गुरुवार, 22 अक्तूबर 2015

जोधपुर।जोधपुर: बचपन की शादी, अदालत ने 19 साल बाद तोड़ी



जोधपुर।जोधपुर: बचपन की शादी, अदालत ने 19 साल बाद तोड़ी


11 माह की अबोध उम्र में बाल विवाह की बेडिय़ों में जकडऩे के बाद 19 साल से सितम झेल रही रोहिचा कलां गांव की संता देवी को आखिरकार मुक्ति मिल गई। सारथी ट्रस्ट का संबल पाकर पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह निरस्त की गुहार लेकर पहुंची संता देवी का बाल विवाह कोर्ट ने निरस्त कर दिया। न्यायालय ने दोनों पक्षों की आपसी सहमति बनने के बाद बाल विवाह निरस्त करने का फैसला सुनाया।

कमठा कारीगर पदमाराम मेघवाल की पुत्री संतादेवी (20) का बाल विवाह महज 11 माह की उम्र में लूणी तहसील के धुंधाडा कस्बे के नजदीक रोहिचा खुर्द गांव के सांवलराम के साथ हुआ था।

सारथी ट्रस्ट की मैनेजिंग ट्रस्टी पुनर्वास मनोवैज्ञानिक कृति भारती का संबल पाकर संता देवी ने बाल विवाह को मानने से इनकार कर दिया था। सारथी ट्रस्ट की मदद से संता देवी ने जोधपुर पारिवारिक न्यायालय में बाल विवाह निरस्त का वाद दायर किया था।

काउंसलिंग से सहमति

सारथी ट्रस्ट की कृति भारती ने सांवलराम की काउंसलिंग भी की। संता देवी पर पहले दबाव बनाने वाले कई पंच भी बाल विवाह निरस्त के लिए सहयोग में आ गए। कुछ पंचों की समझाइश के बाद पति सांवलराम ने आखिरकार न्यायालय के सामने पेश होकर बाल विवाह निरस्त करवाने के लिए सहमति जता दी।

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