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शटअप! यू शटअप!
बाडमेर। सांसद हरीश चौधरी और बायतु विधायक कर्नल सोनाराम चौधरी मंगलवार को कांग्रेस कार्यालय में एक-दूसरे से उलझ गए। दोनों बीच तू-तडाक हुई और एक ने शटअप कहा तो दूसरे ने जवाब में यू शटअप। बाद में जिले के प्रभारी एवं बीकानेर के जिला प्रमुख रामेश्वर डूडी व अन्य विधायकों ने दोनों को शांत किया।
संगठन चुनाव को लेकर हुई बैठक में सोनाराम ने कहा कि उनके विधानसभा क्षेत्र में पोकरण-फलसूण्ड-हीरे की ढाणी जलप्रदाय योजना के लिए मुख्यमंत्री को अवगत कराया था, लेकिन उन्होंने ध्यान नहीं दिया और बजट में कोई घोषणा नहीं की। इस पर हरीश चौधरी ने कहा कि जिले में 198 करोड रूपए योजनाओं के लिए दिए गए हैं। यह तथ्य गलत निकले तो इस्तीफा देने को तैयार हूं। इस पर सोना राम दुबारा खडे हो गए और कहा कि वे सही कह रहे हैं, भेदभाव किया गया है।
इस पर सांसद ने कुछ बोलना चाहा तो विधायक ने कहा शट अप...। जवाब में सांसद ने कहा कि यू शट अप। इसके बाद दोनों में नोंक-झोंक शुरू हो गई। सोनाराम कहने लगे कि आप दिल्ली की पंचायती करो, राज्य की नहीं। मैं भी तीन बार सांसद रहा हूं सब जानता हूं। हरीश ने भी जवाब में कहा कि सही बात की पैरवी की जानी चाहिए। गलत जानकारी देने की जरूरत नहीं है। इसके बाद दोनों तू-तडाके पर उतर आए। विधायक मेवाराम जैन, मदन प्रजापत, पदमाराम मेघवाल, रामेश्वर डूडी सहित कांग्रेस के अन्य लोगों ने दोनों को शांत किया।
चापलूसी करते हैंकुछ लोग यूं ही चापलूसी कर रहे हैं। मैंने गलत नहीं कहा है। बजट भाषण की कॉपी देख लें। विधानसभा में भी मैंने यह बात कही थी। पेयजल योजना के लिए पैसा नहीं दिया है तो चुप क्यों रहूंगाक् -कर्नल सोनाराम चौधरी, विधायक, बायतु
योजना को लेकर बात हुईजलप्रदाय योजना को लेकर बात हुई है। उन्होंने कहा कि बजट नहीं दिया है तो मैंने जानकारी दी कि बजट दिया गया है।-हरीश चौधरी, सांसद
पुलिस मुठभेड में एक तस्कर ढेर
।बाडमेर देवगढ थाना क्षेत्र से मंगलवार शाम नाकाबंदी तोडकर भागे तस्करों व पुलिस के बीच लसानी के जंगलों में हुई मुठभेड के दौरान फायरिंग में एक तस्कर की मौत हो गई जबकि एक को देवगढ व बाडमेर पुलिस ने धर दबोचा।बाडमेर थाना पुलिस वहां बलदेवनगर में तीन दिन पूर्व हैड कांस्टेबल सहित दो जनों पर हुए गोलीकांड में आरोपियों की तलाश के लिए शाम को ही देवगढ पहुंची थी। आरोपियों के देवगढ की तरफ आने की सूचना मिलने पर देवगढ पुलिस के सहयोग से नाकाबंदी की गई। इस दौरान शाम को तेज गति से आती एक स्कॉर्पियो को पुलिस ने हाथ देकर रोका तो तस्करों ने गाडी में से ही फायरिंग शुरू कर दी। पुलिस ने इधर-उधर होकर अपनी जान बचाई व बाद में तस्करों के पीछे लग गई। तस्कर कुछ आगे जाने के बाद लसानी के जंगलों में भाग निकले। पुलिस को पीछे आता देख उन्होंने फिर फायर कर दिए। जवाबी कार्रवाई में पुलिस ने भी फायर किए जिसमें बिलाडा (जोधपुर) निवासी छोटूराम पुत्र दयाराम को गोली लगी। पुलिस की एक टीम ने उसे संभाला जबकि दूसरी टीम ने घेराबंदी कर राशमी (चित्तौडगढ) निवासी शंकर पुत्र छोगालाल अहीर को गिरफ्तार कर लिया। घायल छोटूराम को लेकर पुलिस भीम चिकित्सालय पहुंची जहां से उसे ब्यावर व वहां से अजमेर रेफर कर दिया। अजमेर चिकित्सालय ले जाते रास्ते में उसने दम तोड दिया। आरोपी शंकर के पास से पिस्टल, कारतूस व खाली खोल बरामद किया। घटना की सूचना मिलने पर एसपी नितीनदीप ब्लग्गन व एफएसएल टीम मौके पर पहुंची। एसएसएल ने घटनास्थल व गाडी में आवश्यक साक्ष्य लिए।
शातिर हैं दोनों आरोपी
एसपी ब्लग्गन ने बताया कि मृतक छोटूराम के खिलाफ हत्या का प्रयास व डकैती का जोधपुर के लूणी, फिरौती का डांगियावास व मारपीट का महामंदिर में मुकदमा दर्ज है जबकि गिरफ्तार शंकर शातिर तस्कर है जिसके खिलाफ राजनगर थाने में डकैती की योजना व आम्र्स एक्ट का मुकदमा दर्ज है। मादक पदार्थ तस्करी के मामले में वह कपासन (चित्तौडगढ) में वांछित चल रहा है।
लूट व कातिलाना हमले के आरोपियों पर ईनाम घोषित
बाड़मेर & शहर में माल गोदाम रोड़ पर कृष्णकांत पालीवाल के साथ हुई लूट व बलदेव नगर निवासी आरोपियों के बारे में सही जानकारी देने पर संबंधित व्यक्तिा को दो हजार रुपए नकद ईनाम की घोषणा की है। जिला पुलिस अधीक्षक संतोष चालके ने बताया कि शहर में बीती 14 मई को माल गोदाम रोड़ पर कृष्णकांत पालीवाल सपत्नीक बाइक पर घर जा रहे थे। इसबीच दो अज्ञात बाइक सवार अपराधियों ने डेढ़ लाख रुपए से भरा बैग छीन भाग गए। इस संबंध में आरोपियों के बारे में सही जानकारी जिला पुलिस को देने पर संबंधित व्यक्ति को दो हजार रुपए का नकद ईनाम देने की घोषणा और इसी तरह 14 मई को बलदेव नगर में पुलिस हैड कानिस्टेबल सोनाराम व गंगाराम पर आरोपी दिनीया उर्फ दिनेश पुत्र डूंगराराम जाति जाट निवासी भुरटिया हाल बलदेव नगर व उसके सह अपराधी द्वारा देशी कट्टे से घायल कर भागने वालों की सूचना देने वाले को ईनाम दिया जाएगा।
बोलेरो-पिकअप भिड़ंत में दो मरे ग्यारह घायल
