शुक्रवार, 18 जुलाई 2014

जाने ताजमहल की कुछ अनसुनी बातें

मुमताज महल और शाहजहां के प्रेम का प्रतीक है ताजमहल। इसके निर्माण से संबंधित बहुत सारी कथाएं प्रचलित हैं। अपनी चौदहवीं संतान को जन्म देने के उपरांत बुरहानपुर में मुमताज महल अल्लहा को प्यारी हो गई। उनके पार्थिव शव को छह महीने तक इसी स्थान पर दफना कर रखा गया और कुछ समय उपरांत शव को कब्र से निकाल कर शाहजहां अपने साथ आगरा ले गए और उसे ताजमहल में दफनाया गया।जाने ताजमहल की कुछ अनसुनी बातें
ताजमहल भारत का गौरव है और वह दुनिया के 8 अजूबों में से एक है। इसका निर्माण कार्य 1632 में शुरु हुआ था। इस स्मारक को बनाने में पूरे बाइस साल (1630-1652) लगे। सफेद संगमरमर से बना यह मकबरा वर्गाकार नींव पर आधारित है। यह खूबसूरत महल प्यार का प्रतीक माना जाता है। हर शुक्रवार को ताजमहल बंद रहता है। यह 400 वर्ष पुराना है और इसका निर्माण 20 हजार मजदूरों ने रात-दिन काम करके चमकीले सफेद संगमरमर से बेहतरीन मुगल वास्तुकला के नमूने के रूप में किया था। जो ईरानी और भारतीय शैलियों का सुमेल है।

ताज परिसर में कदम रखते ही आप मंत्रमुग्ध हो जाते हैं कि इतनी खूबसूरत रचना मनुष्य ने कैसे की होगी। पूरे परिसर में सजावट के रूप में कुरान की आयतें उकरी हुई हैं। सफेद संगमरमर से बना यह मकबरा वर्गाकार नींव पर आधारित है। यह मेहराबरूपी गुंबद के नीचे है और यहां एक वक्राकार गेट के जरिए पहुंचा जा सकता है। 300 मीटर का वर्गाकार चार बाग भी ताजमहल की शोभा बढ़ाते हैं। इसमें कई उठे हुए रास्ते हैं, जो बाग को 16 फूलों की क्यारियों में बांटते हैं। ताजमहल की सुंदरता का कोई भी बखान नहीं कर सकता।

ताजमहल के वजूद पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि यमुना नदी में पानी का स्तर कम होने के कारण ताजमहल की नींव में लगी लकड़ी सूख रही है जिससे ताजमहल के अस्तित्व को भयानक खतरा हो सकता है। अन्य कारणों पर दृष्टिपात करें तो आगरा में ताजमहल के आसपास के इलाकोंं में औद्योगिक ईकाईयों के खुलने के कारण इस धरोधर के क्षतिग्रस्त होने की आशंकाएं बढ़ गई हैं साथ ही खतरा इस इमारत की खूबसूरती पर दाग लगने का भी बढ़ रहा है। ताजमहल पर ‘मुलतानी मिट्टी’ का लेप समेत कई पहल की गई लेकिन बढ़ता प्रदूषण समस्या बना हुआ है।

बराक ओबामा को जहर देकर मारना चाहती थी यह अभिनेत्री

वाशिंगटन। खूबसूरत अभिनेत्री जो ब्यूटी क्वीन भी रह चुकी है, अमरीका के राष्ट्रपति बराक ओबामा को जान से मारना चाहती थी।

ओबामा को मारने के लिए इस अभिनेत्री ने उन्हें एक जहरीला पत्र भेजा था।

अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को ही नहीं न्यूयार्क शहर की मेयर को भी मारने के लिए इस अभिनेत्री ने मायाजाल रचा था।

एक विदेशी मीडिया के अनुसार आरोपी अभिनेत्री को वहां की अदालत ने 18 साल की सजा सुनाई है।
actress sends poisoned letter to president barack obama sentenced imprisoned for 18 years
अमरीकी राष्ट्रपति को जान से मारने की कोशिश में आरोपी अभिनेत्री शैनन गेस रिचड्üसन को जून 2013 में गिरफ्तार किया गया था।

