प्यासे हलक का पानी पी रहा टेक्सटाईल उद्योग
जल कारोबारी डार्क जोन में चोबीसो घंटे कर रहे नीर का दोहन
फेक्ट्रियो में आपुर्ती के लिये लूणी नदी मे बिछा दी दर्जनो पाइप लाईने
ओम प्रकाश सोनी की खास रिपोर्ट
बालोतरा। बालोतरा उपखंड में एक ओर पानी की बुंद बुंद के लिये लोग तरस रहे
है वही दूसरी ओर जल माफियां डार्क जोन घोषित हो चुके इलाको में अवेध रूप
से टयुब वेल खोदकर चोबीसो घंटो जल का दोहन कर टेक्सटाइल उद्योगो को बेचकर
चांदी काट रहे है। जल माफियाओ ने लुणी नदी के किनारे टयुब वेल खोदकर लुणी
नदी में पाइप लाईने डालकर सीधे ही टेक्सटाईल युनिटो में पानी भेजने की
व्यवस्था कर रखी है। चोबीसो घंटे जल के दोहन से उपखंड का भुमिगत जल स्तर
रसातल पहुच चुका है। लुणी नदी के आस पास के बेसीन में डार्क जोन मे टयुब
वेल खोदने ओर पानी को बेचने के कारोबार से प्रषासन बखुबी वाकिफ है पर जल
माफियाओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नही हो रही है।बालोतरा शहर में पीने के
पानी की किल्लत है पर टेक्सटाइल युनिटो को पानी देने के नाम पर लुणी नदी
की कोख को चीरकर जल माफियां पानी का चोबीसो घंटो दोहन कर रहे है। शहर के
पास ही स्थित सांकरणा क्षेत्र जो कि भुजल विभाग की ओर से डार्क जोन घोषित
है उसमें दर्जनो टयुब वेल खुदे हुये जिनमे से पाइप लाइनो के माध्यम से
प्रतिदिन लाखो गेलन पानी टेक्सटाईल उद्योगो को भेजा जा रहा है। पानी को
बेचने का कारोबार करने वाले लोगो ने प्रषासन से संाठगांठ कर कृषि कार्य
के लिये पानी को दूसरे स्थानो पर ले जाने के नाम पर लुणी नदी में पाईप
लाइने बिछा दी है। नियमानुसार नदी में किसी प्रकार की निजी पाइप लाइन नही
बिछाई जा सकती है। पर आष्चर्य की बात है कि लुणी नदी में दर्जनो पाइप
लाइने बिछी हुई जो सीधे की ओद्योगिक क्षेत्र में पानी की आपुर्ती करती
है। सांकरणा, बिठुजा, मांजीवाला आदि इलाको मे जल माफियाओ ने अवेध तरीके
से टयुब वेल खोद रखे है जिमसे से पानी को दोहन कर पानी को बेचने का
कारोबार संचालित हो रहा है। डार्क जोन में अभी भी प्रतिदिन नये टयुब वेल
खुद रहे है। यहां के लोग व किसान लंबे समय से प्रषासन से इन टयुब वेलो को
बंद करवाने ओर पानी के अंधाधुन दोहने को रोकने की मांग कर रहे है पर
प्रषासन के कानो पर जुं तक नही रेंग रही है। किसानो ने अनेक बार जल दोहन
को रोकने के लिये आंदोलन भी किये पर प्रषासन ने जल दोहन बंद करवाने की
बजाय किसानो के आंदोलन को ही कुचल दिया।
उधर बालोतरा का उपखंड प्रषासन भी डार्क जोन में जल के अंधाधुन दोहन ओर
लुणी नदी में निजी पाइप लाईने डालने के प्रष्न पर गोल मोल जवाब दे रहा
है। प्रषासन जल दोहन को रोकने के बारे में गंेद सरकार के पाले में डालकर
जल माफियाओ पर नकेल कसने की जिम्मेवारी से बच रहा है।
लुणी नदी के आस पास डार्क जोन में पानी के अंधाधुन दोहन ने मरू गंगा कही
जाने वाली लुणी नदी की उपजाउ कोख को लील लिया है। रसातल में जाते पानी के
स्तर ने किसानो के रोजगार पर प्रष्न खड़ा कर दिया है। बालोतरा उपख्ंाड के
आम लोगो के हिस्सा का पेयजल जल कारोबारी टेक्सटाइल उद्योगो को बेचकर
क्षेत्र के प्यासे लोगो के हितो पर कुठाराघात कर रहे है। उपर से स्थानिय
प्रषासन भी पेयजल के कारोबार में भागीदार बना हुआ है। एक ओर राम रूठा हुआ
तो दुसरी ओर राज भी रूठा हुआ नजर आ रहा है। बालोतरा उपखंड में अंधाधुन जल
