शनिवार, 3 मई 2014

राजस्थान में है पक्षी प्रेमियों का स्वर्ग, जहां आते हैं रंग-बिरंगे प्रवासी पक्षी



अगर आप खूबसूरत रंग-बिरंगे प्रवासी पक्षियों को देखना और उनकी आवाज को सुनना चाहते हैं तो पक्षी विहार सबसे बेहतर जगह है। मनमोहक रंगबिरंगे पक्षियों के कलरव से गूंजता भारतपुर पक्षी विहार पर्यटकों को खूब लुभाता है। केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान या केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान राजस्थान में स्थित एक प्रमुख राष्ट्रीय उद्यान है। इसको पहले भरतपुर पक्षी विहार के नाम से जाना जाता था। यह उद्यान पक्षी प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। विश्व धरोहर सूची में शामिल यह स्थान प्रवासी पक्षियों का भी बसेरा है। यह भारत का सबसे बड़ा पक्षी अभयारण्य है जो 1964 में अभयारण्य और 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया गया था। यह उद्यान भरतपुर का सर्वाधिक प्रसिद्ध पर्यटन आकर्षण है। केवलादेव घना राष्ट्रीय उद्यान का निर्माण लगभग 250 वर्ष पहले महाराजा सूरजमल ने करवाया था। यह राष्ट्रीय उद्यान 29 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है।

1985 में यूनेस्को ने इस उद्यान विश्व विरासत स्थान की मान्यता दी। प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में पर्यटक इस लोकप्रिय राष्ट्रीय उद्यान की सैर करने के लिए आते हैं। वर्तमान में इस पार्क में कछुओं की कई किस्में, मछलियों की 50 किस्में और उभयचरों की पांच किस्में पाई जाती हैं। इसके अलावा यह उद्यान पक्षियों की लगभग 375 किस्मों का प्राकृतिक आवास है। इस उद्यान में न केवल देश से बल्कि यूरोप, अफगानिस्तान, चीन, मंगोलिया, रूस और तिब्बत आदि से भी पक्षी आते हैं। 5000 किलोमीटर की यात्रा पूरी कर दुर्लभ प्रवासी पक्षी साइबेरियन क्रेन सर्दियों में यहां पहुंचते हैं जो पर्यटकों का मुख्य आकर्षण होते हैं। मानसून के मौसम के दौरान देश के प्रत्येक भागों से पक्षियों के झुंड यहां आते हैं। पानी में पाए जाने कुछ पक्षी जैसे सिर पर पट्टी और ग्रे रंग के पैरों वाली बतख, पिनटेल बतख, सामान्य छोटी बतख, रक्तिम बतख, जंगली बतख, वेगंस, शोवेलेर्स, सामान्य बतख, लाल कलगी वाली बतख आदि यहां पाए जाते हैं। यह राष्ट्रीय उद्यान सुंदर पक्षियों की 375 से अधिक प्रजातियों का बसेरा है। पक्षियों के अलावा पर्यटक जानवर जैसे काला हिरन, पायथन, सांबर, धब्बेदार हिरण और नीलगाय देख सकते हैं।

जसवंत ने किया एलान, अब नहीं लौटूंगा भाजपा में



नई दिल्लीभाजपा से दूसरी बार निष्कासित हुए बागी नेता जसवंत सिंह ने स्पष्ट कर दिया कि अब वह निमंत्रण मिलने पर भी पार्टी में वापस नहीं आएंगे। लेकिन सबकुछ सही हुआ तो लोकसभा चुनाव जीतने के बाद वह मुद्दों पर राजग या किसी भी दूसरे गठबंधन को समर्थन कर सकते हैं। वह खुद तो भाजपा से बाहर ही रहना चाहते हैं लेकिन बेटे मानवेंद्र सिंह के खिलाफ कार्रवाई से वह आहत हैं। उन्होंने मानवेंद्र का बचाव करते हुए कहा कि वह हमारे चुनाव प्रचार में कभी नहीं गया। लेकिन उसे परेशान किया जा रहा है। यह उचित नहीं है।

