शुक्रवार, 22 अगस्त 2014

केरल सरकार का फैसला, प्रदेश में सभी बार होंगे बंद

त्रिवेंद्रम। केरल में कांग्रेस नीत यूडीएफ सरकार ने प्रदेश में पूरी तरह से शराब पर निषेधाज्ञा लागू करने का फैसला किया है। प्रदेश के सभी बार अगले साल बंद कर दिए जाएंगे। सरकार ने फैसला लिया है कि राज्य में चल रहे 312 बारो के लाइसेंसो का 31 मार्च 2015 के बाद नवीनीकरण नहीं किया जाएगा। UDF led Kerala government to shut down all bars


सरकार एक अप्रेल 2015 से सिर्फ पंच सितारा होटलों को ही बार चलाने के लिए लाइसेंस देगी। इसका मतलब यह है कि चार और तीन सितारा होटलों के लाइसेंस अपने आप निरस्त हो जाएंगे। हालांकि, ऎसा करने से पहले राज्य सरकार कानूनी राय लेगी की क्या इन बारों तुरंत प्रभाव से बंद किया जा सकता है या नहीं।
फैसले की घोषणा करते हुए मुख्यमंत्री ओमन चांडी ने कहा कि राज्य सरकार नई शराब नीति लेकर आएगी जिसमें बताया जाएगा की किस तरह प्रदेश में पूर्ण शराब बंदी लागू की जाएगी। इस नीती पर यूडीएफ के सभी घटक दलो ने फैसला लिया और इसपर अंतिम मुहर कैबिनेट मीटिंग पर लगाई जाएगी।
राज्य सरकार अपना फैसला केरल हाई कोर्ट को बताएगी जहां बंद किए गए 418 बारों के मालिकों ने केस दर्ज कर रखा है और मामले की अगली सुनवाई 26 अगस्त को होगी।
यूडीएफ ने अगले दस सालों में प्रदेश के सभी पेय पदार्थो के बिक्री केंद्र बंद करने का फैसला किया है। हर साल दस प्रतिशत बिक्री केंद्र बंद किए जाएंगे ताकि दस सालों में ऎसे सभी केंद्रों को बद कर दिया जाए। सरकार ने ऎसे केंद्रों मे काम करने वाले कर्मचारियों के लिए पुर्नवास पैकेज की घोषणा की है। -   

पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना 1300 फीट की उंचाई पर बना यह मठ

बात चाहे धर्म, स्थापत्य या फिर कला कि यूनान की प्राचीन संस्कृति को दुनिया के श्रेष्ठतम संस्कृतियों में शुमार किया जाता है। यूनान के सन्दर्भ में एक और उल्लेखनीय बात यह है कि भारत में जन्म लेने वाला बौद्ध धर्मं 14वीं शताब्दी तक अपनी जड़ों से काफी दूर इस देश तक पहुंचा था। इसका सबूत यूनान के कलमपका शहर में मौजूद 6 मठ हैं।
पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र बना 1300 फीट की उंचाई पर बना यह मठ
गौरतलब है कि यूनान में कलमपका शहर के पास 1300 फीट की ऊंचाई पर बने ये मठ और चर्च पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र हैं। मठ और चर्च जिस कठोर पत्थर पर बना है वह दूर से एक विशाल पिलर की तरह दिखाई देता है। 14वीं और 16वीं शताब्दी में बौद्ध भिक्षुओं ने यहां पहाड़ों पर पहले चर्च और बाद में 20 मठों का निर्माण किया था। हालांकि, अब सिर्फ छह मठ ही हैं, जहां आम लोग घूमने के लिए जाते हैं।