दोहन को देखते हुए वह दिन दूर नही है जब पानी की एक एक बुंद पड़ोसी जिले
से महंगे दामो पर खरीदने को मजबुर होना पड़ेगा।
है वही दूसरी ओर जल माफियां डार्क जोन घोषित हो चुके इलाको में अवेध रूप
से टयुब वेल खोदकर चोबीसो घंटो जल का दोहन कर टेक्सटाइल उद्योगो को बेचकर
चांदी काट रहे है। जल माफियाओ ने लुणी नदी के किनारे टयुब वेल खोदकर लुणी
नदी में पाइप लाईने डालकर सीधे ही टेक्सटाईल युनिटो में पानी भेजने की
व्यवस्था कर रखी है। चोबीसो घंटे जल के दोहन से उपखंड का भुमिगत जल स्तर
रसातल पहुच चुका है। लुणी नदी के आस पास के बेसीन में डार्क जोन मे टयुब
वेल खोदने ओर पानी को बेचने के कारोबार से प्रषासन बखुबी वाकिफ है पर जल
माफियाओ के खिलाफ कोई कार्रवाई नही हो रही है।बालोतरा शहर में पीने के
पानी की किल्लत है पर टेक्सटाइल युनिटो को पानी देने के नाम पर लुणी नदी
की कोख को चीरकर जल माफियां पानी का चोबीसो घंटो दोहन कर रहे है। शहर के
पास ही स्थित सांकरणा क्षेत्र जो कि भुजल विभाग की ओर से डार्क जोन घोषित
है उसमें दर्जनो टयुब वेल खुदे हुये जिनमे से पाइप लाइनो के माध्यम से
प्रतिदिन लाखो गेलन पानी टेक्सटाईल उद्योगो को भेजा जा रहा है। पानी को
बेचने का कारोबार करने वाले लोगो ने प्रषासन से संाठगांठ कर कृषि कार्य
के लिये पानी को दूसरे स्थानो पर ले जाने के नाम पर लुणी नदी में पाईप
लाइने बिछा दी है। नियमानुसार नदी में किसी प्रकार की निजी पाइप लाइन नही
बिछाई जा सकती है। पर आष्चर्य की बात है कि लुणी नदी में दर्जनो पाइप
लाइने बिछी हुई जो सीधे की ओद्योगिक क्षेत्र में पानी की आपुर्ती करती
है। सांकरणा, बिठुजा, मांजीवाला आदि इलाको मे जल माफियाओ ने अवेध तरीके
से टयुब वेल खोद रखे है जिमसे से पानी को दोहन कर पानी को बेचने का
कारोबार संचालित हो रहा है। डार्क जोन में अभी भी प्रतिदिन नये टयुब वेल
खुद रहे है। यहां के लोग व किसान लंबे समय से प्रषासन से इन टयुब वेलो को
बंद करवाने ओर पानी के अंधाधुन दोहने को रोकने की मांग कर रहे है पर
प्रषासन के कानो पर जुं तक नही रेंग रही है। किसानो ने अनेक बार जल दोहन
को रोकने के लिये आंदोलन भी किये पर प्रषासन ने जल दोहन बंद करवाने की
बजाय किसानो के आंदोलन को ही कुचल दिया।
उधर बालोतरा का उपखंड प्रषासन भी डार्क जोन में जल के अंधाधुन दोहन ओर
लुणी नदी में निजी पाइप लाईने डालने के प्रष्न पर गोल मोल जवाब दे रहा
है। प्रषासन जल दोहन को रोकने के बारे में गंेद सरकार के पाले में डालकर
जल माफियाओ पर नकेल कसने की जिम्मेवारी से बच रहा है।
लुणी नदी के आस पास डार्क जोन में पानी के अंधाधुन दोहन ने मरू गंगा कही
जाने वाली लुणी नदी की उपजाउ कोख को लील लिया है। रसातल में जाते पानी के
स्तर ने किसानो के रोजगार पर प्रष्न खड़ा कर दिया है। बालोतरा उपख्ंाड के
आम लोगो के हिस्सा का पेयजल जल कारोबारी टेक्सटाइल उद्योगो को बेचकर
क्षेत्र के प्यासे लोगो के हितो पर कुठाराघात कर रहे है। उपर से स्थानिय
प्रषासन भी पेयजल के कारोबार में भागीदार बना हुआ है। एक ओर राम रूठा हुआ
तो दुसरी ओर राज भी रूठा हुआ नजर आ रहा है। बालोतरा उपखंड में अंधाधुन जल
दोहन को देखते हुए वह दिन दूर नही है जब पानी की एक एक बुंद पड़ोसी जिले
से महंगे दामो पर खरीदने को मजबुर होना पड़ेगा।