रविवार, 2 दिसंबर 2012

बाड़मेर अवैध डोडा पोस्त से भरा ट्रक ट्रर्बो जब्त सतर क्विंटल डोडा बरामद

अवैध डोडा पोस्त से भरा ट्रक ट्रर्बो जब्त सतर क्विंटल डोडा बरामद


बाड़मेर बाड़मेर जिले के बालोतरा थाना क्षेत्र में पुलिस ने भरी मात्र में अवेध डोडा पोस्त बरामद करने में सफलता हासिल की .राहुल बारहट, जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले में अवैध शराब व मादक पदार्थो की रोकथाम के लिए दिये गये निर्देशानुसार श्री कैलाशचंद नि.पु. थानाधिकारी पुलिस थाना बालोतरा मय पुलिस पार्टी द्वारा मुखबीर की ईत्तला पर मेगा हाईवे पर मनणावास सर्कल पर ट्रक ट्रर्बो नम्बर यूके 06 सीए 0406 को दस्तयाब कर ट्रक पर लगे तिरपाल को हटाकर ट्रक की तलाशी ली गई तो ट्रक में अवैध व बिना लाईसेन्स के डोडा पोस्त से भरे 200 कट्टे प्रत्येक कट्टे में 35 किलोग्राम डोडा पोस्त जिसमें कुल 7000 किलोग्राम (सात हजार किलोग्राम) डोडा पोस्त भरा हुआ पाया गया। पुलिस की भनक लगने पर ट्रक ड्राईवर ट्रक को छोड़कर भाग गया। ट्रक ड्राईवर की पहचान श्रवणसिंह पुत्र कश्मीरसिंह नि. मिलाप नगर जिला उधमपुर (उतराखण्ड) व ट्रक मालिक की पहचान रमिग हुसैन पुत्र सबीर अहमद, मकान नम्बर 325, पक्का कोट काशीपुर जिला उमधपुर (उतराखण्ड) के रूप में हुई है। डोडा पोस्त व ट्रक को पुलिस कब्जा में लिया जाकर मुलजिमान के विरूद्व जाकर पुलिस थाना बालोतरा पर एनडीपीएस एक्ट के तहत प्रकरण दर्ज किया गया है।

राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए पोस्टकार्ड अभियान आज कलरव स्कूल में


राजस्थानी भाषा को मान्यता के लिए पोस्टकार्ड अभियान आज कलरव स्कूल में



बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर और मोटियार परिषद् की ओर से राजस्थानी भाषा को संविधान की आठवीं अनुसूचि में शामिल करने की मांग को लेकर चलाए जा रहे संघर्ष व 'म्हारी जुबान रो खोलो ताळोÓ पोस्टकार्ड अभियान के द्वितीय चरण में सोमवार को कलरव माध्यमिक विद्यालय में पोस्ट कार्ड अभियान का आगाज़ किया जायेगा मोटियार परिषद् के जिला सह संयोजक दिग्विजय सिंह चुली ने बताया की समिति के संभाग उप पाटवी चन्दन सिंह भाटी ,मोटियार परिषद् नगर अध्यक्ष रमेश सिंह इन्दा सवाई चावड़ा की उपस्थिति में आयोजित होगा .विद्यालय के छात्रो द्वारा महामहिम राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केन्द्रीय गृहमंत्री व स्थानीय सांसद को पत्र लिख कर राजस्थानियों को भाषाई अधिकार देने के साथ राजस्थानी को संविधान की आठवी अनुसूची में शामिल करने की मांग की जायेगी

