मंगलवार, 3 मार्च 2015

बाड़मेर सरहद पर महिला शक्ति का कैमल कारवां। होंसलो की उड़ान



बाड़मेर सरहद पर महिला शक्ति  का कैमल कारवां। होंसलो की उड़ान 

बाड़मेर सरहदीगांवों में महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बीएसएफ के पचासवें स्थापना दिवस के मौके शुरू हुई कैमल सफारी का सोमवार को बाड़मेर जिले से राजस्थान में प्रवेश हुआ। इस कैमल सफारी की खास बात यह है कि इसमें सभी 27 सदस्य महिलाएं है। इसमें से चौदह बीएसएफ की है।

भारत की पहली एवरेस्ट पर्वतारोही बछेंद्री पाल और पदमश्री सम्मान से सम्मानित प्रेमलता अग्रवाल के नेतृत्व में ऊंटों पर सवार होकर शाम को जब महिलाओं ने गुजरात से बाड़मेर जिले में भारत-पाक सरहद स्थित ब्राह्मणों की ढाणी पोस्ट पर प्रवेश किया तो बीएसएफ अधिकारियों और जवानों समेत ग्रामीणों ने गर्मजोशी से स्वागत किया। ऊंटों के कारवां ने राजस्थान में प्रवेश किया तो सफारी में शामिल इन महिलाओं के चेहरों पर खुशी और उत्साह साफ झलक रहा था।24 फरवरी को गुजरात से रवाना हुई कैमल सफारी 2300 किमी का सफर तय कर पंजाब के वाघा बॉर्डर पर सम्पन्न होगी। इस मौके डीआईजी प्रतुल गौतम समेत कई अधिकारी मौजूद थे। गोधूलि वेला में बाड़मेर पहुंची कैमल सफारी की सदस्यों का गांव बीएसएफ अधिकारियों समेत स्थानीय ग्रामीणों ने फूलमालाएं पहनाकर गर्मजोशाी से स्वागत किया। स्वागत से अभिभूत इन महिलाओं ने स्थानीय महिलाओं से गले मिलकर वापस आभार जताया। ब्राह्मणों की ढाणी पोस्ट पर स्वागत की रस्म करीब एक घंटे भर तक चली। बीएसएफ के स्थानीय बैंड की धुनों पर जवानों ने देश भक्ति तरानों से समां बांध दिया। देश क्ति गीतों पर यहां मौजूद सब लोग झूमने लग गए। इसके बाद स्थानीय कलाकारों ने गीत और नृत्य प्रस्तुत किया। इसके बाद पंजाबी गीतों पर जवानों के साथ कैमल सफारी में शामिल सदस्यों ने नृत्य में इस कदर धमाल मचाया कि पूरे माहौल में रौनक घुल गई।

^गुजरात के साबरकांठा जिले के गांव की रहने वाली हूं। पूरे गांव में कोई महिला बीएसएफ में नहीं है। अभी बीएसएफ की 46 बटालियन में तैनात हूं। कई विपरीत परिस्थितियों से मुकाबला करने का बीएसएफ हौसला देता है। महिलाएं आगे बढ़ने लग जाए तो कोई उसको पीछे नहीं कर सकता। मित्तलप्रजापति

^यूपी के वाराणसी की रहने वाली और राजस्थान के श्रीगंगानगर में बीएसएफ की 193 बटालियन में तैनात संगीता के अनुसार इस कैमल सफारी के दौरान कोई परेशानी नहीं आई। शुरुआत में झिझक हुई,लेकिन बाद में हौसला बढ़ा। महिला मजबूत है। बेटी को अवसर दें तो वह अवश्य मंजिल तक पहुंच सकती है। संगीता

