में बाड़मेर के राजकीय चिकित्सालय में नियुक्त चिकित्सको को किसी भी सूरत में नहीं हटाया जाए ,राजकीय चिकित्सालय के तीन होनहार और सेवा भावी चिकितस्क प्रतिनियुक्ति पर हें ,उने हटाया नहीं जाए ,बाड़मेर जिले की जनता की मांग हें की इन चिकित्सको की प्रतिनियुक्ति को स्थाई सेवा में बदल दिया जाये ,.यदि इन चिकित्रसको को हटाया गया तो उग्र आन्दोलन किया जाएगा जिसकी समस्त जिम्मेदारी सरकार की होगी ,ज्ञापन के जरिये चिकितासको को नहीं हटाने ककी गुहार की हे साथ ही चिकित्सको को हटाने की दशा में उग्र आन्दोलन करने को लेकर सरकार को चेताया हें,साथ ही बाड़मेर बंद करने के साथ गतिविधिया ठप्प करने की चेतावनी दी हें