गुरुवार, 29 सितंबर 2011

वचाती सामूहिक रेप कांड: 4 आईएफएस समेत 215 दोषी करार

चेन्नई. तमिलनाडु की धर्मपुरी की एक अदालत ने गुरुवार को 1992 के एक मामले में वन विभाग के 215 कर्मचारियों को वचाती जनजाति के लोगों को प्रताड़ित करने का दोषी पाया है। इसमें 9 के खिलाफ महिलाओं के साथ बलात्कार का आरोप है।

धर्मपुरी की अदालत ने भारतीय वन सेवा के चार अधिकारियों को दोषी ठहराया है। आरोप है कि चंदन तस्कर वीरप्पन की खोज में सत्यमंगलम जंगलों में तलाशी अभियान के दौरान 250 वन कर्मियों और पुलिस वालों ने वचाती जनजाति के एक गांव में उत्पात मचाया था। इस दौरान गांव वालों को प्रताड़ित करने के साथ ही महिलाओं के साथ बलात्कार किया गया था।

जल्द ही सज़ा का ऐलान भी होने की उम्मीद है। लंबे समय से अदालत में चल रहा मामला राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की नज़र में भी आया था।
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यूनिवर्सिटी के 10 विभागों में पीएचडी पर ब्रेक

यूनिवर्सिटी के 10 विभागों में पीएचडी पर ब्रेक

जयपुर। राजस्थान यूनिवर्सिटी से डॉक्टरेट की उच्च डिग्री लेने का सपना देख रहे अभ्यर्थियों को यहां सीटों का डेड लॉक नहीं टूटने से इस बार निराशा का सामना करना पड़ेगा। दस विभागों में सीटें भरी होने से यहां से फिलहाल पीएचडी करने पर अघोषित ब्रेक लगी हुई है। सीटें खाली नहीं होने से यूनिवर्सिटी प्रशासन अगले माह आयोजित प्री पीएचडी परीक्षा में इन विषयों की परीक्षा भी आयोजित नहीं करवाए जाने की बात कह रहा है। इस बार पीएचडी में खाली सीटों की संख्या कम होने से अभ्यर्थियों को निराशा ही अधिक हाथ लगेगी। कई विभागों में सीटें खाली नहीं होने का सबसे अधिक खामियाजा यूजीसी और सीएसआईआर समेत अन्यत्र जगह से शोध कार्य के लिए छात्रवृत्ति प्राप्त करने वाले होनहार विद्यार्थियों को होगा, क्योंकि बिना पीएचडी में पंजीकरण करवाए इन्हें छात्रवृत्ति राशि नहीं मिलेगी।

साथ ही इस बार यूजीसी की ओर से पीएचडी के लिए आयोजित प्री.परीक्षा में नेट, गेट, स्लेट परीक्षाएं उत्तीर्ण विद्यार्थियों के बिना परीक्षा के पंजीकरण के लिए प्रदान की गई छूट अब समाप्त कर देने से इनकी मुश्किलें और बढ़ गई हैं।

यूनिवर्सिटी के शिक्षा, सूचना और संचार तकनीक विभाग (सीसीटी), कंप्यूटर विज्ञान, प्रबंधन, मानव विज्ञान, इतिहास और संस्कृति विभाग के साथ ही पत्रकारिता और आधुनिक यूरोपीय भाषा विभाग में पीएचडी की सीटें खाली नहीं हैं।

ये जानकारी इन विभागों ने यूनिवर्सिटी प्रशासन को भेजी है। इन विभागों के साथ ही ज्योतिर्विज्ञान, संग्रहालय एवं संरक्षण विभाग में भी डॉक्टरेट की डिग्री के लिए शोध निर्देशन करवाने वाले यूनिवर्सिटी शिक्षक शोध कायोंü में व्यस्त हैं और उनके पास सीटें खाली नहीं हैं। साथ ही सीसीटी के कॉगनेटिव एंड न्यूरोसाइंस विषय में भी पीएचडी की सिर्फ एक सीट ही रिक्त है। यूनिवर्सिटी अगले महीने एम फिल पीएचडी पात्रता परीक्षा आयोजित करवाने की तैयारी कर रहा है।

भज्जी,नेहरा बाहर,धोनी को नहीं मिला आराम


भज्जी,नेहरा बाहर,धोनी को नहीं मिला आराम
चेन्नई। इंग्लैंड के खिलाफ दो वनडे के लिए टीम इण्डिया का गुरूवार को ऎलान कर दिया गया। जिस तरह की टीम चुनी गई है उसे बी टीम कहा जा रहा है। चोट की वजह से चार प्रमुख खिलाडियों को टीम में नहीं लिया गया है। मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर, वीरेन्द्र सहवाग, जहीर खान और युवराज सिंह को टीम में नहीं लिया गया है। सचिन पांव के अंगूठे में चोट की समस्या से जूझ रहे हैं वहीं युवराज सिंह अंगुली में फ्रेक्चर का सामना कर रहे हैं।
हरभजन सिंह और तेज गेंदबाद आशीष नेहरा को टीम से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया है। हालांकि गौतम गंभीर की टीम में वापसी हुई है।

धोनी की नहीं दिया आराम
टीम के कप्तान महेन्द्र सिंह धोनी ने आराम मांगा था लेकिन बीसीसीआई ने धोनी की अपील ठुकरा दी है। धोनी ने कहा था कि आगामी ऑस्ट्रेलिया दौरे के मद्देनजर उनका आराम करना जरूरी है। पहला वनडे 14 को हैदराबाद में और दूसरा 17 अक्टूबर को दिल्ली में खेला जाएगा। सीरीज के अन्य मैच मोहाली, मुम्बई और कोलकाता में होने हैं।

टीम

महेन्द्र सिंह धोनी (कप्तान),गौतम गंभीर, विराट कोहली, सुरेश रैना,अजिंक्या रहाणे, पार्थिव पटेल, रविन्द्र जडेजा, प्रवीण कुमार, वरूण एरोन, उमेश यादव, राहुल शर्मा, एस अरविंद, विनय कुमार, आर अश्विन और मनोज तिवारी।

चारागाह-सरकारी जमीन पर अतिक्रमण किया तो चुनाव के लिए अयोग्य



जयपुर। पंचायतीराज मंत्री भरतसिंह ने कहा है कि ग्रामीण क्षेत्रों में चारागाह और अन्य सरकारी जमीन पर अतिक्रमण करने वालों को चुनाव लडऩे के अयोग्य कर दिया जाना चाहिए। इस संबंध में जनप्रतिनिधियों की राय से वे सरकार को कानून बनाने के लिए प्रस्ताव भेजेंगे। सिंह के अनुसार ज्यादातर अतिक्रमण प्रभावशाली लोग ही करते हैं। रसूखदार-राजनेताओं की शह के बिना यह संभव नहीं होता।


ओटीएस में शामलात अभियान के राज्य स्तरीय समारोह में सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से आदेश बहुत निकलते हैं, लेकिन असली समस्या उनके प्रभावी होने को लेकर है। ग्रास रूट लेवल पर वे सही रूप में क्रियान्वित नहीं हो पाते और उनमें ढेरों परेशानियां खड़ी हो जाती हैं। आज बड़ी संख्या में चारागाह और सरकारी जमीन प्रभावशाली लोगों के कब्जे में है। ऐसे स्थानों पर अतिक्रमण हटाने की जिम्मेदारी पंचायतों की है और उन्हें सशक्त होकर फैसला करना पड़ेगा।


उन्होंने कहा कि कई मामलों में यह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण होता है कि अतिक्रमण करने वाला प्रभावशाली होता है साथ में जांच करने वाला भी उस अतिक्रमण में इतना ही भागीदार निकलता है। ऐसे में अतिक्रमण हट पाना संभव नहीं होते। अब विभाग ऐसी योजना बना रहा है कि सभी ग्रामीण क्षेत्रों में चारागाह भूमि, अतिक्रमण करने वाले का नाम सार्वजनिक रूप से बोर्ड पर चस्पा किया जाएगा।


पंचायतीराज संस्थाएं पुरस्कृत : पंचायती राज मंत्री ने समारोह में एक जिला परिषद को 15 लाख रुपए, 7 पंचायत समितियों को 9-9 लाख रु. तथा 14 ग्राम पंचायतों को 5-5 लाख रु., ÓÓपंचायत सशक्तीकरण एवं प्रोत्साहन योजनाÓÓ के तहत पुरस्कार स्वरूप दिए। जिला परिषद बाड़मेर के अलावा लाडनू (नागौर), नदबई (भरतपुर), किशनगंज (बारां), गिर्वा (उदयपुर), बिलाड़ा (जोधपुर), नोहर (हनुमानगढ़) तथा पंचायत समिति चिड़ावा (झुंझुनूं) को पुरस्कृत किया गया। प्रत्येक संभाग से 2-2 ग्राम पंचायतों को पुरस्कार दिए गए।

डेजर्ट कोर वारियर्स की माउंट भागीरथीप्प की सफल च़ाई


डेजर्ट कोर वारियर्स की माउंट भागीरथीप्प की सफल च़ाई 
 
गो
ल्डन कटार पर्वतारोही अभियान दल के 13 डेजर्ट वारियर्स ने 07 सितम्बर 2011 को दोपहर 12:40 बजे माउंट भागीरथीप्प द्धितीयद्ध की चोटी को चूमा। 