^बीएसएफ में अधिकारी हूं। महिलाएं देश की ताकत है। वे सक्षम है। शुरुआत में झिझक हुई अब एकदम सक्षम है। महिलाएं हर कदम पर आगे है। पुुुरुषों से मुकाबला कर सकती है। अब महिलाएं कमजोर नहीं है। वे अब शक्तिशाली है। वे हर परिस्थिति का मुकाबला करने को तैयार है। डाॅ.सरोज

^गुजरातमें 131 बटालियन में तैनात हूं। वर्ष 2013 में बीएसएफ बतौर इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्ति हुई। मूलतः नागौर की रहने वाली हूं। कैमल सफारी में शामिल होने के लिए चयन हुआ। बेहद रोमांचित करने वाला सफर है। कई बातें सीखने को मिली है। नया आत्मविश्वास आया है। हर रोज नई जगह ,नई चुनौतियां और नई सीख मिलती है। पिंटूचौधरी



ब्राह्मणों की ढाणी (बीकेडी). 'हटादो सब बाधाएं मेरे पथ की, मिटा दो आशंकाएं सब मन की। मेरी शक्ति को समझो, कदम से कदम मिला के चलने तो दो मुझको' जब बीएसएफ की महिला विंग का काफिला गुजरात से बीकेडी पहंुचा तो शायद उनके जांबाज इरादों में यहां की फ्लड लाइटों ने भांप लिया और उनके साथ आगे बढ़ने के लिए इस तरह रोशनी बिखेर दी।


महिलाएं अभियान में 
जानिए क्या सोचती है बीएसएफ में तैनात महिलाएं 
सरहद-सरहद काफिला | गुजरात से रवाना हुई बीएसएफ की महिला कैमल सफारी का सीमा पर जोरदार स्वागत, वाघा बॉर्डर पर होगा समापन 
घूंघट हटा लो नहीं तो मैं भी चेहरा छिपा दूंगी : बछेंद्री 
स्थानीयमहिलाओं की ओर से घूंघट में स्वागत के दौरान बछेंद्री ने कहा कि चेहरों से घूंघट हटा लो नहीं तो मै भी मेरा चेहरा घूंघट में छिपा दूंगी। बछेंद्री के यह कहने के बाद कई महिलाओं की झिझक कम हुई। इसके बाद संवाददाताओं से बातचीत में बछेंद्री पाल ने कहा कि नारी सशक्तिकरण को बढ़ावा देने के लिए बीएसएफ और टाटा कंपनी की ओर से कैमल सफारी का आयोजन किया गया है। इसका सरहद पर स्थित गांवों में बेहतर संदेश जाएगा। मानते है कि बदलाव रातों-रात नहीं होगा। बेटियों काे अच्छी शिक्षा और को अवसर दीजिए फिर देखिए वह हर मंजिल पर पहुंच सकती है। उन्होंने कहा कि बेटियों में भी कुछ कर गुजरने का जज्बां होना चाहिए। महिलाएं भी बड़ी सेाच रखें। शुरुआत करें तो मंजिल अवश्य मिलेगी। 
हम किसी से कम नहीं : प्रेमलता 

पदमश्रीसे सम्मानित प्रेमलता अग्रवाल के मुताबिक महिलाएं किसी से कम नहीं है। इस कैमल सफारी का मकसद यही है कि यह प्रेरणादायक बनें। कोई भी कार्य कठिन नहीं है। कार्य पूरा करने में मेहनत करें और कार्य से प्यार करे तो उसे पूरा करने से कोई नहीं रोक सकेगा। कार्य में ईमानदारी रखे। स्वयं का उदाहरण देतीं हुई प्रेमलता ने कहा कि परिवार साथ दे तो कुछ भी असंभव नहीं है। सातों महाद्वीपों के सबसे उच्च स्थानों पर सर्वाधिक आयु में पहुंचने के रिकार्ड से सम्मानित प्रेमलता के अनुसार जब महिला एवरेस्ट पर पहुंच सकती है तो कोई भी लक्ष्य उसकी पहुंच से बाहर नहीं हो सकता। 

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