मंगलवार, 3 मार्च 2015

राजाखेड़ा अवैध संबंधों को लेकर वृद्ध की हत्या



राजाखेड़ा क्षेत्र की उटंगन नदी के तटवर्ती गांव श्रीपाल की गढ़ी के बीहड़ों में सोमवार सुबह एक वृद्ध का शव मिलने से सनसनी फैल गई। पुलिस ने हत्या का छह घंटे में खुलासा कर आरोपित को गिरफ्तार कर लिया।



थाना प्रभारी हरी सिंह मीणा ने बताया कि ग्रामीणों की सूचना पर सोमवार सुबह उटंगन नदी के बीहड़ों में पुलिस को एक वृद्ध का शव मिला।




जिसकी शिनाख्त प्रताप सिंह (60) पुत्र खुन्नी निषाद के रूप में हुई। मृतक के पुत्र कैलाशी ने मामले की रिपोर्ट दर्जकराई है। जिसमें कासियापुरा निवासी सियाराम उर्फ लल्लू पुत्र भजनलाल निषाद पर हत्या का संदेह जताया।




छह घंटे में खुलासा

इसको लेकर पुलिस उपाधीक्षक रघुराज सिंह शेखावत ने उपनिरीक्षक हरी सिंह व विजय सिंह के नेतृत्व में टीम गठित कर जांच शुरू की।




सीओ ने बताया कि पुलिस जांच में सामने आया कि आरोपित सियाराम व मृतक प्रताप ङ्क्षसह दोनों ही वन विभाग में कर्मचारी थे।




इसके कारण घरों पर आना जाना था। इसी बीच आरोपित सियाराम के एक महिला से अवैध संबंध बन गए। जिनका प्रताप विरोध करता था।




इसी को लेकर रविवार की शाम मृतक प्रताप को आरोपित सियाराम शराब पिलाने जंगल की तरफ ले गया।




प्रताप को नशा होने पर सियाराम ने उसकी धारदार हथियार (गंडासा) से हत्या कर दी। पुलिस ने आरोपित सियाराम को गिरफ्तार कर लिया।

सीकर एएसपी की बेटी ने फंदे पर झूलकर दी जान



सीकरजेतूसर में रविवार की रात एक युवती ने पंखे से अपनी चुन्नी का फंदा बनाकर आत्महत्या कर ली।  युवती का पिता दिल्ली आरएसी में अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक पद पर तैनात है।

युवती रविवार को ही भाई के साथ जयपुर से अपने घर जेतूसर आई थी। आत्महत्या के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है। पुलिस ने पोस्टमार्टम करवा शव परिजनों को सौंप दिया। मृतका के पिता ने आत्महत्या का मामला दर्ज करवाया है।


जयपुर में कर रही थी तैयारी

पुलिस के अनुसार जेतूसर निवासी खेमचंद मीणा दिल्ली आरएसी में एएसपी हैं। उन्होंने रिपोर्ट दी कि उसकी बेटी प्रतिभा (24) जयपुर से रविवार को अपने घर आई थी।


शाम को खाना खाकर सो गई थी। सुबह देखा तो पंखे से चुन्नी का फंदा बनाकर लटकी मिली। प्रतिभा जयपुर में भाइयों के साथ रहकर आरजेएस की तैयारी कर रही थी।

बाड़मेर सरहद पर महिला शक्ति का कैमल कारवां। होंसलो की उड़ान



बाड़मेर सरहद पर महिला शक्ति  का कैमल कारवां। होंसलो की उड़ान 

बाड़मेर सरहदीगांवों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बीएसएफ के पचासवें स्थापना दिवस के मौके शुरू हुई कैमल सफारी का सोमवार को बाड़मेर जिले से राजस्थान में प्रवेश हुआ। इस कैमल सफारी की खास बात यह है कि इसमें सभी 27 सदस्य महिलाएं है। इसमें से चौदह बीएसएफ की है।

