मंगलवार, 31 दिसंबर 2013

बायतु में नहीं घटी गरीबी

बाड़मेर। एक तरफ पाताल से निकला काला सोना और दूसरी ओर गरीबी शमन के लिए एम पॉवर प्रोजेक्ट। दोनों पर बायतु में करोड़ों रूपए खर्च हो रहे है बावजूद बायतु की गरीबी घटने की बजाय बढ़ रही है।बायतु में नहीं घटी गरीबी
पश्चिमी राजस्थान में बीपीएल परिवारों की सर्वाधिक संख्या के मद्देनजर अंतरर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) से वित्त पोषित पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना(एम पॉवर) प्रारंभ हुआ।जिले की बायतु पंचायत समिति में सर्वाधिक 24317 बीपीएल होने से चयन किया गया। जुलाई 2010 में प्रोजेक्ट प्रारंभ हुआ। करीब नौ करोड़ रूपए प्रोजेक्ट के तहत व्यय हो चुके है।

यह है उद्देश्य

गरीबों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार लाना व क्षेत्र के कमजोर व पिछड़े वर्गो के लिए स्थाई आजीविका के अवसर सृजित करना। अकाल की संभावनाएं कम करना, बाजार उत्पादकता, निराश्रितजनों का मुख्य धारा में लाना उद्देश्य रहा। इसके तहत 1400 स्वयं सहायता समूह में गरीब परिवार की महिलाओं को जोड़ा गया है।इनको प्रथम, द्वितीय व तृतीय ग्रेड में स्वरोजगार को प्रेरित किया गया है।

बकरियों पर ध्यान

एमपॉवर ने अध्ययन किया कि बकरी पालन यहां मुख्य व्यवसाय है।इन दिनों 350 परिवारों में बकरी पालन को सहायता की जा रही है।

युवाओं को प्रशिक्षण

गरीब परिवार के युवाओं को उद्यमिता के प्रशिक्षण देने का उल्लेख किया गया है।

व्यक्तिगत लाभ दिया

टांका निर्माण, सामुदायिक टांका, नाडी के कार्य भी प्रोजेक्ट में किए गए है।

दो साल बढ़ेगा

एम पॉवर प्रोजेक्ट दिसंबर 2014 में बंद होना था,लेकिन अधूरे कार्य होने के कारण विश्व बैंक की मदद से दो साल और क्षेत्र में कार्य होगा।

असर नजर आएगा

बीपीएल की संख्या बढ़ना अलग तथ्य है।एम पॉवर के कार्य करने से असर हुआ है। यह असर अभी नहीं धीरे धीरे नजर आएगा। एस पी चालाना, क्षेत्रिय अधिकारी एम पॉवर बायतु

राजस्व में से खर्च हो

गरीबी घटे इसके लिए युवाओं को रोजगार जरूरी है।उनकी योग्यता अभिवृद्धि होनी जरूरी है। स्वयं सहायता समूह का कल्चर अभी जिले में नहीं है। तेल का जो राजस्व मिल रहा है उसमें से कुछ हिस्सा जिले के विकास पर खर्च होना चाहिए। हरीश चौधरी, सांसद

पाक से अलविदा, अब भारत में आसरे की आस



पाकिस्तान से खदेड़े जाने वाले अल्पसंख्यकों यानी हिंदुओं का दिल्ली पहुंचना आम है। अपना घर, जमीन और कारोबार छोड़कर हाल ही में 146 शरणार्थियों का नया जत्था सिंध प्रांत के हैदराबाद से दिल्ली पहुंचा है। कंपकपी छुड़ा देने वाली ठंड में खुले आसमान के नीचे रात काट रहे ये शरणार्थी हिन्दुस्तान की नागरिकता और रोजगार की आस लगाए जंतर-मंतर पर इकट्ठा हैं।

सिर्फ अपने कपड़ों की गठरी लेकर दिल्ली पहुंचे इस जत्थे में छोटे बच्चे, लड़िकयां और बड़े-बुजुर्ग हैं। धर्मवीर का हैदराबाद में फलों का कारोबार तो चौपट हुआ ही, साथ ही सिंध में तालिबान की धमक ने सुरक्षा भी खतरे में डाल दी। जब धर्मवीर पुलिस, मंत्री और कचहरी में इंसाफ के लिए चक्कर काटकर थक गए तो औने-पौने दाम पर लाखों की जमीन और बाकी सबकुछ बेच परिवार समेत दिल्ली आ गया। हैदराबाद से ही आए शरणार्थी डॉक्टर कृष्ण बताते हैं कि हमारे पास सिर्फ कपड़ों की गठरी और गहने थे लेकिन बाड़मेर बॉर्डर पर पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों ने उन पर भी हाथ साफ कर दिया। 12वीं की पढ़ाई कर चुकीं पारती भी अब रिफ्यूजी बन चुकी है। उसे नहीं पता कि अब उसके डॉक्टर बनने का ख्वाब कैसे पूरा होगा?

