मंगलवार, 1 जनवरी 2013

राजस्थान के लिए अगले छह माह अपूर्व चिकित्सा क्रांति के होंगे - डॉ. राजकुमार शर्मा


राजस्थान के लिए अगले छह माह अपूर्व चिकित्सा क्रांति के होंगे - डॉ. राजकुमार शर्मा
चिकित्सा राज्यमंत्री ने जैसलमेर में आयुर्वेद भवन का लोकार्पण किया
       
जैसलमेरएक जनवरी/परिवार कल्याणआयुर्वेद एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री डॉ.राजकुमार शर्मा ने कहा है कि राजस्थान सरकार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं में बेहतरी और जरूरतमन्दों को लाभान्वित करने के लिए जो ऎतिहासिक काम कर रही है उन्होंने अगाध जन विश्वास कायम करते हुए कीर्तिमान स्थापित किये हैं। राज्य सरकार चिकित्सा एवं स्वास्थ्य के क्षेत्र में आने वाले छह माहों में जो काम करने जा रही है वे प्रदेश में अपूर्व चिकित्सा क्रांति दर्शाने वाले होंगे।
       चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा ने जैसलमेर दौरे के दूसरे दिन मंगलवार को यहाँ गांधी कॉलोनी में राजकीय अ श्रेणी आयुर्वेदिक चिकित्सालय के नवनिर्मित भवन के उद्घाटन समारोह में उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए यह बात कही।
       समारोह की अध्यक्षता जिलाप्रमुख अब्दुला फकीर ने की जबकि जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटीपोकरण विधायक शाले मोहम्मदनगर विकास न्यास के अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवरनगर परिषद के सभापति अशोकसिंह तंवरपूर्व विधायक गोवद्र्धन कल्लाप्रधान मूलाराम चौधरी एवं श्रीमती लक्ष्मी कंवरआयुर्वेद विभाग के उप निदेशक रामगोपाल गुप्ता आदि विशिष्ट अतिथि थे।
      नए साल का तोहफा है आयुर्वेद चिकित्सा भवन
       चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा ने फीता काट कर तथा पट्टिका का अनावरण कर लोकार्पण किया। इसके निर्माण पर 37.50 लाख रुपए की लागत आयी है। जैसलमेर में सन 1960 से आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना के बाद से ही यह किराये के भवन मेें संचालित होता रहा। सन् 2013 की पहली को चिकित्सालय के लिए नवीन भवन जैसलमेरवासियों के लिए सरकार का तोहफा सिद्ध हुआ है।
      परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के विकास पर जोर
       चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. शर्मा ने कहा कि आयुर्वेद सहित प्रदेश की परंपरागत चिकित्सा पद्धतियों के उन्नयन के लिए राज्य सरकार पूरे प्रयास कर रही है और आयुर्वेद निदेशालय तथा विश्वविद्यालय की स्थापना भी इस दिशा में महत्वपूर्ण कदम है।
       प्रदेश में 25 हजार चिकित्साकर्मियों की भर्ती
       राजस्थान में चिकित्सा सेवाओंसंसाधनों एवं सुविधाओं के विस्तार की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि होली से पूर्व 25 हजार चिकित्साकर्मियों की भर्ती की जाएगी। उन्होंने कहा कि प्रदेश में ग्राम्यांचलों में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार के लिए सरकार व्यापक प्रयास कर रही है और आने वाले छह माह में प्रदेश में तीन हजार उप केन्द्र स्थापित किए जाएंगे। इनमें से प्रत्येक के लिए पन्द्रह लाख रुपए की धनराशि स्वीकृत की जाएगी। उन्होंने जानकारी  दी कि जैसलमेर जिले में 12 उप केन्द्रों की मंजूरी दी जा चुकी है जबकि 40 नए उप केन्द्र एक महीने में ही स्वीकृत होंगे।
      स्वास्थ्य योजनाओं ने पायी आशातीत सफलता
       डॉ. शर्मा ने प्रदेश में मुख्यमंत्री निःशुल्क दवा योजना की आशातीत सफलता का जिक्र किया और कहा कि सरकार ने आम आदमी के लिए जो योजनाएं शुरू की हैं उनका बेहतर प्रभाव सामने आ रहा है और आने वाले समय में लोक कल्याण की और योजनाओं को भी मूर्त रूप दिया जाएगा। इसी प्रकार प्रदेश में 30 वर्ष बाद अब दवा स्टोर के लिए फार्मासिस्ट की भर्ती की जा रही है।
      समग्र विकास की डगर पर जैसलमेर
