बुधवार, 1 मई 2013

कच्‍छ में मनाया जाता है 38 दिनों तक रण उत्सव


कच्‍छ में मनाया जाता है 38 दिनों तक रण उत्सव

चांद के रोशनी में ऊंट की सवारी का आनंद लेना हो तो चले आइए ऊंटों के देश गुजरात में. हजारों की संख्‍या में प्रतिदिन यहां विदेशी सैलानी रण उत्सव में हिस्‍सा लेने पहुंचते हैं. इस उत्‍सव का आयोजन कच्‍छ के रेगिस्‍तान में किया जाता है. नमक की बहुलता वाले इस क्षेत्र में रात में रेगिस्‍तान सफेद रेगिस्‍तान में बदल जाता है. यहां आकर आप खुली हवा में कल्‍चरल प्रोग्राम का आनंद उठा सकते हैं. सै‍लानियों के मनोरंजन के लिए यहां थियेटर की सुविधाएं भी हैं.

इस दौरान चांदनी रात में गुजरात के स्‍वादिष्‍ट रेसिपी का आनंद लेने का अपना मज़ा है, जिसे यहां आकर ही लिया जा सकता है. यहां से पाकिस्तान के सिंध क्षेत्र का नजारा भी देखने को मिलता है जो कच्‍छ से थोड़ी दूर पर ही स्थि‍त है. हां, एक बात और बता दूं कि यह क्षेत्र स्वामी विवेकानंद के कारण भी काफी मशहूर है. बताते हैं कि अट्ठारह सौ तिरानवे में शिकागो सम्मेलन के लिए रवाना होने से पहले उन्‍होंने कच्छ की यात्रा की थी.

ऊंट की सवारी और रेत की कलाकारी
उत्तरी गुजरात के कच्छ जिले में दिसंबर में कच्छ कार्निवल मनाया जाता है, जिसे रण उत्सव के रूप में भी जाना जाता है. भारत-पाकिस्तान सीमा पर आयोजित रण उत्सव के दौरान ऊंट की सवारी का लुत्फ लिया जा सकता है. हर साल होने वाले रण उत्सव में हजारों लोग शामिल होते हैं. रण उत्सव की लोकप्रियता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन दिनों तक चलने वाला यह उत्सव अब पूरे महीने आयोजित किया जाता है. इस दौरान कलाकार रेत पर अपनी कला के माध्यम से भारत के इतिहास की झलक पेश करते हैं. पिछले सालों तक कलाकारों ने इस रण उत्सव के दौरान रामायण के पात्रों से लेकर स्वामी विवेकानंद की कच्छ यात्रा तक को चित्रित कर दिखाया है.

हस्तशिल्प के लिए प्रसिद्ध है रण उत्सव
अरब सागर से घिरे रण ऑफ कच्छ का नाम सुनते ही गुजरात राज्य के उस क्षेत्र का चित्र जहन में उभरता है, जहां के निवासी अपनी क्राफ्ट्समैनशिप के अलावा ब्लॉक प्रिंटिंग, पॉटरी, वुड कार्विग तथा मैटल क्राफ्ट के लिए सारी दुनिया में प्रसिद्ध हैं. वैसे तो सैलानियों का तांता तो साल भर लगा रहता है, परन्तु यह क्षेत्र तब और भी जीवंत हो उठता है, जब गुजरात पर्यटन निगम द्वारा आयोजित होने वाला तीन दिवसीय रण उत्सव शुरू होता है. इसका मुख्य उद्देश्य सैलानियों को यहां के लोगों के रहन-सहन और संस्कृति से परिचित कराने के अलावा, आसपास की हस्त शिल्प कला के लिए प्रसिद्ध गांवों में काम करते लोगों से रूबरू कराना है. चांदनी रात में रण के विशाल मैदान में चांदनी रात में चमकती रेत का सौंदर्य देखने का आनंद तो पर्यटकों को अलग सा अनुभव कराता है.