दयाल दास कहते हैं, यहां आजादी है। हमारी बच्चियों को बुरका नहीं पहनना पड़ता। वो किसी दुकान पर गोलगप्पे खा सकती हैं। लेकिन सिर्फ जान की सुरक्षा ही सबकुछ नहीं है। दयाल दास के मुताबिक, पाकिस्तानी शरणार्थी फुटपाथ पर रेहड़ी लगाते हैं लेकिन एमसीडी आकर उठा देती है। एमसीडी वाले हमें पाकिस्तानी कहकर रिश्वत मांगते हैं जबकि पाकिस्तान में हमे हिन्दुस्तानी कहा जाता है।

 दिल्ली आए इन शरणार्थियों को अभी तक कोई सरकारी भरोसा नहीं मिला है। इनसे पहले आए शरणार्थी सालों से रोहिणी, आदर्शनगर, मजनूं का टीला और फरीदाबाद में तंबू गाड़कर रह रहे हैं। अनुमान के मुताबिक, दिल्ली में तकरीबन 1 हजार पाकिस्तानी शरणार्थी हैं। पाकिस्तानी जनगणना की रिपोर्ट के मुताबिक वहां हिंदुओं की संख्या 30 लाख है जबकि जनगणना की पहली रिपोर्ट में यह आंकड़ा 1 से 2 करोड़ के बीच था।

पाकिस्तान में तेजी से घट रहे हिंदू अल्पसंख्यक चार मोटी वजहों से शरणार्थी बनने को मजबूर हुए हैं। बंटवारे के बाद पाकिस्तान से 10 हजार हिंदू शरणार्थियों का सबसे बड़ा पलायन 1965 के युद्ध के बाद हुआ। 1971 की लड़ाई में 90 हजार हिंदू राजस्थान के शिविरों में कई साल तक रहने मजबूर हुए। फिर कश्मीर में चरमपंथी गुटों के उभार ने इन्हें अपनी जमीन छोड़ने को मजबूर किया। चौथी बड़ी वजह 1992 में बाबरी मस्जिद ध्वंस रही। शरणार्थी धर्मवीर के मुताबिक, इस हादसे के बाद से पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के प्रति जो नफरत पैदा हुई, उससे हम सिमटते गए। कारोबार चौपट कर देना, जबरन धर्मांतरण, पूजा-पाठ पर पाबंदी इसकी बानगी हैं। तंबू गाड़कर एक कोने में बैठे खेम चंद किसी सवाल का जवाब नहीं देते। वीजा ना मिलने की वजह से परिवार के कुछ सदस्य अभी पाकिस्तान में रह गए हैं। खेम उन्हीं की फिक्र में डूबे हुए हैं।

वायु सेना प्रमुख बने एयरचीफ मार्शल अरूप राहा

एयरचीफ मार्शल अरूप राहा ने 24 वें प्रमुख के रूप में मंगलवार को वायु सेना की कमान संभाल ली। वह एयरचीफ मार्शल एन ए के ब्राउन के स्थान पर वायु सेना अध्यक्ष बने हैं जिन्होंने मंगलवार को अवकाश ग्रहण कर लिया। लडाकू विमानों से 3400 घंटे का उडान अनुभव रखने वाले एयरचीफ मार्शल राहा अभी तक वायु सेना उप प्रमुख थे। पूर्वी वायु कमान के प्रमुख एयर मार्शल आरके शर्मा राहा के स्थान पर एयर स्टॉफ के उप प्रमुख की जिम्मेदारी संभालेंगे। वायु सेना की कमान संभालते हुए एयरचीफ मार्शल राहा ने कहा कि वायु सेना देश के उग्रवाद प्रभावित इलाकों में सुरक्षा बलों को अपना संबल और समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध है। वायु सेना प्रमुख बने एयरचीफ मार्शल अरूप राहा
59 वर्षीय राहा वायुसेना प्रमुख का पदभार अगले तीन वर्षो तक संभालने की उम्मीद है। उनका जन्म 26 दिसंबर, 1954 को हुआ था। 