राजस्थान पाबूजी की पड़ कला तथा भोपों का संक्षिप्त परिचय


राजस्थान पाबूजी की पड़  कला तथा भोपों का संक्षिप्त परिचय

पड़  लंबे कपड़े पर बनाई गई कलाकृति होती है जिसमें किसी लोकदेवता (विशेष रूप से पाबू जी या देवनारायण) की कथा का चित्रण किया जाता है। पड़ को लकड़ी पर लपेट कर रखा जाता है। इसे धीरे धीरे खोल कर भोपा तथा भोपी द्वारा लोक देवता की कथा को गीत व संगीत के साथ सुनाया जाता है। राजस्थान में कुछ जगहों पर जाति विशेष के भोपे पेशेवर पुजारी होते हैं। उनका मुख्य कार्य किसी मन्दिर में देवता की पूजा करना तथा देवता के आगे नाचना-गाना होता है। पाबू जी तथा देवनारायण के भोपे अपने संरक्षकों (धाताओं) के घर पर जाकर अपना पेशेवर गाना व नृत्य के साथ फड़ के आधार पर लोक देवता की कथा कहते हैं। राजस्थान में पाबूजी तथा देव नारायण के भक्त लाखों की संख्या में हैं। इन लोक देवताओं को कुटुम्ब के देवता के रूप में पूजा जाता है और उनकी वीरता के गीत चारण और भाटों द्वारा गाए जाते हैं। भोपों ने पाबूजी और देवनारायण जी की वीरता के सम्बन्ध में सैंकड़ों लोकगीत रचें हैं और इनकी गीतात्मक शौर्यगाथा को इनके द्वारा फड़ का प्रदर्शन करके आकर्षक और रोचक ढंग से किया जाता है। पाबूजी के भोपों ने पाबूजी की फड़ के गीत को अभिनय के साथ गाने की एक विशेष शैली विकसित कर ली है। पाबूजी की फड़ लगभग 30 फीट लम्बी तथा 5 फीट चौड़ी होती है। इसमें पाबूजी के जीवन चरित्र शैली के चित्रों में अनुपात रंगों एवं रंग एवं फलक संयोजन के जरिए प्रस्तुत करता है। इस फड़ को एक बांस में लपेट कर रखा जाता है और यह भोपा जाति के लोगों के साथ धरोहर के रूप में तथा जीविका साधन के रूप में भी चलता रहता है।

राजस्थान में भोपा का अर्थ किसी देवता का पुजारी होता है। ये मंदिर में पूजा अर्चना करते हैं। यह मंदिर भेरूजी, माताजी अन्य स्थानीय देवता अथवा लोक देवता या लोकदेवी का हो सकता है। सामान्यतः भोपा किसी भी 'जाति' जैसे ब्राह्मण, राजपूत, गुर्जर, जाट, रेबारी, डांगी, मेघवाल, भील आदि किसी का भी हो सकता है किंतु पाबू जी तथा देवनारायण जी की कथा व फड़ बांचने वाले भोपे "भोपा" नामक विशेष जाति के होते हैं।

मजनूओं की मस्ती देख तड़प जाती है इस 'अंग्रेज की आत्मा'!


PIX: मजनूओं की मस्ती देख तड़प जाती है इस 'अंग्रेज की आत्मा'!


गाजीपुर. ब्रिटिश शासनकाल में भारत के गवर्नर रहे लार्ड कार्नवालिस की याद में बनाया गया उनका ऐतिहासिक स्मारक स्थल वर्तमान में मजनूओं का अड्डा बन चुका है। वास्तु और स्थापत्य कला का अनूठा नमूना ये स्मारक जहां अपने शिल्प की खूबसूरती के चलते लोगों के बीच मशहूर है।

वहीं, अपनी ऐतिहासिकता की वजह से ए.सी.आई. के संरक्षण में है। बावजूद इसके प्रशासनिक उपेक्षा के चलते ये ऐतिहासिक स्थल महज आधुनिक लैला मजनुओं की तफरीहगाह बन गया है। ऐसे में आमलोग यहां आने से हिचक रहे हैं।पीजी कालेज गाजीपुर के हिस्ट्री के प्रो बालेश्वर सिंह ने बताया, "ब्रिटिश शासनकाल में 1786 से 1793 तक भारत के गवर्नर रहे लार्ड कार्नवालिस द्वारा भूमि बन्दोबस्त राजस्व प्रक्रिया और न्याय व्यवस्था में किऐ गए सुधार आधुनिक भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। भारत में अपने दूसरे कार्यकाल के दौरान 5 अक्टूबर 1805 में गाजीपुर में अचानक उनकी मृत्यु हो गई। कार्नवालिस के निधन के बाद उनके सम्मान और याद में गाजीपुर में अंगेंजों ने एक खूबसूरत स्मारक की तामीर करायी।कार्नवालिस के मकबरे के नाम से मशहूर ये स्मारक वर्तमान समय में महज मजनुओं, मनचलों और अराजक तत्वों का अड्डा बन चुका है। ऐसे में स्मारक स्थल पर सुरक्षा के आभाव के चलते आम लोग यहा आने से पूरी तरह कतरा रहे हैं। स्थानीय निवासी गुड्डू बताते है की मकबरा को देखने लोग कम आते है प्रेमी जोड़ा अपने सेटेलमेंट के लिए ज्यादे दीखते है। वहीं पूर्व पार्षद इन्द्रजीत यादव ने बताया की कई बार क्षेत्रीय नागरिकों ने लड़कों और लड़कियों को अश्लील हरकत करते रंगे हाथ पकड़ा है।"पीजी कालेज गाजीपुर के हिस्ट्री के पूर्व प्रो अशोक चटर्जी ने बताया की अपने शानदार शिल्प, स्थापत्य कला और ऐतिहासिकता की वजह से कार्नवालिस का मकबरा आर्कियोलाजी सर्वे आफ इंडिया के संरक्षण में पर्यटक स्थल के रूप में घोषित है। लेकिन सुरक्षा के आभाव और लचर प्रशासनिक व्यवस्था के चलते पर्यटक और सभ्य लोग इस स्थल पर आने से हिचकते हैं। जबकि आधुनिक प्रेमियों के लिए ये स्थल लव स्पाट बन चुका है। ऐसे में स्मारक स्थल पर अराजक तत्वों और मनचलों का जमावड़ा आम बात है।