बाड़मेर से भाजपा के खिलाफ चुनाव लड़ने के बाद जसवंत पहली बार मीडिया से रू-ब-रू थे। एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि पार्टी से बाहर आने के बाद वह स्वतंत्र महसूस कर रहे हैं और ऐसे ही रहना चाहेंगे। पार्टी ने और खासतौर पर भाजपा अध्यक्ष राजनाथ सिंह और राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने ऐसी स्थिति पैदा कर दी थी, जिसमें उनके लिए कोई जगह नहीं बची। वह अटल बिहारी वाजपेयी के मंत्रिमंडल में अहम जिम्मेदारी निभा चुके हैं। अब उन्हें कोई चाहत नहीं है। लिहाजा भाजपा में वापस आने का सवाल ही नहीं है।

एक सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि भाजपा में हमेशा सामूहिक नेतृत्व की संस्कृति रही है। अब एकल नेतृत्व दिखने लगा है। पार्टी ने यह फैसला किया है और पार्टी को ही आगे तय करना है। उन्होंने कहा कि वह व्यक्ति पर बोलना नहीं चाहते हैं लिहाजा यह नहीं जानते कि मोदी कैसे प्रधानमंत्री साबित होंगे।

वैशाख मास: सेवा है असली भक्ति



हमारी संस्कृति में सद्कार्यो एवं परोपकार को सर्वोपरि माना गया है। इसीलिए वैशाख मास में गरीबों की सेवा को ईश्वर की भक्ति के समतुल्य बताया गया है। 16 अप्रैल से शुरू हुए हैं वैशाख मास।

भारतीय संस्कृति में संवत्सर (वर्ष) के प्रत्येक मास का एक विशेष आध्यात्मिक महत्व माना गया है। हमारे ऋषियों ने हमारे अंतस को उन्नत बनाने हेतु ही पर्र्वो एवं मासों की विभिन्न अवधारणाएं दी हैं। वैशाख मास को परोपकार का मास माना जाता है, क्योंकि इस मास में वंचितों और गरीबों की मदद करने और प्राणिमात्र की सेवा करने को प्रमुखता दी गई है। भारतीय अध्यात्म और दर्शन का मानना है कि जीवों के प्रति सदाशयता और परोपकार ही वह कृत्य है, जिससे हमें पुण्य प्राप्त होता है।

वैशाख मास में भीषण गर्मी से प्यासे प्राणियों (पशु-पक्षी व मनुष्यों) को पानी पिलाना सर्वाधिक पुण्यदायक माना गया है। इसीलिए जो लोग साम‌र्थ्यवान हैं, वे इस माह जगह-जगह शीतल एवं स्वच्छ पानी पिलाने के लिए प्याऊ लगवाते हैं। पुराणों में तो यहां तक लिखा है कि हर प्रकार के दान और तीर्थस्थानों से जो पुण्यफल प्राप्त होता है, उससे भी अधिक पुण्य वैशाख में जलदान (पानी पिलाने) मात्र से मिल जाता है। प्यासों को पानी पिलाने से हजारों यज्ञों का पुण्यफल प्राप्त हो जाता है।

इस मास में सूर्य देव का ताप प्रचंडता लिए होता है। ऐसे में धनी लोग तो उससे राहत पाने की व्यवस्था कर लेते हैं, लेकिन गरीब लोगों को बड़ी परेशानी होती है। इसीलिए इस मास में आध्यात्मिक पुण्य प्राप्त करने के लिए कड़ी धूप से व्याकुल पथिकों के विश्राम की समुचित व्यवस्था करने का नियम बनाया गया है। कई लोग निर्धनों को पंखे और छाते का दान भी करते हैं। तवे की तरह तप रही धरती पर नंगे पैर चलने को विवश मनुष्यों को पहनने के लिए चप्पल देना भी श्रेष्ठ दान माना गया है। धर्मग्रंथों का कथन है कि वैशाख में गर्मी से पीडि़त प्राणी को आराम पहुंचाना साक्षात् भगवान की सेवा है। यह सही भी है, स्वामी रामकृष्ण परमहंस ने गरीबों को ही तो दरिद्रनारायण का संबोधन दिया था और अपने शिष्य स्वामी विवेकानंद से कहा था कि गरीब लोग ही ईश्वर हैं, इनकी सेवा करें।