बाड़मेर. शिव थाना क्षेत्र के भियाड़ गांव में फलसंूड सड़क मार्ग पर एक बोलेरो व पिक अप गाड़ी की आमने -सामने हुई भिडं़त में दो जनों की मौत हो गई, वहीं ग्यारह जने घायल हो गए। जिन्हें उपचार के लिए राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर लाया गया। जहां पर गंभीर रुप से घायल चार जनों को जोधपुर रैफर कर दिया गया। पुलिस थाना शिव के एएसआई हरिसिंह ने बताया कि भियाड़ गांव के बस स्टैंड पर भियाड़ से गोडागड़ा की तरफ जा रही बोलेरो को फलसंूड रोड़ पर सामने से आ रही पिकअप के चालक कायम खां पुत्र हकीम खां निवासी उण्डू ने टक्कर मार दी। जिससे बोलेरो गाड़ी का संतुलन बिगडऩे से वह पलटी खा गई। इस हादसे में बोलेरो के चालक डूंगराराम (30) पुत्र कानाराम निवासी भियाड़ की घटनास्थल पर ही मौत हो गई। वहीं कबूल खां (60)पुत्र उमर खां निवासी उण्डू ने कुछ ही देर बाद दम तोड़ दिया। बोलेरो में सवार गेरों देवी पत्नी रतनाराम जाट निवासी भियाड़, जेठी देवी पत्नी पोकरराम भियाड़, गीता देवी पुत्री गोरधनराम भियाड़, पारु पत्नी हड़मानराम जाट निवासी सवाऊ पदमसिंह, मूली पत्नी गंगाराम निवासी भियाड़, हेमी पत्नी मेगाराम भियाड़ एवं पिकअप में सवार ईसाक खां पुत्र आयश खां निवासी उण्डू, गुलाम पुत्र अली खां, सुमार खां पुत्र तालब खां, हुसैन पुत्र कबूल खां, दिलबर खां पुत्र अब्दुल खां निवासी उण्डू घायल हो गए। घायलों को उपचार के लिए बाड़मेर लाया गया। जहां पर चार गंभीर रुप से घायलों को जोधपुर रैफर कर दिया गया।
मंगलवार, 11 मई 2010
राजस्थान: बाड़मेर के प्रकाश आईएएस में दूसरे स्थान पर
राजस्थान: बाड़मेर के प्रकाश आईएएस में दूसरे स्थान पर
बाड़मेर: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा-2009 के नतीजे गुरुवार को घोषित कर दिए गए। इसमें राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव आराबा के 24 वर्षीय प्रकाश राजपुरोहित दूसरे स्थान पर रहे। देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ (IAS) में प्रकाश देश में दूसरे व राजस्थान में प्रथम स्थान पर रहे।
आईआईटी, दिल्ली से 2006 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक. करने वाले प्रकाश का सिविल सेवा परीक्षा के लिए यह दूसरा प्रयास था। इससे पूर्व वे 2008 की परीक्षा में साक्षात्कार तक पहुंचे थे। वर्तमान में गाजियाबाद में अपने परिवार के साथ रह रहे प्रकाश के पिता देवीसिंह राजपुरोहित स्वयं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिग्रीधारी हैं और वर्तमान में गाजियाबाद की एक निजी कंपनी में बतौर मैनेजर कार्यरत हैं। प्रकाश की मां 12वीं पास गृहिणी हैं।
एक सामान्य परिवार के प्रकाश अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। प्रकाश ने अपने चयन के बाद बातचीत करते हुए कहा, ‘मैंने 2006 में बी.टेक के बाद एक निजी कंपनी में छह माह जॉब किया। उसके बाद विभिन्न जॉब को नजदीक से देखा, लेकिन आईएएस बनकर जनता की सेवा के साथ कई चुनौतियों का सामना करने की मेरी ललक थी।’ प्रकाश ने कहा कि इस बार परीक्षा देने के बाद वे अपने चयन को लेकर आश्वस्त तो थे, लेकिन टॉपर बनेंगे, यह पता नहीं था। प्रकाश ने बताया, ‘आईएएस परीक्षा में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग व गणित मेरे विषय थे और मेरी विषयों पर काफी अच्छी पकड़ थी।’
दिल्ली के दयानंद विहार स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल से 12वीं पास प्रकाश शुरू से मेधावी छात्र रहे हैं। प्रकाश राजपुरोहित आईएएस के रूप में अपने मूल प्रदेश राजस्थान में सेवा के इच्छुक हैं। प्रकाश ने कहा, ‘मेरी शुरू से इच्छा रही है कि मैं अपने प्रदेश में ही सेवा करूं।’ अगर राजस्थान में इस बार आईएएस की वेकेंसी होगी, तो प्रकाश को निश्चित रुप से दूसरा स्थान हासिल करने के कारण ‘होम कैडर’ यानि राजस्थान कैडर मिलेगा।
प्रकाश ने कहा, ‘मैं चारों बार सिविल सेवा की परीक्षा देकर आईएएस बनने का भरपूर प्रयास करता, उसके बाद भी अगर आईएएस नहीं मिलता तो आईपीएस बनता।’ उन्होंने अपने परीक्षा परिणाम पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं मई महीने की शुरूआत से रोज यूपीएससी कार्यालय सवेरे फोन कर जानकारी लेता था कि आईएएस का रिजल्ट कब आ रहा है। जब गुरूवार सवेरे रोजाना की तरह फोन किया, तो जानकारी मिली कि आज दोपहर 3 बजे रिजल्ट आ रहा है, तो मैं २ बजे से इंटरनेट पर बैठ गया। जैसे ही मैंने अपना रोल नंबर टाइप किया, तो पूरे देश में दूसरी रैंक देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन, मैं यह भी सोचने लगा कि काश पहली रैंक होती! फिर भी मैं संतुष्ट हूं कि आईएएस बन गया।’
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित वर्ष 2009 के सिविल सेवा परीक्षा परिणाम में कुल 875 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए, जिनमें से 680 पुरूष व 195 महिलाएं हैं। इस वर्ष की परीक्षा में टॉपर जम्मू-कश्मीर के कूपवाड़ा के डॉ. शाह फैजल रहे, वहीं तीसरे स्थान पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली की छात्रा इवा सहाय रहीं। कुल 25 टॉपर में से 15 पुरूष व 10 महिलाएं हैं। वर्ष 2009 में 875 पदों के लिए 409101 आवेदन आए, उसमें से 193091 प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित हुए और 12026 परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में बैठे। इनमें से 2432 को को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और 875 अभ्यर्थी अंतिम रुप से सफल घोषित किए गए।
बाड़मेर: संघ लोक सेवा आयोग (UPSC) द्वारा आयोजित सिविल सेवा परीक्षा-2009 के नतीजे गुरुवार को घोषित कर दिए गए। इसमें राजस्थान के बाड़मेर जिले के छोटे से गांव आराबा के 24 वर्षीय प्रकाश राजपुरोहित दूसरे स्थान पर रहे। देश की सबसे प्रतिष्ठित सेवा ‘भारतीय प्रशासनिक सेवा’ (IAS) में प्रकाश देश में दूसरे व राजस्थान में प्रथम स्थान पर रहे।