आरोप साबित होने के बाद अभिनेत्री ने अपने पति को फंसाने का प्रयास किया था।

शैनन के बारे में आपको बता दें कि उन्होंने वैंपाय सीरीज समेत कई फिल्मों में छोटा-मोटा रोल अदा किया है।

अभिनेत्री ने जहर तैयार करने के लिए इंटरनेट के माध्यम से एक पौधे की बीज मंगवाई थी जिससे जहर तैयार किया जाता है।

जहर तैयार करने के बाद अभिनेत्री ने 20 मई 2013 को अपने पति के जाने इंतजार किया था और उसके बाद पत्र भेजा था।

अदालत में सुनवाई के दौरान आरोपी अभिनेत्री ने अदालत से करूणा और रहम की भीख मांगी थी।

अभिनेत्री ने कहा था कि उसने किसी को मारने की कोशिश नहीं की थी। वो इस प्रवृत्ति की नहीं है।

इसकी सजा उसे उसके छह बच्चों से अलग होकर मिल चुकी है। इतना ही नहीं पति ने भी अभिनेत्री से तलाक लेने के लिए कोर्ट में अर्जी डाल दी है। -

खुद का सामना न कर पाने वाला इंसान सबसे गरीब



आज इंसान की स्थिति बड़ी विचित्र हो गई है।अक्सर हम बीमार होते हुए भी खुद को बीमार नहीं मानते।यही नहीं,हम अपनी बुराइयों को भी स्वीकार नहीं करते।पहचान अगर जाहिर हो भी जाए तो हम किसी न किसी प्रकार उसे दबाने में लग जाते हैं।कुल मिलाकर हम बेध्यानी में उल्टे-सीधे काम करने लगते हैं।अपनी बीमारियों को ऐसे में हम और बढ़ा लेते हैं।
खुद का सामना न कर पाने वाला इंसान सबसे गरीब
दरअसल,हमने बुराइयों को दूर करने का तरीका ही बदल लिया है।गंदगी दिखती है तो चेहरा साफ करने के बजाय दर्पण साफ करने लगते हैं लेकिन हम यह भूल जाते हैं कि दर्पण जितना साफ होगा,गंदगी या हमारी बुराइयां उतनी ही ज्यादा दिखेंगी।

हमें जरूरत है भीतरी सफाई की।अपना कर्म ठीक करने की।कर्म ठीक होगा तो लोगों का नजरिया खुद-ब-खुद ठीक हो जाएगा।लोगों का तो काम ही आलोचना करना है। इन आलोचनाओं पर तभी ध्यान देने की जरूरत है जब हम वाकई अपने कर्म में कमी पाएं।कर्म को बदले बिना तो नजरिया बदला ही नहीं जा सकता। हमारी बीमारियों का सही इलाज तो कर्म सुधार के जरिए ही हो सकता है क्योंकि अपनी बीमारियों के बारे में सिर्फ हम जानते हैं,दूसरा कोई नहीं।
अपनी बुराइयों को यदि हम स्वीकार नहीं करते तो हमसे ज्यादा गरीब कोई और दूसरा नहीं हो सकता।गलत कामों के लिए हमारी आत्मा धिक्कारे तो हम गरीब ही तो हुए। सबसे गरीब इसलिए कि दुनिया तो दूर,गलत होने पर हम अपना सामना तक नहीं कर सकते।

धार्मिक सौहार्द का प्रतीक काठमांडू का माला बाजार



नेपाल की राजधानी काठमांडू के ठीक बीचों-बीच स्थित बाजार में कृत्रिम मोतियों से बनी मालाएं तथा चूडिय़ां आदि बेचने वाली करीब 50 दुकानें हैं जिनमें से अधिकतर उन मुस्लिमों की हैं जिनके पूर्वज करीब 500 साल पूर्व कश्मीर से आकर नेपाल में बसे थे। वे लोग 1484 से 1520 के मध्य मिस्त्री तथा चूडिय़ों के व्यापारियों के तौर पर काठमांडू आए थे। उनमें से कुछ ने राज दरबार में संगीतकारों के तौर पर काम भी किया।
धार्मिक सौहार्द का प्रतीक काठमांडू का माला बाजार