जीवों की सेवा से ही नारायण प्रसन्न होते हैं। तभी तो ग्रंथों में कहा गया है कि जो व्यक्ति धूप, भूख-प्यास और थकान से पीडि़त लोगों के भोजन, पानी और विश्राम का प्रबंध करता है, वह भव-बंधन से मुक्त होकर भगवान विष्णु की निकटता प्राप्त कर लेता है। इस मास में लोग सुराही-घड़े तथा पंखे-कूलर आदि का भी दान करते हैं।

ग्रंथों में वैशाख मास को पुण्यार्जन का पर्वकाल कहा गया है। स्कंदपुराण के अनुसार - न माधवसमा मासो न कृतेन युगं समम्। न च वेदसमं शास्त्रं न तीर्थम् गंगया समम्।। अर्थात 'वैशाख के समान कोई मास नहीं है, सतयुग के समान कोई युग नहीं है, वेद के समान कोई शास्त्र नहीं है और गंगाजी के समान कोई तीर्थ नहीं है।'

देवर्षि नारद अंबरीष को वैशाख मास का माहात्म्य बताते हुए कहते हैं- 'वैशाख मास को ब्रहमाजी ने सब मासों में सर्वोत्तम बताया है। यह मास अपनी दिव्य ऊर्जा के कारण साधक को अभीष्ट फल देने वाला है। भगवान विष्णु को प्रसन्न करने में यह मास सर्वोपरि है।' वैशाख मास में ब्रहममुहूर्त से लेकर सूर्योदय तक समस्त देवगण और तीर्थ नदी अथवा सरोवर के शुद्ध जल में वास करते हैं। इस मास को भगवान विष्णु के नाम 'माधव' से भी जाना जाता है। अस्तु भगवान विष्णु को अतिशय प्रिय होने के कारण इस मास में जो भी सत्कार्य किए जाते हैं, उससे श्रीहरि अति शीघ्र प्रसन्न हो जाते हैं।

वैशाख मास के प्रारंभ होने के दिन प्रतिपदा तिथि से शिवलिंग पर सतत जलधारा हेतु जल से परिपूर्ण घट (अर्घा) लगा दिया जाता है। भगवान शंकर को पृथ्वी का स्वामी माना गया है। अतएव ग्रीष्म ऋतु-वैशाख और ज्येष्ठ मास में शिवलिंग पर निरंतर जलधारा का प्रबंध करना एक प्रकार से संपूर्ण पृथ्वी को सींचने के समान है। यह कार्य हमें इस बात की ओर ध्यान दिलाता है कि पृथ्वी पर जीवन के लिए जल कितना महत्वपूर्ण है। हम अपनी जल-संपदा को प्रदूषण से बचाएं।

वैशाख मास में भगवान महाकालेश्वर की नगरी अवंतिका (उज्जयिनी) की यात्रा करने की परंपरा है। सिंहस्थ कुंभ का मुख्य स्नान उज्जयिनी वैशाखी पूर्णिमा के दिन ही होता है। सिंहस्थ कुंभ का महापर्व उज्जयिनी में वैशाख मास में ही संपन्न होता है। प्रत्येक वर्ष उज्जयिनी की पंचकोशी-पंचेशानि यात्रा वैशाख मास में ही होती है। अवंतिका (उज्जयिनी) मंगल की जन्मभूमि बताई गई है, अत: इस मास के हर मंगलवार को श्रद्धालु मंगलनाथ के दर्शन-पूजन हेतु बड़े उत्साह के साथ आते हैं।

चांद्र (चंद्र संबंधी) संवत्सर का वैशाख मास 16 अप्रैल से प्रारंभ होकर 14 मई तक रहेगा, जबकि सौर (सूर्य संबंधी) संवत्सर का वैशाख 14 अप्रैल को सूर्य के मेष राशि में प्रवेश (मेष संक्रांति) के साथ शुरू हो चुका है और 14 मई तक सूर्य के मेष राशि में बने रहने तक रहेगा।

वैशाख मास हमें पुण्य अर्जित करने का अवसर देता है। इस मास में धर्माचरण (परोपकार आदि सत्कार्य) करने वाले को ही भगवान विष्णु की सामीप्य प्राप्त होता है।

मान्यता : यहां नि:संतान दंपतियों की गोद जरूर भर जाती है



समुद्र तल से 1350 मीटर की ऊंचाई पर कीलांचल पर्वत (ऋष्यलकु पर्वत) की तलहटी में स्थित सती मां अनुसूया मंदिर निसंतान दंपतियों के लिए साक्षात् भगवती से मिलन का तीर्थ है। कहते हैं कि यहां तप करने वाले नि:संतान दंपती की गोद जरूर भरती है। यह मान्यता सदियों से चली आ रही है।