       अध्यक्षीय भाषण में जिलाप्रमुख अब्दुला फकीर ने जैसलमेर जिले के समग्र विकास पर प्रकाश डाला और कहा कि पांच सौ शिक्षकों की उपलब्धता के बाद अब जैसलमेर जिले में एक भी स्कूल ऎसा नहीं है जहां शिक्षक  न हो।
      आयुर्वेद से जन-जन को जोड़ें
       पोकरण विधायक शाले मोहम्मद ने आयुर्वेद चिकित्सकों एवं आयुर्वेदकर्मियों से आयुर्वेद के व्यापक प्रचार-प्रसार और सेवा भावना से मरीजों की सेवा का आह्वान किया और कहा कि वे इस पद्धति के बारे में जनता को प्रेरित करें ताकि आयुर्वेद और जनता का जुड़ाव और अधिक मजबूती पा सके। उन्हाेंंने बताया कि जिले में गांव-गांव चिकित्सा सुविधाओं का व्यापक विस्तार हुआ है और इसके अच्छे परिणाम सामने आ रहे हैं।
      दूरस्थ क्षेत्रों पर खास ध्यान जरूरी
       जैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटी ने काफी विस्तार में पसरे हुए तथा भौगोलिक दृष्टि से विषम परिस्थितियों वाले जैसलमेर जिले में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाआेंं को और अधिक प्रभावी बनाने तथा दूरस्थ क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने का आग्रह किया।
      सरकार की उपलब्धियां ऎतिहासिक
       अपने उद्बोधन में नगर विकास न्यास के अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवरनगर परिषद के सभापति अशोकसिंह तंवर तथा प्रधान मूलाराम चौधरी ने  उपस्थितजनों को नव वर्ष की शुभकामनाएं देते हुए प्रदेश सरकार की उपलब्धियों का बखान किया और इनका लाभ जन-जन तक पहुंचाने के लिए समर्पित प्रयासों पर जोर दिया।
आरंभ में आयुर्वेद विभाग के उप निदेशक डॉ. रामगोपाल गुप्ता ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया।
      अतिथियों का भावभीना स्वागत
       समारोह में सभी अतिथियों का साफों व पुष्पहारों से स्वागत जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. गजेन्द्रप्रसाद शर्मामुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आनंदगोपाल पुरोहित,डॉ. अनिरूद्ध गौतमडॉ. हेमेन्द्र कल्लाप्रमुख चिकित्सा अधिकारी डॉ. डी.डी. ख्िंाचीडॉ. रोशनलाल शर्माडॉ. द्वारिकाप्रसाद शर्माडॉ. चंपा सोलंकीपूर्व आयुर्वेद अधिकारी डॉ. मदनमोहन पालीवालउम्मेदसिंह भाटीपेंपाराम चौधरी आदि ने किया। सम प्रधान का शाल ओढ़ायी गई।
       समारोह का संचालन डॉ. रामनरेश शर्मा एवं शांतिलाल शर्मा ने किया जबकि आभार प्रदर्शन की रस्म जिला आयुर्वेद अधिकारी डॉ. गजेन्द्रप्रसाद शर्मा ने अदा की। समारोह में आयुर्वेद विभाग के सहायक निदेशक डॉ. श्रीभानसिंह गुर्जरजिलाधिकारीगणपूर्व पालिकाध्यक्ष सुमार खांसमाजसेवी शंकर मालीदेवकाराम मालीचन्द्रशेखर पुरोहितमानसिंह देवड़ा,जितेन्द्रसिंह सिसोदियाशेराराम जेठवाईखट्टन खांपवन सुदाप्रेम भार्गवग्रामीण एवं शहरी नागरिकप्रबुद्धजन तथा चिकित्सास्वास्थ्य एवं आयुर्वेदकर्मी उपस्थित थे।
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नाचना एवं जैसलमेर के लिए एंबुलेंस का लोकार्पण किया चिकित्सा राज्यमंत्री ने
       जैसलमेर, 1 जनवरी/चिकित्सा राज्यमंत्री डॉ. राजकुमार शर्मा ने आयुर्वेद चिकित्सालय भवन के उद्घाटन से पूर्व चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग की ओर से नाचना तथा श्री जवाहिर अस्पताल जैसलमेर के लिए आवंटित एंबुलेंस का लोकार्पण किया और दोनों एंबुलेंस को हरी झण्डी दिखाकर रवाना किया।
       इस अवसर पर जिलाप्रमुख अब्दुला फकीरजैसलमेर विधायक छोटूसिंह भाटीपोकरण विधायक शाले मोहम्मदनगर विकास न्यास के अध्यक्ष उम्मेदसिंह तंवरनगर परिषद के सभापति अशोकसिंह तंवरपूर्व विधायक गोवद्र्धन कल्लाप्रधान मूलाराम चौधरी एवं श्रीमती लक्ष्मी कंवर सहित कई जन प्रतिनिधिगणचिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभागीय अधिकारीगण तथा गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

