सोमवार, 30 मार्च 2015

केन्द्रीय मंत्री ने दिया मानवेन्द्र सिंह को आश्वासन आपदा राहत नियमों में जल्द बदलाव के संकेत



केन्द्रीय मंत्री ने दिया मानवेन्द्र सिंह को आश्वासन आपदा राहत नियमों में जल्द बदलाव के संकेत


बाड़मेर 31मार्च

बाड़मेर जिले के अकाल प्रभावित क्षेत्रों में राहत में आडे़ आ रहे अकाल राहत नियमों की अड़चने दूर करने के शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह के प्रयास रंग लाए है। केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजु ने शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह को आपदा राहत नियमों में जल्द बदलाव करने के संकेत देते हुए आश्वस्त किया है कि केन्द्र सरकार अकाल प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुचांने की कोशिशें सुनिश्चिित्त करेगी।




गौरतलब है कि शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह ने हाल में नई दिल्ली में केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहनसिंह से मुलाकात कर आपदा राहत नियमों में संशोधन कर अकाल प्रभावित क्षेत्रों में पशु शिविरों की अवधि 90 से बढ़ाने की मांग की थी। केन्द्रीय कृषि मंत्री ने मानवेन्द्र को बताया था कि आपदा राहत नियमों में बदलाव केन्द्रीय गृह मंत्रालय द्वारा किया जाता है। जिसके बाद केन्द्रीय कृषि मंत्री राधा मोहनसिंह ने शिव विधायक के मांग के अनुरूप केन्द्रीय गृह मंत्रालय को नियमों में संशोधन कर प्रभावित क्षेत्रों में राहत देने का निवेदन किया था।




हाल ही में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजु ने शिव विधायक मानवेन्द्रसिंह को पत्र लिखकर जल्द ही नियमों में बदलाव करने का आश्वासन देते हुए अकाल प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुचांने की बात कही है। मानवेन्द्र को लिखे पत्र में केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री ने बताया कि राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष के नियमों में संशोधन एक सतत प्रक्रिया है और यह वित आयोग की सिफारिशों के आधार पर किया जाता है। मंत्री ने बताया कि पिछली बात 29.11.2013 को 13वें वित आयोग की सिफारिशों पर राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष नियमों में संशोधन किया गया था।




उन्होनें शिव विधायक को बताया 13वें वित आयोग की सिफारिशों पर आपदा राहत नियमों में किए गए संशोधन की अवधि 31 मार्च 2015 को पूरी हो रही है और 14वें वित आयोग की सिफारिशें केन्द्र सरकार को सौंपी जा चुकी है।




केन्द्रीय गृह राज्यमंत्री किरेन रिजिजु ने शिव विधायक को आश्वस्त किया कि 14वें वित आयोग की सिफारिशें के आधार पर जल्द ही राष्ट्रीय आपदा मोचन कोष के नियमों में संशोधन कर अकाल प्रभावित लोगों को जल्द से जल्द राहत पहुंचायी जाएगी।

बाड़मेर राजस्थान दिवस समारोह गैर नृत्य रहा आकर्षण का केन्द्र, केमल टेटू शौ एवं आर्मी बैण्ड की प्रस्तुति








बाड़मेर राजस्थान दिवस समारोह गैर नृत्य रहा आकर्षण का केन्द्र, केमल टेटू शौ एवं आर्मी बैण्ड की प्रस्तुति



बाडमेर, 30 मार्च। राजस्थान दिवस के अवसर पर 30 मार्च को गैर नृत्य, बीएसएफ द्वारा कैमल टेटू शो सहित विभिन्न आकर्षक कार्यक्रमों की प्रस्तुति दी गई।

राजस्थान दिवस समारोह के कार्यक्रमों का आगाज सोमवार प्रातः 9.00 बजे नगर परिषद से शोभायात्रा को जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा द्वारा हरी झण्डी दिखाकर रवाना कर किया गया। शोभायात्रा में सबसे आगे श्रृंगारित घोडें तथा इसके बाद बीएसएफ के सज्जे धज्जे ऊट, राजस्थानी परम्परागत वेशभूषा में पुरूष, महिलाएं एवं बालिकाएं तथा विभिन्न गैर दल शामिल थे। शोभायात्रा मुख्य स्टेशन रोड, अंहिसा सर्किल होते हुए आदर्श स्टेडियम पहुंची जहां विभिन्न रोचक प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया।

