मंगलवार, 23 अगस्त 2011

हत्या की, लाश बेड में डाली और उसी पर सो गए थे आरोपी

सूरजपुर।। सूरजपुर कस्बे में 19 जून की रात की गईहत्या के मामले में पुलिस ने एक आरोपी को रिमांड परलेने के बाद खुलासा किया है कि हत्या के बाद शव कोउसने बेड के अंदर डाल दिया था और उसके ऊपर आरोपीसो गए थे। बाद में रात के अंधेरे में शव को ठिकाने लगायागया था। पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की गई चुनरीबरामद कर ली है। हत्या अवैध संबंधों के चलते की गईथी। इस मामले में पुलिस एक आरोपी को पहले हीगिरफ्तार कर चुकी है।

19 जून की रात सूरजपुर में बाराही मेला स्थल के पासमलकपुर में रहने वाले शिवा उर्फ शशि की हत्या कर दीगई थी। शिवा मूलरूप से महामाया नगर के रहने वाले थे।24 जुलाई को पुलिस ने इस मामले में यूनिस को गिरफ्तारकिया था। उस वक्त दूसरा आरोपी राजू फरार हो गया था।9 अगस्त को राजू ने नोएडा के फेस -2 स्थित कोर्ट मेंसरेंडर कर दिया। सूरजपुर पुलिस ने रविवार को आरोपीराजू को सोमवार तक के लिए रिमांड पर लिया। राजू की निशानदेही पर पुलिस ने हत्या में इस्तेमाल की गईचुनरी सूरजपुर के जंगल से बरामद कर ली है।

इससे पहले की खबर पढ़ें : सास से थे अवैध संबंध, दोस्त ने मार डाला

अवैध संबंधों का जाल
पुलिस के मुताबिक , राजू ने खुलासा किया है कि यूनिस की सास से उसके अवैध संबंध थे। मृतक शशि भी यूनिसकी सास से नजदीकियां बढ़ाने लगा था। इसके अलावा शशि के अवैध संबंध अलीगढ़ के सोमना एरिया में रह रहीराजू की पत्नी से भी थे। इसके चलते राजू और यूनिस ने योजना के तहत 19 जून की रात शशि को जमकर शराबपिलाई। उसके बाद चुनरी से उसका गला घोंटकर हत्या कर दी। आरोपियों ने शव को बेड के अंदर छुपा दिया औरउसके ऊपर सो गए। देर रात जब शहर में सन्नाटा पसर गया तो राजू शव को अपनी पीठ पर लादकर सूरजपुरएरिया के बाराही मेला स्थल के पास जंगल में ले गया और फेंक दिया।

मोबाइल ने खोला था हत्या का राज
हत्या का राज मृतक के मोबाइल ने खोला है। हत्या के बाद यूनिस ने शशि का मोबाइल अपने पास रख लिया था।उसने शशि का सिम निकालकर फेंक दिया और मोबाइल को कुछ दिनों बाद चालू कर लिया। इसी के आधार परपुलिस यूनिस तक पहुंच गई।

500 रुपये घूस के केस में 25 साल बाद बरी

नई दिल्ली
500 रुपये की रिश्वत के मामले में निचली अदालत ने एमसीडी के एक जेई को 4 साल कैद की सजा सुनाई, लेकिन हाई कोर्ट ने इस जेई को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया है। कोर्ट ने इस मामले में सीबीआई के सबूतों को भरोसे लायक नहीं माना। जब केस शुरू हुआ था, तब जेई पी.के. गुप्ता 25 साल के थे। आज वह 50 साल के हो चुके हैं। जिस वक्त सजा हुई थी, गुप्ता को सरकारी नौकरी गंवानी पड़ी थी।

सीबीआई के मुताबिक, अमरनाथ नाम के शख्स ने शिकायत की थी कि वह किशनगंज मार्केट में अपनी दुकान ठीक करवा रहा था, तभी पी. के. गुप्ता के कहने पर वहां फूल सिंह नामक बेलदार पहुंचा और उसने शटर के काम के लिए हजार रुपये की रिश्वत मांगी। गुप्ता ने अमरनाथ से कहा कि वह रुपये फूल सिंह को दे दें। बात 700 रुपये में पक्की हो गई। रुपये फूल सिंह को दिए जाने थे। अमरनाथ ने सीबीआई को इसकी जानकारी दी। जांच एजेंसी ने फूल सिंह को 500 रुपये की रिश्वत लेते गिरफ्तार कर लिया गया। फूल सिंह ने कहा कि रुपये गुप्ता को दिए जाने थे। एजेंसी ने फूल सिंह से कहा कि वह रुपये गुप्ता को दे। सिंह ने गुप्ता को 1000 रुपये दिए, इस दौरान सीबीआई ने गुप्ता को भी पकड़ लिया। दोनों के खिलाफ भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत मामला दर्ज किया गया।

जांच एजेंसी ने 25 नवंबर, 1986 को जेई पी. के. गुप्ता के खिलाफ रिश्वतखोरी का केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया था, पर बाद में उन्हें जमानत मिल गई थी। निचली अदालत ने 31 जनवरी, 2002 को इस मामले में गुप्ता को 4 साल कैद की सजा सुनाई। मामले के सह-अभियुक्त फूल सिंह की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई थी।