वैसे तो सालभर इस मंदिर के कपाट खुले रहते हैं, परंतु प्रत्येक वर्ष दिसंबर माह में दत्तात्रेय जयंती पर यहां दो दिन का विशाल मेला लगता है। चमोली जिला मुख्यालय गोपेश्वर से 13 किलोमीटर सड़क मार्ग से मंडल पहुंचने के बाद पांच किलोमीटर पैदल चढ़ाई चढ़कर कीलांचल पर्वत की तलहटी में होते हैं मां अनुसूया के दर्शन। इस मंदिर में एक शिला पर गणोश की मूर्ति स्थापित है। गर्भगृह में सती मां अनुसूया की मूर्ति चांदी के छत्रों से जड़ी हुई है। मंदिर प्रांगण में शिव, पार्वती, गणोश के अलावा सती मां अनुसूया के पुत्र दत्तात्रेय की त्रिमुखी प्रतिमा विराजमान है।

अनुसूया मंदिर के निकट ही महर्षि अत्रि की तपस्थली भी है। सती मां अनुसूया के बारे में कथा प्रचलित है कि इसी स्थान पर त्रिदेव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु व महेश ने मां के सतीत्व की परीक्षा लेनी चाही तो मां अनुसूया ने तीनों देवों को बालक बनाकर अपना स्तनपान कराया। यहां बारी प्रथा से पूजा-अर्चना की परंपरा है। मंदिर में सुबह छह बजे स्नान, श्रृंगार, पूजा, 10 बजे रोट, आटे का चूरमा, मालपुआ का भोग और शाम सात से आठ बजे के बीच संध्या आरती संपन्न होती है।

अनुसूया मंदिर

कपाट खुलने का समय: वर्षभर खुले

रहते हैं मंदिर के कपाट।

मौसम: अप्रैल से सितंबर तक मौसम

गर्म, कभी-कभार बारिश, अक्टूबर से

मार्च तक बारिश एवं बर्फबारी।

पहनावा: अप्रैल से सितंबर तक हल्के

वस्त्र, अक्टूबर से मार्च तक गर्म ऊनी

वस्त्र।

यात्री सुविधा: यात्रा पड़ावों पर मंदिर

समिति के गेस्ट हाउस, गढ़वाल मंडल

विकास निगम के गेस्ट हाउस व निजी

विश्राम गृह।

वायु मार्ग: 273 किलोमीटर दूर जौलीग्रांट

हवाई अड्डा।

रेल मार्ग: ऋषिकेश निकटतम रेलवे स्टेशन।

दूरी 253 किलोमीटर।

सड़क मार्ग: देहरादून, ऋषिकेश व हरिद्वार।

शुक्रवार, 2 मई 2014

भाई 8 महीने से लूट रहा था बहन की अस्मत

मुंबई। एक किशोरी जब अपने घर पहुंची तो उसके मां-बाप उसे देखकर हक्के-बक्के रह गए। उसके चेहरे पर मारपीट के निशान थे। जब उसने सच बताया तो उनके होश ही उड़ गए। cousin raped girl in nagpur
उसने बताया कि उसका चचेरा भाई उससे सेक्स करने के लिए कहा, जब उसने इनकार कर दिया तो उससे मारपीट की।

16 वर्षीय पीडिता ने बताया कि आरोपी तरेंद्र बोरकार 8 महीने से उससे रेप कर रहा था। वह गर्भवती है। इस पर उसके मां-बाप ने पुलिस से शिकायत की। जिस पर पुलिस ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया। घटना नागपुर की है।

सोने के दौरान किया रेप
किशोरी ने बताया कि वे दोनों एक ही मकान में रहते हैं। उसका परिवार नीचले फ्लोर पर रहता है तो आरोपी का परिवार पहली मंजिल पर। अगस्त 2013 में परीक्षा होने वाली थी। वह अपने चचेरे भाई के साथ ही उसके कमरे पढ़ती थी। कभी-कभी वह वहीं पर सो भी जाती थी।