भारत की पहली एवरेस्ट पर्वतारोही बछेंद्री पाल और पदमश्री सम्मान से सम्मानित प्रेमलता अग्रवाल के नेतृत्व में ऊंटों पर सवार होकर शाम को जब महिलाओं ने गुजरात से बाड़मेर जिले में भारत-पाक सरहद स्थित ब्राह्मणों की ढाणी पोस्ट पर प्रवेश किया तो बीएसएफ अधिकारियों और जवानों समेत ग्रामीणों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। ऊंटों के कारवां ने राजस्थान में प्रवेश किया तो सफारी में शामिल इन महिलाओं के चेहरों पर खुशी और उत्साह साफ झलक रहा था।24 फरवरी को गुजरात से रवाना हुई कैमल सफारी 2300 किमी का सफर तय कर पंजाब के वाघा बॉर्डर पर सम्पन्न होगी। इस मौके डीआईजी प्रतुल गौतम समेत कई अधिकारी मौजूद थे। गोधूलि वेला में बाड़मेर पहुंची कैमल सफारी की सदस्यों का गांव बीएसएफ अधिकारियों समेत स्थानीय ग्रामीणों ने फूलमालाएं पहनाकर गर्मजोशाी से स्वागत किया। स्वागत से अभिभूत इन महिलाओं ने स्थानीय महिलाओं से गले मिलकर वापस आभार जताया। ब्राह्मणों की ढाणी पोस्ट पर स्वागत की रस्म करीब एक घंटे भर तक चली। बीएसएफ के स्थानीय बैंड की धुनों पर जवानों ने देश भक्ति तरानों से समां बांध दिया। देश क्ति गीतों पर यहां मौजूद सब लोग झूमने लग गए। इसके बाद स्थानीय कलाकारों ने गीत और नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद पंजाबी गीतों पर जवानों के साथ कैमल सफारी में शामिल सदस्यों ने नृत्य में इस कदर धमाल मचाया कि पूरे माहौल में रौनक घुल गई।

^गुजरात के साबरकांठा जिले के गांव की रहने वाली हूं। पूरे गांव में कोई महिला बीएसएफ में नहीं है। अभी बीएसएफ की 46 बटालियन में तैनात हूं। कई विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला करने का बीएसएफ हौसला देता है। महिलाएं आगे बढ़ने लग जाए तो कोई उसको पीछे नहीं कर सकता। मित्तलप्रजापति

^यूपी के वाराणसी की रहने वाली और राजस्थान के श्रीगंगानगर में बीएसएफ की 193 बटालियन में तैनात संगीता के अनुसार इस कैमल सफारी के दौरान कोई परेशानी नहीं आई। शुरुआत में झिझक हुई,लेकिन बाद में हौसला बढ़ा। महिला मजबूत है। बेटी को अवसर दें तो वह अवश्य मंजिल तक पहुंच सकती है। संगीता

^बीएसएफ में अधिकारी हूं। महिलाएं देश की ताकत है। वे सक्षम है। शुरुआत में झिझक हुई अब एकदम सक्षम है। महिलाएं हर कदम पर आगे है। पुुुरुषों से मुकाबला कर सकती है। अब महिलाएं कमजोर नहीं है। वे अब शक्तिशाली है। वे हर परिस्थिति का मुकाबला करने को तैयार है। डाॅ.सरोज

^गुजरातमें 131 बटालियन में तैनात हूं। वर्ष 2013 में बीएसएफ बतौर इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई। मूलतः नागौर की रहने वाली हूं। कैमल सफारी में शामिल होने के लिए चयन हुआ। बेहद रोमांचित करने वाला सफर है। कई बातें सीखने को मिली है। नया आत्मविश्वास आया है। हर रोज नई जगह ,नई चुनौतियां और नई सीख मिलती है। पिंटूचौधरी