चिदंबरम होंगे पीएम पद के उम्मीदवार?

चिदंबरम होंगे पीएम पद के उम्मीदवार?

लंदन। अगले लोकसभा चुनाव में वित्त मंत्री पी.चिदंबरम कांग्रेस की ओर से प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं। मशहूर मैगजीन इकोनॉमिस्ट ने यह खबर दी है। मैगजीन के मुताबिक अगर अगला लोकसभा चुनाव आर्थिक मुद्दों पर लड़ा जाता है तो कांग्रेस चिदंबरम को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बना सकती है। ऎसा भाजपा के प्रधानमंत्री पद के संभावित उम्मीदवार नरेन्द्र मोदी को टक्कर देने के लिए किया जा सकता है।

मैगजीन ने चिदंबरम का नाम उछालकर कांग्रेस में खलबली मचा दी है। मैगजीन के मुताबिक प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह 80 से ऊपर के हो जाएंगे जबकि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी प्रधानमंत्री पद के लिए तैयार नहीं है,इसलिए चिदंबरम के पास देश को चलाने की सही क्रिडेन्शियल प्राप्त कर ली है। पत्रिका के मुताबिक चिदंबरम जब से वित्त मंत्रालय में लौटे हैं तब से उनकी किस्मत चमक गई है।

हालांकि भाजपा ने अभी तक मोदी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित नहीं किया है लेकिन सुषमा स्वराज के बयान ने एक बार फिर पार्टी में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी को लेकर बहस छेड़ दी है। इकोनॉमिस्ट के मुताबिक चिदंबरम को अर्थव्यवस्था की अच्छी जानकारी है। साथ ही वे कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के विश्वास पात्र हैं।

अभी तक कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी को ही प्रधानमंत्री पद का दावेदार माना जा रहा था।राहुल गांधी अभी तक सरकार में जिम्मेदारी लेने से बचते रहे हैं। इकॉनामिस्ट ने कुछ दिन पहले "द राहुल प्रॉब्लम"शीर्षक से छपे लेख में उनके खिलाफ तल्ख टिप्पणी की थी। कहा जा रहा है कि प्रणब मुखर्जी के राष्ट्रपति बनने के बाद कांग्रेस में चिदंबरम का कद बढ़ा है। हालिया दिनों में चिदंबरम ने कई मौकों पर कांग्रेस के लिए संकट मोचक की भूमिका निभाई है। वे अब हिंदी भी बोलने लगे हैं। इन हालात में कहा जा रहा है कि चिदंबरम अपना दायरा बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं।

श्रम मंत्री के बेटे की शादी में बच्चों से मजदूरी!

श्रम मंत्री के बेटे की शादी में बच्चों से मजदूरी!

बेंगलूरू। नेता जो कहते हैं उसका खुद ही पालन नहीं करते। इसका ताजा उदाहरण देखने को मिला केन्द्रीय श्रम मंत्री मल्लिकार्जुन खड़गे के बेटे की शादी में। बेंगलूरू में मंत्री के बेटे की शादी में करीब 12 बच्चों को मजदूरी करते हुए देखा गया।

पैलेस ग्राउंड में रखे गए शादी के समारोह में कर्नाटक के वरिष्ठ पुलिस अधिकारी भी मौजूद थे। कुछ लड़कियों को प्लेट साफ करने के लिए रखा गया था। वहीं चार बच्चे झूठा छोड़ा गया खाना उठा रहे थे। वीआईपी गेस्ट के टेबल साफ कर रही एक बच्ची से पूछा गया कि उसे यहां कौन लाया तो उसने एक आदमी की तरफ इशारा करते हुए बताया कि वह उसी के निर्देश पर काम कर रही है।