रण उत्सव में आयोजित होने वाले कार्यक्रम
‘रण उत्सव’ में हजारों सैलानियों के पहुंचने से पूरा क्षेत्र जीवंत हो उठता है. भुज से पांच किलोमीटर दूर रण के विशाल मैदान के बीच धोरडो गांव के पास एक विशाल टूरिस्ट कैंप बस जाता है, जहां पर्यटकों को सभी सुविधाओं से युक्त टैंटों में ठहराया जाता है. यहां के मिट्टी के बने कलात्मक घर इतने सुंदर होते हैं कि सैलानी इन घरों को देखकर खुद को इनकी प्रशंसा करने से नहीं रोक पाता.

इस उत्सव में भाग लेने वाले पर्यटकों को पहले दिन ‘भुज’ के पास हमीरसर लेक के किनारे आयोजित कार्निवाल की सैर कराई जाती है, जो यहां की संस्कृति को समझने एवं जानने का बेहतरीन अवसर प्रदान करता है. दूसरे दिन ‘रण सफारी’ का रोमांच तथा चांदनी रात में चमकते दूधिया रण में आयोजित होने वाले लोक संगीत एवं लोक नृत्यों का आनंद उठाते हैं. इन कार्यक्रमों के अलावा हस्तशिल्प के कलाकारों को अपने घरों में काम करते देखना हर सैलानी को बरबस ही अपनी ओर खींच लेता है.

यहां के दर्शनीय स्थलों में ‘ढोलावीरा’ जहां हड़प्पन सभ्यता को दर्शाता है, वहीं धार्मिक स्थलों में भगवान शिव को समर्पित नारायण सरोवर, कोटेश्वर मंदिर, माता नो मांध, थान मोनेस्ट्री तथा लखपत किला प्रसिद्ध हैं. काला डूंगर से रण का दृश्य देखते ही बनता है तथा पहाड़ी स्थित दत्तात्रेय मंदिर से सायंकाल की आरती के बाद पुजारी की आवाज पर सैकड़ों की संख्या में सियारों का दौड़ कर आना पर्यटकों को अचंभित करता है.

कैसे पहुंचे
यहां हवाई सेवा, रेल और सड़क मार्ग से पहुंचा जा सकता है. भुज हवाई सेवा से जुड़ा है तथा देश के प्रमुख शहरों से एयर लाइंस सेवा द्वारा पहुंचा जा सकता है. इसके अलावा भुज देश के प्रमुख रेल नेटवर्क से भी जुडा़ है. जहां तक बात रही सड़क मार्ग से यहां पहुंचने की तो राज्य के प्रमुख शहरों से यहां आसानी से पहुंचा जा सकता है. इस उत्सव का रोमांच इतना है कि सैलानी यहां पैकेज टूर के साथ आते हैं.


 

एडवांस लेकर शादी में घोड़ा नहीं भेजने पर 10 हजार का जुर्माना


एडवांस लेकर शादी में घोड़ा नहीं भेजने पर 10 हजार का जुर्माना 



उपभोक्ता मंच का फैसला   अपनी पुत्री के विवाह के दौरान दूल्हे की स्वागत रस्म के लिए बुक करवाया था घोड़ा , एडवांस में दिए थे सात हजार रुपए फिर भी नहीं पहुंचाया घोड़ा, उपभोक्ता मंच ने लगाया जुर्माना



जालोर विवाह में घोड़ा बुक करने के बाद नहीं ले जाने पर जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष मंच ने घोड़े मालिक को 17 हजार रुपए देने के आदेश दिए हैं।