यहां सर्व प्रथम तनसिंह चैहान के नेतृत्व में बीएसएफ द्वारा मधुर स्वर लहरियों के साथ आकर्षक केमल टेटू शो का प्रदर्शन किया गया। कार्यक्रम के दौरान आर्मी बैण्ड दल द्वारा नायब सूबेदार अशोक कुमार के नेतृत्व में पाईप बैण्ड तथा 17 गार्ड मिलट्री बैण्ड दल द्वारा ब्रास बैण्ड की भव्य प्रस्तुतियां दी गई। इसी प्रकार जसोल, सनावडा, कमों को वाडा एवं नेहरू नवयुवक मण्डल बालोतरा के गैर दलों द्वारा पैरों में भारी भरकम घुंघरू बांधकर आकर्षक गैर नृत्य की प्रस्तुतियां दी गई। कार्यक्रमों की कडी में ढोल वादन, घोडी नाच, मटका दौड, दादा पोता दौड आदि रोचक प्रतियोगिताएं आयोजित की गई। ढोल वादन प्रतियोगिता में हाजी सतार मोहम्मद संस्थान के ढोल वादक सेफ अली खां, भूटा खां, सवाई खां, राजू खां आदि एवं बालोतरा के ढोल वादक ईशराराम, बिशाला के ढोल वादक मंजूर अली और जसोल के ढोल वादक रोशन अली ने ढोल वादन की प्रस्तुति दी। मटका दौड में अनिता प्रथम एवं ललिता शर्मा द्वितीय स्थान पर रही। वहीं दादा पोता दौड में मदनलाल और उनका पोता भावेश प्रथम तथा सखाराम और उनका पोता सुमित कुमार द्वितीय स्थान पर रहें। घोडी डांस में मंजूर खान की घोडी प्रथम एवं सलीम की घोडी द्वितीय स्थान पर रही।

समारोह में बाडमेर-जैसलमेर सांसद कर्नल सोनाराम चैधरी, जिला प्रमुख श्रीमती प्रियंका मेघवाल, नगर परिषद सभापति लूणकरण बोहरा, जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा, जिला पुलिस अधीक्षक परिस देशमुख,, मुख्य कार्यकारी अधिकारी गोपालराम बिरड़ा, अतिरिक्त जिला कलक्टर ओ.पी. बिश्नोई, भूमि अवाप्ति अधिकारी नखतदान बारहट सहित विभिन्न अधिकारी एवं बडी संख्या में पुरूष एवं महिलाए उपस्थित थी।

कार्यक्रम के अन्त में विजेताओं को पारितोषिक वितरण किए गए। कार्यक्रम का संचालन प्रवक्ता मुकेश पचैरी, शैक्षिक प्रकोष्ठ अधिकारी लक्ष्मीनारायण जोशी एवं अध्यापिका सुश्री रूपाली शर्मा द्वारा किया गया।

राजस्थान दिवस समारोह की कडी में ही राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय में रंगोली, मेहंदी, गीत, नृत्य, मांडणा एवं भाषण प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया। रंगोली प्रतियोगिता में सेवन कंवर प्रथम, ललिता द्वितीय एवं संगीता तृतीय स्थान पर रही। इसी प्रकार मेहंदी प्रतियोगिता में खुशबू प्रथम, दीपिका द्वितीय एवं पूजा व दीपिका संयुक्त रूप से तृतीय, गीत प्रतियोगिता में धनी प्रथम, पूजा द्वितीय व ललिता तृतीय, नृत्य प्रतियोगिता में भाग्यश्री प्रथम, धापू द्वितीय व साधना तृतीय, मांडणा प्रतियोगिता में धन्नी प्रथम, रानी द्वितीय व आस्था तृतीय तथा भाषण प्रतियोगिता में नीलम राठौड प्रथम, कु. नरपतों द्वितीय व कु. धन्नी तृतीय स्थान पर रही।

जैसलमेर सदर थाना की बडी कार्य वाही, शराब स े भरा ट्रक जब्त, एक गिरफतार

जैसलमेर सदर थाना की बडी  कार्य वाही, शराब स े भरा ट्रक जब्त, एक गिरफतार
जैसलमेर प ुलिस अधीक्षक डाॅ. राजीव पचार द्वारा चलाय े जा रहे शराब माफियों की विरूद्ध विषेष