बाद में मामला हाई कोर्ट में आया। बचाव पक्ष के वकील सिद्धार्थ लूथरा और नितेश मेहरा ने दलील दी कि पी. के. गुप्ता को फंसाया गया है। अदालत ने कहा कि सीबीआई के मुताबिक फूल सिंह ने गुप्ता को रुपये दिए, लेकिन उनके बीच कोई बातचीत नहीं हुई थी। इस बात के सबूत नहीं हैं कि गुप्ता ने रुपये मांगे। यह भी संभव है कि फूल सिंह ने गुप्ता के नाम पर रुपये लिए हों और गुप्ता के पास से रुपये की रिकवरी ही काफी नहीं है।

अनशन से अन्ना की किडनी पर असर?

नई दिल्ली
अनशन के सातवें दिन अन्ना का वजन 5 किलो कम हो गया। उनका वजन 72 किलो से 67 किलो पर आ गया। समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, किरण बेदी ने कहा कि अन्ना की किडनी में इनफैक्शन हो गया है, लेकिन बाद में केजरीवाल ने कहा कि अन्ना की सेहत ठीक है। उनके खून और पेशाब में कीटोन भी पाया गया जिससे उनके लीवर और किडनी पर असर पड़ सकता है। उनका ब्लड प्रेशर भी कम हुआ है।
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हार्ट केयर फाउंडेशन के अध्यक्ष डॉक्टर के. के. अग्रवाल ने कहा कि पेशाब में कीटोन मिलने का मतलब यह है कि उनमें एनर्जी के लिए फैट का इस्तेमाल होने लगा है। अन्ना का जो वजन है, उस हिसाब से वह 10 किलो तक की कमी का खतरा मोल ले सकते हैं। अन्ना का बीपी 30 कम होना और पल्स दर 10 बढ़ने का मतलब डिहाइड्रेशन है। उन्हें तरल पेय की और जरूरत है।

डायबीटिक रिसर्च सेंटर के चेयरमैन डॉक्टर ए. के. झिंगन ने कहा कि जब बॉडी को बाहर से ग्लूकोज नहीं मिलता है तो बॉडी में शुगर कम होने लगता है। फिर इंसुलिन की मात्रा भी कम होती जाती है। ऐसे में लीवर शुगर बनाता है और ग्लूकागोन की मात्रा बढ़ती है। शुगर अगर लगातार कम होता जाए तो लीवर में लाइपोलाइसिस की प्रक्रिया तेज हो जाती है। फ्री फैटी ऐसिड टूटने शुरू होते हैं जो कीटोन बनते हैं और यूरीन के साथ बाहर आते हैं। अगर अनशन ज्यादा चलता रहा तो सबसे पहले ब्रेन पर असर पड़ता है। बेहोशी की हालत भी आ सकती है।

जन लोकपाल: देश भर के डॉक्‍टरों ने दी हड़ताल की चेतावनी, सेक्‍स वर्कर भी अन्‍ना के साथ

लोकपाल: आज संसद के भीतर और बाहर होगी लड़ाई, अन्‍ना के आंदोलन में कूदे डॉक्‍टर तीसरा मोर्चा का विरोध प्रदर्शन। संसद में सरकार को घेरेगी भाजपा। क्‍लीनिकों में चलेगी अन्‍ना की पाठशाला। नई दिल्‍ली. भ्रष्टाचार के खिलाफ माहौल को भुनाने और केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ाने के मकसद से वाम मोर्चा और उसके कुछ सहयोगी दलों का मंगलवार को सड़कों पर विरोध प्रदर्शन होगा। वामदलों के अलावा तेदेपा, अन्नाद्रमुक, बीजद, जद-एस और रालोद भी मोर्चे में शामिल हैं। सोची-समझी रणनीति के तहत इस बार इन पार्टियों ने दिल्ली में कोई बड़ा कार्यक्रम न करने का फैसला किया है। प्रमुख प्रदर्शन इन पार्टियों के प्रभाव वाले प्रदेशों में सीमित होगा। मगर संसद परिसर में इन नौ दलों के सदस्य गांधी प्रतिमा के सामने कुछ समय तक सांकेतिक धरने पर बैठेंगे। वाम दल, खासतौर पर भाकपा ने भारत बंद का प्रस्ताव दिया था, मगर अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जयललिता और बीजद नेता इसके समर्थन में नहीं थे।






उधर, संसद के भीतर सरकार को घेरने के लिए भाजपा तैयार है। सोमवार को लालकृष्‍ण आडवाणी के निवास पर राजग की बैठक में इसकी रणनीति बन गई है।






भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्‍ना हजारे के नेतृत्‍व में छिड़ी मुहिम से रोज हजारों लोग जुड़ रहे हैं। अब डॉक्‍टरों ने भी इसमें अपनी भागीदारी देने का फैसला किया है। मंगलवार से देशभर के हजारों क्लीनिकों को पाठशाला में परिवर्तित करने का निर्णय लिया गया है। यह निर्णय इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने लिया है। डॉक्टर क्लीनिकों में पहुंचने वाले मरीजों और उनके रिश्तेदारों को जनलोकपाल की बारीकियों के बारे में अवगत कराएंगे।
आईएमए के संयुक्त सचिव डॉ. नरेंद्र सैनी ने बताया कि संस्थान की तमाम शाखाओं और पंजीकृत सदस्यों द्वारा संचालित तमाम क्लीनिक में पाठशालाएं आयोजित की जाएंगी। उन्होंने बताया कि पाठशाला में लोगों को जनलोकपाल से संबंधित बारीकियों की जानकारी दी जाएगी। अगर किसी शाखा या क्लीनिक में जनलोकपाल के बारे जानने की इच्छा लेकर पहुंचने वालों की संख्या काफी ज्यादा हो तो उनके लिए विशेष कार्यशाला भी आयोजित की जा सकती है। मंगलवार से पूरे देश में यह मुहिम शुरू हो जाएगी। इसके लिए हजारों संख्या में डॉक्टरों के पास ई-मेल या सूचना के अन्य माध्यमों के जरिए जनलोकपाल की प्रमुख तथ्यों को भेज दिया गया है।






इतना ही नहीं, जब तक जनलोकपाल संसद में पारित नहीं हो जाता, तब तक देश भर में हजारों डॉक्टर काली पट्टी बांधकर काम करेंगे। डॉ. सैनी ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि फिलहाल लोगों के प्रति डॉक्टरों की जवाबदेही को देखते हुए काली पट्टी बांधकर ही अपना विरोध दर्ज कराएंगे। अगर सरकार अपने अडिय़ल रवैये में बदलाव नहीं लाएगी तो देश भर के हजारों डॉक्टर हड़ताल पर जाने से भी नहीं हिचकेंगे।
सेक्स वर्कर का भी समर्थनअन्ना हजारे को समर्थन देने के लिए रोजाना दिल्ली की बदनाम गली जीबी रोड से ताल्लुक रखने वाली सेक्स वर्कर भी पहुंच रही हैं। उनका कहना है कि वे भी आम लोगों की तरह अन्ना अंकल का समर्थन करती हैं। अनशन की सफलता के लिए उनसे जितना बन पड़ेगा वे करेंगी।






भारतीय पतिता उद्धार सभा दिल्ली इकाई की महासचिव नसरीन ने बताया कि हमारा पेशा अवैध होने के साथ-साथ समाज में सबसे घिनौना समझा जाता है। अवैध होने के कारण हमारे साथ भ्रष्टाचार भी ज्यादा होता है। यदि किसी सेक्स वर्कर को राशन कार्ड बनवाना होता है तो उसको आम लोगों से ज्यादा रिश्वत देनी पड़ती है। ऐसा ही सलूक राशन की दुकान पर भी किया जाता है। इसका मुख्य कारण हमारे पेशे को सरकार की ओर से वैध न करना है।



यही कारण है कि जीबी रोड पर सक्रिय लगभग चार हजार से ज्यादा सेक्स वर्कर अन्ना अंकल के अनशन को पूरी तरह से समर्थन दे रही हैं और प्रति दिन शाम को रोजा इफ्तार करने के बाद रामलीला मैदान में समूह बना कर जाती हैं।

दो किशोरों को बाल सुधार गृह भेजा

दो किशोरों को बाल सुधार गृह भेजा

जोधपुर। पांच लाख रूपए की फिरौती के लिए अपहरण के बाद छात्र की हत्या के मामले में गिरफ्तार आरोपी को न्यायालय ने सोमवार को रिमाण्ड पर भेज दिया। वहीं, मुख्य आरोपी व उसके ममेरे भाई को बात सुधार गृह भेजने के आदेश दिए गए हैं। सहायक पुलिस आयुक्त (पूर्व) मनोज चौधरी के अनुसार प्रकरण में गिरफ्तार शेरगढ़ में बैंक गली निवासी गणपत पुत्र बिशनाराम खत्री को दो दिन की पुलिस अभिरक्षा में भेजा गया जबकि मुख्य आरोपी व मृतक के पड़ोसी सत्रह वष्ाीüय किशोर व बालोतरा में छत्रियों का मोर्चा निवासी उसके ममेरे भाई को बाल सुधार गृह भेज दिया गया।

रूपए के लालच में आरोपी गत गुरूवार रात ठठेरों की बगेची केसरबाग निवासी गोविन्द (14) पुत्र जगदीश माली का अपहरण करके मोटरसाइकिल पर बालोतरा ले गए। वहां किशोर के ममेरे भाई के साथ मिलकर उन्होने रात में ही गोविन्द का गला घोंटकर हत्या कर दी तथा शव लूनी नदी में फेंक दिया था। दूसरे दिन गणपत व किशोर जोधपुर आए तथा जगदीश को फोन करके पुत्र को छोड़ने के लिए पांच लाख रूपए मांगे।

चित्कारें सुन रो पड़ी आंखें

चित्कारें सुन रो पड़ी आंखें

जालोर/बागरा। कस्बे में सोमवार को वोकली नाडी में डूबने से चार बच्चों की मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। दिल दहलाने वाले हादसे के बारे में जिसने भी सुना स्तब्ध रह गया। हादसे के बाद मौके पर घंटों तक सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ लगी रही। वहीं कस्बे में मातम का माहौल छा गया।