कच्छ सीमा पर पकड़ा गया जासूस बाज



कच्छ सीमा पर पकड़ा गया जासूस बाज
बाड़मेर राजस्थान गुजरात फ्रंटीयर के सीमा सुरक्षा बल के जवानों ने गुजरात के कच्छ जिले में एक जासूस बाज पकड़ा है।

बीएसएफ के उप महा निरीक्षक एके सिन्हा ने मंगलवार को बताया कि जासूसी कर रहा यह बाज सोमवार रात कच्छ जिले में भारत पाकिस्तान सीमा पर वीघा कोट आउटपोस्ट से पकड़ा गया। उन्होंने बताया कि इस बाज की एक टांग पर ट्रांसमीटर लगा है। बाज को अंतरराष्ट्रीय सीमा के नजदीक पिलर संख्या 1111 पर पकड़ा गया।

उन्होंने बताया कि इस पर लगे ट्रांसमीटर और एंटिना को आगे की जांच पडताल के लिए अपराध जांच शाखा को भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि सतर्कता विभाग भी इसकी जांच कर रहा है कि बाज का इस्तेमाल जासूसी के लिए किया गया अथवा इसे किसी और मकसद से यहां भेजा गया है।

वर्ष 2008 में कच्छ के झकाऊ पोस्ट में भी इसी तरह के एक बाज को पकड़ा गया था। बाज 15 हजार फुट की ऊंचाई तक उड़ सकता है और दुश्मन देश जासूसी के लिए इसका खूब इस्तेमाल करते हैं। मुंबई पर हमला करने आए आतंकवादियों ने रास्ता खोजने के लिए एक बाज़ की मदद ली थी। राजस्थान पुलिस ने बीएसएफ की मदद से एक बाज़ को पकड़ा था, जिसके पंखों पर ट्रांसमिटर लगाथा।
सूत्र बताते हैं कि यह एक ट्रेन्ड बाज़था। इस तरह के बाज़ की कीमत लाखों रुपये तक हो सकती है। ये बाज़ सऊदी अरब के शाही परिवारों के पास पाए जाते हैं। बताया जाता है कि इन शाही परिवारों के कुछ लोग आजकल पाकिस्तान में पक्षियों के शिकार पर आए हुए हैं। ये शिकारी साइबेरियन क्रेन जैसे दुर्लभ पक्षियों के शिकार के लिए इन ट्रेन्ड बाज़ों का इस्तेमाल करते हैं।

जब इस बाज़ को इलाके में देखा गया तो यही समझा गया कि दहशत फैलाने के लिए बॉर्डर के उस पार से किसी ने कैमरा वगैरह लगाकर इस बाज़ को छोड़ दिया है। लेकिन जब इसे पकड़ा गया और ध्यान से देखा गया तो पता चला कि इस बाज़ के पंखों में बैटरी से चलने वाला एक ट्रांसमिटर और एक ऐंटीना भी लगा था।