फैसले के अनुसार आहोर तहसील के मोरू गांव निवासी खंगाराराम पुत्र लच्छाजी जाति मेघवाल ने अपनी पुत्री के विवाह में दूल्हे के स्वागत की रस्म के लिए आहोर तहसील के अगवरी गांव निवासी चूनिया (चूनाराम) पुत्र छोगाजी सरगरा के पास घोड़ा बुक करवाया था। इसके लिए खंगाराराम ने घोड़ा मालिक की ओर से मांगी गई पूरी रकम 7 हजार रुपए एडवांस दे दिए तथा 29 जून 2012 को सुबह 5 बजे घोड़ा लेकर पहुंचने पर सहमति हुई। लेकिन चूनिया (चूनाराम) 7 बजे तक भी घोड़ा लेकर नहीं गया। मोबाइल पर संपर्क करने पर कहा घोड़ा लेकर नहीं आऊंगा तथा फोन बंद कर दिया। उसके बाद खंगाराराम उसके पास गया तो चूनिया ने कहा कि कुछ लोगों ने उसे मना किया है इसलिए वह घोड़ा लेकर नहीं आएगा। एडवांस में दिए पैसे मांगे तो वह भी नहीं दिए। बाद में खंगाराराम को 11 हजार रुपए देकर दूसरे स्थान से घोड़ा मंगवाना पड़ा। इससे परिवादी को मानसिक व आर्थिक क्षति का सामना करना पड़ा।

परिवादी खंगाराम ने चूनिया (चूनाराम)के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के अंतर्गत वाद पेश किया। मंच ने इस मामले को सेवा में त्रुटि मानते हुए घोड़े वाले को आदेश दिए कि वह 18 अप्रैल 2013 से एक माह में एडवांस में लिए 7 हजार रुपए तथा मानसिक क्षति के रूप में प्रार्थी को 10 हजार रुपए अदा करें। यह निर्णय मंच के अध्यक्ष एसआर मेघवंशी, सदस्य अंजू चारण व केशरसिंह राठौड़ के निर्देशन में खुले मंच में सुनाया गया।

चुनावी फायदे के लिए हटाए नियमों के बैरियर


चुनावी फायदे के लिए हटाए नियमों के बैरियर 

जयपुर राज्य सरकार ने चुनावी साल में विभिन्न योजनाओं के माध्यम से 50 लाख से ज्यादा लोगों को सीधे फायदा पहुंचाने की तैयारी कर ली है। पेंशन योजना में सभी प्रमुख राइडर हटाते हुए 20 लाख से ज्यादा लोगों को वृद्धावस्था और विधवा पेंशन देने जा रही है। यह संख्या पांच लाख तक बढ़ सकती है। तीन लाख से ज्यादा छात्रों को आठवीं में टॉप टेन रहने पर 6-6 हजार के चेक और करीब 60 हजार को 8वीं प्रथम रहने पर लैपटॉप दिए जाएंगे। ये लैपटॉप 20 हजार रुपए से ज्यादा कीमत का होगा। एक लाख 17 हजार शहरी बीपीएल को मकान के लिए अब 50 हजार रुपए की जगह 70 हजार रुपए दिए जा रहे हैं। नरेगा में सौ दिन पूरे करने वाले परिवारों, जननी सुरक्षा योजना और शुभ लक्ष्मी में आने वाली महिलाओं और बेटियों को भी इसमें लाभान्वित किया जा रहा है। राजनीतिक और प्रशासनिक हलकों में इन योजनाओं को लेकर भारी चर्चा है।  

ये बैरियर हटाए 

> पहले आय का निर्धारण करने के लिए जमीन का बैरियर था। जो हर जिले में अलग- अलग था। उसे हटा दिया है।

> परिवार में 25 वर्ष से अधिक आयु के पुत्र की शर्त को हटाया।

> एसडीएम और तहसीलदार से प्रमाणित आय प्रमाणपत्र की शर्त।
सामाजिक न्याय विभाग के अनुसार 20 लाख नए लोगों को पेंशन देने जा रही हैं। सरकार ने इसके लिए 1500 करोड़ रुपए का बजट रखा है और ऐसे प्रावधान हटा दिए हैं, जो लोगों को सीधे फायदा पहुंचाने में बाधा बने हुए थे। सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता विभाग के निदेशक अजिताभ शर्माने बताया कि विभाग ने एक जुलाई तक 20 लाख नए लोगों को पेंशन राशि मिलना सुनिश्चित करने के निर्देश दिए हैं। विभाग ने 20 अप्रैल से शुरू पेंशन महाभियान के तहत 29 अप्रैल तक 3 लाख 11 हजार व्यक्तियों को पेंशन स्वीकृत की है। यह विशेष अभियान 31 मई तक चलेगा। इसमें वृद्धावस्था, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा और विशेष योग्यजन पेंशन मौके पर ही स्वीकृत की जा रही है। अजिताभ शर्मा के मुताबिक इन आठ दिनों में 2 हजार 121 शिविर लगे। जिनमें 3 लाख 34 हजार व्यक्तियों के आवेदन मिले। इस दौरान मुख्यमंत्री असहाय पुनर्वास योजना के तहत 325 व्यक्तियों का चयन किया। 