अब ये माला विक्रेता काठमांडू के जन-जीवन का अभिन्न अंग बन चुके हैं और धार्मिक सौहार्द की एक उम्दा मिसाल भी पेश करते हैं। इन दुकानों पर अधिकतर हिन्दू खरीदार आते हैं जबकि इस बाजार की अधिकतर दुकानें कश्मीरी मुस्लिमों के वंशजों की हैं। श्रावण माह तथा राखी के त्यौहार के दौरान तो इस बाजार में व्यापार खासा बढ़ जाता है जब हिन्दू महिलाएं दोस्तों तथा परिवार वालों के लिए रंग-बिरंगे मोतियों की मालाएं, ब्रैसलेट तथा चूडिय़ां खरीदती हैं।



ये दुकानें 7-8 पीढिय़ों से भी अधिक समय से मुस्लिम परिवारों द्वारा चलाई जाती रही हैं परंतु अब नई पीढ़ी नए कामों की तरफ रुख कर रही है। इस बाजार में अपनी दुकान चलाने वाले ख्वाजा असद शाह का बड़ा बेटा नेपाल के एक लोकप्रिय रैप बैंड का सदस्य तथा सफल फिल्म निर्माता है। उनका छोटा बेटा एक शिक्षक है जबकि उनकी बहू स्थानीय रेडियो स्टेशन में काम करती है।




पहले इस बाजार में मोती तथा चूडिय़ों के व्यवसाय पर एकाधिकार रखने वाले मुस्लिमों को अपनी अगली पीढ़ी के इस काम में कम रुचि लेने के साथ एक और चुनौती (चीन से आयात होने वाले सस्ते मोतियों) का सामना भी करना पड़ रहा है। गौरतलब है कि पहले काठमांडू के इस बाजार में चैक गणराज्य से ही इन्हें आयात किया जाता था।

अदभुत: शिवलिंग के दो भागों का शिवरात्रि पर हो जाता है ‘मिलन’



धार्मिक दृष्टि से पूरा संसार ही शिव का रूप है। इसलिए शिव के अलग-अलग अद्भुत स्वरूपों के मंदिर और देवालय हर जगह पाए जाते हैं। ऐसा ही एक मंदिर स्थित है - हिमाचल प्रदेश के कांगड़ा जिले में स्थित काठगढ़ महादेव। इस मंदिर का शिवलिंग ऐसे स्वरूप के लिए प्रसिद्ध है, जो संभवत: किसी अन्य शिव मंदिर में नहीं दिखाई देता। काठगढ़ महादेव संसार में एकमात्र शिवलिंग माने जाते हैं, जो आधा शंकर और आधा पार्वती का रूप लिए हुए हैं, यानि एक शिवलिंग में दो भाग हैं। शिव और शक्ति के अर्द्धनारीश्वर स्वरुप श्री संगम के दर्शन से मानव जीवन में आने वाले सभी पारिवारिक और मानसिक दु:खों का अंत हो जाता है।

ईशान संहिता के अनुसार इस शिवलिंग का प्रादुर्भाव फाल्गुन मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी की रात्रि को हुआ था। यह पावन शिवलिंग अष्टकोणीय है तथा काले-भूरे रंग का है। लगभग 7-8 फुट ऊंचा भगवान शिव आशुतोष का प्रतिमा स्वरूप व लगभग 6-7 फुट ऊंचा इसी के साथ सटा हुआ माता पार्वती का प्रतिमा स्वरूप विराजमान है। दो भागों में विभाजित आदि शिवलिंग का अंतर ग्रहों एवं नक्षत्रों के अनुसार घटता-बढ़ता रहता है और शिवरात्रि पर दोनों का ‘मिलन’ हो जाता है। शिवरात्रि के अवसर पर हर साल यहां पर तीन दिवसीय भारी मेला लगता है। इस दिन भगवान शिव की शादी माता पार्वती के साथ हुई थी। उनकी शादी का उत्सव मनाने के लिए रात में शिव जी की बारात निकाली जाती है। रात में पूजा कर फलाहार किया जाता है। अगले दिन सवेरे जौ, तिल, खीर और बेल पत्र का हवन करके व्रत समाप्त किया जाता है।