नवल के आईएएस बनने पर रैगर समाज में खुशी

नवल के आईएएस बनने पर रैगर समाज में खुशी
मारवाड़ के प्रथम रैंगर आईएएस हैं नवल

बाड़मेर 1 जनवरी। राज्य सरकार ने एक आदेश जारी कर आरएएस बी एल नवल को पदोन्नति कर आईएएस बनाने पर रैंगर समाज मे खुशी की लहर छा गई हैं। अखिल भारतीय रैगर महासभा युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश जाटोल ने बताया कि पूरे मारवाड़ में नवल प्रथम रैगर समाज के आईएएस बने हैं। उनकी पदोन्नति होने पर रैगर समाज में खुशी की लहर छा गई हैं। नवल बाड़मेर में अतिरिक्त जिला कलेक्टर और अतिरिक्त मुख्य कार्य करी अधिकारी के पद पर अपनी सेवाए दे चुके हें .
इस दौरान जटिया समाज के अध्यक्ष मोहनलाल गोसाईवाल, अनुसूचित जाति कांग्रेस के प्रदेश सचिव छगनलाल जाटव, पूर्व पार्षद बस्तीराम बांकोलिया, जलदाय विभाग बाड़मेर के अधिशाषी अधिकारी बी एल जाटोल, अखिल भारतीय रैगर महासभा युवा प्रकोष्ठ के प्रदेश उपाध्यक्ष सुरेश जाटोल, जटिया समाज के महामंत्री भेरूसिंह फुलवारिया, भाजपा अनुसूचित जाति मोर्चा के जिलाध्यक्ष मोहन कुर्डिया अखिल भारतीय रैगर महासभा युवा प्रकोष्ठ के जिलाध्यक्ष ईश्वरचंद नवल, पूर्व जटिया समाज अध्यक्ष विरमचंद मौर्या, धोरीमन्ना ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष दिनेश कुलदीप, मजूदर नेता लक्ष्मण वडेरा, चंदन जाटोल, पदम गोसाई, श्यामलाल सुवांसिया, समाज सेवी नाथूलाल चौहान, प्रेम आनंद फुलवारिया, ओम गोसाई, पार्षद रमेश मोसलपुरिया, लक्ष्मण कुर्डिया, गोविन्द जाटोलिया, रमेश मौर्या सहित रैगर समाज के सैकड़ो लोगो ने खुशी जाहिर की।