अन्य बच्चों को खाने की गाड़ी को ढोते हुए,टेबलों को सरकाते हुए और परिसर की सफाई करते हुए देखा गया। जब मंत्री जी से बाल मजदूरी के कानून के उल्लंघन के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि किचन में काम करने वाले बच्चों के बारे में उन्हें कोई जानकारी नहीं है। कैटरिंग का कांट्रेक्ट एक ठेकेदार को दिया गया था। मैंने उससे साफ कहा था कि कोई बच्चा मत लाना।

कारगिल के हीरो शहीद भीखाराम के परिवार को बिजली का कनेक्सन के लिए लड़नी पड रही है जंग

  1. कारगिल के हीरो शहीद भीखाराम के परिवार को बिजली का कनेक्सन के लिए लड़नी पड रही है जंग

बाड़मेर कैप्टन सौरभ कालिया व उनके 5 साथियों के साथ पाकिस्तानी सेना के अमानवीय
यातनाएं दीं। यहां तक कि इन वीरों के अंग-भंग कर डाले तथा शरीर को गर्म
सरिये व सिगरेट से दागा गया। पाकिस्तान ने 9 जून, 1999 को इन शहीदों के
शव भारतीय अधिकारियों को सौंपे। अब इन शहीदों के परिवार अपनी अपनी जंग
लड़ रहे शहीद कैप्टन सौरभ को इंसाफ दिलाने के लिए 13 साल से लड़ रहे उनके
रिटायर्ड साइंटिस्ट पिता एन. के. कालिया ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका
दायर करते हुए गुहार लगाई है वही शहीद भीखाराम का पूरा भी एक जंग लड़
रहा है शहीद भीखाराम का परिवार बिजली के कनेक्सन के लिए एक लड़ाई लड़
रहा है सबसे चोकने वाली बात यह है कि पतासर गाव कई घरो में बिजली के
कनेसन है लेकिन राजनीति करने के चलते शहीद भीखाराम के घर में 13 साल से
बजली का कनेक्सन नहीं है शहीद भीखाराम का परिवार आज भी भी मुलभुत
सविधाओ के लिए दर दर की ठोकरे खा रहा है
4 जाट रेजिमेंट में कमिशन मिलने के ठीक बाद
कैप्टन सौरभ कालिया को करगिल में पोस्टिंग दी गई थी। मई 1999 में कैप्टन
सौरभ कालिया अपने 5 साथियों अर्जुन राम, भंवर लाल, भीखाराम, मूला राम व
नरेश सिंह के साथ गश्त पर गए थे। 15 मई, 1999 को पाक सेना ने इन्हें बंदी
बना लिया तथा 22 दिनों तक अमानवीय यातनाएं दीं। शहीद भिखराम के भाई
पदमराम के अनुसार जब हमारे घर शव आया था तो पूरा अंग भग किया हुआ था
हमारा पूरा परिवार आज भी शहीद मेजर सोरब कालिया के पिता एन. के. कालिया
के साथ रहकर लड़ाई लड़ रहा है शहीद भिखराम के भाई पदमराम के अनुसार एक
सैनिक रणक्षेत्र में सीने पर दुश्मनों की गोली झेलकर मरना चाहता है न कि
कई दिनों तक प्रताड़ित होते हुए। भिखराम भी कारगिल युद्ध के दौरान
पाकिस्तानी सैनिकों के हत्थे चढ़ गए। पाकिस्तान ने उनका बुरी तरह क्षत
विक्षत शव कुछ दिनों बाद भारत को सौंपा था। हमें इस बात की ख़ुशी है कि
हमारे भाई अपने वतन के लिए शहीद हुआ लेकिन इस बात का बहुत दुख है कि
