सोमवार, 30 अप्रैल 2012

राहुल बारहट बाड़मेर के नए पुलिस अधोक्षक .महिला राज पांच दिन ही चला


राहुल बारहट बाड़मेर के नए पुलिस अधोक्षक .महिला राज  पांच दिन ही चला 


बाड़मेर सीमावर्ती जिले को महिला प्रधान बनाने के राज्य सरकार के सपने को धूमिल कर दिया .मात्र पांच दिन तक बाड़मेर महिला पुलिस अधीक्षक के नेतृत्व में रहा राज्य सरकार ने आदेश जारी कर राहुल बारहट को नया पुलिस अधीक्षक नियुक्त किया हे बताया जा रहा हे राहुल दबंग अधिकारी हे बाड़मेर जिले के लिए एकदम फिट हे स्वागत राहुल बारहट 

रविवार, 29 अप्रैल 2012

जिंदल समूह ने किया 61 हजार करोड़ का कोयला घोटाला

जिंदल समूह ने किया 61 हजार करोड़ का कोयला घोटाला

बाड़मेर से चंदन भाटी की रिपोर्ट 
 
हमारी सरकारों का कंपनियां अपने फायदे के लिए किस तरह इस्तेमाल करती हैं इसका एक उदाहरण राजस्थान में देखते हैं. केन्द्र के कोयला घोटाले की कालिख में किसका चेहरा दागदार होगा यह तो आनेवाला वक्त बताएगा लेकिन इधर राजस्थान में कांग्रेस के करीबी कारोबारी जिंदल समूह ने सरकार के साथ मिलीभगत करके एक लंबी दूरी का ऐसा घोटाला रच दिया है जिसमें सरकार को आनेवाले तीस सालों में 61 हजार करोड़ का घाटा होगा। बाड़मेर से चंदन भाटी की रिपोर्ट

जब से बाड़मेर में कोयले के अकूत भंडार का पता चला है काले कारोबारियों की काली नजर बाड़मेर पर पड़ गई है। ताजा मामला जिंदल समूह से जुड़ा हुआ है। राजस्थान इलेक्ट्रीसिटी रेग्युलेटरी कमीशन के अध्यक्ष डीसी सामंत, सदस्य एस धवन, एसके मित्तल ने बाड़मेर लिग्नाईट माइनिंग कम्पनी लि. की याचिका पर सुनवाई की, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य उजागर हुए हैं। खासकर इसमें एक बड़ा खुलासा हुआ हैं कि जिंदल ग्रुप के राजवेस्ट पवार प्लांट लि. भादरेश बाड़मेर में लिग्नाईट की आपूर्ति के लिए बाड़मेर में माइनिंग का ठेका निविदा के जरिये प्रतिस्पर्धात्मक तरीके से होना था, उसको बिना किसी प्रतिस्पर्धा के जिंदल ग्रुप की एसोसिएट फर्म साउथ वेस्ट माइनिंग लि. को 1230 रुपए प्रति मैट्रिक टन की दर की खरीदारी के अनुबंध के साथ दे दिया गया। टैक्स जोड़ा जाए तो यह दर 1953 रुपए प्रति मीट्रिक टन की दर हो जाती हैं। मजे की बात यह कि जिंदल ग्रुप की एसोसिएट फर्म साउथ वेस्ट माइनिंग लि. यह ठेका लेने की पात्रता भी नहीं रखती। तीस वर्ष के लिए दिए गए इस ठेके से उक्त अवधि में टैक्स समेत करीब इकसठ हजार करोड़ का नुकसान हो सकता हैं।

समझें घाटे का ये गणित : बाड़मेर जिले में जिंदल ग्रुप की फर्म राजवेस्ट पावर प्रोजेक्ट लि. के नाम से भादरेश में 135 मेगावाट की दस इकाइयां बनाई जानी हैं, जिनमे से दो इकाइयां बन कर तैयार हैं और शेष निर्माणाधीन हैं। जब पूर्ण क्षमता के साथ सभी दस इकाइयां काम करेंगी तब प्रतिदिन पचास हजार टन कोयले की जरूरत पड़ेगी। राजवेस्ट की कंसोर्टियम फर्म साउथ माइनिंग लि. इसके लिए प्रतिदिन छह करोड़ पन्द्रह लाख टैक्स समेत नौ करोड़ छियतर लाख पचास हजार रुपये लेगी, जो राजस्थान इलेक्ट्रीसिटी रेग्युलेटरी कमीशन के समक्ष तय हुई दरों (812 रुपए प्रति मीट्रिक टन) से टैक्स सहित 5.70 करोड़ रुपए अधिक हैं। इस तरह सरकार को प्रतिदिन 2.90 करोड़ टैक्स रहित घाटा होगा। एक महीने में 87 करोड़, एक वर्ष में 1044 करोड़, और तीस वर्षों में 31,220 करोड़ का घाटा होगा और टैक्स समेत यह घाटा इकसठ हजार करोड़ रुपए को पार कर जाएगा।