अभियान क े दा ैरान सदर थानाधिकारी दिलीप खदाव क े नेतृत्व म ें विषेष टीम श्री श्रवण क ुमार

सउनि, कानिस्टेबल हजारसिंह, श्याम विष्र्नोइ , प ्रकाष चन्द, मनोहरलाल का गठन किया गया।

दिन ंाक 29.03.15 को वक्त करीब 7.00 पीएम पर एक खास म ुखबिर र्की इ तलानुसार आकल फांट े

पर नाकाबन्दी के दौरान भागू का फांटा की ओर से आ रहे एक ट्रक आरज े 31 जीए 5554 का ेर्

इ षारा देकर रूकवाकर चैक किया तो ट्रक के अन्दर अग्रेजी अव ैध शराब हरीयाणा निर्मि त भरी र्ह ुइ

र्पाइ र्गइ ट्रक ड्र्राइ वर विरधाराम उर्फ बाब ू प ुत्र चुतराराम जाति जाट उम ्र 42 वर्ष नि0 सिवाणिया

प ुथा सेड़वा जिला बाड़म ेर से शराब क े र्लाइ से ंस व परमिट के बारे म ें प ूछा तो र्कोइ र्लाइ स ेंस व

परमिट होना नहीं बताया बीकानेर से बाड़म ेर की तरफ शराब को लेजाना बताया। जिस पर ट्रक

जब्त कर थाना लाय े। ट्रक म ें अव ैध शराब की 710 प ेटी भरी र्हुइ थी जिसकी अनुमानित म ूल्य 30

लाख बर्ताइ जा रही ह ैं। ट्रक ड्र्राइ वर को गिरफतार कर न्यायालय में प ेष किया गया जहां स े

म ुल्जिम पीसी रिमाण्ड पर हैं।

बाड़मेर कृषि मंडी में लगाये वात्सप्प ग्रुप मेरी मर्जी ने परिण्डे

बाड़मेर कृषि मंडी में लगाये वात्सप्प ग्रुप मेरी मर्जी ने परिण्डे 


बाड़मेर सोशल ग्रुप मेरी मर्जी और मनरेगा के संयुक्त तत्वाधान में मूक पक्षियों के लिए परिण्डे लगाने के आरम्भ किये अभियान के तहत सोमवार को कृषि उपज मंडी परिसर में परिण्डे लगाये गए ,कार्यक्रम संयोजक सुरेश दाधीच ने बताया की सोशल ग्रुप मेरी मर्जी और महात्मा गांधी नरेगा योजना के सयुंक्त तत्वाधान में सोमवार को बड़ी तादाद में कृषि उपज मंडी में पक्षियों के लिए परिण्डे लगाये ,मेरी मर्जी ग्रुप के सदस्य ललित छाजेड़ ,एडवोकेट अमित बोहरा ,बाबू भाई शेख ,रमेश सिंह इन्दा और मगाराम माली द्वारा कृषि मंडी परिसर में सघन पेड़ो पर पक्षियों के लिए परिंदे बांधे ,ग्रुप के एडमिन चन्दन सिंह भाटी ने बताया की ग्रुप सदस्यों द्वारा एक हज़ार एक परिण्डे जिले भर में लगाए जाने हैं जिसके तहत कृषि मंडी परिसर में परिंदे लगा कर रोज उसमे पानी भरने की जिम्मेदारिया भी दी गयी 