ब्राह्मणों की ढाणी (बीकेडी). 'हटादो सब बाधाएं मेरे पथ की, मिटा दो आशंकाएं सब मन की। मेरी शक्ति को समझो, कदम से कदम मिला के चलने तो दो मुझको' जब बीएसएफ की महिला विंग का काफिला गुजरात से बीकेडी पहंुचा तो शायद उनके जांबाज इरादों में यहां की फ्लड लाइटों ने भांप लिया और उनके साथ आगे बढ़ने के लिए इस तरह रोशनी बिखेर दी।


महिलाएं अभियान में 
जानिए क्या सोचती है बीएसएफ में तैनात महिलाएं 
सरहद-सरहद काफिला | गुजरात से रवाना हुई बीएसएफ की महिला कैमल सफारी का सीमा पर जोरदार स्वागत, वाघा बॉर्डर पर होगा समापन 
घूंघट हटा लो नहीं तो मैं भी चेहरा छिपा दूंगी : बछेंद्री 
स्थानीयमहिलाओं की ओर से घूंघट में स्वागत के दौरान बछेंद्री ने कहा कि चेहरों से घूंघट हटा लो नहीं तो मै भी मेरा चेहरा घूंघट में छिपा दूंगी। बछेंद्री के यह कहने के बाद कई महिलाओं की झिझक कम हुई। इसके बाद संवाददाताओं से बातचीत में बछेंद्री पाल ने कहा कि नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बीएसएफ और टाटा कंपनी की ओर से कैमल सफारी का आयोजन किया गया है। इसका सरहद पर स्थित गांवों में बेहतर संदेश जाएगा। मानते है कि बदलाव रातों-रात नहीं होगा। बेटियों काे अच्छी शिक्षा और को अवसर दीजिए फिर देखिए वह हर मंजिल पर पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि बेटियों में भी कुछ कर गुजरने का जज्बां होना चाहिए। महिलाएं भी बड़ी सेाच रखें। शुरुआत करें तो मंजिल अवश्य मिलेगी। 
हम किसी से कम नहीं : प्रेमलता 

पदमश्रीसे सम्मानित प्रेमलता अग्रवाल के मुताबिक महिलाएं किसी से कम नहीं है। इस कैमल सफारी का मकसद यही है कि यह प्रेरणादायक बनें। कोई भी कार्य कठिन नहीं है। कार्य पूरा करने में मेहनत करें और कार्य से प्यार करे तो उसे पूरा करने से कोई नहीं रोक सकेगा। कार्य में ईमानदारी रखे। स्वयं का उदाहरण देतीं हुई प्रेमलता ने कहा कि परिवार साथ दे तो कुछ भी असंभव नहीं है। सातों महाद्वीपों के सबसे उच्च स्थानों पर सर्वाधिक आयु में पहुंचने के रिकार्ड से सम्मानित प्रेमलता के अनुसार जब महिला एवरेस्ट पर पहुंच सकती है तो कोई भी लक्ष्य उसकी पहुंच से बाहर नहीं हो सकता। 

foto..सीमा सुरक्षा बल महिला कैमल सफारी बाड़मेर सरहद पर- -----

सीमा सुरक्षा बल महिला कैमल सफारी सरहद पर- -----











सीमा सुरक्षा बल महिला कैमल सफारी बाड़मेर सरहद पर- -----

बाड़मेर बछेन्द्री पाल के नेतृत्व में महिला कैमल सफारी दल भारत पाकिस्तान सरहद गुजरात से राजस्थान सीमा बी के डी में प्रवेश किया।सताईस सदस्यीय महिला कैमल सफारी दल का भव्य स्वागत उप महानिरीक्षक प्रतुल गौतम सहित सीमा सुरक्षा बल के अधिकारियो ने और ग्रामीणों ने कियाअर्जुन पुरस्कार ज़ से नवाजी बछेंद्री पाल प्रेमलता और डॉ सरोज के नेतृत्व में गुजरात पाकिस्तान सरहद का सात सौ पचास किलोमीटर का सफ़र तय कर बी जी डी पोस्ट में प्रवेश किया।जंहा दल के समनं में सांस्कृतिक कार्यक्रम जा आयोजन किया किया।मुख्य आरक्षी राजेश कुमार ने देश भक्ति गीतों की शानदार प्रस्तुति दी।इस वसर पर मुनाबाव कमांडेंट रविन्द्र ठाकुर ,शेर सिंह ,विजय चाहर सहित सीमा सुरक्षा बल के कई अधिकारी मौजूद थे ,बाखासर के जन प्रतिनिधियों और बड़ी तादाद में उपस्थित ग्रामीणो ने दल का स्वागत किय। 