बाड़मेर में जल चेतना की पेश हुई नई नजीर

जमी से आसमान तक जल चेतना की बात
बाड़मेर में जल चेतना की पेश हुई नई नजीर
ख़ास रहे जनजागरण के कई कार्यक्रम बाड़मेर , राजस्थान में सरकार द्वारा राज्य भर में आम जनता में मुलभुत सुविधाओ के विस्तार के लिए जहा आतिशी प्रयाश किये जा रहे है वही आम जनता में सरकार द्वारा दी जा रही सुविधाओ के प्रति आम जनमानस के दिल से जुडाव के लिए भी कई प्रयाश किये जा रहे है .सरकार द्वारा जहा रेतीले इलाके के अंतिम छोर पर स्थित गावो तक पेयजल पहुचाने का आतिशी प्रयाश किये गये हे साथ ही पानी बचने की ख़ास मुहीम को धी धरातल पर उतरा जा रहा है . रेतीले बाड़मेर में जल चेतना की और आम जनता में पानी बचाने की मुहीम की सफलता की नई इबारत लिखी नजर आ रही है . एक तरफ बाड़मेर में बरसो से प्यासी धरती में हिमालय का पानी मुस्कान का नया आधार बन रहा है वही सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा बीते डेढ़ साल में जो जो जन चेतना के काम किये गए वह न केवल आम जनता में चेतना की नई बात कहते नजर आ रहे हे वही सीसीडीयू के आई ई सी अनुभाग द्वारा जल जन चेतना के लिए नवाचारो को राज्य स्तर पर सराहा गया है . बाड़मेर की धरा ने जहा बीते डेढ़ साल में सीसीडीयू के माध्यम से कई ख़ास कार्यक्रमों को धरा पर देखा है . इन कार्यक्रमों में जहा प्रशसनिक अधिकारियो की भागीदारी ख़ास नजर आई वही जनता की आवाज कहे जाने वाले जनप्रतिनिधी का साथ देखते ही बनता नजर आया . सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा किये गए कार्यो में जहा स्कूली विधार्थियों का अपना ख़ास लक्ष्य बनाये रखा वही ग्रामीण इलाको में आयोजित कई कार्यक्रम आयोजित किये गए . हर ब्लाक पर आयोजित विभिन्न कार्यशालाए भी सीसीडीयू के जल चेतना कार्यक्रमों को सार्थक करती नजर आई . जानकारी के मुताबित पानी की एक-एक बूंद की कीमत को समझना आज की सबसे बड़ी आवश्यकता है और इसी बात को आम अवाम तक पहुचाने के लिए सीसीडीयू की टीम ने बाड़मेर के सदूर सरहदी इलाके में बसे लोगो तक अपनी जनजागरण की बात को पहुचाया है . बाड़मेर में सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग में कंसल्टेंट पद पर कार्यरत अशोक सिंह द्वारा अब तक जहा दो दर्जन से अधिक अलग -अलग कार्यक्रमों के माध्यम से बाड़मेर में जल चेतना की जोत जगा राखी है। प्राप्त जानकारी के मुताबित देश के अधिकांश शहरों में अत्यधिक दोहन के कारण भूमिगत जलस्तर तो तेजी से घट ही रहा है, नदी, तालाब, झीलें आदि भी प्रदूषण, लापरवाही व उपेक्षा के शिकार रहे हैं। नदी जल बंटवारे या बांध व नहर से पानी छोड़े जाने को लेकर प्राय: शहरों का अन्य पड़ोसी क्षेत्रों से तनाव बना रहता है। शहरों के भीतर भी जल का असमान वितरण सामान्य है। जहां कुछ इलाकों में बूंद–बूंद पानी के लिए हाहाकार रहता है, वहीं बढ़ती विलासिता और बढ़ते औघोगीकरण में पानी की बेइंतहा बर्बादी भी होती है इन बातो को सरकार आम जनता में समझाना और बताना चाहती है जिसमे बाड़मेर में सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग का काम न केवल काबिल-ए-गोर बल्कि काबिल-ए- तारीफ है . मक्र्शक्रंती पर चेतना पतंगों का वितरण , होली पर हर शपथ एक प्रण , शिवरात्रि पर हर दस्तखत एक शपथ कार्यकर्म , सीसीडीयू के आईईसी पोस्टरों का वितरण , जल दिवश , पर्यावरण सप्ताह का आयोजन , प्रथ्वी दिवश , पति पर्ण भरी पोस्टकार्ड अभियान ,अभियांत्रिकी दिवस आयोजन , नवरात्रा में दीपदान , स्कुल रेली , लोक कलाकारों की रेली , विधाल्यी आयोजन , गाँधी चित्र प्रदशनी , जन चेतना पोस्टर प्रदशनी सहित दो दर्जन से अधिक आयोजन बाड़मेर के सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा आयोअजित किये गये . इन आयोजनों में इस बात को प्रमुखता से रखा गया की जल ही जीवन है। वाकई पानी के बिना जिंदगी की कल्पना भी नहीं की जा सकती, लेकिन अफसोस की बात यह है कि जहां एक तरफ करोड़ों लोग बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं, वहीं इतने ही लोग जरूरत से ज्यादा पानी का इस्तेमाल करके इसे बर्बाद करने पर आमादा हैं। जब हम पानी पैदा नहीं कर सकते तो फिर हमें इसे बर्बाद करने का क्या हक है? पानी की बर्बादी के हजारों बहाने हैं, लेकिन कड़वी सच्चाई यह है कि आज दुनिया पीने के पानी के लिए तरस रही है। ऐसे में आज जरूरत हें हर किसी को पानी के बचाव और पानी के लिए आवाज बुलंद करने की जरूरत आज की जरूरत है .सरकार द्वारा जहा राज्य भर में पानी की गुणवता और आम अवाम में शुद्ध पानी पहुचने के लिए आतिशी प्रयास किये जा रहे हे वही सदूर अंतिम गाव से लेकर शहर की हर गली तक पानी की शुद्धता के लिए सजग रहने के लिए हर किसी को कदम बढ़ने की जरूरत है .इसी सजगता को बढ़ाने के लिए बाड़मेर जिले में अब तक कई जन जागरण के कार्यक्रमों का आयोजन किया जा चुका है और सीसीडीयू के आईईसी अनुभाग द्वारा किये गये अब तक के आयोजन सही मायने में बाड़मेर के सच्चे प्रयासों को इस धरा पर रखते नजर आते है .

