जयपुर। आरटेट परीक्षा में महिलाओं, विधवा सहित आरक्षित जातियों के विद्यार्थियों को पात्रता में छूट दिए जाने पर सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी वापस लिए जाने का निर्णय किया है।
इस स्थिति में 60 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी ही पास माने जाएंगे। अब 2012 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों पर संकट खड़ा हो जाएगा। राजस्थान बीएसटीसी शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री से एसएलपी वापस लेने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की गुहार की है।
आरटेट परीक्षा की पात्रता में तत्कालीन सरकार ने 10-15 फीसदी तक की छूट दी थी। जिसमें महिला और एससी एसटी के लिए 15 फीसदी और ओबीसी को 10 फीसदी की छूट मिली, जबकि नियमानुसार केवल 60 फीसदी अंक हासिल करने वाले छात्रों को ही परीक्षा में उत्तीर्ण किया जा सकता था। ऎसे में मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई थीं।
जिन पर हाईकोर्ट ने प्रक्रिया पूरी किए बिना छूट देने के निर्णय को 2 जुलाई, 2012 को गलत ठहराया था। तत्कालीन राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करते हुए छूट दिए जाने की गुहार की थी।
अब सरकार ने तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा को अलग से कराए जाने की जगह आरटेट, बीएड और अन्य योग्यता परीक्षा अंकों के आधार पर मैरिट लिस्ट तैयार कर शिक्षक भर्ती करने पर चर्चा कर रही है।
इसी के साथ सरकार ने एसएलपी को वापस लेने का निर्णय किया है। ऎसे में आरटेट पात्रता में दी गई छूट समाप्त हो जाएगी। छूट के आधार पर आरटेट परीक्षा उत्तीर्ण कर तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर चयनित अध्यापकों की नौकरी पर भी सवाल उठ जाएगा।
उठे विरोध के स्वर
राजस्थान बीएसटीसी शिक्षक संघ ने एसएलपी लिए जाने का विरोध करते हुए कहा, सरकार को एसएलपी के फैसले का इंतजार करना चाहिए, केवल प्रक्रिया की वजह से छात्रों के चयन पर सवाल उठाया जाना गलत है। संघ के अध्यक्ष उपेन यादव के मुताबिक, इस विष्ाय पर मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर छात्रों के हित में फैसला लेने की गुहार करेगें।
इस स्थिति में 60 फीसदी अंक प्राप्त करने वाले विद्यार्थी ही पास माने जाएंगे। अब 2012 में तृतीय श्रेणी शिक्षकों पर संकट खड़ा हो जाएगा। राजस्थान बीएसटीसी शिक्षक संघ ने मुख्यमंत्री से एसएलपी वापस लेने के निर्णय पर पुनर्विचार करने की गुहार की है।
आरटेट परीक्षा की पात्रता में तत्कालीन सरकार ने 10-15 फीसदी तक की छूट दी थी। जिसमें महिला और एससी एसटी के लिए 15 फीसदी और ओबीसी को 10 फीसदी की छूट मिली, जबकि नियमानुसार केवल 60 फीसदी अंक हासिल करने वाले छात्रों को ही परीक्षा में उत्तीर्ण किया जा सकता था। ऎसे में मामले पर राजस्थान हाईकोर्ट में कई याचिकाएं दायर हुई थीं।
जिन पर हाईकोर्ट ने प्रक्रिया पूरी किए बिना छूट देने के निर्णय को 2 जुलाई, 2012 को गलत ठहराया था। तत्कालीन राज्य सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में एसएलपी दायर करते हुए छूट दिए जाने की गुहार की थी।
अब सरकार ने तृतीय श्रेणी भर्ती परीक्षा को अलग से कराए जाने की जगह आरटेट, बीएड और अन्य योग्यता परीक्षा अंकों के आधार पर मैरिट लिस्ट तैयार कर शिक्षक भर्ती करने पर चर्चा कर रही है।
इसी के साथ सरकार ने एसएलपी को वापस लेने का निर्णय किया है। ऎसे में आरटेट पात्रता में दी गई छूट समाप्त हो जाएगी। छूट के आधार पर आरटेट परीक्षा उत्तीर्ण कर तृतीय श्रेणी शिक्षक पद पर चयनित अध्यापकों की नौकरी पर भी सवाल उठ जाएगा।
उठे विरोध के स्वर
राजस्थान बीएसटीसी शिक्षक संघ ने एसएलपी लिए जाने का विरोध करते हुए कहा, सरकार को एसएलपी के फैसले का इंतजार करना चाहिए, केवल प्रक्रिया की वजह से छात्रों के चयन पर सवाल उठाया जाना गलत है। संघ के अध्यक्ष उपेन यादव के मुताबिक, इस विष्ाय पर मुख्यमंत्री को ज्ञापन देकर छात्रों के हित में फैसला लेने की गुहार करेगें।