दिल्ली में पूर्व विधायक की गोली मारकर हत्‍या, चली 25 राउंड गोलियां -


नई दिल्ली,  । नजफगढ़ के पूर्व विधायक भरत सिंह पर रविवार रात करीब साढ़े आठ बजे अज्ञात हमलावरों ने जानलेवा हमला किया। ताबड़तोड़ फायरिंग में भरत सिंह समेत एक बच्ची और उनके दो सुरक्षाकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए। प्रत्यक्षदर्शियों के मुताबिक हमलावर तीन गाडिय़ों में आए थे और फायरिंग के बाद पांच मिनट तक यह देखने के लिए रुके रहे कि पूर्व विधायक की मौत हुई या नहीं। जानकारी के मुताबिक इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) नेता व पूर्व विधायक भरत सिंह बहादुरगढ़ रोड स्थित अभिनंदन वाटिका में कुआं पूजन समारोह में हिस्सा लेने पहुंचे थे। पूजा खत्म होने के बाद वह खाना खा रहे थे तभी हमलावरों ने उन पर ताबड़तोड़ फायरिंग शुरू कर दी। सूत्रों के मुताबिक उनके सिर और छाती में दस से अधिक गोलियां लगीं। बुरी तरह घायल भरत सिंह को उनके परिजनों ने गुडग़ांव के मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया। मगर वहां इलाज के दौरान उनकी मौत हो गई। गुडग़ांव के एसीपी क्राइम राजेश कुमार ने उनकी मौत की पुष्टि की है। घायलों में भरत सिंह के दो सुरक्षाकर्मी शामिल हैं। एक बच्ची भी गोली लगने से घायल हुई है। 25 राउंड चली गोलियां सूत्रों के मुताबिक घटनास्थल पर करीब 25 राउंड गोलियां चलाई गईं। हमलावर समारोह शुरू होने से पहले ही टेंट के पीछे छिप गए थे। उनकी संख्या करीब आठ बताई जा रही है। मौका मिलते ही उन्होंने भरत सिंह पर ताबड़तोड़ गोलियां चला दीं और फरार हो गए। घटना की सूचना मिलते ही 20 से ज्यादा गाडिय़ों में विधायक के परिवार वाले व समर्थक मौके पर पहुंचे। उन्होंने सभी को मेदांता अस्पताल में भर्ती कराया। पुलिस उपायुक्त आरए संजीव सहित अन्य पुलिस अधिकारियों के अलावा दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच और स्पेशल सेल व फोरेंसिक की टीम ने भी घटनास्थल का मुआयना किया। पहले भी हो चुका है हमला जून 2012 में भी भरत सिंह पर जानलेवा हमला किया गया था। दक्षिण पश्चिम दिल्ली के उनके आफिस में हुए हमले में उन्हें दो गोलियां लगी थीं। हमले में उनका एक रिश्तेदार घायल हो गया था। भरत सिंह ने 2008 में नजफगढ़ से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में विधानसभा चुनाव जीता था। बाद में वह इनेलो में शामिल हो गए। लेकिन 2013 और 2015 विधानसभा चुनाव में वह हार गए थे। पुलिस के मुताबिक 38 वर्षीय सिंह के बड़े भाई किशन पहलवान पर दो दर्जन से ज्यादा आपराधिक मुकदमे दर्ज हैं।  

राजस्थान दिवस विशेष यूं मनाया पटेल ने महाराणा को...

rajasthan diwas special

जयपुर

यूं मनाया पटेल ने महाराणा को...

भारतीय गणतंत्र के राज्यों की अनेक राजधानियां अपनी विशेषताएं रखती हैं। दिल्ली का स्मरण करते ही हजारों वर्षों का इतिहास सामने आता है। पृथ्वीराज, नादिर, अकबर, औरंगजेब और अंग्रेज- कितने ही चित्र उपस्थित होते हैं।




1949 के बाद जब देशी राज्यों को विलय कर नए प्रांत बनाए गए, तब राजधानियों का प्रश्न अत्यंत महत्वपूर्ण राजनैतिक समस्या बन गया। राजस्थान में भी राजधानी का प्रश्न महान गुत्थी बन गया। जयपुर और उदयपुर का ऐतिहासिक तनाव तब चरम पर था। एक-दूसरे की सीमा में जाना भी दोनों के लिए भारी था।




लिहाजा जयपुर को छोड़कर पहले राजस्थान की रचना हुई और राजधानी उदयपुर में बनी। सामरिक परिस्थितियों के कारण उदयपुर ऐसे स्थान पर बसाया गया था, जहां पर शत्रु की चढ़ाई प्राय: असंभव हो।




जयपुर राजधानी बनते ही यह स्वप्न भंग हो जाता। किंतु भारतीय एकता की दृष्टि से जयपुर के मिलने पर ही राजस्थान का नक्शा पूरा हो सकता था। उदयपुर एक कोने में होने के कारण शासन की दृष्टि से असंभव नगर था। अतएव महाराणा उदयपुर को किसी ढंग से इन दोनों के लिए राजी करना जरूरी था।