घटना के कुछ ही समय में मासूमों की मौत की खबर कस्बे में आग की तरह फैल गई। जिसने भी सुना वह वोकली नाडी की तरफ दौड़ पड़ा। कुछ ही देर में वोकली नाडी पर पैर रखने तक को जगह नहीं थी। इधर, मृतक बच्चों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। परिजनों की चित्कारें सुन वहां मौजूद हर किसी की आंखों से अश्रुधारा बह निकली।

बच्चों के बचने की उम्मीद नहीं होने के बावजूद हर एक उनकी जिन्दगी के लिए दुआ मांग रहा था। घटना के बाद गांव में शोक की लहर छा गई। जन्माष्टमी पर्व की खुशियां गम में बदल गई। देर शाम जैसे ही अर्थियां उठी कोहराम मच गया। हर तरफ करूण क्रंदन सुनाई दे रहा था। इस दौरान गमगीम माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। घटना को लेकर गांव के कई घरो मे चूल्हे तक नहीं जले।

कपड़ो से चला पता
वोकली नाडी में डूबने वाले बच्चों की संख्या को लेकर कुछ समय तक सिर्फ कयास ही लगाए जाते रहे। बाद में नाडी के समीप रखे बच्चों के कपड़ों से चार बच्चों के नाडी में डूबने का पता चला।

घंटों की जद्दोजहद
वोकली नाडी मे सोमवार को चार बच्चो के डूबने की खबर जैसे ही मिली। ग्रामीण उन्हें बचाने के लिए दौड़ पड़े। तैराक भवसिंह परमार, अमरसिंह दहिया, रतनलाल, भीमाराम, रामलाल घांची, चन्दनमल मेघवाल, मिश्रीमल, पन्नालाल भील, मीठालाल, लाखसिंह, मोड़सिंह परमार, वागाराम मेघवाल, मोड़सिंह दहिया, रमेश कुमार भील, हरीसिंह व चेलाराम सहित कई ग्रामीण शवों को बाहर निकालने के नाडी में उतर गए। मासूमों की जिंदगी बचाने के लिए दो घंटे की जद्दोजहद चलती रही। लेकिन ये लोग बिना थकान के काम में जुटे रहे। आखिर दो घंटे बाद शवों को बाहर निकाला जा सका।

कलक्टर ने दी दिलासा
हादसे की जानकारी मिलने पर शाम साढ़े पांच बजे कलक्टर के.के. गुप्ता मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को सांत्वना दी। इससे पहले उपखंड अधिकारी प्रदीप बालाच, पुलिस उप अधीक्षक देवकिशन शर्मा, कार्यवाहक तहसीलदार चंचल वर्मा, जालोर कोतवाल अन्नराज राजपुरोहित, नायब तहसीलदार शंकरलाल, सरपंच महेन्द्र कुमार एवं उप सरपंच गंगासिंह सिन्धल सहित ग्रामीण मौके पर पहुंचे।

चित्कारें सुन रो पड़ी आंखें

चित्कारें सुन रो पड़ी आंखें

जालोर/बागरा। कस्बे में सोमवार को वोकली नाडी में डूबने से चार बच्चों की मौत ने हर किसी को झकझोर कर रख दिया। दिल दहलाने वाले हादसे के बारे में जिसने भी सुना स्तब्ध रह गया। हादसे के बाद मौके पर घंटों तक सैकड़ों ग्रामीणों की भीड़ लगी रही। वहीं कस्बे में मातम का माहौल छा गया।

घटना के कुछ ही समय में मासूमों की मौत की खबर कस्बे में आग की तरह फैल गई। जिसने भी सुना वह वोकली नाडी की तरफ दौड़ पड़ा। कुछ ही देर में वोकली नाडी पर पैर रखने तक को जगह नहीं थी। इधर, मृतक बच्चों के परिजनों का रो-रोकर बुरा हाल था। परिजनों की चित्कारें सुन वहां मौजूद हर किसी की आंखों से अश्रुधारा बह निकली।

बच्चों के बचने की उम्मीद नहीं होने के बावजूद हर एक उनकी जिन्दगी के लिए दुआ मांग रहा था। घटना के बाद गांव में शोक की लहर छा गई। जन्माष्टमी पर्व की खुशियां गम में बदल गई। देर शाम जैसे ही अर्थियां उठी कोहराम मच गया। हर तरफ करूण क्रंदन सुनाई दे रहा था। इस दौरान गमगीम माहौल में अंतिम संस्कार किया गया। घटना को लेकर गांव के कई घरो मे चूल्हे तक नहीं जले।

कपड़ो से चला पता
वोकली नाडी में डूबने वाले बच्चों की संख्या को लेकर कुछ समय तक सिर्फ कयास ही लगाए जाते रहे। बाद में नाडी के समीप रखे बच्चों के कपड़ों से चार बच्चों के नाडी में डूबने का पता चला।

