बाड़मेर कलेक्टर की शिकायत पर नगर परिषद आयुक्त सस्पेंड
बाड़मेर लंबेसमय से चर्चाओं में रहे नगर परिषद बाड़मेर के आयुक्त धर्मपाल जाट को मंगलवार को स्वायत्त शासन विभाग ने अनियमितताओं के आरोप में सस्पेंड कर दिया।
बाड़मेर कलेक्टर ने पार्षदों जनता की नाराजगी, फोन नहीं उठाने, काम नहीं करने जैसी कई शिकायतें की थी। इसके बाद मंगलवार को स्वायत्त शासन संयुक्त सचिव पुरुषोत्तम बियाणी ने आयुक्त को सस्पेंड कर दिया। जाट इससे पहले बांदीकुई में भी सस्पेंड हो चुके है। बाड़मेर में कांग्रेस का बोर्ड बनने के बाद आयुक्त सभापति के बीच तालमेल का अभाव रहा था। इसको लेकर सभापति ने भी कलेक्टर को पत्र लिखकर आयुक्त की शिकायत की थी।
आयुक्त ने 16 अक्टूबर 2014 को ज्वाइन करने के साथ ही कार्मिकों को ड्यूटी के प्रति गंभीर रहने की नसीहत दी थी। राजनैतिक दबाव के बावजूद भी शहर में रात 12 बजे जेसीबी से सैकड़ों अतिक्रमण हटाए थे।
सस्पेंडकर मुख्यालय जयपुर किया
^आयुक्त को अनियमितता प्रकरण में एक विभागीय जांच अंतर्गत सीसीए नियम-16 में सस्पेंड किया गया है। राजस्थान सेवाएं नियम 1958 के नियम 13 के अंतर्गत प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए जाट का मुख्यालय उप निदेशक स्थानीय निकाय विभाग जयपुर किया गया। इस कलेक्र की शिकायतों पर कार्यवाही की गई है। पुरुषोत्तमबियाणी,संयुक्त सचिव,स्वायत्त शासन विभाग
इसलिए किया सस्पेंड
प्रमुखशासन सचिव मनजीतसिंह के मुताबिक बाड़मेर कलेक्टर मधुसूदन शर्मा ने आयुक्त की कार्यशैली को लेकर शिकायत की थी। पार्षदों जनता में आयुक्त के प्रति नाराजगी, फोन नहीं उठाने, जन सुनवाई नहीं करने,सरकारी आदेश की पालना नहीं करने सहित कई शिकायतों पर उन्हें सस्पेंड किया गया है। कलेक्टर आवास के पास बार-बार नाला ओवरफ्लो होने, शहर में बिगड़ी सफाई व्यवस्था को लेकर भी कलेक्टर की ओर से फटकार के बावजूद भी उसे अनसुना कर दिया गया।
पार्षदखेमे की नाराजगी
कांग्रेसके साथ भाजपा के पार्षद भी आयुक्त से नाराज थे। नए बोर्ड गठन के बाद पार्षदों की बोर्ड में नहीं चल रही थी। इससे नाराज कांग्रेसी पार्षद कई बार आयुक्त का विरोध कर चुके थे। इनके साथ भाजपा पार्षदों ने भी आयुक्त की भाजपा नेताओं से शिकायतें की। भाजपा की बैठकों में भी पार्षद पार्षदों की अनदेखी के आरोप लगा चुके है। पार्षदों का आरोप था कि शहर में सब विकास कार्य बंद है। कांग्रेस बोर्ड भी आयुक्त को ही शहर के विकास होने के पीछे जिम्मेदार ठहराता रहा।
विवादोंके कारण चर्चित रहे
नगरपरिषद सभापति लूणकरण बोथरा और आयुक्त के बीच शुरूआत से ही तनातनी रही थी। इस बीच एक फाइल गायब होने पर कार्मिक से हुए विवाद के बाद शहर का वाल्मिकी समाज और सफाई कार्मिक हड़ताल पर उतर या था। दो दिन तक नगर परिषद में कार्मिकों की हड़ताल रही। मुख्यमंत्री प्रमुख शासन सचिव के नाम ज्ञापन भेजे गए। इस मामले में भी कलेक्टर ने भाजपा नेताओं से मध्यस्थता करवाकर शांत करवाया था।
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