पेंशन के लिए यह शर्त

अधिकारियों के मुताबिक वृद्धावस्था, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा के लिए आय सीमा 48 हजार रु. वार्षिक और विशेष योग्यजन के लिए आय सीमा को 60 हजार रु. वार्षिक रखा है। आय सीमा के लिए आवेदक का खुद और नोटेरी पब्लिक से सत्यापित प्रमाण पत्र मान्य होगा और तहसीलदार के पास जाने वाली पुरानी प्रक्रिया खत्म कर दी गई है। सरकार ने 55 वर्ष से अधिक उम्र की महिला और 58 साल से अधिक के पुरुष को पेंशन के लिए पात्र माना है। इन्हें अब 400 रु. प्रतिमाह की जगह 500 रु. प्रतिमाह पेंशन मिलेगी। इसके साथ ही 75 वर्ष से अधिक व्यक्ति को 750 रु. और दंपत्तियों के लिए 1500 रु. प्रतिमाह पेंशन की व्यवस्था। 

इनके लिए कोई शर्त नहीं 

बीपीएल, स्टेट बीपीएल, आस्था कार्डधारी, अंत्योदय परिवार, सहरिया, कथौड़ी, खैरवा जाति के व्यक्ति बिना किसी शर्त के पेंशन पाने के पात्र हैं। ऐसे बौने जिनकी ऊंचाई साढ़े तीन फीट से कम है वे भी अब विशेष योग्यजन पेंशन पाने के पात्र होंगे। 


मनरेगा में 2100 रुपए की प्रोत्साहन राशि

राज्य सरकार मनरेगा में 100 दिन का रोजगार पूरा कर चुके व्यक्ति को 21 सौ रुपए नकद प्रोत्साहन राशि दे रही है।

आठवीं के 3.22 लाख टॉपर्स को मिलेंगे 6-6 हजार के चैक

राज्य के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा के 3.22 लाख टॉपर्स को टेबलेट-पीसी के लिए 6-6 हजार रुपए के चैक मिलेंगे। कक्षा में दूसरे से 11वें स्थान पर आने वाले ये विद्यार्थी राजीव गांधी डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत यह राशि मिलेगी। स्कूल स्तर पर 14 मई को स्कूल प्रबंध समिति और अभिभावकों के समक्ष समारोह आयोजित कर ये चैक वितरित किए जाएंगे। इसके अलावा आठवीं में पहले स्थान पर रहने वाले करीब 58 हजार विद्यार्थियों को पिछले साल की तरह टेबलेट मिलेंगे।

राजीव गांधी डिजिटल विद्यार्थी योजना के तहत मिलने वाली राशि से छात्र को अपने स्तर पर 30 सितंबर तक टैबलेट-पीसी खरीदना होगा। स्कूल शिक्षा विभाग की ओर से जारी निर्देशों के अनुसार संबंधित विद्यार्थी को 31 अक्टूबर तक खरीद का स्वघोषणा-पत्र देना होगा। सभी जिला शिक्षा अधिकारी ब्लॉक और संभागवार विद्यार्ियों की सूची बनाकर बजट आबंटन सुनिश्चित करेंगे। विभाग की ओर से जिला शिक्षाधिकारियों को चैक वितरण कार्यक्रम आयोजित करने के निर्देश दिए गए हैं। इनकी मॉनीटरिंग कलेक्टर स्तर पर होगी।

