रविवार, 29 अप्रैल 2012

पर्यटन की नई पहचान बन सकता है फलौदी

पर्यटन की नई पहचान बन सकता है फलौदी
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फलौदी के समीप वन्य जीव क्षेत्रों को पर्यटन की दृष्टि से विकसित किया जा सकता है राज्य पक्षी गोडावण सहित वन्य जीव बन सकते हैं पर्यटन का आकर्षण

फलौदी   फलौदी में पर्यटन की विपुल संभावनाएं हैं। पर्यटन व वन विभाग मिलकर योजना बनाए तो फलौदी को पर्यटन क्षेत्र के रूप में विकसित किया जा सकता है। यहां वन्य जीवों की बहुलता है। इसमें गोडावण, उल्लू, तीतर, बटेर, तिलोर, खरगोश, सेली, लोमड़ी, झाऊ चूहा (सेह) सहित कई वन्य जीव पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बन सकते हैं। पर्यटन के लिहाज से यदि यहां योजना बनाई जाए तो जोधपुर, बीकानेर व नागौर से जैसलमेर जाने वाले पर्यटकों को रास्ते में फलौदी भी आकर्षित कर सकता है।
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जोधपुर, बीकानेर व नागौर से आने वाले सैलानियों को फलौदी से होकर ही जैसलमेर जाना पड़ता है। फलौदी से पांच किमी की दूरी पर स्थित खीचन गांव, फलौदी मुख्यालय, जोधपुर-फलौदी सड़क मार्ग पर लोहावट और फलौदी से जैसलमेर सड़क मार्ग पर तहसील मुख्यालय से करीब 25 किलोमीटर की दूरी पर स्थित खारा गांव पर्यटन की पट्टी के रूप में विकसित किया जा सकता है। सोलर ऊर्जा प्लांटों के कारण सोलर हब के रूप में पहचान बना रहे फलौदी को यह क्षेत्र वन्य पर्यटन पट्टी की पहचान भी दिला सकते हैं। ऐसा होने पर विश्व पर्यटन मानचित्र पर फलौदी को नई पहचान मिलेगी।

वन्य जीव की पट्टी बन सकती है

॥ फलौदी क्षेत्र में वास्तव में इन क्षेत्रों को लेकर पर्यटन की वन्य जीव पट्टी बनाई जा सकती है। पर्यटन की दृष्टि से यह नया प्रयोग होगा जो सैलानियों का रास आएगा। फलौदी क्षेत्र में पर्यटन एक उद्योग के रूप में विकसित किया जा सकता है। गोडावण की लगातार उपस्थिति को देखते हुए वन विभाग ने खारा के संबंधित वन क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है और भविष्य में भी इस पर और काम किया जाना प्रस्तावित है।ञ्ज

नरेन्द्रसिंह शेखावत

क्षेत्रीय वन अधिकारी, वन विभाग फलौदी

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