इक्यावन फीसदी है सरकार की हिस्सेदारी : बाड़मेर के कपूरडी और जालिपा के किसानों की करीब पचास हजार बीघा जमीन अवाप्त हुई हैं, इसका मकसद यहाँ पर कोयला खनन कर कम्पनी को आपूर्ति करनी था। भूमि अवाप्ति के लिए बाड़मेर लिग्नाईट माइनिंग कम्पनी लिमिटेड का गठन किया गया, जिसमे 51 प्रतिशत हिस्सेदारी राज्य सरकार की है। शेष 49 फीसदी भागीदारी राजवेस्ट की है। यहाँ कहने का मतलब यह हैं कि ऊंची दरों पर राजवेस्ट की एसोसिएट फर्म को ठेका देने से होने वाले कुल घाटे में सरकार को इक्यावन फीसदी चूना लगेगा। वही राजवेस्ट को एसोसिएट फर्म से सीधा फायदा ही फायदा होगा।

ठेका निरस्त करने की सिफारिश हुई : राजस्थान इलेक्ट्रीसिटी रेग्युलेटरी कमीशन ने याचिका पर सुनवाई के बाद पिछले वर्ष अगस्त माह में दिए गए निर्णय अनुसार साउथ वेस्ट माइनिंग लि. को दिए गए खनन ठेके को निरस्त करने और नए सिरे से निविदा आमंत्रित कर प्रतिस्पर्धी दरों के आधार पर ठेका देने के निर्देश दिए। हैरत की बात यह हैं कि साउथ वेस्ट माइनिंग लि. कमीशन को न्यायिक क्षेत्र मानने से इनकार करते हुए अभी तक बिना रोक टोक खनन कर रहे हैं। वही सरकार भी इस मामले में चुप्पी साधे हुए हैं, जो काफी संशय पैदा कर रहा है।

कम कीमत पर कोयला उपलब्ध : राजस्थान सरकार के उपक्रम राजस्थान स्टेट माइंस मिनरल्स लि. द्वारा गिरल लिग्नाईट विद्युत तापीय संयत्र में 650 रुपये प्रति मीट्रिक टन की दर से कोयला उपलब्ध करवाया जा रहा हैं, जबकि साउथ वेस्ट माइनिंग लि. टैक्स समेत 1953 रुपए की दर से कोयलाउपलब्ध करवा रहा है। इस मामले में जिला कलेक्टर डॉ. वीणा प्रधान कुछ भी बयान देने से इनकार कर रही हैं।

थार की लोक संस्कृति का कोई जवाब नहीं .देखिये तस्वीरे ..










थार की लोक संस्कृति का कोई जवाब नहीं .देखिये तस्वीरे ..


यंहा का लोक गीत संगीत  ना कवक मनमोहक हे अपितु दिलो में उतरने वाला हे राजस्थान के पर्यटन में लोक गीत संगीत का अहम् योगदान हे देखे थर के रेगिस्तान की संस्कृति की तस्वीरे 