हम केवल इतना चाहते हैं कि इस अमानवीय कृत्य के पीछे जो भी हों उनकी
पहचान की जाए और उन्हें असाधारण सजा दी जानी चाहिए। ताकि संसार में कहीं
भी इसके बाद किसी भी सैनिक की हालत मेरे बेटे एवं उसके साथियों की तरह न
हो
शहीद भिखराम के पिता
चेनाराम के अनुसार हमारे परिवार को इस बात की ख़ुशी है कि हमारा बेटा अपने
देश के कुछ काम तो आया लेकिन अब जो नेता और सरकार जो हमारे साथ क्र रही
है उससे हमे बड़ी ठेश पहुचती है हमने शहीद भिखराम की पत्नी भवरी देवी के
नाम से बिजली के कनेक्सन की फाइल 2007 में लगे थी लेकिन अभी तक हम इस के
लिए लम्बी जंग लड़ रहे है सबसे चोकने वाली बात यह है कि पुरे गाव में
बिजली के कई घरो में कनेक्सन है लेकिन हमें राजनीति के चलते भेदभाव
किया जा रहा यह कहा तक जायज है
शहीद भीखराम के भाई
पदमराम के अनुसार सरकार ने हमें एक पेट्रोल पम्प ,एक मुरबा .और 5 लाख
रूपए का मुआजा दिया है लेकिन हमारा पूरा परिवार बिजली के कनेक्शन के लिए
एक जंग लड़ रहा है सबसे मजे कि बात यह है कि हमारे गाव में कई घरो में
बिजली के कनेक्शन है लेकिन राजनितिक कारणों के चलते हमें बिजली का
कनेक्शन नहीं दिया जा रहा है हम लोगो करीब 13 साल से सरकार दफ्तरों के
चक्कर निकाल रहे है और छोटो से बड़े नेता तक के पास अपनी अर्जी लगा दी
लेकिन कोई हमारी बात सुनने को तैयार नहीं है और ऐसा ही कुछ हाल गाव में
पानी और सडक का है
शहीद भीखराम के भाई
पदमराम के अनुसार जब मेरा भाई भिखराम शहीद हुआ था तो कई नेता हमारे घर आए
थे और हमें यह विश्वास दिलाया था कि सरकार आपकी हर संभव मदद करगे उनमे से
एक वर्तमान राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने उस समय कहा था कि हम
आपको हर मुलभुत सविधा देगे लेकिन आप हकीकत क्या है आप खुद देख सकते हो
आज भी हम बिजली अपनी के लिए तरस रहे है अब तो हमने बिजली पानी सडक को तो
उमीद ही छोड़ दी है
वह इस पुरे मामले पर
बिजली विभाग पचपदरा केसहायक अभियंता सुनील दवे का कहना है कि शहीद भिखराम के
परिवार वाले कुछ रोज पहले मुझसे मिले थे जल्द ही फ़ाइल् के देख क्र हर
संभव मादा की जाएगी
वही इस मामले में
बालोतरा उपखंड अधिकारी कमलेश कुमार के अनुसार इस तरह का कोई भी मामला
हमारे धयान में नहीं आया है लेकिन ऐसा कुछ है तो हम शहीद भिखराम के
परिवार की पूरी मदद करेगे
दरसल यह हकीकत है
भारत में शहीद परिवार की ..........जहा सरकार कहने को तो यह कहती नजर
आती है कि हम शहीद के परिवार वाले की हर संभव मदद करते है लेकिन आज
राजस्थान में शहीद परिवार किस'डोर से गुजर रहे है वह आप खुद देख सकते है