जैसलमेर. कोहरा 25 तक विवाहिता नहीं मिली तो होगा बड़ा आंदोलन


जैसलमेर. कोहरा 25 तक विवाहिता नहीं मिली तो होगा बड़ा आंदोलन


हिन्दू रक्षा संघर्ष समिति ने सीएम को भेजा ज्ञापन





जैसलमेर. कोहरा गांव से विवाहिता को भगा ले जाने का मामला अभी तक गरमाया हुआ है। पिछले दिनों उपजे विवाद के बाद कुछ दिन तक माहौल शांतिपूर्ण था। गुरुवार को एक बार फिर हिन्दू रक्षा संघर्ष समिति के बैनर तले क्षेत्र के मौजिज लोग शहर में एकत्र हुए और आगामी रणनीति बनाने के लिए बैठक की। इस मौके पर पूर्व विधायक किशनसिंह भाटी, सांगसिंह भाटी, ताराचंद जोशी, चूनसिंह चौहान, स्वरूपसिंह, गिरधरसिंह, सवाईसिंह देवड़ा सहित कई लोग मौजूद थे।

आंदोलनकी चेतावनी : समितिने मांगों को लेकर कलेक्टर के माध्यम से सीएम को ज्ञापन भेजा है। ज्ञापन में बताया गया कि पिछले दिनों कोहरा गांव में कुछ लोगों ने जानबूझकर चारे के ठांव जलाए थे। पुलिस ने निर्दोष लोगों को गिरफ्तार कर उनके खिलाफ मुकदमे दर्ज किए। ज्ञापन में मांग की गई कि ये मुकदमें वापस लिए जाएं। अपहर्ता महिला को शीघ्र वापस लाया जाए, नहीं तो 25 अगस्त के बाद जिले में बड़ा आंदोलन होगा।
आरएसीरही तैनात

लोगोंकी भीड़ एकत्र होते देख पुलिस भी सक्रिय हो गई। शहर में जगह-जगह आरएसी के जवान तैनात कर दिए गए। खासतौर पर आसरी मठ के आसपास जहां मीटिंग हुई वहां पर बड़ी संख्या में आरएसी तैनात की गई।

गुरुवार, 21 अगस्त 2014

इंदिरा गांधी के हत्यारों पर बनी फिल्म "कौम-दे-हीरे" पर रोक -


Controversial film on Indira Gandhi will not be released : I&B ministry
नई दिल्ली। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के हत्यारों पर बनी फिल्म कौम दे हीरे की रिलीज पर केंद्र सरकार ने रोक लगा दी है। फिल्म शुक्रवार को रिलीज होनी थी। गृह मंत्रालय ने फिल्म देखने के बाद इसे गंभीरता से लिया है। फिल्म में इंदिरा के हत्यारों का महिमा मंडन किया है। आईबी को आशंका है कि इससे कानून-व्यवस्था प्रभावित हो सकती है। गृह मंत्रालय ने सूचना प्रसारण मंत्रालय से फिल्म को सेंसर बोर्ड से मिली क्लीन चिट पर दोबारा विचार करने को कहा था। सेंसर बोर्ड के सीईओ के खिलाफ सीबीआई जांच को देखते हुए मंत्रालय ने फिल्म की रिलीज रोक दी है।कांग्रेस का कहना था कि ये फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या से जुड़ी है और फिल्म में इंदिरा गांधी के हत्यारों की तारीफ की गई है। ऎसे में इस फिल्म को रिलीज करना ठीक नहीं। कांग्रेस का आरोप है किफिल्म में इंदिरा के हत्यारों को हीरो की तरह पेश किया गया है।ये फिल्म पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या करने वाले उनके बॉडीगार्ड बेअंत सिंह और सतवंत सिंह पर बनाई गई है। बीजेपी ने भी फिल्म पर रोक लगानी की मांग की है। ये फिल्म भारत में 22 अगस्त को रिलीज होनी थी जबकि विदेशों में यह पहले ही रिलीज हो चुकी है।


30 देशों में 66 बार की शादी, फिर भी ये "लव कपल" रहा गया कुंवारा..