नए राज्यपाल का विवादास्पद बयान-गांधी परिवार से वफादारी का ईनाम मिला

उत्तराखंड के नवनियुक्त राज्यपाल अजीज कुरैशी ने विवादास्पद बयान देते हुए एक बार फिर इस बहस को हवा दे दी है कि राज्यपाल बनने के लिए किसी के पास क्या योग्यता होनी चाहिए। मध्य प्रदेश कांग्रेस में हाशिए पर जा चुके अजीज कुरैशी ने राष्ट्रपति द्वारा खुद को उत्तराखंड का नया गवर्नर बनाए जाने पर कहा है कि उन्हें गांधी-नेहरू परिवार की वफादारी का ईनाम मिला है। कुरैशी ने कहा, 'मुझे सोनिया गांधी की कृपा से राज्यपाल की कुर्सी मिली है। मैंने अपनी वफादारी पंडित जी (जवाहर लाल नेहरू) के चरणों में रख दी थी। पंडित जी, इंदिरा जी को मैं अपना पॉलिटिकल मास्टर मानता हूं।' लेकिन जब उनसे एक निजी समाचार चैनल से इस बाबत पूछा तो उन्होंने अपना बचाव करते हुए कहा कि राज्यपाल बनने के लिए जरूरी कई बातों में से एक यह भी है।
 
अपनी सफाई में कुरैशी ने कहा, 'मुझसे पूछा गया कि क्या मुझे मुसलमान होने के नाते यह पद दिया गया है तो मैंने कहा कि ऐसा नहीं है। यह समाज के लिए मेरे छोटेमोटे काम का पुरस्कार है।' कुरैशी के बयान से यह बहस एक बार फिर तेज हो गई है कि क्या राज्यपाल जैसे पद के लिए नेहरू-गांधी परिवार के प्रति वफादारी जरूरी है?

यह सवाल इसलिए भी अहम है क्योंकि कुरैशी ऐसे पहले कांग्रेसी नहीं हैं जिन्होंने सार्वजनिक तौर पर राज्यपाल बनाए जाने का श्रेय नेहरू-गांधी परिवार को दिया है। इससे पहले मध्य प्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव ने विवादास्पद बयान देते हुए एक कार्यक्रम में कहा था, 'मैं बधाई देना चाहता हूं सोनिया गांधी को जिनके परामर्श से राष्ट्रपति ने मुझे राज्यपाल नियुक्त किया।'

मारग्रेट अल्वा राजस्थान की राज्यपाल

 

जयपुर. मारग्रेट अल्वा राजस्थान की राज्यपाल होंगी। केंद्र सरकार ने इस संबंध में राज्य सरकार को सूचित कर दिया है। अल्वा 10 मई को जयपुर आ सकती हैं और 12 मई को शपथ ले सकती हैं। अल्वा अभी उत्तराखंड की राज्यपाल हैं। उनका कार्यकाल दो साल बचा है। वे इतने समय राजस्थान की राज्यपाल रहेंगी।

अल्वा राजस्थान की 36वीं और तीसरी महिला राज्यपाल होंगी। इससे पहले प्रतिभा पाटील और प्रभा राव इस पद पर रह चुकी हैं। शिवराज पाटील पंजाब के राज्यपाल हैं और 28 अप्रैल 2010 से राजस्थान का अतिरिक्त प्रभार संभाल रहे थे। राष्ट्रपति भवन से जारी सूचना के मुताबिक मप्र के पूर्व मंत्री अजीज कुरैशी को उत्तराखंड, एसपीजी के पूर्व प्रमुख बीवी वांचू को गोवा, ईएसएल नरसिम्हन को आंध्र और शंकर नारायणन को महाराष्ट्र का राज्यपाल बनाया है।

चार बार राज्यसभा सांसद रही हैं अल्वा

1974 में पहली बार राज्यसभा की सदस्य चुनी गईं। उन्होंने छह-छह साल के चार कार्यकाल लगातार पूरे किए। 1999 में वे लोकसभा के लिए चुनी गईं। उन्हें 1984 में संसदीय कार्य राज्यमंत्री और बाद में युवा मामलात और खेल, महिला एवं बाल विकास के प्रभारी का दायित्व दिया गया था। 1991 में उन्हें कार्मिक, पेंशन, जन अभाव अभियोग और प्रशासनिक सुधार राज्यमंत्री का जिम्मा दिया गया था।

कुछ समय के लिए उन्होंने विज्ञान और तकनीकी मंत्री के रूप में भी सेवाएं दीं। वे अपने तीस साल के कार्यकाल में कई महत्वपूर्ण समितियों में शामिल रही और नेतृत्व भी किया। वे जुलाई, 2009 से उत्तराखंड की राज्यपाल हैं।


कांग्रेस में उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष के कार्यालय में समन्वयक और 2004-09 के दौरान कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव का दायित्व भी दिया गया था। उन्होंने महिला कांग्रेस की समन्वयक के रूप में भी अपनी सेवाएं दीं।