आईआईटी, दिल्ली से 2006 में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग में बी.टेक. करने वाले प्रकाश का सिविल सेवा परीक्षा के लिए यह दूसरा प्रयास था। इससे पूर्व वे 2008 की परीक्षा में साक्षात्कार तक पहुंचे थे। वर्तमान में गाजियाबाद में अपने परिवार के साथ रह रहे प्रकाश के पिता देवीसिंह राजपुरोहित स्वयं इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग डिग्रीधारी हैं और वर्तमान में गाजियाबाद की एक निजी कंपनी में बतौर मैनेजर कार्यरत हैं। प्रकाश की मां 12वीं पास गृहिणी हैं।
एक सामान्य परिवार के प्रकाश अपने माता-पिता की इकलौती संतान हैं। प्रकाश ने अपने चयन के बाद बातचीत करते हुए कहा, ‘मैंने 2006 में बी.टेक के बाद एक निजी कंपनी में छह माह जॉब किया। उसके बाद विभिन्न जॉब को नजदीक से देखा, लेकिन आईएएस बनकर जनता की सेवा के साथ कई चुनौतियों का सामना करने की मेरी ललक थी।’ प्रकाश ने कहा कि इस बार परीक्षा देने के बाद वे अपने चयन को लेकर आश्वस्त तो थे, लेकिन टॉपर बनेंगे, यह पता नहीं था। प्रकाश ने बताया, ‘आईएएस परीक्षा में इलेक्ट्रिक इंजीनियरिंग व गणित मेरे विषय थे और मेरी विषयों पर काफी अच्छी पकड़ थी।’
दिल्ली के दयानंद विहार स्थित डीएवी पब्लिक स्कूल से 12वीं पास प्रकाश शुरू से मेधावी छात्र रहे हैं। प्रकाश राजपुरोहित आईएएस के रूप में अपने मूल प्रदेश राजस्थान में सेवा के इच्छुक हैं। प्रकाश ने कहा, ‘मेरी शुरू से इच्छा रही है कि मैं अपने प्रदेश में ही सेवा करूं।’ अगर राजस्थान में इस बार आईएएस की वेकेंसी होगी, तो प्रकाश को निश्चित रुप से दूसरा स्थान हासिल करने के कारण ‘होम कैडर’ यानि राजस्थान कैडर मिलेगा।
प्रकाश ने कहा, ‘मैं चारों बार सिविल सेवा की परीक्षा देकर आईएएस बनने का भरपूर प्रयास करता, उसके बाद भी अगर आईएएस नहीं मिलता तो आईपीएस बनता।’ उन्होंने अपने परीक्षा परिणाम पर खुशी व्यक्त करते हुए कहा, ‘मैं मई महीने की शुरूआत से रोज यूपीएससी कार्यालय सवेरे फोन कर जानकारी लेता था कि आईएएस का रिजल्ट कब आ रहा है। जब गुरूवार सवेरे रोजाना की तरह फोन किया, तो जानकारी मिली कि आज दोपहर 3 बजे रिजल्ट आ रहा है, तो मैं २ बजे से इंटरनेट पर बैठ गया। जैसे ही मैंने अपना रोल नंबर टाइप किया, तो पूरे देश में दूसरी रैंक देखकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं रहा। लेकिन, मैं यह भी सोचने लगा कि काश पहली रैंक होती! फिर भी मैं संतुष्ट हूं कि आईएएस बन गया।’
संघ लोक सेवा आयोग द्वारा घोषित वर्ष 2009 के सिविल सेवा परीक्षा परिणाम में कुल 875 अभ्यर्थी उत्तीर्ण हुए, जिनमें से 680 पुरूष व 195 महिलाएं हैं। इस वर्ष की परीक्षा में टॉपर जम्मू-कश्मीर के कूपवाड़ा के डॉ. शाह फैजल रहे, वहीं तीसरे स्थान पर जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली की छात्रा इवा सहाय रहीं। कुल 25 टॉपर में से 15 पुरूष व 10 महिलाएं हैं। वर्ष 2009 में 875 पदों के लिए 409101 आवेदन आए, उसमें से 193091 प्रारंभिक परीक्षा में उत्तीर्ण घोषित हुए और 12026 परीक्षार्थी मुख्य परीक्षा में बैठे। इनमें से 2432 को को साक्षात्कार के लिए बुलाया गया और 875 अभ्यर्थी अंतिम रुप से सफल घोषित किए गए।
रविवार, 9 मई 2010
शनिवार, 8 मई 2010
BARMER NEWS TRACK
बाडमेर- पाकिस्तान में मांगणियार जाति के लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से अलग पहचान बना रखी हैं।पाक के सिन्ध प्रान्त के मिटठी,रोहड़ी,गढरा,थारपारकर,उमरकोट,खिंपरो,सांगड आदि जिलों में मांगणियार जाति के लोग निवास करते हैं।पाक में रह रहे मांगणियार मूलतःबाड मेर-जैसलमेर जिलों के हैं,जो भारत-पाक युद्ध 1965 और 1971 में पलायन कर पाक चले गए।थार संस्कृति और परम्परा को लोक गीतों के माध्यम से अपनी छटा बिखेरने वाले मांगणियार कलाकारों की पाक में सम्मान जनक स्थिति नहीं थी।पाक के मांगणियार भी राजपूत जाति के यॅहा यजमानी कर अपना पालन पोद्गाण करते थे।सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं।सोढा राजपूतों की सिन्ध में जागीरदारी होने के कारण कई मांगणियार परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाक में रह गए तो कई परिवार युद्ध के दौरान पाक चले गए।बाड मेर से गये एक परिवार में सन1961में संगीत के कोहिनूर ने जन्म लिया।इस कोहिनूर जिसे पाकिस्तान और विदेशो में उस्ताद सफी मोहम्मद फकीर के नाम से जाना जाता हैं, मोगणियार गायकी को पाक में अलग पहचान और खयाति दिलाई।उनके अलावा अनाब खान, शौकत खान,हयात खान,मोहम्मद रफीक,सच्चु खान,सगीर खान ढोली, ने मांगणियार संस्कृति को पाक में नई पहचान दी हैं।
इसके अलावा बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर स्थित देवीकोट के मूल निचासी फिरोज गुल ने पाक में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुर्नजीवित कर काफी नाम कमाया,पाक में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं हैं।पाक की मद्गाहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश -विदेशो में खयाति अर्जित कर रहे हैं।पाक में मारवाडी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं।वहीं पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया तथा मारवाडी लोक गीत संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया।इसके अलावा पाक में कृद्गण भील,सुमार भीलमोहन भगत,जरीना,माई नूरी,माईडडोली,माई सोहनी,सबीरा सुल्तान,दिलबर खान,फरमान अली,आमिर अली असलम खान,लॉग खान सुमार खानमोहम्मद इकबाल जैसे मांगणियार लोक गीत संगीत के पहरुओं ने राजस्थान की लोक कला ,गीत संगीत,संस्कृति और परम्परा को पाक में जिन्दा रखा तथा मान सम्मान दिला रहे हैं।सिन्ध और थार की लोक संस्कृति ,परम्पराओं गीत संगीत ,कला में महज देश का फर्क हैं।