66 times married love couple... but still aren`t legally married

लंदन। दुनिया भर मे ऎसे कई लोग हैं, जिनके अजीब शौको के चलते दुनिया की निगाह उन पर टिक जाती हैं। ऎसा ही एक शौक है एलेक्स पेलिंग और लिशा गांट को जो अब तक करीब तीस देशों 66 बार शादी कर चुके हैं पर अभी भी वैध रूप से अपने आप को पति-पत्नी नहीं मानते। क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी शादी के लिए उन्हें अभी तक अपनी मनपसंद जगह नहीं मिली है। जून 2011 में इस जोड़े ने दुनिया भर में अलग-अलग जगह जाकर शादी करने की शुरूआत की। हालांकि इनका ये शौक इन के लिए सस्ता नहीं है। इस शौक के चलते लिसा ने मैनचेस्टर में अपनी रिटेल मैनेजर की नौकरी छोड़ी और एलेक्स ने अपना कार बॉडी बनाने का व्यवसाय बेच दिया। यहां तक कि अपना घर और अपने से जुड़ी कई चीजों को बेच दिया। यह जोड़ा करीब 6 साल से रिलेशनशिप में है।लिसा ने बताया कि हम दोनों सातों दिन चौबिस घंटे साथ रहते हैं, और एक 6 फिट बाई 16 फिट की कैम्पर वैन में हमारा खाना और सोना होता है। दिलचस्प बात ये है कि इस जोड़े ने अमरीका से लेकर पाकिस्तान तक करीब 30 देशों में शादी की है, जिसमें एलए की वैम्पायर वैडिंग और साउथ अफीका में होने वाली जूलू वैडिंग भी शामिल है।एलेक्स का कहना है कि मैं और लिसा दोनों अपने इस शौक के लिए पागल हैं। हम जहां भी जाते हैं वहां के तरीके से अपने शादी समारोह का आयोजन करते हैं और ब्लॉग के जरिए अपने अनुभव दोस्तों को बताते हैं। कुछ लोग हमें पागल समझते है तो कुछ हमारे इस शौक की सरहाना करते हैं। हम लोग हवाई, बोराबोरा, अंटीगुआ, बहामास और कॉस्टा रिका जैसी जगह पर भी शादी कर चुके है, जहां हमने सबसे ज्यादा लुफ्त उठाया। अलग-अलग जगह जाकर शादी करने के शौक के पीछे जोड़े का कहना है कि हम देखना चाहते है की दुनिया भर में शादी करने के कितने रिति रिवाज हैं। इससे हमें हमेशा नवीनता का अनुभव होता है। हम लोगों ने बिना किसी तकरार लम्बा समय एक दूसरे साथ गुजारा है, लेकिन हम आज भी नए शादी समारोह से पहले नर्वस हो जाते हैं। और जब तक हमें अपनी पंसद की जगह नहीं मिल जाती हम अपने आप को कुंवारा ही समझेंगे।

देवास।भाजपा नेता सहित देह व्यापार में 5 गिरफ्तार

देवास। मध्यप्रदेश के देवास नगर की कोतवाली पुलिस ने देह व्यापार के आरोप में एक भाजपा नेता और दो नगर निगम कर्मचारियों सहित पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर एक नाबालिग को बरामद किया है।
5 including bjp leader arrested for pushing minor into prostitution


पुलिस सूत्रों के मुताबिक गुरूवार तड़के एक कार से पुलिस ने एक नाबालिग और पांच लोगों को गिरफ्तार किया।

जिसमें नगर निगम कर्मचारी साबिर खान रोहित जलोदिया और भाजपा नेता हमीद सदर याकूब शेख और राकेश शामिल है।

आरोपियों में एक महिला भी शामिल है। इनके कब्जे से एक असम की 15 साल की लड़की को बरामद किया है।

पुलिस ने सभी आरोपियों के खिलाफ प्रकरण दर्ज कर गिरफ्तार कर लिया। फिलहाल पुलिस द्वारा उनसे पूछताछ की जा रही है।

पुलिस का मानना है कि इनसे बड़ा खुलासा हो सकता है।

राजस्थानी भाषा में योगदान देने वालो को कैलगरी और कनाडा राणा अवार्ड समारोह तीस को

राजस्थानी भाषा में योगदान देने वालो को कैलगरी और कनाडा राणा अवार्ड समारोह तीस को 

बाड़मेर राजस्थानी भाषा आंदोलन में सक्रीय योगदान देने वाली हस्तियों को सम्मानित करने के लिए केलागरी और कनाडा राणा अवार्ड समारोह तीस अगस्त को जोधपुर में होगा आयोजित। इस समारोह में अरब देशो  फंसे बयासी भारतीयों को सुरक्षित लाने में योगदान देने वाले अधिकारियो को भी सम्मानित किया जायेगा ,