सरदार पटेल ने नहीं लिया आसन

बड़प्पन के साक्ष्य अनहोनी परिस्थितियों में ही उपस्थित होते हैं। इतिहास और भारतीय जनभावना में महाराणा उदयपुर का महात्म और मान है। अतएव समस्त जनता की भावनाओं को बिना ठेस लगाए महाराणा उदयपुर को राजी करना, आसान काम नहीं था। किंतु कर्मठ सरदार पटेल की तीव्र बुद्धि ही परिस्थिति के अनुसार मोर्चा रोप देने में अत्यंत कुशल थी। तर्क से महाराणा को राजी करना व्यर्थ था क्योंकि सभी तर्क महाराणा के पक्ष में ही अंततोगत्वा जाते थे। अतएव चाणक्य पटेल ने युक्ति से काम लिया।




वे उदयपुर पहुंचे, जब वे महाराणा से भेंट करने गए तब एक अजीब घटना घटी। उनके कहने पर भी सरदार पटेल ने आसन नहीं लिया और हाथ जोड़कर कहा- 'महाराणा साहब! हम तो आपको दिल्ली ले जाने के लिए आए हैं।




चलिए दिल्ली का सिंहासन सम्हालिए।Ó सरदार पटेल ने यह बात इतनी सरलता और स्वच्छ एवं निष्कपटता तथा गंभीरता से कही कि महाराणा भूपाल सिंह की आंखें डबडबा उठीं।




उस दिल्ली- जिसके सिंहासन के सामने सिर न झुकाने के कौल के कारण सिसोदिया 1400 वर्ष तक खून और रक्त तथा जौहर से कुर्बानी देता आया है; वही दिल्ली और उसका सिंहासन उसके सामने आज भेंट के लिए हाजिर था। यह थी चित्तौड़ और बापा रावल के मेवाड़ के प्रतिशोध की अंतिम विजय।




उसी दिन से उदयपुर के महाराणा- राजस्थान के महाराज प्रमुख कहलाए और हैदराबाद के निजाम राजप्रमुख। अंग्रेजों के काल में हैदराबाद के निजाम अगर पूरे नहीं, तो आधे से अधिक बादशाह माने जाते थे। उनके राजमहल का नाम किंग कोठी था। वे 'हिज एम्जाल्टेड हाईनेसÓ कहे जाते थे, जबकि शेष राजे हिजहाईनेस पर खत्म थे।




किंतु जब स्वतंत्रता आई, तो स्वतंत्रता के प्रतीक मेवाड़ और उसके महाराणा के स्थान में परिवर्तन कैसे न होता। जिस दिन उदयपुर के महाराणा महाराज प्रमुख हुए उसी दिन भारत के इतिहास में यह बात दर्ज हो गई कि ऐतिहासिक न्याय एवं कर्तव्य परायणता की दृष्टि से केवल मेवाड़ के महाराजा ही नृपश्रेष्ठ होने के अधिकारी हैं।




जयपुर को मान लिया राजधानी

यह तय है कि वृहत्ता राजस्थान की राजधानी का सवाल तब भी यह जानकर हल किया गया था कि अजमेर का स्थल टापू के रूप में राजस्थान में विलय हो जाएगा। ऐतिहासिक परम्पराओं की दृष्टि से राजधानी केवल उदयपुर में हो सकती थी।




किंतु पटेल की उज्ज्वल देशभक्तिपूर्ण अभिव्यंजना पर मुग्ध होकर एकांत कुल सत्ता के प्रणी महाराणा भूपाल सिंह ने जयपुर को राजधानी मान लिया।




मुझे स्मरण है कि जब उदयपुर में मैंने पूछा कि महाराणा भूपाल सिंह का दुर्लभ गुण क्या है। तो श्री जनार्दन राय ने कहा कि निस्वार्थ प्रजा हित चिंतन। उनके इस परम्परागत गुण के कारण स्वदेश के हित में उन्होंने मेवाड़ के अभिमान के प्रतीक उदयपुर को भी राजस्थानी एकता के मंदिर में अर्पित कर दिया।