यह पहला अवसर होगा कि सीमा सुरक्षा बल की महिला कैमल सफारी इन दिनों सरहद पर है।- यह महिला टीम करीब 2300 किमीका सफर तय करेगी। सीमा सुरक्षा बल के स्थापना के स्वर्ण जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित किये जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों की श्रृखला में वृहद महिला कैमल सफारी इन दिनों सरहद के दौरे पर है। महिला कैमल सफारी 2015 का शुभारम्भ- 24 फरवरी को 30 बटालियन सीमा सुरक्षा बल भुज (गुजरात) में- एम के सिघंला (आईपीएस) अपर महानिदेशक, सीमा सुरक्षा बल द्वारा ध्वज दिखाकर रवाना किया गया। इस अवसर पर- सन्तोष मेहरा (आईपीएस) महानिरीक्षक, गुजरात सीमान्त सहित अन्य वरिष्ठ अधिकारी , अधीनस्थ अधिकारी, बल के अन्य कार्मिक तथा उनके परिवारजन उपस्थित थे।
सीमा सुरक्षा बल राजस्थान फ्रंटीयर के सूत्रों अनुसार कैमल सफारी के रवानगी से पूर्व एक रंगारंग और भव्य समारोह आयोजित किया गया जिसमें कैमल परेड और टैटू शो का भी आयोजन किया गया। इसके पश्चात् मुख्य अतिथि द्वारा महिला ऊँट सवारों- का परिचय प्राप्त किया गया। महिला कैमल सफारी का नेतृत्व डॉ. सुजाता शिंदे, सहायक कमाण्डेंट, पशु चिकित्साधिकारी द्वारा किया जा रहा है। सफारी में- सीमा सुरक्षा बल की 13 महिला आरक्षक और टाटा फांउडेशन की 14 महिलायें भी हिस्सा ले रही है।
सीमा सुरक्षा बल राजस्थान फ्रंटीयर के सूत्रों अनुसार कैमल सफारी भुज (गुजरात) से शुरू होकर पाकिस्तान के साथ लगी अन्तरराष्ट्रीय सीमा मे भारत के सीमाई गाँवों से गुजरती हुई 22 मार्च- को अपने समापन स्थल पंजाब में भारत पाक सीमा पर स्थित अट्टारी- पर रीट्रिट परेड के दौरान होगा। कैमल सफारी 3 राजयों गुजरात ( लगभग 900 किलोमीटर), राजस्थान ( लगभग 1100 किलोमीटर) एवं पंजाब (लगभग 300 किलोमीटर)े कुल लगभग 2300 किलोमीटर का सफर तय करेगी। इस अवसर पर आयोजित समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि ने कहा कि- ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन से महिलाशक्ति को बढावा मिलता है। यह कैमल सफारी- सीमाई इलाकों में रहने वाले लोगों के मन में सुरक्षा की भावना पैदा करेगी। साथ ही सीमाई गांव के लोग सीमा सुरक्षा बल द्वारा कठिन परिस्थ्तियों में की जा रही- ड्यूटी के बारे में अवगत होगें। कैमल सफारी-2  मार्च- को राजस्थान सीमान्त में प्रवेश कर गयी 

सोमवार, 2 मार्च 2015

मप्र की मंत्री ने मांगी घरों में शेर पालने की इजाजत



नई दिल्ली। मध्य प्रदेश की पशुधन, बागवानी एवं खाद्य प्रसंस्करण मंत्री कुसुम मेहदेले ने देश में शेर और बाघ की संख्या बढ़ाने के लिए एक नायाब सुझाव दिया है। इसके लिए वह अन्य घरेलू जानवरों की तरह इन दोनों खूंखार जानवरों का पालन करने की इजाजत चाहती हैं। उन्होंने इस बारे में कानून बनाने की वकालत की है।