घंटों की जद्दोजहद
वोकली नाडी मे सोमवार को चार बच्चो के डूबने की खबर जैसे ही मिली। ग्रामीण उन्हें बचाने के लिए दौड़ पड़े। तैराक भवसिंह परमार, अमरसिंह दहिया, रतनलाल, भीमाराम, रामलाल घांची, चन्दनमल मेघवाल, मिश्रीमल, पन्नालाल भील, मीठालाल, लाखसिंह, मोड़सिंह परमार, वागाराम मेघवाल, मोड़सिंह दहिया, रमेश कुमार भील, हरीसिंह व चेलाराम सहित कई ग्रामीण शवों को बाहर निकालने के नाडी में उतर गए। मासूमों की जिंदगी बचाने के लिए दो घंटे की जद्दोजहद चलती रही। लेकिन ये लोग बिना थकान के काम में जुटे रहे। आखिर दो घंटे बाद शवों को बाहर निकाला जा सका।

कलक्टर ने दी दिलासा
हादसे की जानकारी मिलने पर शाम साढ़े पांच बजे कलक्टर के.के. गुप्ता मौके पर पहुंचे। उन्होंने परिजनों को सांत्वना दी। इससे पहले उपखंड अधिकारी प्रदीप बालाच, पुलिस उप अधीक्षक देवकिशन शर्मा, कार्यवाहक तहसीलदार चंचल वर्मा, जालोर कोतवाल अन्नराज राजपुरोहित, नायब तहसीलदार शंकरलाल, सरपंच महेन्द्र कुमार एवं उप सरपंच गंगासिंह सिन्धल सहित ग्रामीण मौके पर पहुंचे।

दहेज हत्या का मामला दर्ज

दहेज हत्या का मामला दर्ज

भीनमाल। निकटवर्ती नरता गांव में एक विवाहिता की दहेज के लिए हत्या करने का मामला दर्ज हुआ है। घटना की जानकारी मिलने पर पुलिस निरीक्षक दलपतसिंह भाटी व डीएसपी जयपालसिंह यादव मौके पर पहुंचे व मृतका का पोस्टमार्टम कर विसरा जांच के लिए लिए भेजा।

पुलिस निरीक्षक भाटी ने बताया कि आलड़ी निवासी हरकाराम मेघवाल ने रिपोर्ट दर्ज करवाई कि उसकी पुत्री झमका की शादी सात वर्ष पूर्व नरता निवासी भंवरलाल मेघवाल के साथ हुई। शादी के बाद से ही उसकी पुत्री के साथ दहेज के लिए मारपीट करते रहे। रविवार रात्रि को दहेज लाने की बात पर उसकी हत्या कर दी गई। पुलिस ने मृतका के पिता की रिपोर्ट पर उसके पति भवंरलाल, ससुर मगनाराम मेघवाल व सास मश्रीदेवी के खिलाफ दहेज हत्या का मामला दर्ज कर जांच शुरू की

बस में करंट, एक जातरू की मौत

बस में करंट, एक जातरू की मौत

पोकरण। रामदेवरा से जोधपुर जा रही एक निजी बस की छत पर रखी साइकिलों के विद्युत तारों से टकराने और उनमे करंट आने से बस पर सवार एक जातरू की मौत हो गई। इस हादसे में एक मासूम सहित पांच जने घायल को गए।

जानकारी के अनुसार सोमवार को सुबह 11 बजे एक निजी यात्री बस सवारियां लेकर रामदेवरा से वाया विरमदेवरा-एकां होकर जोधपुर जा रही थी। बस की छत पर जातरूओं की साइकिलें रखी हुई थी। विरमदेवरा गांव के पास सड़क किनारे लगे विद्युत पोल की झूलती तारें अचानक साइकिलों से टकराने से उनमें करंट प्रवाहित हो गया। इससे पूरी बस में करंट फैल गया।

करंट आते ही बस में बैठे यात्रियों में हड़कंप मच गया। यात्री बस से नीचे कूदने लगे। इसी दौरान एक जातरू केलवाड़ा राजसमंद निवासी मनोहरसिंह (30) पुत्र पप्पुसिंह का एक हाथ बस के गेट पर लगे हत्थे व पैर नीचे जमीन पर टिक जाने से उसे अर्थ मिल गया और वह करंट की चपेट में आ गया। इससे घटनास्थल पर ही उसकी मौत हो गई। इसी प्रकार बस में सवार मृतक की पत्नी झमकू (27), उसके एक वर्षीय पुत्र श्रवण के भी हड़बड़ाहट में बस से नीचे कूदने के दौरान चोटें लगीं।

इसके अलावा भोजपुर प्रतापगढ निवासी लस्सीराम (23) पुत्र बेराजी, शंकरलाल (22) पुत्र बावराजी व अशोक (20) को भी करंट के झटके महसूस होने पर वे अचानक बस से नीचे कूद गए। उन्हें भी चोटें लगी। सभी घायलों को "108" एम्बुलेंस से पोकरण अस्पताल लाया गया। यहां चिकित्सकों ने उपचार के बाद उन्हें छुट्टी दे दी।

नाडी में डूबने से चार बच्चों की मौत


बागरा । कस्बे मे सोमवार दोपहर नाडी में डूबने से चार बच्चों की मौत हो गई। ये नाडी में नहाने गए थे। ग्रामीणों ने दो घंटे की मशक्कत के बाद चारों शवों को बाहर निकाला।