एक रोज तरेंद्र ने उसके साथ बदसलूकी की तो उसने ऎतराज जताया। इस पर उसने चाकू के बल पर उससे रेप किया। फिर वह मार्च 2014 तक उससे रेप करता रहा।

गर्भपात का दबाव
उसने बताया कि जब उसे अपने गर्भवती होने का पता चला तो उसने तरेंद्र के मां-बाप से शिकायत की। इस पर वे लोग उस पर गर्भपात का दबाव डालने लगे।

लेकिन उसने अपने परिजनों से ये बात नहीं बताई। जब तरेंद्र ने फिर सेक्स करने का दबाव डाला और उससे मारपीट की तब उसने मां बाप का पूरी बात बताई।

"गुजराती वेश्या की तरह कर रहे मुंबई का शोषण"

मुंबई। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने गुजरात के व्यापारियों पर जोरदार हमला बोला है। उन्होंने कहा है कि गुजरात के व्यवसायी जो नरेंद्र मोदी का समर्थन करते हैं वे महाराष्ट्र दिवस क्यों नहीं मनाते हैं। gujarati traders exploit mumbai like a prostitute says uddhav thackeray
शिवसेना के मुख्यपत्र सामना में ठाकरे ने लिखा है कि ये गुजराती व्यवसायी महाराष्ट्र का वैसे ही शोषण कर रहे हैं जैसे कोई वेश्या का करता है।

महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव खत्म होने के बाद शिवसेना ने गुजरातियों पर यह हमला बोला है। ठाकरे ने आगे लिखा है कि ये व्यवासायी कहते हैं कि उनको तो अपना व्यवसाय करना है और राजनीति से कोई लेना देना नहीं।

लेकिन अपने राज्य और जाति के एक शख्स को प्रधानमंत्री बनाने के लिए इकट्ठा होकर वोट करते हैं। लेकिन उनमें से कितने ने कभी अपना काम छोड़ कर महाराष्ट्र दिवस मनाया है।

ठाकरे ने लिखा है कि मुंबई रहकर वे धन संपदा का भरपूर लाभ ले रहे हैं। उन्होंने मुंबई का एक वेश्या की तरह शोषण किया है। जो लोग लोटा लेकर मुंबई आए उन्होंने अपने लिए संपत्ति और जमीन-जायदाद बना ली। मुंबई से यह धन दौलत अर्जित करने के बाद वे भारतीय राजनीति को प्रभावित कर रहे हैं।

वे यह तय करने लगे हैं कि किसी पीएम बनाना चाहिए और किसको नीचे धकेलना चाहिए।

उन्होंने कहा कि जो व्यवसायी और गुजराती मोदी के लिए एक साथ खडे हुए हैं उनको शिवाजी महाराज के महाराष्ट्र के लिए भी साथ आना चाहिए और महाराष्ट्र दिवस को मनाना चाहिए। -

ख्वाजा के मजार पर राजे सरकार के मंत्रियों ने चढ़ाई चादर

जयपुर। अजमेर में प्रसिद्घ सूफी संत ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 802वें सालाना उर्स के मुबारक मौके पर मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की ओर से शुक्रवार को उनकी पवित्र मजार पर चादर पेश की गई।vasundhara raje ministers offer flowers to khwaja muinuddin chisti
मुख्यमंत्री राजे की ओर से चादर राज्य के सार्वजनिक निर्माण मंत्री यूनुस खान, जल संसाधन मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट, सहकारिता मंत्री अजय सिंह किलक, अजमेर उत्तर के विधायक वासुदेव देवनानी समेत अन्य लोगों ने ख्वाजा साहब की मजार पर चादर चढ़ाई और अकीदत के फूल पेश किए।

राजे ने चादर के साथ भेजे अपने संदेश में कहा है कि ख्वाजा गरीब नवाज ने पूरी दुनिया को प्यार, मोहब्बत, अमन और भाईचारे का पैगाम दिया। वे कौमी एकता के सच्चे हिमायती थे। ख्वाजा साहब के दरबार में देश-विदेश से सभी समुदाय के अनुयायी अकीदत के फूल पेश करने और दुआ मांगने आते हैं।

उन्होंने उर्स के मुबारक मौके पर मुल्क और दुनिया के दीगर मुल्कों से आने वाले तमाम जायरीन को मुबारकबाद देते हुए ख्वाजा गरीब नवाज से राज्य की तरक्की, खुशहाली, एकता और बहबूदी की दुआ की है।