मांगणियार लोक गायकों ने लोक गीत संगीत के जरिए दोनों देशो की सीमाऐं तोड़ दी।पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों नें थार शैली के लोक गीत-संगीत कों पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा अपितु उसे देनिया भर में नई उचाईयॉ दी।पाकिस्तान में एक वक्त हारमोनियम समाप्त सा हो गया था।ऐसे में फिरोज मांगणियार नें हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के शिकार पर पहुचाया।फिरोज मांगणियार आज पाकिस्तान की मद्गाहूर लोक गायिका आबिदा परवीन कें दल में शामिल हो कर नयें आयाम छू रहे हैं।पाकिस्तान की मशुर लोक गायिका रेशमा जिन्होंने देश विदेशो में अपनी अलग गायकी से अपना अलग मुकाम बनाया।रेशमा मूलतः राजस्थान के बीकानेर क्षैत्र की निवासी थी,रेशमा का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान चला गया।बिना लिखी पढी रेशमा नें विश्व भरमेंअपनी खास पहचान बनाई।दोनों देशो की सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी।लोक गीत संगीत कें माध्यम सें दोनो देशो की अवाम अपने रिश्ते कायम रखे हुए हैं।
स्वरूप खान इंडियन आइडल में मचाएगा धूम
अपनी शानदार गायकी से निर्णायकों को किया मंत्रमुग्ध, अंतिम 16 में हुआ चयन
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बईया के रहने वाले स्वरूप खान की संगीत के प्रति दीवानगी देखने लायक है। बचपन से ही अपने परिजनों के साथ लोक संगीत में अपने आप को पारंगत करने में जुटा स्वरूप खान आज इंडियन आइडल के अंतिम 16 प्रतिभागियों में सलेक्ट हो गया है। स्वरूप खान के चयन पर जैसलमेरवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई।
स्थानीय लोक कलाकार पूर्व में भी देश-विदेश में अपनी गायकी का लोहा मनवा चुके हैं। बॉलीवुड व हॉलीवुड में परफॉर्मेंस देने के बाद अब इंडियन आइडल भी लोक कलाकारों की गायकी से अछूता नहीं रहा और स्वरूप खान को अंतिम 16 में जगह मिल गई। अहमदाबाद में ऑडिशन देने के बाद स्वरूप का चयन मुम्बई के लिए हुआ। वहां सात दिन के रिहर्सल के बाद 150 में उसने जगह बनाई। उसके बाद 70 प्रतिभागियों में से सलेक्ट कर उसे अंतिम 40 में लिया गया। स्वरूप ने 40 प्रतिभागियों के ऑडिशन में भी अपनी छाप छोड़ी और 25 प्रतिभागियों में सलेक्ट हुआ। आखिर में उसने अंतिम ऑडिशन में निर्णायकों का दिल जीत कर अंतिम 16 में जगह बनाई।
बईया निवासी नियाज खां के 19 वर्षीय पुत्र स्वरूप खान को शुरू से ही गायकी का शौक था। उसने अपने चाचा अनवर खां से यह हुनर सीखा। अनवर खां के साथ स्वरूप खान ने विदेशों में कई प्रोग्राम किए और ख्याति अर्जित की। जैसलमेर के लोक कलाकारों में स्वरूप खान सूफी गायन के जादूगर माने जाते हैं। उनकी गायकी ने निर्णायक अनु मलिक, सुनिधि चौहान व सलीम मर्चेंट को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्वरूप खान इससे पूर्व अंग्रेजी फिल्म मिल्क एंड ओपियम में मुख्य किरदार निभा चुका है।
लोक संगीत का परचम
स्थानीय मांगणिहार कलाकारों ने लोक संस्कृति को संगीत के माध्यम से जीवित रखा है। वे निरंतर लोक संगीत को विख्यात करने में लगे हुए हैं। और तो और अब यह संगीत इस जाति के लोगों की आजीविका का साधन बन चुका है। नन्हें कलाकारों से लेकर बुजुर्ग कलाकार आज भी शानदार प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को भावविभोर कर रहे हैं।
स्वरूप की आवाज में दम है
गुणसार लोक कला संस्थान के अध्यक्ष बक्श खां ने बताया कि स्वरूप की आवाज में दम है और उसकी संगीत के प्रति दीवानगी उसको आगे तक ले जाएगी। वह लोक संगीत के साथ-साथ फिल्मी गीत भी सधे हुए सुरों में गा सकता है। बक्श खां ने बताया कि स्वरूप खां की हौसला अफजाई के लिए संस्थान उसे वोट करने की अपील करेगा।
तीन दिन से धधक रहा जंगल
आबूरोड
आबूरोड व माउंट आबू के बीच तलेटी बाग नाले की पहाडिय़ों में शनिवार को तीसरे दिन भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका। यहां पिछले दो दिनों से जंगल में आग धधक रही है जिससे अमूल्य वन संपदा व वन्य प्राणियों को भारी नुकसान हो रहा है।
गर्मी के साथ बढ़ी घटनाएं : गर्मी के आगमन के साथ क्षेत्र में सूखे पत्तों व पेड़ों में आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा होता जा रहा है। वन विभाग अपने सीमित संसाधनों से एकतरफ आग बुझाने का प्रयास करता है, तो दूसरी तरफ आग भड़क उठती है।
मानसून आने तक यही स्थिति रही तो अरावली क्षेत्र के सैकड़ों हेक्टयेर क्षेत्र की वन संपदा व हरियाली पूरी तरह नष्ट होकर प्रदेश के एकमात्र पर्यटन स्थल को बदरंग कर देगी। इसको लेकर पर्यावरणविदों से लेकर आबूरोड व माउंट आबू के आम लोग भी चिंतित हैं। आबूरोड व माउंट आबू के बीच तलेटी बाग नाले की पहाडिय़ों में तीन दिन पहले आग लगी है। उस पर काबू पाने के लिए वन विभाग के अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आग बुझाने के ये प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे साबित हो रहे हैं। वर्तमान में लगी आग से एक बड़ा क्षेत्र जलकर खाक हो गया
है। इसकी चपेट में आया क्षेत्र
काफी दूर से ही काले रंग का दिखाई दे रहा है।
क्यों लगती है आग