जानकारी के अनुसार कस्बे में उगमणावास बागरा निवासी उत्तमसिंह (15) पुत्र बलवंतसिंह राजपूत, हुकुमसिंह (10) पुत्र शैतानसिंह राजपूत, महेन्द्र (15) पुत्र रमेश भील और ईश्वरसिंह (12) पुत्र गणपतसिंह राजपूत पास ही स्थित वोकली नाडी पर पशुओं को चराने गए थे। दोपहर करीब दो बजे चारों बच्चे नाडी में नहाने के लिए उतर गए। नाडी में पानी ज्यादा गहरा होने की वजह से चारों बच्चे पानी में डूबने लगे। इसी दौरान पास ही में एक खेत से एक महिला और कुछ बच्चे गुजर रहे थे। जिन्होंने इन बालकों के डूबने की सूचना ग्रामीणों को दी।

जानकारी मिलते ही ग्रामीण और थानाधिकारी जसाराम मेघवाल तुरंत नाडी पर पहुंचे, लेकिन तब तक ये चारों डूब चुके थे। इसके बाद करीब दो घंटे की मशक्कत के बाद चारों शवों को बाहर निकाला गया। चारों के शव जैसे ही इनके घरों में पहुंचे वहां कोहराम मच गया। चारों के पिता किसान हैं। मृतक हुकमसिंह का पिता शैतानसिंह दक्षिण राज्यों में नौकरी भी करता है। वह इन दिनों अपने घर आया हुआ है

कहासुनी में भतीजे ने की चाचा की हत्या

कहासुनी में भतीजे ने की चाचा की हत्या

बाड़मेर सिवाना उपखंड क्षेत्र के कुंडल सरहद में वेरानाडी मार्ग पर मामूली कहासुनी को लेकर एक भतीज ने अपने चाचा की लाठी से पीट पीट कर हत्या कर दी। थानाधिकारी रामवीरसिंह जाखड़ के अनुसार रविवार शाम छह बजे वेरानाडी गांव की मुख्य सड़क पर किराणे की दुकान पर खड़े पन्नाराम(45) पुत्र आसूराम निवासी वेरानाडी कुंडल व बाबूराम पुत्र जोगाराम निवासी वेरानाडी कुंडल के बीच चारे की बात को लेकर मामूली कहासुनी हुई।

तैश में आए बाबूराम ने अपने चाचा पन्नाराम पर लाठी से दनादन वार कर दिए। घातक प्रहार से पन्नाराम बेसुध होकर गिर पड़ा। सूचना मिलने पर पहुंची पुलिस ने गंभीर अवस्था में उसे राजकीय चिकित्सालय पहुंचाया। रेफर करने से पूर्व ही पन्नाराम ने दम तोड़ दिया। मृतक के भाई सूजाराम की रिपोर्ट पर पुलिस ने भादंसं की धारा 302 के तहत प्रकरण दर्ज कर आरोपी बाबूराम को गिरफ्तार किया। पुलिस उप अधीक्षक रामेश्वरलाल मेघवाल ने घटना स्थल पर पहुंचकर मौका मुआयना किया। पुलिस ने शव का पोस्टमार्टम करवाने के बाद परिजनों को सुपुर्द किया। मामला दर्ज कर अनुसंधान शुरू किया।

हत्या का मामला दर्ज
मामूली कहासुनी के चलते हत्या हुई है। पुलिस ने हत्या का मामला दर्ज कर आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है। जांच चल रही है।
- रामेश्वरलाल मेघवाल,पुलिस उप अधीक्षक

जय जाहर वीर गोगाजी



वीर गोगाजी गुरुगोरखनाथ के परमशिस्य थे। चौहान वीर गोगाजी का जन्म विक्रम संवत 1003 में चुरू जिले के ददरेवा गाँव में हुआ था सिद्ध वीर गोगादेव के जन्मस्थान, जो राजस्थान के चुरू जिले के दत्तखेड़ा में स्थित है। जहाँ पर सभी धर्म और सम्प्रदाय के लोग मत्था टेकने के लिए दूर-दूर से आते हैं।कायम खानी मुस्लिम समाज उनको जाहर पीर के नाम से पुकारते हैं तथा उक्त स्थान पर मत्‍था टेकने और मन्नत माँगने आते हैं। इस तरह यह स्थान हिंदू और मुस्लिम एकता का प्रतीक है।मध्यकालीन महापुरुष गोगाजी हिंदू, मुस्लिम, सिख संप्रदायों की श्रद्घा अर्जित कर एक धर्मनिरपेक्ष लोकदेवता के नाम से पीर के रूप में प्रसिद्ध हुए। गोगाजी का जन्म राजस्थान के ददरेवा (चुरू) चौहान वंश के राजपूत शासक जैबर (जेवरसिंह) की पत्नी बाछल के गर्भ से गुरु गोरखनाथ के वरदान से भादो सुदी नवमी को हुआ था। चौहान वंश में राजा पृथ्वीराज चौहान के बाद गोगाजी वीर और ख्याति प्राप्त राजा थे। गोगाजी का राज्य सतलुज सें हांसी (हरियाणा) तक था।