बकौल कुसुम, 'ऐसा कानून बने, जो लोगों को शेर और बाघ पालने की मंजूरी दे। इससे इन जानवरों को बेहतर संरक्षण संभव होगा।' कुसुम मेहदेले ने इससे संबंधित एक प्रस्ताव राज्य के वन विभाग को भेजा है। उन्होंने कुछ अफ्रीकी और दक्षिण-पूर्व एशियाई देशों जैसे थाइलैंड आदि का हवाला दिया है, जहां इस जानवर की जनसंख्या बढ़ाने के लिए यह कानूनन वैध है।

अपने प्रस्ताव में मेहदेले ने कहा है कि बाघों के संरक्षण के लिए देशभर में कई योजनाएं चल रही हैं। इन योजनाओं अब तक करोड़ों रुपये खर्च हो चुके हैं, बावजूद इसके इस जानवर की संख्या में कोई अप्रत्याशित वृद्धि दर्ज नहीं हुई है।

मंत्री के सुझाव पर मध्य प्रदेश के प्रधान मुख्य वन संरक्षक नरेंद्र कुमार ने राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण (एनटीसीए) और भारतीय वन्यजीव संस्थान (डब्ल्यूआइआइ) से उनकी प्रतिक्रियाएं मांगी हैं। भोपाल स्थित आरटीआइ कार्यकर्ता अजय दुबे द्वारा मांगी गई जानकारी से उपरोक्त सच्चाई उजागर हुई।

बरसाना की होली के बारे में ये अद्भूत बातें आपने आज तक नहीं सुनी होगी



बरसाना/ मथुरा। 'थकित भये रवि चन्द्र भी अहो हरि होली हैÓ सैकड़ों वर्ष पहले किसी विद्वान ने ये पद यूं ही नहीं लिखा होगा। द्वापर युग में रंग-रंगीले बरसाना में छैल-छबीली हुरियारिनों और मस्ती में डूबे हुरियारों की जीवंत परंपरा आज भी कायम है। ग्रंथों में जिक्र है कि बरसाना की होली देखने के लिए देवगण भी आते हैं।



अंग्रेजों के जमाने में ब्रिटिश कलक्टर एफएस ग्राउस को होली के रंगों से जलन थी, मगर बाद में उसे हुरियारिनों की दैवी शक्ति का आभास हो गया था। लठामार होली जब तक होती रही, सूरज अपनी जगह पर टिके रहे थे। पौराणिक तथ्य कुछ भी रहे हों, मगर होली देखने को आसमां में सूरज और चंद्रमा की तनातनी शुक्रवार को भी देखी गई। सूरज तभी अस्ताचल को गए, जब हुरियारिनों के हाथों की शोभा बने अगले बरस फिर हुरियारों पर बरसने की तमन्ना के साथ घर लौट गए।

चंद्रमा तो होली का आनंद उठाने के लिए सूरज के सामने ही आसमान में आ डटे। बरसाना की होली की गाथा सुन मथुरा के तत्कालीन अंग्रेज कलक्टर एफएस ग्राउस 22 फरवरी 1877 को पहली बार लठामार होली देखने बरसाना आए थे। अपने शोध ग्रंथ 'ए डिस्टिक्ट मेमोयरÓ में इस आंखों देखी होली का वर्णन उन्होंने कुछ इस तरह किया था। लिखा था कि ग्रामीण बिदूषकों की ठिठोलियां, कामुक युवा सुलभ नृत्य और हास्योत्पादक ढंग से हस्त संचालन के साथ उछल-कूद आदि पारंपरिक क्रियाकलाप काफी मनोरंजन दृश्य उपस्थित कर रहे हैं।