वन सेंचुरी होने की वजह से प्रशासन व वन विभाग क्षेत्र में निर्माण कार्य, पेयजल के स्रोतों, नाड़ी, एनीकट के निर्माणों को अपना विरोध दर्ज कर रूकवा देता है। लेकिन अपने उपलब्ध संसाधनों में क्षेत्र में आग बुझाने के प्रयासों व संसाधनों के प्रति शायद ही कभी उतनी गंभीरता से काम किया गया हो। मानसून के बाद पतझड़ से गिरी पत्तियां मिट्टी के लिए खाद का काम करती है। लेकिन, यहां अगले मानसून आने से पहले ही ये पत्तियां आग लगने का कारण बन जाती है, जिससे पेड़ व पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाती है। इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटक अपनी मौज मस्ती के कारण पैकिंग कर लाए सामान की थैलियां, बीयर की बोतलें, पानी व शीतलपेय की बोतलें वन क्षेत्र में यूं ही फेंक देते हैं। इसके आगे राह चलते वाहनों से सिगरेट व बीड़ी पीकर बाहर फेंक देते हैं, जो आग लगने का बड़ा कारण बनता है। वन विभाग ने जलती बीड़ी, सिगरेट या माचिस फेंकने के लिए चेतावनी अंकित कर रखी है, लेकिन दंडात्मक कार्रवाई नहीं होने से ऐसा अक्सर होता है कि इस क्षेत्र में लोग धड़ल्ले से बीड़ी-सिगरेट पीते हैं। वन क्षेत्र में निवास कर रहे लोग वन उपज लेने के लिए जंगलों में जाते हैं, जहां लापरवाही पूर्वक बीड़ी या सिगरेट डाल देने से इस तरह से दावानल भड़क उठता है।
आत्महत्या को मजबूर करने का मामला दर्ज
बाडमेर।पुलिस थाना गिडा में आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि सालूराम पुत्र खरथाराम ने मामला दर्ज करवाया कि उसकी बहिन पन्नी देवी पत्नी चनणाराम निवासी बाटाडू की पुत्री कमला व पुत्र बजरंग के साथ सार्वजनिक हौदी में डूबने से 29 अपे्रल को मृत्यु हो गई थी। इसका आत्महत्या का मामला ससुराल पक्ष की ओर से दर्ज करवाया गया है। जबकि उसको आत्महत्या के लिए नणद पूरो पत्नी पन्नाराम व खंगाराराम पुत्र सोनाराम ने मजबूर किया। पुलिस ने इस आशय का मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की।
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इसके अलावा बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर स्थित देवीकोट के मूल निचासी फिरोज गुल ने पाक में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुर्नजीवित कर काफी नाम कमाया,पाक में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं हैं।पाक की मद्गाहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश -विदेशो में खयाति अर्जित कर रहे हैं।पाक में मारवाडी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं।वहीं पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया तथा मारवाडी लोक गीत संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया।इसके अलावा पाक में कृद्गण भील,सुमार भीलमोहन भगत,जरीना,माई नूरी,माईडडोली,माई सोहनी,सबीरा सुल्तान,दिलबर खान,फरमान अली,आमिर अली असलम खान,लॉग खान सुमार खानमोहम्मद इकबाल जैसे मांगणियार लोक गीत संगीत के पहरुओं ने राजस्थान की लोक कला ,गीत संगीत,संस्कृति और परम्परा को पाक में जिन्दा रखा तथा मान सम्मान दिला रहे हैं।सिन्ध और थार की लोक संस्कृति ,परम्पराओं गीत संगीत ,कला में महज देश का फर्क हैं।
मांगणियार लोक गायकों ने लोक गीत संगीत के जरिए दोनों देशो की सीमाऐं तोड़ दी।पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों नें थार शैली के लोक गीत-संगीत कों पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा अपितु उसे देनिया भर में नई उचाईयॉ दी।पाकिस्तान में एक वक्त हारमोनियम समाप्त सा हो गया था।ऐसे में फिरोज मांगणियार नें हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के शिकार पर पहुचाया।फिरोज मांगणियार आज पाकिस्तान की मद्गाहूर लोक गायिका आबिदा परवीन कें दल में शामिल हो कर नयें आयाम छू रहे हैं।पाकिस्तान की मशुर लोक गायिका रेशमा जिन्होंने देश विदेशो में अपनी अलग गायकी से अपना अलग मुकाम बनाया।रेशमा मूलतः राजस्थान के बीकानेर क्षैत्र की निवासी थी,रेशमा का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान चला गया।बिना लिखी पढी रेशमा नें विश्व भरमेंअपनी खास पहचान बनाई।दोनों देशो की सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी।लोक गीत संगीत कें माध्यम सें दोनो देशो की अवाम अपने रिश्ते कायम रखे हुए हैं।
स्वरूप खान इंडियन आइडल में मचाएगा धूम
अपनी शानदार गायकी से निर्णायकों को किया मंत्रमुग्ध, अंतिम 16 में हुआ चयन
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बईया के रहने वाले स्वरूप खान की संगीत के प्रति दीवानगी देखने लायक है। बचपन से ही अपने परिजनों के साथ लोक संगीत में अपने आप को पारंगत करने में जुटा स्वरूप खान आज इंडियन आइडल के अंतिम 16 प्रतिभागियों में सलेक्ट हो गया है। स्वरूप खान के चयन पर जैसलमेरवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई।
स्थानीय लोक कलाकार पूर्व में भी देश-विदेश में अपनी गायकी का लोहा मनवा चुके हैं। बॉलीवुड व हॉलीवुड में परफॉर्मेंस देने के बाद अब इंडियन आइडल भी लोक कलाकारों की गायकी से अछूता नहीं रहा और स्वरूप खान को अंतिम 16 में जगह मिल गई। अहमदाबाद में ऑडिशन देने के बाद स्वरूप का चयन मुम्बई के लिए हुआ। वहां सात दिन के रिहर्सल के बाद 150 में उसने जगह बनाई। उसके बाद 70 प्रतिभागियों में से सलेक्ट कर उसे अंतिम 40 में लिया गया। स्वरूप ने 40 प्रतिभागियों के ऑडिशन में भी अपनी छाप छोड़ी और 25 प्रतिभागियों में सलेक्ट हुआ। आखिर में उसने अंतिम ऑडिशन में निर्णायकों का दिल जीत कर अंतिम 16 में जगह बनाई।