काठगढ़ महादेव मंदिर के दक्षिण में ब्यास नदी है। इस धर्मस्थल से दो नदियों का मिलन स्थान है। इस मंदिर के साथ कई पौराणिक किंवदंतियां जुड़ी हुई है। लोगों के कथनानुसार मंदिर में स्थापित शिवलिंग स्वयंभू प्रकट है। कहा जाता है कि व्यास नदी के किनारे स्थित इस मंदिर के बारे में शिव पुराण में भी व्याख्या मिलती है। ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच श्रेष्ठता का विवाद उत्पन्न हो गया और दोनों महेश्वर और पाशुपात अस्त्रों जैसे दिव्यास्त्र लेकर युद्ध हेतु उन्मुख हो उठे। इससे तीनों लोकों में नाश की आशंका होने लगी और भगवान शिव शंकर महाअग्नि तुल्य स्तंभ के रूप में ब्रह्मा जी और विष्णु जी के बीच में प्रकट हो गए। इससे दोनों देवताओं के दिव्यास्त्र स्वत: ही शांत हो गए और युद्ध खत्म हो गया। यही अग्नि तुल्य स्तंभ, काठगढ़ के रूप में जाना जाने लगा।

कहा जाता है कि त्रेता युग में जब महाराज दशरथ की शादी हुई थी तो उनकी बारात पानी पीने के लिए यहां रुकी थी और यहां एक कुएं का निर्माण किया गया था। यह कुआं आज भी यहां स्थापित हैं। जब भी भरत व शत्रुघ्न अपने ननिहाल कैकेय देश (वर्तमान कश्मीर) जाते थे तो वे व्यास नदी के पवित्र जल से स्नान करके राजपुरोहित व मंत्रियों सहित यहां स्थापित शिवलिंग की पूजा-अर्चना कर आगे बढ़ते थे।

एक किंवदंती में कहा गया है कि सिकंदर महान का विजयी अभियान यहीं आकर रुका था। विश्वविजेता सिकंदर ईसा से 326 वर्ष पूर्व जब पंजाब पहुंचा, तो प्रवेश से पूर्व मीरथल नामक गांव में अपने सैनिकों को खुले मैदान में विश्राम की सलाह दी। इस स्थान पर उसने देखा कि एक फ़कीर शिवलिंग की पूजा में व्यस्त था। उसने फ़कीर से कहा- ‘आप मेरे साथ यूनान चलें। मैं आपको दुनिया का हर ऐश्वर्य दूंगा।’ फ़कीर ने सिकंदर की बात को अनसुना करते हुए कहा- ‘आप थोड़ा पीछे हट जाएं और सूर्य का प्रकाश मेरे तक आने दें।’ फ़कीर की इस बात से प्रभावित होकर सिकंदर ने भोले नाथ के इस अलौकिक स्वरूप की पूजा-अर्चना की और यहां यूनानी सभ्यता की पहचान छोड़ते हुए शिवलिंग के चारों ओर अष्टकोणिय चबूतरों का निर्माण करवाया था। शिवालय की ऐतिहासिक चारदीवारी में यूनानी शिल्पकला का प्रतीक व प्रमाण आज भी मौजूद हैं।



बताया जाता है कि इस मंदिर ने महाराजा रणजीत सिंह के कार्यकाल में सबसे ज्यादा प्रसिद्धि प्राप्त की थी। कहते हैं, महाराजा रणजीत सिंह ने जब गद्दी संभाली, तो पूरे राज्य के धार्मिक स्थलों का भ्रमण किया। वह जब काठगढ़ पहुंचे, तो इतना आनंदित हुए कि उन्होंने आदि शिवलिंग पर सुंदर मंदिर का निर्माण करवाया और शिवलिंग की इस महिमा का गुणगान भी चारों ओर करवाया। मंदिर के पास ही बने एक कुएं का जल उन्हें इतना पसंद था कि वह हर शुभकार्य के लिए यहीं से जल मंगवाते थे।

गुरुवार, 17 जुलाई 2014

याद रखो। … भारतीय रेल परिवहन – सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

