दांतारामगढ़। नारायणी, मेहनी, कानी, जीवण, ग्यारसीलाल, पप्पू, भंवर, भगवानी, सन्तोषी, मनोज, कैलाश, झाबर, मुन्नी...और बहुत से नाम। कुल 21 बच्चों के नाम।
ये किसी मोहल्ले के बच्चों के नाम नहीं, बल्कि मंगलराम और सामरी की संतानें हैं। 25 साल के विवाहित जीवन में दोनों ने 21 बच्चों को जन्म दिया है।
आज के युग में जहां दो संतानों की परवरिश भी किसी भी दम्पती पर भारी हो जाती है। ऎसे में मंगलाराम और सामरी बच्चे पैदा करने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं।
यहां से करीब दस किलोमीटर दूर पहाड़ी पर रहने वाले बावरिया जाति के इस दम्पती के यहां बच्चे पैदा होने का सिलसिला अभी थमा नहीं हैं। पांच साल पहले प्रतिवर्ष प्रसव होता था, लेकिन बीते पांच साल में दो ही बच्चे हुए हैं।
सीकर जिले में दांतारामगढ़ उपखण्ड के भारीजा ग्राम पंचायत के गौरियां गांव के पास पहाड़ी पर बसे बावरिया परिवार में मंगलाराम बावरिया की उम्र करीब चालीस बरस की है।
पच्चीस बरस पहले उसकी शादी सामरी से हुुई थी जिसकी उम्र अभी करीब 38 बरस की है। सामरी शादी के वक्त तेरह साल की थी। पच्चीस बरस में उसने 21 बच्चों को जन्म दिया है।
दो क्रिकेट टीम
मंगला व सामरी के लड़के व लड़कियों की दो अलग अलग क्रिकेट टीम खड़ी की जा सकती हैं। लड़कों की संख्या 11 है तो दस लड़कियां हैं उनमें से छ: लड़कियों व तीन लड़कों की शादी भी कर दी है। लड़कियां ससुराल में हैं, तो तीन बड़े लड़के अन्यत्र पेट पालने चले गए।
पांच किलो घी, खरगोश और मुर्गा है खुराक
सामरी का पति मंगलाराम बताता है कि सामरी को हर प्रसव के बाद पांच किलो देशी घी के अलावा तीतर, हरियल तोता, खरगोश, मुर्गा खिलाता है ।
यह परिवार खेतों में रखवाली कर या मांग कर अपना गुजर बसर कर रहा है। 23 सदस्यों के इस परिवार के पास फटे तिरपाल से बने एक छप्पर के सिवा कुछ भी नहीं है। -
ये किसी मोहल्ले के बच्चों के नाम नहीं, बल्कि मंगलराम और सामरी की संतानें हैं। 25 साल के विवाहित जीवन में दोनों ने 21 बच्चों को जन्म दिया है।
आज के युग में जहां दो संतानों की परवरिश भी किसी भी दम्पती पर भारी हो जाती है। ऎसे में मंगलाराम और सामरी बच्चे पैदा करने में कोई कोताही नहीं बरत रहे हैं।
यहां से करीब दस किलोमीटर दूर पहाड़ी पर रहने वाले बावरिया जाति के इस दम्पती के यहां बच्चे पैदा होने का सिलसिला अभी थमा नहीं हैं। पांच साल पहले प्रतिवर्ष प्रसव होता था, लेकिन बीते पांच साल में दो ही बच्चे हुए हैं।
सीकर जिले में दांतारामगढ़ उपखण्ड के भारीजा ग्राम पंचायत के गौरियां गांव के पास पहाड़ी पर बसे बावरिया परिवार में मंगलाराम बावरिया की उम्र करीब चालीस बरस की है।
पच्चीस बरस पहले उसकी शादी सामरी से हुुई थी जिसकी उम्र अभी करीब 38 बरस की है। सामरी शादी के वक्त तेरह साल की थी। पच्चीस बरस में उसने 21 बच्चों को जन्म दिया है।
दो क्रिकेट टीम
मंगला व सामरी के लड़के व लड़कियों की दो अलग अलग क्रिकेट टीम खड़ी की जा सकती हैं। लड़कों की संख्या 11 है तो दस लड़कियां हैं उनमें से छ: लड़कियों व तीन लड़कों की शादी भी कर दी है। लड़कियां ससुराल में हैं, तो तीन बड़े लड़के अन्यत्र पेट पालने चले गए।
पांच किलो घी, खरगोश और मुर्गा है खुराक
सामरी का पति मंगलाराम बताता है कि सामरी को हर प्रसव के बाद पांच किलो देशी घी के अलावा तीतर, हरियल तोता, खरगोश, मुर्गा खिलाता है ।
यह परिवार खेतों में रखवाली कर या मांग कर अपना गुजर बसर कर रहा है। 23 सदस्यों के इस परिवार के पास फटे तिरपाल से बने एक छप्पर के सिवा कुछ भी नहीं है। -
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