इन योजनाओं से भी मिल रहा है

शुभलक्ष्मी योजना

-बालिका के जीवित जन्म होने पर प्रसूता को 2100 रुपए की राशि। यह राशि जननी सुरक्षा योजना के अलावा मिलेगी। बालिका की उम्र एक साल पूरी होने तथा सभी टीके लगवाने पर 2100 रुपए की अतिरिक्त राशि मिलेगी। बालिका की उम्र 5 साल होने तथा स्कूल में प्रवेश लेने पर तीसरे लाभ के तहत महिला को 3100 रुपए की राशि मिलेगी।

जननी सुरक्षा योजना

संस्थागत प्रसव पर शहरी क्षेत्र की महिलाओं को एक हजार रुपए। ग्रामीण क्षेत्र की महिलाओं को 1400 रुपए। घर से आने-जाने का किराया।

15 लाख पेंशनधारकों के घर पहुंचेगा मुख्यमंत्री का आत्मिक संदेश

- पेंशन के आर्डर के साथ ही मुख्यमंत्री का हस्ताक्षरित पत्र भी हर व्यक्तिको मिलेगा।

- पहले चरण में सरकार ने छपवाए 4 लाख आत्मिक संदेश के पत्र।

प्रदेश में 15 लाख लोग से अधिक लोगों को पेंशन आर्डर के साथ ही लोगों को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का आत्मिक संदेश भी मिलेगा। इसमें वृद्ध, विधवा और विशेष योग्यजन को मुख्यमंत्री बीपीएल जीवन रक्षा कोष के अंतर्गत गंभीर बीमारियों को मुफ्त इलाज, मुख्यमंत्री निशुल्क दवा योजना, मुख्यमंत्री निशुल्क जांच योजना और मुख्यमंत्री असहाय पुनर्वास योजना के बारे में सरकार के प्रयास से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही गहलोत ने सामाजिक उत्थान और कल्याण की सभी योजनाओं को लागू करना सरकार का कत्र्तव्य बताया है।

यह पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय की तरफ से भेजे जा रहे हैं। पहले चरण में 4 लाख आत्मिक संदेश प्रिंट करवाएं हैं। यह आत्मिक संदेश पेंशन स्वीकृत होने के बाद भुगतान आदेश के साथ मिलेगा।

लुभावनी योजनाएं

राज्य सरकार कई योजनाओं में नियम आसान कर देगी 50 लाख लोगों को सीधा फायदा

28 साल से पाक जेल में बंद भगू के परिजन भी चिंतित

28 साल से पाक जेल में बंद भगू के परिजन भी चिंतित


कलेक्टर से पति की खैर खबर जानने लक्ष्मी बेटे व बेटी के साथ पहुंची 




 बाड़मेर  
पाक के लाहौर की कोट लखपतराय जेल में सरबजीत पर हुए जानलेवा हमले के बाद बाड़मेर के धनाऊ गांव के लोग भी मायूस हैं और चिंता में डूबे हैं। इस गांव का एक लाड़ला भगूसिंह भी पिछले 28 सालों से पाक की लखपत जेल में बंद है। सरबजीत की खबरें सुनकर ही भगूसिंह की पत्नी लक्षमी का बुरा हाल हो रहा है। वह हर दिन अपने पिया मिलन की आस में गुजारती है। लक्ष्मी कहतीं हैं कि अब हर दिन ईश्वर से प्रार्थना करती हूं कि मेरे पति की रक्षा करें। लंबे अर्से से रिहाई की उम्मीद कर रहे भगूसिंह के परिजनों की भी बैचनी बढ़ गई है कि परिवार का मुखिया पाक जेल में किस हाल में है। पति की खैर खबर जानने के लिए लक्ष्मी अपनी बेटी व बेटे के साथ मंगलवार को कलेक्टर के पास पहुंच गई। बिछोह की दास्तां सुनाते हुए लक्षमी की आंखें नम हो गई। मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन कलेक्टर को सौंपकर पाक जेल में बंद पति की रिहाई की मांग रखी। धनाऊ गांव निवासी भगूसिंह वर्ष 1985 में भारत-पाक सीमा के पास भेड़ बकरियां चराने गया था। भूलवश पाक सीमा में घुसने पर पाक रेंजर्स ने भगूसिंह को शक के आधार पर पकड़ कर जेल में डाल दिया। पति को खोने के बाद लक्ष्मी अकेली रह गई। दो बेटे व एक बेटी के पालन पोषण के साथ घर की पूरी जिम्मेदारी अकेली अबला पर आ गई। विकट हालात में उसने हिम्मत नहीं हारी। पति की रिहाई की उम्मीद के साथ जिंदगी का संघर्ष जारी रखा। बीते दिनों पाक की लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर हुए हमले के समाचार मिलने के बाद परिवार के सदस्यों की चिंताएं बढ़ गई। लक्ष्मी कंवर बताती है कि पाक की जेल में ही उसका पति भगूसिंह कैद है। वे किस हाल में है इस बारे में कोई खैर खबर नहीं है। इस बारे में पता लगाने के लिए कलेक्टर से मिलकर मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है। कहीं से उसके पति की खैर खबर मिल जाए तो मन को सुकून मिल जाए। अर्जुन सोढ़ा ने बताया कि जब पिता पाक चले गए थे, तब वे छोटे थे। पिता का चेहरा तक उन्हें याद नहीं है। पुराने फोटो देखकर ही पिता की याद सलामत होती है। 