याद रखो। … भारतीय रेल परिवहन – सामान्य ज्ञान प्रश्नोत्तरी

● भारत का सबसे बड़ा सार्वजनिक उपक्रम कौन-सा है— भारतीय रेल 
● भारतीय रेल कितने क्षेंत्रों (जोन) में बाँटी गई है— 17 
● भारत में प्रथम रेल कब चली— 16 अप्रैल, 1853 ई. 
● भारत की पहली रेल कहाँ चली— मुंबई और थाणे के मध्य 
● भारत में सर्वप्रथम रेल का शुभारंभ किसने किया था— लॉर्ड डलहौजी ने 
● रेल सेवा आयोग के मुख्यालय कहाँ-कहाँ है— इलाहाबाद, मुंबई, कोलकाता, भोपाल और चेन्नई
● भारतीय रेल नेटवर्क का विश्व में कौन-सा स्थान है— चौथा 
● भारतीय रेल नेटवर्क का एशिया में कौन-सा स्थान है— दूसरा 
● भारतीय रेलवे बोर्ड की स्थापना कब की गई थी— 1905 में 
● विश्व में प्रथम रेल कब चली— 1825 ई., इंग्लैंड 
● भारतीय रेल बजट को सामान्य बजट से कब अलग किया गया— 1824 ई. 
● भारत में भूमिगत (मेट्रो रेलवे) का शुभारंभ कब और कहाँ हुआ था— 1984-85 ई., कोलकाता 
● भारत में सबसे लंबी दूरी तय करने वाली रेलगाड़ी कौन-सी है— विवेक एक्सप्रेस 
● भारत में प्रथम विद्युत इंजन का निर्माण कब प्रारंभ हुआ— 1971 ई. 
● इंटीग्रल कोच फैक्टरी कहाँ है— पैरंबूर (चेन्नई) 
● रेलवे कोच फैक्टरी कहाँ है— हुसैनपुर (कपूरथला) 
● रेलवे कोच फैक्टरी की स्थापना कब हुई— 1988 ई. 
● भारत और पाकिस्तान के बीच चलने वाली रेलगाड़ी कौन-सी है— समझौता व थार एक्सप्रेस 
● भारत में सबसे तेजगति से चलने वाली रेलगाड़ी कौन-सी है— शताब्दी एक्सप्रेस 
● भारत का सबसे लंबा प्लेटफॉर्म कौन-सा है— खड़गपुर (पश्चिमी बंगाल) 
● भारत के किस राज्य में रेल लाइन सबसे अधिक है— उत्तर प्रदेश 
● पूर्वी उत्तर भारत के राज्य में रेलमार्ग नहीं है— मेघालय 
● पैलेस ऑन व्हील्स की तर्ज पर नई रेलगाड़ी ‘डेक्कन ओडिसी’ का परिचालन किस राज्य में हो रहा है—महाराष्ट्र 
● कोंकण रेलमार्ग किस पर्वत श्रृंखला से होकर गुजरता है— पश्चिमी घाट 
● भारतीय रेलमार्ग का कुल कितने % विद्युतीकरण है— 30% 
● भारत में कितने प्रकार के रेलमार्ग है— 3 प्रकार 
● रेल पथ के ब्रॉड गेज की चौड़ाई कितनी होती है— 1.676 मीटर 
● भारत में प्रथम विद्युत रेल कब चली— 1925 ई. 
● विद्युत से चलने वाली प्रथम रेलगाड़ी कौन-सी है— डेक्कन क्वीन 
● कोयले से चलने वाला देश का सबसे पुराना इंजन कौन-सा है— फेयरी क्वीन 
● कुल केंद्रीय कर्मचारियों का कितना % भाग रेलवे में कार्यरत है— 40% 
● भारत में कुल रेलमार्ग की लंबाई कितनी है— 63,974 किमी 
● भारत में माल परिवहन के लिए किस माध्यम का सबसे ज्यादा उपयोग किया जाता है— भारतीय रेलवे 
● ‘व्हील्स एंड एक्सल प्लांट’ कहाँ स्थित है— बैंगालुरू में 
● भारत में प्रथम क्रांति रेल कहाँ चली— दिल्ली से बैंगालुरू 
● वृंदावन एक्सप्रेस किन स्थानों के मध्य चलती है— चेन्नई और बैंगालुरू 
● पूर्वी रेलवे के बँटवारे के बाद हाजीपुर के आंचलिक मुख्यालय का नाम क्या है— पूर्व मध्य रेलवे 
● डीजल लोकोमोटिव वक्र्स की स्थापना कब हुई— 1964 ई. 
● भारत की पहली रेल ने मुंबई और थाणे के मध्य कितनी दूरी तय की— 34 किमी 
● रेल मंत्रालय ने ‘विलेज ऑन वहील्स नामक’ परियोजना किस वर्ष प्रारंभ की— 2004 ई. 
● भारतीय रेल का राष्ट्रीयकरण कब हुआ— 1950 में 
● कोलकाता में भूमिगत रेलमार्ग दमदम से टॉलीगंज तक लंबाई कितनी है— 16.45 किमी 
● देश की सबसे लंबी दूरी के रेलमार्ग की लंबाई कितनी है— 4256 किमी 