(राजस्थान के एकीकरण पर अपने जमाने के प्रख्यात पत्रकार विष्णु दत्त मिश्र 'तरंगीÓ का यह छह दशक पुराना आलेख हमें वरिष्ठ पत्रकार सीताराम झालाणी के संग्रह से प्राप्त हुआ है।)




सम्मान के साथ हुआ विलय

प्र्रवीण चन्द्र छाबड़ा, वरिष्ठ पत्रकार

जुलाई 1947 में स्वाधीनता अधिनियम के तहत भारत का दो राष्ट्रों 'भारत व पाकिस्तानÓ में विभाजन होने के साथ देशी रियासतों से भी ब्रिटेन की सत्ता समाप्त हो गई। विदा होने से पूर्व ब्रिटेन सरकार ने स्पष्ट कर दिया कि रियासत चाहे तो वह अपनी सार्वभौम सत्ता को कायम रख सकती है और चाहे तो भारत या पाकिस्तान में से किसी एक के साथ अपने हितों के अनुसार समझौता या संधि कर सकती है। रियासत की जनता इन सबसे अनजान जैसी थी।




रियासतों के समक्ष यह भी स्पष्ट नहीं था कि सीमांकन में उनका कितना क्षेत्र पाकिस्तान में जा सकता है। 5 जुलाई 1947 को रियासती विभाग का कार्यभार संभालने के साथ सरदार वल्लभभाई पटेल ने राजाओं को विश्वास में लेना शुरू किया।




उनके प्रति सदाशयता, मित्रभाव, सम्मानजनक कार्यप्रणाली व व्यवहार से भरोसा दिला सके कि वे जो निर्णय करेंगे वह इनके हित के साथ देश की अखण्डता व प्रभुता को कायम रखने का होगा।




अखिल भारतीय कांग्रेस ने शुरू से ही रियासती भारत को अपने एजेन्डे में नहीं रखा। नेतृत्व ने भी इस आत्म-निषेध का कठोरता से पालन किया। गांधीजी का मानना था कि सर्वोपरि सत्ता (ब्रिटिश सरकार) के हटने के साथ ही रियासतों की समस्या स्वयं सुलझती जाएगी।




विलय में नहीं आई उलझने

यही कारण रहा कि अधिकांश रियासतों ने संविधान सभा में अपने प्रतिनिधि भेज दिए। राजस्थान से रियासतों तथा जनप्रतिनिधि मिलाकर कुल 17 प्रतिनिधि भेजे गए, जो 28 अप्रेल 1947 को संविधान सभा के सदस्य बन गए।




राजाओं के प्रतिनिधियों के संविधान सभा में हो जाने से उनकी भागीदारी होने के साथ राज्यों के पुनर्गठन व एकीकरण का मार्ग प्रशस्त हो गया। राजाओं ने रियासतों की जन-भावना का पूरा समादर किया, उसी तरह जन-नेताओं ने भी राजाओं का सम्मान बनाए रखा।




जोधपुर और बीकानेर रियासत को लेकर कुछ समय के लिए पेचीदा स्थिति बनी। पर, वह सरदार पटेल के प्रभाव और कुशल व्यवहार से सतही होकर रह गई। जोधपुर के महाराजा हणुवन्त सिंह को उन्होंने बुलाया और समझाया। सरदार पटेल ने कहा कि उन्होंने सुना है कि आप पाकिस्तान से समझौते की बात कर रहे हैं। क्या आपको पाकिस्तान जाना है? उनसे यह भी कहा कि देखिए आपको जाना है तो भेज दूं। रियासत नहीं जावेगी।




तब के कांग्रेस अध्यक्ष गोकुल भाई ने एक भेंटवार्ता में बताया था कि उस वक्त राजमाता जोधपुर ने उनसे स्पष्ट कहा कि अपने को तो देश के साथ रहना है। सरदार साहब क्रोध नहीं करें। राजमाता ने कहा- मेरे सिर पर हाथ रखिए कि आप उनकी मदद करेंगे। यही स्थिति बीकानेर महाराजा शार्दूल सिंह के साथ हुई।




इस प्रसंग में महारावल लक्ष्मण सिंह ने भी अपनी भेंटवार्ता में स्पष्ट किया कि कोई भी हिन्दू राजा स्वयंभू तथा अपनी प्रजा को पाकिस्तान के भेंट नहीं कर सकता था। महाराजा जोधपुर सारे राजस्थान को एक स्वतंत्र इकाई के रूप में देखना चाहते थे। पाकिस्तान के साथ 'स्टेण्ड स्टील एग्रीमेन्टÓ करना चाहते थे।