मुनाबाव की सुरक्षा सी सु बल की महिला बटालियन को


गुजरात बीएसएफ को मिली महिला बटालियन की मंज़ूरी

मुनाबाव की सुरक्षा सी सु बल की महिला बटालियन को


बाड़मेर रक्षा मंत्रालय ने सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) की गुजरात फ्रंटियर को राजस्थान की भारत-पाकिस्तान सीमा पर स्थित मुनाबाव रेलवे स्टेशन की सुरक्षा के लिए महिलाकर्मियों की बटालियन तैनात करने की मंज़ूरी दे दी है.वाघा बॉर्डर पर सीमा सुरक्षा बल के तैनातगी पूर्व में हो चुकी हें ,बाड़मेर जिले से गुजरात के कच्छ रण तक फेली अंतर्राष्ट्रीय सरहद की हिफाज़त के लिए एक सौ महिला सैनिको की एक टुकड़ी फिलहाल मुनाबाव में स्थापित की जायेगी जो मुनाबाव सरहद की हिफाज़त में अपना योगदान देगी .सूत्रों ने बताया की मुनाबाव रेलवे स्टेशन सहित सीमा सुरक्षा बल की अग्रीम चौकिय की हिफाज़त की जिम्मेदारी इन्हें सौंपी जायेगी .


महिलाएं आज भले ही हर क्षेत्र में उंची तनख्वाह और उंचे ओहदे पर काम कर रही हैं। लेकिन अभी कुछ क्षेत्र ऐसे हैं, जहां महिलाओं को ये कह कर मना किया जाता है कि उनके प्रजनन से संसाधन का अपव्यय होगा। जी हां हम आज बात कर रहे हैं, सुखोइ विमान उड़ाने पर वायु सेना के उपाध्यक्ष एयर पी. के. बारबोरा के बयान पर। उन्होंने कहा कि महिलाओं के परिवार बढ़ाने की क्षमता के कारण फाइटर पायलट के प्रि’ाक्षण पर किए जाने वाले समय और खचZ का अपव्यय होगा। आज पूर्व राष्ट्रपति प्रतिभी देवी सिंह पाटिल ने भी सुखोई में उड़ान भर कर ये साबित करने की कोशिश की है की महिलाये किसी से कम नही हैं..

महिलाओं को बराबर का हक दिलाने की बात करने से कुछ नहीं होगा। महिलाएं हर क्षेत्र में अपनी सेवा को जिम्मेदारी के साथ निभा रही हैं। वायुसेना में भी महिलाएं काम कर रही हैं लेकिन सिफZ प्रजनन के कारण अगर उसे फाइटर पायलट के रूप में स्वीकार नहीं किया जा सकता, अगर किसी लड़की में एक फाइटर पायलट बनने के सभी गुण मौजूद हैं तो उसे रूका नहीं जाना चाहिए।
माना कि एक फाइटर पायलट के प्रि’ाक्षण पर लगभग 11 करोड़ रुपये का खचZ आता है। ये आधार बिल्कुल ठीक नहीं है कि बच्चे को जन्म देने के लिए महिलाएं एक साल तक सुखोइZ नहीं उड़ा पाती जिससे समय का अपव्यय होता है। अगर ऐसा है तो महिलाओं को कोइZ काम नहीं करना चाहिए। अंतरिक्ष यात्री, पुलिस सेवा और सेना, ये कुछ ऐसी सेवाएं हैं जहां महिलाओं को काफी ‘ाारीरिक श्रम करना पड़ता है। लेकिन वे अपनी भूमिका का बेहतर तरीके से निभा रही हैं।
भारत में अभी तक सेना में महिलाओं की संख्या और दे’ाों की तुलना में काफी कम है।