वीएचपी नेता अशोक सिंघल की मुस्लिमों को खुली धमकी



विश्व हिंदू परिषद के नेता अशोक सिंघल ने मुस्लिमों को खुली धमकी दी है। सिंघल ने कहा कि अल्पसंख्यक समुदायों को हिंदुओं की भावनाओं का सम्मान करना सीखना होगा। वे अगर ऐसा नहीं करेंगे, तो लंबे समय तक वजूद में नहीं रह पाएंगे। वहीं सिंघल ने मोदी की तारीफ करते हुए उन्हें आदर्श स्वयंसेवक बताया। सिंघल के इस विवादित बयान का बीजेपी और शिवसेना ने बचाव किया है।
VHP Chief Singhal's open threat

वीएचपी नेता ने कहा कि हालिया लोकसभा चुनावों से यह साबित हुआ है कि चुनाव मुस्लिमों के सपोर्ट के बिना भी जीते जा सकते हैं। सिंघल ने आगे कहा कि मुस्लिमों को यूनिफॉर्म सिविल कोड की स्वीकार करना चाहिए तथा अयोध्या, काशी और मथुरा पर अपना दावा छोड़ देना चाहिए।


कांग्रेस, सीपीएम समेत दूसरी विपक्षी पार्टियों ने सिंघल के इस बयान पर कड़ा ऐतराज जताया है। कांग्रेस नेता राजीव शुक्ला ने कहा कि वे इस तरह की राजनीति लंबे समय से करते रहे हैं। यह उनकी राजनीतिक की बुनियाद है। हमारे लिए भारत एक है और देश के हर नागरिक को सरकार चुनने का समान अधिकार है। मुझे नहीं लगता कि नरेंद्र मोदी सिंघल के बयान से सहमत होंगे।

एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा, 'अशोक सिंघल की मानसिकता किसी से छिपी हुई नहीं है। यह छोटी विचारधारा के लोग हैं। ये अपनी दुकान चलाना चाहते हैं। भारत एक अनोखा देश है, जहां बहुमत को अल्पसंख्यक से डराने की कोशिश होती है। ये वही लोग हैं जो हिंदुओं को हमेशा डराकर रखना चाहते हैं।'

बीजेपी और शिवसेना ने सिंघल के बयान का समर्थन किया है। बीजेपी सांसद विनय कटियार ने कहा कि सिंघल ने कुछ भी गलत नहीं कहा है। वहीं शिव सेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा कि सिंघल के विचार राष्ट्रीय भावना को प्रकट करते हैं।
बीजेपी नेता मुख्तार अब्बास नकवी ने भी सिंघल का बचाव किया। नकवी ने कहा कि मैंने उनका लेख पढ़ा है और उन्होंने कहा है कि लोकसभा चुनावों में मुस्लिम समाज का राजीतिक शोषण करने वाले बेनकाब हुए हैं। बीजेपी ने सबका साथ सबका विकास के साथ चुनाव लड़ा है। मोदी सबका विकास कर रहे हैं। सिंघल ने उन सेक्युलर सूरमाओं को आईना दिखाया है, जो सेक्युलरिज्म को अपनी राजनीतिक बैसाखी बनाते रहे हैं।

गजब! इस मस्जिद में लगे हैं 4000 लाउड स्पीकर



इस दुनिया में एक मस्जिद ऎसी भी है जहां 4000 लाउड स्पीकर लगे हैं और जिनकी आवाज 9 किलोमीटर दूर तक सुनी जा सकती है। यह कोई और नहीं बल्कि इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल मक्का की मस्जिद अल हराम है जहां एक बहुत बड़ा साउंड सिस्टम लगाया गया है। ऎसा इसलिए किया गया ताकि यहां प्रार्थना करने वाले लोग मीलों दूर भी अजान की आवाज सुन सकें।
Mecca mosque al haram has 4000 loudspeakers
अरब न्यूज के मुताबिक मस्जिद अल हराम और उसके आसपास करीब 4000 लाउड स्पीकर लगाए गए हैं ताकि रमजान और हज के दौरान लगने वाली अजान को श्रद्धालु सबसे बढिया आवाज में सुन सके।

