गुरुवार, 29 सितंबर 2011

डेजर्ट कोर वारियर्स की माउंट भागीरथीप्प की सफल च़ाई


डेजर्ट कोर वारियर्स की माउंट भागीरथीप्प की सफल च़ाई 
 
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ल्डन कटार पर्वतारोही अभियान दल के 13 डेजर्ट वारियर्स ने 07 सितम्बर 2011 को दोपहर 12:40 बजे माउंट भागीरथीप्प द्धितीयद्ध की चोटी को चूमा। 


ग़वाल हिमालय में स्थित भागीरथीप्प जिसके सर्वोच्च शिखर की उंचाई समुद्र तल से 6512 मीटर का नामकरण पौराणिक राजकुमार के नाम पर हुआ। पर्वतारोही दल जिसमें 30 सदस्य थे, को जी ओ सी, गोल्डन कटार डिवीजन ने पिछले महिने की 8 अगस्त को शाहीबाग अहमदाबाद में हरी झण्डी दिखा कर रवाना किया। 

दल के सभी 30 सदस्य अहमदाबाद लौटे, जिनका 29 सितम्बर 2011 को अहमदाबाद में लेफि्टनेन्ट जनरल ए के सिंह, ए वी एस एम, वी एस एम, एस एम, ए डी सी, जनरल ऑफिसर कमाण्डिंग इन चीफ ;आर्मी कमाण्डरद्ध, दक्षिण कमाण्ड ने शानदार स्वागत किया। 

स्वागत समारोह के दौरान लेफि्टनेन्ट जनरल ए के सिंह, ए वी एस एम, वी एस एम, एस एम, ए डी सी ने टीम को उनकी अद्धितीय क्षमता, दृ़ निश्चय और गहन अभ्यास, व्यापक तैयारियों तथा शिखर विजय के लिए शाबासी दी तथा उनका हौसला अफ्जाई किया। अभियान की तैयारी के दौरान आर्मी कमाण्डर ने ग़वाल क्षेत्र के पिछड़े इलाकों व स्थानीय निवासियों के बीच सौहार्द ब़ाने के लिए सभी आवश्यक उपायों को अपनाने पर जोर देते हुए आवश्यक निर्देश दिये। अभियानद ल के द्वारा आर्मी कमाण्डर को सौहार्द रूप में बर्फीली कुल्हाड़ी और फोर्मेशन का ध्वज भेंट करने के दौरान जनरल ने उनको संबोधित किया। इस अवसर पर पर्वतारोही अभियान के समायोजन में उपयुक्त प्रयासों के आंतरिक अवलोकन तथा इसमें प्रयुक्त पर्वतारोहण के उच्च तुंगता उपकरणों व अभ्यास तथा तैयारियों की झलक दिखाने वाली चित्रों की प्रदर्शनी भी आयोजित की गई। 

उक्त पर्वतारोही दल को दो भागों में स्वामी विवेकानन्द पर्वतारोहण संस्थान, माउण्ट आबू और सैन्य पर्वतारोहण संस्थान, सियाचीन बेस कैम्प में अभ्यास कराया गया था। इस दल ने 9 अगस्त 2011 को अहमदाबाद से हरसिल;उत्तरकाशीद्ध के लिए अपनी यात्रा प्रारंभ की। मूसलाधार बारिश व चट्टानों के स्खलन के बावजूद अभियान दल 14 अगस्त 2011 को हरसिल पहुंचने के लिए अपना रास्ता बनाने में कामयाब हुआ। गंगोत्री के उंचे पहाड़ी इलाकों में 14 दिन का कठोर प्रशिक्षण तथा अपने आप को वातानुकूल बनाने के पश्चात दल ने 4800 मीटर की उंचाई वाले स्थान पर 3 सितम्बर को अपना अग्रिम बेस कैम्प स्थापित किया और तत्पश्चात 6 सितम्बर को भारी हिमपात होने के बावजूद 5400 मीटर की तुंगता की उंचाई पर शिखर कैम्प स्थापित किया। 



07 सितम्बर को 12:40 बजे दोपहर बाद 8 घंटे की कठिन व तकनीकी च़ाई के बाद 13 पर्वतारोही का दल जिसमें एक अधिकारी व एक सरदार साहिबान शामिल थे, माउंट भागीरथीप्प के शिखर पर पहुंचे और शिखर पर अपने फोर्मेशन के झण्डे के साथ तिरंगा फहराया। दल ने शिखर पर ॔पर्यावरण बचाओ, भविष्य सुरक्षित करो’ के संदेश को फैलाने के उद्देश्य के साथ पवित्र ॔तुलसी’ का पौधा भी लगाया। शिखर पर विजय पाने वाले अंतिम पर्वतारोही में कैप्टन रोहित नायक, सिपाही हरप्रीत सिंह, सिपाही जगसीर सिंह, सिपाही मनदीप सिंह, ना.सूबेदार मींगमार गुरंग, सेना मेडल, नायक रोबिन पौडियाल, ला.नायक लक्ष्मण शम्भाजी, ला.नायक दशरथ सबाले, रायफल मैन मो. अल्ताफ, ला.हवलदार नारायण सिंह रावत, नायक परवेश कुमार और ला.नायक जगमोहन सिंह थे। 

अभियान के दौरान पूरी टीम को मौसम के बदलते रूख, कठोर शारीरिक गतिविधियों का च़ाई व उतराई के समय सामना करना पड़ा और साहसिक रोमांच का अनुभव किया, जो सब भारतीय सेना के सैनिक के सैन्य क्षमता व नेतृत्व कौशल का विकास करने के लिए आवश्यक है। 

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