राणा के अंतराष्ट्रीय मीडिया सलाहकार और विधि प्रकोष्ट सलाहकार  राजस्थानी भाषा समिति  अंतराष्ट्रीय संयोजक प्रेम भंडारी ने बताया की राजस्थानी भाषा आंदोलन  उल्लेखनीय योगदान देने वाली हस्तियों को राणा  और से सम्मानित किया जायेगा ,उन्होंने बताया की कन्हैयालाल सेठिया स्मृति भाषा साहित्य सम्मान भी इसी समारोह में दिया जायेगा ,भंडारी ने बताया की समारोह में द्विमर्शिक राजस्थानी पत्रिका कथेसर का लोकार्पण भी किया जायेगा। 

उन्होंने बताया की अन्तराष्ट्रीय नयायाधीश माननीय दलबीर भंडारी होंगे मुख्य अतिथि। मुख्य न्यायाधीश राजस्थान सुनील अम्बवानी अति विशिष्ठ मेहमान ,होंगे जोधपुर महाराज गजे सिंह जी अध्यक्षता करेंगे। साथ ही समरोह में  लोकायुक्त सज्जन सिंह कोठारी ,जगदीश चन्द्र etv हेड ,जोधपुर सांसद गजेन्द्र सिंह शेखावत ,पाली सांसद पी पी चौधरी ,राजयसभा सांसद राम नारायण डूडी ,नारायणलाल पंचारिया और ओंकार सिन्ह् लखावत सहित कई हस्तियाँ शिरकत करेंगी। समारोह में कन्हैयालाल सेठिया पुरस्कार सहित राजस्थानी भाषा के विकास में योगदान देने वालो को भी समानित किया जायेगा।

पंचकूला।बेटी को एक हफ्ते के लिए 60 हजार में बेच देते थे मां-बाप, ड्रग्‍स देकर भेजते थे कस्‍टमर के पास



पंचकूला। कहते हैं मां-बाप बच्‍चों के लिए भगवान का रूप होते हैं। मगर जब ये भगवान ही हैवान बन जाएं तो ऐसे ही मामले सामने आते हैं जो हरियाणा के पंचकूला में आया। गैंगरेप पीडि़ता ने कोर्ट में ट्रायल के दौरान कुछ ऐसी बातें सामने रखीं जिसे जानकर आपके होश उड़ जाएंगे। पीडि़ता ने कहा कि उसके मां-बाप उसे 60 हजार रुपये में एक सप्‍ताह के लिए बेच देते थे। इतना ही नहीं ग्राहक के पास भेजने से पहले उसे ड्रग्‍स दिया जाता था ताकि उसे ये पता ना चल सके कि उसे किस-किस जगह पर ले जाया जा रहा है।






ट्रायल के दौरान पीडि़ता ने आरोपियों को भी पहचना जिसमें उसकी मां, बाप व सेक्‍स रैकेट संचालक जीकरपुर निवासी राहुल था। पुलिस ने इस मामले में आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर लिया है और आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

आपको बताते चलें कि पंचकूला के सेक्टर-5 थाने में 28 मार्च को 16 वर्षीय लड़की की शिकायत पर जालंधर निवासी उसकी मां और सौतेले पिता के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था। जालंधर निवासी लड़की की शिकायत पर उसके मां-बाप, तीन दलाल जीरकपुर निवासी राहुल, सेक्टर-21 पंचकूला निवासी विकास, चंडीगढ़ निवासी राहुल उर्फ गंजा व दो अज्ञात युवकों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ था।

मां-बाप के बारे में बताया पुलिस को

इस वारदात में तीन ही आरोपी पकड़े गए। अब तक उन युवकों के बारे में भी पता नहीं लगा, जिन पर रेप के आरोप थे। लड़की ने शिकायत में कहा था कि उसके मां-बाप उससे वेश्यावृत्ति के लिए बेचते हैं। पंचकूला लाकर उसे राहुल के हवाले किया गया। राहुल ने उसे सेक्टर-3 स्थित एक होटल में रखा।