ये जानकर आश्चर्य हुआ कि होली खत्म होने के बाद ही सूरज अस्त हुए। बरसाना की रंगीली गली निवासी 85 वर्षीय चेतराम पहलवान बताते हैं कि उन्हें बुजुर्गों ने बताया था कि अंग्रेज कलक्टर ग्राउस ने इम्तिहान बतौर लठामार होली को जारी रखवाया था। वो देखना चाहता था कि सूरज अपने निर्धारित समय पर अस्त हुए या नहीं। बकौल चेतराम, ग्राउस ये देखकर चमत्कृत हो गया कि काफी देर होने के बावजूद सूरज अस्त नहीं हुए थे। जब उसने होली बंद कराई तो तत्काल बाद सूरज भी धीरे-धीरे अस्ताचल की ओर चले गए थे।

शुक्रवार को भी यही हुआ। बरसाना की धरा पर तड़ातड़ लाठियां बरस-गरज रही थीं, तो आसमान में चंद्रमा सूरज के सामने ही आसमान में आ चुके थे। ब्रह्मंड में घटित ये वाकया बरसाना वासियों के लिए नया नहीं था। विद्वतजन तो शुक्रवार को इस नजारे का पुराणों में वर्णित तथ्यों से मिलान कर रहे थे। ब्रज की होली को लेकर ग्रंथों में उल्लिखित है- श्रीजी बरसाना की रंगीली होली को देखते-देखते सूरज भी थक गए। 'थकित भये रवि-चंद्र अहो हरी होरी है।Ó विद्वतजन कहते हैं कि जब तक बरसाना में होली होती है, सूरज भी निहारते रहते हैं। होली देखते-देखते इतने मस्त हो जाते हैं कि उन्हें अस्ताचल की ओर जाने की सुधि ही नहीं रहती या फिर ये कहा जाए कि वे जाना ही नहीं चाहते, बल्कि इस नजारे को निहारने के लिए सूरज के अस्त होने का इंतजार करते हैं! शाम करीब साढ़े छह बजे हुरियारिनों ने बुजुर्गों के पैर छूकर आशीर्वाद लिया। छोटों को आशीर्वाद दिया। सब लौटने लगे अपने-अपने घर की ओर और नंदगांव के हुरियारे चल दिए अपने नंदगांव की ओर।

तभी सूरज ने भी रुख बदल लिया। किरणों धीरे-धीरे अस्त होती गईं और चंद्रमा ने चांदनी रोशनी बिखेर जताई अपनी खुशी।

राष्ट्रपति भवन में पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट



नई दिल्ली, नई दुनिया। राष्ट्रपति भवन परिसर में पुलिसकर्मियों को बंधक बनाकर मारपीट करने का मामला प्रकाश में आया है। राष्ट्रपति भवन में काम करने वाले स्टॉफ के परिवार ने पुलिसकर्मियों के साथ मारपीट कर उनकी वर्दी फाड़ दी। बचने के लिए पुलिसकर्मियों ने खुद को राष्ट्रपति भवन के गेट पर बने पुलिस बूथ में बंद कर लिया था। आरोपियों ने दोनों को बाहर निकालकर पीटने के लिए बूथ का शीशा भी तोड़ दिया। भारी पुलिस बल को वहां बुलाकर बंधक पुलिसकर्मियों को मुक्त कराया जा सका। पुलिस ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया है।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि यह वारदात 27 फरवरी मध्यरात्रि में हुई। राष्ट्रपति भवन परिसर में मौजूद रीक्रिएशन क्लब में एक शादी समारोह चल रहा था। इसी बीच रात करीब साढ़े 11 बजे वहां से झगड़े की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम को मिली। झगड़ा डीजे वाले व शादी में आए कुछ लोगों के बीच गाना बजाने को लेकर हुआ था। मामला शांत करने के लिए चाणक्यपुरी थाने से एएसआइ रोहताश और सिपाही अश्विनी वहां पहुंचे। उनसे लोगों ने मारपीट की।