मुख्यमंत्री के संदेश में कहा गया कि हिन्दुस्तान की सरजमीं को कई सूफी संतों और औलियाओं ने नवाजा है। ख्वाजा गरीब नवाज ऎसी ही एक शख्सियत हैं।

ख्वाजा साहब का 802वां उर्स चांद दिखाई देने के बाद एक मई से प्रारम्भ हुआ और शुक्रवार को जुम्मे की नमाज के मौके पर हजारों की तादाद में ख्वाजा के अकीदतमंदों के बीच मुख्यमंत्री की ओर से चादर पेश की गई।

जल संसाधन मंत्री प्रो. सांवरलाल जाट ने मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे का संदेश दरगाह में पढ़कर सुनाया। खादिम अफसान चिश्ती ने चादर चढ़वाई और सभी को जियारत करवाई। अंजुमन कमेटी की ओर से सभी मंत्रीगण की दस्तारबंदी की गई और मुख्यमंत्री के लिए चुनरी और तबर्रूक भेंट किया। -

नरेन्द्र मोदी नहीं राजनाथ सिंह बनेंगे प्रधानमंत्री? -

पटना। आरजेडी अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव ने बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह पर अब तक का सबसे बड़ा आरोप जड़ा है। शुक्रवार को लालू ने कहा कि बीजेपी अध्यक्ष राजनाथ सिंह राजपूतों क बीच जाकर यह कह रह हैं कि चुनाव के बाद नरेन्द्र मोदी नहीं बल्कि वे खुद प्रधानमंत्री बनेंगे।rajnath singh going to rajput people and saying i will be pm not narendra modi, says lalu prasad yadav
यादव इससे पहले मंगलवार को नरेंद्र मोदी का नाम लिए बिना उनकी तुलना कसाई से कर चुके हैं। राजद प्रमुख ने टि्वटर पर लिखा, "वो हमसे क्या लड़ेंगे, जिन्हें देखकर कसाई भी शर्माता हो।" लालू ने खुद को धरतीपुत्र बताया। 

सुहागरात से पहले दुल्हन की हत्या

कोटा। महावीर नगर थाना इलाके में गुरूवार रात एक दुल्हन नेहा यादव की नए घर में प्रवेश (पगफेरे) से पहले ही उसके प्रेमी भारत सिंह ने चाकू से गोदकर हत्या कर दी।bride murdered by lover in kota
एकतरफा प्यार में पागल इस युवक भारत सिंह ने खुद को चाकू मार लिया। घायल अभियुक्त को एमबीएस अस्पताल में भर्ती कराया गया है। वहीं दुल्हन के शव को पोस्टमार्टम के लिए एमबीएस मोर्चरी में रखवाया है।

एएसपी (सिटी) राजन दुष्यंत ने बताया कि उप निरीक्षक भंवरलाल यादव के बेटे दीपक की गुरूवार को ही मानपुरा में आयोजित यादव समाज के सामूहिक विवाह सम्मेलन में नेहा यादव से शादी हुई थी।

दूल्हा-दुल्हन घर पहुंचे तो पगफेरे से पहले उन्हें सामने ही स्थित एक पड़ोसी के मकान में ठहराने की व्यवस्था थी। यहीं भारत सिंह आ धमका। दूल्हा-दुल्हन के पीछे न जाने कब वह मकान में घुस गया।

ऊपर जाने के बाद उसने दूल्हे को थप्पड़ मारकर सीढियों पर गिरा दिया और दूल्हन को चाकू मार दिया। चाकू उसके ह्वदय पर लगा, जिससे उसकी मौत हो गई। इसके बाद अभियुक्त भारत सिंह ने भी खुद को दो बार चाकू घोंप लिया।

अफरा-तफरी के बीच भंवरलाल ने उसके हाथ से चाकू छीना और दोनों को अस्पताल पहुंचाया। जहां दुल्हन को मृत घोषित कर दिया, जबकि अभियुक्त का उपचार चल रहा है।

प्रारंभिक जांच में यही बात सामने आई है कि अभियुक्त दुल्हन से एकतरफा प्यार करता था और दूसरे शादी होने से खफा होकर ही उसने यह क्रूर कदम उठाया।