वायु सेना प्रमुख बने एयरचीफ मार्शल अरूप राहा
सबसे पहले वे 14 दिसंबर 1974 को वायुसेना के लड़ाकू विमान प्रकोष्ठ में तैनात हुए थे। अभी तक वायु सेना में उनका 39 साल का करियर हो चुका है। इस दौरान उन्होंने कई कमानों, स्टॉफ में अलग-अलग पदों पर अपनी जिम्मेदारियां निभाईं हैं। इसके साथ ही यूक्रेन स्थित भारतीय दूतावास में भी बतौर एयर अताशे कार्यरत रहे हैं। राहा के पास कई तकनीकी डिग्रीयां हैं। राहा ने स्ट्रेटजिक न्यूक्लियर ओरिएंटेशन तथा जूनियर कमांडर की पढ़ाई भी कर चुके हैं।

रिश्वत लेते ब्लॉक शिक्षा अधिकारी गिरफ्तार

पाली। एक निलम्बित शिक्षक को बहाल कराने के लिए दस हजार रूपए की रिश्वत लेते हुए रायपुर मारवाड़ के ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी रतनलाल मेघवाल को भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो पाली की टीम ने मंगलवार सुबह रंगे हाथों गिरफ्तार किया है।
इस मामले में सहायक ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी शिवदत्त चारण को भी आरोपी बनाया गया है। कार्रवाई की भनक लगने पर चारण फरार हो गया, जिसकी तलाश में एसीबी और पुलिस की टीम जगह-जगह दबिश दे रही है।

एसीबी के अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सीपी शर्मा ने बताया कि गिरी निवासी शिक्षक फताराम रेगर पुष्कर थाने में दर्ज एक मामले में न्यायिक अभिरक्षा में रहा। उसे आठ माह पूर्व निलम्बित कर बीईईओ कार्यालय जैतारण बीईईओ कार्यालय मुख्यालय में उपस्थिति देने को कहा गया।

इसके बाद से फताराम रायपुर बीईईओ और एबीईओ से मिला और बहाल करवाने की गुजारिश कीं उससे पुन: बहाल करने के लिए एबीईओ शिवदत्त चारण ने बीस हजार रूपए की रिश्वत मांगी।

सौदा बारह हजार रूपए में तय हुआ। पांच दिन पूर्व दो हजार रूपए देकर शिक्षक ने शिकायत का सत्यापन करवाया। इस अवधि में बीस बार ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी चारण से शिक्षक फताराम ने बात रिकॉर्ड की। चारण ने मंगलवार को पैसे बीईईओ मेघवाल को उसके निमाज स्थित घर पर देने को कहा। जैसे ही उसने रूपए थमाए एसीबी टीम ने उसे दबोच लिया।

यहां से एसीबी अधिकारियों ने मेघवाल को एबीईईओ को फोन कर लोकेशन ट्रेस की, लेकिन वह खुद के झूठा गांव में होने की बात कहते हुए फरार हो गया। हालांकि जैतारण व रायपुर थाना पुलिस ने उसका पीछा किया, लेकिन बताया जाता है कि वह एक कार में बैठकर फरार हो गया। पुलिस ने बीईईओ के निमाज स्थित और एबीईईओ के जोधपुर की बीजेएस कॉलोनी स्थित मकानों पर दबिश देकर संपत्ती का आंकलन कर रही है।

एबीईईओ हो चुका है निलम्बित
गंभीर अनियमितताओं की शिकायत के चलते एबीईईओ शिवदत्त चारण को निदेशक वीणा प्रधान कुछ माह पूर्व निलम्बित कर चुकी है। कुछ दिनों पूर्व ही यह बहाल हुआ था।

रिटायर हो रहे डीईईओ का भी नाम आया
एसीबी के अधिकारियों के इस मामले में रिकॉडिंüग में आरोपित एबीईईओ यह कह रहा है कि उसकी जिला शिक्षा अधिकारी से बात हो गई है, वह फताराम को बहाल करवा देगा।

23 दिसम्बर को दोनों अधिकारियों ने फताराम को बहाल करने की अनुशंमाा करते हुए पत्र भी लिखा। इसके बाद एसीबी ने 24 दिसम्बर को ट्रेप करने का प्रयास किया, लेकिन सफलता नहीं मिली। जिला शिक्षा अधिकारी प्रारंभिक तखतसिंह मंगलवार को ही सेवानिवृत्त हो रहे हैं।

नौ साल में दूसरा बीईईओ ट्रेप
19 मई 2004 को विकास अधिकारी शम्भूदयाल "ार्मा को एसीबी ने दो हजार रूपए रिश्वत लेते गिरफ्तार किया था। उस समय शर्मा के पास ब्लॉक प्रारंभिक शिक्षा अधिकारी का चार्ज था। उसने शिक्षक आत्मप्रकाश चौहान को जांच में निर्दोष साबित करने के लिए तीन हजार रूपए मांगे थे।

मनमोहन सिंह देंगे इस्तीफा, राहुल बनेंगे पीएम !