बाद में उसे राहुल ही जीरकपुर की एक सोसाइटी में ले जाकर एक फ्लैट में छोड़ दिया, जिसमें दो लड़के पहले से ही थे। लड़कों ने जबरदस्ती उसे शराब पिलाई और उसके साथ दुराचार किया। नशे में धुत लड़के ही उसे सेक्टर-3 स्थित होटल छोड़ गए थे। यहीं से वह पुलिस थाने पहुंची थी।

1965 और 1971 में हुई जंग के 54 जाबांज हैं पाक में कैद



दिल्ली। पाकिस्तान की जेलों में भारत के 54 बहादुर सेनानी कैद हैं जिन्हें 1965 और 1971की लड़ाई के दौरान बंदी बना लिया गया था। रक्षा मंत्रालय ने सूचना के अधिकार अधिनियम आरटीआई के तहत दायर एक आवेदन के जवाब में यह बताया है। इन सेनानियों को छुड़ाने की कोशिशों अब तक विफल रही है।





देश की रक्षा करने वाले इन सेनानियों की जिन्दगी वर्षों से पाकिस्तान की जेलों के अंधियारे में कैद है। लेकिन पाकिस्तान ने आज तक इन युद्धबंदियों के अपनी जेलों में होने की बात स्वीकार नहीं की है। 2007 में इन रक्षाकर्मियों के 14 रिश्तेदारों ने पाकिस्तान की जेलों का दौरा भी किया था, लेकिन वे युद्धबंदियों की वास्तविक शारीरिक उपस्थिति की पुष्टि नहीं कर सके थे।

आवेदन में पूछा गया था कि पाकिस्तान की जेलों में कितने भारतीय युद्धबंदी हैं और उन्हें छुडाने के क्या प्रयास किए जा रहे हैं। रक्षा मंत्रालय से यह भी पूछा गया था कि जब 1971 में पाकिस्तान ने 90 हजार से अधिक सैनिकों के साथ भारत के समक्ष समर्पण कर दिया था तो इस लड़ाई के युद्धबंदियों को उसी समय छुड़ा पाना संभव क्यों नहीं हो पाया।

54 भारतीय युद्धबंदियों के होने का है विश्वास

विदेश मंत्रालय ने अपने जवाब में बताया है कि पाकिस्तान की जेलों में 54 भारतीय युद्धबंदियों के होने का विश्वास है। इनमें से छह रक्षाकर्मियों लेफ्टिनेंट वीके आजाद, गनर मदन मोहन, गनर सुजान सिंह, फ्लाइट लेफ्टिनेंट बाबुल गुहा, फ्लाइंग अफसर तेजिंदर सिंह सेठी और स्क्वाड्रन लीडर देव प्रसाद चटर्जी को 1965 के दौरान युद्धबंदी बनाया गया था, जबकि 48 रक्षाकर्मी 1971 की लड़ाई के दौरान बंदी बनाए गए थे।

बनाई गई है कमिटी

मुद्दे को देखने के लिए रक्षा मंत्रालय में त्रि-सेवा समिति गठित की गई है। रक्षा और विदेश मंत्रालय दोनों में से किसी ने भी आवेदन में पूछे गए इस सवाल का जवाब नहीं दिया है कि जब 1971 में पाकिस्तान ने शर्मनाक हार के बाद 90 हजार से अधिक सैनिकों के साथ समर्पण कर दिया था तो उसी समय भारत अपने युद्धबंदियों को छुड़ाने में कामयाब क्यों नहीं हो पाया।

उल्लेखनीय है कि 1971 में पाकिस्तान के समर्पण के साथ ही भारतीय सेना ने उसके करीब 93 हजार सैनिकों को युद्धबंदी बना लिया था। यह द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद पकड़े जाने वाले युद्धबंदियों की सबसे बड़ी संख्या थी। बाद में भारत ने 1973 में हुए समझौते के तहत पाकिस्तान के इन युद्धबंदियों को रिहा कर दिया था।