सिवाना! बकरियों की जान बचाने के लिये सिवाना के दो युवाओ ने लगाई अपनी जान की बाजी
रिपोर्टर :- जीत जाँगिड़ / सिवाणा
सिवाना! आज सुबह दस बजे! समुचा कस्बा थम सा गया! हर कोई स्तब्ध था! सबकी नजरे जा टिकी ऐतिहासिक दुर्ग की पहाड़ी पर! न तो कोई समारोह था और न ही कोई अन्य विशेष आयोजन! चर्चा का विषय थे तो दुर्ग की गहरी खाई में अपनी जान जोखिम में डालकर उतर रहे सिवाना के दो नौजवान! कस्बे के हर कोने से लोग उनपर नजरे गडाये हुए थे! हर कोई यह जानने को आतुर था कि आखिर ये क्या हो रहा हैं और इस का अंजाम क्या होने वाला हैं! सब अपने अपने घरों की छतों से उनको देख रहे थे! देखने वालो के कलेजे मुहँ को आ रहे थे! मगर इन सबसे से अनभिज्ञ बनकर वे नौजवान अपने काम में लगे हुए थे!
दरअसल कल दोपहर में सिवाना दुर्ग की पहाड़ी पर चरने के लिये गई बकरीयाँ दुर्गम पहाड़ी की खाई मे बीच में आकर फंस गई! अब यहाँ से वे पुनः ऊपर जाने में पुरी तरह असमर्थ हो गई! उनके मिमियाने की आवाज से शाम तक लोगो को खबर तो हो गई मगर रात के अंधेरे में दुर्गम खाई में उतर पाना संभव नही था! लिहाजा ये पुरी रात घाटी में फंसी रही! आज तडके पौ फटते ही लोगो ने रेस्क्यु ऑपरेशन शुरू किया मगर इस बार भी सफलता नही मिली! सुबह करीब नौ बजे इसकी सुचना मिलने पर गौरक्षा कमांडो फॉर्स और गौपुत्र सेना सिवाना के कार्यकर्ता दुर्ग पर पहुँचे और बचाव कार्य शुरू किया! गौपुत्र सेना के कपिलसिंह और समाजसेवी परबत सिंह पादरड़ी रस्सी की सहायता से खाई में उतर गए! लंबी जद्दोजहद के बाद करीब ५० फिट नीचे फंसी बकरीयों तक पहुँचे! दो घंटे की लंबी मशक्कत के बाद करीब साढे़ ग्यारह बजे इन बहादुरों ने बेजुबान पशुओं को बाहर निकाला लिया! बकरीयों को जीवनदान मिल चुका था! साथ ही इंसानियत की एक और नई मिशाल कायम हो गई! इस दौरान दुर्ग पर लोगो की भारी भीड मौजुद रही! हर कोई इन बहादुर नौजवानों के हौसले को देखकर दंग रह गया!
रिपोर्टर :- जीत जाँगिड़ / सिवाणा
सिवाना! आज सुबह दस बजे! समुचा कस्बा थम सा गया! हर कोई स्तब्ध था! सबकी नजरे जा टिकी ऐतिहासिक दुर्ग की पहाड़ी पर! न तो कोई समारोह था और न ही कोई अन्य विशेष आयोजन! चर्चा का विषय थे तो दुर्ग की गहरी खाई में अपनी जान जोखिम में डालकर उतर रहे सिवाना के दो नौजवान! कस्बे के हर कोने से लोग उनपर नजरे गडाये हुए थे! हर कोई यह जानने को आतुर था कि आखिर ये क्या हो रहा हैं और इस का अंजाम क्या होने वाला हैं! सब अपने अपने घरों की छतों से उनको देख रहे थे! देखने वालो के कलेजे मुहँ को आ रहे थे! मगर इन सबसे से अनभिज्ञ बनकर वे नौजवान अपने काम में लगे हुए थे!
दरअसल कल दोपहर में सिवाना दुर्ग की पहाड़ी पर चरने के लिये गई बकरीयाँ दुर्गम पहाड़ी की खाई मे बीच में आकर फंस गई! अब यहाँ से वे पुनः ऊपर जाने में पुरी तरह असमर्थ हो गई! उनके मिमियाने की आवाज से शाम तक लोगो को खबर तो हो गई मगर रात के अंधेरे में दुर्गम खाई में उतर पाना संभव नही था! लिहाजा ये पुरी रात घाटी में फंसी रही! आज तडके पौ फटते ही लोगो ने रेस्क्यु ऑपरेशन शुरू किया मगर इस बार भी सफलता नही मिली! सुबह करीब नौ बजे इसकी सुचना मिलने पर गौरक्षा कमांडो फॉर्स और गौपुत्र सेना सिवाना के कार्यकर्ता दुर्ग पर पहुँचे और बचाव कार्य शुरू किया! गौपुत्र सेना के कपिलसिंह और समाजसेवी परबत सिंह पादरड़ी रस्सी की सहायता से खाई में उतर गए! लंबी जद्दोजहद के बाद करीब ५० फिट नीचे फंसी बकरीयों तक पहुँचे! दो घंटे की लंबी मशक्कत के बाद करीब साढे़ ग्यारह बजे इन बहादुरों ने बेजुबान पशुओं को बाहर निकाला लिया! बकरीयों को जीवनदान मिल चुका था! साथ ही इंसानियत की एक और नई मिशाल कायम हो गई! इस दौरान दुर्ग पर लोगो की भारी भीड मौजुद रही! हर कोई इन बहादुर नौजवानों के हौसले को देखकर दंग रह गया!
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