बाड़मेर। एक तरफ पाताल से निकला काला सोना और दूसरी ओर गरीबी शमन के लिए एम पॉवर प्रोजेक्ट। दोनों पर बायतु में करोड़ों रूपए खर्च हो रहे है बावजूद बायतु की गरीबी घटने की बजाय बढ़ रही है।
पश्चिमी राजस्थान में बीपीएल परिवारों की सर्वाधिक संख्या के मद्देनजर अंतरर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) से वित्त पोषित पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना(एम पॉवर) प्रारंभ हुआ।जिले की बायतु पंचायत समिति में सर्वाधिक 24317 बीपीएल होने से चयन किया गया। जुलाई 2010 में प्रोजेक्ट प्रारंभ हुआ। करीब नौ करोड़ रूपए प्रोजेक्ट के तहत व्यय हो चुके है।
यह है उद्देश्य
गरीबों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार लाना व क्षेत्र के कमजोर व पिछड़े वर्गो के लिए स्थाई आजीविका के अवसर सृजित करना। अकाल की संभावनाएं कम करना, बाजार उत्पादकता, निराश्रितजनों का मुख्य धारा में लाना उद्देश्य रहा। इसके तहत 1400 स्वयं सहायता समूह में गरीब परिवार की महिलाओं को जोड़ा गया है।इनको प्रथम, द्वितीय व तृतीय ग्रेड में स्वरोजगार को प्रेरित किया गया है।
बकरियों पर ध्यान
एमपॉवर ने अध्ययन किया कि बकरी पालन यहां मुख्य व्यवसाय है।इन दिनों 350 परिवारों में बकरी पालन को सहायता की जा रही है।
युवाओं को प्रशिक्षण
गरीब परिवार के युवाओं को उद्यमिता के प्रशिक्षण देने का उल्लेख किया गया है।
व्यक्तिगत लाभ दिया
टांका निर्माण, सामुदायिक टांका, नाडी के कार्य भी प्रोजेक्ट में किए गए है।
दो साल बढ़ेगा
एम पॉवर प्रोजेक्ट दिसंबर 2014 में बंद होना था,लेकिन अधूरे कार्य होने के कारण विश्व बैंक की मदद से दो साल और क्षेत्र में कार्य होगा।
असर नजर आएगा
बीपीएल की संख्या बढ़ना अलग तथ्य है।एम पॉवर के कार्य करने से असर हुआ है। यह असर अभी नहीं धीरे धीरे नजर आएगा। एस पी चालाना, क्षेत्रिय अधिकारी एम पॉवर बायतु
राजस्व में से खर्च हो
गरीबी घटे इसके लिए युवाओं को रोजगार जरूरी है।उनकी योग्यता अभिवृद्धि होनी जरूरी है। स्वयं सहायता समूह का कल्चर अभी जिले में नहीं है। तेल का जो राजस्व मिल रहा है उसमें से कुछ हिस्सा जिले के विकास पर खर्च होना चाहिए। हरीश चौधरी, सांसद
पश्चिमी राजस्थान में बीपीएल परिवारों की सर्वाधिक संख्या के मद्देनजर अंतरर्राष्ट्रीय कृषि विकास कोष (आईएफएडी) से वित्त पोषित पश्चिमी राजस्थान गरीबी शमन परियोजना(एम पॉवर) प्रारंभ हुआ।जिले की बायतु पंचायत समिति में सर्वाधिक 24317 बीपीएल होने से चयन किया गया। जुलाई 2010 में प्रोजेक्ट प्रारंभ हुआ। करीब नौ करोड़ रूपए प्रोजेक्ट के तहत व्यय हो चुके है।
यह है उद्देश्य
गरीबों के जीवन स्तर में गुणात्मक सुधार लाना व क्षेत्र के कमजोर व पिछड़े वर्गो के लिए स्थाई आजीविका के अवसर सृजित करना। अकाल की संभावनाएं कम करना, बाजार उत्पादकता, निराश्रितजनों का मुख्य धारा में लाना उद्देश्य रहा। इसके तहत 1400 स्वयं सहायता समूह में गरीब परिवार की महिलाओं को जोड़ा गया है।इनको प्रथम, द्वितीय व तृतीय ग्रेड में स्वरोजगार को प्रेरित किया गया है।
बकरियों पर ध्यान
एमपॉवर ने अध्ययन किया कि बकरी पालन यहां मुख्य व्यवसाय है।इन दिनों 350 परिवारों में बकरी पालन को सहायता की जा रही है।
युवाओं को प्रशिक्षण
गरीब परिवार के युवाओं को उद्यमिता के प्रशिक्षण देने का उल्लेख किया गया है।
व्यक्तिगत लाभ दिया
टांका निर्माण, सामुदायिक टांका, नाडी के कार्य भी प्रोजेक्ट में किए गए है।
दो साल बढ़ेगा
एम पॉवर प्रोजेक्ट दिसंबर 2014 में बंद होना था,लेकिन अधूरे कार्य होने के कारण विश्व बैंक की मदद से दो साल और क्षेत्र में कार्य होगा।
असर नजर आएगा
बीपीएल की संख्या बढ़ना अलग तथ्य है।एम पॉवर के कार्य करने से असर हुआ है। यह असर अभी नहीं धीरे धीरे नजर आएगा। एस पी चालाना, क्षेत्रिय अधिकारी एम पॉवर बायतु
राजस्व में से खर्च हो
गरीबी घटे इसके लिए युवाओं को रोजगार जरूरी है।उनकी योग्यता अभिवृद्धि होनी जरूरी है। स्वयं सहायता समूह का कल्चर अभी जिले में नहीं है। तेल का जो राजस्व मिल रहा है उसमें से कुछ हिस्सा जिले के विकास पर खर्च होना चाहिए। हरीश चौधरी, सांसद
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