उनका सारा व्यापार व्यवसाय सिन्ध-करांची से था। भारत सरकार को भी उन्होंने बता दिया था। बीकानेर रियासत के समक्ष भी गंगनहर का प्रश्न था। उन्हें भय था कि भागलपुर के दबाव में फिरोजपुर हेडवक्र्स व गंगनहर का मुख्य भाग पाकिस्तान में नहीं चला जावे। उनके लिए पाकिस्तान से सन्धि करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। उन्होंने जब चेतावनी दी तो स्वयंभू लॉर्ड माउन्टबेटन को दखल देना पड़ा।




महारावल रहना चाहते थे स्वतंत्र

राजस्थान में विलय के प्रश्न पर महारावल ने स्पष्ट किया कि वे अपने को स्वतंत्र रखना चाहते थे। लेकिन, उदयपुर के महाराणा भोपाल सिंह जी ने जब उन्हें बुलाया तो उन्होंने समझा कि वे भी डोमिनयन स्टेट की बात करेंगे, लेकिन ऐसा नहीं हुआ।




मेरी तरफ मुस्करा कर कहा- विलीनीकरण नहीं, कुर्बानी देनी है। अब शेष भारत को संगठित व सुगठित बनाने के लिए। उन्होंने कहा कि यह समय चाहने या नहीं चाहने का नहीं है।




यह कर्तव्यपरायणता का सवाल है। भारत के बनने के लिए खुशी-खुशी आप विलय का प्रस्ताव करिए। महारावल के अनुसार उनकी विरोध भावना समाप्त हो गई।

रविवार, 29 मार्च 2015

गुड़गांव की अदिति बनीं मिस इंडिया वर्ल्ड 2015



गुड़गांव की अदिति आर्य ने मुंबई के यशराज स्टूडियो में एक रंगारंग समारोह में 'एफबीबी फेमिना मिस इंडिया वर्ल्ड 2015' का खिताब जीता। शनिवार शाम हुए इस कार्यक्रम के 'ग्रैंड फिनाले' में पहली रनर-अप आफरीन राशेल वाज और दूसरी रनर-अप वर्तिका सिंह रहीं।

अदिति अब 'मिस वर्ल्ड' प्रतियोगिता में भारत का प्रतिनिधित्व करेंगी जबकि आफरीन व वर्तिका विभिन्न अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लेंगी। इस कार्यक्रम में जॉन अब्राहम, मनीषा कोइराला, सोनू निगम, अनिल कपूर, फिरोज नाडियावाला, अबू जानी, संदीप खोसला, शिल्पा शेट्टी, सोनाली बेंद्रे, शामक डावर और चित्रांगदा सिंह जैसी हस्तियों ने जज की भूमिका निभाई।






जॉन अब्राहम ने कहा कि हमने व्यक्तित्व का चुनाव किया। रूप, रंग नहीं बल्कि चरित्र पर ध्यान दिया क्योंकि मिस वर्ल्ड में हमारे देश का प्रतिनिधित्व मिस इंडिया करती हैं। यह रूप, रंग से ज्यादा व्यक्तित्व से जुड़ा मामला है। रेड कारपेट पर रॉकी एस, नसीरुद्दीन शाह और परेश रावल जैसे कलाकार नजर आए। इस शो की मेजबानी मनीष पॉल और नेहा धूपिया ने की। इस समारोह के दौरान करीना कपूर, जैकलीन फर्नांडीज, शाहिद कपूर, कनिका कपूर ने परफॉर्मेंस दी।

मिस वर्ल्ड पर है निगाह एनबीटी से खास बातचीत में अदिति आर्य ने बताया कि मिस इंडिया बनना सातवें आसमान पर पहुंचने जैसी खुशी है, लेकिन मैं इस खुशी में बहकना नहीं चाहती। मिस इंडिया का ताज एक स्टेप है, मिस वर्ल्ड तक पहुंचने के लिए। वहां इंटरनैशनल लेवल पर अलग ही कॉम्पिटिशन होता है। मेरे माइंड में कई चीजों की लिस्ट है, जिस पर मुझे काम करना है। मुझे मिस वर्ल्ड का ताज तो भारत लाना ही है, साथ ही ऐसा काम भी करना है ताकि मिस इंडिया की रिस्पेक्ट और बढ़ा सकूं।

