बालोतरा।महंगाई की मार से मोजड़ी की चमक पड़ी फीकी
ओम प्रकाश सोनी
बालोतरा। बालोतरा क्षेत्र की प्रसिद्ध हस्त कला ओर लघू उद्योग मोजड़ी
निर्माण का कारोबार दिनो दिनो चमक खोता जा रहा हैं। किसी जमाने में समुचे
प्रदेश में बालोतरा में बनने वाली जुती जिसे स्थानिय भाषा में मोजड़ी कहा
जाता है, इस मोजड़ी की बहुत मांग रहती थी। इस मोजड़ी हस्तकला को भी
मंहगाई ने लुप्त होने के कगार पर पहुचा दिया है। साथ ही बाजारो में
प्रतिदिन नये आने वाले आधुनिक फुटवियर की अंधी दोड़ ने भी मोजड़ी के
अस्तित्व पर संकट के बादल खड़े कर दिये है। चमड़े से बनने वाली मोजड़ी
दिनो दिनो चमडे के महंगे होने से आम लोगो की पहुच से बाहर हो रही है।
मोजड़ी बनाने के मेहनती काम में मजदुरी नही मिलने से मोजड़ी बनाने का काम
करने वाले कारीगर भी इस काम को छोड़कर घर चलाने के लिये दूसरे कामो में
लग गये है। इस हस्त कला को भी सरकारी संरक्षण की दरकार है, अन्यथा आने
वाले समय में मोजड़ी व्यवसाय लुत्प हो जायेगा।
निर्माण का कारोबार दिनो दिनो चमक खोता जा रहा हैं। किसी जमाने में समुचे
प्रदेश में बालोतरा में बनने वाली जुती जिसे स्थानिय भाषा में मोजड़ी कहा
जाता है, इस मोजड़ी की बहुत मांग रहती थी। इस मोजड़ी हस्तकला को भी
मंहगाई ने लुप्त होने के कगार पर पहुचा दिया है। साथ ही बाजारो में
प्रतिदिन नये आने वाले आधुनिक फुटवियर की अंधी दोड़ ने भी मोजड़ी के
अस्तित्व पर संकट के बादल खड़े कर दिये है। चमड़े से बनने वाली मोजड़ी
दिनो दिनो चमडे के महंगे होने से आम लोगो की पहुच से बाहर हो रही है।
मोजड़ी बनाने के मेहनती काम में मजदुरी नही मिलने से मोजड़ी बनाने का काम
करने वाले कारीगर भी इस काम को छोड़कर घर चलाने के लिये दूसरे कामो में
लग गये है। इस हस्त कला को भी सरकारी संरक्षण की दरकार है, अन्यथा आने
वाले समय में मोजड़ी व्यवसाय लुत्प हो जायेगा।