कहां थे सुरक्षाकर्मी

इस घटना से राष्ट्रपति भवन के भीतर मौजूद रहने वाले सुरक्षाकर्मियों को लेकर भी सवाल उठ रहे हैं। पुलिसकर्मियों को जान बचाने के लिए पंद्रह मिनट तक बूथ के अंदर पनाह लेनी पड़ी। वे मदद की गुहार लगाते रहे, लेकिन कोई सुरक्षाकर्मी उनकी मदद करने नहीं आया।

जान लीजिए शिव,शंकर और शंभु के बीच का भेद



शास्त्रानुसार काल पर शिव का नियंत्रण है, अतः शिव महाकाल भी कहलाए जाते हैं। ऐसे शिव स्वरूप में लीन रहकर ही काल पर विजय पाना भी संभव है।सांसारिक मनुष्य के दृष्टिकोण से शिव व काल के संबंधों में छिपा संकेत यही है कि काल अर्थात् समय की महत्वता समझते हुए उसके साथ बेहतर तालमेल व गठजोड़ ही जीवन व मृत्यु दोनों ही स्थिति में सुखद है।



अतः जीवन में शिव भाव में रम जाना ही महत्वपूर्ण है।शिव भाव से जुडऩे हेतु वेदों में वर्णित शिव के अतिरिक्त अन्य दो नाम शंकर व शंभु के अर्थ को भी समझना आवश्यक है।इस लेख के माध्यम से जान लीजिए कि एक ही होने पर भी इन तीन नामों के बीच क्या भेद हैं।




वेद अनुसार: शंभु मोक्ष देने वाले हैं।वहीं शंकर शमन करने वाले और शिव कल्याण करने वाले हैं।इस भांति शंभु नाम ऐसे भाव जागृत करता है कि शांति हेतु सद्‍भावना व सुकर्म का मार्ग ही अपनाएं।इनसे मन भय से व तन रोगों से दूर रहेगा तथा मनोवांछित लक्ष्य प्राप्ति संभव होगी।शंकर का अर्थ है शमन करने वाला।शंकर नाम स्मरण यही भाव जागृत करता है कि शंकर के योगी स्वरूप की भांति मन को सैदेव शांत, संयमित व संकल्पित रखें।संकल्पों से मन को जागृत रखने से ही अशांति का शमन होता है।शिव नाम का अर्थ है कल्याणकारी।शिव नाम से कर्म, भाव व व्यवहार में पावनता का संदेश मिलता है।




इसके लिए जीवन में हर प्रकार से पवित्रता, आनन्द, ज्ञान, मंगल, कुशल व क्षमा को अपनाएं, ताकि अपने साथ दूसरों का भी शुभ हो।शिव नाम के साथ जब मंगल भावों से जुड़ते हैं, तो मन की कई बाधाएं, विकार, कामनाएं और विकल्प नष्ट हो जाते हैं।व्यक्ति मजबूत संकल्पों से जुड़ जाता है।इस प्रकार शिव, शंकर और शंभु तीनों ही नाम हमेशा जीवन में सोम्यस्य सुंदरता व सफलता प्रदान करते हैं।




पुराण अनुसार: शिव परम पिता और परमेश्वरी (शक्ति) जगजननी तथा जगदम्बा कहलाती हैं।अपनी संतान पर उनकी असीम करुणा और कृपा है।उनका नाम ही आशुतोष है।दानी और उदार ऐसे हैं कि नाम ही पड़ गया औढ़नदानी।उनका भोलापन भक्तों को बहुत ही भाता है।अकारण अनुग्रह करना, अपनी संतान से प्रेम करना भोलेबाबा का स्वभाव है।उनके समान कल्याणकारी व प्रजा रक्षक और कौन हो सकता है।शिव ही समस्त प्राणियों के अंतिम विश्रामस्थान भी है।उनकी संहारिका शक्ति प्राणियों के कल्याण के लिए प्रस्फुटित होती है।शंकर ही सबसे बड़े ज्ञानी है क्योंकि वे ही समस्त विद्याओं, वेदादि शास्त्रों, आगमों तथा कलाओं के मूल स्रोत है। इसलिए उन्हें विशुद्ध विज्ञानमय, विद्यापति तथा सस्त प्राणियों का ईश्वर कहा गया है।शंभु स्वयं नीतिस्वरूप हैं।