बईया निवासी नियाज खां के 19 वर्षीय पुत्र स्वरूप खान को शुरू से ही गायकी का शौक था। उसने अपने चाचा अनवर खां से यह हुनर सीखा। अनवर खां के साथ स्वरूप खान ने विदेशों में कई प्रोग्राम किए और ख्याति अर्जित की। जैसलमेर के लोक कलाकारों में स्वरूप खान सूफी गायन के जादूगर माने जाते हैं। उनकी गायकी ने निर्णायक अनु मलिक, सुनिधि चौहान व सलीम मर्चेंट को मंत्रमुग्ध कर दिया। स्वरूप खान इससे पूर्व अंग्रेजी फिल्म मिल्क एंड ओपियम में मुख्य किरदार निभा चुका है।
लोक संगीत का परचम
स्थानीय मांगणिहार कलाकारों ने लोक संस्कृति को संगीत के माध्यम से जीवित रखा है। वे निरंतर लोक संगीत को विख्यात करने में लगे हुए हैं। और तो और अब यह संगीत इस जाति के लोगों की आजीविका का साधन बन चुका है। नन्हें कलाकारों से लेकर बुजुर्ग कलाकार आज भी शानदार प्रस्तुतियां देकर दर्शकों को भावविभोर कर रहे हैं।
स्वरूप की आवाज में दम है
गुणसार लोक कला संस्थान के अध्यक्ष बक्श खां ने बताया कि स्वरूप की आवाज में दम है और उसकी संगीत के प्रति दीवानगी उसको आगे तक ले जाएगी। वह लोक संगीत के साथ-साथ फिल्मी गीत भी सधे हुए सुरों में गा सकता है। बक्श खां ने बताया कि स्वरूप खां की हौसला अफजाई के लिए संस्थान उसे वोट करने की अपील करेगा।
तीन दिन से धधक रहा जंगल
आबूरोड
आबूरोड व माउंट आबू के बीच तलेटी बाग नाले की पहाडिय़ों में शनिवार को तीसरे दिन भी आग पर काबू नहीं पाया जा सका। यहां पिछले दो दिनों से जंगल में आग धधक रही है जिससे अमूल्य वन संपदा व वन्य प्राणियों को भारी नुकसान हो रहा है।
गर्मी के साथ बढ़ी घटनाएं : गर्मी के आगमन के साथ क्षेत्र में सूखे पत्तों व पेड़ों में आग लगने की घटनाओं में लगातार इजाफा होता जा रहा है। वन विभाग अपने सीमित संसाधनों से एकतरफ आग बुझाने का प्रयास करता है, तो दूसरी तरफ आग भड़क उठती है।
मानसून आने तक यही स्थिति रही तो अरावली क्षेत्र के सैकड़ों हेक्टयेर क्षेत्र की वन संपदा व हरियाली पूरी तरह नष्ट होकर प्रदेश के एकमात्र पर्यटन स्थल को बदरंग कर देगी। इसको लेकर पर्यावरणविदों से लेकर आबूरोड व माउंट आबू के आम लोग भी चिंतित हैं। आबूरोड व माउंट आबू के बीच तलेटी बाग नाले की पहाडिय़ों में तीन दिन पहले आग लगी है। उस पर काबू पाने के लिए वन विभाग के अधिकारी लगातार प्रयास कर रहे हैं, लेकिन आग बुझाने के ये प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे साबित हो रहे हैं। वर्तमान में लगी आग से एक बड़ा क्षेत्र जलकर खाक हो गया
है। इसकी चपेट में आया क्षेत्र
काफी दूर से ही काले रंग का दिखाई दे रहा है।
क्यों लगती है आग
वन सेंचुरी होने की वजह से प्रशासन व वन विभाग क्षेत्र में निर्माण कार्य, पेयजल के स्रोतों, नाड़ी, एनीकट के निर्माणों को अपना विरोध दर्ज कर रूकवा देता है। लेकिन अपने उपलब्ध संसाधनों में क्षेत्र में आग बुझाने के प्रयासों व संसाधनों के प्रति शायद ही कभी उतनी गंभीरता से काम किया गया हो। मानसून के बाद पतझड़ से गिरी पत्तियां मिट्टी के लिए खाद का काम करती है। लेकिन, यहां अगले मानसून आने से पहले ही ये पत्तियां आग लगने का कारण बन जाती है, जिससे पेड़ व पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंचाती है। इस क्षेत्र में आने वाले पर्यटक अपनी मौज मस्ती के कारण पैकिंग कर लाए सामान की थैलियां, बीयर की बोतलें, पानी व शीतलपेय की बोतलें वन क्षेत्र में यूं ही फेंक देते हैं। इसके आगे राह चलते वाहनों से सिगरेट व बीड़ी पीकर बाहर फेंक देते हैं, जो आग लगने का बड़ा कारण बनता है। वन विभाग ने जलती बीड़ी, सिगरेट या माचिस फेंकने के लिए चेतावनी अंकित कर रखी है, लेकिन दंडात्मक कार्रवाई नहीं होने से ऐसा अक्सर होता है कि इस क्षेत्र में लोग धड़ल्ले से बीड़ी-सिगरेट पीते हैं। वन क्षेत्र में निवास कर रहे लोग वन उपज लेने के लिए जंगलों में जाते हैं, जहां लापरवाही पूर्वक बीड़ी या सिगरेट डाल देने से इस तरह से दावानल भड़क उठता है।
आत्महत्या को मजबूर करने का मामला दर्ज
बाडमेर।पुलिस थाना गिडा में आत्महत्या के लिए मजबूर करने का मामला दर्ज किया गया है। पुलिस ने बताया कि सालूराम पुत्र खरथाराम ने मामला दर्ज करवाया कि उसकी बहिन पन्नी देवी पत्नी चनणाराम निवासी बाटाडू की पुत्री कमला व पुत्र बजरंग के साथ सार्वजनिक हौदी में डूबने से 29 अपे्रल को मृत्यु हो गई थी। इसका आत्महत्या का मामला ससुराल पक्ष की ओर से दर्ज करवाया गया है। जबकि उसको आत्महत्या के लिए नणद पूरो पत्नी पन्नाराम व खंगाराराम पुत्र सोनाराम ने मजबूर किया। पुलिस ने इस आशय का मामला दर्ज कर जांच प्रारंभ की।
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शुक्रवार, 7 मई 2010
BARMER NEWS TRACK
<सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी17 hours ago
चन्दन
बाडमेर- पाकिस्तान में मांगणियार जाति के लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से अलग पहचान बना रखी हैं।पाक के सिन्ध प्रान्त के मिटठी,रोहड़ी,गढरा,थारपारकर,उमरकोट,खिंपरो,सांगड आदि जिलों में मांगणियार जाति के लोग निवास करते हैं।पाक में रह रहे मांगणियार मूलतःबाड मेर-जैसलमेर जिलों के हैं,जो भारत-पाक युद्ध 1965 और 1971 में पलायन कर पाक चले गए।थार संस्कृति और परम्परा को लोक गीतों के माध्यम से अपनी छटा बिखेरने वाले मांगणियार कलाकारों की पाक में सम्मान जनक स्थिति नहीं थी।पाक के मांगणियार भी राजपूत जाति के यॅहा यजमानी कर अपना पालन पोद्गाण करते थे।सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं।सोढा राजपूतों की सिन्ध में जागीरदारी होने के कारण कई मांगणियार परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाक में रह गए तो कई परिवार युद्ध के दौरान पाक चले गए।बाड मेर से गये एक परिवार में सन1961में संगीत के कोहिनूर ने जन्म लिया।इस कोहिनूर जिसे पाकिस्तान और विदेशो में उस्ताद सफी मोहम्मद फकीर के नाम से जाना जाता हैं, मोगणियार गायकी को पाक में अलग पहचान और खयाति दिलाई।उनके अलावा अनाब खान, शौकत खान,हयात खान,मोहम्मद रफीक,सच्चु खान,सगीर खान ढोली, ने मांगणियार संस्कृति को पाक में नई पहचान दी हैं।