मस्जिद के संचालन निदेशक फारस अल-सादी का कहना है कि इन लाउड स्पीकर की आवाज 9 किलोमीटर दूर तक भ्भी सुनी जा सकती है साथ ही इस हवा कर असर भी नहीं पड़ता जिसके चलते आवाज साफ सुनाई पड़ती है।

इतना नहीं बल्कि दुनिया में तीसरी सबसे ऊंची इमारत के रूप में मशहूर 601 मीटर ऊंचे अबराज अल-बैत घंटाघर पर हरी और सफेद रोशनी लगाई गई है ताकि लोगों को नमाज का समय पता लग सके। यह इमारत किसी अन्य इमारत से जुड़ी हुई नहीं है जिसके चलते इसकी रोशनी 30 किलोमीटर दूर तक देखी जा सकती है।

गौरतलब है कि रमजान वक्त पवित्र नगरी मक्का में 15 लाख लोग आते है जबकि अक्टूबर में हज के दौनार आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या और भी ज्यादा बढ़ सकती है। ऎसे में इन लाउड स्पीकरों और अल-बैत घंटाघर पर लगी रोशनी का क ाफी महत्व है।

दो दिन बाद अंधेरे में डूब जाएगा पूरा देश?



नई दिल्ली। द नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन (एनटीपीसी) की तरफ से सरकार को एसओएस भेज कर कोयले की कमी का जानकारी देने के बाद केंद्रीय कोयला मंत्री पीयूष गोयल ने भी माना कि देश में कोयले की कमी है और इस संकट से निपटने के लिए कार्य किया जा रहा है। गोयल से संकेत दिए कि दिल्ली में बिजली के दाम बढ़ सकते हैं। दोपहर तीन बजे डीईआरसी प्रेस कॉन्फ्रेंस करेगी।
NTPC to govt: No coal, plants running on empty
मॉनसून में देरी और गर्मी बढ़ने से बिजली की डिमांड बढ़ गई है। उधर द नेशनल थर्मल पावर कॉर्पोरेशन(एनटीपीसी) ने सरकार को एसओएस भेजकर यह सूचना दी है कि उनके पास केवल दो दिन से भी कम के लिए कोयला बचा है। 17000 मेगावॉट की क्षमता वाले एनटीपीसी के छह प्लांट कोयले के स्टॉक की कमी के कारण बंद कर दिए गए हैं।


इन छह में से पांच थर्मल प्लांट उत्तरी और दक्षिणी क्षेत्र में स्थित हैं। पश्चिम में कोयले पर निर्भर 13 पावर प्लांट और पूर्व में 4 प्लांट की भी स्थिति बेहद चिंताजनक है। एनटीपीसी के एयरमैन और मैनेजिंग डायरेक्टर अरूप रॉय चौधरी ने लिखा, "यह बता देना उचित होगा कि मॉनसून में देरी के चलते कोल स्टॉक की पूर्ति करना बेहद मुश्किल हो जाएगा और कोयले की कमी से स्टेशंस पर बुरा असर होगा।"

रॉय चौधरी की तरफ से पावर सचिव को दिए गए पत्र के मुताबिक छह में से तीन प्लांट्स में 1 दिन से कम का कोयला बचा है जबकि बेस्ट स्टॉक्ड प्लांट के पास भी केवल दो दिन का ही कोयला बचा है। नॉर्थन कोलफील्ड्स लिमिटेड (एनसीएल) में समस्या की वजह से रिहंद और विंद्याचल प्लांट में सप्लाई बाधित हुई है। उधर गांववालों के विरोध के चलते महानदी कोलफील्ड्स लिमिटेड (एमसीएल) की टेलकर माइन्स में खनन रोक दिया गया है जिसका सीधा असर सिमहद्री प्लांट पर हुआ है।

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