रिफाइनरी पर अब तय होगा मुआवजा

रिफाइनरी पर अब तय होगा मुआवजा

बाड़मेर। बाड़मेर जिला प्रशासन ने रिफाइनरी के लिए 9976 बीघा जमीन अवाप्ति के तीनों फेज की सुनवाई का अंतिम काम मंगलवार को पूरा कर लिया। प्रशासन अब अवार्ड जारी करने के लिए संभवत: बुधवार को रिपोर्ट राज्य सरकार को भेज देगा। सरकार को किसानों से बात कर मुआवजा तय करना होगा। इसके बाद अवार्ड जारी होंगे।


बाड़मेर प्रशासन के अफसरों के मुताबिक जमीन के दो फेज की आपत्तियों की सुनवाई का काम पहले ही पूरा किया जा चुका था। मंगलवार को तीसरे फेज की अंतिम सुनवाई थी, लेकिन सुनवाई के दौरान प्रभावित किसानों ने कोई आपत्ति दर्ज नहीं कराई। ऎसे में जमीन अवाप्ति की धारा 9 के तहत सुनवाई का काम पूरा कर मंगलवार शाम सरकार को सूचना दे दी गई। यह काम पूरा होने से प्रशासन व राज्य सरकार ने राहत की सांस ली है।



एक बीघा के मांगे एक करोड़ रूपए
रिफाइनरी के लिए जमीन देने के एवज में किसानों ने एक करोड़ रूपए बीघा का मुआवजा मांगा है। इसके अलावा रॉयल्टी सहित अन्य कई मांगें सरकार के सामने रखी हैं। किसानों से वार्ता के लिए संभागीय आयुक्त जोधपुर की अध्यक्षता में कमेटी बनाई गई है। लेकिन कमेटी की अभी बैठक नहीं हुई है। संभागीय आयुक्त स्तर पर मुआवजा को लेकर समझौता न हुआ तो राज्य की उच्चाधिकार प्राप्त कमेटी फैसला लेगी।

अगला कदम
जमीन अवाप्ति को लेकर जिला प्रशासन की कार्रवाई पूरी हो चुकी है। जानकारों की मानें तो किसानों को मुआवजे के लिए रिकॉर्ड दर्ज करने का काम अंतिम चरण में है। अब सरकार व किसानों के बीच मुआवजा दरें तय होनी हैं। इसके साथ अवार्ड जारी कर जमीन का कब्जा लेने का काम शुरू होगा।

खाली है जमीन
मौके पर पूरी जमीन लगभग खाली पड़ी है। ऎसे में कब्जा लेने की सिर्फ कागजी कार्रवाई ही करनी होगी। इसके तत्काल बाद रिफाइनरी निर्माण का काम किसी भी वक्त शुरू किया जा सकेगा। उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार जून में रिफाइनरी के शिलान्यास की तैयारी में है।