नेहरू की प्रेमिका एडविना को कैजुअल सेक्स था पसंद!

नेहरू की प्रेमिका एडविना को कैजुअल सेक्स था पसंद! 

लंदन. आधुनिक भारत की नींव डालने वाले भारत के सबसे कद्दावर राजनेताओं में शुमार और देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और भारत में ब्रिटेन के आखिरी वॉयसरॉय लॉर्ड माउंटबेटेन की पत्नी एडविना माउंटबेटेन के रिश्तों को लेकर इंग्लैंड में फिर से बहस छिड़ गई है। बहस की शुरुआत एडविना की बेटी पामेला माउंटबेटेन ने खुद की है। लॉर्ड माउंटबेटेन और उनकी पत्नी एडविना की बेटी पामेला हिक्स ने हाल ही में प्रकाशित अपनी आत्मकथा 'डॉटर ऑफ एम्पायर' में नेहरू और अपनी मां के रिश्तों पर विस्तार से लिखा है।

नेहरू की प्रेमिका एडविना को कैजुअल सेक्स था पसंद! 

डेली मेल से बातचीत में एडविना की बेटी पामेला ने कहा, 'पंडित जी (नेहरू) के रूप में उन्हें एक साथी मिला था। नेहरू के तौर पर उन्हें आध्यात्मिकता और ज्ञान वाला ऐसा साथी मिला था, जिसके लिए वे हमेशा ही बेचैन थीं।' खुद 83 साल की हो चुकीं पामेला को लगता है कि नेहरू और एडविना के बीच रिश्ता आध्यात्मिक था न कि सेक्सुअल। पामेला ने लिखा है, 'एडविना और नेहरू के पास इतना वक्त नहीं था कि वे किसी जिस्मानी रिश्ते में उलझें। दोनों की ज़िंदगी बेहद सार्वजनिक थी और वे बहुत मुश्किल से अकेले होते थे।' पामेला के मुताबिक नेहरू की चिट्ठियों को देखने के बाद उन्हें पता चला कि उनकी मां और नेहरू के बीच कितना गहरा प्रेम था
लॉर्ड माउंटबेटेन ने दी थी छूट!
नेहरू की प्रेमिका एडविना को कैजुअल सेक्स था पसंद! 
भारत में ब्रिटेन के आखिरी वायसरॉय लॉर्ड माउंटबेटेन और उनकी पत्नी एडविना की बेटी पामेला ने अपनी किताब में लिखा है, 'एडविना के पति लॉर्ड लुइस माउंटबेटेन को भी नेहरू और अपनी पत्नी के रिश्ते के आध्यात्मिक पक्ष को समझा और एडविना को आज़ादी दी। लॉर्ड माउंटबेटेन के लिए एडविना की नई दिलचस्पी (नेहरू) एक राहत की बात थी।' पामेला के मुताबिक, 'एडविना की नई खुशी (नेहरू के साथ रिश्ते से उपजी) ने एडविना को देर रात होने वाली लड़ाइयों और वाद-विवाद से छुटकारा दिला दिया था।' पामेला का कहना है कि एडविना अपने पति पर यह आरोप लगाती थीं कि वे उन्हें समझ नहीं पाते हैं और नजरअंदाज करते हैं।



कैजुअल सेक्स थी एडविना की पसंद!

पामेला हिक्स का कहना है कि नेहरू और एडविना एक दूसरे से बहुत ज़्यादा प्यार करते थे। ब्रिटिश अख़बारों में प्रकाशित पामेला की किताब के अंशों से पता चलता है कि एडविना सेक्स के मामले में बहुत प्रयोगधर्मी थीं और अलग-अलग पार्टनरों से 'कैजुअल सेक्स' करती थीं अपनी इच्छा के मुताबिक प्रेमियों को अपने पास बुलाती थीं। लॉर्ड माउंटबेटेन को इन बातों का अंदाजा था। किताब के मुताबिक माउंटबेटेन और एडविना की शादीशुदा ज़िंदगी में एक ऐसा दौर भी आया था जब खुद लुइस माउंटबेटेन ने अलग-अलग पार्टनरों से प्रेम करने के मामले में अपनी पत्नी को चुनौती देते हुए एक पार्टनर बनाया था। नेहरू-एडविना के रोमांस पर फिल्म!

नेहरू और एडविना के रिश्तों पर न सिर्फ कई लेख और किताबें लिखी जा चुकी हैं बल्कि इस मुद्दे पर फिल्म बनाने की कोशिशें भी चल रही हैं। दो साल पहले जवाहर लाल नेहरू और एडविना माउंटबेटन के कथित संबंधों पर आधारित फिल्म 'द इंडियन समर' को भारत में फिल्माने की ब्रिटिश फिल्म निर्माण कंपनी की योजना खटाई में पड़ गई क्योंकि भारत सरकार ने इसके कई प्रस्तावित दृश्यों पर आपत्ति जताई थी।

48 घंटे में तैयार हुआ 10 मंजिला भवन

48 घंटे में तैयार हुआ 10 मंजिला भवन

मोहाली। यहां एक कारोबारी ने 48 घंटे में 10 मंजिला भवन खड़ा करने का कारनामा कर दिखाया। भवन निर्माण गुरूवार को 4.30 बजे शाम में शुरू हुआ। शुक्रवार शाम तक सात मंजिल तैयार थी।

शनिवार को 48 घंटे बीतने पर लाल और भूरे रंग का 10 मंजिला भवन "इंस्टाकॉम" तैयार हो गया है। सामग्री का निर्माण एक नजदीकी कारखाने में दो महीने से हो रहा था। भवन निर्माण में 200 टन से अधिक इस्पात लग रहा है। भवन निर्माण में पहले से तैयार संरचना वाली सामग्रियों का इस्तेमाल किया गया।