एक अप्रेल से घर पर सिर्फ गैर रियायती सिलेण्डर



जयपुर जयपुर समेत प्रदेशभर के सभी 75 लाख घरेलू उपभोक्ताओं को एक अप्रेल से घर पर सिर्फ गैर रियायती सिलेण्डर की आपूर्ति होगी।
only non-subsidized cylinder at home to April



जो उपभोक्ता प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ योजना(पहल) से जुड़ चुके हैं, उनकी सब्सिडी का पैसा उनके बैंक खाते में जाएगा , जबकि शेष उपभोक्ताओं की सब्सिडी अगले तीन माह के लिए रिजर्व रखी जाएगी।




इस अवधि में अगर वे अपने बैंक खाते व आधार कार्ड की जानकारी एजेंसी को दे देंगे व बैंक खाते को आधार कार्ड से लिंक करवा लेंगे तभी उनके खाते में भी सब्सिडी का पैसा आएगा।




एक जनवरी को शुरू हुई थी योजना

एलपीजी सब्सिडी का पैसा बैंक खाते में पहुंचाने के लिए 1 जनवरी से प्रत्यक्ष हस्तांतरित लाभ योजना (पहल) शुरू की गई थी।




उपभोक्ताओं को पहल से जुडऩे की समय सीमा 31 मार्च तक बढ़ा दी थी जो दो दिन बाद समाप्त हो जाएगी। कम्पनियों के आंकड़ों के हिसाब से अभी तक 18 फीसदी उपभोक्ता इस योजना से नहीं जुड़े है।

कामकाज होगा प्रभावित

पहल योजना के तहत सभी उपभोक्ताओं को गैर रियायती सिलेण्डर की आपूर्ति के लिए कम्पनियों के केन्द्रीय सर्वर में अपडेशन किया जाएगा। इसके लिए सभी एजेंसी संचालकों को सूचना भी दे दी गई है। ऐसे में संभवतया 31 मार्च को एजेंसियों पर ऑनलाइन कामकाज प्रभावित रहेगा।




सब्सिडी के लिए पहल से जुडऩा होगा

एक अप्रेल से उपभोक्ताओं को गैर रियायती सिलेण्डर की आपूर्ति ही होगी। जो उपभोक्ता पहल योजना से जुड़ चुके है, उनकी सब्सिडी का पैसा ऑनलाइन बैंक खाते में डाला जा रहा है।




शेष उपभोक्ता भी सब्सिडी का फायदा लेने के लिए योजना से जुड़ सकते है।

गुरुमीत सिंह, राज्य स्तरीय समन्वयक, तेल उद्योग

साढ़े सात करोड़ में बिका 223 साल पुराना एक सिक्का



न्यूयॉर्क "पेनी वाइज पाउंड फुलिश" (पैसा बुद्धिमान रुपया मूर्ख) की अंग्रेजी की कहावत को सार्थक करते हुए अमरीका की 223 साल पुरानी पहली पेनी (एक सेंट का सिक्का) नीलामी में 12 लाख डॉलर (7.5 करोड़ से अधिक) में बिकी है।
first us penny sold in 1.2 million dollars



नीलामी करने वाली स्टैक्स बाउअर्स गैलरी ने बताया कि अमरीकी संसद द्वारा सेंट (डॉलर का सौंवां हिस्सा) को मान्यता देने के बाद यह पेनी 1792 में ढाली गई थी और सिक्कों के संग्रहण के जानकारों के अनुसार अमरीका में जारी पहली पेनी में से अब 10 ही बची हुई हैं।




विशेषज्ञों के मुताबिक, "बिर्च सेंट" नामक यह सिक्का वर्तमान सेंट के मुकाबले आकार में दोगना है। इस पर "मिस लिबर्टी" की छवि अंकित है और "लिबर्टी, पैरेंट ऑफ साइंस एंड इंडस्ट्री" लिखा हुआ है।




नीलामी में 1861 का एक आधा-डॉलर भी शामिल था, जो छह लाख 46 हजार 250 डॉलर में बिका।