लोकमान्यता व लोककथाओं के अनुसार गोगाजी को साँपों के देवता के रूप में भी पूजा जाता है। लोग उन्हें गोगाजी चौहान, गुग्गा, जाहिर वीर व जाहर पीर के नामों से पुकारते हैं। यह गुरु गोरक्षनाथ के प्रमुख शिष्यों में से एक थे। राजस्थान के छह सिद्धों में गोगाजी को समय की दृष्टि से प्रथम माना गया है। जयपुर से लगभग 250 किमी दूर स्थित सादलपुर के पास दत्तखेड़ा (ददरेवा) में गोगादेवजी का जन्म स्थान है। दत्तखेड़ा चुरू के अंतर्गत आता है। गोगादेव की जन्मभूमि पर आज भी उनके घोड़े का अस्तबल है और सैकड़ों वर्ष बीत गए, लेकिन उनके घोड़े की रकाब अभी भी वहीं पर विद्यमान है। उक्त जन्म स्थान पर गुरु गोरक्षनाथ का आश्रम भी है और वहीं है गोगादेव की घोड़े पर सवार मूर्ति। भक्तजन इस स्थान पर कीर्तन करते हुए आते हैं और जन्म स्थान पर बने मंदिर पर मत्‍था टेककर मन्नत माँगते हैं।आज भी सर्पदंश से मुक्ति के लिए गोगाजी की पूजा की जाती है. गोगाजी के प्रतीक के रूप में पत्थर या लकडी पर सर्प मूर्ती उत्कीर्ण की जाती है. लोक धारणा है कि सर्प दंश से प्रभावित व्यक्ति को यदि गोगाजी की मेडी तक लाया जाये तो वह व्यक्ति सर्प विष से मुक्त हो जाता है. भादवा माह के शुक्ल पक्ष तथा कृष्ण पक्ष की नवमियों को गोगाजी की स्मृति में मेला लगता है. उत्तर प्रदेश में इन्हें जहर पीर तथा मुसलमान इन्हें गोगा पीर कहते हैं

हनुमानगढ़ जिले के नोहर उपखंड में स्थित गोगाजी के पावन धाम गोगामेड़ी स्थित गोगाजी का समाधि स्थल जन्म स्थान से लगभग 80 किमी की दूरी पर स्थित है, जो साम्प्रदायिक सद्भाव का अनूठा प्रतीक है, जहाँ एक हिन्दू व एक मुस्लिम पुजारी खड़े रहते हैं। श्रावण शुक्ल पूर्णिमा से लेकर भाद्रपद शुक्ल पूर्णिमा तक गोगा मेड़ी के मेले में वीर गोगाजी की समाधि तथा गोगा पीर व जाहिर वीर के जयकारों के साथ गोगाजी तथा गुरु गोरक्षनाथ के प्रति भक्ति की अविरल धारा बहती है। भक्तजन गुरु गोरक्षनाथ के टीले पर जाकर शीश नवाते हैं, फिर गोगाजी की समाधि पर आकर ढोक देते हैं। प्रतिवर्ष लाखों लोग गोगा जी के मंदिर में मत्था टेक तथा छड़ियों की विशेष पूजा करते हैं।

प्रदेश की लोक संस्कृति में गोगाजी के प्रति अपार आदर भाव देखते हुए कहा गया है कि गाँव-गाँव में खेजड़ी, गाँव-गाँव में गोगा वीर गोगाजी का आदर्श व्यक्तित्व भक्तजनों के लिए सदैव आकर्षण का केन्द्र रहा है। गोरखटीला स्थित गुरु गोरक्षनाथ के धूने पर शीश नवाकर भक्तजन मनौतियाँ माँगते हैं।विद्वानों व इतिहासकारों ने उनके जीवन को शौर्य, धर्म, पराक्रम व उच्च जीवन आदर्शों का प्रतीक माना है।लोक देवता जाहरवीर गोगाजी की जन्मस्थली ददरेवा में भादवा मास के दौरान लगने वाले मेले के दृष्टिगत पंचमी (सोमवार) को श्रद्धालुओं की संख्या में और बढ़ोतरी हुई। मेले में राजस्थान के अलावा पंजाब, हरियाणा, उत्तरप्रदेश व गुजरात सहित विभिन्न प्रांतों से श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। जातरु ददरेवा आकर न केवल धोक आदि लगाते हैं बल्कि वहां अखाड़े (ग्रुप) में बैठकर गुरु गोरक्षनाथ व उनके शिष्य जाहरवीर गोगाजी की जीवनी के किस्से अपनी-अपनी भाषा में गाकर सुनाते हैं। प्रसंगानुसार जीवनी सुनाते समय वाद्ययंत्रों में डैरूं व कांसी का कचौला विशेष रूप से बजाया जाता है। इस दौरान अखाड़े के जातरुओं में से एक जातरू अपने सिर व शरीर पर पूरे जोर से लोहे की सांकले मारता है। मान्यता है कि गोगाजी की संकलाई आने पर ऐसा किया जाता है। गोरखनाथ जी से सम्बंधित एक कथा राजस्थान में बहुत प्रचलित है। राजस्थान के महापुरूष गोगाजी का जन्म गुरू गोरखनाथ के वरदान से हुआ था। गोगाजी की माँ बाछल देवी निःसंतान थी। संतान प्राप्ति के सभी यत्न करने के बाद भी संतान सुख नहीं मिला। गुरू गोरखनाथ ‘गोगामेडी’ के टीले पर तपस्या कर रहे थे। बाछल देवी उनकी शरण मे गईं तथा गुरू गोरखनाथ ने उन्हें पुत्र प्राप्ति का वरदान दिया और एक गुगल नामक फल प्रसाद के रूप में दिया। प्रसाद खाकर बाछल देवी गर्भवती हो गई और तदुपरांत गोगाजी का जन्म हुआ। गुगल फल के नाम से इनका नाम गोगाजी पड़ा|