इसके अलावा बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर स्थित देवीकोट के मूल निचासी फिरोज गुल ने पाक में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुर्नजीवित कर काफी नाम कमाया,पाक में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं हैं।पाक की मद्गाहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश -विदेशो में खयाति अर्जित कर रहे हैं।पाक में मारवाडी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं।वहीं पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया तथा मारवाडी लोक गीत संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया।इसके अलावा पाक में कृद्गण भील,सुमार भीलमोहन भगत,जरीना,माई नूरी,माईडडोली,माई सोहनी,सबीरा सुल्तान,दिलबर खान,फरमान अली,आमिर अली असलम खान,लॉग खान सुमार खानमोहम्मद इकबाल जैसे मांगणियार लोक गीत संगीत के पहरुओं ने राजस्थान की लोक कला ,गीत संगीत,संस्कृति और परम्परा को पाक में जिन्दा रखा तथा मान सम्मान दिला रहे हैं।सिन्ध और थार की लोक संस्कृति ,परम्पराओं गीत संगीत ,कला में महज देश का फर्क हैं।
मांगणियार लोक गायकों ने लोक गीत संगीत के जरिए दोनों देशो की सीमाऐं तोड़ दी।पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों नें थार शैली के लोक गीत-संगीत कों पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा अपितु उसे देनिया भर में नई उचाईयॉ दी।पाकिस्तान में एक वक्त हारमोनियम समाप्त सा हो गया था।ऐसे में फिरोज मांगणियार नें हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के शिकार पर पहुचाया।फिरोज मांगणियार आज पाकिस्तान की मद्गाहूर लोक गायिका आबिदा परवीन कें दल में शामिल हो कर नयें आयाम छू रहे हैं।पाकिस्तान की मशुर लोक गायिका रेशमा जिन्होंने देश विदेशो में अपनी अलग गायकी से अपना अलग मुकाम बनाया।रेशमा मूलतः राजस्थान के बीकानेर क्षैत्र की निवासी थी,रेशमा का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान चला गया।बिना लिखी पढी रेशमा नें विश्व भरमेंअपनी खास पहचान बनाई।दोनों देशो की सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी।लोक गीत संगीत कें माध्यम सें दोनो देशो की अवाम अपने रिश्ते कायम रखे हुए हैं।
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चन्दन
बाडमेर- पाकिस्तान में मांगणियार जाति के लोक कलाकारों ने अपनी गायकी से अलग पहचान बना रखी हैं।पाक के सिन्ध प्रान्त के मिटठी,रोहड़ी,गढरा,थारपारकर,उमरकोट,खिंपरो,सांगड आदि जिलों में मांगणियार जाति के लोग निवास करते हैं।पाक में रह रहे मांगणियार मूलतःबाड मेर-जैसलमेर जिलों के हैं,जो भारत-पाक युद्ध 1965 और 1971 में पलायन कर पाक चले गए।थार संस्कृति और परम्परा को लोक गीतों के माध्यम से अपनी छटा बिखेरने वाले मांगणियार कलाकारों की पाक में सम्मान जनक स्थिति नहीं थी।पाक के मांगणियार भी राजपूत जाति के यॅहा यजमानी कर अपना पालन पोद्गाण करते थे।सोढा राजपूतों का सिन्ध में बाहुल्य हैं।सोढा राजपूतों की सिन्ध में जागीरदारी होने के कारण कई मांगणियार परिवार भारत-पाक विभाजन के दौरान पाक में रह गए तो कई परिवार युद्ध के दौरान पाक चले गए।बाड मेर से गये एक परिवार में सन1961में संगीत के कोहिनूर ने जन्म लिया।इस कोहिनूर जिसे पाकिस्तान और विदेशो में उस्ताद सफी मोहम्मद फकीर के नाम से जाना जाता हैं, मोगणियार गायकी को पाक में अलग पहचान और खयाति दिलाई।उनके अलावा अनाब खान, शौकत खान,हयात खान,मोहम्मद रफीक,सच्चु खान,सगीर खान ढोली, ने मांगणियार संस्कृति को पाक में नई पहचान दी हैं।
इसके अलावा बाड़मेर-जैसलमेर सीमा पर स्थित देवीकोट के मूल निचासी फिरोज गुल ने पाक में लुप्त हो चुके हारमोनियम कला को पुर्नजीवित कर काफी नाम कमाया,पाक में आज फिरोज गुल का हारमोनियम बजाने में कोई सानी नहीं हैं।पाक की मद्गाहूर लोक गायिका आबदा परवीन के दल के साथ फिरोज देश -विदेशो में खयाति अर्जित कर रहे हैं।पाक में मारवाडी लोक गीतों की जबरदस्त मांग को मांगणियार लोक कलाकार पूरा कर रहे हैं।वहीं पाक में मांगणियार गायकी को नया आयाम प्रदान किया तथा मारवाडी लोक गीत संगीत को पाक में मान-सम्मान दिलाया।इसके अलावा पाक में कृद्गण भील,सुमार भीलमोहन भगत,जरीना,माई नूरी,माईडडोली,माई सोहनी,सबीरा सुल्तान,दिलबर खान,फरमान अली,आमिर अली असलम खान,लॉग खान सुमार खानमोहम्मद इकबाल जैसे मांगणियार लोक गीत संगीत के पहरुओं ने राजस्थान की लोक कला ,गीत संगीत,संस्कृति और परम्परा को पाक में जिन्दा रखा तथा मान सम्मान दिला रहे हैं।सिन्ध और थार की लोक संस्कृति ,परम्पराओं गीत संगीत ,कला में महज देश का फर्क हैं।