अपने प्राणों की बलि देकर भी जीवों की रक्षा करना,सदा उनके हित चिंतन में संलग्न रहना- इससे बड़ी नीति और क्या हो सकती है।कृपालु शंभु ने यह सब कर दिखाया।ऐसा कह वे हलाहल पी गए और नीलकंठ कहलाए।तीनों लोकों की रक्षा हो गई।साधुजन, नीतिमान जन अपने क्षणभंगुर जीवन की बलि देकर भी प्राणियों की रक्षा करते हैं।कल्याणी ! जो पुरुष प्राणियों पर कृपा करता है, उससे सर्वात्मा कहते हैं।




रामचरितमानस अनुसार: "जासु नाम बल संकर कासी। देत सबहि सम गति अबिनासी"।। अर्थात् भगवन्नाम के बल से शंकर जी काशी में मरनेवालों को मुक्ति देते हैं। "कासी मरत जन्तु अवलोकी। जासु नाम बल करउँ बिसोकी"।। अर्थात् शंभु स्वरुप में वह कहते है की काशी में मरते हुए जीव को यदि मैं देख लेता हूँ तो हे पार्वती ! उन परमप्रभु के नाम अर्थात् ओम् के बल से मैं उसे अविनाशी पद प्रदान कर देता हू।अतः शिव शरण जो कोई आया, जैसे– कागभुशुण्डि, उन सबको भगवान की भक्ति प्रदान कर उद्धार किया गया।




आदि शंकराचार्य मत: शिव आदि योगेश्वर हैं।शिव से ही योग-साधना प्रारम्भ होती है अतः उन्हें माता-पिताविहीन, स्वयंभू, स्वरूपस्थ, परमात्मस्वरूप इत्यादि विशेषणों से अलंकृत किया जाता है।उन्हें भूतनाथ भी कहा जाता है क्योंकि वे प्राणिमात्र की शरणस्थली हैं।उनके शरण बिना कोई मोक्ष को प्राप्त नहीं कर सकता।




आदि शंकराचार्य प्रश्नोत्तरी अनुसार वह पूछते हैं कि सृष्टि में पूजनीय कौन है ? उत्तर है - जो शिवतत्त्व में स्थित है वह महापुरुष! जो प्रकृति की सीमाओं से उपराम है उसे शिव कहते हैं।ऐसा महापुरुष पूजनीय है।उनके गणों अर्थात् सेवकों की एक लम्बी परम्परा है उनमें गणेश भी हैं, कार्तिकेय हैं, समस्त प्राणी एवं देवता भी हैं।




आचार्य कमल नंदलाल

ईमेल kamal.nandlal@gmail.com

मनभावन इच्छाओं की पूर्ति करता है शिव मंत्र का जाप

भगवान शिव जिनके नाम का अर्थ ही है कल्याणस्वरूप और कल्याणप्रदाता । शास्त्रों के अनुसार शिव ही सांसारिक सुखों का आधार हैं । शिव उपासना तन, मन व धन से जुडी कामनाओं में आने वाली बाधाओं को भी दूर करती है । सोमवार को भगवान शिव का दिन माना जाता है । इस दिन मन ही मन या रुद्राक्ष माला से इस मंत्र का जाप करना मंगलकारी और अापकी सारी इच्छाओं की पूर्ति करता है ।

'ॐ अघोराय नम:'
इस मंत्र का जाप करने से सभी इच्छाएं पूर्ण होती हैं । शास्त्रों में उल्लेखनीय  है कि देव, दनुज, ऋषि , मुनीन्द्र, सिद्ध, गन्धर्व ही नहीं, अपितु ब्रह्मा-विष्णु तक भगवान शिव की आराधना करते हैं और उनसे अपनी मनभावन इच्छाओं की पूर्ति करवाते हैं ।