विवादों में भी

मारग्रेट अल्वा 2009 के लोकसभा चुनावों के दौरान विवादों में भी आ गई थीं। उस समय उन्होंने अपने बेटे के लिए टिकट मांगा था, लेकिन टिकट नहीं मिला तो उन्होंने आरोप लगाया था कि पैसे लेकर टिकट दिए जा रहे हैं। इसे लेकर उन्हें कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव पद से हटा दिया गया था, लेकिन बाद में उन्हें उत्तराखंड का राज्यपाल बना दिया गया।


मारग्रेट अल्वा का जीवन परिचय

नाम : मारग्रेट अल्वा जन्म : कर्नाटक में साउथ कनारा के मंगलौर में जन्म तिथि : 14 अप्रैल, 1942 पिता का नाम : पी.ए. नजारेथ माता का नाम : ई.एल. नजारेथ पति का नाम : निरंजन अल्वा संतान : तीन पुत्र और एक पुत्री शिक्षा : बीए, बीएल, मानद डॉक्टरेट एजुकेटेड एट मा. केरेमल कॉलेज और गवर्नमेंट लॉ कॉलेज बेंगलुरू विशेष : ऑयल पेंटिंग और इंटीरियर डेकोरेशन में विशेष डिग्री पेशा : वकालत, सामाजिक कार्यकर्ता और ट्रेड यूनियनिस्ट

2 साल की बच्ची संग 5 घंटे होता रहा गैंगरेप

 

नोएडा। रबुपुरा कोतवाली क्षेत्र में शुक्रवार को दो युवकों ने एक लड़की का अपहरण कर उसके साथ दुष्कर्म किया। घटना कोतवाली रबूपुरा क्षेत्र के तिरथली गांव की है। पीड़िता के पिता ने गांव के ही दो युवकों के खिलाफ पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है। पुलिस ने मामला दर्ज कर पीड़ित युवती को मेडिकल जांच के लिए भेज दिया। दोनों आरोपी फरार हैं।

रबूपुरा कोतवाली क्षेत्र के तिरथली गांव निवासी रोहनी (काल्पनिक नाम) शुक्रवार दोपहर घर से नजदीक की परचून दुकान पर सामान लेने गई थी। आरोप है कि इसी दौरान गांव के ही आमीर व धर्मवीर ने उसको अपने घर के कमरे में बंधक बना लिया और रोहनी के साथ करीब पांच घंटों तक बलात्कार किया।

कई घंटे बीत जाने के बावजूद भी जब रोहनी घर नहीं पहुंची तो परिजनों ने उसकी तलाश शुरु की। एक ग्रामीण ने उसके घरवालों को उसकी जानकारी दी तब जाकर उसके घरवाले वहां पहुंचे। रोहनी गांव के ही एक मकान में बेहोश पड़ी मिली। उसके कपड़े तितर-बितर पड़े थे।

दलितों की बंदोली मामले में नौ के खिलाफ मामला दर्ज


दलितों की बंदोली मामले में नौ के खिलाफ मामला दर्ज

भोपालगढ़. दलित युवक की बंदोली में बाधा डालने वाले कुछ प्रभावशाली लोगों के खिलाफ पुलिस ने मामला दर्ज किया है। साथ ही सामाजिक सौहार्द बना रहे, इसके लिए पुलिस प्रशासन सजग है।

थानाधिकारी प्रदीप शर्मा ने बताया कि धोरू गांव के चैनाराम पुत्र बींजाराम ने तीन दिन पहले रिपोर्ट देकर बताया था कि गांव के दलित युवक की शादी में आम रास्ते से निकलने पर कुछ प्रभावशाली लोगों ने उनको रोका और जाति सूचक गालियां दी व मारपीट करने लगे। इस डर से उन्हें रास्ता बदलना पड़ा। इसी तरह की घटना शुक्रवार को फिर बंदोली निकालने पर हुई तो पुलिस सुरक्षा में बंदोली निकाली गई। इस संबंध में पुलिस ने मल्लाराम पुत्र झालाराम, श्याम पुत्र भगवानराम, भागरराम पुत्र जस्साराम विश्नोई सहित नौ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। उच्च अधिकारी हरकत में आए और थानाधिकारी को मामला दर्ज करने के निर्देश दिए। हालांकि थानाधिकारी ने इस मामले में सामाजिक सौहार्द व भाईचारा बना रहे, इसके प्रयास किए, मगर कुछ लोग नहीं माने तो पुलिस को आवश्यक कदम उठाने पड़े।