मांगणियार लोक गायकों ने लोक गीत संगीत के जरिए दोनों देशो की सीमाऐं तोड़ दी।पाकिस्तान गए भारतीय मांगणियार परिवारों नें थार शैली के लोक गीत-संगीत कों पाकिस्तान में ना केवल जिन्दा रखा अपितु उसे देनिया भर में नई उचाईयॉ दी।पाकिस्तान में एक वक्त हारमोनियम समाप्त सा हो गया था।ऐसे में फिरोज मांगणियार नें हारमोनियम को नया जन्म देकर पाकिस्तान में हारमोनियम को लोकप्रियता के शिकार पर पहुचाया।फिरोज मांगणियार आज पाकिस्तान की मद्गाहूर लोक गायिका आबिदा परवीन कें दल में शामिल हो कर नयें आयाम छू रहे हैं।पाकिस्तान की मशुर लोक गायिका रेशमा जिन्होंने देश विदेशो में अपनी अलग गायकी से अपना अलग मुकाम बनाया।रेशमा मूलतः राजस्थान के बीकानेर क्षैत्र की निवासी थी,रेशमा का परिवार विभाजन के दौरान पाकिस्तान चला गया।बिना लिखी पढी रेशमा नें विश्व भरमेंअपनी खास पहचान बनाई।दोनों देशो की सरहदें लोक गीत संगीत की सौंधी महक को बांट नहीं सकी।लोक गीत संगीत कें माध्यम सें दोनो देशो की अवाम अपने रिश्ते कायम रखे हुए हैं।
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गुरुवार, 6 मई 2010
BARMER NEWS TRACK
बाड़मेर: सारे मानवाधिकार कार्यकर्ता छुपे बैठे हैं बिलों में या फ़िर लगे हैं अत्याचारियों को बचाने में। 1947-48 में पाकिस्तान में हिंदुओं की संख्या कुल जनसंख्या का 16 से 20 फीसदी थी। ये मैं नहीं कह रहा, ये पाकिस्तान की जनगणना के आंकड़ें बताते हैं। लेकिन, हिंदुओं पर इन 63 सालों में पाकिस्तान में इतने जुल्म ढाये गए कि उन्हें या तो वहां से भाग कर अपनी जान और अपने परिजनों की जान बचानी पड़ी, या फिर मौत को गले लगाना पड़ा। उन्हें एक और रास्ता चुनना पड़ता था, जो पाकिस्तान के कठमुल्ले जबरन थोपते थे… इस्लाम अपनाने का रास्ता। हिंदुओं को जबरन मुस्लिम बनाया जाता… वहां इन सब जुल्मों के चलते हालात ये हो गये हैं कि पाकिस्तान में हिंदुओं की जनसंख्या घटकर 1.6 फीसदी से भी कम रह गयी है। वहां हिंदुओं को अपनी सम्पति छोड़ कर भागना पड़ा है, अपनी बहु-बेटियों की इज्जत खोनी पड़ी है। लेकिन, इस पर दुनिया में तो क्या भारत में भी कोई हल्ला नहीं बोलेगा।
पिछले चार सालों में पाकिस्तान से करीब पांच हजार हिंदू तालिबान के डर से भारत आ गए, कभी वापस न जाने के लिए। अपना घर, अपना सबकुछ छोड़कर, यहां तक की अपना परिवार तक छोड़कर। हालांकि, इस तरह सब कुछ छोड़ कर आना आसान नहीं है। लेकिन, इन लोगों का कहना है कि उनके पास वहां से भागने के अलावा कोई चारा नहीं था। 2006 में पहली बार भारत-पाकिस्तान के बीच थार एक्सप्रेस की शुरुआत की गई थी। हफ्ते में एक बार चलनी वाली यह ट्रेन कराची से चलती है और भारत में राजस्थान के बाड़मेर जिले के मुनाबाओ बॉर्डर से दाखिल होकर जोधपुर तक जाती है। पहले साल में 392 हिंदू इस ट्रेन के जरिए भारत आए। 2007 में यह आंकड़ा बढ़कर 880 हो गया। पिछले साल कुल 1240 पाकिस्तानी हिंदू भारत आए, जबकि इस साल अगस्त तक एक हजार लोग भारत आए और वापस नहीं लौटे। वे इस उम्मीद में यहां रह रहे हैं कि शायद उन्हें भारत की नागरिकता मिल जाए, इसलिए वह लगातार अपने वीजा की अवधि बढ़ा रहे हैं।
गौर करने लायक बात यह है कि ये आंकड़े आधिकारिक हैं, जबकि सूत्रों का कहना है कि ऐसे लोगों की संख्या कहीं अधिक है, जो पाकिस्तान से यहां आए और स्थानीय लोगों में मिल कर अब स्थानीय निवासी बन कर रह रहे हैं। अधिकारियों का इन विस्थापितों के प्रति नरम व्यवहार है क्योंकि इनमें से ज्यादातर लोग पाकिस्तान में भयावह स्थिति से गुजरे हैं। वह दिल दहला देने वाली कहानियां सुनाते हैं।
रेलवे स्टेशन के इमिग्रेशन ऑफिसर हेतुदन चरण का कहना है, ‘भारत आने वाले शरणार्थियों की संख्या अचानक बढ़ गई है। हर हफ्ते 15-16 परिवार यहां आ रहे हैं। हालांकि, इनमें से कोई भी यह स्वीकार नहीं करता कि वह यहां बसने के इरादे से आए हैं। लेकिन, आप उनका सामान देखकर आसानी से अंदाजा लगा सकते हैं कि वह शायद अब वापस नहीं लौटेंगे।’ राना राम पाकिस्तान के पंजाब में स्थित रहीमयार जिले में अपने परिवार के साथ रहते थे। अपनी कहानी सुनाते हुए वे कहते हैं कि वे तालिबान के कब्जे में थे। उनकी बीवी को तालिबान ने अगवा कर लिया। उसके साथ रेप किया और जबरदस्ती इस्लाम कबूल करवाया। इतना ही नहीं, उसकी दोनों बेटियों को भी इस्लाम कबूल करवाया। यहां तक की जान जाने के डर से उन्होंने भी इस्लाम कबूल कर लिया। इसके बाद उसने वहां से भागना ही बेहतर समझा और वह अपनी दोनों बेटियों के साथ भारत भाग आया। उसकी पत्नी का अभी तक कोई अता-पता नहीं है। एक और विस्थापित डूंगाराम ने बताया कि पिछले दो सालों में हिंदुओं के साथ अत्याचार की घटनाएं बढ़ी हैं, खासकर परवेज़ मुशर्रफ के जाने के बाद।
अब कट्टरपंथी काफी सक्रिय हो गए हैं। हम लोगों को तब स्थायी नौकरी नहीं दी जाती थी, जब तक हम इस्लाम कबूल नहीं कर लेते थे। बाड़मेर और जैसलमेर में शरणार्थियों के लिए काम करने वाले ‘सीमांत लोक संगठन’ के अध्यक्ष हिंदू सिंह सोढ़ा कहते हैं, ‘भारत में शरणार्थियों के लिए कोई पॉलिसी नहीं है। यही कारण है कि पाकिस्तान से भारी संख्या में लोग भारत आ रहे हैं।’ सोढ़ा ने कहा, ‘पाकिस्तान के साथ बातचीत में भारत सरकार शायद ही कभी पाकिस्तान में हिदुंओं के साथ किए जा रहे दुर्व्यवहार व अत्याचार का मुद्दा उठाती है।’ उन्होंने कहा, ‘2004-05 में 135 शरणार्थी परिवारों को भारत की नागरिकता दी गई, लेकिन बाकी लोग अभी भी अवैध तरीके से यहां रह रहे हैं। यहां पुलिस इन लोगों पर अत्याचार करती है।’ उन्होंने आगे कहा, ‘पाकिस्तान के मीरपुर खास शहर में दिसंबर 2008 में करीब 200 हिदुओं को इस्लाम धर्म कबूल करवाया गया। बहुत से लोग ऐसे हैं, जो हिंदू धर्म नहीं छोड़ना चाहते, लेकिन वहां उनके लिए सुरक्षा के कोई इंतजाम नहीं हैं।’
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