समान नागरिक संहिता को लेकर छिड़ी बहस के बीच सुप्रीमकोर्ट ने गुरुवार को कहा कि अगर सती प्रथा बंद हो सकती है तो बहुविवाह एवं तीन तलाक जैसी प्रथाओं को बंद क्यों नही किया जा सकता।
सुप्रीम कोर्ट तलाक या मुस्लिम बहुविवाह के मामलों में महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव के मुद्दे की समीक्षा करेगा।
जस्टिस अनिल आर दवे और जस्टिस एके गोयल की पीठ ने मुस्लिम महिलाओं से होने वाले भेदभाव की समीक्षा के लिए मुख्य न्यायाधीश से एक पीठ के गठन का अनुरोध किया है।
पीठ ने कहा कि यह मुद्दा केवल नीतिगत मामला नहीं है बल्कि संविधान के तहत महिलाओं को मिले मौलिक अधिकारों से संबंधित है। यह मुद्दा हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) अधिनियम से संबंधित मामले की सुनवाई के दौरान उठा।
पीठ ने कहा कि संविधान में प्रदत्त समानता के मौलिक अधिकारों के बावजूद मुस्लिम महिलाओं के साथ भेदभाव हो रहा है।
पीठ ने कहा कि मनमाने तलाक और पतियों के पहली शादी के अस्तित्व में रहने के दौरान ही दूसरी शादी कर लेने के खिलाफ कोई सुरक्षा उपाय नहीं होने के चलते मुस्लिम महिलाओं को सुरक्षा और गरिमा नहीं मिल पाती है।