नई दिल्ली। हाल ही में संपन्न पांच राज्यों के विधानसभा चुनावों में चार राज्यों मे मिली करारी हार और महंगाई को नियंत्रण नहीं कर पाने के मुद्दे पर प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन सिंह आम चुनावों से पांच महीने पहले अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं ताकि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी को प्रधानमंत्री बनाया जा सके। हालांकि, प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) के सूत्रों ने प्रधानमंत्री के इस्तीफा देने संबंधी बात को सिरे से खारिज कर दिया है। मनमोहन सिंह देंगे इस्तीफा, राहुल बनेंगे पीएम !
एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के अनुसार, प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह नए साल की शुरूआत में इस्तीफे की घोषणा कर सकते हैं। वे अगले साल तीन जनवरी को संभावित संवाददाता सम्मेलन में तीसरे कार्यालय के लिए अपना नाम वापस ले सकते हैं, लेकिन अभी यह तय नहीं है कि वे चुनावो से पहले अपना पद त्याग देंगे। वे इस दौरान इस्तीफे की भी घोषणा कर सकते हैं।

सूत्रों के मुताबिक, हालांकि पार्टी अभी पूरी तरह से यह तय नहीं कर पाई है कि मनमोहन सिंह से इस्तीफा लेना चाहिए या नहीं। बढ़ती महंगाई, भ्रष्टाचार और सरकार के कई फैसलो से लोगों में खासा गुस्सा है।

कांगे्रस उपाध्यक्ष सरकार के कई फैसलों को पलट चुके हैं। केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम भी कह चुके हैं की पार्टी को चुनावो से पहले अपना प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर देना चाहिए। पार्टी के नेताओं का मानना है कि सरकार के प्रति लोगों मे जो गुस्सा है, उसके चलते मनमोहन सिंह के नेतृत्व में यूपीए दोबारा सत्ता में नहीं लौट सकता।

राहुल गांधी को चुनावों से पहले प्रधानमंत्री बनाने के मुद्दे पर पार्टी के क धड़े का मानना है कि अगर पार्टी उपाध्यक्ष को मनमोहन सिंह की जगह कुर्सी पर बैठाया जाता है तो इससे सरकारी विरोधी छवी को सुधारने में मदद मिलेगी, साथ ही युवा मतदाता पार्टी के पक्ष में मतदान कर सकते हैं।

राहुल गांधी को चुनावों से महज चंद महीने पहले प्रधानमंत्री बनाने के मुद्दे पर पूछे गए सवाल पर पार्टी के एक नेता ने कहा था कि ऎसा करने से चार राज्यों में मिली करारी हार, महंगाई और भ्रष्टाचार से हतोत्साहित पार्टी को "नई जिंदगी" मिल जाएगी और साथ ही देशभर में कार्यकताआ जोश से भर उठेंगे। कार्यकता पार्टी को चुनावों मे जीत दिलाने के लिए और मेहनत करेंगे ताकि डॉक्टर मनमोहन सिंह सहित कोई और इस पद पर काबिज नहीं हो सके।

नेता ने बताया कि दूसरा फायदा यह होगा की नेतृत्व मामला हमेशा के लिए सुलझ जाएगा। अगर हम चुनाव हार भी जाएंगे तो पूर्व प्रधानमंत्री के तौर पर राहुल पार्टी के सुप्रीम नेता रहेंगे।

हालांकि, पार्टी के एक धड़े का कहना है कि चुनावो से पहले राहुल को चुनावो से पहले प्रधानमंत्री बनाना फायदेमंद साबित नहीं होगा।

इन कारणों की वजह से मनमोहन दे सकते हैं

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह अगले साल की शुरूआत मे अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। हालांकि सूत्रों के मुताबिक, जिन कारणों से मनमोहन सिंह इस्तीफा दे सकते हैं वे हैं-भ्रष्टाचार, महंगाई, पांच मे से चार राज्यो के विधानसभा चुनावो मे मिली करारी हार और सरकार द्वारा लिए गए अलोकप्रिया फैसले जिनकी वजह से लोगों के बीच सरकार की काफी किरकिरी हुई।