पर्यटन की नई पहचान बन सकता है फलौदी

पर्यटन की नई पहचान बन सकता है फलौदी
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फलौदी के समीप वन्य जीव क्षेत्रों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है राज्य पक्षी गोडावण सहित वन्य जीव बन सकते हैं पर्यटन का आकर्षण

फलौदी   फलौदी में पर्यटन की विपुल संभावनाएं हैं। पर्यटन व वन विभाग मिलकर योजना बनाए तो फलौदी को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। यहां वन्य जीवों की बहुलता है। इसमें गोडावण, उल्लू, तीतर, बटेर, तिलोर, खरगोश, सेली, लोमड़ी, झाऊ चूहा (सेह) सहित कई वन्य जीव पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं। पर्यटन के लिहाज से यदि यहां योजना बनाई जाए तो जोधपुर, बीकानेर व नागौर से जैसलमेर जाने वाले पर्यटकों को रास्ते में फलौदी भी आकर्षित कर सकता है।
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जोधपुर, बीकानेर व नागौर से आने वाले सैलानियों को फलौदी से होकर ही जैसलमेर जाना पड़ता है। फलौदी से पांच किमी की दूरी पर स्थित खीचन गांव, फलौदी मुख्यालय, जोधपुर-फलौदी सड़क मार्ग पर लोहावट और फलौदी से जैसलमेर सड़क मार्ग पर तहसील मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खारा गांव पर्यटन की पट्टी के रूप में विकसित किया जा सकता है। सोलर ऊर्जा प्लांटों के कारण सोलर हब के रूप में पहचान बना रहे फलौदी को यह क्षेत्र वन्य पर्यटन पट्टी की पहचान भी दिला सकते हैं। ऐसा होने पर विश्व पर्यटन मानचित्र पर फलौदी को नई पहचान मिलेगी।

वन्य जीव की पट्टी बन सकती है

॥ फलौदी क्षेत्र में वास्तव में इन क्षेत्रों को लेकर पर्यटन की वन्य जीव पट्टी बनाई जा सकती है। पर्यटन की दृष्टि से यह नया प्रयोग होगा जो सैलानियों का रास आएगा। फलौदी क्षेत्र में पर्यटन एक उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकता है। गोडावण की लगातार उपस्थिति को देखते हुए वन विभाग ने खारा के संबंधित वन क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है और भविष्य में भी इस पर और काम किया जाना प्रस्तावित है।ञ्ज

नरेन्द्रसिंह शेखावत

क्षेत्रीय वन अधिकारी, वन विभाग फलौदी

नेता तो कान्हा के वंशज है

नेता तो कान्हा के वंशज है

हंस-हंस कर लोटपोट हुए श्रोता

बालोतरा  आचार्य श्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति की ओर से शनिवार रात हास्य कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। कवि सम्मेलन की शुरूआत में अपने संबोधन में आचार्य महाश्रमण ने कहा कि कविता एक ऐसा उपक्रम है, जो कवि सम्मेलन के रूप में आता है तो आकर्षण देखने को मिलता है।

कवि सम्मेलन की शुरूआत में कवि राजेश चेतन ने महावीर के महाश्रमण है आप... कविता प्रस्तुत की। इसके बाद प्रताप फौजदार मंच पर आए। फौजदार ने क्षमा की धरा में प्रेम का बीज बो दिया तो मोक्ष से लौटकर वीर नहीं आएंगे...कविता के साथ अपना उद्बोधन शुरू किया। इसके बाद कवि चिराग जैन के साथ राजेश चेतन व प्रताप फौजदार ने हास्य रस की जैसे बौछार शुरू कर दी। तीनों कवियों ने एक से बढ़कर एक प्रस्तुतियां दी।

पत्रकार तो नारद के बेटे हैं..., राम घर आए तो दीवाली होती है...नेता तो कान्हाजी के वंशज है...जैसी कटाक्ष भरी कविताओं पर श्रोताओं ने खूब दाद दी। कवि सम्मेलन में व्यवस्था समिति के पदाधिकारियों सहित सैकड़ों श्रोता उपस्थित थे।