महिलाएं हर क्षेत्र में सर्वोच्च पदों पर आसीन हैं, लेकिन सेना जैसे क्षेत्र में उनकी उपस्थिति बहुत कम है। अभी तक सेना में महिलाओं को केवल प्रशासनिक पदों पर नियुक्त किया गया है। उन्हें युद्ध से अलग रखा गया है। हाल ही में सीमा सुरक्षा बल ने महिला बटालियन को भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया, तो इस बहस ने जोर पकड़ लिया कि क्या महिलाओं को युद्ध क्षेत्र जाने दिया जाना चाहिए?
महिलाओं की युद्ध क्षेत्र से दूरी को उचित बताने वाले लोगों का तर्क है कि प्रकृति के अनुसार महिलाएं युद्ध के लिए पूरी तरह सक्षम नहीं हैं। उनमें पुरुषों जैसी शारीरिक शक्ति का अभाव है। सबसे पहले महिलाओं को डॉक्टर के पदों पर 1943 और नर्सों के रूप में 1927 में शामिल किया गया। 1992 के बाद शोर्ट सर्विस कमीशन के माध्यम से उन्हें युद्ध से अलग अधिकारी पदों पर नियुक्ति दी गई । इसके बाद महिलाओं के लिए सेना के शिक्षा, कानून, सिगनल, इंजीनियरिंग, तकनीकी और खुफिया विभागों का दरवाजा खुला। भारतीय सेना में अभी 2.44 प्रतिशत, नेवी में 3 प्रतिशत और वायुसेना में 6.7 प्रतिशत महिलाएं कार्यरत हैं। वर्तमान में इंडियन नेवी में 258 महिला अधिकारी हैं। ओम्र्ड फ़ोर्स मेडिकल सर्विस में 752 महिला चिकित्सा अधिकारी हैं। जिसमें 86 महिला दंत चिकित्सा और 2,834 महिला नर्सिंग सेवा में कार्यरत हैं।
अगर विदेशों की बात की जाए तो वहां की सेनाओं में महिलाओं की संख्या काफी अधिक है। अमेरिका में लगभग 2 लाख महिलाएं अमेरिकी सेना में हैं, जो अमेरिकी सेना का 20 प्रतिशत के बराबर है। इनमें से कई महिलाएं इराक में तैनात हैं। इस्राइली सेना में भी महिलाओं की संख्या कम नहीं है। लेकिन उन्हें युद्ध क्षेत्र में नहीं भेजा जाता। बि्रटेन में महिलाओं को 1990 में शामिल किया गया। यहां की सेना की तीनों कमानों में लगभग 2 लाख महिलाएं कार्यरत हैं। कनाडा की सेना में महिलाओं की संख्या 13 प्रतिशत है। इसमें सेना के द्वारा लिए जाने वाले फैसलें में भी महिलाएं अपनी भूमिका निभाती हैं। रूस और आस्ट्रेलिया जैसे देशों में भी महिलाओं को युद्ध भूमि से दूर रखा गया है। कई इस्लामिक देशों में भी महिलाओं का सेना में प्रवेश वर्जित किया गया है।

इसके पीछे कई कारण गिनाए जाते हैं। महिलाओं को सेना में कई प्रकार की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जिसमे मनोवैज्ञानिक और शारीरिक कारण प्रमुख हैं। हालांकि विषम परिस्थितियों में अपने परिवार से दूर रहने वाले पुरूश भी कई बार इन समस्याओं से दो-चार होते हैं लेकिन उनकी तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता। हर बार औरतों को यह एहसास कराया जाता है कि वह स्त्री है इसीलिए वह कोई काम नहीं कर सकती। यही वजह है कि आज महिलाओ ने अपनी काबलियत और अपनी बुद्धमिता साबित कर दी है। जहां तक शारीरिक ताकत की बात है तो बंदूक से गोली चलाने के लिए शारीरिक ताकत से ज्यादा दिल और दिमाग से मजबूत होना ज्यादा जरूरी है। महिलाओं को युद्ध क्षेत्र से दूर रखने को कई लोग तर्क रूप बताते हैं, इनमें ज्यादातर वैसे लोग होते है, जो महिलाओं को आज भी घर की चारदीवारी में रखना चाहते हैं। महिलाओं की शादी को भी सेना की नौकरी के लिए एक रूकावट माना जाता है। लेकिन वैसे तो किसी भी नौकरी में शादी को रूकावट के रूप में ही देखा जाता है।
प्राचीन काल से ही सेना पर पुरुषों का प्रभाव रहा है। झांसी की रानी लक्ष्मी बाई ने अपनी रियासत के लिए अंग्रेजों के खिलाफ तलवार उठा ली थी। हाल ही में भारतीय सेना में भी महिलाओं को सबसे संवेदनशील भारत-पाकिस्तान की सीमा पर तैनात किया गया है। इसे भारतीय सेना में एक अभूतपूर्व कदम माना जा रहा है। यह साबित करता है कि धीरे धीरे ही सही अब सेना में भी उनकी भागीदारी को अहम माना जा रहा है। अगर यह दौर इसी तरह चलता रहा तो वह दिन दूर नहीं होगा जब भारतीय सेनाओं में महिलाएं भी पुरुषों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलेंगी।