बाड़मेर। लगातार बारिश के चलते शहर की सड़कों की हालत अत्यंत दयनीय हो गई है। सड़कें न तो पैदल चलने लायक बची है, न ही वाहनों के चलने लायक हालात है। नगरपालिका प्रशासन पूरी तरह से नाकारा हो गया है। हालात बद से बदतर हो गए हैं और इन बदतर हालात से त्रस्त आम आदमी की सुध लेने वाला कोई नहीं दिखता।
शहर की मुख्य सड़कें, मुख्य चौराहे, यहां तक कि शहर की वी आई पी कॉलोनी ऑफिसर कॉलोनी जिसमें जिला कलक्टर, अतिरिक्त जिला कलक्टर, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सहित तमाम बड़े अफसरों व कर्मचारियों के आवास है, बदहाल स्थिति में है। जब इनके ही हाल बदहाल है तो आमजन की स्थिति क्या होगी, यह सोचा जा सकता है। शहर के मुख्य चौराहे शहीद सर्किल की स्थिति यह है कि सड़क पूरी तरह से उखड़ गई है और उसमें असंख्य गड्ढे हो गए हैं।
डिवाइडर पर वाहन चलते हैं। हाइवे होने के कारण यहां पर भारी वाहन चलते हैं और दुपहिया वाहन चालकों के गिरने व उठने और चोटिल होने के वाकए आम हो गए हैं। हाइवे पर ही चामुण्डा माता मंदिर के पास सड़क पर पानी का तालाब बना हुआ है। सीमेण्टेड सड़क का अस्तित्व भी मिट गया है। निर्माणाधीन सड़कों के बारे में कुछ कहने की ही जरूरत नहीं है। कुल मिलाकर हालत इतनी बुरी हो गई है कि आम आदमी का जीना ही दुश्वार हो गया हैं।
सब कुछ भगवान भरोसे
शहर की बिगड़ी हालत के आगे पूरा तंत्र लाचार हो गया दिखता है। कोई भी इसे सुधारने की कोशिश करता नहीं दिखता। एक तरह से यह मान लिया गया है कि जब बरसात बंद होगी, तब स्थिति अपने आप ठीक हो जाएगी। ऎसे में पूरा शहर भगवान भरोसे हो गया है। जिम्मेदार विभाग नगरपालिका से लेकर जिला प्रशासन तक सब हाथ पर हाथ धरे बैठे हुए हैं और शायद बरसात के बंद होने व मौसम साफ होने की राह देख रहे हैं।
नरक बन गईं बस्तियां
शहर की कच्ची बस्तियां तो नरक बन गई है। बस्तियों को ऎसा कोई गलियारा नहीं है, जहां दुर्गन्ध व भारी मात्रा में कीचड़ नहीं हो। इस स्थिति में बीमारियों की फैलने का गंभीर खतरा उत्पन्न हो गया है। सड़कों व गड्ढ़ों में पानी के लगातार जमाव होने के कारण मच्छर ही मच्छर हो गए हैं। इन हालात से निपटने के लिए कोई तैयार नहीं दिख रहा है।