ग़वाल हिमालय में स्थित भागीरथीप्प जिसके सर्वोच्च शिखर की उंचाई समुद्र तल से 6512 मीटर का नामकरण पौराणिक राजकुमार के नाम पर हुआ। पर्वतारोही दल जिसमें 30 सदस्य थे, को जी ओ सी, गोल्डन कटार डिवीजन ने पिछले महिने की 8 अगस्त को शाहीबाग अहमदाबाद में हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया। 

दल के सभी 30 सदस्य अहमदाबाद लौटे, जिनका 29 सितम्बर 2011 को अहमदाबाद में लेफि्टनेन्ट जनरल ए के सिंह, ए वी एस एम, वी एस एम, एस एम, ए डी सी, जनरल ऑफिसर कमाण्डिंग इन चीफ ;आर्मी कमाण्डरद्ध, दक्षिण कमाण्ड ने शानदार स्वागत किया। 

स्वागत समारोह के दौरान लेफि्टनेन्ट जनरल ए के सिंह, ए वी एस एम, वी एस एम, एस एम, ए डी सी ने टीम को उनकी अद्धितीय क्षमता, दृ़ निश्चय और गहन अभ्यास, व्यापक तैयारियों तथा शिखर विजय के लिए शाबासी दी तथा उनका हौसला अफ्जाई किया। अभियान की तैयारी के दौरान आर्मी कमाण्डर ने ग़वाल क्षेत्र के पिछड़े इलाकों व स्थानीय निवासियों के बीच सौहार्द ब़ाने के लिए सभी आवश्यक उपायों को अपनाने पर जोर देते हुए आवश्यक निर्देश दिये। अभियानद ल के द्वारा आर्मी कमाण्डर को सौहार्द रूप में बर्फीली कुल्हाड़ी और फोर्मेशन का ध्वज भेंट करने के दौरान जनरल ने उनको संबोधित किया। इस अवसर पर पर्वतारोही अभियान के समायोजन में उपयुक्त प्रयासों के आंतरिक अवलोकन तथा इसमें प्रयुक्त पर्वतारोहण के उच्च तुंगता उपकरणों व अभ्यास तथा तैयारियों की झलक दिखाने वाली चित्रों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। 

उक्त पर्वतारोही दल को दो भागों में स्वामी विवेकानन्द पर्वतारोहण संस्थान, माउण्ट आबू और सैन्य पर्वतारोहण संस्थान, सियाचीन बेस कैम्प में अभ्यास कराया गया था। इस दल ने 9 अगस्त 2011 को अहमदाबाद से हरसिल;उत्तरकाशीद्ध के लिए अपनी यात्रा प्रारंभ की। मूसलाधार बारिश व चट्टानों के स्खलन के बावजूद अभियान दल 14 अगस्त 2011 को हरसिल पहुंचने के लिए अपना रास्ता बनाने में कामयाब हुआ। गंगोत्री के उंचे पहाड़ी इलाकों में 14 दिन का कठोर प्रशिक्षण तथा अपने आप को वातानुकूल बनाने के पश्चात दल ने 4800 मीटर की उंचाई वाले स्थान पर 3 सितम्बर को अपना अग्रिम बेस कैम्प स्थापित किया और तत्पश्चात 6 सितम्बर को भारी हिमपात होने के बावजूद 5400 मीटर की तुंगता की उंचाई पर शिखर कैम्प स्थापित किया। 



07 सितम्बर को 12:40 बजे दोपहर बाद 8 घंटे की कठिन व तकनीकी च़ाई के बाद 13 पर्वतारोही का दल जिसमें एक अधिकारी व एक सरदार साहिबान शामिल थे, माउंट भागीरथीप्प के शिखर पर पहुंचे और शिखर पर अपने फोर्मेशन के झण्डे के साथ तिरंगा फहराया। दल ने शिखर पर ॔पर्यावरण बचाओ, भविष्य सुरक्षित करो’ के संदेश को फैलाने के उद्देश्य के साथ पवित्र ॔तुलसी’ का पौधा भी लगाया। शिखर पर विजय पाने वाले अंतिम पर्वतारोही में कैप्टन रोहित नायक, सिपाही हरप्रीत सिंह, सिपाही जगसीर सिंह, सिपाही मनदीप सिंह, ना.सूबेदार मींगमार गुरंग, सेना मेडल, नायक रोबिन पौडियाल, ला.नायक लक्ष्मण शम्भाजी, ला.नायक दशरथ सबाले, रायफल मैन मो. अल्ताफ, ला.हवलदार नारायण सिंह रावत, नायक परवेश कुमार और ला.नायक जगमोहन सिंह थे। 

अभियान के दौरान पूरी टीम को मौसम के बदलते रूख, कठोर शारीरिक गतिविधियों का च़ाई व उतराई के समय सामना करना पड़ा और साहसिक रोमांच का अनुभव किया, जो सब भारतीय सेना के सैनिक के सैन्य क्षमता व नेतृत्व कौशल का विकास करने के लिए आवश्यक है।