सोमवार, 22 अगस्त 2011

Happy Janmashtami - Nand Ke Anand Bhayo ( Krishna Bhajan )

एनआरआई दुल्हन 14 लाख लेकर फरार

मंडी गोबिंदगढ़. गांव कौलगढ़ का जसविंदर सिंह एक एनआरआई लुटेरी दुल्हन का शिकार हो गया। महिला ने जसविंदर से पहले शादी रचाई और फिर 14 लाख रुपए लेकर कैनेडा भाग गई।

ढाई साल से अपनी बीवी का इंतजार कर रहा जसविंदर सिंह आखिरकार पुलिस की शरण में चला गया। जसविंद्र सिंह की शिकायत पर अमलोह पुलिस ने कैनेडा में रह रही महिला रितू शर्मा और उसके दो भाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

पुलिस ने आरोपी महिला के एक

भाई राजेश कुमार निवासी जगदीशपुरा, लुधियाना को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। रितू के दूसरे भाई अशोक की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है जबकि कैनेडा में होने के कारण रितू की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

एनआरआई दुल्हन..

गांव कौलगढ़ के जसविंद्र सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि नवंबर, 2008 में भारत आई रितू ने उससे रूपिंद्र कौर बनकर एग्रीमेंट किया कि शादी के बाद वह उसे कैनेडा ले जाएगी। इसके लिए उसने 14 लाख रुपए की मांग की।

13 नवंबर 2008 को धूमधाम से लुधियाना के मैरिज पैलेस में शादी की। कुछ दिन तो सबकुछ ठीक-ठाक रहा। इस दौरान रितू उससे रुपए की मांग करती रही। कुछ दिन बाद ही जसविंदर ने अपनी जमीन गिरवी रखकर 14 लाख रुपए रितू को दे दिए।

इसके तुरंत बाद रितू यह कहकर कैनेडा चली गई कि वह जल्द ही उसे भी बुला लेगी और दोनों कैनेडा में ही रहेंगे। लेकिन इस बात को ढाई साल हो गए लेकिन जसविंदर को अपनी दुल्हन का कोई पता नहीं चला। रितू ने न तो जसविंद्र को कैनेडा बुलाया और न ही कोई खोज खबर ली। जसविंद्र ने आरोप लगाया कि उसके साथ हुई जालसाजी में रितू के दो भाई राजेश और अशोक शामिल थे।

एनआरआई दुल्हन 14 लाख लेकर फरार

मंडी गोबिंदगढ़. गांव कौलगढ़ का जसविंदर सिंह एक एनआरआई लुटेरी दुल्हन का शिकार हो गया। महिला ने जसविंदर से पहले शादी रचाई और फिर 14 लाख रुपए लेकर कैनेडा भाग गई।

ढाई साल से अपनी बीवी का इंतजार कर रहा जसविंदर सिंह आखिरकार पुलिस की शरण में चला गया। जसविंद्र सिंह की शिकायत पर अमलोह पुलिस ने कैनेडा में रह रही महिला रितू शर्मा और उसके दो भाइयों के खिलाफ मामला दर्ज किया है।

पुलिस ने आरोपी महिला के एक

भाई राजेश कुमार निवासी जगदीशपुरा, लुधियाना को गिरफ्तार कर अदालत में पेश किया, जहां से उसे 14 दिन की न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। रितू के दूसरे भाई अशोक की गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापेमारी कर रही है जबकि कैनेडा में होने के कारण रितू की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है।

एनआरआई दुल्हन..

गांव कौलगढ़ के जसविंद्र सिंह ने पुलिस को दी शिकायत में कहा है कि नवंबर, 2008 में भारत आई रितू ने उससे रूपिंद्र कौर बनकर एग्रीमेंट किया कि शादी के बाद वह उसे कैनेडा ले जाएगी। इसके लिए उसने 14 लाख रुपए की मांग की।

13 नवंबर 2008 को धूमधाम से लुधियाना के मैरिज पैलेस में शादी की। कुछ दिन तो सबकुछ ठीक-ठाक रहा। इस दौरान रितू उससे रुपए की मांग करती रही। कुछ दिन बाद ही जसविंदर ने अपनी जमीन गिरवी रखकर 14 लाख रुपए रितू को दे दिए।

इसके तुरंत बाद रितू यह कहकर कैनेडा चली गई कि वह जल्द ही उसे भी बुला लेगी और दोनों कैनेडा में ही रहेंगे। लेकिन इस बात को ढाई साल हो गए लेकिन जसविंदर को अपनी दुल्हन का कोई पता नहीं चला। रितू ने न तो जसविंद्र को कैनेडा बुलाया और न ही कोई खोज खबर ली। जसविंद्र ने आरोप लगाया कि उसके साथ हुई जालसाजी में रितू के दो भाई राजेश और अशोक शामिल थे।